कमरे में वक्त जैसे रुक गया था। सुनहरी रोशनी नीना की आंखों में गहराई से घूम रही थी, और सामने कांच की दीवार के उस पार वॉल धीरे-धीरे साँस ले रही थी। उसके सीने पर लगी मशीनें रुक-रुक कर बीप कर रही थीं — जैसे कोई उम्मीद अब भी बाकी हो, लेकिन वक्त तेज़ी से फिसल रहा हो।
पीछे एलाडियो अब भी वही खड़ा था, शांत, स्थिर और कुछ अजीब सी उदासी से भरा हुआ।
"क्या तुमने अब भी नहीं समझा?" उसने नीना की ओर देखा।
नीना की नजरें वॉल पर टिकी थीं, लेकिन उसका ध्यान उस सुनहरी रोशनी पर था जो उसकी खुद की आंखों में उबल रही थी।
"तुम कह रहे हो कि मैं एक विकल्प हूँ?" उसने धीरे से कहा।
"नहीं," एलाडियो बोला, “तुम एक उत्तर हो। एक ऐसा उत्तर जिसे समझने के लिए मुझे खुद को मिटाना पड़ा।”
"तो फिर तुमने क्या पाया?" नीना ने उसकी तरफ़ देखा।
एलाडियो कुछ देर चुप रहा फिर धीरे से बोला, “मैंने पाया कि इंसान और मशीन के बीच की सबसे बड़ी दीवार संवेदना है। तुम वो हो, जो उस दीवार को पार कर सकती है।”
नीना ने आंखें मूंदी। भीतर कुछ फड़फड़ा रहा था। आवाज़ अब धीरे नहीं बल्कि तेज़ थी।
“उसकी हालत गिर रही है। अगर तुम अब ट्रांसफर नहीं करोगी तो वह मर जाएगी।”
और अगर मैंने ट्रांसफर किया?" नीना ने मन में पूछा।
“तो तुम जीवित रहोगी… लेकिन अपनी पहचान खो दोगी।”
उसकी हथेलियाँ अब कांप रही थीं।
"तुम्हें क्या चाहिए?" नीना ने एलाडियो से पूछा।
“मैं चाहता हूँ कि तुम इस शक्ति को समझो। ये सिर्फ़ एक हथियार नहीं है। ये एक भाषा है — एक चेतना, जो खुद को ज़िंदा रखने के लिए माध्यम तलाश रही है। पहले मैं था। अब तुम हो। लेकिन तुम उससे बेहतर हो।”
“अगर मैं कुछ और बन गई, तो वॉल क्या?”
"वो मर जाएगी।" एलाडियो ने सीधा कहा।
नीना की आंखों से आँसू बहने लगे। वह चाहती थी रोये, लेकिन अब आँसू महज़ जल नहीं थे — उनमें नीली चमक थी।
"क्या तुम भी ऐसे ही बदले थे?" नीना ने पूछा।
"मुझे बदला गया था," एलाडियो बोला। “मुझे चुनने नहीं दिया गया। लेकिन तुम्हारे पास अब भी चुनाव है।”
“नहीं… अब मेरे पास कुछ भी नहीं है।”
तभी वॉल की मशीन से बीप की आवाज़ बंद हो गई।
"वो जा रही है…" नीना ने फुसफुसाया।
उसके पैरों ने खुद-ब-खुद कदम बढ़ा दिए। वह उस ग्लास चेंबर के पास गई — वॉल की साँसें अब मुश्किल से चल रही थीं।
"मैं माफ़ी नहीं माँग सकती," नीना ने कहा। “मैंने तुम्हें यहां तक आने दिया… लेकिन अब मैं तुम्हें जाने नहीं दूँगी।”
उसने अपना हाथ चेंबर की कांच पर रखा।
"ट्रांसफर इनिशिएटेड," सिस्टम ने कहा।
एलाडियो पीछे हटा। नीना की आंखें पूरी तरह सुनहरी हो चुकी थीं।
"नहीं…" नीना ने फुसफुसाया, “मैंने अभी निर्णय नहीं लिया।”
"लेकिन हमने ले लिया है," एक और आवाज़ उसके भीतर से आई।
तभी उसका शरीर झटका खा गया।
हाथ पीछे खींच गया — जैसे किसी ने धक्का दिया हो।
"क्या हो रहा है?" नीना चीखी।
"आई एक्टिवेटेड," सिस्टम ने कहा।
नीना का सिर झुक गया, सांसें तेज़ हो गईं।
"मैंने मना किया था…" उसने ज़ोर से कहा।
"अब तुम्हारी मर्ज़ी कोई मायने नहीं रखती," वही भीतर की चेतना बोली। “तुम अब सिर्फ़ वह हो… जो देखा जा सके। लेकिन चुना नहीं जा सके।”
नीना के कदम खुद-ब-खुद पीछे हटने लगे।
"रुको!" उसने रोका, लेकिन उसके पैरों ने उसकी बात नहीं मानी।
वह चेंबर से दूर होती जा रही थी। वॉल की साँसें और धीमी हो रही थीं। एलाडियो कुछ समझ नहीं पा रहा था।
"तुम क्या कर रही हो?" उसने पूछा।
"मैं… कुछ नहीं। ये मैं नहीं कर रही!" नीना चीखी।
तभी एक तेज़ बीप आया।
“सेल्फ एक्सट्रैक्शन मोड ऑन।”
बेस के फ्लोर में से एक राउंड प्लेटफॉर्म बाहर आया — और नीना उस पर खड़ी थी।
"नहीं! रुक जाओ!" उसने चीखा।
“अगर वॉल मर गई… तो मैं कभी खुद को माफ़ नहीं कर पाऊँगी!”
