सड़क के किनारे पड़ी काव्या को पता नहीं चला कि कब उसके शरीर को वहां से उठा कर हॉस्पिटल ले जाया गया। सिर पर थोड़ी सी चोट आने के कारण वो बेहोश हो चुकी थी। थोड़ी देर के लिए वो ऐसी दुनिया में पहुंच गई, जहां पर वो एक मंच पर बैठी थी। उसके ऊपर एक स्पॉटलाइट थी और सामने तादाद में audience में बैठी थी।
अचानक से आस पास कई सारे आदमी उसके चक्कर काटने लगे। आदमी जिनकी उम्र और कद अलग अलग थे। किसी में उसे उसके पापा की शक्ल नज़र आती तो किसी में उसे अपनी ज़िंदगी में आए उन सारे आदमियों की जिनके साथ वो रिलेशनशिप में आई थी।
कुछ समय के बाद सारे आदमियों ने एक एक करके उसको कस कर रस्सी से बांध दिया था। जिससे उसे इतना दर्द तो हो रहा था पर उसके मुंह से चीख नहीं निकल पा रही थी। आवाज़ें थीं तो सिर्फ ऑडियंस में बैठे लोगों के हंसने की। अपने सामने ऑडियंस में वो अपनी मां को देख सकती थी जो जो ज़ोर ज़ोर से हंस रही थीं।
उसने सारा ज़ोर लगा कर रस्सी को तोड़ने की कोशिश की पर वो नहीं कर पा रही थी। इस कोशिश से नाकायब हो कर उसने खुद को रस्सी में बंधा हुआ छोड़ दिया। उसके आंखों से रिस रिस कर बहने लगे थे।
ये आंसू हॉस्पिटल के बेड पर लेटी काव्या के आंखों से भी बह रहे थे और पास में आर्यन बैठा था। आसुओं को देख कर उसने तुरंत उन्हे पोंछ तो दिया था। पर उसे खुद पर गुस्सा आए जा रहा था। उसकी वजह से ही काव्या आज इस हालत में थी।
उसने डर की वजह से उसके घर पर चंचल को कॉल कर दिया था और वो लोग कुछ देर हॉस्पिटल पहुंचने वाले थे। पीछे प्रज्ञा आर्यन के कंधे पर हाथ रखे हुए खड़ी थी। जिसके चेहरे पर उदासी थी और मन में खुशी की लहरें उमड़ रही थीं।
सामने टीवी में न्यूज चैनल में उसी कार के एक्सीडेंट के बारे में दिखाया जा रहा था जो हाल ही में काव्या के पास से गुजरी थी। गाड़ी की तेज़ रफ्तार से उसमें मौजूद लोगों की death हो चुकी थी।
न्यूज़ में इस हादसे को देख कर आर्यन का दिल खुद को कोस रहा था। तभी चंचल अपनी मॉम के साथ वहां आई। मॉम ने आते ही ड्रामा मचाना शुरू कर दिया था।
काव्या की मॉम: “क्या हुआ मेरी बच्ची को? कैसे एक्सीडेंट हुआ इसका?”
काव्या की मॉम को अचानक इतना hyper देख कर प्रज्ञा को हंसी आ रही थी पर उसने शक्ल पर उसे आने नहीं दिया था।
आर्यन ने काव्या की मॉम के पास जा कर कहा,
आर्यन: “आंटी इतना कुछ हुआ नहीं है, बस वो थोड़ी सिर पर चोट लग गई थी जिसकी वजह से काव्या अभी होश में नहीं थी।”
काव्या की मॉम पहली बार आर्यन से मिल रही थीं। उन्होंने हैरानी से आर्यन को देखते हुए पूछा,
काव्या की मॉम: “तुम कौन?”
इस पर आर्यन ने हिचकिचाते हुए बताया,
आर्यन: “आंटी, मैं आर्यन हूं। काव्या का…फ्लैटमेट!”
ये सुनते ही काव्या की मॉम ने मुंह बना लिया था। उन्होंने आस पास डॉक्टर को देखने के लिए नज़र दौड़ाई। तभी प्रज्ञा भी वहीं खड़ी दिखी। प्रज्ञा को देख कर काव्या की मॉम ने पूछा,
काव्या की मॉम: “और ये कौन है?”
