मीरा: मास्टर हमने अपने बुजुर्गों से जो सुना था, क्या वह सब सच था?

अर्जुन: अद्भुत...अपनी आँखों पर यक़ीन नहीं हो रहा...मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि मेरी ज़िंदगी में ऐसा भी पल आएगा ।वो इतिहास की कहानियाँ सच थी।

आइशा: क्या सच में ये वहीं महान सम्राट विक्रमादित्य की धरोहर है... लेकिन उज्जैन से हजारों मिल दूर इसे यहाँ तक कौन लाया होगा?

गुफ़ा में उस दरवाज़े के पीछे उन्हें जो मिला था, उससे किसी भी आर्किऑलोजिस्ट के होश उड़ जाते... यही टीम अर्जुन के साथ हुआ था, वह सब ख़ुशी से फूले नहीं समा रहे थे... लेकिन सम्राट को सबकी ख़ुशी की वज़ह समझ नहीं आ रही थी।

सम्राट: लेकिन आप सब लोग इसे देखकर इतने सर्प्राइज़्ड क्यों है?और इतना ज़्यादा खुश क्यों हो रहे हो...ये बस डिज़ाइनर कुर्सी ही तो है।

अर्जुन: तुम जिसे डिज़ाइनर कुर्सी कह रहे हो...ये कोई साधारण कुर्सी नहीं है... और पहले तुम इसे कुर्सी कहना बंद करों...ये कोई कुर्सी नहीं है, ये तो सिंहासन है।

सम्राट: क्या! सिंहासन...लेकिन किसका सिंहासन?

अर्जुन: ये सिंहासन इस पूरे द्वीप पर राज करने वाले।राजाओं के राजा...महान सम्राट विक्रमादित्य का मशहूर सिंहासन है...इसका नाम था सिंहासन बत्तीसी।

सब जिसके बारे में कहानियाँ सुनकर बड़े हुए थे।ये वहीं सिंहासन बत्तीसी था। इसकी पहचान को कन्फ़र्म किया जा सकता था, क्योंकि इस पर पीछे बत्तीस छोटी मूर्तियाँ बनी थी। उस पर संस्कृत में लिखा कुछ हुआ था जिसका मतलब था "अवंतिका के राजा के लिए देवताओं का वरदान...सिंहासन बत्तीसी।"

टीम अर्जुन ने अनजाने में ही उस सिंहासन को ढूँढ निकाला था, लेकिन वह इतना भारी और धूल मिट्टी से लदा हुआ था कि उसे अभी इन मुश्किल हालातों में वहाँ से बाहर ले जाना इम्पॉसिबल था। इसलिए उसे टीम ने वहीं रखने का फ़ैसला किया ताकि बाद में वह इसे देश के पुरातन विभाग को सौंप सकें।

अर्जुन ने उसे वहीं छुपाने का डिसाइड किया...विक्रम और सम्राट ने एक बड़ा गड्ढा खोदा। सभी उसे मिलकर हटाने लगे लेकिन जैसे ही वह अपनी जगह से हिला सबको वायब्रेशन महसूस हुआ। एक आवाज़ के साथ वहाँ दीवार के पत्थर हिलने लगे।

आइशा: मास्टर ये क्या हो रहा है? कुछ तो गड़बड़ है?

एक अजीब आवाज़ के साथ दीवार में एक सीक्रेट दरवाज़ा खुला।

टीम ने राहत की साँस ली और फिर उस सिंहासन को ज़मीन में छुपा कर ऊपर से मिट्टी डाल दी। सीक्रेट दरवाज़ा उन्हें मंदिर के अंदर ले गया, जहाँ उन्हें प्राचीन उल्लेख, पहेलियाँ और चौंकाने वाली चीजें मिली।

दूसरी तरफ़ राजवीर और कर्नल जो पिछले वाले मंदिर में बड़ी-बड़ी मशीनों से खुदाई करवा रहे थे।उन्हें वहाँ पर सोने के कई पुराने सिक्के मिले। सिक्के देखकर कर्नल ख़ुशी से उछलने लगा।

राजवीर को अर्जुन की टीम की ख़बर मिल चुकी थी, जिनका पीछा हथियारों से लैस कर्नल के आदमी कर रहे थे।

कर्नल ने कहा राजवीर... देखो दोस्त... सोना...हम ये पूरा मंदिर तोड़कर सारा सोना निकाल लेंगे।

राजवीर-कर्नल अभी-अभी पता चला है कि अर्जुन की टीम को, आगे एक गुफ़ा में जाते हुए देखा गया है...हमें वहाँ चलना चाहिए।

कर्नल उस सोने के सिक्कों की चमक में खो गया था, उसने राजवीर से कहा कि उन्हें इसी मंदिर को तोड़कर खुदाई करवानी चाहिए, यहाँ उन्हें अच्छा ख़ासा सोना मिल जाएगा। राजवीर इस बात से सहमत नहीं था।