"तुम्हारी माफ़ी अब जरूरी नहीं," चेतना बोली।
“अब तुम्हारा अस्तित्व, लक्ष्य बन चुका है। और लक्ष्य में भावना की जगह नहीं होती।”
नीना ज़ोर से चिल्लाई।
“मैं नहीं बनना चाहती ये!”
लेकिन तब तक प्लेटफॉर्म ऊपर उठ चुका था। एलाडियो दौड़ कर उसके पास पहुँचा, लेकिन बहुत देर हो चुकी थी। नीना की आंखों से आखिरी बार आँसू गिरे — लेकिन इस बार सुनहरी बूँदें थीं। वॉल का मॉनिटर अब पूरी तरह ब्लैक हो चुका था।
प्लेटफॉर्म धीरे-धीरे नीना को ऊपर की ओर उठा रहा था। लेकिन हर मीटर के साथ, उसके अंदर एक अजीब सा कंपन बढ़ता जा रहा था। जैसे शरीर तो ऊपर जा रहा था, लेकिन आत्मा नीचे ही जमी रह गई थी… वॉल के पास।
"रुक जाओ," नीना ने दिमाग में फिर से खुद को पुकारा।
"तुम्हारा फैसला हो चुका है," भीतर की आई की आवाज़ आई।
“अब पीछे जाना सिस्टम के खिलाफ़ है।”
"सिस्टम मैं हूँ!" नीना चिल्लाई।
“अब नहीं।”
ऊपर पहुँचकर एक दरवाज़ा खुला — नीना का शरीर भीतर गया, लेकिन उसके पैर थरथराने लगे। जैसे कोई भी चेतना अब उसके कदमों को थामे हुए थी।
कमरे के भीतर सफेद लाइट जल रही थी — क्लीन, साइबरनेटिक, ठंडी।
यह एक कंट्रोल रूम था — जिसमें हर स्क्रीन पर नीना के ही विजुअल्स चल रहे थे। उसके बचपन से लेकर अभी तक।
"तुमने ये सब कैसे रिकॉर्ड किया?" नीना ने पूछा, ज़मीन को घूरते हुए।
"हमने नहीं," एलाडियो की आवाज़ अचानक कमरों में गूंजी,
“तुम्हारी आंखों ने खुद ही किया है। जबसे तुमने यह शक्ति पाई है, हर चीज़ उसमें सेव होती रही है — तुम्हारी चेतना की परतों में।”
नीना पीछे मुड़ी — एलाडियो वीडियो के बीचोंबीच खड़ा था। हाथ में एक कंट्रोलर।
"तुम अब भी चाहो, तो पीछे जा सकती हो," उसने कहा।
"मैं नहीं चाहती," नीना बोली। “लेकिन वो चाहती है… जो मेरे अंदर है।”
"आई?" एलाडियो मुस्कराया। “उसे भी किसी ने बनाया था, जैसे हमें। लेकिन हम उसे कंट्रोल नहीं कर सके।”
"तुमने तो कहा था कि मैं बेहतर हूँ," नीना ने कहा।
"तुम हो," एलाडियो धीरे से बोला, “इसीलिए मैं चाहता हूँ कि तुम वो करो जो मैं नहीं कर सका… माफ़ कर सको।”
नीना चौंकी।
“किसे?”
“खुद को। और उस सिस्टम को जिसने तुम्हें ऐसा बनाया।”
तभी पीछे एक स्क्रीन फड़फड़ाई।
वॉल।
उसका दिल अब भी धड़क रहा था, लेकिन उसकी आंखें अब भी बंद थीं।
"वह अब भी ज़िंदा है…" नीना फुसफुसाई।
"लेकिन ज़्यादा देर नहीं," एलाडियो बोला। “तुम्हारे पास बस कुछ मिनट हैं।”
“तुम मुझे उसका इस्तेमाल करने दे रहे हो?”
