अश्विन की नींद, अपने फ़ोन पर लगातार आते हुए मैसेज की टोन से खुली। एक तो सुबह-सुबह मैसेज भेजने वालों से, अश्विन को एक अलग ही नफ़रत थी। पर जैसे ही, मैसेज भेजने वाले के नाम पर, उसकी नींद भरी नज़रें गयीं, तो वह झटके से उठ गया, और उसका ग़ुस्सा भी एक झटके में शांत हो गया, पहला मैसेज देखते ही, उसके चेहरे पर मुस्कान अलग से आ गयी। हर मैसेज के आख़िर में, ढेर सारे दिल वाले और किस वाले इमोजीज़ थे।
वरुण की मौत से एक महीने बाद, शुक्रवार की एक रात को, जब अश्विन, ऑफ़िस से थका-हारा, जैसे ही अपने फ्लैट पहुँचा, तो उसे अपने फ़ोन पर शीना का एक वोइस मैसेज मिला।
शीना: “हे अश्विन, फ़्री हो क्या? पाँच बजे मिल सकते हैं? ऑफ़िस के पास वाले कैफ़े में? मैं तुम्हारा इंतज़ार करूँगी।”
अब तक तो अश्विन और शीना, सिर्फ़ फ़ोन पर, घंटों बातें करते आये थे, और ऑफ़िस में भी, कभी-कबार ही उनकी मुलाक़ात हुआ करती थी, लेकिन, बीतते वक़्त के साथ-साथ, दोनों की दोस्ती गहरी होने लगी थी।
वरुण की मौत के बाद, शीना पूरी तरह से टूट चुकी थी, और ऐसे हालात में शीना को अश्विन के कँधे का सहारा मिला, तो अश्विन के साथ बातें करने में, उसके दिल को सुकून भी मिला। वहीं, अश्विन को भी शीना के साथ बातें करना अच्छा लगने लगा था, क्योंकि, उसकी ज़िंदगी में भी दोस्तों की कमी थी। ज़्यादा से ज़्यादा वह रजत से बातें किया करता था, लेकिन, वह उससे कितनी ही बातें करता?
ख़ैर उस रात, उस मैसेज को देखने के बाद, अश्विन और शीना के बीच फ़ोन पर कोई बात नहीं हुई, जो कि अश्विन को काफ़ी अजीब लगा था, उसने शीना को कॉल भी किया था, मगर शीना से उसकी बात हो नहीं पायी थी, लेकिन, उस रात, उस मैसेज को देखकर, उसकी धड़कनें तेज़ भी होने लगीं थीं, और वह ख़ुशी के मारे बौखला भी गया था।
उसके दिमाग़ के एक हिस्से में, यह सोच चल रही थी कि क्या उसे वाक़ई में शीना से मिलना चाहिए, या नहीं? अश्विन ने कुछ सोचकर-समझकर, मुस्कुराते हुए कहा।
अश्विन: “जब शीना ही मुझसे मिलना चाहती है, तो मैं पीछे क्यों हटूँ?”
मिलने का फ़ैसला तो अश्विन ने ले लिया था, लेकिन, अब एक नयी परेशानी सामने आयी! अश्विन को समझ ही नहीं आ रहा था कि उसे क्या पहनना चाहिए… फ़ॉर्मल या कैजुअल स्मार्ट?
अश्विन ने गहरी साँस ली, और ख़ुदसे बातें करते हुए, उसने अपने पूरे कमरे में, कपड़ों का ढेर बिछा दिया। कभी वह किसी शर्ट की तरफ़ देखने लगता, तो कभी किसी और कपड़े की तरफ़। अश्विन ने परेशान होकर कहा।
अश्विन: "आई शपथ… अगर शीना ने मुझे डेट पर बुलाया है, तो कैजुअल पहनकर मैं अपने इज़्ज़त का भाजीपला नहीं करना चाहता, और अगर वो मुझसे ऐसे ही मिलना चाहती है, और मैं फ़ॉर्मल पहनकर चला गया, तब भी मेरी इज़्ज़त का कुल्फ़ी-फ़ालूदा ही हो जाएगा। अब क्या करूँ?”
