शीना: “चिंता मत करो, सब ठीक हो जाएगा, मैं कृष्ण जी से प्रार्थना करूँगी कि अंकल जल्दी ठीक हो जाएँ। तुम अपना और आई-बाबा का ध्यान रखना, और जल्दी लौट आना। मैं तुम्हें मिस करने वाली हूँ! पहुँचकर मैसेज या कॉल करना।”
अश्विन: “मैं संडे तक आ जाऊँगा।”
अश्विन मुंबई पहुंचते ही रजत से मिला, जो उसे लेने के लिए एयरपोर्ट पर आया था। दोनों दोस्त बातों में मशगूल होते हुए अश्विन के घर की तरफ बढ़े। रजत ने उसे घर पर ड्रॉप किया और फिर चला गया। घर पहुंचकर अश्विन ने देखा कि उसकी आई घर के बाहर टहल रही थीं। वह खोई-खोई सी लग रही थीं। जैसे ही अश्विन उनके करीब पहुंचा, उसे देखते ही उनकी चाल लड़खड़ा गई। अश्विन ने तुरंत आगे बढ़कर उन्हें संभाल लिया। अश्विन ने चिंता जताते हुए, आई की ओर देखकर कहा।
अश्विन : “क्या कर रही हो आई, अभी गिर जाती तो? अच्छा हुआ मैं यहाँ था, अगर नहीं होता तो?”
उसकी आई, उसके गले लगकर फूँट-फूँटकर रोने लगीं। उसने अपनी आई के बहते आँसुओं को पोंछते हुए, और उन्हें शांत करने लगा।
अश्विन:“चिंता क्यों करती हो आई, मैं आ गया हूँ न। रोना बंद करो, हम कल ही एक अच्छे डॉक्टर के पास चलते हैं, और बाबा का चेक-अप करवाते हैं।”
पिछले कुछ दिनों से अश्विन के बाबा की हालत बद से बदतर होती जा रही थी। न तो वह ठीक से सो रहे थे, न कुछ खा रहे थे, और न ही किसी से बातें कर रहे थे। अश्विन को लगने लगा कि उसे एक बार अपने बाबा से मिलकर, आमने-सामने बैठकर उनसे बातें करनी चाहिए।
अगली सुबह, जब अश्विन सो रहा था, उसकी आई कमरे में आईं और उसे उठाने लगीं। अश्विन घबराकर हड़बड़ाते हुए उठा, क्योंकि उसे लगा कि शायद उसके बाबा को कुछ हो गया है लेकिन अपनी आई के चेहरे पर सुकून देखकर उसने चैन की सांस ली।
वह अपनी आई के साथ कमरे से बाहर निकला और हॉल में उसकी नजर बाबा पर गई। बाबा झूले वाली कुर्सी पर बैठकर मराठी अखबार पढ़ रहे थे। जैसे ही उन्होंने अश्विन को देखा, वह चौंककर मराठी में बोले, "अरे! तू कधी आलस?"
यह अश्विन के लिए सबसे अच्छा स्वागत था, क्योंकि कई दिनों बाद उसकी आई और उसने उनके मुंह से कुछ सुना था। बाबा की आवाज़ सुनकर उसकी आई की आंखों से खुशी के आंसू बहने लगे।
अश्विन: कल रात, जब आप सो रहे थे। बाबा, सच में डर ही दिया आपने! इतने दिन हो गए आपसे बात किए, आपकी आवाज़ सुने। आप ही तो कहते थे न, कि अगर जिंदगी में कुछ बुरा हो जाए, तो हार मानकर उससे मुंह नहीं मोड़ना चाहिए। फिर आपने हार क्यों मान ली? न कुछ खाते-पीते हैं, न चैन से सोते हैं। ऐसा भी क्या हो गया? दुकान से थोड़े-बहुत पैसे ही तो चले गए न? जितने पैसे गए हैं, उतने मैं हर महीने घर खर्च और बाकी जरूरतों के लिए भेज देता हूं। आप ऐसा समझ लीजिए कि इस बार मैंने पैसे नहीं भेजे, या फिर आपने वह पैसे किसी को दे दिए।”
पहली बार, अश्विन के मुँह से ऐसी बातें सुनकर, अश्विन के बाबा का सीना चौड़ा हो गया, और वह नम आँखों से अश्विन की आई की ओर देखकर बोलने लगे कि बेटा बड़ा हो गया है, ज़िम्मेदार हो गया है! उनकी बात, अश्विन के कानों में गूँजती रही! उनके इमोशंज़ को देखकर, मन ही मन अश्विन ने कहा।
अश्विन: - “थैंक्स शीना, अच्छी-ख़ासी स्क्रिप्ट याद करवायी तुमने!”
