​​अश्विन हिंदुस्तान के सबसे प्रेस्टिजियस ऐडवर्टाइजिंग कॉन्क्लेव में था, जहाँ विज्ञापन की दुनिया के जाने-माने दिग्गज और बेताज बादशाह इकट्ठा हुए थे। उसी कॉन्क्लेव के एक पैनल डिस्कशन में, ऐडवर्टाइजिंग स्टूडेंट्स ने अश्विन से सवाल किया,  ​​"अश्विन सर, सुना है कि आप पहले मुंबई की एक फेमस ऐड एजेंसी में काम किया करते थे, और फिर आपने दिल्ली आने का फैसला किया। यहाँ भी आपने बहुत संघर्ष किया होगा मगर, आज आप खुद एक मल्टीनेशनल ऐडवर्टाइजिंग एजेंसी के सी.ई.ओ. हैं। क्या आप हमें अपने इस सफर के बारे में कुछ बताना चाहेंगे?" ​​अश्विन ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया।  ​

​​आश्विन: मैं ज़्यादा कुछ तो नहीं कहूँगा, बस इतना ही कि क्रिएटिव स्टोरी-टेलिंग आज के वक़्त की डिमांड है। इसके लिए आपको चाहिए विज़न, जो हर किसी के पास नहीं होता।​

​​अगर कोई कहता है कि उनके पास विज़न है, तो फिर वो क्लाइंट की बे-सिर-पैर की डिमांड्स के सामने घुटने क्यों टेक देते हैं? मैंने वैसा नहीं किया इसलिए, मैं आज आपके सामने हूँ इस मुकाम पर हूँ।"​

​​अश्विन के जवाब से वह जगह तालियों की गूँज से भर गई। पैनल में बैठे अन्य गेस्ट और ऑडियंस को अश्विन का अंदाज़ खूब भाया। सवाल-जवाब का सिलसिला जारी था। अगले व्यक्ति ने अश्विन से फिर सवाल किया: ​​ "सर, क्या आप आज की युवा पीढ़ी को कुछ कहना चाहेंगे, जो ऐडवर्टाइज़िंग की दुनिया में आना चाहते हैं?"​

​​अश्विन: "मैं यही कहना चाहूँगा कि..."​

​​ओहो! यह तो सरासर बदकिस्मती है - क्लाइमैक्स में ऐसा तो नहीं होना चाहिए! बड़ा अन्याय हुआ। कुछ लोग यह भी कह पड़े, ​​"देश की राजधानी में आज भी बिजली गुल क्यों होती है? अगले चुनाव में नया सी.एम. लाएँगे!"​

​​यह निराशा, नींद में संघर्ष करते हुए, अश्विन के साथ हो रही थी। मतलब, अश्विन सपना देख रहा था और उससे जागने की उसकी कोई इच्छा नहीं थी मगर, बिजली सिर्फ उसके सपने में ही नहीं, असल ज़िंदगी में भी गुल हो चुकी थी। बड़े ही खराब मूड के साथ, अश्विन के दिन की शुरुआत हो रही थी।​

​​एक-डेढ़ आँख खोलते हुए, अश्विन को अपनी सातबेली की ट्रिप याद आई, जहाँ बिजली के आने-जाने की समस्या बहुत आम थी। अचानक, उसकी नज़र अपने दाहिने हाथ पर पड़ी। ​​वह इस बात पर हैरान था कि वह ब्रेस्लेट पहनकर ही सो गया था! गर्मी की वजह से वह अब पसीने से तरबतर हो रहा था। ​

​​अश्विन:  "अरे यार! नींद भी खराब हुई, और सपना भी।"​

​​तभी, उसे अपनी आई की कही बात याद आई, जो वह अक्सर दोहराया करती थीं: ​​"सुबह का सपना अक्सर सच होता है।" ​​अश्विन ने लेटे-लेटे करवट बदली और साइड टेबल से अपना फोन उठाकर समय देखा। रात के तीन बज रहे थे। एक और गहरी साँस लेते हुए, अश्विन ने कहा​

​​अश्विन: "चलो... आधी रात में हवा का मज़ा लिया जाए।"​

​​वह फोन की फ्लैशलाइट ऑन करके बिस्तर से उठा, साइड-टेबल से सिगरेट और लाइटर लिया, और बरामदे में जा पहुँचा। वहीं बैठकर, उसने ब्रेस्लेट को निहारते हुए अपने सुनहरे सपने का स्वाद लेने की कोशिश की। बड़े दिनों बाद उसने ऐसा बढ़िया सपना देखा था। उसने खुद को एक ऐसी दुनिया में देखा, जहाँ उसकी हर इच्छा पूरी हो चुकी थी।​

​​अश्विन ने अपने सपने में खुद को एक ऐसी ज़िंदगी जीते हुए देखा था, जहाँ उसकी ऐड फ़र्म बड़ी ऊँचाइयों पर पहुँच चुकी थी। वह बड़े-बड़े कलाकारों के साथ उठता-बैठता था। बिज़नेस की ख़बरों में उसकी चर्चा होती रहती थी।​

