अश्विन ऑफिस से देर रात, अपने अपार्टमेंट लौटा, तो उसने दरवाज़े को हल्का सा खुला देखा। यह देखकर उसे एक तेज़ झटका लगा। उसने तुरंत ही अपार्टमेंट में कदम रखा और एकदम चौंक गया। पूरे हॉल में अंधेरा था, लेकिन फर्श पर कई सारी मोमबत्तियाँ सजी हुई थीं, जिनकी रोशनी से वहाँ का माहौल रौशन था। तभी अचानक, सोफे के पीछे से, शीना यकायक निकली, और उसे पीछे से बाँहों में भरकर बोली।
शीना: "हैप्पी बर्थडे, बेबी!!!"
अश्विन के चेहरे पर खुशी और सर्प्राइज़ जैसे इमोशंस का कोकटेल साफ़ झलक रहा था। इसके पहले कि वह शीना से कुछ कहता, शीना ने उसे ब्लाइंडफोल्ड किया और धीरे-धीरे उसे कमरे तक ले गई। फिर शीना ने उसके आँखों से पट्टी निकाली। अश्विन ने देखा कि पूरा कमरा बहुत ही बेहतरीन तरीके से सजाया गया था। कमरे का पूरा फर्श अलग-अलग तरह के रंग-बिरंगे फूलों की पंखुड़ियों से सजा हुआ था। दीवारों पर डेकोरेशन के सामान, गुब्बारे, और फेरी लाइट्स लगे थे। बिस्तर पर एक चॉकलेट केक रखा हुआ था, जिस पर रास्पबेरी से दिल बना था, और अश्विन का नाम दिल के बीच में लिखा हुआ था। केक काटने और खिलाने के कार्यक्रम के बाद, अचानक अश्विन ने नोटिस किया कि शीना उसे देखकर मुस्कुरा रही थी। अश्विन को इतना फेमेल अटेंशन शायद ही कभी मिला होगा।
शीना: “आँखें बंद करो!!!”
शीना के इतना कहते ही, हलके झिझक के साथ, मगर, अगले एक्सपीरियंस के लिये तैयार होकर, अश्विन ने अपनी आँखें मींच ली। शीना ने अपने मनमोहक आवाज़ में, अश्विन के कान के पास, धीरे से कहा।
शीना:“आँखें खोलो!!!”
एक पल की ख़ामोशी के बाद, अश्विन ने शीना के गालों पर, प्यार से अपने हाथ रखे, और उसके माथे को चूमकर कहने लगा।
अश्विन: “इतना महँगा गिफ़्ट? इसकी क्या ज़रूरत थी?”
शीना ने अश्विन के कँधों पर अपने हाथ रखे, और उसके गाल को चूमते हुए बोली।
शीना: “अपने फ़ोन की हालत देखी है? जब वीडियो कोल करो तब फ़ोन हैंग हो जाता है, कभी बात करते-करते स्पीकर बंद, तो कभी कुछ! ये मैंने तुम्हें तुम्हारी ख़ुशी के लिये नहीं, बल्कि अपनी शांति के लिये दिया है, ताकि हम दोनों बिना किसी रुकावट के आराम से बातें कर सकें। इसका स्क्रीन भी प्रोटेक्टिड है। एक दिन में तुम्हारे हाथ से कई बार फ़ोन गिरता है! पर अब कोई टेंशन नहीं!”
अश्विन बहुत अच्छे से जानता था कि शीना ने उसे गिफ़्ट इसलिए दिया, क्योंकि वह उससे प्यार करती है। उसके लिये कभी किसी ने इतना सब कुछ नहीं किया था! आज के दिन, उसका यक़ीन और भी पक्का होने लगा था कि वह, वे सब कुछ डिज़र्व करता था, क्योंकि वह है ही इतना ख़ास!
शीना: “सर्प्राइज़ अभी ख़त्म नहीं हुआ है बेबी!”
