एपिसोड – 21: गुमशुदा
“हेलो सर!” पीटर ने ड्यूटी पर उस हवलदार से कहा जिसने अपने हाथ में लाउड हेलर लेकर खड़ा था, “आपकी एक मदद की जरूरत है।”
“हां, बोलो! क्या बात है?” हवलदार ने कहा, “एक मिनट, ये भोंपू आप मुझे दे दीजिए। क्या पता आपको मेरी बात पसंद न आए और आप मेरे सिर पर भोंपू दे मारे।” पीटर ने कहा।
उसने प्यार से उस हवलदार के हाथ से वो भोंपू ले लिया और उसे धीरे से मेल्विन के हाथ में देते हुए कहा, “आपके पैंट के पीछे कुछ लगा हुआ है, लोग आपको देखकर हंस रहे हैं।”
पीटर के इतना कहते ही वो हवलदार अपने पैंट के पीछे देखने के लिए मुड़ने लगा, “कहां?”
“यहां सर!” पीटर ने उसके तशरीफ़ की ओर इशारा करते हुए कहा।
“क्या बकवास कर रहे हो तुम?” हवलदार भड़कते हुए बोला। तभी लाउडहेलर पर अनाउंसमेंट सुनाई देने लगी।
“मिस रेबेका, मैं मेल्विन फर्नांडीज बोल रहा हूं। क्या आप यहां हैं? मैं आपका स्टेशन मास्टर के रूम के बाहर इंतजार कर रहा हूं।”
मेल्विन के इतना अनाउंसमेंट करने के साथ ही सबकी नज़रें उसकी तरफ आकर टिक गई थीं।
“ये कौन बोल रहा है?” हवलदार ने पीटर के हाथ की ओर देखते हुए पूछा, “तुमने लाउड हेलर किसको दिया? क्या कर रहे हो तुम?”
इससे पहले कि वो हवलदार पीटर को डंडा बजाने लगता, मेल्विन वहां वापस आ चुका था।
“सर… सर… सर…!” मेल्विन ने आते ही लाउडहेलर उस हवलदार को देते हुए कहा, “सॉरी, हमारी दोस्त यहां खो गई है। अनाउंसमेंट करने का हमें दूसरा तरीका समझ में नहीं आया इसलिए हमें ये करना पड़ा। हम आपसे रिक्वेस्ट करना चाहते थे लेकिन आपके इसी गुस्से की वजह से हमने रिक्वेस्ट करने की बजाय एक्शन ले लिया।”
हवलदार ने गुस्से में मेल्विन के हाथ से वो लाउडहेलर छीन लिया।
“भागो यहां से। एक तो यहां वैसे ही इतनी मुसीबत है। ऊपर से तुम लोग बाज नहीं आते। शहर में लोग मर रहे हैं?”
“हम भी परेशान हैं सर!” पीटर ने उदास चेहरा बनाते हुए कहा, “हमारी दोस्त अगर आज नहीं मिली तो हम क्या करेंगे।”
“हमारी…!” हवलदार ने कंफ्यूज होते हुए पूछा, “क्या वो तुम्हारी भी दोस्त है?”
“नहीं, दरअसल मैं ये कहना चाहता था कि हमारा क्या होगा जब इनकी दोस्त नहीं मिलेगी?”
“इनकी दोस्त को कुछ होगा तो आप क्यों परेशान हो रहे हैं जनाब?” एक और ऑफिसर वहां आ गया था।
“सर, मेल्विन मेरा दोस्त है। अपने दोस्त की वजह से अगर ये परेशान रहेगा तो अपने दोस्त की वजह से मैं भी तो परेशान रहूंगा न?”
पीटर ने जब इतना कहा तो मेल्विन ने उसका हाथ पकड़कर अपनी ओर खींच लिया, “मार खाकर ही यहां से जाना है क्या?”
मेल्विन उन दोनों पुलिसवालों से दूर जाता हुआ बोला।
“बढ़िया काम किया तुम दोनों ने मिलकर!” डॉक्टर ओझा ने उनके पास आते ही बोला।
“काम तो हो गया लेकिन बात बनेगी या नहीं?” पीटर ने कहा, “मिस रेबेका का कुछ पता चला?”
