अर्जुन और उसकी टीम थककर मंदिर में ही सो गयी थी। गहरा अँधेरा और ठंडी हवा मंदिर के चारों ओर फैल चुकी थी। उधर राजवीर और उसके आदमी, मंदिर तक पहुँच गए थे। उन्हें यक़ीन था कि अर्जुन और उसकी टीम ज़रूर इसी मंदिर में छिपी होगी। राजवीर ने टीम को मंदिर में घुसकर, सब को ज़िंदा पकड़ने का इशारा किया।
जब उन्होंने मंदिर में क़दम रखा, तो अंदर अजीब-सा सन्नाटा था। पूरी टीम सावधानी से चारों ओर देख रही थी, लेकिन उनको कुछ नहीं मिला। अर्जुन की टीम उस अंधेरे का फायदा उठाकर पहले ही वहाँ से निकल चुकी थी।
राजवीर: "ये लोग तो हमें चकमा दे गए! जब तुम लोग इनकी हर हरकत पर नज़र रखे हुए थे, तो वह सब यहाँ से गायब कैसे हो गए?"
राजवीर का चेहरा गुस्से से लाल हो गया था, लेकिन उसने ख़ुद को शांत किया। उसे पता था कि अर्जुन की टीम को खोजने के लिए जल्द से जल्द अगला क़दम उठाना होगा।
राजवीर ग़ुस्से में बोल ही रहा था कि अचानक उसके आदमियों को चीखने की आवाज़े आने लगी। उसकी टीम ने घबरा कर अँधेरे में फ़ायरिंग शुरू कर दी, लेकिन उनको कोई दिखाई नहीं दे रहा था। राजवीर ने ग़ुस्से में चीख़ कर बोला,
राजवीर: फ़ायरिंग बंद करो...क्या हो रहा हैं यहाँ?
राजवीर के ऑर्डर के बाद फायरिंग रुक चुकी थी। मंदिर में फिर से पिन ड्रॉप साइलेंस हो गया, ऐसे में उसके कुछ आदमियों के कराहने की तेज़ आवाज़ पूरे मंदिर में गूंज उठी। उसने घबराकर कहा, "आख़िर तुम लोग टॉर्च क्यों नहीं ऑन कर रहे हो?" उसने कहने के बाद सबने टॉर्च की लाइट ऑन की, जिसके बाद वहाँ का नज़ारा देखकर राजवीर कांप गया था।
रात के अँधेरे का फ़ायदा उठाकर किसी ने राजवीर के आदमियों का गला काट दिया था। उनकी गर्दन ने खून लगातार बहकर, ज़मीन पर फैलने लगा था। कुछ आदमी उनकी ही फायरिंग में मारे गए थे। राजवीर ने ग़ुस्से और निराशा से अपने ही सर पर जोरदार हाथ दे मारा और वहीं बैठ गया। उसको समझ नहीं आ रहा था, आख़िर ये सब किया किसने? और कैसे?
उधर सुबह की रोशनी फैलते ही अर्जुन की टीम उस मैप के सहारे आगे बढ़ती जा रही थी, जो उन्हें बॉक्स में मिला था। उस मैप को फॉलो करते हुए वह एक ऐसी जगह पहुँच गए जहाँ उन्हें एक विशाल समुद्र के अलावा कुछ भी नज़र नहीं आ रहा था। टीम, हर तरफ़ पानी ही पानी देखकर सरप्राइज़्ड थी। विक्रम ने फिर से नक़्शा देखा, नक़्शा उन्हें समुद्र की ओर ही इशारा कर रहा था।
मैप के मुताबिक, उन्हें एक प्राचीन स्तंभ की ओर जाना था, जो समुद्र के नीचे कहीं छिपा था। वहीं पर वह ख़ज़ाना था, जिसकी ख़ोज वे इतने समय से कर रहे थे। समुद्र के अंदर प्रवेश करना उनके लिए इतना भी आसान नहीं था। समुद्र से उठ रही विशालकाय लहरें, उसके ख़तरनाक मंसूबे बयाँ कर रही थी।
विक्रम: हमें, हमारी मंज़िल इसी समुद्र में मिलेगी। हमें इसके अंदर जाना होगा।
विक्रम की बात सुनकर सब लोग हैरान रह गए। उन्हें यक़ीन नहीं हो रहा था कि इस समुद्र के अंदर ख़जाना कैसे ढूँढ जा सकता हैं? पर न चाहते हुए भी रिस्क लेकर समुद्र के अंदर जाना तो था ही, इसलिए टीम जल्दी ही तैयार हो गयी।
अर्जुन: "टीम, हमें पूरा ध्यान रखना होगा। ये सफ़र जितना आसान दिख रहा है, उतना है नहीं। अगर हम मैप को सही तरीके से फॉलो नहीं करेंगे, तो ख़तरा हमसे सिर्फ़ एक क़दम दूर होगा।"