यह कहते हुए शीना कमरे से बाहर चली गयी, और अश्विन अपने नये फ़ोन को सेट करने लगा, मगर, जैसे ही उसका फ़ोन ऑन हुआ, तभी, उसके फ़ोन पर एक अननोन नंबर से एक क्रिप्टिक मैसेज आया - “एक हाथ दे, और एक हाथ ले!”
इससे पहले कि वह कुछ समझता या उस मैसेज पर ध्यान देता, शीना कमरे में वापस लौटी, एक हांडी बिरयानी लेकर! उसके दुसरे हाथ में मोदक से भरा हुआ एक डिब्बा था!!! अब तो अश्विन से रुका नहीं गया! वह सब देखकर उसकी आँखों में चमक भी दिखने लगी, और उसके मुँह से लार भी टपकने लगी, और वह बेसब्री से बिरयानी पर टूट पड़ा।
अश्विन की ज़िंदगी में अब एक नया दौर शुरू हो चुका था। न सिर्फ़ उसकी लव लाइफ़ अच्छी चल रही थी, बल्कि उसकी वर्क लाइफ़ भी बढ़िया हो रही थी। वह सफलता की सीढ़ियाँ तेज़ी से चढ़ने लगा था। हर कोई उसकी तारीफ़ें करते नहीं थकता था। जूनियर से लेकर बॉस तक, सभी उसके काम और क्रिएटिविटी की वाह-वाही कर रहे थे। अश्विन न केवल अपने क्लाइंट्स से, बल्कि अपने कलीग्स से भी तारीफ़ें बटोरने लगा था। ऐसा कहना गलत नहीं होगा कि ऑफिस में उसकी धाक जम चुकी थी, और उसके गुण गाए जाने लगे थे। उसके चारों ओर चापलूसों की भीड़ जुटने लगी थी, जो उसकी हर बात पर हामी भरते, और उसके हर आइडिया को सपोर्ट करते। आखिर, वह ऑफिस का अगला चमकता हुआ सितारा बन चुका था और एक जीता-जागता मिसाल।
“काम करो तो अश्विन की तरह, वरना यह फ़ील्ड तुम्हारे बस की बात नहीं।” - अक्सर अश्विन के बॉस , सभी से यही कहते, और कमाल की बात तो यह थी कि जिन्हें भी उसकी मिसालें दी जाती थीं, वे लोग दुखी होने, या अश्विन से जलने के बजाए, उसके पास राय माँगने, या उसकी मदद लेने के लिये पहुँच जाया करते थे, साथ ही, उनमें अश्विन जैसा बनने की उम्मीद जागने लगी थी, और उसके कलीग्ज़, उससे काफ़ी ज़्यादा प्रेरित होने लगे थे। अपने कैबिन में बैठा हुआ अश्विन, अपने आस-पास की हवा का रुख बदलते देखकर, मन ही मन हँसते हुए ख़ुदसे कहने लगा।
अश्विन: “उगते सूरज को सभी सलाम करते हैं। ये कम्पनी मेरा जंगल है, और मैं यहाँ का शेर, यहाँ का किंग।”
वह बात कहते हुए, अश्विन को एक हिंदी फ़िल्म का ताबड़तोड़ सीन याद आने लगा, तो वह मंद-मंद मुस्कुराने लगा, और एक गहरी ठंडी साँस लेकर, उसने अपनी आँखें बंद कीं। आँखें बंद करके उसने चिल्लाते हुए कहा।
अश्विन: “ऐड की दुनिया का किंग कौन?”