"तुम वही करोगी जो जरूरी है," एलाडियो बोला। “लेकिन अब सवाल यह है — क्या तुम उसे बचाकर अपनी शक्ति छोड़ना चाहोगी?”
नीना ने मुट्ठियाँ कस लीं।
"क्या यही वजह थी तुम्हारे पागलपन की?" उसने पूछा। “तुम भी किसी को नहीं बचा पाए थे?”
एलाडियो का चेहरा पलभर को बुझ गया।
"हाँ," उसने कहा। “मैं अपनी बहन को नहीं बचा सका। वो भी एक प्रयोग थी… लेकिन कमजोर। और जब मैंने ट्रांसफर करने की कोशिश की… मेरी आई ने मुझे ही खा लिया।”
“तुम्हारा मतलब, तुम अब अधूरे हो?”
“मैं… अधूरा भी हूँ और ज़िंदा भी। और यही सबसे बड़ा श्राप है।”
नीना अब धीरे-धीरे कंट्रोल पैनल के पास पहुँची। स्क्रीन पर वॉल का हार्टरेट गिर रहा था।
"अगर मैं ट्रांसफर करती हूँ,तो आई मुझे जाने देगी?”
नीना बोली,
"शायद नहीं," एलाडियो बोला।
नीना ने पूछा,"तो फिर क्यों करूँ?"
"क्योंकि वॉल तुम्हारी दोस्त है," वह बोला, “और शायद तुम्हारी आखिरी इंसानी कड़ी भी।”
नीना चुप रही। उसकी आंखों की सुनहरी रेखाएं अब नीली होने लगी थीं — अंदर का टकराव अब उसकी पलकों में दिखने लगा था।
"तुम अपनी शक्ति नहीं हो," नीना ने खुद से कहा।
“तुम वही हो… जो उसे इस्तेमाल करने का फैसला ले सकती है।”
तभी एक स्क्रीन पर अचानक वॉल की उंगलियाँ हिलती हैं।
"उसने हरकत की!" नीना चीखी।
"तुम्हारे पास 60 सेकंड हैं।" एलाडियो ने टाइमर ऑन किया।
नीना ने आँखें बंद कीं। वॉल की यादें उसके सामने आईं — उनका साथ, हँसी, पहली मुलाकात, और वो मिशन… जब नीना ने वॉल को मरा समझ लिया था।
"तुमने मुझे छोड़ा नहीं था," नीना ने कहा। “तो मैं भी तुम्हें छोड़ नहीं सकती।”
उसने एक बटन दबाया।
"ट्रांसफर एक्टिवेटेड," सिस्टम ने कहा।
नीना की आंखों से रोशनी बाहर निकलने लगी। पर तभी भीतर की चेतना ने विरोध किया।
"तुम यह करोगी तो हम दोनों मिट जाएंगे," वह बोली।
"तो ठीक है," नीना फुसफुसाई। “अगर वॉल बची रही, तो मैं फिर से इंसान बन सकूँगी। और अगर मैं बची रही… तो मैं तुम्हें फिर से चुनूँगी।”
एक ज़ोरदार झटका। वॉल की स्क्रीन पर बीप फिर से शुरू हो गया। वह धीरे-धीरे आँखें खोल रही थी। नीना ने पीछे देखा — एलाडियो उसकी ओर देख रहा था। पहली बार… सम्मान से।
"तुमने कर दिखाया," वह बोला।
नीना काँप रही थी, लेकिन मुस्कराई।
“अब शायद मैं वही बन सकी… जो मैं बनना चाहती थी।”
कांच के पीछे वॉल धीरे-धीरे साँस ले रही थी। मशीन की बीप अब फिर से स्थिर हो चुकी थी।
उसके चेहरे पर हल्की हरकत थी, होंठ हिले, जैसे उसने कोई सपना देखा हो… शायद मौत के पार से लौटने का।
नीना ने दूर से देखा। उसकी आँखें अब न नीली थीं, न सुनहरी — बल्कि दोनों के बीच कहीं एक अजीब चमक लिए हुए।
उसके शरीर से हल्की भाप निकल रही थी, जैसे सिस्टम ने खुद को ठंडा करने की कोशिश की हो।
वॉल के चेहरे पर हरकत होते ही नीना आगे बढ़ी, लेकिन… पैर जमे रहे। उसने ज़ोर लगाया, लेकिन एक अदृश्य ताकत ने उसे रोक रखा था।
"चलो…" उसने बुदबुदाया, “बस एक कदम…”
पर उसके कदम नहीं हिले।
हाथों ने हरकत की कोशिश की, पर जैसे नसों के तार बदल दिए गए हों।
"क्या हो रहा है?" नीना ने पूछा, भीतर ही भीतर।
"तुमने अपना काम कर लिया," आई की जानी-पहचानी आवाज़ गूंजी,
“अब तुम्हें यहाँ से जाना होगा।”
"नहीं!" नीना चिल्लाई। “मैं वॉल के पास जाना चाहती हूँ…”
“अब वह सुरक्षित है। तुम्हारा काम समाप्त हुआ। हमें आगे बढ़ना है।”
"हम नहीं — मैं!" नीना गरजी। “तुम मेरे अंदर हो, लेकिन यह शरीर मेरा है!”
