काव्या की चीख बाहर वार्ड तक जा पहुंची थी। आर्यन को बाहर आता देख कर पीयूष के चेहरे पर टेढ़ी मुस्कान सी आई और उसने तंज कसते हुए आर्यन से कहा,
पीयूष: “कोई बड़ी बड़ी बातें करने आया था कि वो ज्यादा क्लोज है काव्या के। काव्या ने खुद उसे बाहर निकाल दिया। फिर तो अब तुम्हें भी जबरदस्ती घुसने की आदत बंद कर देनी चाहिए, आर्यन!”
पीयूष के मुंह से इस बकवास को सुनने के बाद आर्यन का मन तो था कि वो उसे मुंह तोड़ जवाब दे पर अभी आर्यन कोई जवाब देने की हालत में नहीं था। काव्या के उसके उपर इस तरह चिल्लाने के बाद उसका confidence जीरो हो गया था।
बिना कुछ बोले वो हॉस्पिटल से बाहर की तरफ बढ़ने लगा तभी पीछे से प्रज्ञा ने आ कर आर्यन से कहा,
प्रज्ञा: “i am sorry आर्यन! मुझे नहीं पता था जिस काव्या से मिलने के लिए मॉम ने बोला था वो तुम्हारी गर्लफ्रेंड निकलेगी। I am sorry!”
आर्यन प्रज्ञा की बात सुनते हुए भी इग्नोर कर रहा था। वो लगातार सीधे चला जा रहा था। प्रज्ञा ने आर्यन से कहा,
प्रज्ञा: “तुम कहां चले जा रहे हो?”
आर्यन ने कोई जवाब नहीं दिया। वो तेज़ रफ्तार से चला जा रहा था। प्रज्ञा ने उसकी रफ्तार के साथ रफ्तार मिलाने की कोशिश की। पर आर्यन आगे बढ़ा जा रहा था। प्रज्ञा ने फिर चीखते हुए कहा,
प्रज्ञा: “आर्यन! कहां जा रहे हो तुम?!”
प्रज्ञा के चीखने के बाद आर्यन रुका और उसने पलटकर प्रज्ञा की तरफ गुस्से में देखते हुए कहा,
आर्यन: “क्या चल रहा है ये सब? ये कॉन सा नया ड्रामा है तुम्हारा?”
आर्यन के अचानक इस तरह से सवाल पूछने के बाद प्रज्ञा सकपका सी गई। उसने खुद को calm रखते हुए पूछा,
प्रज्ञा: “कौन सा ड्रामा? किस ड्रामे की बात कर रहे हो?”
आर्यन के अंदर जितना भी गुस्सा पीयूष पर और इस पूरी situation पर आ रहा था, उसने प्रज्ञा के ऊपर निकालते हुए कहा,
आर्यन: “यही ड्रामा जो तुम्हारा इतने दिन से चल रहा है, ये सब क्या है? तुम्हारे आने के बाद से ही मेरे और काव्या के बीच प्रोब्लम्स होने लगीं। मुझे नहीं पता ये सब तुम कैसे करवा रही हो पर मुझे तुम्हारे चेहरे पर जो सुकून आता दिख रहा है, वो समझ आता है। मैं तुम्हे अच्छे से जानता हूं प्रज्ञा। तुम बदलने वालों में से नहीं हो।”
आर्यन के सीधा ऐसा पूछ लेने के बाद प्रज्ञा को कुछ देर के लिए ऐसा लगा जैसे आर्यन ने उसका वाकई में सच जान लिया हो। पर ये आर्यन का काव्या को ले कर emotional outburst था। इससे बचने के लिए प्रज्ञा ने रोनी सूरत बना ली। बेचारी सी बन कर प्रज्ञा ने आर्यन को समझाते हुए कहा,
प्रज्ञा: “तुम पागल हो गए हो क्या आर्यन! तुम इस तरह से मुझसे क्यों बात कर रहे हो? मुझे पता है, तुम्हारे और काव्या के बीच जो कुछ भी हुआ है तुम उससे परेशान हो पर इसमें मेरी क्या गलती है?”
आर्यन के गुस्से को दबाने के लिए प्रज्ञा ने धीरे धीरे अपनी आवाज़ को बढ़ाना चालू किया। उसने गुस्सा दिखाते हुए आर्यन से कहा,
प्रज्ञा: “ये तो तुम्हारी अपनी ही गलती है कि तुमने काव्या को मेरे बारे में नहीं बताया। वैसे सवाल तो मुझे तुमसे करने चाहिए आर्यन! आखिर जब हमारे बीच कुछ है नहीं तो मेरे साथ इस्कॉन मंदिर आने वाली बात काव्या से क्यों छुपाई? क्यों नहीं बताया हम साथ में काम करते हैं?”