प्रज्ञा ने फॉर्मल तरह से अपना इंट्रो कराते हुए कहा,
प्रज्ञा: “मैं प्रज्ञा हूं आंटी। आर्यन की इंटर्न और उसकी एक्स भी।”
एक्स सुनकर आर्यन अचानक से चौक गया था। उसने प्रज्ञा को घूरकर इस नज़र से देखा जैसे ये एक्स वाली बात बताना जरूरी नहीं था।
चंचल ने नजरें भी प्रज्ञा और आर्यन को देख कर अजीब सी हुईं। उसे लग गया था ज़रूर एक्सीडेंट से पहले कुछ ड्रामा हुआ होगा जिसकी वजह से काव्या इस हालत में थी।
टीवी में लगातार एक्सीडेंट के बारे में दिखाया जा रहा था जिसे देख कर काव्या की मॉम का दिमागी संतुलन और बिगड़ता जा रहा था। उन्होंने रोते हुए कहा,
काव्या की मॉम: “भगवान ये कौन सी परेशानी आ पड़ी है हमारे घर पर। एक साथ सारे कष्ट क्यों दे रहे हैं?पहले हार्ट अटैक और अब ये एक्सीडेंट। शुक्र है, बाल बाल बच गई मेरी बेटी।”
चंचल जो doubt के साथ आर्यन को देखे जा रही थी उसने आर्यन से सवाल किया।
चंचल: “दी आखिरी वहां क्या कर रही थीं?”
इस पर आर्यन कुछ बोलने जाता, प्रज्ञा ने मौका देख कर बोलना शुरू कर दिया।
प्रज्ञा: “एक्चुअली, काव्या और मैं किसी काम के सिलसिले में मिलने वाले थे और हमें नहीं पता था कि हम दोनों एक्चुअली में कौन हैं। ऊपर से आर्यन को भी वहां देख कर काव्या बहुत शॉक्ड हुई…और फिर…!”
इससे आगे कुछ बोलने जाती, आर्यन ने बीच में बात को काटते हुए कहा,
आर्यन: “कुछ नही। फिलहाल के लिए हमें ये सारी बातें नहीं करनी चाहिए। हम आराम से ये बात कर लेंगे। हमें पहले काव्या के होश में आने का इंतजार करना चाहिए।”
तभी डॉक्टर भी वहां आ चुके थे। डॉक्टर के आते ही काव्या की मॉम ने उन पर सवालों की बारिश करना शुरू कर दिया।
डॉक्टर ने उनको समझाते हुए कहा कि जल्दी सब ठीक हो जायेगा। काव्या कुछ देर में ही होश में आ जायेंगी और उसे घर ले जाया जा सकता था।
कुछ देर वहीं इंतजार करने के बाद आर्यन, प्रज्ञा से बोला,
आर्यन: “i think हम लोग यहां देख लेंगे। तुम घर जा सकती हो। फिर कल ऑफिस भी है तो तुमको अब घर चले जाना चाहिए।”
आर्यन की बात सुनते ही काव्या की मॉम ने पीछे से बोला,
काव्या की मॉम: “बेटा, आप दोनों ही चले जाओ। हम देख लेंगे। वैसे भी हमारे फैमिली का मैटर है, हम संभाल लेंगे!”
काव्या की मॉम को आर्यन बिल्कुल पसंद नहीं आया था ये उनके चेहरे से साफ पता चल रहा था। प्रज्ञा अंदर ही अंदर खुश थी जब काव्या की मॉम ने आर्यन को भी चले जाने के लिए कहा।
उसने भी आर्यन से कहा,
काव्या की मॉम: “हां तुम भी मेरे साथ में ही चल लो। उसके घर वाले काव्या के साथ में हैं, वो देख लेंगे। वैसे भी तुम्हे ऑफिस जाना है।”
कोई कितनी भी कोशिश कर ले, पर आर्यन इस तरह काव्या को छोड़कर बिकुल नहीं जा सकता था। वैसे भी आज काव्या जिस हालत में थी उसका उसके पास होना और भी जरूरी था। छोटी सी चोट कब गहरा ज़ख्म बन जाती है, पता नही चलता।
आर्यन ने काव्या की मॉम से कहा,
आर्यन: “no worries आंटी! मैं काव्या को ऐसे छोड़ कर नहीं जा सकता हूं। मुझे अभी उसके पास ही रुकना है।”
आर्यन की बातों में काव्या के लिए फिकर नज़र आ रही थी ये देख कर काव्या की मॉम समझ गई थीं। ज़रूर आर्यन और काव्या के बीच प्यार की खिचड़ी बन रही थी। पर वो इस खिचड़ी को बिलकुल भी पसंद नहीं कर पा रही थी।
तभी वहां और तड़का लगाने के लिए पीयूष भी आ गया था। चंचल ने जब पीयूष को वहां देखा तो उसने चौंकते हुए अपनी मॉम से पूछा,
चंचल: “इसे यहां किसने बुलाया?”
पर जब चंचल ने मॉम की आंखों में देखा तो वो समझ गई कि पीयूष को ज़रूर मॉम ने ही बुलाया होगा। पीयूष ने आते ही किसी पुरानी फिल्मी हीरो की तरह इधर उधर देख कर हांफना शुरू कर दिया था। थोड़ी देर बात उसने काव्या की मॉम से पूछा,
पीयूष: “आंटी, काव्या कहां है?”
