प्रज्ञा के दिल को बहलाने के लिए आर्यन ने आज शाम इस्कॉन temple चलने के लिए हां तो कह दिया था पर उसका मन अभी भी काव्या के बारे में सोच कर घबराने लग रहा था। हालांकि उसका इरादा कुछ गलत नहीं था पर हो रही घटनाओं से काव्या को तकलीफ हो सकती थी और इन छोटी छोटी गलतफहमी से ही कई बार बड़े बड़े रिश्ते टूट जाते थे।

उसने काव्या को दोबारा कॉल करने के बारे में सोचा तभी प्रज्ञा फिर से उसके पास आई और प्रज्ञा के आते ही आर्यन कॉल करने से रुक गया। 

उधर काव्या भी आर्यन से बात करना चाहती थी। उसे भी अंदर ही अंदर घबराहट होने लगी थी। ऐसा लग रहा था जैसे उससे आर्यन कुछ छुपा रहा था। और ये सच था, आर्यन जो बात काव्या से छुपाता आ रहा था, वो आज इस तरह से बाहर आने वाली थी जिसका अंदाज़ा आर्यन को नहीं था। काव्या ने भी आर्यन को कॉल करने का सोचा। पर तभी उसके पास निकिता का कॉल आया। कितने टाइम बाद निकिता का कॉल आया था और वो उसे ignore नहीं कर सकती थी। सबसे खास बात वो ये सारी बातें निकिता से भी शेयर करना चाहती थी। काव्या ने निकिता की कॉल उठा ली। 

काव्या: “हेलो निकिता! कहां हो तुम?”

निकिता ने कहा, 

निकिता: “अभी तो हम जयपुर में आ गए हैं और अभी साउथ की तरफ एक्सप्लोर करने का सोच रहे हैं। मैने तुझे इसलिए कॉल किया कि तू चलेगी हमारे साथ, कोयंबटूर?”

काव्या को सुनकर बहुत खुशी भी हुई और jealousy भी। उसने निकिता से कहा,

काव्या: “नहीं यार! मैं तो अभी बहुत सारी चीजों में फंसी हुई हूं।”

निकिता: “अरे! क्या हो गया हमारी मीना कुमारी! अब कौन सी आफत आ गई? अभी भी हमज़ा और आर्यन के बीच में फंसी है क्या?”

निकिता ने पूछा।

इस पर काव्या ने हंसते हुए कहा, 

काव्या: “नहीं यार! वो गुत्थी तो सुलझ चुकी है। जो मैं शुरू से जानती थी, वही हुआ। आर्यन अब मेरा सिर्फ फ्लैटमेट नहीं। अब हम एक दूसरे के साथ पार्टनर की तरह रह रहे हैं।”

ये सुनते ही निकिता ने खुशी से चिल्लाना शुरू कर दिया था।

निकिता: “Wow! I knew it! I knew it! मैं बहुत खुश हूं। फाइनली! अगर आर्यन को चुन ही लिया है तो अब किसके चक्कर में फंसी है।”

काव्या को समझ नहीं आ रहा था कि वो अपनी feeling को किन शब्दों में बताए। उसे ऐसा लगा जैसे वो खुद भी अपनी उलझन का reason सही तरह से समझ नहीं पा रही थी। जब कुछ देर तक उसने कुछ नहीं बोला, तो निकिता ने उसके ख्यालों को तोड़ते हुए फिर पूछा, 

निकिता: “क्या हुआ? क्या सोच रही है? कहां फंसी हुई है, बता?”

काव्या ने सही शब्दों को ढूंढने की कोशिश करते हुए, जो कुछ भी दिल में आ रहा था बोलना शुरू किया। 

काव्या: “Actually बस! अभी सब अजीब सा हो रहा है। पापा को हार्ट अटैक आया था और उन्हें हॉस्पिटल में ले जाना पड़ा।” 

ये सुनते ही निकिता को भी बुरा लगा। उसने काव्या के पापा की हालत के बारे में पूछा। तो काव्या ने कहा,

काव्या:  “वो ठीक हैं अब। पर मुझे अभी कुछ दिन घर पर उनके पास रहना होगा।”

इस पर निकिता तुरंत बोली, 

निकिता: “ओह! तो ये बात है, समझ गई मैं। तो आप इतने दिन आर्यन से अलग रहेंगी, और दिल में आग लगी होगी दोबारा अपने यार से मिलने की।”

निकिता के इस तरह टांग खींचने से काव्या को हंसी और रोना दोनों आ रहा था। एक बच्ची की तरह उसने रूठते हुए कहा, 

काव्या: “मुझे नहीं पता निकिता! ये क्या है? पर ऐसा लग रहा है जैसे इतने दिन दूर रहने के बाद वो मुझसे दूर न चला जाए! ऐसा क्यों लग रहा है मुझे?”

