सब मुश्किलों के बाद भी अर्जुन का हौंसला नहीं टूटा, अगले ही दिन उन्होंने "सिग्नल" का यूज़ करके अपनी बिखरी टीम को जंगल में इकट्ठा कर लिया और अब, टीम अर्जुन जंगल के घने हिस्से से निकलते हुए आगे बढ़ रही थी। उन पर लगातार जानलेवा हमले हुए थे, जिनसे वह अब तक बच निकल आए थे। मौसम कदम-कदम पर उनकी कड़ी परीक्षा ले रहा था। अर्जुन और भी सतर्क होकर अपनी जिम्मेदारियों को निभा रहे थे, उनका अगला पड़ाव मुश्किल घाटी से होकर एक और प्राचीन मंदिर तक पहुँचना था। पूरी टीम में सब अंदर ही अंदर अपनी लड़ाइयाँ लड़ रहे थे।
अर्जुन: दोस्तों, मुझे पता है हम सभी थके हुए है। लेकिन हम रुक नहीं सकते क्योंकि हमारे पीछे कुछ लोग लगे हुए है। आगे हम सबको अपनी-अपनी जिम्मेदारी निभानी होगी और एक साथ चलना होगा तभी हम बच सकते है...मुझे हमारी टीम पर पूरा भरोसा है। विक्रम तुम्हारी जिम्मेदारी हमें इस जंगल से सुरक्षित निकलने की है, मुझे पता है तुम कर लोगे।
विक्रम: मास्टर आप चिंता मत कीजिए हमारी टीम के सभी मेंबर्स सुरक्षित रहेंगे।
मैप को समझते हुए अर्जुन आगे चल रहे थे उनके पीछे आइशा, मीरा, विद्वान थे और सबसे पीछे आस पास नज़र रखते हुए सम्राट और विक्रम चल रहे थे। विद्वान एक तरह से उनकी टीम का हिस्सा बन गया था। आगे चलते हुए, अब वह लोग घाटों की ऊबड़ खाबड़ ज़मीन पर निकल आए थे और उनका सफ़र और भी मुश्किल होता जा रहा था। विक्रम ने सभी को रोका और उन्हें सुरक्षित रहने की कुछ बातें बताई।
विक्रम: दोस्तों... मैं आप सबको एक ज़रूरी बात बता देना चाहता हूँ, इस इलाके में बारिश पूरे साल होती है इसलिए अपने जूतों में सभी को छोटी रस्सियाँ बाँधनी होगी, जिससे आपके पैर नहीं फिसलेंगे, क्योंकि फिसले तो सीधे इन खाइयों में गिर सकते हो।
सम्राट ने अपने अनोखे अंदाज़ में कहा
सम्राट: विक्रम साहेब, मेरी चिंता मत करिए मैं वॉरियर हूँ, अगर फिसला तो वापस नीचे से आ जाऊँगा।
विक्रम: हाँ हाँ महान सम्राट जी, आप तो योद्धा है इसलिए ज़मीन पर देखकर नहीं चलते, हमेशा अपना सर उठाकर आसमान को देखते है। आप अगर फिसले तो जंगल के सम्राट शेर जी को बताना आप कितने बड़े वॉरियर है।
विक्रम की इस बात पर सब हँसने लगे...अचानक अजीब-सी आवाज़ उन्हें सुनाई दी।
विक्रम: दोस्तों...रुको यहाँ से पीछे चलो और एक दूसरे का हाथ पकड़ लो... लैंडस्लाइड हो रहा है, मास्टर पीछे आ जाइए।
आइशा: ओह माई गॉड...पीछे हटो।
पूरी टीम हड़बड़ाहट में पीछे भागने लगी, इसी दौरान डॉक्टर मीरा का पैर फिसल गया और वह वही गिर गयी। विक्रम ने आगे भागकर मीरा को उठाया और पीछे ले आया। पहाड़ से बड़े-बड़े पत्थर और मिट्टी का ढेर क़रीब पाँच सो मीटर जितने रास्ते पर फैल गया, पहाड़ी से नीचे मिट्टी लगातार फिसल रही थी।
लैंडस्लाइड से आगे का रास्ता बंद हो गया था। एक तरफ़ नीचे गहरी खाई थी और दूसरी तरफ़ सीधा पहाड़ जिस पर चढ़ना बहुत मुश्किल था। सभी सोच में पड़ गए कि आगे कैसे बढ़ा जाए।
अर्जुन: ये तो बहुत बड़ी प्रॉब्लम हो गयी है...हमें वापस पीछे जाना होगा और दूसरे रास्ते से बढ़ना होगा।
विक्रम: मास्टर हम पीछे नहीं जा सकते क्योंकि पीछे लौटेंगे तब तक रात हो जाएगी...हमें पहाड़ी पर चढ़ना होगा।
मीरा: नहीं नहीं विक्रम। इतनी ऊँची चढ़ाई मुझसे नहीं होगी... हम बुरी तरह थक गए है।
विक्रम: हमें यहीं से जाना होगा, वापस घूमकर आने जितना टाइम नहीं है। मैं सबसे पहले ऊपर जाकर रस्सियाँ बाँध दूँगा, जिससे आप सब ऊपर चढ़ पाओगे।
अर्जुन: हम्म...तुम एक दम सही कह रहे हो, वापिस जाने में हमें ज़्यादा ख़तरा है...हम यहीं से आगे बढ़ेंगे।
विक्रम आसानी से ऊपर चढ़ गया और रस्सियाँ बाँध दी, सबसे पहले उसने सम्राट को ऊपर बुलाया। उसके बाद विक्रम ने नीचे उतरकर आइशा को एक रस्सी पर चढ़ाया और ख़ुद साथ वाली रस्सी पर चढ़कर उसे सपोर्ट देता हुआ ऊपर पहुँचा आया। इसी तरह उसने सबको एक-एक कर के पहाड़ पर चढ़ा दिया था। पहाड़ी पर आगे बढ़ते हुए सबने सनसेट का वह खूबसूरत नज़ारा देखा, जो उन्होंने पहले कभी नहीं देखा था। दूर तक बस घाना जंगल और उसके ऊपर हलके सुनहरे रंग की रोशनी। सबने एक रहत की सांस ली। रात होते ही जंगली जानवरों की आवाज़ें सबको डराने लगी।
सम्राट: विक्रम भाई... ये, ये तो, शेर की आवाज़ है...वो ऊपर पहाड़ी पर भी आ सकते है क्या?