इसके बाद, वे लोग साथ में नाश्ता करने बैठे। आज उसे बड़े दिनों के बाद, आई के हाँथों से बनी हुई वही नॉर्मल, सिम्पल, सादी-सी दाल-चावल और ठेंचा भी, भाने लगी थी। उसने खाते-खाते कहा
अश्विन: “आई, तुम्हारे हाथ का बना ठेंचा एक तरफ़, और दुनिया के महँगे से महँगे डिश एक तरफ़, लेकिन, सिलबट्टे पर पीसे हुए ठेंचा की बात ही अलग है।”
उसकी बात सुनकर, उसकी आई ने उसे छेड़ते हुए कहा कि वह उसकी आई हैं, न कि पाव, तो उसे मस्का लगाने की ज़रूरत नहीं है, और वह यह भी कहने लगीं कि उनके बूढ़े हाथों में वह जान नहीं रही, जो वह उसके लिये सिलबट्टे पर ठेंचा पीसें, अब तो वह उसे तभी नसीब होगी, जब अश्विन शादी करेगा! अश्विन ने भी अपनी आई को छेड़ते हुए, हाज़िर-जवाबी के साथ कहा।
अश्विन: “अब ठेंचा के लिये शादी करना पड़ेगा? ठेंचा तो फिर बहुत महँगा हो गया है!”
उसकी बात सुनकर, उसकी आई ने रूठने का नाटक करते हुए उसे समझाना शुरू किया। उन्होंने कहा, "तू अब इकतीस का हो गया है। इस साल तेरी शादी तो हम कैसे भी कराकर ही रहेंगे। मरने से पहले हमें अपने पोते-पोतियों का मुँह देखना है!"
इसके बाद उन्होंने उसके बाबा से कहा, "आप भी कुछ बोलिए न इसे।" तो उसके बाबा ने भी उसे शादी कर लेने की सलाह दी और वहाँ से चलते बने। अश्विन अपने कमरे में ज़मीन पर बैठा था, बिस्तर से टेक लगाकर। उसका सिर अपनी आई की गोद में था, और वह उसके बालों में तेल डालते हुए मालिश कर रही थीं।
आई बोलीं, "तेरे बाल कितने रूखे हो गए हैं, और तू खुद भी। देख कितना दुबला हो गया है! बिल्कुल भी अपनी सेहत का ध्यान नहीं रखता। क्या हाल बना लिया है तूने अपनी।"
बातों ही बातों में उन्होंने सवाल किया, "दिल्ली में कोई लड़की पसंद आई है क्या? या अभी भी रिया के साथ है?" फिर वह रिया के हाल-चाल पूछने लगीं, "रिया कैसी है? जब से तू दिल्ली गया है, उसने घर आना ही बंद कर दिया। पहले तो कितनी बातें करती थी, फोन भी करती थी। अब क्या हुआ?" आई के मुँह से रिया का नाम सुनते ही अश्विन को जैसे जोर का झटका लगा।
अश्विन: “आई, अभी रिया और मैं साथ में नहीं है। वो मेरे दिल्ली जाने के पहले ही मुझे छोड़ दी। मैंने उसे बिना बताये ऑफ़िस छोड़ दिया था न! तो वह ग़ुस्सा हो गयी थी, उसके बाद, मैं उससे दिल्ली जाने के एक हफ़्ते पहले ही मिला था। उसने तभी बोल दिया था क उसको मेरे साथ कोई रिश्ता नहीं रखना है।”
उसकी बात सुनकर उसकी आई ने उसके सर पर हाथ फेरते हुए, उसे समझाते हुए कहने लगी कि इसमें न रिया की गलती थी, और न उसकी। शायद भगवान ही नहीं चाहते थे कि वे दोनों साथ रहें। शाम के समय, अश्विन अपने घर से रजत के घर के लिये निकला। उसने घर पर कह दिया था कि वह रात वहीं रुकेगा।
जैसे ही अश्विन रजत के घर पहुँचा, तो दोनों दोस्त मिलकर पुरानी यादें ताज़ा करते हुए, ऐ.सी. की ठंडी हवा का मज़ा लेते हुए, बातें करने में मसरूफ़ हो गये। बातों ही बातों में, अश्विन ने शराब के नशे में, रजत को शीना और अपनी तस्वीरें दिखाकर कहा।
अश्विन: “देख भाई, मुझको रिया से क्या लेना-देना? जब उसको मुझसे कोई मतलब नहीं है, तो मुझे भी क्यों होगा? वो जाए भाड़ में, या जहाँ भी उसको जाना हो। रही बात शीना की, तो मैं और वो बस अभी के लिए साथ हैं। वो HR डिपार्टमेंट में है, और मैं मज़े में हूँ! अरे पहले दिन से ही मुझे उसपर क्रश था, लेकिन भाई, वो मुझे भाव ही नहीं देती थी। फिर धीरे-धीरे एक दिन बात चालू हुई, तो मैंने उसे अपने प्यार के जाल में फँसा लिया। ये फ़ोन भी उसी ने मुझे मेरे बर्थडे पर दी थी, मेरे प्यार में इतनी पागल है। अँधी है वो।”