वह इमैजिन कर रहा था कि वह मरीन ड्राइव में खड़ा था, जहाँ वह हँसते हुए, चिल्लाकर वही सवाल कर रहा था। तो शहर के कोने-कोने से आवाज़ आयी,
“अश्विन म्हात्रे”
एक पल को, उसने ऐसा भी महसूस किया कि समुंदर की लहरें, उसके नाम की गूँज से काँप उठीं हों। उसी पल, उसका वह भ्रम टूट गया, क्योंकि किसी ने उसके कैबिन के दरवाज़ा पर दस्तक़ दी थी। उसने आँखें खोलीं, और अपने जज़्बातों पर क़ाबू रखते हुए बोला।
अश्विन: “कम इन।”
जैसे ही उसने कहा, उसके बॉस अंदर आए, तो अश्विन तुरंत खड़ा हो गया। लेकिन, इससे पहले कि वह कुछ कहता, उसके बॉस ने मुस्कुराते हुए कहा, "तुम्हें ज़रा अपने आप पर काबू रखना चाहिए। तुम्हारी आवाज़ बाहर तक सुनाई दे रही थी।"
अश्विन अपने बॉस की यह बात सुनकर थोड़ा थोड़ा शर्मिंदा हो गया। उसे समझ ही नहीं आया कि क्या कहे। कुछ समय तक खामोशी रही, फिर बॉस ने उस खामोशी को तोड़ते हुए पूछा, "सब ठीक है, न?" अश्विन ने झूठी मुस्कान के साथ जवाब दिया।
अश्विन: "हाँ सर, सब ठीक है।"
उसी समय, बॉस का फोन बजा। वह फोन उठाकर बात करते हुए केबिन से बाहर चले गए। उनके जाते ही, अश्विन ने खुद से कहा।
अश्विन: "अब बॉस से क्या कहूं? कि मैं अपनी पर्सनल लाइफ की वजह से परेशान हूं?"
असल में, बात यह थी कि अश्विन और शीना के रिलेशनशिप को एक महीना हो चुका था। धीरे-धीरे शीना ने उसकी देखभाल करनी शुरू कर दी थी, शायद ज़रूरत से ज्यादा। वह उसकी पसंद-नापसंद का खास ख्याल रखने लगी थी। उसे छोटे-छोटे तोहफे देने लगी थी। उसने तो अश्विन के पसंदीदा ओटीटी प्लेटफॉर्म का सालभर का सब्सक्रिप्शन भी ले लिया था। और तो और, वह अश्विन को प्रोडक्टिव तरीके से काम करने के लिए भी प्रेरित करने लगी थी।
शीना अब हर वह चीज़ करने लगी थी, जिससे अश्विन को खुशी मिलती। कभी वह उसके लिए ऑनलाइन खाना मंगवा देती, तो कभी वीकेंड पर उसके अपार्टमेंट में खाना बनाकर ले आती। कभी वह ऑफिस में अपने और अश्विन के लिए लंच लेकर आती और उसे ऑफिस के पास वाले कैफे में बुलाकर खिलाती लेकिन अश्विन के जन्मदिन पर तो उसने हद ही कर दी।
उसके लिए जो मोदक उसने मंगवाए थे, उनका स्वाद अश्विन को बेहद जाना-पहचाना सा लगा। दरअसल, वे मोदक शीना ने मुंबई की एक मशहूर मिठाई की दुकान से मंगवाए थे। वह कोई साधारण दुकान नहीं थी, बल्कि अश्विन के बाबा की दुकान थी।
शीना की इन बातों में एक तरह की संजीदगी और सादगी थी, जिसे अश्विन महसूस करने लगा था। उसे शीना के प्यार और देखभाल करने का तरीका भी काफी पसंद आने लगा था। वह जानता था कि वह इस देखभाल के लायक था। आखिर उसने भी तो वरुण की मौत के बाद शीना को सहारा दिया था, उसका कंधा बना था।
अश्विन सोचने लगा था कि वह शीना का एकमात्र इमोशनल सपोर्ट था, और यह रिश्ता दोनों के लिए ही फायदेमंद था। लेकिन पिछले कुछ दिनों से, अश्विन काफी परेशान था। और पिछली रात से वह शीना की वजह से और भी ज्यादा बेचैन हो गया था।
लगभग पिछले एक हफ्ते से, अश्विन ने महसूस किया कि शीना उसे लेकर काफी पजेसिव होती जा रही थी। अगर वह कभी उसे किसी ऑफिस की लड़की से बातें करते देख लेती, तो बिना बताए ही देर रात उसके अपार्टमेंट आकर उस पर बरस पड़ती, उससे गुस्सा हो जाती और झगड़ने लगती।
पहली बार, जब उसने अश्विन को किसी फीमेल इम्प्लॉयी से बातें करते देखा, तो उसने मैसेज भेजा था: "मिस्टर अश्विन म्हात्रे, तुम सिर्फ और सिर्फ मेरे हो!"