विक्रम: हाँ वह पहाड़ी पर ही है तुमने सुना नहीं कितनी पास आवाज़ थी, मुझे तो लगता है कहीं हमारे पीछे ही थोड़ी दूरी पर ही होगा।
सम्राट ड़र के मारे पीछे से आगे चलकर आइशा और मीरा के साथ चलने लगा। अब आइशा भी उसकी टांग खींचने लगी।
आइशा: अरे अरे...ज़िल्ले इलाही हुज़ूर, महान वॉरियर सम्राट जी आप तो सबके रक्षक है, आप ही डर गए।
सम्राट: मैं किसी से नहीं डरता हूँ...वो तो शेर आप पर हमला न कर दे इसलिए साथ चल रहा हूँ।
इस बात पर मीरा और आइशा हँसने लगी। आगे चल रहे अर्जुन को विक्रम ने वहीं रुकने की सलाह दी। उन्होंने रात वहीं टेंट लगाकर बिताने का फ़ैसला किया।
अर्जुन: ठीक है टीम हम सभी बहुत थक गए है। तो आज रात यहीं कैम्प लगाकर आराम करेंगे। आइशा, मैं और विद्वान जी मिलकर आगे मंदिर को ढूँढने की योजना बनायेंगे।
विद्वान ने अर्जुन से कहा-अर्जुन जी मुझे आपके साथ आगे चलने में बहुत ख़ुशी होती, लेकिन मुझे कल सुबह होते ही वापस लौटना होगा, मेरे परिवार को, कस्बे में मेरी ज़रूरत है। मुझे पता है आप मेरी बात समझेंगे मेरी शुभकामनाएँ आपके साथ है...मेरा साथ बस यहीं तक था।
अर्जुन और बाक़ी टीम हैरान थी। विद्वान के अचानक से ऐसे जाने के डिसिज़न ने सबको चौका दिया था। विद्वान के पास आगे जाने की कोई जानकारी नहीं थी। रात को नक़्शे की पहेली को समझकर आइशा और अर्जुन ने मंदिर का रास्ता समझा... विक्रम और सम्राट ने बारी-बारी से पहरा दिया। सुबह उठकर विद्वान वापस लौट गया और बाक़ी टीम अपनी मंज़िल की तरफ़ बढ़ने लगी।
मौसम साफ़ था और सूरज सिर के ऊपर चढ़ आया था...उन मुश्किल ऊँचे घाटों से होते हुए टीम अर्जुन गुज़र रही थी। वह घाट जितने खूबसूरत थे उतने ख़तरनाक भी, आगे चलते हुए उनको पहाड़ी के बीच एक घाटी में उतरना पड़ा। पेड़ों को पार करते हुए वह उस पहाड़ी पर पहुँच गए जहाँ पर नक़्शे के हिसाब से एक गुफा होनी थी लेकिन सामने बस एक बड़ा पहाड़ था और गुफा का कोई निशान नहीं था। बहुत ढूँढने के बाद भी उन्हें गुफा नहीं मिल रही थी।
अर्जुन: सभी लोग एक बार फिर से आस-पास देखो, यहीं पर कहीं वह गुफ़ा होनी चाहिए।
सम्राट: मास्टर हम सब जगह देख चुके है...गुफ़ा नहीं मिल रही है।
पहाड़ी पर विक्रम को कुछ लोग दिखे जिनके हाथ में हथियार थे, विक्रम सभी को पकड़ कर एक विशाल पेड़ के पीछे बैठाने लगा है।
अर्जुन: ये क्या कर रहे हो विक्रम...क्या हुआ अचानक!
