मृत्युंजय का बर्ताव देखकर कनिका थोड़ी ऑकवर्ड महसूस कर रही थी। उसने मृत्युंजय के लिए एक खूबसूरत डिनर डेट प्लान की थी, लेकिन मृत्युंजय का ध्यान वहां बिल्कुल भी नहीं था। वह हर पल सिर्फ नेहा के बारे में ही सोच रहा था। नेहा की गैर-मौजूदगी ने मृत्युंजय को इस कदर परेशान कर दिया था कि वह न तो अपने काम पर ध्यान दे पा रहा था और न ही कनिका की कही किसी बात पर।

मृत्युंजय को परेशान देखकर कनिका ने माहौल हल्का करने के लिए टॉपिक बदलने की कोशिश की। उसने मृत्युंजय के लिए उसकी पसंदीदा स्ट्रॉन्ग कैपचिनो और अपने लिए हेज़लनट लाटे ऑर्डर की, ताकि वह मृत्युंजय के चंचल मन को थोड़ा शांत कर सके। जब दोनों की कॉफी आई, तो कनिका ने एक बार फिर माहौल खुशनुमा बनाने की कोशिश की।


कनिका- यह कप ऑफ़ कॉफ़ी तुम्हारे लिए, मुझे पता है मृत्युंजय की तुम नेहा के जाने के बाद से ही टेंशन में चल रहे हो। लेकिन मैं नहीं चाहती की तुम हर वक़्त यही सोचो। नेहा की टेंशन लेना जायज़ है लेकिन इस वजह से अपनी हेल्थ खराब करना तो नहीं।

मृत्युंजय(sad वौइस्)- कनिका मैं समझता हु, लेकिन नेहा बीवी है, मेरी ज़िन्दगी का हिस्सा है। ऐसे हर दिन सुबह उठ कर नेहा को न देखना मेरे लिए आसान नहीं है। हर दिन नेहा मेरे लिए उठ कर ब्रेकफास्ट बनाती थी। कितने फ़ोन करती थी। ये सब मैं कैसे भूल जाऊ कनिका ?

मृत्युंजय की बेचैनी को देखकर कनिका भी मायूस हो रही थी। वह जानती थी कि मृत्युंजय की ज़िन्दगी  में नेहा की एक अहम जगह है। लेकिन कनिका के दिल में उठते सवाल और ईमोशन उसे बेचैन कर रही थीं। वह इस बात को समझती थी कि वह कभी नेहा की जगह नहीं ले सकती, लेकिन मृत्युंजय को इस हालत में देखना भी उसके लिए आसान नहीं था।


कनिका ने धीरे-से अपना हाथ मृत्युंजय के हाथ पर रखा। यह देखकर मृत्युंजय थोड़ा चौंक गया। कनिका का दिल जोर से धड़कने लगा था। उसका यह सॉफ्ट और केयरिंग नेचर मृत्युंजय के लिए बिल्कुल नया था। उसने हमेशा कनिका को एक बिंदास लड़की के रूप में देखा था, जो कॉलेज में सबसे अलग और मस्तमौला थी। अब वही कनिका इतने शांत और गंभीर रूप में पेश आ रही थी।

कनिका की आंखों में आज दोस्ती का वो एहसास नहीं, बल्कि कुछ और ही झलक रहा था।

मृत्युंजय- कनिका तुम इतना मत सोचो। तुमने अभी अभी मेरी कंपनी भी ज्वाइन की है। थोड़ा काम पर भी ध्यान दो (हल्का हस्ते हुए )

कनिका समझ रही थी कि मृत्युंजय केवल बात बदलने की कोशिश कर रहा है। कैफे में कुछ देर और बैठकर, दोनों ने अपना डिनर कम्पलीट किया और वहां से घर की ओर निकल गए।

रात बीती, सूरज की रोशनी से सुबह मृत्युंजय की आंख खुली।


हर दिन मृत्युंजय सुबह उठ तो रहा था, लेकिन सुकून नहीं था। मृत्युंजय नेहा के बारे में सोचता रहता था। चाहे काम करते वक्त हो, मीटिंग्स में हो, या क्लाइंट्स से डील फिक्स करते वक्त। मृत्युंजय का खास ध्यान और मन केवल नेहा के साथ था। लेकिन दूसरी ओर, कल रात जो उसने कनिका की आंखों में देखा था, जो केयर उसने महसूस की थी, वह भी हैरान कर देने वाली थी। मृत्युंजय खुद से भी यही सवाल कर रहा था कि आखिर कनिका इतना सब उसके लिए क्यों कर रही है। क्या सच में मृत्युंजय और कनिका के बीच यह कोई दोस्ती है या मृत्युंजय का शक अब यकीन में बदल सकता है?