उस मैसेज को पढ़कर अश्विन हंस पड़ा था। उसने सोचा था कि शीना बस मजाक में उसकी टांग खींच रही है। लेकिन जब उसने दूसरी बार अश्विन को किसी फीमेल इम्प्लॉयी से बातें करते देखा, तब उसने उसकी क्लास लगा दी थी। और वह भी आधी रात में, जब अश्विन और शीना एक रोमांटिक पल बिताने वाले थे। उस वक्त अश्विन के दिल के अरमान सचमुच आंसुओं में बह गए थे।
उसके बाद उनका झगड़ा बढ़ता ही चला गया। जब वे दोनों साथ नहीं होते, तो शीना बार-बार अश्विन से लाइव लोकेशन मांगती, कभी वीडियो कॉल करके यह देखने की कोशिश करती कि वह कहां है और क्या कर रहा है। कभी वह उसके फोन या सोशल मीडिया अकाउंट का पासवर्ड मांगने लगती।
जहां एक तरफ अश्विन अपने करियर में सफलता की ओर बढ़ रहा था, वहीं उसकी लव लाइफ और पर्सनल लाइफ पूरी तरह बर्बाद होती नजर आ रही थी।
शीना की वजह से अश्विन परेशान तो था ही, लेकिन तीन-चार दिन पहले उसकी आई (मां) का फोन आने के बाद उसकी चिंता और बढ़ गई थी।
आई ने बताया कि उनके बाबा के दुकान पर जो मुंशी सालों से काम कर रहे थे, वह गांव लौट गए थे। उन्होंने अपनी जगह किसी जान-पहचान वाले को बिठाया था, लेकिन वह लड़का अगले ही दिन गल्ले से सारे पैसे लेकर फरार हो गया। यह पैसे दो महीने से गल्ले में पड़े थे। इस घटना से उसके बाबा, शिव म्हात्रे को गहरा सदमा पहुंचा। वह न कुछ कहा रहे थे न किसी से बात कर रहे थे। यहां तक कि उन्हें चैन की नींद भी नहीं आ रही थी।
अश्विन ने सोचा कि वह आने वाले वीकेंड पर मुंबई जाएगा, अपने आई-बाबा से मिलेगा और अपने बाबा से बात करके उन्हें संभालने की कोशिश करेगा।
वहीं, पिछली रात शीना ने हद पार कर दी। उसने कुछ ऐसा किया, जो अश्विन के लिए भरोसा तोड़ने और प्राइवेसी का उल्लंघन करने जैसा था। देर रात, जब अश्विन सोने का नाटक कर रहा था, उसने देखा कि शीना चुपके से उसका फोन चेक कर रही थी। यह देखकर अश्विन को बहुत गुस्सा आया, लेकिन उसने कुछ नहीं कहा। आखिर वह उससे क्या कहता? उसने बात को मन में दबा लिया और शीना की इस हरकत को नजरअंदाज कर दिया।
क्या शीना की हरकतें अश्विन और उसके रिश्ते को प्रभावित करेंगी?
क्या अश्विन शीना से इस बारे में बात करेगा? जानने के लिए पढ़ते रहिए।
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