“अभी तक तो नहीं।” डॉक्टर ओझा ने कहा, “यहां भीड़ में रुकना अब मुश्किल हो रहा है। मिस रेबेका इतनी देर यहां रुकी होंगी, ये भी अब सोचने वाली है।”
अगले आधे घंटे तक मेल्विन, पीटर और डॉक्टर ओझा ने रेबेका का इंतजार किया लेकिन रेबेका नहीं आई।
“हम इतना जुगाड़ करके, रिस्क ले करके अपना काम छोड़कर यहां आए मेल्विन, और मिस रेबेका तुम्हारे लिए यहां रुकी भी नहीं!” पीटर ने नाराज होते हुए कहा।
“रामस्वरूप जी को मैंने कहा था, हर हाल में खिड़की के पास रहे और ये खबर मिस रेबेका को दे दे कि हम उन्हें इसी स्टेशन पर मिलेंगे।” डॉक्टर ओझा ने कहा, “रामस्वरूप जी ने अगर रेबेका को नहीं देखा होगा, लेकिन उन्होंने ये तो देखा होगा कि मेल्विन उन्हें ट्रेन में कहीं भी दिखाई नहीं दिया।”
“हम रेबेका को सारा दोष नहीं दे सकते डॉक्टर साहब!” मेल्विन ने कहा, “हमसे जो बन पड़ा हमने किया, उन्होंने भी जरूर अपनी तरफ से पूरी कोशिश की होगी। आज नहीं तो फिर कल मुलाकात तो होनी ही है। थोड़ा पेशेंस से काम लेते हैं।”
“कल…! कल तुम क्या उम्मीद रखते हो मेल्विन!” पीटर ने पूछा, “खुद को अंधेरे से उजाले में ले आओ। अगर मिस रेबेका के दिल में तुम्हारे लिए फीलिंग्स होती तो आज उसे दिखाने का सबसे बड़ा मौका था। जो तुमने दिखाया क्योंकि तुम्हारे दिल में उनके लिए फीलिंग्स हैं। लेकिन उनके दिल में तुम्हारे लिए नहीं।”
“क्या पाता वजह कुछ और ही पीटर!” डॉक्टर ओझा ने अंदाजा लगाते हुए कहा, “हो सकता है जैसा हम सोच रहे हैं वैसा हो ही न। मिस रेबेका बारिश में फंस गई हों और यहां स्टेशन तक आ ही न सकी हों। अगर उनके घर में किसी ने उन्हें रोक लिया हुआ तो वो कैसे मना करती कि नहीं आज ऑफिस जाना ही है।”
“हजारों लोग जब इस भयानक बारिश में यहांआ सकते हैं डॉक्टर साहब को मिस रेबेका को यहां आने के क्या परेशानी हो सकती है?”
“तुम कहना क्या चाहते हो पीटर, साफ साफ कहो।” मेल्विन ने पूछा, “रेबेका से मेरी दूसरी कराने के लिए सबसे ज्यादा तुम उतावले थे। अब क्या हुआ?”
“मैं गलत था मेल्विन!” पीटर ने कहा, “मैं सोचता था एक सच्चे साथी की जरूरत तुम्हें भी है। लाइफ के आखिरी फेस में तुम्हें सोनी जिंदगी अकेले तो नहीं काटनी पड़ेगी।”
“मेरे लिए इतना सोचने के लिए शुक्रिया पीटर। लेकिन अब नेगेटिव नहीं सोचना है। हमें सबसे पहले ये जानना होगा कि मिस रेबेका अगर यहां नहीं है तो फिर कहां है? मेरा दिल कह रहा है कि वो अपने घर पर नहीं है।”
“अच्छा।” पीटर ने तंज में कहा, “फिर अपने उस दिल से ये भी पूछ लो कि अगर रेबेका अपने घर पर नहीं है तो फिर कहां है?”
पीटर की ये बात सुनकर डॉक्टर ओझा मुस्कुराने लगे। मेल्विन ने उन्हें मुस्कुराते हुए देख लिया था।
“हम मिस रेबेका के बारे में कुछ भी नहीं जानते।” डॉक्टर ओझा ने कहा, “फिर हम ये कैसे जान पाएंगे कि मिस रेबेका का इस वक्त कहां है?”
“अभी मैं ये नहीं समझ पा रहा हूं कि हमें उन्हें ढूंढना ही क्यों है?” पीटर ने पूछा, “जितना हमें ढूंढना था हम उन्हें ढूंढ चुके हैं।”
“नहीं पीटर! हमने अभी अपनी तरफ से कोई कोशिश नहीं की है।” मेल्विन ने कहा, “हमें मिस रेबेका के बारे में जानना होगा।”
“सवाल तो यही है न मेल्विन कि कैसे? हम कैसे मिस रेबेका के बारे में जानेंगे?” पीटर ने फिर पूछा।
“उनकी कुछ फ्रेंड्स भी साथ में सफर करती हैं। हमें उनसे मिस रेबेका के बारे में जानने की कोशिश करनी चाहिए।” अभी मेल्विन ने इतना कहा ही था कि डॉक्टर ओझा के फोन की घंटी बजने लगी थी।
फोन पिक करते ही डॉक्टर ओझा ने कहा, “हां रामस्वरूप जी, कहिए! क्या रेबेका को आपने कहीं देखा?”