​​महँगी गाड़ियाँ, शानदार घर, और चारों ओर उसकी दौलत और शोहरत की गूंज थी। लोग उसे सफल मान रहे थे, और उसकी ऐड फ़र्म का नाम दुनिया के कोने-कोने में फैल चुका था। पर अचानक बिजली चले जाने से उसका सारा मूड बिगड़ गया।​

​​बरामदे में हवा का मज़ा लेते हुए, अश्विन ने एक सिगरेट सुलगाई और पहला कश लिया। पहला कश, हमेशा जादुई होता है। जादू से उसे अचानक ब्रेस्लेट याद आ गया। उसका मन अभी भी उसी पर टिका हुआ था।  ​

​​अश्विन:  "भले ही वो एक सपना था, मगर सब कुछ कितना असली लग रहा था। एक ऐसी ज़िंदगी तो मैं भी डिज़र्व करता हूँ।"​

​​उसने यह सवाल खुद से किया और गहरी सोच में पड़ गया।​

​​अश्विन: "पर ऐसा मुमकिन हो सकता है क्या?"​

​​इतने में बिजली वापस आ गई। वह अंदर जाकर, अपने बिस्तर पर लेट गया, अपने पसंदीदा पोज़िशन में।​

​​उसकी नज़र फिर अपने हाथ पर पड़ी। मुस्कुराते हुए, उसने अपना सिर हल्के से झटकते हुए ब्रेस्लेट उतारा और बिस्तर की गीली वाली साइड पर रख दिया। थोड़ी देर तक ब्रेस्लेटको निहारते हुए, वह गहरी सोच में डूबा और धीरे-धीरे सो गया।​

​​सुबह उसकी नींद, अलार्म बजने से पहले ही खुल गई। वह हड़बड़ाकर उठा और ऑफिस जाने के लिए तैयार होने लगा। तभी अचानक, उसे अपने सपने की याद आ गई। उसने खुद को समझाते हुए कहा​

​​अश्विन:  "ये सब बस मेरा वहम है। सपना तो आखिर हमारे सबकॉनशियस माइंड की इमैजिनेशन ही होती  है। मुझे इस सबके बारे में ज़्यादा सोचना नहीं चाहिए।"​

​​तैयार होने के बाद, जब उसने अपना मोबाइल बिस्तर से उठाया और डेट व दिन देखा, तो चौंक गया!​

​​अश्विन: "अरे यार! आज तो संडे है।"​

​​इसके बाद, उसने कपड़े बदले और वापस, बिस्तर पर लेटते ही सो गया। उसकी आँख दोपहर के बारह बजे मोबाइल बजने से खुली। अंगड़ाई लेते हुए देखा कि उसकी आई का कॉल आ रहा था। उसने तुरंत फोन उठाया और अपनी आई से बात करने लगा।​

​​बातों-बातों में, उसकी आई ने उससे उसके काम और नए ऑफिस के बारे में पूछ लिया। यह पहली बार था जब अश्विन ने उनके सवाल का खुशी-खुशी जवाब दिया। इस खुशी का कारण वरुण था, जिसकी बातों ने उसे काफ़ी मोटिवेट किया था। इसके बाद, माँ-बेटे इधर-उधर की बातें करने लगे। बातों के दौरान, उसकी आई ने उदास लहजे में उससे पूछा, ​​"तू घर कब तक आ पाएगा?"​

​​इस सवाल का अश्विन के पास न कोई जवाब था और न ही घर लौटने का कोई प्लान। उसने बातों को घुमाने की कोशिश की, लेकिन उसकी आई की सुई उसी सवाल पर अटक गई थी। ऐसा लग रहा था जैसे उनकी जान उसी सवाल में अटकी हुई हो।​

​​अश्विन ने बात टालने के लिए अपनी आई से कह दिया कि वह शायद दिवाली पर ही घर लौटेगा, वह भी सिर्फ दो-तीन दिनों के लिए, और फिर वापस दिल्ली लौट आएगा। अपनी आई को एक झूठी उम्मीद देने के बाद, वह बिस्तर से उठा और घर कि साफ़-सफ़ाई करने  लग गया।​

​​शाम होते-होते, उसने सोचा कि बचे-खुचे संडे को थोड़ा-बहुत एन्जॉय किया जाए। वह पास के ठेके से ठंडी बियर और मूँगफली ले आया। फिर, बरामदे में बैठकर, धीमी चलती हवाओं के साथ, बियर और सिगरेट का मज़ा लेने लगा। उसी दौरान, रजत का फ़ोन आ गया। दोनों गप्पे मारने में व्यस्त हो गए।​

​​रात के समय, नशे में धुत अश्विन अपने बिस्तर पर लेटा हुआ था। उसने हाथ में ब्रेस्लेट पहन रखा था और उसे निहारते हुए गहरी सोच में डूबा हुआ था। वह यह सोच रहा था कि अगर यह ब्रेस्लेट वाकई जादुई है, तो क्या उसे उससे कुछ माँगना चाहिए? अगर उसने कुछ माँगा, तो यह ब्रेस्लेट उसकी ज़िंदगी से ऐसा क्या ले जाएगा, जिसकी उसे ज़रूरत नहीं थी?​