मृत्युंजय यह सब सोच ही रहा था कि उसे किचन से कुछ आवाज आई। जैसे कोई किचन के बर्तनों के साथ छेड़छाड़ कर रहा हो।

मृत्युंजय ने जैसे ही नीचे जाकर देखा, तो कनिका को किचन में देखकर वह शॉक हो गया। कनिका और किचन? यह फैक्ट मृत्युंजय एक्सेप्ट नहीं कर पा रहा था। वह यही सोच रहा था कि कनिका आखिर किचन में क्यों है।

इतनी देर में कनिका की नजर मृत्युंजय पर पड़ी।

कनिका- हाय, गुड मॉर्निंग !

मृत्युंजय (shocked voice )- गुड मॉर्निंग, पर तुम किचन में क्या कर रही हो ?

कनिका-तुम्हारे लिए ब्रेकफास्ट बना रही हूं !

मृत्युंजय(shocked )- पर क्यों शेफ कहा है ?

कनिका- मैंने शेफ को मना किया था की आज वो कुछ नहीं बनाएंगे, क्यूंकि ब्रेकफास्ट में बना रही हूं।  

ये सुनकर मृत्युंजय को हैरानी तो बहुत हुई, लेकिन उसने कहा, "कनिका, आखिर इसकी क्या ज़रूरत है? शेफ मेरे लिए कुछ न कुछ बना देंगे। अगर तुम चाहती हो कुछ कुक करना, तो तुम अपने लिए कुक कर लो। मैं वैसे भी कुछ लाइट प्रेफर करता हूं।" यह कहकर मृत्युंजय ने शेफ को इशारा किया और वहां से चला गया।


शेफ को किचन की ओर आता देख, कनिका ने उसे इशारे से मना कर दिया। कनिका जानती थी कि मृत्युंजय अपनी डेली लाइफ से काफी स्ट्रेस्ड था, और ऐसे में कुछ होममेड, कम्फर्ट फूड उसके लिए परफेक्ट हो सकता था। कॉलेज टाइम में भी, मृत्युंजय की थकान घर के खाने से ही दूर हो जाया करती थी। कनिका हमेशा से ही इतनी ज़िद्दी हुआ करती थी। उसकी ज़िद के आगे कॉलेज टाइम में भी किसी की नहीं चलती थी।

जैसे ही मृत्युंजय रेडी होकर ब्रेकफास्ट टेबल पर पहुंचा, तो उसने टेबल पर वाइट सॉस पास्ता बना देखा। यह देखकर मृत्युंजय थोड़ा शॉक हुआ और शेफ से सवाल करने लगा। शेफ से कोई जवाब न आने पर वह समझ गया कि यह सब कनिका ने किया है। कनिका का यह बदलता हुआ बिहेवियर, कुक करना और सब कुछ मृत्युंजय के लिए अब सस्पेंस बनता जा रहा था। वह कनिका से सब पूछना चाहता था कि आखिर वह इतना कुछ क्यों कर रही है, लेकिन कुछ कह नहीं पा रहा था।


इतनी देर में वहां कनिका पहुंची। शेफ का चेहरा देखकर वह समझ गई कि मृत्युंजय ने उससे सवाल किए थे।

कनिका- अरे मृत्युंजय तुम आ गए। रेडी हो कर अच्छे लग रहे हो। (हस्ते हुए )

मृत्युंजय- कनिका ये पास्ता तुमने बनाया है ?

कनिका- हाँ...वो एक्चुअली मेरा मन था आज कुक करने का। बहुत समय हो गया था तो  सोचा आज कुक किया जाए।

मृत्युंजय-कनिका मेरे घर में शेफ्स है.. वो खाना बनाने के लिए ही रखे गए है. (एंग्री वौइस्)

कनिका- हाँ पर मुझे लगा आज अगर  अपने दोस्त के लिए मैं कुछ कुक करू तो शायद तुम्हे अच्छा लगे (sad voice )

कनिका के इस तरह से कहने पर मृत्युंजय ने अपना गुस्सा शांत किया और ब्रेकफास्ट टेबल पर बैठ गया। जैसे ही कनिका ने उसे पास्ता सर्व किया, उसे मानो घर के खाने की याद आ गई और खास तौर पर नेहा के खाने की याद आ गई। नेहा इसी तरह से मृत्युंजय के लिए कुक किया करती थी। दोनों बैठे ब्रेकफास्ट करने लगे।

कनिका का यूं चुप होकर खाना खाना नॉर्मल नहीं था। या तो कनिका कुछ कहना चाहती थी या किसी बात से परेशान थी। हर वक्त बोलने वाली कनिका आखिर चुप कैसे थी? मृत्युंजय को यह सब नॉर्मल नहीं लगा। उसने कनिका से सवाल किया,

मृत्युंजय - "आखिर तुम चुप कैसे हो?"

कनिका ने हंस कर कोई जवाब नहीं दिया।

कनिका- अम्म्म....मृत्युंजय तुमसे कुछ बात करनी थी

मृत्युंजय- हाँ बोलो

कनिका- देखो मुझे गलत मत लेना, पर मैं सोच रही थी की कुछ दिन के लिये कही चलते है.. मेरा कहने का मतलब मैंने एक ट्रिप प्लान की है.. और हम दोनी वहां जा रहे है.. तुम चाहो तो वह से काम भी कर लेना !