राजवीर: नहीं कर्नल हम यहाँ नहीं रुकेंगे...अर्जुन जिस तरफ़ जा रहा है, वहाँ दुनिया का सबसे बड़ा ख़ज़ाना है... उस ख़ज़ाने के सामने ये सब तो चिल्लर है। मेरी बात मानों दोस्त कुछ लोगों को यहाँ छोड़कर हमें बड़े ख़ज़ाने का पीछा करना चाहिए।

कर्नल, राजवीर से ये कहकर वहाँ रुक गया कि दोनों में से किसी एक का वहाँ रहना ठीक होगा और उसने राजवीर को हेलीकॉप्टर लेकर आगे जाने का कहा। राजवीर भी उसकी बात मान गया। वह जाने की तैयारी करने लगा। उसे पता था यहाँ आस पास किसी पर भरोसा नहीं किया जा सकता...सब अपने फायदे के लिए कुछ भी कर सकते थे, उसने संजय और बलवीर को वहीं रहकर कर्नल पर नज़र रखने के कहा और ख़ुद अर्जुन के पीछे गुफ़ा की तरफ़ निकल गया।

D-टू-M टेक्नीक का यूज़ करके उसने फिर अपने एक खासआदमी से बात की,

राजवीर: सुनो तुम उन सब पर नज़र रखना और मुझे वह सब ज़िंदा चाहिए... कोई भी जानलेवा हमला मत करना।

इधर राहुल और मानसिंह ने अपना प्लान चेंज कर दिया था, अब उनके मन में भी लालच आ गया था...उन्हें पता था सिर्फ़ राजवीर को मारने से वह ख़ज़ाना नहीं मिलेगा। राजीव ने कहा "अपने सब किए कराए पर पानी फिर गया है मानसिंह... मौका मिलने पर हमें राजवीर को मार देना था... अब ये साला कर्नल ना जाने कहाँ से बीच में आ गया...अगर अब हम राजवीर को मार भी दें, तो कर्नल से निपटना होगा।"

मानसिंह ने गंभीर आवाज़ में जवाब दिया "हमें अभी शांत रहना होगा।मुझे पता है कि राजवीर और कर्नल दोनों एक ना एक दिन, आपस में लड़ेंगे क्योंकि दोनों ही लालची और कमीने है।"

राहुल ने भी मानसिंह की बात पर सहमति जताते हुए कहा-"तुम सही कहते हो मानसिंह।हमें चुपचाप इन दोनों के आपस में भिड़ने तक रुकना होगा...इन दोनों में से जो बचेगा बाद में हम उससे निपट लेंगे।"

राजवीर रास्ते में था और इस बात से अंजान टीम अर्जुन अपने मिशन में लगी हुई थी। सब बहुत थक चुके थे, लेकिन उनके अंदर इस बात को लेकर उत्साह था कि उन्हें अब यहाँ वह ख़ज़ाना मिल जाएगा। उनके पास जितने भी सुराग थे वह इसी मंदिर तक आते थे। सारी पहेलियाँ हल करते हुए वह यहाँ तक पहुँचे थे। दो दरवाज़े खोलकर सब आगे बढ़ रहे थे, जैसे ही उन्होंने तीसरा दरवाज़ा खोला...अचानक से एक बड़ा-सा चमगादड़ उड़ता हुआ आया और सम्राट से कान के पास से होकर निकला।

सम्राट: हे भगवान बचाओ।भूत निकला।भूत।

अर्जुन: चुप हो जाओ नालायक...वो चमगादड़ हैं, भूत नहीं सबको मत डराओ और एक जगह खड़े रहो...तुम ख़ुद ही तो एक भूत हो, फिर तुम भूतों से कबसे डरने लगे।

टीम उस कमरे में जैसे ही अंदर गयी, उस कमरे का दरवाज़ा पीछे से बंद हो गया, लेकिन उनके साथ ऐसी घटनाएँ हो ही रहीं थी, इसलिए उन्होंने इस पर ज़्यादा ध्यान नहीं दिया। टीम अब मंदिर के उस हिस्से में आ पहुँची थी जहाँ भगवान की मूर्तियाँ रखी थी।उस बड़े से कमरे के बीच में एक पुराना-सा बॉक्स रखा हुआ था, जिसके आस-पास की गोलाई में पानी भरा हुआ था।

अर्जुन के पास जो नक़्शा था वह वहीं ख़त्म हो रहा था......अर्जुन के हिसाब से वह सब मंज़िल पर पहुँच गए थे और सबको लगा की इसी बॉक्स में वह ख़ज़ाना होगा। सबके चेहरे पर मुस्कुराहट आ गई, लेकिन आइशा को एक बात खटक रही थी कि इतना बड़ा ख़ज़ाना इस छोटे से बॉक्स में कैसे हो सकता था।

आइशा: मास्टर आपको नहीं लगता कि हमसे कुछ छूट रहा है...आख़िर इतने से बॉक्स में ख़ज़ाना कैसे हो सकता है?