पीयूष की शक्ल देखकर आर्यन की नसें तन गई थी। पीयूष ने जब आर्यन को भी वहां देखा तो उसने हाथ बढ़ाते हुए आर्यन से पूछा,
पीयूष: “दोबारा फिर से मिल कर आपसे अच्छा लगा। पर क्या हुआ मेरी काव्या को? क्या किया आपने उसने साथ ऐसा?”
आर्यन के मन में आया कि वो एक दो थप्पड़ से पीयूष का मुंह लाल कर दे। उस दिन काव्या ने जिस तरह पीयूष के गाल पर तमाचा जड़ा था उसी तरह आज भी पीयूष कहीं गाल लाल करवा के न जाए। पर इस वक्त कोई भी तरह का scene create करना सही नहीं होगा।
ऐसा सोचते हुए उसने पीयूष से हाथ मिलाते हुए कहा,
आर्यन: “कुछ नहीं बस ऐसे ही छोटा सा एक्सीडेंट हो गया था। अभी जल्द ही उसे होश जायेगा।”
पीयूष ने आर्यन को और छेड़ने के लिए उससे कहा,
पीयूष: “अरे! ऐसे कैसे आपने एक्सीडेंट होने दिया? ऐसे ख्याल रखा जाता है किसी का?”
इसके बाद आर्यन का हाथ उठने वाला था पर जब उसने आस पास देखा तो बस गुस्से में घूरते हुए पीयूष को देख कर कहा,
आर्यन: “अभी ये सब बातों का समय नहीं है। काव्या के बारे में सोचना चाहिए। मुझे नहीं लगता, होश में आने के बाद वो तुमको यहां देखना चाहेगी!”
आर्यन ने धीरे से ही सही, पर पीयूष को ये बोलकर उसे उसकी जगह दिखा दी थी। पीयूष थोड़ा तिलमिलाया फिर हंसते हुए उसने कहा
पीयूष: “कोई नहीं, दोस्त! अपना फर्ज बस पूरा करता चल रहा हूं। किसी भी इंसान को माफ करने में समय तो लगता है बस माफ़ी मांगने वाले को लगातार कोशिश करती रहनी चाहिए!”
वहीं खड़ी प्रज्ञा जो इस पूरी सिचुएशन में खुद को left out नहीं फील कराना चाहती थी, पीयूष की बात सुन कर बोल पड़ी।
प्रज्ञा: “Right! वैसे भी गीता में लिखा है, कर्म कर फल की चिंता नहीं।”
एक तरफ पीयूष जिसके मुंह से इतनी philosophy की बात सुन कर, दूसरी तरफ प्रज्ञा के मुंह से गीता के quote सुन कर आर्यन को एक कहावत याद आ गई थी सौ चूहे खा कर बिल्ली हज को चली।
पीयूष ने प्रज्ञा की तरफ देखते हुए कहा,
पीयूष: “मैने आपको पहचाना नहीं। शायद हम कभी मिले नही। वैसे मेरा नाम पीयूष है। मैं और काव्या पहले रिलेशनशिप में थे। पर अभी सिचुएशन थोड़ी बदल गई है। I still like her!”
पीयूष के मुंह से ये शब्द सुनकर आर्यन और चंचल दोनों का मुंह बन गया था। वहीं प्रज्ञा ने भी अपना intro कराते हुए कहा,
प्रज्ञा: “ओह! अच्छा! वैसे हां हम पहले कभी नहीं मिले, और मेरा नाम प्रज्ञा है। मैं और आर्यन पहले साथ में थे और अब मैं उसके साथ उसके ऑफिस में काम करती हूं।”
इस पर पीयूष ने जोर से हंसते हुए कहा,
पीयूष: “वाह! कमाल हो गया! मैं काव्या का एक्स, और आप आर्यन की एक्स। पर दोनों अभी प्रेजेंट में यहां मौजूद हैं। Interesting!”
