काव्या ने guess किया कि आर्यन के पीछे से आई किसी लड़की की आवाज़ प्रज्ञा की थी। जैसे ही उसने ये बात आर्यन से पूछी, आर्यन ने बिना जवाब दिए कॉल कट कर दिया।
अचानक से कॉल कट जाने की वजह से काव्या के दिमाग में तरह तरह के अजीब ख्याल आने लगे थे।
वहीं आर्यन ने प्रज्ञा को चिल्लाते हुए कहा,
आर्यन: “तुम्हे नज़र नहीं आ रहा है, मैं फोन पर बात कर रहा था? अभी यहां आ कर पूछने की क्या ज़रूरत थी? थोड़ा wait कर लेती!”
अचानक से आर्यन के चिल्ला देने की वजह से प्रज्ञा का चेहरा रोने जैसा हो गया था। उसकी आंखों में आसूं आ गए और वो वहां से सीधा वाशरूम की तरफ निकल गई।
प्रज्ञा का लटकाता हुआ चेहरा देखकर आर्यन को guilt होने लगा था। उसे लगा कि उसे इस तरह प्रज्ञा के ऊपर चिल्लाना नहीं चाहिए था। आखिर वो जान बूझ कर तो ये सब नहीं कर रही थी। एक तरफ प्रज्ञा पर इस तरह चिल्ला देने का गिल्ट था दूसरी तरफ, काव्या की कॉल को अचानक काट देने का। जिसकी वजह से पता नही काव्या क्या क्या सोच रही होगी।
उसने काव्या को दोबारा कॉल लगाया। अब काव्या का कॉल नहीं लगा था। दरअसल काव्या के पास बॉस का टेक्स्ट आ गया था। ‘Come to the ऑफिस soon! शैलजा is on her way!’
काव्या अपने घर से सीधे ऑफिस की तरफ निकलने लगी थी। अचानक से उसकी जिंदगी में इतनी चीजें आ गईं थीं कि अब उसे सब कुछ balance करके संभालना पड़ेगा। उसके दिमाग में अलग अलग तरह के thoughts आते जा रहे थे। कभी ख्यालों का रुख आर्यन की तरफ मुड़ता तो कभी घरवालों की हालत के ऊपर। कभी ऑफिस में उसके काम को ले कर, और फिर कभी पीयूष का थॉट आते ही उसे गुस्सा आने लगता। फिर थोड़ी देर बाद उसने गहरी सांस भरी। और सारी बातों को ये कहकर जाने दिया। अब हम मैच्योर हो रहे हैं। We have to learn to handle everything !
इस thought के साथ काव्या मीटिंग हॉल में पहुंची तो शैलजा और बॉस पहले से ही मौजूद थीं। शैलजा को देख कर काव्या को पिछली रातों की बात याद आ गई। और ऐसा महसूस हुआ जैसे वो बातें सही तो नहीं। कहीं वो आर्यन पर अंधा विश्वास तो नहीं कर रही थी।
उसने आते ही शैलजा को हेलो बोला। और अपने presentation को दिखाना चालू किया। काव्या ने फार्म हाउस के हर area के लिए कई सारे ऑप्शंस बनाए थे। कुछ का theme nature से रिलेटेड था। जिसे देख कर शैलजा इंप्रेस हो रही थी। क्योंकि उनके पहले की बातों में nature को ले कर discussion हुआ था। कुछ थीम ऐसी थीं जिसमें फार्म हाउस को फ्रेंच स्टाइल में रखा गया था। खास तौर पर लिविंग हॉल के लिए। ये देखकर शैलजा और भी इंप्रेस्ड हुई थी।
उसने काव्या की ओर देख कर कहा,
शैलजा: “well done!”
ये सुनते ही काव्या को ऐसा लगा जैसे किसी ने उसके कंधों के ऊपर पर लगा दिए हों। और वो उड़ने के लिए तैयार थी।
शैलजा को खुश देख कर काव्या की बॉस ने भी काव्या को बधाई दी। शैलजा ने प्रोजेक्ट को जल्द से जल्द शुरू करवाने के लिए ग्रीन फ्लैग दिखा दिया था। वो चाहती थी काव्या इस पूरे प्रोजेक्ट के हर काम में पर्सनली खुद involve हो।
काव्या को लगा इतने सब कुछ chaos के बीच कोई एक अच्छी चीज हुई। वो खुश थी अपने काम को ले कर। उसका काम के प्रति passion ही हमेशा उसका confidence बढ़ाता रहा था।
काव्या अपने ख्यालों में खोई थी तभी शैलजा ने काव्या से कहा,
शैलजा: “well! तुम्हें मेरी बेटी से मिलना चाहिए। मुझे तो डिजाइन पसंद आए हैं but मैं उसकी भी राय चाहती हूं। एंड I really want you to meet her. तुम दोनों की काफ़ी अच्छी दोस्ती हो सकती है!”
