एपिसोड – 22:तलाश

 

“सर, मैं आज शायद ऑफिस नहीं आ पाऊंगा।” मेल्विन ने कहा, “मुंबई शहर में ट्रेवल करना इस समय बहुत रिस्की है।”

“ठीक है मेल्विन।” मिस्टर कपूर ने कहा और फिर फोन महेश को थमा दिया। 

“महेश, अगर बॉस तुम्हारे साथ खड़े थे तो कम से कम मुझे बताना तो चाहिए था।” मेल्विन ने गुस्सा करते हुए कहा। 

“मैं उनके सामने खड़े रहने पर तुमसे कैसे बता सकता हूं मेल्विन?” महेश ने पूछा। 

“इशारा तो कर ही सकते थे।” मेल्विन ने कहा। 

“फोन पर?” महेश ने पूछा, “मेल्विन, तुम इस समय जो कर रहे हो उस पर फोकस करो। मैं फोन रखता हूं।”

मेल्विन ने जब फोन रखा तो देखा डॉक्टर ओझा और पीटर कर से बाहर उतर चुके हैं और अपना पेट पकड़ कर जोर–जोर से हंस रहे थे। 

“आप दोनों का हंसना हो गया हो तो आगे चले?” मेल्विन ने पूछा तो दोनों अपनी हंसी कंट्रोल करके कर के पास वापस आ गए। 

“मिस्टर कपूर आप दोनों का बॉस होता तो मैं भी ऐसे ही हंसता।” मेल्विन ने मुस्कुराते हुए कहा।

पीटर ने हंसते हुए जवाब दिया, “आज लगता है तुमने सबको हंसाने का ठेका ले रखा है। रेबेका की तुम्हें अब बिल्कुल फिक्र नहीं है मेल्विन?”

“बिल्कुल फिक्र है पीटर।” मेल्विन ने कहा, “मुझे समझ में नहीं आता कि मैंने ऐसा क्या कह दिया है जो तुम दोनों इतना हंस रहे हो।” 

मेल्विन, रेबेका के बारे में सोचो! तुम्हें हंसने की वैसे भी जरूरत नहीं है।” पीटर ने इतना कहा और कार को एक बार फिर आगे बढ़ा लिया। 

“बारिश अब पूरी तरह थम चुकी थी। 3 किलोमीटर का सफर पूरा करने में उन्हें 1 घंटे से ज्यादा का समय लग गया था।

“आज किस्मत भी साथ दे रही है मेल्विन!” डॉक्टर ओझा ने कहा, “आमतौर पर इतनी बारिश में ट्रैफिक रुक जाती है। लेकिन आज रेंगते हुए ही सही, हम अपनी मंजिल पर पहुंच रहे हैं।”

“और कितनी दूर है रेबेका का घर?” मेल्विन ने पीटर से पूछा। 

“यहीं कहीं होना चाहिए।” पीटर ने बिल्डिंग के बाहर दीवार पर लगे नेम प्लेट को पढ़ते हुए कहा, “आप लोग भी जरा नजर दौड़ाइए।” पीटर ने कहा तो मेल्विन और डॉक्टर ओझा ने भी नेम प्लेट पढ़ना शुरू कर दिया। 

“मैं तो कहता हूं कोई ढंग की जगह देखकर कार को साइड लगा दो। इससे हमें मिस रेबेका का घर ढूंढने में आसानी होगी।”

पीटर ने यही किया। उसने एक खाली जगह देखकर कार साइड में लगा दी। 

“डॉक्टर साहब, आप यहीं कार में रुकिए। मैं और मेल्विन मिस रेबेका के घर जाकर आते हैं।”

“ठीक है पीटर।” डॉक्टर ओझा ने कहा, “जल्दी करना तुम दोनों।”

“हम रिसेप्शन पार्टी में नहीं जा रहे हैं डॉक्टर साहब। जल्दी ही लौट आएंगे।” पीटर ने कहा। 

जिस जगह पर उन्होंने कार पार्क किया था वहां भी चारों ओर पानी भरा हुआ था। बादल छंट चुका था और लोग अब सड़कों पर चलते–फिरते दिखाई देने लगे थे। मुंबई का ऐसा ही है। चाहे जितनी बड़ी आफत आ जाए ये कभी रुकती नहीं।

“क्या तुम स्योर हो कि रबेका का घर इधर ही कहीं है?” मेल्विन ने पीटर से पूछा, “यहां तो सैकड़ो बिल्डिंग्स हैं।”