आइशा: "समुद्र के नीचे जाने का मतलब है, बहुत ज़्यादा पानी का दबाव और ऑक्सीजन की कमी। हमें हर क़दम बहुत सावधानी से उठाना होगा।"
टीम ने तय किया कि वे समुद्र में गोता लगाएंगे और उस स्तंभ की तलाश करेंगे। विक्रम ने सब को तैयार रहने का इशारा किया और देखते ही देखते पूरी टीम पानी में उतर गई। ठंडा पानी और गहराई का दबाव उनके शरीर पर भारी पड़ने लगा, लेकिन वे जानते थे कि डर के आगे जीत हैं, इसलिए रिस्क लेना बहुत ज़रूरी था।
जैसे ही वे समुद्र के अंदर गहराई में उतरे, चारों ओर नील सन्नाटा फैला था। कभी कोई बड़ी-सी मछली उनके पास से होकर गुजरती तो टीम की घबराहट बढ़ जाती। कभी बड़ी-सी लहर आती और पूरी टीम उसके साथ बहकर बहुत दूर तक पहुँच जाती, कभी सांप का ख़तरा तो कभी अज़ीब से दिखने वाले समुद्री जीवों का। वे लोग जैसे-जैसे समुद्र की गहराई में जा रहे थे, ऑक्सीजन की कमी होती जा रही थी। अब हर एक सांस उनके लिए अनमोल हो गई थी।
अर्जुन: "सब अपना ऑक्सीजन लेवल चेक करते रहो। हमें ज़्यादा समय नहीं मिलेगा, इसलिए हर क़दम सोच-समझकर उठाना है।"
जैसे-तैसे वे लोग मैप फॉलो करते हुए आगे बढ़े, उन्हें अचानक समुद्र के तल में एक प्राचीन स्तंभ दिखाई दिया। उस स्तंभ पर एक अद्भुत मूर्ति खुदी हुई थी-एक स्फिंक्स। मूर्ति का चेहरा शांत था, लेकिन उसकी आँखें टीम के हर क़दम पर नज़र रख रही थीं।
टीम के स्फिंक्स के पास पहुँचते ही एक भारी भरकम आवाज़ गूँजी:
“आ गये तुम लोग... मैं हजारों सालों से तुम्हारे ही इंतज़ार में थी। आख़िरकार भविष्यवाणी सच हुई।”
अचानक आई इस आवाज़ को सुनकर टीम बहुत डर गयी। उनको समझ ही नहीं आ रहा था कि आख़िर आवाज़ कहाँ से आ रही थी। मीरा की नज़र स्फिंक्स की खुलती-बंद होती आँखों पर पड़ी। उसने विक्रम को बताया। विक्रम ने उससे पूछा,
विक्रम: कौन हो तुम? और हमारा इंतज़ार क्यों कर रही थी तुम?
“मैं वही तो हूँ, जिसको तुम लोग ढूंढ़ रहे हो...मुझे मेरी दादी ने श्राप दिया था... और मैं”
स्फिंक्स बोलते-बोलते अचानक चुप हो गयी। टीम को कुछ समझ नहीं आ रहा था, आख़िर उनके साथ क्या हो रहा था? अर्जुन ने हिम्मत दिखाकर उससे पूछा, "कैसा श्राप और उससे हमारा क्या लेना देना" , जो बोलना है जल्दी बोलो, हमारे पास टाइम नहीं हैं, तुम्हारी फ़ालतू बक़वास सुनने का... अब जल्दी बोलो वरना तुम्हारी आंखें बाहर कर दूंगा।
अर्जुन की धमकी ने स्फिंक्स को ग़ुस्सा दिला दिया। उसने ग़ुस्से में अपनी आँखों से एक जहरीला लावा उगला, समय रहते अर्जुन ने अपने आप को उसकी नज़रों के सामने से हटाया नहीं तो उसका जलना तय था। स्फिंक्स ने ग़ुस्से में कहा, "मैं एक पहेली हूँ और जो मेरा ज़वाब देगा, वही खज़ाने तक पहुँच सकेगा। मुझे पता हैं, तुम नहीं कर पाओगे।" इसने बोलकर वह ज़ोर-ज़ोर से हंसने लगी।
उसकी बात सुनकर टीम का तनाव बढ़ने लगा। हर कोई जानता था कि स्फिंक्स की पहेली को हल करना ही उनके लिए ज़िंदा बचने और ख़ज़ाने तक पहुँचने का रास्ता हो सकता था, लेकिन समय कम था और ऑक्सीजन और भी कम।
"जिसके पास सब कुछ है, उसे कुछ नहीं चाहिए। जिसके पास कुछ नहीं है, वह सब कुछ पा सकता है। बताओ, ये कौन है?"