विक्रम: सब नीचे झुक जाओ, हम सभी को यही छुपना होगा...मास्टर वह देखिए दुश्मन हमारा पीछा करते हुए यहाँ तक पहुँच गया है।
आइशा: मास्टर हमें जल्दी से गुफ़ा ढूँढकर यहाँ से निकलना होगा, ये लोग कभी भी नीचे आ सकते है।
अर्जुन: ये नहीं हो सकता...हमें यहाँ तक पहुँचने में इतनी मेहनत और सुराग लगे, पर ये लोग अचानक यहाँ तक बिना जानकारी के कैसे पहुँच गए... कुछ तो गड़बड़ है।
सम्राट: मुझे तो लगता है मास्टर कि?
अर्जुन: आगे बोलो क्या लगता है, जब देखो तब बेवजह बकवास करते हो काम की बात मुँह से नहीं निकल रही...बताओ जल्दी।
सम्राट-मुझे लगता है कि विद्वान ने ही इनको बता दिया होगा।
आइशा: हाँ मास्टर उस पर मुझे भी शक था शुरू से...आज सुबह वह इसलिए ही लौट गया होगा।
विक्रम: उसने किसी जंगली जानवर पर गोली चलाई है...मास्टर पहले हमें गुफ़ा ढूँढनी होगी वरना हम मारे जाएंगे।
वह लोग नीचे उतरने लगे। अर्जुन ने फिर से मैप निकला और उसे ग़ौर से देखने लगा। दुश्मन को क़रीब आता देख सभी टेंशन में आ गए थे। एकदम से पेड़ों से ढके एक कोने के पीछे से हाथियों का झुंड निकलकर आया।
हाथियों के निकलने के बाद अर्जुन को वहाँ एक रास्ता दिखा, जहाँ से हाथी निकल कर आए थे...अर्जुन ने पास जाकर देखा उसके ऊपर वही मैप वाला निशान बना था, जो घास से ढक गया था। यही वह गुफ़ा थी जिसे सभी ढूँढ रहे थे। अभी उस गुफ़ा में भागकर चले गए और सबने राहत की साँस ली... लेकिन उन्हें पता नहीं था कि एक आदमी ने उन्हें अंदर जाते हुए देख लिया था। उस आदमी ने कांटेक्ट करके राजवीर और कर्नल आदित्य ठाकुर को टीम अर्जुन की लोकेशन बाता दी थी।
इस बात से अंजान पूरी टीम गुफ़ा में आगे बढ़ गई, उन्हें वहाँ कई शिलालेख मिले। सब अपने-अपने काम में लग गए। डॉक्टर मीरा ने उन शिलालेखों पर जमी धूल को साफ़ करके कुछ बहुत ही हैरान कर देने वाली बात पता लगा ली थी, लेकिन वह कॉंफिडेंट नहीं थी।
मीरा: मास्टर आप इन सब शिलालेखों के ऊपर बने इस निशान को देखिए... ऐसे ही निशान पिछले मंदिर के गर्भगृह की एक शिला पर बने थे।
अर्जुन: अरे हाँ मुझे याद आया...चलो देखें इस पर क्या लिखा है।
कुछ देर अपने मैग्नीफाइंग ग्लास से उन्होंने उस शिला को ध्यान से देखा...उनके चेहरे पर अचानक मुस्कुराहट आ गयी। वह हँसने लगे
अर्जुन: ये तो बिल्क़ुल उसकी कॉपी है...सैम टू सैम फोटो कॉपी।
मीरा: और आप इसका मतलब समझ रहे है?
अर्जुन ख़ुशी से उछल उठे, अर्जुन को इस तरह झमता देख बाक़ी सबने उनसे उनकी ख़ुशी का कारण पूछा।
अर्जुन: ये राज़ मैं तुम्हें नहीं बताऊँगा...डॉक्टर मीरा बताएगी।
आइशा: मीरा बताओ यार जल्दी। इतना सस्पेन्स मत रखों।
मीरा: ये देखों, ऐसा ही शिलालेख हमने पीछले मंदिर के गर्भगृह में देखा था। वह शिलालेख इसी की कॉपी है। इसका मतलब ये हुआ कि उस शिलालेख को यहाँ से ले जाकर वहाँ रखा गया था...इसका मतलब है कि।
विक्रम: क्या मतलब है जल्दी बताओ ना यार।
मीरा: मतलब कि ये कोई आम गुफ़ा नहीं है। हम जिस मंदिर की तलाश कर रहे है, ये गुफा वही मंदिर है। दोस्तों हमने कर दिखाया...हमें ख़ज़ाना मिल गया।
इतना कहकर डॉक्टर मीरा ने शिलालेख के साइड में एक दरवाज़ा खोला जिसके अंदर देखकर सबकी आँखें फटी की फटी रह गई।
क्या था उस दरवाज़े के पीछे जिसे सब देखकर हैरान थे? और क्या यहाँ सच में उन्हें खज़ाना मिलने वाला था? इन सारे सवालों से उठेगा पर्दा पढ़ते रहिए।
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