काव्या ने हां में सिर हिला तो दिया था। पर उसे ये नहीं पता था जिससे वो मिलने जाने वाली थी वो और कोई नहीं आर्यन की एक्स प्रज्ञा ही थी।
शैलजा ने काव्या के सामने प्रज्ञा को कॉल किया।
शैलजा: “hey बेबी! Actually मैने तुमको ये बताने के लिए कॉल किया है, कि मैने फार्म हाउस के लिए जिस इंटीरियर डिजाइनर को hire किया है। उसने बहुत अच्छी डिजाइंस सेलेक्ट की हैं। She is very sweet. You should meet her. Okay yeah sure, bye स्वीटी!”
शैलजा ने कॉल रखने के बाद काव्या की तरफ देखते हुए कहा,
शैलजा: “अगर आज शाम तुम फ्री हो तो you can meet her. She is गोइंग to इस्कॉन टेंपल। तो तुम उसे वहां मिल सकती हो। ”
इस्कॉन टेंपल सुन कर काव्या को शॉक्ड सा लगा। उसे लगा था वो उसको कोई बार या क्लब में मिलने को बोलेंगी। पर इस्कॉन के बारे में उसने सोचा भी नहीं था। हालांकि वो खुश थी, वो खुद भी कई टाइम से मंदिर जाना चाहती थी। हालांकि वो इतना मूर्ति पूजा में विश्वास नहीं करती थी। पर घर में पापा की हालत देख कर, उसका मन हुआ था, उसे एक बार मंदिर जाना चाहिए। शायद यही भगवान का इशारा था। ऐसा सोचकर काव्या ने हां कह दिया। शैलजा ने काव्या को प्रज्ञा का नंबर भी शेयर कर दिया था।
जैसे ही काव्या ने प्रज्ञा का नाम सुना तो अचानक से उसका दिल धक सा हो गया था। पर दुनिया में सिर्फ एक प्रज्ञा तो थी नहीं। तो उसने अपने दिमाग को शांत करते हुए, शाम में इस्कॉन जाने के लिए तैयार किया।
वहीं ऑफिस में प्रज्ञा एकदम गुमसुम हो कर कैंटीन में बैठी थी। आर्यन जब कैंटीन में आया तो प्रज्ञा का लटका हुआ चेहरा देखकर उसे बुरा लगने लगा था। आखिर उसने बिना वजह के प्रज्ञा पर इस तरह रिएक्ट कर दिया था। चाहे पहले प्रज्ञा के साथ कुछ भी दिक्कत रही हो, पर इस वक्त वो उसके साथ इस तरह बर्ताव नहीं कर सकता था।
आर्यन ये सब सोचते हुए प्रज्ञा के पास गया। प्रज्ञा ने आर्यन की तरफ हल्के से देखा और फिर नज़र फेर ली। आर्यन को शुरू में अजीब सा लगा कि प्रज्ञा के पास इस तरह जाना सही रहेगा। फिर बिना कुछ सोचे उसने प्रज्ञा के पास जाकर बोला,
आर्यन: “सॉरी! मुझे तुमसे ऐसे बात नहीं करनी चाहिए थी।”
ये सुनते ही प्रज्ञा ने अपने आंख के पास आंसू की उस बूंद को पोछा जो उसने इसी वक्त के लिए बचा कर रखी थी। दरअसल प्रज्ञा जानती थी कि आर्यन उसके पास उसे मनाने ज़रूर आएगा। वो तो शुरू से जानती थी कि आर्यन के इर्द गिर्द रहने के लिए उसे अपने पुराने वर्जन को uninstall करके नया अपडेट करना पड़ेगा। उसने अपने चेहरे पर एक के ऊपर एक नक़ाब पहनना शुरू कर दिया था। और उसने अपने इस प्लान को बखूबी निभाया। कैसे सबसे पहले उसने आर्यन की कंपनी में ही एंट्री ली और आर्यन को चौंकाया कि वो बिलकुल बदल चुकी थी। आर्यन को पहले उसके बदले रूप पर विश्वास नहीं हुआ क्योंकि वो जिन चीजों पर रिएक्ट करती थी उसने उन चीजों पर रिएक्ट करना बंद