अर्जुन को लेकर नेहा के मन में अब कई सवाल उठ रहे है। नेहा सोचने लगी कि आखिर अर्जुन क्यों रोहित की इतनी मदद कर रहा है कि तभी नेहा का ध्यान रोहित और अर्जुन की तरफ़ गया, वो दोनों कुछ इंपोर्टेंट डिसकस करते नज़र आ रहे थे। नेहा की नज़रों को अपनी तरफ़ देखकर रोहित एक आर्टिफिशियल सी स्माइल अपने चेहरे पर लाकर नेहा के पास आ गया।
नेहा का बर्थडे सेलिब्रेशन अब बस शुरू होने वाला था और रोहित पूरा टाइम नेहा के बगल में ही खड़ा रहा। रोहित के चेहरे की चमक देख, नेहा एक पल के लिए सब कुछ भूल गई। नेहा के लिए सब एक सपने की तरह था। इस तरह का बर्थडे सेलिब्रेशन, नेहा ने एक्सपेक्ट तक नहीं किया था। पिछले 8 सालों से नेहा केवल मृत्युंजय से अपने लिए टाइम मांगती आ रही थी और आज वो टाइम, वो इम्पोर्टेंस, उसे रोहित से मिल रही थी। ये सब थोड़ा अजीब तो था, लेकिन नेहा इन सब के बारे में सोचना नहीं चाहती।
सारे लोग फिर एक साथ आकर नेहा को केक काटने में मदद करने लगे। हैरानी की बात ये थी कि वहां मिस्टर मेहता भी आए थे। उन्होंने नेहा को विश किया, और सबको अपने सेशन पर ध्यान देने को कहकर चले गए। नेहा के बर्थडे सेलिब्रेशन के बाद, सेशन की शुरुआत हुई। ये दिन भी बाकी दिनों जैसा ही गुजर रहा था, बस हमेशा की तरह कोई सरप्राइज नहीं था। पिछले दो दिनों के बाद, आज रोहित ने कोई मस्ती नहीं की। दिन के सारे सेशन खत्म होते-होते रात हो रही थी, पर शायद नेहा के बर्थडे का सेलिब्रेशन अभी बाकी था।
दिन बीता, रात को डिनर के बाद सब गार्डन में इकट्ठा हो गए। अचानक अर्जुन नेहा के पास आया।
अर्जुन- नेहा, रोहित को गाना गाते सुनना चाहोगी ?
नेहा - रोहित और गाना ?
अर्जुन- हाँ, हमारा रोहित गिटार बहुत अच्छा बजाता है !
अर्जुन की बात सुन, नेहा फिर अर्जुन के बारे में सोचने लगी कि आखिर अर्जुन को कैसे पता कि रोहित गाना गाता है। कॉलेज टाइम के दौरान रोहित को गाना गाने और गिटार बजाने का शौक हुआ करता था। लड़कियां रोहित की सिंगिंग पर बेहद फ़िदा थीं। ये सब सोचते-सोचते नेहा की ओर देख अर्जुन मुस्कुराया, जैसे उसे कुछ बताना और याद दिलाना चाहता हो और अचानक नेहा को अर्जुन और रोहित की कॉलेज टाइम की दोस्ती याद आ गई। नेहा को याद आया कि ये वही अर्जुन है, जो एक समय पर रोहित का दायां हाथ हुआ करता था, जिसने रोहित को कई मुश्किलों से बचाया था। ये याद आते ही, नेहा को शक होने लगा।
अब नेहा इस सोच में पड़ गई थी कि आखिर एक ही कॉलेज के 3 लोग यहाँ इस मैडिटेशन कैंप में कैसे आ पहुंचे। नेहा का शक संजू पर जा रहा था। नेहा को टेन्स्ड देख, रोहित ने हंसी-मज़ाक करना शुरू कर दिया।
रोहित- "आज जंगल में थोड़ा एडवेंचर करें क्या?"
