अश्विन के कुछ कलीग्स अब उसके साथ बैठकर, उसके डेस्कटॉप पर एक खबर देख रहे थे। खबर के मुताबिक, उत्तर प्रदेश के गाज़ियाबाद ज़िले में नैशनल हाइवै-9 पर एक एसयूवी और ट्रक की टक्कर में एक सत्ताईस वर्षीय युवक को गंभीर हालत में नजदीकी अस्पताल के आईसीयू में भर्ती कराया गया था।
उस युवक की हालत नाज़ुक बताई जा रही थी। उसकी पहचान ऑफिस आइडी से हुई थी। उसका नाम वरुण शर्मा बताया जा रहा था, जो दिल्ली के सुखदेव विहार में रहता था।
सूत्रों के अनुसार, वरुण की गाड़ी का ब्रेक फेल हो गया था, जिससे उसकी गाड़ी ट्रक से तेज़ी से टकरा गई। इस खबर ने पूरे ऑफिस में मातम का माहौल पैदा कर दिया। सभी लोग परेशान और चिंतित नज़र आ रहे थे।
अश्विन डीमोटिवेट हो गया था। उसके मन में डर और अफसोस की एक अजीब सी जकड़न महसूस हो रही थी। इतने में, ऑफिस के कुछ लोग आपस में फुसफुसाते हुए बातें करने लगे:
"अब क्या होगा?"
"हमें वरुण से मिलने जाना चाहिए या नहीं?"
"वरुण ठीक हो तो जाएगा न?"
"अगर वरुण नहीं लौटा तो टीम का अगला लीडर कौन होगा?"
जहाँ एक तरफ कुछ लोग वरुण के प्रति अपनी चिंता व्यक्त कर रहे थे, वहीं दूसरी तरफ, उन लोगों की बातें सुनकर अश्विन अंदर ही अंदर घबराने लगा था।
अचानक, उसे अपनी आँखों के सामने वह मंज़र नज़र आने लगा, जब वह नशे में धुत था और अपनी पहली इच्छा ज़ाहिर कर रहा था। वह दृश्य उसके ज़हन और दिलो-दिमाग में किसी फ़िल्म के सीन की तरह चलने लगा। उसे अपनी ही आवाज़ गूँजती हुई सुनाई देने लगी: "मुझे वरुण जैसा बनना है। मुझे वरुण जैसी ज़िंदगी चाहिए। जादुई ब्रैस्लेट, दिखाओ अपना कमाल!"
अश्विन इस सब से हैरान और परेशान हो गया। वह तुरंत ही वहाँ से उठकर वॉशरूम की ओर बढ़ने लगा। उसके दिमाग में बस वरुण के एक्सीडेंट की बात घूम रही थी। उसके सामने बार-बार वरुण का चेहरा आ रहा था। जैसे ही वह वॉशरूम में पहुँचा, उसने अपना मुँह धोया और खुद को शांत करने की कोशिश की। लेकिन यह सब बेकार रहा।
बार-बार, उसके दिमाग में कभी वरुण के एक्सीडेंट की बात, तो कभी वरुण की बातें गूँजने लगतीं। और कभी, उसे अपनी ही आवाज़ की गूँज सुनाई देती: "मुझे वरुण जैसा बनना है।" अश्विन ने फ़ौरन ही अपने हाँथों को, अपने कानों पर रखा, आँखें बंद कीं, और मन ही मन दाँत पीसते हुए, अविश्वास के साथ बोला।
अश्विन: "ये मैंने क्या कर दिया? क्या सच में इस सबके पीछे उस ब्रैस्लेट का हाथ है? क्या वरुण की इस हालत की वजह वह ब्रैस्लेट है? या मैं हूँ? मेरी इच्छा है? लेकिन ऐसा कैसे हो सकता है? ये एक इत्तिफाक भी तो हो सकता है! मैं शायद इस बारे में बहुत ज़्यादा ही सोच रहा हूँ।"
तभी अचानक, अश्विन को वॉशरूम में किसी के फुसफुसाने की आवाज़ सुनाई दी, जबकि उसके दोनों कान उसके हाथों से ढँके हुए थे। उसने तुरंत अपने हाथ हटाए और इधर-उधर देखने लगा, लेकिन वॉशरूम में उसके अलावा कोई और नहीं था। फिर भी, वह फुसफुसाती हुई आवाज़ और स्पष्ट हो गई। जब अश्विन ने ध्यान से सुना, तो उसने एक दबी हुई आवाज़ को फुसफुसाते हुए कहते सुना: "अपनी इच्छा को याद करो।"
उस आवाज़ को सुनते ही, अश्विन के चेहरे की हवाइयाँ उड़ गईं। उसके कदम लड़खड़ाने लगे। वह घबराहट और हैरानी से भर गया। इतने में, उसके फोन पर कॉल आया। जब उसने फोन उठाकर बात की, तो पता चला कि बॉस अर्जेंटली सबको अपने कैबिन में बुला रहे थे। जैसे ही अश्विन अपने बॉस के कैबिन में पहुँचा, वहाँ का माहौल बेहद गंभीर था।
उसके बॉस ने सभी के सामने उस पर भड़कते हुए कहा: "अश्विन, तुम्हें वरुण शर्मा के क़त्ल के इल्ज़ाम में गिरफ़्तार किया जा रहा है!"