“हम एक छोटी सी जगह पर हजारों लोगों के बीच मिस रेबेका को ढूंढने मुंबई शहर में निकले थे मेल्विन। यह तो फिर भी एक लाइन से खड़े कुछ बिल्डिंग्स हैं। हम उसे ढूंढ लेंगे।” पीटर ने कहा तो मेल्विन का कॉन्फिडेंस भी कुछ बड़ा।

आगे दो सोसायटी दिखाई दे रही थी। यहां आकर मेल्विन और पीटर कन्फ्यूज्ड हो गए।

“अब क्या करें पीटर? अगर रेबेका इनमें से किसी एक सोसायटी में रहती होगी तो हम उसे कैसे ढूंढेंगे?” मेल्विन ने पूछा, “हम रेबेका की फ्रेंड को कॉल करके पूछ भी नहीं सकते। उसका नंबर भी डॉक्टर ओझा के पास है।”

“लेकिन हम डॉक्टर ओझा को तो कॉल कर सकते हैं मेल्विन।” पीटर ने कहा, “आज तुम्हारे सिक्स्थ सेंस को हुआ क्या है? मैं उन्हें कॉल करके मिस रेबेका की फ्रेंड का नंबर लेता हूं।”

पीटर ने डॉक्टर ओझा को कॉल लगाया। 

“हेलो डॉक्टर साहब, जरा मिस रेबेका की फ्रेंड का नंबर मुझे व्हाट्सएप करना।” पीटर ने फोन पर कहा, “हम यहां आगे आकर एक जगह पर कन्फ्यूज्ड हो गए हैं।”

“ठीक है, मैं तुम्हें नंबर भेजता हूं।” डॉक्टर ओझा ने इतना कहकर फोन कट कर दिया। 

व्हाट्सएप पर नंबर मिलते ही पीटर ने रेबेका की फ्रेंड को कॉल किया।

“हेलो मिस जूली।” पीटर ने फोन पर कहा तो सामने से जवाब आया, “जी, कहिए मिस्टर पीटर। रेबेका का कुछ पता चला?”

“नहीं। आप मुझे यह बताइए कि क्या रेबेका किसी सोसायटी में रहती है?” पीटर ने पूछा। 

“नहीं, रेबेका किसी सोसायटी में नहीं रहती। उसका खुद का बंगला मलाड में है। सोसाइटी से जस्ट पहले।” रेबेका की फ्रेंड ने फोन पर पीटर को बताया। 

“ओके, थैंक यू सो मच मिस जूली। जैसे ही हमें मिस रेबेका के बारे में कुछ पता चलता है, हम आपको फोन करके बता देंगे।”

“मेल्विन हम मिस रेबेका के घर के आसपास ही कहीं खड़े हैं। सोसाइटी हमारे सामने दिख रही है। मिस रेबेका की फ्रेंड ने कहा है कि सोसाइटी से पहले ही मिस रबेका का बांग्ला है।” पीटर ने फोन पर हुई बातचीत का ब्योरा देते हुए मेल्विन से कहा।

“आओ, आगे किसी से पूछते हैं। शायद हमें कोई जानकारी दे सके।” मेल्विन ने कहा और वहां से गुजर रहे एक आदमी को रोकते हुए पूछा, “भाई साहब, यहां मिस्टर एंड मिसेज फर्नांडिस का बांग्ला कहां है।”

“वो सामने तो रहा।” उस आदमी ने हाथ से इशारा करते हुए बताया। 

जिस जगह पर मेल्विन और पीटर खड़े थे वहां से करीब 50 मीटर की दूरी पर एक छोटा सा बंगला दिखाई दे रहा था। ये बंगला आगे बने एक बिल्डिंग से ढका हुआ था इसलिए उस पर मेल्विन और पीटर की नजर नहीं पड़ रही थी। 

मिस रेबेका का घर अपनी आंखों के सामने देखकर मेल्विन की दिल की धड़कन अचानक बढ़ गई थी।

“अब उसके बंगले को यूं ही घूरते रहना है या अंदर भी चलना है मेल्विन? हमारे पास आज का पूरा दिन नहीं है। हम यहां सिर्फ मिस रेबेका के बारे में पता लगाने आए हैं। उन्हें ढूंढने में हमें न जाने कितना टाइम लग जाए।”

“आओ, चलते हैं पीटर। अगर वहां से मिस रेबेका के बारे में हमें कुछ भी जानकारी मिल गई तो उसे हम ढूंढ ही लेंगे।” मेल्विन ने आत्मविश्वास से कहा।