तभी उसकी नज़र, अपने फ़ोन के टूटे स्क्रीन पर पड़ी, तो वक़्त देखकर, उसके होश उड़ गये थे, क्योंकि, रात के दो बज चुके थे! उसने झूँझलाते हुए कहा।
अश्विन: “इस लड़की ने मेरे दिमाग़ को धोबीघाट बना दिया है। मेरे क्रिएटिव दिमाग़ का रायता बन गया है। कुछ समझ नहीं आ रहा है कि क्या करना है।”
अश्विन: “एक काम करता हूँ, सो जाता हूँ, बाकी कल की कल देखी जाएगी।”
अगली सुबह, अश्विन की नींद दोपहर के एक बजे खुली, जिसका उसे अंदाज़ा नहीं था। उसने जैसे ही अपने फ़ोन पर वक़्त देखने के लिये फ़ोन चेक किया, तो उसे एहसास हुआ कि उसका फ़ोन ऑफ़ पड़ा था।
उसने तुरंत ही फ़ोन को चार्ज पर लगाया, और फ़ोन के ऑन होते ही, उसे कुछ मिस्ड कॉल्ज़ दिखे, जो कि उसकी आई और शीना की तरफ़ से थे। शीना ने लगभग दो घंटे पहले, उसे फ़ोन किया था।
दस मिनट के बाद, जब उसने शीना को कॉल किया, तो शीना ने फ़ोन काट दिया था। उस बात से वह थोड़ा मायूस हो गया था। फिर, दो-तीन मिनट के बाद, उसके फ़ोन पर शीना का वोइस मैसेज आया।
शीना का नाम पढ़ते ही, उसका चेहरा खिल उठा। मैसेज सुनकर और भी खिल उठा, जैसे किसी साबुन के ऐड में दिखाते हैं!
शीना: “हाई! घर पर कुछ मेहमान आये हैं, लेकिन प्लैन कैंसिल नहीं होगा, हम दोनों उसी वक़्त पर मिलेंगे। मैं तुमसे मिलने के लिये बेहद ही एक्साइटिड हूँ।”
शाम के वक़्त, जैसे ही अश्विन उस कैफ़े में पहुँचा, तो उसने देखा कि शीना, कैफ़े के कॉर्नर टेबल पर बैठी हुई, कभी अपने फ़ोन को देख रही थी, तो कभी इधर-उधर। उसके चेहरे पर उदासी थी, मगर जैसे ही उसने अश्विन को अपनी तरफ़ आते देखा, शीना का चेहरा ख़ुशी से खिल उठा।
उसके गाल शर्म और ख़ुशी से लाल हो गए थे, और उसके होंठों पर एक प्यारी सी मुस्कान आ गई थी। जैसे ही अश्विन शीना के सामने बैठा, शीना ने मुस्कुराते हुए कहा।
शीना: "आज बहुत ज़्यादा ही हैंडसम लग रहे हो।"
अश्विन: - "थैंक्स। तुम इस ब्लैक ड्रेस में मुझसे ज़्यादा अच्छी लग रही हो।"
शीना ने शरारती आँखों और मुस्कान से अश्विन की ओर देखते हुए, उसे छेड़ते हुए कहा।
शीना "तुम भी ब्लैक ड्रेस पहनते हो!"
शीना ने सही समय पर बढ़िया पंच-लाइन मारा, जिससे अश्विन की बोलती बंद हो गई, और दोनों एक साथ हँस पड़े। शीना को इस तरह से खिलखिलाते-हँसते देखकर अश्विन को बहुत अच्छा लग रहा था, क्योंकि वे दोनों पिछले एक महीने से जब भी बातें करते, तो शीना वरुण को याद करके दुखी हो जाती थी और रोने लगती थी। वहीं, उसकी हालत देखकर, अश्विन और भी गिल्टी महसूस करने लगता था।
अश्विन: "तो क्या ओर्डर करूँ तुम्हारे लिये?"