कर दिया था। जिससे आर्यन को बार बार ये लगता गया कि वो बदल चुकी थी। फिर प्रज्ञा ने अपनी गाड़ी खराब होने का नाटक किया। एक अबला नारी बन कर उसने आर्यन को घर भी बुलाया। पर उसके कई बार रोकने पर भी आर्यन उसके पास नहीं रुका। उसे लग गया था अभी उसे आर्यन को अपने पास दोबारा लाने के लिए और कोशिशें करनी पड़ेंगी। उसने कुछ दिन के लिए लंगड़ाने की भी एक्टिंग की। और वो बॉस से कहकर आर्यन के साथ वाले प्रोजेक्ट में खुद को शामिल कर लिया था। अब इस मौके को कैसे खो सकती थी जब आर्यन ने सामने से उसके ऊपर चिल्लाया हो।
उसने आर्यन की ओर देख कर कहा,
प्रज्ञा: “कोई नही। मुझे वैसे भी इतना बुरा नहीं लगा। गलती मेरी ही थी क्योंकि मैंने पहले कभी तुमको समझा नहीं, हमेशा खुद को तुम पर थोपा था। जिसकी वजह से आज तुम्हारा ये रिएक्शन का आना मैं समझ सकती हूं।”
और ये कहते हुए प्रज्ञा ने आंसुओं की गंगा जमुना बहाना शुरू कर दिया। सबके सामने कैंटीन में प्रज्ञा को यूं रोता देख कर आर्यन ने प्रज्ञा का हाथ पकड़ लिया। और उसे चुप कराते हुए कहा,
आर्यन: “नहीं प्रज्ञा! इसमें तुम्हारी गलती नहीं कोई। वो मैंने ही गलती की। और मैं इसके लिए तुमसे सॉरी मांगता हूं। प्लीज तुम रो मत।”
आर्यन ने जैसे ही हाथ पकड़ा था, प्रज्ञा का मन किया कि वो आर्यन के सीने से लिपट जाए। पर अभी उसे अपने कैरेक्टर को छोड़ना नहीं था। उसने आर्यन से रोते हुए कहा,
प्रज्ञा: “its ओके! I know मैं अच्छी लड़की नहीं हूं।”
आर्यन को गिल्ट होता जा रहा था। उसने प्रज्ञा पर ऐसा रिएक्ट क्यों किया। शायद उसकी वजह यही थी कि उसने प्रज्ञा के इस बदलाव को accept नहीं किया था। शायद उसे प्रज्ञा को एक मौका और देना चाहिए था। एक गर्लफ्रेंड की तरह न सही, पर एक दोस्त की तरह ही सही!
उसने प्रज्ञा से अपने बर्ताव के लिए फिर से सॉरी कहा। और प्रज्ञा का मूड ठीक करने के लिए उससे पूछा,
आर्यन: “बताओ मैं क्या करूं? जिससे मैं तुमको अच्छा फील करा पाऊं। तुम जो कहोगी मैं तुम्हारे लिए करूंगा।”
प्रज्ञा को यही चाहिए था। इसी ही मोमेंट का इंतज़ार था। उसने धीरे से अपने आंसुओं को पोछा। और आर्यन की तरफ देख कर बोली,
प्रज्ञा: “ठीक है! तुम मुझे अच्छा फील कराना चाहते हो। तो मैं कहूंगी तुमको आज मेरे साथ कहीं चलना होगा।”
आर्यन को उम्मीद नहीं थी कि प्रज्ञा जवाब के साथ तैयार रहेगी। पर वो कहां ले जाने वाली थी? कहीं कोई क्लब या बार तो नहीं। ऐसा सोचते हुए आर्यन ने हिचकिचाते हुए पूछा,
आर्यन: “कहां पर?”
प्रज्ञा ने कहा,
प्रज्ञा: “इस्कॉन टेंपल!”
इस्कॉन टेंपल सुनते ही आर्यन को ज़ोर की हंसी आ गई थी। उसे अंदाज़ा नहीं था। प्रज्ञा उसे किसी मंदिर जाने के लिए पूछेगी। आर्यन को हंसते देख कर प्रज्ञा का मन कर रहा था वो आर्यन को बाहों में पकड़ ले।
पर भोली सी शक्ल बनाते हुए प्रज्ञा ने आर्यन से पूछा,
प्रज्ञा: “क्या हुआ? ऐसे हंस क्यों रहे हो?”