रोहित ने यह बात सभी को छेड़ने के लिए कही, जिस पर सारे लोग एक साथ बोले
सारे लोग: (जोर से) "नहीं…"
नेहा और रोहित ने एक-दूसरे की तरफ़ देखा, उनके चेहरों पर एक चमक थी, जैसे वो दोनों अब बस पल भर के लिए अपनी सारी परेशानियां भूल गए हों। सबका रिएक्शन देखकर, सभी लोगों की एक साथ हंसी से फूट पड़ी।
रोहित: (धीरे से नेहा के कान में कहा) " आज का ये तुम्हारा बर्थडे सेलब्रैशन, कोई भी नहीं भूल पाएगा। बस तुम देखती जाओ।"
नेहा ने धीरे से उसकी तरफ़ देखा और मुस्कुराई।
नेहा : "हाँ रोहित, ये वो बर्थडे है जो मैं भी कभी नहीं भूल पाऊँगी।
नेहा ये सब एन्जॉय कर ही रही थी.. रोहित का ये बर्ताव उसे बहुत प्यारा लग रहा है. लेकिन आज का बर्थडे नेहा के लिए रोहित ने ख़ास बनाया था... मृत्युंजय ने नहीं। ये सोच कर नेहा कहीं न कहीं अपने दिल में दुखी भी महसूस कर रही थी, क्योंकि आज के दिन ही पिछले साल मृत्युंजय ने उसे वो ख़ास तोहफा दिया था.. जिसकी मृत्युंजय ने नेहा को कानो कान खबर नहीं लगने दी थी।
नेहा अपने बर्थडे को एन्जॉय करते करते अपने पिछले बर्थडे की यादों में खो गयी। उसे अचानक मृत्युंजय की भी याद आने लगी। मृत्युंजय के बारे में सोचना और अपने पिछले बर्थडे के सरप्राइज़ के बारे में सोच कर नेहा अचानक इमोशनल हो गयी। नेहा के लास्ट बर्थडे पर मृत्युंजय ने नेहा के लिए जो सरप्राइज़ प्लान किया था जिसे नेहा कभी नहीं भूल सकती थी। नेहा के लास्ट बर्थडे पर मृत्युंजय ने उसके लिए एक खूबसूरत डिनर डेट प्लान की थी और नेहा को एक बहुत खूबसूरत डायमंड रिंग भी गिफ्ट की थी। नेहा ने अपनी उँगलियों की तरफ़ देखा, आज भी उसने वो डायमंड रिंग अपनी लेफ्ट रिंग फिंगर में पहनी हुई थी।
नेहा के बर्थडे का दिन अब बीतता जा रहा था लेकिन अब तक मृत्युंजय ने नेहा को एक फ़ोन तक नहीं किया था। ये सोच कर नेहा और भी बुरा फील करने लगी। नेहा को ऐसा लगने लगा कि शायद मृत्युंजय अब उससे प्यार ही नहीं करता, इसलिए शायद वो उसका बर्थडे भी भूल चूका है। नेहा को यह भी याद आया कि जिस दिन वो वापस मृत्युंजय के पास गई थी यह सोच कर कि अब शायद उसे मृत्युंजय को एक मौका और देना चाहिए और अपने रिश्ते को बेहतर बनाना चाहिए, तब उसने अपने ही बेडरूम में मृत्युंजय की बाहों में एक नई लड़की को देखा था। आखिर वह लड़की कौन थी... इसके बारे में भी अब तक नेहा नहीं जानती थी। नेहा का ये परेशान चेहरा देख, उसके रोहित उसके पास आया, वो पहले ही थोड़ा बीमार था, लेकिन नेहा का दिन आज स्पेशल बनाने के लिए रोहित ने बहुत मेहनत की थी। रोहित ने उससे पूछा की आखिर उसे क्या हुआ है.. जिसके जवाब ना देकर नेहा ने केवल मुस्कुराना बेहतर समझा।
एक ओर नेहा कैंप में बिजी थी, तो दूसरी ओर नेहा की जगह कनिका मृत्युंजय का सहारा बनने की पूरी कोशिश कर रही थी। जब नेहा, मृत्युंजय से नाराज़ होकर चली गई थी, उसके बाद से कनिका, मृत्युंजय के साथ उसके घर में ही रह रही थी। जब भी गुस्से में मृत्युंजय लगातार काम करता रहता, तब कनिका उसकी सारी ज़रूरतों का ध्यान रखती।
जब भी मृत्युंजय नेहा की बातें किया करता, तो कनिका उसे उम्मीद देती रहती थी कि, "नेहा जल्द ही तुम्हारे पास वापस आ जाएगी।" इधर नेहा की कहानी चल रही थी, तो दूसरी ओर मृत्युंजय कनिका के साथ अपना समय बिता रहा था या यूं कहें कि उसके लिए पल-पल काटना मुश्किल हो रहा था। एक दिन लंच करते हुए कनिका मृत्युंजय की तरफ़ बहुत सीरीअस हो कर देख रही थी। वह मृत्युंजय से शायद कुछ बात करना चाहती थी। कनिका का चेहरा देखकर साफ़ समझ में आ रहा था कि उसे जो भी कहना है, वह कोई छोटी बात नहीं है। पर शायद वह यह नहीं समझ पा रही थी कि जो वह कहना चाहती है, उसकी शुरुआत कैसे की जाए।
कनिका: “मृत्युंजय, मैं गोवा से यहाँ अपना बिज़नेस फिर से सेटअप करने आई हूँ। पर बेंगलुरु का सेटअप समझे बिना मैं कुछ भी शुरू नहीं कर सकती। क्या मैं यहाँ के मार्केट को समझने के लिए कुछ वक्त के लिए तुम्हारे किसी प्रोजेक्ट में मदद कर सकती हूँ?”
