एपिसोड – 20: एक आखिरी दांव

 

“प्लीज हेल्प!” उस औरत की हालत खराब होते देख मेल्विन के मुंह से चीख निकल गई थी।

मेल्विन ने जब किसी भी तरफ से मदद की उम्मीद नहीं देखी तो वो खुद उस औरत को सहायता के लिए खड़ी दोनों लड़कियों की मदद से उस औरत को लेकर डॉक्टर की तरफ दौड़ पड़ा।

यही वो वक्त था जब पीटर और डॉक्टर ओझा वहां आ गए।

“डॉक्टर साहब, आप यहां?” मेल्विन के चेहरे पर हैरानी और खुशी दोनों एक साथ आई थी, “इस महिला की मदद कीजिए। इसकी हार्टबीट धीमी हो रही है।”

“मेल्विन, ये जानवरों के डॉक्टर हैं।” पीटर ने कहा, “डॉक्टर साहब तुम्हारी मदद कैसे कर सकते हैं?” 

“एक मिनट पीटर, मुझे देखने दो।” डॉक्टर ओझा ने कहा, “सफोकेशन की वजह से ये बेहोश हुई हैं। आपके हाथ में कौन सी दवाइयां हैं, जरा मुझे दिखाइए।”

डॉक्टर ओझा ने उन मेडिसिन को चेक किया। 

“ये सब किसी काम के नहीं हैं। इन्हें तुरंत सीपीआर देना होगा।” डॉक्टर ओझा ने कहा, “क्या यहां कोई है जिसने पहले किसी को सीपीआर दिया है।” डॉक्टर ओझा ने पूछा।

“मैंने दिया है।” मेल्विन ने तुरंत कहा, “जरा मुझे जगह दीजिए।”

डॉक्टर ओझा के हटते ही मेल्विन उस औरत के पास बैठ गया। उनसे दो बार उस औरत को सीपीआर दिया लेकिन उसका कोई असर नहीं हुआ। तीसरी बार जब मेल्विन ने उसे सीपीआर दिया तब जाकर वो औरत लंबी लंबी सांसें लेते हुए उठ बैठी। 

सबने राहत की सांस ली।

“अब कैसी तबीयत है आपकी?” मेल्विन ने पूछा, “ये डॉक्टर ओझा हैं। इन्होंने आपको दवा दे दी है। जल्दी ही आप बिल्कुल स्वस्थ हो जाएंगी।”

“मैं ठीक हूं।” उस औरत ने कहा, “धन्यवाद डॉक्टर साहब!”

“अपना ख्याल रखियेगा।” डॉक्टर ओझा ने कहा।

“मेल्विन, हमारी ट्रेन छूट गई।” पीटर ने कहा।

“तुम दोनों ने ट्रेन क्यों छोड़ी?” मेल्विन ने पूछा। 

“ट्रेन जब आगे बढ़ी थी तब हमने तुम्हें परेशान हाल में एक लेडी को स्टेशन मास्टर के रूम में जाते हुए देखा। हमने अपनी ट्रेन छोड़ दी।” पीटर ने कहा। फिर डॉक्टर ओझा की ओर देखते हुए पूछा, “डॉक्टर साहब, आपने ये क्यों पूछा कि हम में से किसने पहले सीपीआर दिया है? क्या सीपीआर देने के लिए किसी तरह की अनुभव की जरूरत होती है?”

“नहीं, ऐसे किसी क्वालिफिकेशन की जरूरत नहीं होती।” डॉक्टर ओझा ने कहा, “मैंने ऐसा ऐतिहातन कहा था। तुमने कहा था कि मैं जानवरों का डॉक्टर हूं। और जानवरों को सीपीआर की जरूरत कहां पड़ती है।”

डॉक्टर ओझा ने ये कहा तो पीटर और मेल्विन हंसने लगे।

“तुम अब भी हंस रहे हो मेल्विन!” पीटर ने कहा, “आज तुम्हारे साथ हम सबको इस बात का इंतजार था कि मिस रेबेका का क्या जवाब होने वाला है।”

“जवाब कल भी मिल जाएगा पीटर!” डॉक्टर ओझा ने कहा, “लेकिन अभी काम पर कैसे जाएं, वो सोचो।”

“काम पर तो रोज ही जाना है डॉक्टर साहब! आज अगर मेल्विन मिस रेबेका से नहीं मिला तो क्या होगा, ये सोचा है आपने?”

“हां सोचा है!” प्लेटफार्म की ओर जाते हुए डॉक्टर ओझा ने कहा, “मोहब्बत इंतहान लेती है। ये मेल्विन के इंतहान का वक्त है।”

“लेकिन आप इतनी जल्दी–जल्दी जा कहां रहे हैं?” मेल्विन ने पूछा, “यहां से आप विलेपार्ले तक जाएंगे कैसे?”