निकिता ने मुस्कुराते हुुए कहा,

निकिता:  “जी इसे कहते हैं fear of losing someone! आपका डर जायज़ है पर मन को समझाओ कि तुम लोग वापिस जल्द ही मिल जाओगे। और सही बताऊं, थोड़ी दूरी रहने से, दिल और भी नजदीक आ जाते हैं।”

ये सुनकर काव्या को अच्छा तो लग रहा था पर उसका मन चाह रहा था वो भागकर जाए और आर्यन से गले मिल ले। एक doubt जो उसके दिमाग़ में बार बार कीड़े की तरह घूम रहा था वो ये था कि आर्यन कुछ अलग अलग सा काव्या से बर्ताव कर रहा था। और प्रज्ञा जैसी किसी लड़की की आवाज़ सुनने के बाद उसके दिमाग में और भी ज़्यादा बुरे ख्याल आ रहे थे। ये बात जब उसने निकिता को बताई तो निकिता ने साफ साफ कह दिया।

निकिता: “प्लीज तू overthinking मत कर! सब तेरे दिमाग में कहानी चल रही है। तू chill कर!”

काव्या ने गहरी सांस ली। और निकिता का फोन रख दिया। उसने आर्यन से बात करने के बारे में सोचा पर शाम का वक्त हो चुका था। और काव्या को शैलजा मल्होत्रा की बेटी से मिलने इस्कॉन के लिए निकलना था। ये सोच कर उसने जल्दी से ऑफिस में काम निपटाना शुरू कर दिया।

उधर आर्यन भी अपने प्रोजेक्ट को जल्दी जल्दी निपटा कर इस्कॉन जाने की तैयारी में लगा था। 

जिस तरह नदियों के संगम होने से पानी में भयानक हलचल होती है, उसी तरह आज भी तीनों एक दूसरे से ऐसे टकराने वाले थे जिससे एक भयानक हलचल की उम्मीद थी। लहरों की हलचल सबसे ज्यादा आर्यन और काव्या की जिंदगी में आएंगी। और शायद उनका रिश्ता अभी इतना मजबूत नहीं था जो इस लहरों के अचानक हमले से खुद को संभाल पाएं।

काव्या सबसे पहले इस्कॉन टेंपल में पहुंच चुकी थी। हालांकि उसे ये इत्तेफाक जैसा लग रहा था कि वो जिससे मिलने आई थी, उसका नाम भी प्रज्ञा था। उसने प्रज्ञा को टेक्स्ट किया था और प्रज्ञा ने बताया कि वो पांच मिनिट में इस्कॉन पहुंचने वाली थी।

अगर प्रज्ञा के व्हाट्सएप में उसकी फ़ोटो लगी होती तो काव्या कभी मिलने के लिए हां नही करती। Dp में एक cactus बना था जिसमें लिखा था – hug me! ये देखते हुए काव्या ने इस प्रज्ञा के बारे में एक इमेज बना ली थी, कि ये वाली प्रज्ञा कोई ऐसी लड़की है, जिसका दिल अभी अभी टूटा हो। 

काव्या यही सब सोचते हुए कुछ देर तक temple के इर्द गिर्द घूमती रही। कुछ देर बाद वहां पर भजन बजने चालू हो गए थे। भजन को सुनते सुनते काव्या बिल्कुल खो चुकी थी। वो ज़्यादा मूर्ति पूजा में मानती नही थी पर फिर भी आज उसका मन हुआ कि वो हाथ जोड़कर बस खड़ी रहे।

काव्या ने कुछ देर के लिए आंखें बंद कर ली। कुछ देर बाद उसके पास प्रज्ञा का कॉल आया। उसने कॉल जैसे ही उठाया, तो भजन के गाने बजने की वजह से कुछ भी सुनाई नहीं दे रहा था। 

तभी प्रज्ञा ने उसको टेक्स्ट किया कि वो मंदिर के पहले गेट के पास खड़ी है। काव्या के कदम मंदिर के पहले गेट की तरफ बढ़ रहे थे। वो जैसे ही गेट की तरफ पहुंची तो उसके चेहरे के रंग उड़ गए। 

