​​रात के समय, अश्विन बिस्तर पर लेटकर, ब्रैस्लेट को अपने हाँथों में थामे हुए, उसे घूर रहा था।​ ​अश्विन के दिमाग़ में, गिरधारी की आवाज़ गूँज रही थी, जो कि बार-बार लगातार उससे यही कह रही थी।  ​

​​गिरधारी: “ये ब्रैस्लेट तुम्हारी इच्छा पूरी करने के बदले, तुम्हारी ज़िंदगी से कुछ ऐसा ले जाएगा जिसकी तुम्हें ज़रूरत नहीं है।” ​  

​​अश्विन: “अगर यह ब्रैस्लट वाकई जादुई है तो आज के बाद से, मैं इस ब्रैस्लेट को कभी भी यूज़ नहीं करूँगा।”​  

​​अश्विन ने मन ही मन, उदास होकर, थके-हारे लहजे में कहा। उसके मन में अब भी वरुण की हालत और हालात का गिल्ट था, और वह उस बोझ के तले दबते चला जा रहा था। ​

​​अश्विन तुरंत बिस्तर से उठा, और ब्रैस्लेट को बक्से में डालकर, अलमारी के एक ड्रॉर में लॉक करके रख दिया, और फिरसे बिस्तर पर लेटकर, इस सोच में खो गया कि उसकी इच्छा की वजह से वरुण की क्या हालत हो गयी। उसी व्यक्त उसे अपनी और शीना की मुलाकात याद आई। ​

​​जब अश्विन अस्पताल पहुँचा और शीना से मिला, तो उसे पता चला कि शीना और वरुण रिलेशनशिप में थे। यहाँ तक कि दोनों ने शादी करने का फैसला तक कर लिया था। यह जानकर अश्विन को अपने आप पर गुस्सा आने लगा। उसके पास शीना से कुछ भी कहने के लिए शब्द नहीं बचे थे। उसने इमरजेंसी वार्ड के दरवाज़े पर लगे छोटे से गोल शीशे से झाँककर देखा। अंदर वरुण लाइफ सपोर्ट पर था, ज़िंदगी और मौत के बीच लटका हुआ।​

​​यह दृश्य देखते ही, अश्विन के मन में एक जंग छिड़ गई। उस वक्त, वरुण के माता-पिता और शीना के सामने, अश्विन ने खुद को उन सभी लोगों का गुनहगार मान लिया। वह इन खयालों से बाहर आया और उसने सोने की कोशिश की।  ​

​​अश्विन फिलहाल वरुण के कैबिन में बैठकर, अपने ऐक्टिंग टीम लीडर होने का कर्तव्य निभा रहा था। उसका ध्यान काम पर नहीं, बल्कि वरुण के कैबिन में लगी कुछ तस्वीरों पर था। वे तस्वीरें बार-बार उसे यह एहसास दिला रही थीं कि चाहे वह कितनी भी कोशिश कर ले, वह कभी वरुण जैसा नहीं बन सकता।​

​​उस खयाल में डूबे अश्विन के दिल और दिमाग में वरुण जैसा बनने की उसकी इच्छा गूँज रही थी। उसे अपने आँखों के सामने वरुण के एक्सीडेंट का दृश्य घूमता हुआ दिखने लगा। अचानक, दरवाज़े पर खटखट की आवाज़ से उसका भ्रम टूटा। उसकी नज़र दरवाज़े की तरफ गई। उसने नर्म आवाज़ में दरवाज़े के बाहर खड़े व्यक्ति को अंदर आने की अनुमति दी। दरवाज़ा खुला, और विजय कैबिन में कदम रखते हुए अंदर आया। "मैं अस्पताल से लौट रहा हूँ। वरुण अब हमारे बीच नहीं रहा।"​

​​विजय यह कहकर कैबिन से चला गया। अश्विन के लिए यह खबर किसी बिजली के झटके से कम नहीं थी। उसके पैरों तले ज़मीन खिसक गई। उसे ऐसा लगा जैसे उसके सिर पर आसमान गिर गया हो।  ​

​​अश्विन:  "क्या कह रहा था विजय? वरुण??? मौत???"​

​​अश्विन हक्का-बक्का रह गया। वह इस सदमे से उभरने की कोशिश कर ही रहा था कि उसके फोन पर नोटिफिकेशन आया। उसने जैसे ही फोन चेक किया, उसे एक ईमेल और एक मैसेज मिले। दोनों ही शीना के थे। मैसेज में शीना ने लिखा था कि वरुण अब नहीं रहा।​

​​वहीं, ईमेल में लिखा था कि अश्विन को टीम लीडर बनाया जा रहा था। यह पढ़कर अश्विन का दिल और भी भारी हो गया। उस वक़्त, अश्विन को ऐसा लगा कि वह उस पोस्ट पर नहीं, बल्कि वरुण की लाश पर खड़ा है। ​