आर्यन को प्रज्ञा और मंदिर शब्दों का ताल मेल समझ नहीं आ रहा था। ये सोच कर ही उसे हंसी आने लगी थी। आर्यन ने हंसते हुए कहा,
आर्यन: “नहीं कुछ नहीं। मुझे लगा तुम किसी pub या बार में चलने के लिए कहोगी। पर किसी टेंपल जाने के बारे में मैने सोचा नहीं था।”
प्रज्ञा जानती थी कि उसके ऐसे बोलने से आर्यन को shock लगेगा और वो कुछ इसी तरह रिएक्ट करेगा। उसने आर्यन की ओर भोलेपन से देखते हुए कहा,
प्रज्ञा: “मुझे पता था तुम्हे अभी भी यही लगता है मैं पुरानी वाली प्रज्ञा हूं। मैं बदल चुकी हूं। अब मेरा ऐसी जगह जाने का मन नहीं करता, जहां शोर शराबा हो। लोग ड्रिंक करके, डांस फ्लोर पर नाचते रहते हैं। कोई शांति नहीं, कोई सुकून नहीं। बस हो हल्ला होता रहता है।”
प्रज्ञा के मुंह से ये सब सुनकर आर्यन को और हंसी आ रही थी। उसने प्रज्ञा को चिढ़ाते हुए कहा,
आर्यन: “पक्का! तुमने कोई दिमाग का इलाज तो नही कराया है न? या कोई भूत उतारने वाला झाड़ फूंक?”
प्रज्ञा ने आर्यन के हाथ में ज़ोर से चुटकी काट कर कहा,
प्रज्ञा: “नहीं। मेरे अंदर कोई भूत नही था। मेरा मज़ाक उड़ाना बंद करो। बताओ चलोगे?”
जिस तरह से प्रज्ञा ने आर्यन के हाथ में चुटकी काटी थी। आर्यन ने जोर से चिल्लाया। फिर हैरानी से प्रज्ञा की तरफ देखने लगा था। प्रज्ञा धीरे धीरे अपने बदले बिहेवियर से उसे surprise करती जा रही थी। पर वो इस हंसी मज़ाक को ज्यादा आगे नहीं बढ़ाना चाहता था। इसके बाद वो थोड़ा serious हो गया।
लेकिन उसने प्रज्ञा को प्रोमिस जो कर दिया था अब वो उसको मना नहीं कर सकता था। इसलिए उसने इस्कॉन जाने के लिए हामी भर दी थी।
प्रज्ञा ज़ोर से छोटी बच्ची की तरह खुश हो कर उछल पड़ी। उसने आर्यन से कहा,
प्रज्ञा: “i am happy! हम कितने टाइम बाद साथ में जायेंगे।”
ये बोलने के बाद प्रज्ञा को अचानक realize हुआ कि उसे ये शायद नहीं कहना चाहिए था। आर्यन प्रज्ञा को हैरानी से देख रहा था।
प्रज्ञा ने खुद को control करते हुए आर्यन के पास आ कर कहा,
प्रज्ञा: “वैसे मेरे साथ कोई और भी होगा। कोई लड़की। मैंने उसको भी वहीं मिलने के लिए बुलाया था। तो i hope तुम्हे दिक्कत नहीं होगी।”
आर्यन ने सोचा, किसी एक और लड़की के आने से उसे क्या दिक्कत होगी! प्रज्ञा के साथ अकेले नहीं जाना पड़ेगा। पर उसे इस बारे में काव्या से भी बात करनी थी।
पर अभी किस्मत आर्यन और काव्या को एक साथ एक ऐसा समय नहीं दे पा रही थी जहां बैठकर आर्यन काव्या से अपनी बात आराम से कर पाए। आर्यन को लग रहा था कि आज जब काव्या ने प्रज्ञा की आवाज़ भी पहचान ली थी तो कहीं उसने अपने दिमाग में उन कहानियों को नहीं बुन लिया हो जो सच नहीं थी।
आर्यन इस सोच में डूबा हुआ था वहीं प्रज्ञा आर्यन के साथ बाहर कहीं जाने का ख्वाब सजाने लगी थी। पर आर्यन और प्रज्ञा दोनों ही बेखबर थे कि वो जिस लड़की से मिलने जाने वाले थे, वो और कोई नहीं काव्या ही थी। काव्या को इस बात का अंदाज़ा नहीं था कि उसका सामना प्रज्ञा के साथ होगा।
क्या होगा जब प्रज्ञा और काव्या एक दूसरे से टकरायेंगे? क्या आर्यन और काव्या भी इस्कॉन टेंपल पर एक दूसरे से मिलेंगे? क्या प्रज्ञा की चाल का शिकार हो जायेंगे आर्यन और काव्या?
जानने के लिए पढ़िए कहानी का अगला भाग।
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