“मैं मीरा रोड पर एक गैरेज वाले को जानता हूं। बचपन का दोस्त है। आजकल मिलना–जुलना कम ही है, लेकिन अगर उस तक हम पहुंच गए तो हम सबके ऑफिस जाने का बंदोबस्त हो जाएगा।”

“उसका कोई फोन नंबर वगैरा नहीं है आपके पास?” पीटर ने पूछा, “चलकर जाने से अच्छा है कि हम उसे फोन कर लेते।”

“अच्छा याद दिलाया तुमने।” डॉक्टर ओझा ने कहा, “लेकिन सच कहूं तो याद नहीं कि मैंने उसका नंबर किस नाम से सेव किया है।”

“तो चेक कीजिए।” मेल्विन ने कहा। 

“1000 के करीब कॉन्टैक्ट नंबर सेव्ड हैं। उसमें ढूंढने बैठेंगे तो पूरा दिन निकल सकता है। मुझे उसका एड्रेस पता है। वो यहीं पास में रहता है।”

मेल्विन, पीटर और डॉक्टर ओझा चलते हुए रेलवे स्टेशन से बाहर आ गए थे। बारिश अब भी कभी तेज तो कभी धीमी हो रही थी। 

“साढ़े सात पहले ही वह चुके हैं। कब हम गैरेज तक पहुंचेंगे, कब इस रोड पर कार चलाते हुए अपने अपने काम पहुंचेंगे।” मेल्विन ने पूछा। 

“कार मिल जाने दो। मैं समय पर वहां पहुंचकर दिखाऊंगा।” डॉक्टर ओझा ने कहा। 

“आप?” पीटर ने पूछा। 

“हां, क्यों नहीं!” डॉक्टर ओझा ने कहा, “ये काम मेल्विन या फिर तुमसे नहीं हो पाएगा। ये काम यहां सिर्फ मैं ही कर सकता हूं।”

मीरा रोड रेलवे स्टेशन से कुछ ही दूरी पर एक गैरेज दिखा। सड़क पर चारों ओर गाड़ियां पानी में फंसी हुई थीं। 

“नजारा देख रहे हैं आप यहां का?” मेल्विन ने पूछा, “पैदल आदमी आगे नहीं बढ़ पा रहा है। हम यहां से ऑफिस कैसे पहुंचेंगे?”

“बस कुछ देर और इंतजार करो!” डॉक्टर ओझा ने पूछा, “हम गैरेज पहुंच चुके हैं।”

डॉक्टर ओझा जैसे ही गैरेज पर पहुंचे, वहां खड़े एक सरदार ने हाथ उठाकर डॉक्टर ओझा का वेलकम किया। 

“वो श्रीकांत प्रा!” उस सरदार ने कहा। सरदार जी एक लंबे चौड़े गठीले बदन वाले कोई 50–55 साल के आदमी थे, “सत श्री अकाल!”

“सत श्री अकाल गुरु!” डॉक्टर ओझा ने भी उसी अंदाज में जवाब देते हुए कहा, “क्या हाल चाल है गुरु?”

“देख रहे हो, मौसम ने क्या हालत बना रखी है।” गुरु ने कहा, “काम–धंधा चौपट है। आज को मैकेनिक गैरेज में नहीं आया। सब लोगों की मदद करने में जुटे हैं।”

“तुम लोगों की मदद करने नहीं गए?” डॉक्टर ने पूछा।

“मैं कर रहा हूं न लोगों की मदद। ये गड्डियां ठीक करके।” गुरु ने कहा, “तुम यहां कैसे, ये तो बताओ?”

“एक मदद हमारी भी कर दो। इसलिए हम यहां आए हैं।” डॉक्टर ओझा ने कहा और फिर गुरु के कंधे पर हाथ रखकर मेल्विन से पीटर से दूर चला गया। उन्होंने गुरु के कान में कुछ कहा जिसे देखकर गुरु ने सिर्फ हां में सिर हिलाया। कुछ देर डॉक्टर ओझा को सुनने के बाद गुरु ने एक कार की ओर इशारा किया। मेल्विन और पीटर ने भी गुरु के इशारे का पीछा किया। उधर एक ब्रांड ने येलो स्पोर्ट्स कार खड़ी थी।

कुछ देर बाद डॉक्टर ओझा अपने हाथ में कार की चाभी घुमाते हुए वहां आया।

“जल्दी करो, वी आर रनिंग लेट!” उन्होंने कहा और चाभी लेकर सीधा कार के अंदर घुस गए। पीछे–पीछे मेल्विन और पीटर भी आकर कार में बैठ गए।

“क्या प्लान है?” पीटर ने पूछा, “हम इतना लंबा सफर इस कार में कितनी जल्दी पूरा करने वाले हैं?”