यह सुनते ही, अश्विन के पैरों तले जमीन खिसक गई । उसके सामने एक हवलदार आया और उसे हथकड़ी लगाने लगा।
अश्विन के माथे पर शिकन और चेहरे पर पसीना साफ झलक रहा था। अचानक, उसे अपने कंधे पर किसी के हाथ का एहसास हुआ। वह चौंककर अपने कंधे की तरफ देखने लगा।
उसका सहकर्मी विजय उसके कंधे पर हाथ रखे खड़ा था। तभी अश्विन को एहसास हुआ कि बॉस के कैबिन में पहुँचने के बाद जो कुछ भी उसने अनुभव किया था, वह सिर्फ एक सपना था। उसी पल, कैबिन का दरवाज़ा खुला और सभी चुप हो गए।
बॉस दबे कदमों से चलते हुए अपनी कुर्सी पर जा बैठे। उन्होंने अपना गला साफ किया, पानी की एक घूँट ली और गंभीर लहजे में बोले: "वरुण के एक्सीडेंट की खबर बेहद दुखद है लेकिन उसे अच्छी मेडिकल ट्रीटमेंट मिल रही है। हमें उम्मीद है कि वह जल्द से जल्द ठीक हो जाएगा। तब तक, अश्विन, तुम्हारे कंधे पर वरुण के सभी काम और ऑफिस की सारी ज़िम्मेदारी डाली जाएगी।"
बॉस की बात सुनते ही, सभी ने मन ही मन वरुण के प्रति अफसोस जताया। ऊपर-ऊपर से, उन्होंने अश्विन के प्रति झूठी मुस्कान और खुशी ज़ाहिर करते हुए उसे बधाई दी। दूसरी तरफ, अश्विन के मन में वरुण की हालत को लेकर भारी चिंता और किसी अपराध को करने का भार उमड़ने लगा।
वह खुद को वरुण की हालत का जिम्मेदार ठहराने लगा। अपनी इच्छा के परिणाम का बोझ उसे अंदर से कुचलने लगा। अपराधबोध से दबा अश्विन, अपने बॉस के सामने कुछ भी कहने की स्थिति में नहीं था। उसके पास शब्द ही नहीं थे। उसने बस अपने सिर को हल्की-सी हाँ में हिलाया और चुपचाप वहाँ खड़ा रहा। जिसके बाद, बॉस ने मीटिंग को समाप्त किया, और सभी को जाने को कह दिया।
अश्विन अपने डेस्क पर काम कर रहा था, तभी विजय उसके पास आया और बोला, "क्यों न हम सब, यानी वरुण की टीम के लोग, एक बार अस्पताल जाकर वरुण को देख आएँ।" यह सुनते ही, सभी लोग उम्मीद भरी नज़रों से अश्विन को देखने लगे।
अब क्योंकि बॉस ने वरुण की ज़िम्मेदारी अश्विन के कंधे पर डाली थी, उसे ही इस बात का फैसला लेना था कि क्या टीम के लोग वरुण से मिलने अस्पताल जा सकते हैं या नहीं। अश्विन ने अपने फोन पर वक्त देखा। दोपहर के एक बज रहे थे। उसने गंभीर लहजे में, अपने कलीग्स से नज़रें चुराते हुए, भारी मन से कहा।
अश्विन: "देखो, मैं जानता हूँ कि वरुण हम सबके लिए बहुत मैटर करता है। लेकिन, भगवान न करे, अगर हम में से कोई वरुण की जगह होता और वरुण को इस सवाल का जवाब देना पड़ता, तो वह क्या कहता?