शीना: “उसकी टेंशन तुम मत लो, मैंने हम दोनों के लिये ओर्डर कर दिया है, और बिल भी मैं ही पे करूँगी, क्योंकि तुम्हें मैंने बुलाया है।”
अश्विन को काफ़ी हैरत हुई यह खुले विचार सुनकर, मगर उसने किसी भी तरह का रिएक्शन नहीं दिया।
अश्विन: “आज अचानक डेट का प्लैन?”
शीना: “अचानक कहाँ? प्लैन तो कुछ दिन पहले से ही बना चुकी थी, बस, कल रात तुमको बताया।”
अश्विन मुस्कुराने लगा। इतने में वेटर अश्विन की पसंदीदा कॉफ़ी और पास्ता ले आया। यह देखकर अश्विन चौंक गया। और तो और, शीना का भी ऑर्डर बिल्कुल वही था। अब उसे सब कुछ काफ़ी अजीब लगने लगा। उसे समझ नहीं आया कि शीना को उसकी पसंदीदा चीज़ों के बारे में कैसे पता चला। पिछले कुछ दिनों में अश्विन को शीना के बारे में सब कुछ पता चल चुका था – उसकी पसंद-नापसंद, उसका डायट प्लान, वगैरह-वगैरह। लेकिन, उसने कभी भी शीना से अपनी पसंदीदा चीज़ों के बारे में कुछ भी शेयर नहीं किया था। अश्विन का चेहरा देखकर, शीना ने प्यारी सी मुस्कान भरते हुए कहा था।
शीना: "चौंक क्यों गए? कभी-कभी ख़ास क्लाइंट मीटिंग्स के लिए हमारे ऑफिस के लोग अक्सर यहीं तो आते हैं न, और उन सबके बिल मेरे पास ही आते हैं। सो, तुम्हारे बिल्स देखकर मैंने नोटिस किया कि तुम हमेशा यही ऑर्डर करते हो। और मुझे भी यही पसंद है। लेकिन डायट की वजह से मैं इसे जल्दी खाती नहीं हूँ। और आज चीट डे था, तो यही मंगवा लिया।"
अश्विन और शीना की पहली डेट, उसके एक्सपेक्टेशंस से भी ज़्यादा बढ़िया रही थी। दोनों ने साथ में अच्छा-ख़ासा वक़्त गुज़ारा था। मगर फिर, कुछ ऐसा हुआ जिसकी वजह से अश्विन ने शीना का एक अलग ही रंग-रूप देखा।
शीना और अश्विन, डेट के बाद, कैफे से बाहर जा रहे थे, तभी एक नशे में धुत लड़की, अश्विन से टकरा गई। इस पर, शीना को बहुत ग़ुस्सा आ गया। शीना ने उस लड़की को डाँट लगाते हुए कहा।
शीना: "इतना पीती क्यों हो, जो ये याद न रहे कि किसकी बाँहों में जाकर गिरना है? ये आँखें क्या भगवान ने दूसरी लड़कियों के बॉयफ्रेंड्स को ताड़ने के लिए दी हैं?"
शीना की बातों की वजह से, वह लड़की शर्मिंदा हो गई थी। वहाँ मौजूद लोग, उन्हें घूरने लगे थे।
शीना:"चलो बेबी, चलते हैं।"
इससे पहले कि वह लड़की, शीना की बात का कोई जवाब देती, शीना अश्विन को लेकर वहाँ से जाने लगी।
अश्विन: "हें! क्या? बेबी? मस्त आहे!"