भले ही अश्विन ने पी रखी थी, लेकिन इतनी नहीं कि वह रजत को वरुण के बारे में कुछ भी बता देता। उसके मन में डर था कि अगर वरुण और उसकी मौत की बात निकली, तो कहीं ब्रेसलेट की बात भी न निकल जाए। वह काफी संभलकर शीना के बारे में बातें कर रहा था और खुश होने का ढोंग कर रहा था।
उसने जान-बूझकर अपनी आवाज़ में रोमांस और उत्साह दिखाया, क्योंकि वह रजत को यह बताने से बचना चाहता था कि उसके और शीना के बीच टेंशन चल रही है। वह बस यह दिखाना चाहता था कि वह और शीना एक हैप्पी-गो-लकी, मेड-फॉर-ईच-अदर कपल हैं।
रजत को अश्विन का नाटक समझ नहीं आ रहा था। उसे दिख रही थीं तो बस अश्विन की चमकती हुई आँखें और टमाटर जैसे लाल गाल। ये रंग शराब के नशे से थे या प्यार के, यह रजत कैसे समझ पाता? फिलहाल, अश्विन भी अपने और शीना के बीच की टेंशन को भुला चुका था। उसी वक्त अश्विन के फोन पर शीना का कॉल आया, लेकिन उसने कॉल डिसकनेक्ट कर दिया। रजत ने अश्विन की ओर देखकर, चौंकते हुए कहा
रजत: “अरे भाई, एच.आर पर लाइन मारना ख़तरों से ख़ाली नहीं है। ज़्यादा फ़्लर्ट-शर्ट किया, या कोई ऊँच-नीच हुई तो पोश का केस न लगा दे। संभला भाऊ!”
इतने में फिर से अश्विन के फ़ोन पर, शीना का कॉल आया, जिसे उसने फ़ौरन डिसकनेक्ट कर दिया, तो शीना ने भी बार-बार लगातार, तीन-चार बार उसे फ़ोन किया। थक-हारकर अश्विन ने फ़ोन उठाया। अश्विन ने अपने गुस्से को कंट्रोल किया और प्यार से शीना से बात करने लगा।
अश्विन: “अरे बेबी, कॉल डिसकनेक्ट कर रहा हूँ तो समझ जाओ न कि बीज़ी हूँ। बार-बार फ़ोन करने का क्या मतलब है?”
शीना:“बिज़ी हो? या पार्टी कर रहे हो? घर पर टेंशन है, और तुम शराब के नशे में डूबे हो?”
अश्विन: “घर की बात बाद में, फ़िलहाल मैं अपने बेस्ट फ़्रेंड के घर पर हूँ, काफ़ी टाइम बाद मिल रहा हूँ, तो सोचा कि बैठकर थोड़ा एन्जॉय कर लूँ। तो क्या आपकी इजाज़त है?”
जहाँ एक तरफ अश्विन शीना से प्यार से बात करने का दिखावा कर रहा था, वहीं दूसरी तरफ, उसके इस प्यार भरे लहजे को सुनकर शीना हैरान हो गई। अश्विन ने कई दिनों से उससे प्यार से बात नहीं की थी, इसलिए उसे लगा कि शायद वह नशे में उससे ऐसी बातें कर रहा है। शीना का दिल पिघल गया, उसका चेहरा शर्म से लाल हो गया, और दोनों के बीच कुछ देर तक प्यार भरी बातें होती रहीं। रजत वहीं बैठा उसे घूरता जा रहा था। जैसे ही अश्विन ने फोन रखा, रजत ने उसे छेड़ते हुए यह कहा।
रजत: "तुमको प्यार हो गया है लड़के!!"
रविवार की शाम, अश्विन दिल्ली वापस लौटने की तैयारी कर रहा था। उसकी आई उसकी पैकिंग में मदद कर रही थीं, लेकिन सिसकते हुए धीरे-धीरे रो रही थीं। अश्विन ने प्यार से अपनी आई को समझाया और रजत के साथ घर से निकल गया।
दिल्ली के हवाई अड्डे के बाहर निकलते ही, अश्विन ने देखा कि शीना उसका इंतज़ार कर रही थी। उसे देखते ही शीना ने उसे गले से लगा लिया। फिर दोनों एक साथ अश्विन के अपार्टमेंट की ओर रवाना हो गए।
क्या आश्विन को सच में शीना से प्यार था?
अगर नहीं, तो इतना ढोंग क्यों कर रहा था?
क्या अश्विन को इन सब चीजों से इरिटैशन होने लगेगा? जानने के लिए पढ़ते रहिए।
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