आप लोगों ने इस कंपनी में वरुण के साथ मुझसे ज़्यादा वक्त बिताया है। आपको उसका नेचर अच्छे से पता है। जितना आप उसे जानते हैं, उतना मैं भी उसे जानने लगा था। इसलिए, ऐसे वक्त में इस मुश्किल सिचुएशन को और मुश्किल मत बनाइए।"
उसकी बात सुनकर, सभी कलीग्स का मुँह उतर गया। यह देखकर अश्विन को और बुरा महसूस होने लगा। अश्विन ने शांति से, अपने साथियों को दबी आवाज़ में समझाने की कोशिश की।
अश्विन: "वह आई.सी.यू. में है। उसकी कंडीशन क्रिटिकल होगी। सभी का जाना मुमकिन नहीं है। आप लोग चाहें तो कल सुबह उससे मिलने जा सकते हैं। अब अपने-अपने काम पर लग जाइए।"
जैसे ही अश्विन लगभग शाम के आठ बजे के आसपास अस्पताल पहुँचा, उसने दूर से ही आई.सी.यू. के बाहर स्टील के बेंच पर बैठे दो बूढ़े लोगों को देखा। उनकी निगाहें आई.सी.यू. के दरवाज़े पर टिकी थीं, मानो उनकी जान वहीं अटकी हो। अश्विन ने तुरंत उन्हें पहचान लिया। वे वरुण के माता-पिता थे, जिनकी तस्वीर उसने कई बार वरुण के फोन पर देखी थी। उन्हें देखकर, अश्विन को अपने आप पर गुस्सा आने लगा। अश्विन ने मन ही मन अफसोस जताते हुए कहा।
अश्विन: "ये मुझसे क्या हो गया, यार? अगर वरुण को कुछ हुआ, तो मैं खुद को कभी माफ नहीं कर पाऊँगा।"
तभी, अश्विन के पास से एक लड़की गुजरी। उसका चेहरा अश्विन ने नहीं देखा, लेकिन न जाने क्यों, वह लड़की उसे जानी-पहचानी सी लग रही थी। वह लड़की जैसे ही वरुण के माता-पिता के पास पहुँची, वे रोते-रोते उसके गले लग गए। उसने उन्हें दिलासा देते हुए बिठाया और खुद भी उनके पास बैठ गई। तब, अश्विन ने पहली बार उस लड़की का चेहरा देखा और चौंक गया। अश्विन ने चौंकते हुए, मन ही मन बड़बड़ाते हुए कहा।
अश्विन: "रात के दस बज रहे हैं, इतनी रात गए शीना यहाँ क्या कर रही है? कहीं वो वरुण की कोई रिश्तेदार या दोस्त तो नहीं? लेकिन ऑफिस में तो मैंने उन्हें कभी साथ में देखा ही नहीं। इन फ़ैक्ट, मैंने तो शीना को हमेशा बहुत ज़्यादा रिज़र्व्ड रहते हुए देखा है।"
तभी अचानक, शीना की भी नज़र अश्विन पर पड़ी, और जैसे ही अश्विन को इस बात का अंदाज़ा हुआ, तो वह ज़रा हैरान हो गया। फिर उसने देखा कि शीना उसकी तरफ ही आ रही थी। जैसे ही शीना अश्विन तक पहुँची, उसने उदास चेहरे और नम आँखों के साथ अश्विन की ओर देखकर कहा।
शीना:"यहाँ आने के लिए शुक्रिया, अश्विन।"
अश्विन: "वरुण की हालत कैसी है?"
शीना: "फ़िलहाल क्रिटिकल है, तो कुछ कह नहीं सकती। उम्मीद करती हूँ कि वह जल्द से जल्द ठीक हो जाए बस! दरअसल, हम दोनों काफ़ी समय से एक साथ हैं, लेकिन ऑफिस की पॉलिसी की वजह से हमने किसी को कुछ बताया नहीं।"
शीना ने दुख के साथ, कुछ सोचते हुए अश्विन की ओर देखा। उसकी बात सुनकर, अश्विन के चेहरे पर घने चिंता के बादल उमड़ पड़े। शीना को लगा कि अश्विन शायद वरुण के साथ गहरी तरह से जुड़ गया था। उसने उसे उसके खयालों के साथ अकेला छोड़ने का फैसला किया और वापस वरुण के माता-पिता के पास जाकर बैठ गई।
वहीं, अश्विन बिना किसी से कुछ कहे, धीरे-धीरे मुड़कर वापस जाने लगा।अश्विन ने खुद पर गुस्सा करते हुए मन ही मन कहा।
अश्विन: "ये सब मेरी वजह से हुआ है।" मेरी एक इच्छा की वजह से वरुण, उसके मम्मी-पापा और शीना, सब पर दुख-दर्द का पहाड़ टूट पड़ा है।" "मैं उम्मीद करता हूँ कि वरुण जल्दी से ठीक हो जाए।" "अगर कुछ उल्टा-सीधा हो गया, तो मैं क्या मुँह दिखाऊँगा?"
अश्विन के मन में बहुत सारे विचार दौड़ रहे थे। उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था। इसके बाद, वह मुँह लटकाए हुए अस्पताल से बाहर चला गया। अब क्या करेगा अश्विन? क्या यह वाकई उस ब्रैस्लट का किया धरा है या कुछ और? जानने के लिए पढ़ते रहिए।
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