“गुरु ने एक रास्ता बताया है। थोड़ा खतरों से भरा हुआ है लेकिन इतना खतरा हम उठा सकते हैं।”

“इतना का क्या मतलब है डॉक्टर साहब?” मेल्विन ने पूछा, “आठ बजे चुके हैं। मानता हूं कि बारिश बहुत धीमी हो चुकी है लेकिन सड़कें तो अभी भी बंद हैं।”

डॉक्टर ओझा ने हाईवे छोड़ दिया है। वे एक अन्य मार्ग पर आगे बढ़ने लगे थे। 

“ये कौन सा रास्ता है डॉक्टर साहब?” मेल्विन ने पूछा, “क्या हम किसी शॉर्ट कट रास्ते से जा रहे हैं?”

“मैं इस रास्ते को पहचानता हूं।” पीटर ने कहा, “ये एक शॉर्ट कट रास्ता है। लेकिन जहां तक मेरा मानना है ये बहुत आगे तक नहीं जाता।”

अगले एक घंटे तक डॉक्टर साहब ने कर की स्टीयरिंग संभाली। वे कच्चे–पक्के सड़कों का इस्तेमाल कर एक बार फिर हाईवे पर आ पहुंचे थे।

“ये तो पिछले एक घंटे में हम सिर्फ 12 से 15 किलोमीटर दूर और हैं।” पीटर ने कहा, “ऑफिस हमें आज पहुंचना है डॉक्टर साहब, और अगले हफ्ते नहीं!”

“सब्र रखो पीटर, हम अपनी मंजिल तक टाइम से पहुंच जाएंगे!” डॉक्टर ओझा ने कहा, “क्या टाइम हो रहा है अभी?”

“9 बज चुके हैं।” डॉक्टर ओझा ने कहा। कार अगले एक घंटे तक फिर मुंबई के हाइवे पर रेंगती रही। ट्रैफिक इतना स्लो था कि पैदल उससे ज्यादा तेज चला जा सकता था।

कार अब धीरे –धीरे अपना रास्ता बदलकर मलाड रेलवे स्टेशन पहुंचने वाली थी। 

“मंजिल सामने है।” डॉक्टर ओझा ने कहा, “किस्मत अच्छी रही तो कामयाबी मिलेगी वरना फिर ट्राई करेंगे।”

मेल्विन और पीटर समझ चुके थे कि क्या चक्कर है।

पीटर ने कार से उतरते हुए कहा, “मेल्विन, जल्दी करो, इससे पहले कि हमें देर हो जाए।”

मेल्विन ने भी जल्दबाजी दिखाई। दोनों कार से उतरकर रेलवे स्टेशन की ओर दौड़ पड़े। पीछे–पीछे डॉक्टर ओझा भी आ रहे थे।

मलाड रेलवे स्टेशन पर भी वही हाल था जो मीरा रोड रेलवे स्टेशन का था। यहां भी जन सैलाब उमड़ पड़ा था। हजारों की संख्या में लोग प्लेटफार्म पर खड़े थे।

“हम यहां मिस रेबेका को कैसे ढूंढेंगे डॉक्टर साहब?” पीटर ने पूछा।

“ये तुम मुझसे पूछ रहे हो पीटर? अपना दिमाग चलाओ। वैसे तो तुम खुद को बहुत चालाक मानते हो। आज तुम्हारी चालाकी कहां गई?” डॉक्टर ओझा ने मुस्कुराते हुए पीटर से पूछा। उनकी बात सुनकर पीटर कुछ देर के लिए सोच में डूब गया। फिर उसे एक अनाउंसमेंट सुनाई दी जो अपने बच्चे को तलाश करने के लिए एक पिता अनाउंसमेंट रूम से कर रहा था।

“समझ गया।” पीटर ने कहा, “लेकिन यहां भीड़ बहुत ज्यादा है डॉक्टर साहब! उन्हें हम तक पहुंचने में न जाने कितना समय लग जाए। फिर हम ये भी नहीं जानते कि मिस रेबेका आज यहां मौजूद है या नहीं। हो सकता है कि उन्होंने ट्रेन पकड़ ली हो।”

“35 सालों का अनुभव है पीटर! मिस रेबेका इसी रेलवे स्टेशन पर खड़ी मेल्विन का इंतजार कर रही हैं।” डॉक्टर ओझा ने आत्मविश्वास के साथ कहा, “हमारे सामने चुनौती सिर्फ ये है कि हम कंट्रोल रूम तक पहुंच जाए। क्या पता मिस रेबेका ने भी थोड़ा दिमाग लगाया हो और वो अनाउंसमेंट रूम के आसपास ही कहीं खड़ी हो।”