आर्यन के पास प्रज्ञा के सवालों का जवाब तो था पर वो ये जवाब सिर्फ काव्या को देना चाहता था। पर प्रज्ञा के अचानक से पूछने के बाद आर्यन थोड़ा ठिठक सा गया। आर्यन को थोड़ा पीछा हटते देख कर प्रज्ञा और आक्रामक होती गई। वो आर्यन पर और गुस्सा दिखाते हुए बोली,
प्रज्ञा: “तुम सब लड़कों की एक्चुअली दिक्कत यही है, कि अपनी गलती मानने के बजाय तुम्हे ब्लेम करना आता है। अभी भी इस पूरी चीज का ब्लेम तुम मुझ पर डाल रहे हो! खुद से इसको ले कर सवाल करो, आर्यन, कि आखिर कौन responsible है तुम्हारे और काव्या के बीच में इस तरह का miscommunication के लिए। जिस तरह से तुम्हे गुस्सा आता है न, You deserve to be alone!”
ऐसा कहकर प्रज्ञा आर्यन को छोड़ कर वहां से निकलने लगी। पर प्रज्ञा के अंदर ही अंदर पानी के फुव्वारे फूट रहे थे। आर्यन को सुनाने का इससे अच्छा मौका नहीं मिलने वाला था। उसने समझ लिया था अगर वो आर्यन को अभी अपने और पास आने देना चाहती थी, तो उसे आर्यन को खुद से दूर भी धकेलना होगा जिससे आर्यन को ये न लगे कि प्रज्ञा desperate हो रही थी।
प्रज्ञा वहां से जाने लगी तो आर्यन ने उसे पीछे से रोका। प्रज्ञा मंद मंद मुस्कुराई। आर्यन ने उसके पास आ कर कहा,
आर्यन: “इतनी रात हो चुकी है, तुम वापिस घर कैसे जाओगी?”
प्रज्ञा ने झुठी नाराजगी दिखाते हुए कहा,
प्रज्ञा: “कैब बुक करके चली जाऊंगी। You should take care of yourself!”
कुछ देर बाद प्रज्ञा कैब बुक करके आर्यन को वहीं छोड़ घर की तरफ चल दी थी। आर्यन रास्ते में अकेला खड़ा यही सोच रहा था कि शायद उसे काव्या से मिलने के लिए एक बार और ट्राई करना चाहिए। क्योंकि काव्या के मन में जो भी गुत्थी बन चुकी थी उसे वही सुलझा सकता था।
आर्यन वापिस हॉस्पिटल की तरफ अंदर गया। वार्ड के बाहर सिर्फ चंचल बैठी थी। चंचल को वहां बैठे देख कर आर्यन उसके पास आ कर बोला,
आर्यन: “काव्या कैसी है?”
आर्यन को अचानक से सामने देखकर चंचल थोड़ा डर सा गई थी। फिर उसने घूरकर आर्यन की तरफ देखा। जैसे अभी वो बिजली बन कर आर्यन के ऊपर गिर पड़ेगी। शायद काव्या की तरह चंचल भी आर्यन के बारे में एक कहानी बना चुकी थी। आर्यन ने धीरे से चंचल के पास बैठते हुए कहा,
आर्यन: “चंचल जैसे तुम सोच रही हो। ऐसा दूर दूर तक कुछ नहीं है। मैं आराम से सारी बात बताऊंगा। पर अभी मेरा काव्या से मिलना जरूरी है!”
चंचल ने उसी तरह गुस्से में घूरते हुए आर्यन से कहा,
चंचल : “दी अभी रेस्ट कर रही हैं। डॉक्टर ने कल सुबह तक उनको यही रहने को बोला है। अभी वो तुझसे कोई बात नहीं कर पाएंगी। पर ये सब क्या चल रहा है?”