मृत्युंजय (शॉकड )- ट्रिप ? कहाँ ?

कनिका- अम्म्म... ऑस्ट्रेलिया, देखो न कहने का कोई ऑप्शन नहीं है। तुम्हे चलना होगा, तुम वहां पीसफ़ुली काम भी कर सकते हो, अपनी मीटिंग्स भी अटेंड कर सकते हो।

मृत्युंजय- पर यार…

कनिका: (उसकी बात को बीच में ही काटते हुए) "मुझे पता था तुम मान जाओगे। मृत्युंजय, तुम सच में बहुत स्वीट हो!"

यह कहकर कनिका टेबल से उठी और मृत्युंजय को गले से लगा लिया। उसने मृत्युंजय को थैंक यू कहा और वहां से चली गई। कनिका के जाने के बाद, मृत्युंजय चुपचाप उसकी तरफ़ देख रहा था और मुस्कुरा रहा था। उसे अब यकीन हो गया था कि वह उस ट्रिप पर जाएगा। मृत्युंजय यह सोचकर हंसने लगा, तभी कनिका वापस आ गई। दोनों ने टेबल पर बैठकर काफी देर तक हंसी-मज़ाक किया। ब्रेकफास्ट खत्म करने के बाद, मृत्युंजय ऑफिस निकलने के लिए रेडी होने लगा।

मृत्युंजय को अब धीरे-धीरे समझ में आने लगा था कि कनिका के फीलिंग्स मृत्युंजय को लेकर चेंज हो रहे थे। कनिका का मृत्युंजय की हर छोटी ज़रूरत का ख़याल रखना अब मृत्युंजय को भी अच्छा लगने लगा था, या यूँ कहें कि उसे इसकी आदत सी हो गई थी। कनिका की मौजूदगी, उसका ख्याल रखना, ये सब कुछ बहुत नैचुरल लग रहा था। कनिका हमेशा से उसकी इतनी परवाह करती थी। कनिका ने अपने रोज़मर्रा के पलों को मृत्युंजय के लिए खास बनाने का फैसला किया। वह जानती थी कि कुछ बड़ा और ड्रामेटिक नहीं होना चाहिए। छोटी-छोटी बातें, जैसे उसका ध्यान रखना, वे सभी बातें मृत्युंजय के लिए एक तरह से इमोशनल हीलिंग बनती जा रही थीं।


मृत्युंजय हॉल में पहुंच कर कनिका का इंतजार करने लगा। उसने कनिका को ऑफिस चलने के लिए आवाज लगाई। कनिका ने नहीं सुनी। थोड़ी देर में कनिका नीचे आई और उसका चेहरा पीला पड़ चुका था। कनिका को देख ऐसा लग रहा था जैसे वह मृत्युंजय से कुछ कहना चाहती हो। टेंशन कनिका के चेहरे पर साफ दिख रही थी। थोड़ी देर पहले ऑस्ट्रेलिया की ट्रिप फाइनल कर कनिका इतनी खुश थी और अब अचानक कनिका के चेहरे पर यह टेंशन या मायूसी सी देख मृत्युंजय उससे सवाल करना चाहता था। लेकिन मृत्युंजय ने उस वक्त कनिका को अकेला छोड़ना बेहतर समझा।


ऑफिस के काम के बीच, कुछ थकावट और बेचैनी के साथ, मृत्युंजय अपने केबिन में कुछ फाइनल रिपोर्ट्स देख रहा था। उसका मन नहीं लग रहा था। वह कुछ सोचने की कोशिश कर रहा था, लेकिन हर बार उसका ध्यान कनिका की तरफ़ चला जाता था। कनिका का केबिन मृत्युंजय के केबिन के पास ही था।

कनिका: "मृत्युंजय, एक मिनट।"

कनिका अपने केबिन के गेट पर खड़ी थी, और वह आज पहली बार इतनी सीरियस थी। मृत्युंजय ने उसे अंदर बुलाया। कनिका की आँखों में कुछ ऐसा था, जो उसने पहले कभी नहीं देखा था।

मृत्युंजय (थोड़ा हैरान होकर): "कनिका? क्या बात है?"

कनिका: "मुझसे एक बहुत बड़ी गलती हो गयी है। मैंने इसको सुधारने की बहुत कोशिश करी, पर अब मुझे समझ नहीं आ रहा क्या करना चाहिए?"

कनिका ने ऐसी क्या गलती कर दी थी जिसे वो अब तक छुपाती आ रही थी? क्या कनिका की यह गलती मृत्युंजय की ज़िन्दगी को किसी नए मोड़ पर ले जाने वाली थी?

जानने के लिए पढ़िए कहानी का अगला भाग।

 

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