ऐसा लगा जैसे उसका डर उसके सामने हकीकत बन कर आ खड़ा हो गया था। काव्या ने देखा उसके सामने वही प्रज्ञा थी जिससे अलग होने की शर्त उसने आर्यन के सामने रखी थी। पर प्रज्ञा अकेले वहीं खड़ी थी। आर्यन जूते चप्पल रखने वाली जगह पर जूते चप्पल रखने गया था।

काव्या को अभी सिर्फ एक झटका लगा था। दूसरा लगने में अभी थोड़ा समय था। प्रज्ञा भी काव्या को देख कर shocked हो चुकी थी। उसे भी इस बात का अंदाजा नहीं था कि उसकी मॉम ने काव्या को ही इंटीरियर डिजाइन करने का प्रोजेक्ट दिया हुआ था।

उसने काव्या को हैरानी से देखते हुए पूछा, 

प्रज्ञा: “तुम? तुम वही काव्या हो?”

ये सेम चीज काव्या ने भी प्रज्ञा को देख कर बोली, 

काव्या: “तुम? तुम भी वही प्रज्ञा हो?”

दोनों कुछ देर तक एक दूसरे को हैरानी से देख रहे थे। काव्या को ये डर था कि अब कहीं प्रज्ञा की वजह से उसके हाथ से शैलजा ये प्रोजेक्ट न छीन ले।

उसे समझ नहीं आया कि वो प्रज्ञा से क्या बात करे। तभी प्रज्ञा जिसने खुद को बदलने का नाटक आर्यन के सामने कर रखा था, काव्या के सामने भी उसी नाटक को बरकरार रखते हुए कहा,

प्रज्ञा:  “वाह! मुझे पता होता अगर तुम वही काव्या हो जिसको मैं जानती हूं तो हम मेरे घर पर ही मिल लेते। कमाल की बात है, तुम यहां आने वाली हो ये बात आर्यन ने भी मुझे नहीं बताई। क्या उसे पता है, तुम यहां आने वाली थी?”

आर्यन का नाम सुनते ही काव्या के दिमाग में शक का कीड़ा धीरे धीरे बड़ा होने लगा। उसने चौंकते हुए पूछा, 

काव्या: “आर्यन? आर्यन तुम्हें क्यों बताएगा? मैं समझी नहीं।”

ये बात सुनते ही प्रज्ञा के अंदर आतिशबाजी चालू हो चुकी थी। यही वो मौका था जहां वो बाजी जीत सकती थी। उसने भोलेपन से नाटक करते हुए कहा,

प्रज्ञा:  “मैं और आर्यन साथ में ही अब प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं। I am his intern, ये बात तुमको नहीं बताई आर्यन ने?”

तभी पीछे से आर्यन भी वहां पहुंच गया। काव्या इसके पहले कुछ समझ पाती। आर्यन को देखते ही उसके पैरों की नीचे की ज़मीन हिल गई थी। आर्यन का शरीर भी काव्या को यहां देख कर पूरा हिल गया था।

तभी प्रज्ञा ने आर्यन की तरफ मुड़कर कहा,

प्रज्ञा:  “आर्यन, तुमने काव्या को नही बताया कि मैं तुम्हारी इंटर्न हूं और हम यहां मिलने वाले हैं।”

आर्यन जिस बात के सच होने से घबरा रहा था। अचानक उस चीज़ को अपने सामने घटते देख कर उसके शरीर में तेजी से करंट दौड़ने लगा था। उसने काव्या की आंखों में देखा, तो काव्या की आंखें इतनी उदास और गुस्से में थीं कि उसको समझ नही आया कि वो चीजों को explain करने की शुरुआत कहां से करे। 

काव्या के दिमाग में एक एक करके सारे ख्याल आने लगे। जब उसने उस रात आर्यन को शैलजा के घर के बाहर अचानक देखा तो वो काव्या को देख कर चौंक क्यों गया था। फिर आर्यन के पीछे किसी लड़की के आने वाली आवाज़ और किसी की नहीं प्रज्ञा की ही थी। सारे वाक्या इसी बात की तरफ इशारा कर रहे थे कि आर्यन अभी भी प्रज्ञा के साथ में था। उसने आज यहां आने के बारे में भी काव्या को नहीं बताया था।