मेल्विन और पीटर चलते हुए बंगले के गेट पर आए। गेट पर एक गार्ड खड़ा था।

“किससे मिलना है आपको?” गार्ड ने दोनों के करीब आते ही पूछा।

“हमें मिस्टर एंड मिसेज फर्नांडीज से मिलना है। उनकी बेटी मिस फर्नांडीज कहीं गायब हो गई हैं। इसी बारे में हम उन्हें बताने आए हैं।” मेल्विन ने कहा। 

“क्या? रेबेका कहीं गायब हो चुकी है!” गार्ड ने चौंकते हुए पूछा, “मिस्टर फर्नांडीज को अगर ये बात मालूम चलेगी तो तूफान आ जाएगा।”

“जी बिल्कुल। इसलिए हम उनकी मदद करने आए हैं। अगर आप उन्हें हमारे यहां आने की खबर दे दें तो हम जल्दी रेबेका को ढूंढ लेंगे।” मेल्विन ने आगे कहा।

गार्ड ने वहीं से एक कॉल लगाया और किसी को इस बात की सारी जानकारी दी। दो मिनट के अंदर एक बुजुर्ग जोड़ा हड़बड़ाते हुए बाहर आया।

कौन हैं आप लोग? और किसने आप लोगों से ये कहा कि रबेका मिसिंग है?” उस बुजुर्ग आदमी ने मेल्विन से पूछा। वो शायद रबेका के पिता थे।

“हेलो अंकल, मेरा नाम मेल्विन फर्नांडीज है। हमें रेबेका की एक फ्रेंड से ये पता चला है कि रबेका आज घर से स्कूल के लिए निकली तो थी लेकिन वे स्टेशन तक भी नहीं पहुंची। वे पिछले 4 घंटे से मिसिंग है। आप लोगों की उनसे आखिरी बार कब बात हुई थी?” मेल्विन ने पूछा। 

“रेबेका घर से निकलने के बाद अक्सर लंच टाइम में ही हमें फोन करती है। आज हमारी उससे फोन पर अब तक कोई बातचीत नहीं हुई है।” रेबेका की मां ने बताया।

“1 मिनट, मैं अभी रेबेका को कॉल लगा कर देखता हूं।” रेबेका के पिता ने कहा और अपनी जेब से मोबाइल फोन निकाल लिया।

उन्होंने रेबेका के मोबाइल पर कॉल किया। दूसरी तरफ रिंग जा रही थी लेकिन कॉल पिक नहीं किया जा रहा था।

“रेबेका के फोन की घंटी बज रही है।” रेबेका के पिता ने कहा, “लेकिन वो फोन नहीं उठा रही है।”

“आप दोनों को हमारे साथ चलना होगा सर।” मेल्विन ने कहा, “रेबेका की मिसिंग रिपोर्ट हमें थाने में रिपोर्ट करनी होगी।”

“ठीक है, मैं गाड़ी बाहर निकलता हूं।” रेबेका के पिता ने जल्दबाजी दिखाते हुए कहा।

“मैं अपने भाई रूसो और टॉम को फोन लगाती हूं। वे दोनों भी अगर यहां आ जाएंगे तो रेबेका को ढूंढने में आसानी होगी।”

इतना कहकर रेबेका की मां ने फोन निकाल लिया। वे जल्दी-जल्दी कहीं कॉल लगाने लगी।

“मिस्टर मेल्विन, ये उस स्कूल का फोन नंबर है जहां रेबेका पढ़ाती है। आप वहां कॉल करके रेबेका के बारे में पूछताछ कीजिए। हो सके तो वहां विजिट भी कीजिए। मैं आपको एड्रेस देता हूं।”

रेबेका के पिता ने दो–तीन बातें मेल्विन को समझाई। और उसे कुछ नोट कराया। मेल्विन ने उसे फटाफट अपने दिमाग में नोट कर लिया।

“पीटर, जल्दी करो! हमें रेबेका के स्कूल पहुंचना है। क्या पता उसने आज स्कूल जाने के लिए कोई दूसरा रास्ता चुना हो और किसी कारण फोन न उठा पा रही हो। या उसका फोन ही मिसिंग हो।” दोनों जल्दी-जल्दी उस जगह पर पहुंचे जहां कार में बैठे डॉक्टर ओझा उनका इंतजार कर रहे थे।

“क्या हुआ मेल्विन? मिस रेबेका का घर तुम दोनों को मिला?” उन दोनों को देखते ही डॉक्टर ओझा ने पूछा।

“हां डॉक्टर साहब।” मेल्विन ने कहा, “हमारी मुलाकात रेबेका के माता-पिता से हुई है। उन्होंने हमें स्कूल का एड्रेस दिया है और कुछ कॉन्टैक्ट नंबर भी दिए हैं। हमें इन नंबर पर कॉल करके बात करनी है और रेबेका का स्कूल भी विजिट करना है। हो सकता है रेबेका वही हो।”