अर्जुन: मैंने मैप को अच्छे से देख लिया आइशा, लेकिन यहाँ से आगे कोई रास्ता नहीं है...अगर ख़ज़ाना इस बॉक्स में नहीं है, तो भी यहीं कहीं होना चाहिए... पर पहले हमें इस बॉक्स तक पहुँचना होगा।

ख़ज़ाना मिलने की उम्मीद में विक्रम ने आगे क़दम बढ़ाया ही था कि उसका पैर एक पत्थर पर पड़ा, जैसे ही उस पत्थर पर दबाव पड़ा, वह थोड़ा ज़मीन में धंस गई और पानी में से तेज धार वाले भाले ऊपर की तरफ़ उठ गए।

वो पानी वाला घेरा, गोल घूमने लगा और साथ-साथ भालें भी तेजी से घूमने लगे। इन घूमते भलों ने बॉक्स के आस पास एक कवज-सा बना लिया था और उनकी स्पीड इतनी तेज थी कि उनसे टकराकर पल भर में किसी की भी जान जा सकती थी।

सब उन्हें घूमने से रोकने का रास्ता ढूँढ रहे थे।मीरा का मानना था कि जैसे एक पत्थर के दबने से ये सब शुरू हुआ था, वैसे ही किसी दूसरे पत्थर के दबने से बंद भी हो सकता था। अब सब उस कमरे में वह दूसरा पत्थर ढूँढ रहे थे और ज़मीन पर लगे चोकोर पत्थरों को खंगाला जा रहा था... इसी दौरान सम्राट का पैर एक पिंजरे में फंस गया। खट्ट की आवाज़ के साथ वह चिल्लाया

टीम उसके पास आकर उसका पैर बाहर निकालने की कोशिश करने लगी। सबने हर तरह से कोशिश कर ली, फिर भी उसका पैर निकाल नहीं सके।

इन मुश्किल हालातों में विक्रम को बॉक्स उठाने की तरकीब सूझी।उसने बड़ी रस्सी के एक सिरे को मंदिर के एक खंभे पर बाँधा और फिर दूसरे सिरे को दूसरी तरफ़ ले जाकर एक और खंबे से बाँध दिया। उस रस्सी के सहारे वह भालों से बचता हुआ ऊपर से बॉक्स तक पहुँच गया। बाक़ी सभी सम्राट को निकालने की कोशिश कर रहे थे, पर अर्जुन, विक्रम के इस साहस को देख रहे थे।

विक्रम ने वह बॉक्स उठाया और उसके बॉक्स उठाते ही सभी भाले घूमना बंद हो गए। सम्राट का पैर भी उस पिंजरे से छूट गया...उसे मामूली चोट आयी थी, जिस पर पट्टी बाँध दी गयी। सभी विक्रम की इस बहादुरी को देखकर उसकी तारीफ़ कर रहे थे।

अर्जुन: शाबाश विक्रम तुमने कमाल कर दिया।

सबकी आँखों में ख़ुशी साफ़ दिख रही थी कि उन्हें खज़ाना मिल गया।अर्जुन उस बॉक्स को खोलने के लिए आगे बढ़े, सबकी साँसें एक पल के लिए थम गयी। खट्ट की आवाज़ के साथ बॉक्स खुला।

उस बॉक्स के खुलते ही सबका उत्साह ख़त्म हो गया...उसमें ख़ज़ाना नहीं, बल्कि एक और मैप था। अर्जुन ने सबका हौसला बढ़ाया और उन्हें मोटिवेट करते हुए इस मैप की वैल्यू बतायी...ये मैप आगे के पड़ाव का रास्ता बता रहा था, लेकिन आगे बढ़ने से पहले अब सबको थोड़े आराम की ज़रूरत थी।

अर्जुन जानते थे कि टीम के आराम के लिए खुली जगह से बेहतर यही जगह थी। टीम अर्जुन मंदिर के बाहर के ख़तरों से अंजान थी, उन्हें लगा की उनको मंदिर में आते किसी ने देखा। इसीलिए आज की रात यहीं रुका जा सकता था, अर्जुन ने सोचा बाहर जो लोग उन्हें ढूँढ रहे थे, वह भी तब तक चले जाएँगे। टीम ख़तरों से अंजान उसी मंदिर में आराम करने लगी।

दूसरी तरफ़ राजवीर बाहर पहुँच चुका था और उसने एक टोली को मंदिर में अंदर भेज दिया था। उसके बाक़ी आदमी हथियारों से लैस उस गुफानुमा मंदिर के हर तरफ़ से टीम अर्जुन के निकलने का इंतज़ार कर रहे थे।

क्या टीम अर्जुन इस बार भी बच पाएगी? क्या उनका मिशन यहीं ख़त्म हो जाएगा? और क्या उस मैप में सच में कोई खज़ाने का सुराग है या ये सब सिर्फ़ अपना वक़्त बर्बाद कर रहे है-जानने के लिए पढ़ते रहिए। 

 

Continue to next

No reviews available for this chapter.