यह सुनकर मृत्युंजय कुछ देर सोचता है, फिर वह कनिका के साथ काम करने के लिए मान जाता है।
मृत्युंजय: "कनिका, तुम्हारा बिज़नेस सेंस बहुत अच्छा है, तुम्हारे साथ काम करना मेरे लिए अच्छा साबित होगा। कल से तुम हमें जॉइन कर लो।"
अगली शाम कनिका मृत्युंजय के ऑफिस से उसी के साथ वापस आ रही थी, और अचानक कनिका ने मृत्युंजय को उसे एक कैफ़े में ड्रॉप करने को कहा। यह सुनकर मृत्युंजय को थोड़ा शॉक लगा। लेकिन मृत्युंजय ने बिना कुछ रिएक्ट किए कनिका की बात पर हामी भर दी। कैफ़े जाने तक के रास्ते में एक अजीब सी साइलेंस थी। न मृत्युंजय कुछ कह रहा था और न ही कनिका के मुँह से एक शब्द भी निकला। मृत्युंजय के मन में लगातार नेहा के ख़याल आ रहे थे। नेहा ठीक होगी या नहीं, कैंप में उसका दिन कैसे बीत रहा होगा, बस इसी ख़्याल में सारा वक़्त बीतता जा रहा था।
कनिका और मृत्युंजय कैफ़े पहुँचते है, कनिका जैसे ही गाड़ी से उतरती है, मृत्युंजय को परेशान देख उसे अपने साथ कैफ़े में जाने का ऑप्शन देती है।
कनिका- तुम भी साथ ही आ जाओ मृत्युंजय
मृत्युंजय(कन्फ्यूज्ड वौइस् में )- नहीं कनिका...मेरा मन नहीं !
कनिका के बार-बार फोर्स करने पर आखिरकार मृत्युंजय मान जाता है। जैसे ही दोनों अंदर कैफ़े में पहुँचते है तो मृत्युंजय देखता है कि उस कैफ़े में एक टेबल पहले से बुक थी, और काफी ज़्यादा सजाई भी गई थी। कनिका मृत्युंजय को उसी टेबल की तरफ़ ले कर आगे बढ़ने लगती है।
मृत्युंजय : "कनिका? ये... तुम्हारी डेट है क्या आज?"
कनिका : "हां! मेरे बेस्टफ्रेंड के साथ।"
यह कहकर, कनिका मृत्युंजय की बाहों को अपने दोनों हाथों से पकड़ लेती है। वह उसके कंधे पर सिर रखकर, टेबल की तरफ़ आगे बढ़ने की रिक्वेस्ट करती है। मृत्युंजय कनिका की हरकतों पर उतना ध्यान नहीं देता था। कनिका कॉलेज में भी कभी इसी तरह से मृत्युंजय के साथ बर्ताव करती थी। लेकिन तब कनिका मृत्युंजय की क्रश थी, और अब मृत्युंजय शादीशुदा था। उसे कनिका का यह बर्ताव बिल्कुल भी अच्छा नहीं लग रहा था।
शाम का वक्त था और कनिका ने मृत्युंजय के लिए सब कुछ बहुत अच्छे से प्लान कर रखा था। कनिका ने अपने दिमाग में मृत्युंजय के लिए एक बिल्कुल परफेक्ट डेट तैयार की थी । मृत्युंजय काफी टाइम से काम और अपनी पर्सनल लाइफ को लेकर स्ट्रेस्ड था। कनिका बस यही चाहती थी कि वह कुछ वक्त इंजॉय करे और अपने दिमाग को रिलैक्स करे। तो, कनिका ने तय किया था कि इस दिन को स्पेशल बनाए, पर मृत्युंजय इन सब में बिल्कुल भी कंफर्टेबल नहीं था।
मृत्युंजय (सेहमी सी आवाज़ में ): "कनिका! प्लीज़, मुझे गलत मत समझना, पर कॉलेज की बात अलग थी। अब मेरी शादी हो चुकी है, तो क्या हम बस थोड़ा सा डिस्टेंस मेन्टेन कर सकते है?"
मृत्युंजय का ये बिहेवियर देख कनिका थोड़ी उदास ज़रूर थी, लेकिन बिना कुछ कहे ही कनिका ने मृत्युंजय से फिजिकल डिस्टेंस मेन्टेन कर लिया।
कनिका आखिर क्यों इतना सब कर रही थी? क्या उसे बस सच में अपने दोस्त की फिक्र थी? या फिर कुछ और था, जो सिर्फ कनिका जानती थी?
जानने के लिए पढ़िए कहानी का अगला भाग।
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