“नहीं डॉक्टर साहब। दरअसल मैंने यही बताने के लिए आपको फोन किया है। मिस मिस रेबेका मिसिंग है।” रामस्वरूप जी ने फोन पर ये खबर देते हुए कहा।
“क्या!” डॉक्टर ओझा के मुंह से एक हैरानी भरा शब्द निकला, “ये आप क्या कह रहे हैं राम स्वरूप जी?”
“हां डॉक्टर साहब। मुझे उनकी कुछ फ्रेंड्स से ये बात मालूम हुई।” राम स्वरूप जी ने आगे कहा, “मिस रेबेका आज सुबह अपने घर से निकली तो थीं लेकिन वे स्टेशन नहीं पहुंची। मैं तुम्हें उनकी एक फ्रेंड का नंबर व्हाट्सएप करता हूं। और भी कुछ जानकारी चाहिए तो उन्हें फोन कर लेना। इनका नाम मिस जूली है।”
“ठीक है रामस्वरूप जी। इतनी जानकारी के लिए आपका शुक्रिया।” डॉक्टर ओझा ने कहा और फोन कट कर दिया।
“क्या बात है डॉक्टर साहब?” मेल्विन ने उनके फोन कट करते ही पूछा, “क्या बताया रामस्वरूप जी ने?”
“मिस रेबेका शायद मिसिंग हैं।” डॉक्टर ओझा ने बताया, “रामस्वरूप जी बता रहे थे कि उनकी सहेलियों से उन्हें पता चला है कि मिस रेबेका अपने घर से निकली थी लेकिन वे स्टेशन नहीं पहुंची है। उन्होंने मिस रेबेका की एक फ्रेंड का नंबर भी मुझे व्हाट्सएप पर भेजा है। किसी भी जानकारी के लिए हम उनसे कॉन्टैक्ट कर सकते हैं।”
“शायद मिसिंग है? क्या मतलब है आपका डॉक्टर साहब?” मेल्विन ने पूछा, “वो जरूर बारिश में कहीं फस गई होगी। वो भला कैसे मिसिंग हो सकती है?”
“हर साल कई लोग ऐसी बारिश में मिसिंग हो जाते हैं मेल्विन। इसमें इतनी हैरानी वाली कौन सी बात है?” पीटर ने पूछा, “मिस रेबेका किसी मुसीबत में नहीं होगी, ये हम जानते हैं। लेकिन अगर वो मिसिंग हैं तो जरूर उन पर कभी भी मुसीबत आ सकती है। डॉक्टर साहब, रामस्वरूप जी ने आपके व्हाट्सएप पर जो नंबर भेजा है उस पर जरा कॉल कीजिए।”
पीटर के कहने पर डॉक्टर ओझा ने व्हाट्सएप से नंबर निकाल कर उस पर कॉल लगाया। दो-तीन बार घंटी बजाने के बाद दूसरी तरफ से कॉल पिक किया गया।
कॉल पिक होते ही पीटर ने उनके हाथ से मोबाइल ले लिया, “हेलो, मैं पीटर बोल रहा हूं। मेल्विन का दोस्त। मिस रेबेका की मिसिंग की खबर आपको किसने दी?” पीटर ने पूछा।
“हमने रेबेका के घर पर फोन किया था। उसके डैड ने बताया कि वो घर से स्कूल जाने के लिए निकल चुकी थी। अगर वो स्कूल जाने के लिए घर से निकल चुकी है तो फिर अब तक हमारे साथ क्यों नहीं है?
“स्कूल!” पीटर ने कहा, “वे अभी स्कूल में पढ़ती हैं?”
“जी नहीं। वे स्कूल में टीचर है।” दूसरी तरफ से लड़की ने हंसते हुए बताया।
“अच्छा–अच्छा, टीचर हैं!” पीटर ने कहा, “अच्छा ये बताइए, मिस रेबेका का घर कहां है? उनके घर का कॉन्टैक्ट नंबर अगर आप मुझे दे सके तो मैं उन्हें खोजने में आपकी मदद कर सकूंगा।”
दूसरी तरफ से रेबेका की फ्रेंड ने उसके घर का एड्रेस पीटर को बताया। पीटर ने मेल्विन की मदद से रेबेका का एड्रेस नोट कर लिया।
“ये जगह यहां से 2–3 किलोमीटर दूर है। वहां चलकर कुछ और जानकारी निकालें?” पीटर ने पूछा।
“काम पर तो जा नहीं सकते। मिस रेबेका को मिसिंग जानकर हम घर कैसे लौट सकते हैं।” मेल्विन ने कहा, “लेकिन उनके घर जाकर हम कहेंगे क्या?”