उन तीनों ने और देर तक इंतजार नहीं किया। भीड़ में अपने लिए जगह बनाते हुए तीनों आखिरकार अनाउंसमेंट रूम तक पहुंच गए।

“पीटर, तुम जाकर माइक पर अनाउंसमेंट करो! हम दोनों यहीं खड़े हैं।” डॉक्टर ओझा ने कहा।

पीटर तुरंत अनाउंसमेंट रूम के अंदर घुस गया। वहां भी लोगों को ढूंढने के लिए अनाउंसमेंट करने वालों की भीड़ लगी थी। 

“आज देश की जनसंख्या का पता चल रहा है। मेरी बारी आते–आते तो घंटों लग जाएंगे। मुझे मेल्विन को यहां आने देना था। वो हर रोज यहां से ट्रेन पकड़ता है।”

भीड़ देखकर पीटर वहीं से लौट गया। मेल्विन और डॉक्टर ओझा ने जब उसे वापस आते हुए देखा तो पूछा, “क्या हुआ पीटर? तुम वापस की लौट आए?”

“अंदर मारकाट मची हुई है। आपको एक के बाद एक अनाउंसमेंट सुनाई नहीं दे रहे हैं। आज गुम होने और बिछड़ते वालों की संख्या भी बढ़ गई है।” पीटर ने बताया, “मेल्विन, तुम यहां के लोगों को जानते पहचानते होगे। आखिर 17 साल से तुम लोकल ट्रेन में सफर कर रहे हो। जरा अपनी पहचान दिखाओ और मुझे माइक तक पहुंचाओ।”

“मेरी तरह यहां मौजूद लगभग सभी लोग सालों से लोकल ट्रेन में सफर कर रहे हैं। न जाने मुझसे पहले कितने लोग अपनी पहचान दिखाकर आगे जा चुके होंगे। पहचान से बात नहीं बनेगी पीटर।” मेल्विन ने कहा।

“तो फिर हम क्या करेंगे?” डॉक्टर ओझा ने पूछा।

“चोरी।” मेल्विन ने कहा तो पीटर और डॉक्टर ओझा उसे हैरानी से देखने लगे। 

“ये तुम क्या कर रहे हो मेल्विन? क्या तुम माइक चोरी करने की बात कर रहे हो?” डॉक्टर ओझा ने पूछा।

“इतनी जल्दी समझने के लिए शुक्रिया डॉक्टर साहब!” मेल्विन ने कहा, “जी मैं माइक चोरी करने की ही बात कर रहा हूं। लेकिन अंदर जाकर नहीं बल्कि यही हमें अनाउंसमेंट करने का जुगाड़ मिल जाएगा।” 

“वो कैसे?” इस बार पीटर ने पूछा।

“उस पुलिस वाले के पास भोंपू है।” मेल्विन ने एक तरफ इशारा करते हुए कहा, “उसे हम मांग तो सकते हैं लेकिन अभी रिक्वेस्ट करके मांगने का समय नहीं है हमारे पास। हमें उसे कुछ देर के लिए चोरी करना होगा।”

“और यह चोरी कौन करेगा मेल्विन?” पीटर ने पूछा।

“जाहिर है, तुम ही करोगे पीटर।” डॉक्टर ओझा ने कहा। 

“मेरी और पुलिस वालों की वैसे ही बिल्कुल नहीं बनती डॉक्टर साहब। और आप मुझसे चोरी करने को कह रहे हैं। वो भी एक पुलिस वाले की जेब काटने की सलाह दे रहे हैं।”

“सिर्फ कुछ देर के लिए।” डॉक्टर ओझा ने कहा, “हमारा काम होते ही पुलिस में समझ जाएगा कि ये चोरी नहीं थी। आखिर पुलिस वाला भी एक इंसान है वो इस बात को समझेगा।”

“ठीक है। लेकिन पकड़े जाने पर तुम लोग संभाल लेना नहीं, तो बड़ी बरसात में मेरी अच्छी–खासी धुलाई हो जाएगी।” पीटर ने डरते हुए कहा। 

“हम ऐसी नौबत नहीं आने देंगे पीटर। अब देर मत करो। जल्दी जाओ और वो माइक लेकर मेरे पास आओ।” मेल्विन ने कहा तो पीटर डरते–डरते वहां से आगे बढ़ा। 

स्टेशन पर अबी भी अफरा–तफरी मची हुई थी। इस अफरा–तफरी के बीच मेल्विन, डॉक्टर ओझा और पीटर एक अलग ही योजना को अंजाम देने निकल पड़े थे।

क्या ये तीनों अपने प्लान में सफल हो पाएंगे? क्या मिस रेबेका से आज मेल्विन की मुलाकात हो पाएगी? क्या रेबेका का जवाब मेल्विन के लिए हां होगा?

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