​​अश्विन और उसके कलीग्स जब श्मशान घाट पहुँचे और वरुण के पिता से मिले, तो उन्हें फूट-फूटकर रोते देख अश्विन के मन में वरुण की मौत का बोझ और बढ़ गया। कुछ देर बाद, जब वरुण के पिता ने चिता को आग लगाने की कोशिश की, तो उनके काँपते हाथ देखकर अश्विन ने उनके हाथों को सहारा देने के लिए अपना हाथ उनके हाथ पर रख दिया।​

​​उस पल, अश्विन के मन में एक ही भावना थी—कि जिन बूढ़े हाथों से उसने उनके बुढ़ापे का सहारा छीना, उन्हीं हाथों को सहारा देने में वह पीछे नहीं हट सकता था। श्मशान घाट से लौटने के बाद, अश्विन ने नहा-धोकर खुद को थोड़ा फ्रेश किया। मन अभी भी भारी था।​

​​उतरे हुए मन के साथ, वह अपनी आई से फोन पर बातें करने लगा। बातों के दौरान, उसने अपने फोन पर एक नोटिफिकेशन पॉप-अप देखा। शीना का मैसेज आया था। उसने बातचीत करते हुए ही मैसेज पढ़ा।​

​​मैसेज को पढ़ते ही, अश्विन के भीतर का गिल्ट उस पर हावी होने लगा। कुछ देर तक अपनी आई से बात करने के बाद, उसने शीना को कॉल किया। शीना ने दबी आवाज़ में, दुखी होकर, रोती हुई आवाज़ में कहा।​

​​शीना: मैं बहुत अकेला महसूस कर रही हूँ। मैं नहीं जानती कि मैं अपना दुख किसके साथ बाँटूँ, क्या करूँ, कहाँ जाऊँ? मैंने तुम्हें इसी वजह से मैसेज किया था क्योंकि तुम मेरे और वरुण के बारे में जानते हो, अश्विन। वरुण तुमसे मिलने के बाद हमेशा ही मुझसे तुम्हारी बातें किया करता था। वह तुम्हारी बहुत इज़्ज़त करता था। मैं उसके बारे में किसी से बात कर नहीं सकती। तो सोचा, तुमसे ही अपनी फीलिंग्स शेयर कर लूँ।"​

​​शीना, वरुण के बारे में लगातार बातें करती रही। अश्विन उसकी बातें चुपचाप सुनता रहा। दरअसल, वह और कर भी क्या सकता था? अश्विन को अपनी आत्मा के किसी कोने में यह महसूस हो रहा था कि वरुण की इस हालत का जिम्मेदार वह खुद था। उसने शीना की हँसती-खेलती ज़िंदगी को उजाड़ दिया था। इसलिए, उसने सोचा कि अगर वह शीना की बातें सुन ले, तो उसका दिल हल्का हो जाएगा और शायद, अश्विन खुद को थोड़ा कम कसूरवार महसूस करेगा। ​

​​बातों के दौरान, शीना ने अश्विन को बताया कि वह और वरुण जल्द ही सगाई करने वाले थे। लेकिन, सगाई से पहले, उनके बीच इस बात को लेकर झगड़ा होने लगा था कि शीना जॉब छोड़ देगी। वरुण इस बात पर सहमत नहीं था। वह एजेंसी छोड़ने का प्लान बना रहा था ताकि शीना वहीं रह सके। वरुण को अपने अनुभव और प्रोफ़ाइल पर भरोसा था। उसे यकीन था कि वह दिल्ली की किसी भी एजेंसी में आसानी से नौकरी पा लेगा। इस तरह, दोनों साथ रहते और हँसी-खुशी अपनी ज़िंदगी गुज़ारते। शीना ने अश्विन को अपने परिवार के बारे में भी बताया। जब वह लखनऊ से दिल्ली आयी थी, तो घर वालों से बहुत लड़-झगड़ कर आयी थी।​

​​दिल्ली में, उसकी ज़िंदगी वरुण के साथ शुरू हुई। दोनों ने एक-दूसरे के साथ ज़िंदगी गुज़ारने का फैसला कर लिया। जब शीना ने यह बात अपने परिवार को बताई, तो उसके मम्मी-पापा ने उससे बात करना बंद कर दिया। ऐसे हालात में, उसकी ज़िंदगी में सिर्फ वरुण ही था। वरुण वह इंसान था जिससे वह अपने दुख-दर्द, अपनी खुशियाँ और अपने ग़म बाँटा करती थी। लेकिन अब, वरुण भी उसकी ज़िंदगी से हमेशा के लिए चला गया था।​

​​अश्विन को जितना ज़्यादा वरुण और शीना की ज़िंदगी के बारे में पता चलने लगा, वह उतना ही गहरे अपराध-बोध में डूबता चला गया। वरुण की मौत का बोझ उसके मन को और भारी कर रहा था। उस रात, शीना से बात करने के बाद, अश्विन ठीक से सो तक नहीं पाया। कब सुबह हुई, उसे पता ही नहीं चला।​