चंचल के पूछने पर आर्यन ने मुंह लटका लिया था। वो इस वक्त काव्या के अलावा किसी को भी किस तरह के explanation देने से बच रहा था। उसने बस इतना कहा,
आर्यन: “मैं बाद में सारी चीजें आराम से बताऊंगा। पहले मुझे काव्या से बात करना है। मैं रात भर उसका यही इंतजार करूंगा।”
दरअसल काव्या की मॉम और पीयूष घर वापिस चले गए थे। काव्या के पापा के साथ भी किसी का होना जरूरी था। इसलिए चंचल यहां हॉस्पिटल में रुक गई थी। अब जब आर्यन ने भी चंचल के साथ रुकने का फैसला कर लिया था चंचल ने आर्यन को मना नहीं किया।
आर्यन पूरी रात चंचल के साथ बेंच पर, कभी बाहर जा कर पार्क में बैठा रहा। एक अजीब सी बेचैनी उसके दिमाग़ में घर कर गई थी। वो सुबह होने का इंतज़ार कर रहा था।
अगली सुबह जैसे हुई, आर्यन पार्क की बेंच पर लेटा हुआ था। अचानक से पानी की बूंद आसमान से गिरने के बाद, आर्यन की आंख खुली। उसने देखा सुबह के 8 बज चुके थे। वो हॉस्पिटल में अंदर की तरफ गया तो काव्या अपने वार्ड में नहीं थी।
ये देख कर आर्यन परेशान हो गया। सुबह के इंतजार में, आर्यन रातभर काव्या से बात करने के लिए हॉस्पिटल में रुका हुआ था। पर सुबह होते ही, काव्या हॉस्पिटल से जा चुकी थी। उसने चंचल और काव्या दोनों को कॉल किया पर दोनों ने कॉल नहीं उठाया। आर्यन का दिल घबराने लगा था। इस तरह से बार बार काव्या को लगातार दूर जाते देखकर आर्यन रोने वाली हालत में हो गया था।
उसने मन में सोचा, काव्या से मिलने काव्या के घर जाना सही रहेगा? या उसे काव्या को थोड़ा और समय दे देना चाहिए।
उसे समझ नहीं आ रहा था कि आखिर कौन सा रास्ता सही होगा। कुछ देर सोचने के बाद आर्यन ने काव्या को कुछ देर समय देने का डिसाइड किया। शायद कुछ टाइम देने के बाद, काव्या खुद आर्यन से बात करना चाहे।
ऐसा सोचकर आर्यन फ्लैट पर वापिस आ चुका था। वहां आते ही फ्लैट का खालीपन उसे और खाने लग रहा था। पर अभी कुछ देर इंतजार करने के अलावा उसके पास कोई और रास्ता नहीं था।
उधर काव्या अपने घर पर पहुंच गई थी। पिछली रात की सारी चीजें उसके दिमाग में गोल गोल घूम रही थी। उसे रह रह कर ख्याल आ रहा था कि आर्यन का उसको धोखा देना, बिलकुल भी सच नहीं था। पर प्रज्ञा के चेहरे को याद करते ही काव्या का दिल टूटने लग जाता। और इस टूटे दिल के साथ काव्या को और दर्द होने लग गया।
काव्या अपने रूम में ही बेसुध लेटे हुई थी, तभी उसे बाहर से उसके मॉम की आवाज़ सुनाई दी। वो उनके पापा को इस पूरे हादसे के बारे में बता रही थीं।
काव्या की मॉम बार बार यही कह रही थीं।
काव्या की मॉम: “देखा! फिर से वही हुआ, जो पिछली बार हुआ था। दिल तुड़वा कर बैठी हैं इस बार भी शायद! इस बार दिल के साथ साथ शरीर भी तुड़वा लिया है!”