काव्या को ऐसा लग रहा था, एक पल में उसकी दुनिया खत्म सी हो गई हो। उसके लिए आस पास की आवाजें अचानक से fade होती जा रही थीं। काव्या ने आर्यन की आंखों में देखा तो उसकी आंखें साफ बता रही थीं कि जैसे उसने कुछ गलत किया था। इससे पहले आर्यन काव्या से कुछ कहने आता, काव्या वहां से निकल कर जाने लगी।

आर्यन इस तरह से सब खत्म होते हुए नहीं देख सकता था। वो काव्या के पीछे उसे समझाने के लिए भागा। 

प्रज्ञा अंदर ही अंदर खुश हो रही थी। जितना प्लान उसने नहीं किया था, उससे ज्यादा तो किस्मत ने कर रखा था, आर्यन और काव्या को अलग करने का।

उसने वहीं खड़े खड़े अपनी मॉम को कॉल करके कहा,

प्रज्ञा:  “मॉम! आपने तो मेरा काम बहुत आसान कर दिया। जिसको भी आपने प्रोजेक्ट दिया था, उसने अपना काम बहुत अच्छा किया है। अपना घर तोड़कर हमारा घर सजाया है।”

शैलजा को समझ नहीं आया। उनकी बेटी अचानक कौन से घर तोड़ने की बात कर रही थी। उन्होंने पूछा, 

शैलजा: “मतलब?”

इस पर प्रज्ञा ने कहा, 

प्रज्ञा: “घर आ कर बताती हूं।”

प्रज्ञा फिल्मी से डायलॉग मारकर अंदर ही अंदर खुश हो रही थी। जैसे उसने सब कुछ जीत लिया हो।

उधर आर्यन काव्या के पीछे भागता हुआ जा रहा था। काव्या के दिमाग में शैलजा के बोले हुए शब्द घूम रहे थे। शैलजा ने मर्दों के बारे में सही कहा था। किसी पर भी भरोसा करना अच्छा नहीं है। और काव्या ने ये गलती फिर से दोहराई थी। उसके दिमाग़ में पिछले रिलेशन में पीयूष की हुई सारी चीजें फिर से सामने आने लगी थीं। उसकी आंखों से आंसू लगातार बहे जा रहे थे।  वो तेज़ी से भागते हुए बाहर जाती जा रही थी।

पीछे से आर्यन काव्या को पुकारते हुए रोक रहा था। उसने काव्या को कॉल करना भी शुरू कर दिया था। पर काव्या तेज आंधी की तरह बस आगे की ओर बढ़े जा रही थी। आर्यन बस एक मौका चाहता था जहां पर वो काव्या को समझा सके कि जो कुछ उसने देखा और सुना वो पूरा सच नहीं था।

पर इसके पहले वो उसे रोक पाता, तेज़ी से चलते हुए काव्या आगे रोड क्रॉस कर चुकी थी। बेसुध हो कर वो जिस तरह आगे बढ़ रही थी, आर्यन को उसके लिए डर भी लग रहा था। वो दूर से ही काव्या को संभल कर चलने के लिए चिल्ला रहा था।

काव्या के दिल में गहरी चोट लगी थी जिससे अब शरीर पर चोट लगने का न डर लग रहा था न उसे अभी किसी चीज की चिंता थी।

वो जैसे ही तेज़ी से आगे बढ़ रही थी तभी एक गाड़ी जो बहुत तेज़ रफ्तार में उलटी साइड से आती हुई आ रही थी, आर्यन को दिखी। उसने काव्या की तरफ चिल्लाते हुए कहा, 

आर्यन: “काव्या! संभल के!”

इससे पहले काव्या संभलती, गाड़ी तेज़ी से काव्या के पास से ऐसे गुजरी कि आगे जा कर किसी खंबे से टकरा गई। गाड़ी के इतने तेज पास से गुजरने के कारण काव्या को अचानक ऐसा झटका लगा कि वो रोड के किनारे गिर गई । जिसे देख कर आर्यन ज़ोर से चिल्लाया, 

आर्यन: “काव्या!” 
 

क्या मोड़ लेगी काव्या और आर्यन की जिंदगी? क्या एक गलतफहमी से काव्या, आर्यन से नफरत करने लगेगी? क्या प्रज्ञा अपनी चाल में कामयाब हो जायेगी?

जानने के लिए पढ़िए कहानी का अगला भाग।

 

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