“यही कि मिस रेबेका मिसिंग हैं? उन्हें ढूंढने के लिए आप लोग क्या कदम उठा रहे हैं?” पीटर ने बताया।
“अगर वे हमारे बारे में पूछेंगे तो हम क्या जवाब देंगे पीटर?” मेल्विन ने फिर सवाल किया।
“मिसिंग की खबर सुनने के बाद उन्हें हमारी पहचान जानने में पहले दिलचस्पी होगी या फिर मिस रेबेका को ढूंढने की?” पीटर ने कहा, “आप क्या कहते हैं डॉक्टर साहब!”
“यही कि दोपहर पहले ही हो चुका है। क्या हम शाम तक रेबेका के घर जाने वाले हैं?” डॉक्टर ओझा ने पूछा तो मेल्विन और पीटर हंसने लगे।
अपनी येलो कार में बैठने के बाद उनका एक और सफर शुरू हो चुका था।
तभी मेल्विन के फोन पर महेश का कॉल आया।
“मेल्विन, कहां हो तुम?” महेश ने तुरंत पूछा।
मेल्विन को एकाएक ही कोई जवाब नहीं सुझा तो उसके फोन का माइक हाथ से दबाकर पीटर से कहा, “महेश का फोन है। पूछ रहा है, कहां हूं मैं?”
“उससे बोल दो, आज ऑफिस बंद है। आजकल ऑफिस के बॉस तुम ही हो न?” पीटर ने ये कहा तो डॉक्टर ओझा हंसने लगे।
“पीटर, इट्स सीरियस!” मेल्विन ने कहा।
“मैं भी सीरियस हूं मेल्विन!”
अभी पीटर ने इतना कहा ही था कि माइक से दबी–दबी महेश की आवाज आई, “हेलो मेल्विन, क्या तुम मुझे सुन रहे हो?”
“हां महेश, सुन रहा हूं।” मेल्विन ने कहा, “सबको कह दो, आज ऑफिस में कोई काम नहीं होगा। मुंबई शहर पानी में डूबा हुआ है, लोग मर रहे हैं, एक–दूसरे से बिछड़ रहे हैं और तुम्हें काम की पड़ी है।”
मेल्विन की इस बात को सुनकर पीटर और डॉक्टर ओझा अपने मुंह पर हाथ रखकर हंसने लगे थे।
“हेलो मिस्टर मेल्विन!” तभी फोन पर मेल्विन के बॉस मिस्टर कपूर की आवाज आई, “ये ऑर्डर आप किसकी इजाजत से दे रहे हैं?”
अब पीटर और डॉक्टर ओझा से अपनी हंसी कंट्रोल नहीं हुई दोनों अपना पेट पकड़कर हंसने लगे थे।
हंसते–हंसते पीटर से तो कार की स्टीयरिंग ही डिसबैलेंस हो गई।
“सर, आप!” मेल्विन की धीमी आवाज उसके गले से निकली, “आप सिंगापुर से लौट आए?”
“यस मिस्टर मेल्विन!” मिस्टर कपूर ने कहा, “क्या मुंबई की बारिश का असर तुम्हारे दिमाग पर पड़ गया है? कहां फंसे हो तुम?”
“सर, मैं बुरी यह फंस गया हूं!” मेल्विन ने कहा, “समझ में नहीं आता, यहां से बाहर कैसे निकलूं।”
“कहां हो तुम?” मिस्टर कपूर ने पूछा।
“सर, मैं एक घायल आदमी को लेकर मलाड के एक हॉस्पिटल की ओर जा रहा हूं। इसका खून बहुत बह गया है।”
पीटर और डॉक्टर ओझा अब भी हंस रहे थे। तभी पीटर ने कहा, “दिल के घायल आदमी को उसकी प्रेमिका के घर ले जा रहे हैं?”
हंसी का सिलसिला रुका नहीं था। मेल्विन की इस हालत पर उसके दोस्त मजे लेने का एक भी मौका नहीं छोड़ रहे थे।
क्या मेल्विन रेबेका के बारे में कोई जानकारी इकट्ठी कर पाएगा? क्या रेबेका सचमुच मिसिंग है? मिस्टर कपूर ने अगर मेल्विन का झूठ पकड़ लिया तो क्या होगा?
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