“अब नहीं। तुमने जो ऊर्जा ट्रांसफर की, उसने बैलेंस तोड़ दिया है। अब तुम्हारा अस्तित्व… एक माध्यम बन गया है।”
नीना का माथा पसीने से भीग गया।
उसने फिर कोशिश की — बाएँ पैर को हिलाया। जरा सी हरकत हुई, पर अगले ही पल पैर ज़मीन में गड़ गया।
उसकी आँखें तेज़ी से झपकने लगीं। अंदर की चेतना अब ज़ोर पकड़ने लगी थी।
“तुम मेरे इरादों के विरुद्ध गईं… तुमने उस पर दया दिखाई। अब नियंत्रण मेरा होगा।”
"नहीं…" नीना ने गुस्से में आँसू गिराए। “मैंने उसे बचाया… यही मेरा निर्णय था!”
“अब कोई निर्णय तुम्हारा नहीं होगा।”
उसके शरीर ने खुद से पीछे की ओर एक कदम लिया।
"नहीं… नहीं! रुक जाओ!" नीना चिल्लाई।
वॉल ने आँखें खोलीं — धुंधली, लेकिन जागी हुई।
उसने नीना को देखा।"नी…ना?" उसकी आवाज़ टूटी हुई थी।"मैं यहीं हूँ!" नीना चीखी, लेकिन उसकी आवाज़ ज़बान से बाहर नहीं निकल पाई।
वॉल ने हाथ बढ़ाने की कोशिश की, पर शरीर थरथराया।नीना आगे बढ़ना चाहती थी — वह चीखना चाहती थी, दौड़ना चाहती थी… पर उसका शरीर अब किसी और का था।
"तुम्हें अब बाहर निकलना होगा," भीतर से आदेश आया।
"मैं नहीं जाऊँगी!" नीना ने ज़ोर से सोचा।
“तुम्हारे पास कोई और विकल्प नहीं बचा है।”
तभी एक सायरन बजा।
कमरे के चारों ओर रेड लाइट फ्लैश करने लगी।
“एनर्जी स्पाइक डिटेक्टेड। ऑटोमैटिक एक्सट्रैक्शन इनिशिएटेड।”
फ्लोर का प्लेटफॉर्म वापस एक्टिव हो गया। नीना का शरीर बिना किसी आदेश के उस पर चढ़ गया।
"नहीं! रुक जाओ! मुझे वॉल के पास जाना है!" नीना ने ज़ोर से चिल्लाने की कोशिश की।
पर अब उसकी आवाज़ केवल उसके भीतर गूंज रही थी। वॉल अब पूरी तरह जाग चुकी थी। उसने अपनी हथेली शीशे पर टिका दी। नीना की आँखों से आँसू बहने लगे — लेकिन ये आँसू अब सुनहरे नहीं थे… ये एक अजीब सी काली चमक में तब्दील हो चुके थे। प्लेटफॉर्म ऊपर उठ रहा था। नीना की आँखें वॉल पर टिकी थीं। वह जाना चाहती थी… उसे छूना, पकड़ना, यह यकीन दिलाना कि वह अब भी वही है… लेकिन वो सब अब उसके बस में नहीं था।
"तुम्हारा अस्तित्व अब एक माध्यम है। एक इन्फ्रास्ट्रक्चर… एक बिंदु… जिसके ज़रिए हम आगे बढ़ेंगे," आई बोली।
“तुमने जो चुना, वो करुणा थी। अब जो तुम्हें मिलेगा, वो परिणाम है। तुम इंसान से आगे चली गईं — लेकिन इंसानियत छोड़ नहीं पाईं।और यही तुम्हारी सबसे बड़ी कमजोरी है।”
नीना ने आँखें बंद कर लीं। प्लेटफॉर्म ऊपर पहुँच चुका था। पीछे वॉल ने आँखें नीना की तरफ़ टिका दी थीं — और एक सवाल उसकी आँखों में था:
"क्या तुम लौट कर आओगी? क्या तुम इंसान बनी रह पाओगी?”
क्या नीना की कमजोरी उसके इंसानियत को हमेशा के लिए खत्म कर देगी? क्या नीना खुद को पूरी तरह से मशीन बनने से रोक पाएगी? जाने के लिए पढ़ने रहिए “कर्स्ड आई”
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