कनिका की लटका हुआ मुंह अब मृत्युंजय के लिए टेंशन बनती जा रहा था। एक ओर कनिका का यूं अचानक मृत्युंजय के केबिन में आना, तो दूसरी ओर मृत्युंजय का बढ़ता डर। कनिका चुपचाप मृत्युंजय के केबिन में आई और सामने वाली सीट पर जाकर बैठ गई। कनिका को इतना टेंस्ड मृत्युंजय ने इससे पहले नहीं देखा था।
उसने मृत्युंजय की तरफ़ बहुत ध्यान से देखा, और उसका हाथ पकड़ते हुए थोड़ा हिचकिचाने लगी।
कनिका (हिचकिचाते हुए ): "मृत्युंजय, तुम्हें याद है न मैं गोवा से यहाँ बैंगलोर क्यों आई थी?"
मृत्युंजय समझ नहीं पा रहा था कि कनिका कहना क्या चाहती है, वह बस चुपचाप से कनिका की तरफ़ देखता रहा। मृत्युंजय के एक्सप्रेशन देखकर कनिका समझ गई कि उसे कुछ समझ नहीं आ रहा है। कनिका ने एक लंबी सांस ली और मृत्युंजय को समझाने की कोशिश करने लगी।
कनिका : "मृत्युंजय, तुम एक बहुत सक्सेसफुल बिज़नेसमैन हो और मैं इस सेक्टर में कुछ भी समझ नहीं पा रही हूँ। इसीलिए मैंने तुम्हारा ऑफिस ज्वाइन करने की रिक्वेस्ट की थी।"
मृत्युंजय के चेहरे पर अब कन्फ्यूज़न साफ नजर आ रहा था। मृत्युंजय कनिका को साफ-साफ अपनी बात कहने को कहता है।
कनिका (डरते हुए): "मृत्युंजय मुझसे प्रेज़ेंटेशन बनाने में गलती हो गई है और वो सारे प्रपोज़ल क्लाइंट को जा चुके है। आइ एम सॉरी।"
मृत्युंजय (concern होते हुए): कैसी गलती, मुझे साफ़-साफ़ बताओ।
कनिका घबराते हुए मृत्युंजय को सब कुछ बता देती है कि कैसे उसने गलती से एक कॉन्फिडेन्शियल डॉक्यूमेंट क्लाइंट को भेज दिया।
मृत्युंजय: "लेकिन कैसेl, कनिका ! ये डील करोड़ो की है। तुमने कुछ भी फॉर्वर्ड करने से पहले मुझसे वेरिफाइ किया था?"
मृत्युंजय का चेहरा देखकर कनिका सहमने लगी। उसे समझ आ रहा है कि मृत्युंजय अब कोई न कोई ऐसा कदम उठा सकता है जिससे उसकी दोस्ती मृत्युंजय के साथ खराब हो सकती है। ये सुनकर मृत्युंजय को भी बड़ा झटका लगा था। जिस डील के चलते मृत्युंजय और नेहा के रिश्ते में मीलों की दूरी आ गई थी, आज वही डील मृत्युंजय के हाथों से छीनी जा सकती थी। ये सोचकर मृत्युंजय और भी आग बबूला हो उठा। उसने कनिका को केबिन से चले जाने को कहा। मृत्युंजय की आवाज़ इतनी तेज थी कि पूरा ऑफिस मृत्युंजय के केबिन की तरफ देखने लगा ।
कनिका के केबिन से न जाने पर मृत्युंजय खुद अपने केबिन से उठा और निकल गया। मृत्युंजय का ये रूप कनिका ने पहली बार देखा था। कनिका ने अपना सेल्फ कंट्रोल नहीं खोया और मृत्युंजय के पीछे-पीछे जाने लगी. कनिका को ये एहसास था की इतनी बड़ी प्रॉब्लम के बाद मृत्युंजय सिर्फ एक इंसान के पास जाएगा, वह है एंटिला संस के मैनेजर मिस्टर शर्मा। मृत्युंजय अभी मिस्टर शर्मा से कुछ कह ही पाता की इतने देर में कनिका भी वहां आ गयी। कनिका को वहां देख मृत्युंजय के गुस्से की अब कोई सीमा नहीं रही और वो कनिका पर ज़ोर-ज़ोर से चिल्लाने लगा।
मृत्युंजय- अब तुम यहाँ क्यों आयी हो कनिका ? प्रोजेक्ट ख़राब कर दिया न अब यहाँ आने की क्या ज़रूरत है ? मैं और मिस्टर शर्मा मिलकर सब ठीक करना चाहते है और तुम..