​​अगली सुबह, जैसे ही अश्विन ऑफिस पहुँचा और वरुण के कैबिन में जाने लगा, उसने देखा कि वहाँ सफ़ाई चल रही थी। सफ़ाई कर्मचारी वरुण की तस्वीरों और उसकी चीज़ों को हटाकर, एक कार्डबोर्ड के बक्से में भर रहे थे। अश्विन ने हैरानी से पूछा।​

​​अश्विन:"ये सब क्या हो रहा है?"​

​​सफ़ाई कर्मचारियों ने अश्विन को देखा, और उसे सलाम करने लगे। उनकी इज़्ज़त भरी नज़रों ने अश्विन को असहज कर दिया। उसे महसूस होने लगा कि वह इस इज़्ज़त का हकदार नहीं था। सफ़ाई कर्मचारियों ने बताया कि उन्हें वरुण का सारा सामान उसके घर तक पहुँचाने का आदेश मिला था। उनकी बातें सुनकर और कैबिन की हालत देखकर, अश्विन के मन को तेज़ झटका लगा।​

​​वह उन्हें रोकना चाहता था। न जाने क्यों, उसे यह ख़याल आया कि अगर उसने उन्हें रोका और वरुण की तस्वीरों को वहीं रहने दिया, तो वह हमेशा खुद को वरुण की मौत का ज़िम्मेदार मानेगा।​

​​शायद वह हादसा महज इत्तिफाक था, लेकिन उसका मन उसे चैन नहीं लेने दे रहा था। अचानक, उसे यह ख़याल भी आया कि अगर किसी को यह भनक लग गई कि उसे वरुण की पोस्ट कैसे मिली, तो लोग उसे नीच समझेंगे, उस पर थूकेंगे, और बदनाम करेंगे।​

​​इस सोच ने उसे पूरी तरह तोड़कर रख दिया। वह खुद को इस लायक भी नहीं समझ पा रहा था कि वह अपनी ही आँखों में झाँक सके। अश्विन ने अपने दिल में उमड़ते ख़यालों को जैसे-तैसे काबू किया और वॉशरूम चला गया।​

​​वॉशरूम में, उसने अपने मुँह पर ठंडे पानी के छींटे मारे। तभी, उसने आईने में देखा कि उसके रिफ्लेक्शन के हाथों पर खून लगा हुआ था! अगले ही पल, सब कुछ सामान्य हो गया। उसका दिल ज़ोर-ज़ोर से धड़कने लगा। उसे ऐसा महसूस हुआ, मानो वह आईने में अपना रिफ्लेक्शन नहीं, बल्कि वरुण के क़ातिल को देख रहा हो। उसके हाथ वरुण के खून से सने हुए लग रहे थे।​

​​वरुण की मौत को तीन दिन गुज़र चुके थे। अश्विन के दिल से उसकी मौत का बोझ हल्का होने लगा था, मगर अब उसकी ज़िंदगी में एक नई मुसीबत ने दस्तक दे दी थी, जिसकी वजह से वह चाहकर भी वरुण की मौत के ख़याल से ऊबर नहीं पा रहा था।​

​​जब-जब उसके दिल से वरुण की मौत का भार हल्का होता, तब-तब शीना उसे कॉल या मैसेज करके वरुण के बारे में बातें करने लगती, और अश्विन बस ख़ामोशी से उसकी बातों को सुनता रहता। अश्विन दो भावनाओं से जूझ रहा था। एक तरफ़ वह वरुण की मौत की वजह से अपने आपको गुनहगार मानने लगा था, और दूसरी तरफ़, उसे शीना से मिलता हुआ अटेंशन अच्छा लगने लगा था।वहीं, शीना भी अश्विन को एक ऐसे दोस्त के रूप में देखने लगी थी, जिस पर वह इमोशनली रिलाय कर सकती थी।​

​​वरुण की मौत को अब एक हफ़्ता गुज़र चुका था। पिछले कुछ दिनों में शीना ने अश्विन के सामने वरुण और अपनी ज़िंदगी की कहानी को खुली किताब की तरह खोलकर रख दिया था। फिलहाल, अश्विन एक दुविधा में फँसा हुआ था और वह इस बारे में फ़ैसला लेने से पहले काफ़ी संकोच कर रहा था।​

​​दरअसल, पिछली रात शीना ने अश्विन को इन्डायरेक्टली सुझाव दिया था कि उन्हें थोड़ा वक़्त साथ में गुज़ारना चाहिए। अश्विन के मन में यह ख़याल था कि अगर ऑफिस में किसी को पता चला, तो तब क्या होगा?​

​​अश्विन शीना के साथ वक़्त बिताना चाहता था। उसे शीना का साथ अच्छा लगने लगा था। उसका दिल उसे खुलकर जीने को कह रहा था, लेकिन दिमाग़…​

​​क्या करेगा अश्विन अब? जानने के लिए पढ़ते रहिए । 

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