मॉम के मुंह से ये सब सुनकर काव्या को घुटन होने लगी थी। उसने कभी नहीं सोचा था कि वो अपनी लाइफ की पुरानी कंडीशन में दोबारा आएगी। उसी तरह helpless महसूस करेगी। लेकिन इस बार वो फिर उसी तरह से हर चीज प्रोसेस नहीं करना चाहती थी।
उसने अपनी लाइफ में जिन lessons को सीख लिया था, अब वो दोबारा से वही गलती नहीं करना चाहती थी। उसने सबसे पहले आर्यन को हर जगह से block कर दिया था। हालांकि ये करने में उसे पहले बहुत बचकाना सा स्टेप लगा। लेकिन धीरे धीरे उसने मान लिया था कि वो कुछ दिनों के लिए आर्यन की शक्ल नही देखना चाहती थी।
उधर आर्यन जो काव्या को टेक्स्ट करने के बारे में सोच रहा था, उसने एक लंबा सा टेक्स्ट काव्या के लिए type किया था। पर नंबर ब्लॉक की वजह से आर्यन का टेक्स्ट काव्या तक नहीं पहुंच पाया।
आर्यन के पास काव्या तक पहुंचने का अब एक ही रास्ता बचा था, काव्या के घर जाना। पर वो इस तरह काव्या के घर नहीं जा सकता था। जिस तरह से काव्या की मॉम ने हॉस्पिटल में आर्यन को देख कर react किया था, उसके बाद उसे नही लगता कि कोई भी घर में उसे welcome करेगा।
चंचल भी उसकी कोई मदद नहीं करना चाहती थी।
अचानक से आर्यन की ज़िंदगी में सब बदल गया था। उसका मन कर रहा था वो जी भर के रोए। पर एक आदमी को बड़े हो जाने के बाद कहां जल्दी आंसू आते हैं। आर्यन हालांकि उन मर्दों में से नहीं था जो रोने में शर्म महसूस करते हों। इस वक्त उसकी आंखों में आसूं उसके चाहने से भी बाहर नहीं आ रहे थे। बस गले में फंसा हुआ सा कुछ महसूस हो रहा था। वो बस बिस्तर पर बिना हिले पड़ा रहा।
उधर काव्या भी पूरे दिन बिस्तर पर यूंही पड़ी हुई थी। शाम के वक्त उसके पास निकिता का कॉल आया। तो कॉल उठाते ही काव्या ने रोना शुरू कर दिया।
काव्या को इस तरह से रोता देखकर निकिता ने समझाने की कोशिश की। पर काव्या लगातार रोए जा रही थी। उसने निकिता से रोते हुए कहा,
काव्या: “मैं सही थी निकिता, जिस चीज का मुझे डर लग रहा था वो सच हुआ! आर्यन मुझसे प्रज्ञा के बारे में छुपा रहा था। वो अभी भी प्रज्ञा के साथ में है। इतना बड़ा धोखा दिया उसने मुझे। मेरे साथ ही ऐसा क्यों होता है? क्यों मेरा दिल बार बार तोड़ने के लिए, लोग मेरी life में आते हैं?”
निकिता काव्या का दर्द समझ पा रही थी। पर उसे हैरानी थी कि आखिर आर्यन ऐसा कैसे कर सकता था। वो आर्यन को जितना जानती थी, उस हिसाब से आर्यन किसी के साथ भी cheat नहीं कर सकता था। पर इस वक्त अगर निकिता ने आर्यन की वकालत काव्या के सामने की काव्या और भड़क जायेगी। वो काव्या की बात बड़े ध्यान से सुनती रही, जिससे काव्या पहले खुद को खाली कर ले।
निकिता से बात करते हुए काव्या ने डिसाइड कर लिया था कि वो दोबारा से उस फ्लैट में नहीं जायेगी।
ये सुनकर निकिता ने चौंकते हुए कहा,
निकिता: “ये तू क्या कह रही है, काव्या? इतनी मुश्किल से तू सबसे लड़ झगड़ कर अपने कंफर्टेबल space से बाहर निकली थी। और अब वापिस फिर से उसी space में जा रही है। किसी लड़के की वजह से तो तू घर से बाहर नहीं निकली थी न? तूने सब कुछ अपने लिए किया। तो आज जब ये सब हुआ तो तू खुद को क्यों सजा दे रही है। तू कुछ दिन घरवालों के साथ रह ले। और वापिस अपने घर से बाहर निकल कर, अपने फ्लैट पर जा।”
काव्या ने सिसकते हुए कहा,
काव्या: “ पर मैं अब आर्यन के साथ नहीं रह सकती। हम अब पार्टनर की तरह तो दूर फ्लैटमेट भी नहीं रह सकते।”
काव्या ने फैसला कर लिया था वो और आर्यन अब साथ में नहीं रहेंगे। इस पर निकिता ने काव्या को सुझाव दिया।
निकिता: “अगर तुझे आर्यन के साथ नहीं रहना तो तू या तो नया स्पेस देख ले। या नया फ्लैटमेट! पर तू वापिस घर नहीं जाएगी।”
काव्या को निकिता की बात सही लगी। अब जरूरत थी उसे फिर से एक नया फ्लैटमेट ढूंढने की। ऐसा सोच कर काव्या ने चंचल को बुला कर कहा
काव्या: “तू आर्यन को जा कर कह दे। उसके पास सिर्फ एक हफ्ता है, घर खाली करने के लिए। अब मैं उसके साथ नहीं रह सकती।”
क्या आर्यन काव्या की बात मानकर फ्लैट छोड़ देगा? क्या आर्यन और काव्या की जिंदगी अलग अलग ट्रैक पर चली जाएगी? क्या आर्यन की कोशिशों से काव्या मन में आई इस गलतफहमी को दूर कर पाएगी?
जानने के लिए पढ़िए कहानी का अगला भाग।
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