मृत्युंजय की बात सुनकर कनिका आग बबूला हो उठी। बिना कुछ कहे कनिका वहां से चली गई।
कनिका अपने केबिन में पहुंची और गुस्से से अपना हाथ टेबल पर मारा।
कनिका (गुस्से में खुद से): मृत्युंजय अपने आप को समझता क्या है? उसने मेरे ऊपर चिल्लाया वो भी पूरे ऑफिस के सामने. ही विल हैव टू पे फॉर इट।
ऑफिस का माहौल काफी सीरियस हो चुका था। एक इंपोर्टेंट प्रोजेक्ट, जिसमें करोड़ों रुपये फंसे थे, अब खतरे में है। यह प्रोजेक्ट पूरी कंपनी के लिए बहुत ज़रूरी था, लेकिन कनिका की इस गलती के बाद सिचुएशन बिगड़ती नजर आ रही है। मृत्युंजय बस किसी भी तरह से इस डील को बचाना चाहता था। उसने सीधे, इस प्रोजेक्ट से जुड़े सारे लोगों को कांफ्रेंस हॉल में आने को कहा। मिस्टर शर्मा और इस प्रोजेक्ट से जुड़े कई लोगों से इस प्रोजेक्ट पर चल रही सारी अपडेट्स लाने के लिए मृत्युंजय ने सबको ऑर्ड्स दिए।
मिस्टर शर्मा ने भी स्टाफ से कहा कि “आप सब के पास इस प्रोजेक्ट से जुड़े जो भी अपडेट्स है डॉक्युमेंट्स है, प्लीज़ ले कर आइये। हमारा इस प्रोजेक्ट को बचाना बहुत ज़रूरी है. अगर ये प्रोजेक्ट हमारे हाथो से गया तो हमे और हमारी कंपनी को बहुत नुक्सान उठाना पड़ सकता है। “
ये सुनकर वहां मौजूद सभी एंप्लाई टेंशन में आ जाते है। हड़बड़ाहट में सबके वहां से जाने के बाद मिस्टर शर्मा ने मृत्युंजय को ये सलाह दी कि कंपनी से डायरेक्टली बात करके, प्रपोज़ल्स को फिज़िकली प्रेज़ेंट करने की रिक्वेस्ट की जा सकती है। मृत्युंजय ने ठंडे दिमाग से सोचा और फैसला किया कि वह खुद क्लाइंट से बात करेगा। मृत्युंजय बिना किसी देरी के डायरेक्ट कंपनी के सीईओ को कॉल लगाता है। लेकिन कॉल नहीं उठता।
क्लाइंट से कॉन्टेक्ट न कर पाने पर, मृत्युंजय ने मिस्टर. शर्मा को कंपनी की तरफ़ से ऑफिशियल मेल करने का ऑर्डर दिया और कहा कि वह कॉल्स भी ट्राई करते रहें।
मिस्टर. शर्मा सिर हिलाकर सहमति जताते है। अब सभी की नज़रें मृत्युंजय पर टिकी है कि वह इस समस्या को कैसे हैडल करता है। मृत्युंजय अपने प्रोजेक्ट को लेकर बहुत परेशान है।
मृत्युंजय, इस प्रोजेक्ट के सारे स्टाफ को फिर से सारी रिपोर्ट्स और प्रपोज़ल चेक करने को कहता है। और सबको कहता है कि जो भी गलतियां इस प्रोजेक्ट को लेकर हुई है, उन सभी की एक फाइनल रिपोर्ट बनाकर जल्द से जल्द उसे सबमिट करें और दूसरी तरफ़ मृत्युंजय भी अपनी तरफ़ से क्लाइंट से रीच आउट करने की कोशिश करता रहता है।
वहीं दूसरी तरफ़ कनिका अपने केबिन में बैठी लगातार बस यही सोच रही थी कि आखिर इस बिगड़ती सिचुएशन को वह कैसे संभाले। कनिका अपना लैपटॉप चेक करने लगी, तभी उसने कुछ अजीब नोटिस किया। कनिका ने गलती से असली फाइल के बजाय सिर्फ कंफर्मेशन ड्राफ्ट ही क्लाइंट को भेज दिया था और उसे तब रिअलाइज़ हुआ कि इस छोटी सी गलती से पूरे ऑफिस में टेंशन और कन्फ्यूज़न कितनी बढ़ गई है।
कनिका ने तुरंत ये बात मृत्युंजय को बताना सही समझा। उसके केबिन में कनिका जैसे ही पहुंची तो देखा कि मृत्युंजय अपने सर पर हाथ रखे परेशान हुआ बैठा है। उसे इस हालत में देख कनिका इमोशनल हो गई लेकिन ये वक्त इमोशनल होने का नहीं, अपनी गलती सुधारने का था। कनिका ने तुरंत सारी बात मृत्युंजय को बताई।