​​अचानक, उसने महसूस किया कि उसकी दिल की धड़कनें तेज़ होने लगीं। बार-बार उसके दिमाग में यह ख़याल आने लगा कि उसे वरुण जैसा बनना है। वह अब वरुण का राइट हैंड बनकर थक चुका था। उसे सेकंड बेस्ट नहीं, बेस्ट बनना था। वह अपने बचकाने ख़यालों, गिरधारी की बातों, और ख़ुद पर हँसते हुए, ब्रेस्लेट के टिमटिमाते हुए क्रिस्टल्ज़ पर हाथ फेरते हुए बोला।  ​

​​अश्विन: "मुझे वरुण जैसा बनना है। मुझे वरुण जैसी ज़िंदगी चाहिए। जादुई ब्रैस्लेट, दिखाओ अपना कमाल!"​

​​अपनी बात कहते हुए, अश्विन ज़ोरों से हँसने लगा। उसकी हँसी की आवाज़ अंधेरे कमरे में गूँज उठी। अचानक, उसे ऐसा लगा कि ब्रेस्लेट तेज़ी से चमक उठी हो। मगर फिर उसने सोचा कि शायद यह उसका भ्रम था। उसकी आँखों का धोखा हो सकता था। आखिर, ऐसा तो अक्सर हो ही जाता है जब इंसान ज़्यादा पी ले।​

​​तकरीबन चार दिन बाद, अश्विन ने ऑफिस की एक क्लाइंट मीटिंग में, वरुण, अपने कलीग्स, सी.ई.ओ., और क्लाइंट के सामने, अपने आइडियाज बड़े आत्मविश्वास के साथ प्रेजेंट किए। उसकी प्रेजेंटेशन इतनी शानदार थी कि सभी लोग उससे काफ़ी इंप्रेस हुए। क्लाइंट ने एजेंसी को प्रोजेक्ट दिया और चला गया।​

​​इसके बाद, सभी ने अश्विन और उसके आइडिया की इतनी तारीफ की, जितनी उसने आज तक कभी नहीं सुनी थी। हर तरफ से वाह-वाही बटोरने और सभी की आँखों में अपने लिए इज़्ज़त देखने के बाद, अश्विन अंदर ही अंदर ख़ुशी से झूम उठा। उसने मन ही मन, ख़ुश होकर खुद से कहा।​

​​अश्विन: "आख़िरकार, मेरी मेहनत रंग लाई। आज पता चला कि सब्र का फल कितना मीठा होता है!"​

​​उस रात, अश्विन ठेके से शराब लेकर घर लौटा। फ्रेश होते ही, वह खुशी से नाचते-गाते और झूमते हुए शराब का मजा लेने लगा। फिर, न जाने उसे क्या सूझा कि उसने अपनी अलमारी से वह ब्रेस्लेट निकाली। अश्विन ने ब्रेस्लेट की ओर घूरते हुए, हँसते हुए कहा​

​​अश्विन:"अबे काहे का जादू! भिंडी! ये सब मेरी मेहनत का नतीजा है। मुझे तो पता ही था कि ये जादू-वादू सब बकवास है!"​

​​अगली सुबह, जब अश्विन ऑफिस पहुँचा, तो वह अपने काम में लग गया। उसके कलीग्स उसे देखकर मुस्कुराते हुए, "हाई-हैलो-गुड मॉर्निंग" बोलने लगे। माहौल अच्छा था और सब कुछ सामान्य लग रहा था। तभी, एक कलीग घबराते और हाँफते हुए उस फ्लोर पर आया। उसने कहा, "बुरी खबर है!" यह सुनते ही सबका ध्यान उसकी ओर गया। उसने अपने फोन पर एक वीडियो चलाया। आस-पास जो भी मौजूद थे, सब उसके इर्द-गिर्द जमा होकर वह वीडियो देखने लगे।​

​​अश्विन को लगा कि शायद कोई मामूली बात होगी। वैसे भी वह उस कलीग से ज्यादा क्लोज़ नहीं था, तो उसने उसकी बात पर ध्यान नहीं दिया। तभी, वीडियो की आवाज़ उसके कानों तक पहुँची। उस आवाज़ को सुनते ही, जैसे शरीर में सुरसुरी दौड़ गई हो। घबराकर, वह भी फौरन उस भीड़ में शामिल हो गया। वीडियो देखते-देखते, अश्विन घबरा गया। उसने एक हाथ से अपने बाल दबोचते हुए हड़बड़ाहट में कहा।​

​​अश्विन: "ओह माइ गॉड !!"​

​​ऐसा क्या था उस विडिओ में जिसे देखकर अश्विन इतना घबरा गया? जानने के लिए पढ़ते रहिए। ​ 

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