अश्विन मन ही मन, उत्सुक होकर बोल पड़ा, और शीना को देखने लगा। जाते-जाते, शीना ने उस लड़की को ऐसे देखा, जैसे मानो वह उसकी जान ही ले लेगी। शीना का यह रूप देखकर, अश्विन को विश्वास ही नहीं हुआ कि यह वही शीना है, जो ऑफिस में सबसे अदब से बात करती थी, सबसे अच्छे से, नर्मी से पेश आती थी। उसके अगले दिन, जैसे ही अश्विन ऑफ़िस पहुँचा, और अपने कैबिन की ओर बढ़ा, तो उसे वहाँ शीना दिखी। दोनों ने एक-दूसरे को चोर निगाहों से देखा, मन ही मन मुस्कुराने लगे, और फिर अपने-अपने काम में लग पड़े।
अश्विन और शीना के रिश्ते को, अब एक हफ़्ता गुज़र चुका था। आज शीना पहली बार उसके अपार्टमेंट पहुँची थी, और दोनों मिलकर इंटरनेट पर साथ में एक मूवी देख रहे थे। शीना का सर उसके कँधे पर था, और उसका एक हाँथ अश्विन के हाँथ पर, और अश्विन का दूसरा हाँथ शीना के कँधे पर था।
दोनों को ही एक-दूसरे की प्रेज़ेंस में काफ़ी बेहतर महसूस हो रहा था। इतने में घंटी बजी, तो अश्विन दरवाज़ा खोलने के लिये उठने लगा, लेकिन, शीना ने उसका हाँथ पकड़कर उसे रोक लिया, और उसकी ओर प्यार से देखने लगी।
कुछ देर बाद, जब शीना कमरे में लौटी, तो उसके हाँथ में खाने का बैग देखकर, अश्विन के चेहरे पर मुस्कान आ गयी।अश्विन, शीना की ओर देखकर, उत्तेजित होकर बोल उठा।
अश्विन: “बिरयानी! क्या बात है यार! लेकिन इतना खर्चा करने की क्या ज़रूरत थी!”
शीना: - “इतना स्पेशल फ़ील करने की ज़रूरत नहीं है। लंच टाइम है, आज संडे है, चीट डे है, इसलिए मैंने ये हम दोनों के लिये मँगवा लिया।”
शीना ने झूठी बातें बनाते हुए कहा, लेकिन, अश्विन को उसके चेहरे पर, उसकी आँखों में, अपने लिये प्यार दिख रहा था। और तो और, उसने ज़रा भी इस बारे में ख़याल नहीं किया कि हर बार, शीना ही उसपर पैसे ख़र्च करती थी। बिरयानी से बनियान तक, हर चीज़ का ध्यान रखती थी। अश्विन को वही पसंद आने लगा था।
वहीं, शीना भी जानती थी कि अश्विन का ईगो इतना बड़ा है कि अगर वह उसके लिये कुछ करेगी, तो उसे बुरा लगेगा। मगर, अश्विन कहीं न कहीं, अपने ईगो की आड़ में, कुछ नहीं माँगकर भी, सारी चीज़ों का, सुख-सुविधाओं का, फ़ायदा तो उठा रहा था, और शीना को अपनी उँगली के इशारे पर नचा रहा था। वहीं, शीना को उसी तरह से प्यार जताना आता था, सो वो वैसा ही करती थी।
लेकिन, अश्विन को लगने लगा था कि वह, उन चीज़ों को डीज़र्व करता था। एक तरफ़, जहाँ शीना के लिये वह नया रिश्ता, उसके मन के ख़ालीपन को भरने का एक तरीका था, वहीं, दूसरी तरफ़, अश्विन उस नये रिश्ते को, अपनी ज़रूरतों के हिसाब से ढालने के बारे में सोचने लगा था।
क्या अश्विन शीना को सच बताएगा? जानने के लिए पढ़ते रहिए।
No reviews available for this chapter.