इतनी बकवास भरी बातों को सुन कर चंचल को उल्टी जैसा लगने लगा था। आर्यन के दिमाग में सिर्फ काव्या को ले कर ख्याल चल रहे थे। वो चाहता था जितनी जल्दी हो सके वो काव्या को सच बता कर उसे मना ले। वो काव्या को मनाने की सारी कोशिश करने के लिए रेडी था।
पीयूष और प्रज्ञा का unexpected मिलन देख कर काव्या की मॉम दिमाग़ खराब हो चुका था। वैसे भी उन्हे इस नई generation के रिश्ते समझ नहीं आते। किसी का कोई प्रेजेंट है, किसी का कोई एक्स। इन सब बातों से सख्त चिढन थी।
इस चिढ़न में आ कर काव्या की मॉम ने चिल्लाते हुए कहा,
काव्या की मॉम: “सब लोग यहीं रिश्ते जोड़ लोगे? या कोई डॉक्टर से पूछने भी जायेगा कि आखिर कितनी देर बाद मेरी बच्ची को होश आएगा।”
काव्या की मॉम के इस तरह रिएक्ट करने के बाद आर्यन ने तुरंत कहा,
आर्यन: “रुकिए! मैं पूछ कर आता हूं।”
इससे पहले आर्यन उठ कर जाता, डॉक्टर ने आ कर बताया कि काव्या को होश आ गया था। डॉक्टर के इतना बताते ही आर्यन का दिल ज़ोर से धड़कने लगा था। उसे डर था कि काव्या अचानक से कैसे रिएक्ट करेगी! वहीं प्रज्ञा को आगे होने वाले ड्रामे का इंतजार था।
डॉक्टर की बात सुनते ही सब एक साथ वार्ड के अंदर जाने लगे थे तो डॉक्टर ने सब को रोकते हुए कहा,
“आप सब एक साथ मत जाइए। सिर्फ तीन लोग ही एक बार में अंदर जा सकते थे।”
डॉक्टर की बात सुन कर काव्या की मॉम और चंचल तो आगे रहीं, पर आर्यन के साथ पीयूष भी साथ खड़ा था। ये देख कर आर्यन का दिमाग घूमने लगा था। पीयूष को पीछे हटता न देख कर आर्यन ने कहा,
आर्यन: “ex को ex की तरह रहना चाहिए। हर जगह घुसने की जरूरत नहीं है। तुमसे ज्यादा मुझे अन्दर जाने का हक है।”
आर्यन के मुंह से ये बात सुन कर पीयूष के चेहरे का रंग बदल गया था। जैसे किसी ने उसके मुंह पर ज़ोर का तपाचा मारा हो। गुस्से का घूंट पीते हुए पीयूष पीछे हट गया था।
आर्यन चंचल और उनकी मॉम के साथ अंदर गया।
अंदर जाते ही देखा काव्या बेड पर लेटी हुई थी और उसके आंखों से लगातार आंसू बहे जा रहे थे। ये देख कर उसकी मॉम हड़बड़ाते हुए उसके पास आईं। और काव्या का हाथ पकड़ कर प्यार से कहा,
काव्या की मॉम: “मेरी बच्ची! कैसे हो गया ये सब अचानक बेटा?”
काव्या अपनी मॉम की आवाज़ सुन रही थी पर उसकी नज़रें आर्यन पर टिकी थी। जिसे देख कर उसे उन रस्सियों की याद आ रही थी जिसको उन्होंने खुद पर जकड़े हुए देखा था जब वो बेहोश हो चुकी थी। जिन रस्सियों को वो उस दुनिया में तोड़ने की कोशिश नहीं कर पा रही थी। उन रस्सियों से पीछा छुड़ाने के लिए काव्या ने गुस्से में आर्यन की तरफ देखते हुए धीरे से कहा,
काव्या: “get out!”
उसके मुंह से निकले शब्द किसी को साफ नहीं सुनाई दिए थे। इसलिए उसकी मॉम ने दोबारा पूछा,
काव्या की मॉम: “क्या? क्या बोला बेटा!”
काव्या ने मॉम की तरफ देख कर कहा
काव्या: , “मॉम, i want him to get out from here!”
काव्या के मुंह से निकला हर एक शब्द आर्यन के दिल में जा चुभा था। उसने काव्या को मनाने के लिए उसके और नजदीक आने की कोशिश की।
पर आर्यन को अपने पास आता देख कर काव्या को आर्यन उन आदमियों में से एक नज़र आया जो उसे बांधने आ रहा था। काव्या ने चीखते हुए कहा,
काव्या: “get out! Leave me! चले जाओ यहां से!”
काव्या को इस तरह चिल्लाते देख कर चंचल ने आर्यन की तरफ देख कर इशारा किया कि आर्यन को फिलहाल वहां से निकल जाना चाहिए। आर्यन उदास आंखों से पीछे कदम लेता हुआ वार्ड से बाहर निकल गया। काव्या के तेज़ चिल्लाने के बाद वो बिलख बिलख कर रोने लगी, जैसे वो कोई एक छोटी सी बच्ची थी।
अब काव्या को कैसे मनाएगा आर्यन? क्या गलतफहमी की वजह से काव्या और आर्यन का साथ छूट जाएगा? क्या काव्या दोबारा आर्यन के साथ पार्टनर बन कर रह पाएगी?
जानने के लिए पढ़िए कहानी का अगला भाग।
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