यह सब सुनकर, मृत्युंजय थोड़ा रिलैक्स्ड महसूस करने लगा। कम से कम अब उन्हें यह तो पता चल गया कि दिक्कत कहां थी। तभी, उनके पास क्लाइंट कंपनी का ऑफिशयल मेल आया। क्लाइंट चाहते थे कि एक मीटिंग रखी जाए, जिसमें टर्म्स पर चर्चा हो और डील को ऑफिशयली साइन किया जा सके। कनिका ने अपनी गलती समझ ली थी और तुरंत क्लाइंट को कॉन्टकेट् करके इस कन्फ्यूज़न को सुलझाने की कोशिश की थी। उसने यह मीटिंग इसीलिए अरेंज की थी ताकि सब कुछ क्लियर हो सके और प्रोजेक्ट सही तरीके से कंप्लीट हो सके। कनिका की समझदारी और तेजी से अब टीम क्लाइंट के साथ आखिरी फेज़ तक पहुंचने के लिए तैयार थी। यह सब जब मृत्युंजय को बताया गया तो उन्हें सुकून मिला कि यह प्रॉब्लम अब सुलझ चुकी थी, और यह डील अब भी उनकी कंपनी को मिल रही थी। मृत्युंजय आराम से अपने केबिन से बाहर जाकर पूरे स्टाफ से बात करने के लिए निकला।
केबिन से बाहर निकलते ही मृत्युंजय ने अपनी टीम को कहा,
मृत्युंजय- मैं आप सब से माफ़ी चाहता हूँ। आज जो कुछ भी हुआ वो शायद नहीं होना चाहिए थे। लेकिन ये डील मेरे और हमारी कंपनी और आप सब के लिए बहुत ज़रूरी है। इस डील को शायद हमने खो ही दिया था लेकिन कनिका की सूझ बूझ से ये डील खोने से बच गयी है। मैं आप सब का शुक्र गुज़ार हूँ. इसी ख़ुशी में आज आप सब को कंपनी की तरफ़ से एक ऐक्स्ट्रा ब्रेक, जाइये एनज्वॉय करिये।
दिन बीता, शाम हुई.. अब मृत्युंजय का मन घर जाने का नहीं, बल्कि कनिका से मिलने का था। उसे याद आया कि सुबह कनिका कुछ कहना चाहती थी, पर मृत्युंजय ने अपने गुस्से में उसकी एक नहीं सुनी। कनिका भी सुबह से अपने केबिन में नहीं थी। गुस्से में कनिका ने मृत्युंजय को सब सच बताने के बाद ऑफिस छोड़ दिया था। यह सोचकर मृत्युंजय भी काफी अपसेट था। मृत्युंजय सीधा अपने घर चला गया, और प्लान किया कि वहां जाकर कनिका से सॉरी बोलेगा, और उसे अपने साथ ऑस्ट्रेलिया चलने के लिए मनाएगा। लेकिन जब वह घर पहुंचा, तो उसने देखा कि कनिका वहां नहीं थी। वह उसके इंतजार में घर में इधर-उधर देखता रहा, लेकिन वह जा चुकी थी।
कनिका का यूं अचानक चले जाना, मृत्युंजय को अपनी गलतियों का अहसास करवा रहा था। यह शायद उसका काम के प्रति रवैया ही था कि उसकी पत्नी नेहा और आज उसकी दोस्त कनिका भी उसे छोड़कर चली गई थीं।
मृत्युंजय ने कनिका को काफी हर्ट किया था। उसने सोफे पर बैठे-बैठे अपने आप से कहा,
मृत्युंजय: “मुझे पहले ही कनिका की पूरी बात सुन लेनी चाहिए थी। मैंने बिना उसकी साइड समझे उसे इग्नोर कर दिया, और अब वह बिना कुछ कहे चली गई है।”
उसके जाने से मृत्युंजय को उसके अंदर एक खालीपन सा महसूस होने लगा, जैसे उसने अपनी गलती से कुछ बड़ा खो दिया हो।
वह वहीं बैठे-बैठे सोचने लगा कि अगले दिन वह किस तरह कनिका से मिले और उससे माफी मांगे। आखिर कनिका मृत्युंजय का घर छोड़कर कहाँ जा सकती है, बैंगलोर में तो उसके अलावा कनिका का कोई अपना है भी नहीं। अब मृत्युंजय को कनिका की चिंता सताने लगी कि आखिर कनिका गई तो गई कहां?
जानने के लिए पढ़िए कहानी का अगला भाग।
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