“ठीक है।* डॉक्टर ओझा ने कार की स्टीयरिंग संभालते हुए कहा, “पीटर, जरा गूगल मैप पर देखकर बताओ कि ये स्कूल यहां से कितनी दूर है।”

रेबेका के पिता ने मेल्विन को जो एड्रेस दिया था उसे पढ़कर पीटर ने सर्च किया। उस एड्रेस को गूगल मैप पर सर्च करने पर पता चला कि मलाड का वो स्कूल उनके करंट लोकेशन से 15 किलोमीटर दूर स्थित है।

“यहां पहुंचने में तो हमें दो-तीन घंटे लग जाएंगे।” डॉक्टर ओझा ने कहा, “आज हम दोनों इस रेंगते हुए ट्रैफिक में बीमार पड़ने वाले हैं।”

“बीमार नहीं, बहुत बीमार। मेल्विन के चक्कर में हम बहुत दूर तक निकल आए हैं डॉक्टर साहब। मुझे लगा था कि जल्दी से हम मेल्विन को मिस रेबेका से मिला देंगे और हमारा काम खत्म हो जाएगा। लेकिन ये काम तो खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा है।” पीटर ने कहा।

“तुम्हें अब भी हमारे मिलन की पड़ी है पीटर?” मेल्विन ने कहा, “यहां रेबेका का पता नहीं चल रहा है और तुम अलग ही ख्यालों में खोए हुए हो। मुझे डर लग रहा है कि कहीं मिस रेबेका हमें वापस मिले ही न तो।”

“इतना नेगेटिव सोचने की जरूरत नहीं है मेल्विन।” डॉक्टर ओझा ने कहा, तभी उनके फोन की घंटी बज उठी थी। फोन पर रामस्वरूप जी थे।

“हेलो डॉक्टर साहब, मिस रेबेका का कुछ पता चला?” डॉ ओझा के फोन उठाते ही राम स्वरूप जी ने पूछा।

“नहीं राम स्वरूप जी। हम अभी-अभी मिस रेबेका के घर से आ रहे हैं। हमने उनके माता-पिता को ये खबर दे दी है। वे पुलिस स्टेशन में रिपोर्ट करने के लिए निकल चुके हैं।” पीटर ने राम स्वरूप जी को जानकारी देते हुए कहा, “अभी हम मिस रेबेका के स्कूल में जा रहे हैं, जहां वो पढ़ाती है।”

“मतलब तुम अब मलाड की तरफ आ रहे हो?” रामस्वरूप जी ने पूछा, “मैं भी आज बैंक नहीं गया हूं। यही मलाड में रुक गया हूं। लक्ष्मण भी मेरे साथ है। आप दोनों जल्दी यहां आ जाइए। हम भी आपकी मदद करेंगे।”

“रामस्वरूप जी, अगर आप मलाड में ही हैं तो मैं आपको एक स्कूल का एड्रेस भेज रहा हूं। हमें वहां पहुंचने में देर हो सकती है। तब तक आप इस स्कूल में जाकर मिस रेबेका के बारे में जानकारी निकालिए।” डॉक्टर ओझा ने तुरंत दिमाग दौड़ते हुए रामस्वरूप जी से कहा।

“ठीक है डॉक्टर साहब!”

रामस्वरूप जी ने तुरंत फोन कट कर दिया। डॉक्टर ओझा ने वो एड्रेस और कॉन्टैक्ट नंबर रामस्वरूप जी को फॉरवर्ड कर दिया।

“चलो, कम से कम एक काम तो जल्दी हुआ। राम स्वरूप जी और लक्ष्मण मिस रेबेका के स्कूल में जाकर इंक्वारी कर लेंगे। मुझे लगता है कि अब हमें इतना लंबा सफर नहीं करना चाहिए मेल्विन।” पीटर ने कहा। 

“रेबेका के माता-पिता पुलिस स्टेशन के लिए निकल चुके हैं। स्कूल में हमने रामस्वरूप जी और लक्ष्मण को भेज दिया है। अब हम किस तरफ जाएंगे पीटर?” मेल्विन ने पूछा।

 

क्या रेबेका का पता चल पाएगा? वो आखिर इस वक्त कहां है? स्कूल से रेबेका के बारे में कोई जानकारी मिल सकेगी? मेल्विन रेबेका को ढूंढने के लिए क्या करेगा?






 

 

Continue to next

No reviews available for this chapter.