पहेली सुनते ही टीम के भीतर घबराहट बढ़ गई। हर कोई सोच में डूब गया। अर्जुन अपने माथे पर आई पसीने की बूंदों को पोंछते हुए गहरी सोच में डूब गया। विक्रम, मीरा और आइशा भी अपने-अपने अंदाज़ में पहेली को सुलझाने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन समय तेजी से गुजर रहा था और ऑक्सीजन का लेवल घटता जा रहा था।
आइशा: "अगर हमने पहेली का ग़लत जवाब दिया तो ये स्फिंक्स हमें मार डालेगी। हमें जल्दी सोचना होगा।"
विक्रम: "सोचो, जिसका सब कुछ है, उसे कुछ नहीं चाहिए... ये एक राज़ हैं या कोई रहस्य भी हो सकता है।"
टीम के बीच बहस और बातचीत शुरू हो गई। हर कोई अपने-अपने तर्क दे रहा था, लेकिन पहेली का सही जवाब अब तक किसी के समझ में नहीं आया। इसी बीच, अचानक से समुद्र की लहरें और तेज हो गईं। पानी की तेज लहरों ने उन्हें इधर-उधर बहाना शुरू कर दिया। इसी साथ ही, एक खतरनाक जाल भी एक्टिव हो गया।
ऑक्सीजन लेवल इतना कम हो गया था कि टीम बहुत मुश्किल से साँस ले पा रही थी। अर्जुन ने कहा, "अगर तुम चाहों तो वापस किनारे पर जा सकते हो, मैं अपने लोगों को मरते हुए नहीं देख सकता।" विक्रम ने टीम की तरफ़ देखा, वे लोग मुश्किल से ही साँस ले पा रहे थे। विक्रम ने टीम को मोटिवेट करते हुए कहा,
विक्रम की बात ख़त्म भी नहीं हुई थी कि समुद्र के नीचे से अचानक तेज धार वाले भाले ऊपर की ओर निकलने लगे और चारों ओर से घूमने लगे। उनके चारों ओर काई की जताएँ फैलाने लगी। अर्जुन की टीम लगभग फंस चुकी थी। एक भी गलती उन्हें मौत की ओर धकेल सकती थी। वे अब समय से भी लड़ रहे थे।
मीरा: "सम्भल कर! ये जाल हमें मार डालेगा, अगर हमने कुछ भी ग़लत किया या हिले डुले!"
आइशा को अचानक कुछ सूझा। उसने अर्जुन के पास जाकर चिल्लाया:
आइशा: "इसका जवाब है-'कुछ नहीं'। जिसके पास कुछ नहीं है, उसे सब कुछ चाहिए और जिसका सब कुछ है, उसे कुछ नहीं चाहिए!"
आइशा ने बिना वक़्त गवाएँ स्फिंक्स को पहेली का जवाब दिया। स्फिंक्स की आँखें धीरे-धीरे चमकने लगीं और उसके पास का जाल भी रुक गया। टीम ने राहत की सांस ली। सही उत्तर मिलने पर स्फिंक्स की मूर्ति अपनी जगह से हिली और उसके नीचे एक गुप्त दरवाज़ा खुल गया, जो उन्हें खज़ाने की ओर ले जाने वाला था।
उनकी मुश्किलें यहीं ख़त्म नहीं हुई थीं। दरवाजे के खुलते ही एक और जाल सक्रिय हो गया। इस बार पानी का दबाव इतना तेज़ हो गया कि पूरी टीम को संभलने का मौका नहीं मिला। वे सभी बिखरने लगे और उनमें से कुछ की ऑक्सीजन ख़त्म होने लगी।
आइशा: "हम मर जाएंगे! हमें जल्दी बाहर निकलना होगा!"
क्या अर्जुन और उसकी टीम इस बार भी जाल से बाहर निकल पाएगी? या फिर उनका अंत यहीं होगा? जानने के लिए पढ़ते रहिए।
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