अनिकेत को हिना की DP नहीं दिख रही थी. वो समझ चुका था कि हिना ने उसको ब्लॉक कर दिया था. ये देखकर उसका दिल तेज़ी से धड़कने लगा था. उसको यकीन नहीं हो रहा था कि उसकी हिना उसके साथ ऐसा भी कर सकती थी. वो उसको मैसेज करके कन्फर्म करना चाहता था. वो देखना चाहता था, हिना ने उसको रियली में ब्लॉक किया है या नहीं? लेकिन की-बोर्ड पर उसकी उँगलियाँ काँप रही थी.
मैसेज सेंड करने की उसकी हिम्मत नहीं हो रही थी, क्योंकि वो अपने उस भ्रम को बनाए रखना चाहता था. काफ़ी देर तक कोशिश करने के बाद भी उसकी हिम्मत नहीं हुई. उसने मोबाइल सोफ़े पर फेंका और अपने घर की बालकनी में जाकर खड़ा हो गया.
ईशान अपने छोटे भाई की हालत देख रहा था. वो उठकर उसके पास गया और उसके कंधें पर हाथ रखकर पूछा, “क्या हो गया अनु? कल से ही बहुत उदास लग रहा है?” अनिकेत ने अपनी आँखों की नमी छुपाने की कोशिश करते हुए “न” में सर हिला दिया. ईशान समझ तो रहा था, लेकिन जब अनिकेत ने उसको कुछ नहीं बताया, तो उसने अपने छोटे भाई के कंधे पर हाथों की थपकियाँ दी और वहां से चला गया.
उसकी हालत किसी वीरान पड़े उस घर जैसी हो गयी थी, जिसमें दीवारें तो थी, लेकिन उन पर रौनक नहीं बची थी. उस घर का सारा सामान एक चोर लूट कर ले गया था. हिना वही चोर थी, जिसने उसको लूटकर वीरान कर दिया था. आज उसको समझ आ रहा था कि इश्क़ और बेवफ़ाई पर इतने गाने क्यों बनते हैं. उसको अब समझ आने लगा था कि फिल्मों में आशिक को पागल की तरह क्यों दिखाया जाता है? सरहद पार से रोज़ उसके कानों में पड़ने वाली आवाज़ शायद अब हमेशा के लिए ख़ामोश हो गयी थी। वो अपने साथ अनिकेत के चेहरे से खुशी भी चुरा ले गई ।
अनिकेत का दिल हिना की कैद में था और दुनिया कोविड की. दुनिया भर के साथ इंडिया में भी हर दिन केसेस बढ़ते ही जा रहे थे. गवर्नमेंट के रूल्स और रेगुलेशन और ज़्यादा स्ट्रिक्ट होते हैं जा रहे थे. पूरी दुनिया को आइसोलेशन का मतलब पहली बार पता चल था। गवर्नमेंट ने लोगों को बाहर निकलने और किसी भी पब्लिक प्लेस पर फालतू बैठने पर स्ट्रिक्ट एक्शन लेना शुरू कर दिया था. बस, ट्रैन के पहिये पूरी तरह थम चुके थे, ऐसे में लाखों लोग पैदल चलने और भूखे सोने के लिए मज़बूर हो गए थे.
हॉस्पिटल्स में हज़ारों कोरोना पेशेंट रोज़ मौत के मुँह में समा रहे थे. कुल मिलाकर पूरी दुनिया मरघट में तब्दील हो चुकी थी. कोरोना ने लाखों लोगों को बेरोजगार बना दिया था. बड़ी-बड़ी कंपनियाँ इस मुश्किल समय में अपने एम्प्लॉईज़ की हेल्प करने की जग़ह उनकी नौकरियां छीनने में लगी हुई थी और जो एम्प्लॉइज बच गए थे उनको आधी सैलेरी में अपना घर चलाना पड़ रहा था. अनिकेत को पिछले 3 महीनों से सेलेरी नहीं मिली थी.
उसके बॉस ने “नो वर्क-नो सैलेरी पॉलिसी” लागू करके उसके ऑफिस में कई कलीग्स को प्रॉब्लम में डाल दिया था. उसका घर अभी तक सेविंग्स और उसके भाई और मम्मी की हाफ सेलेरी पर चल रहा था, लेकिन उसमें से भी वन बाय थर्ड हिस्सा ईएमआई में कट रहा था और धीरे-धीरे घर का खर्च तक चलाना उनके लिए एक चैलेंज बनता जा रहा था.
इधर आज दूसरे दिन का सूरज भी अपने घर लौटने लगा था लेकिन आज भी उसके पास हिना का कोई मैसेज नहीं आया था. सारी दुनिया, कुछ भी करके कोरोना से बचना चाहती थी. लोग मास्क लगा रहे थे, हर मिनट पर खुद को सेनेटाइस कर रहे थे. अपनों ने ही अपनों से दूरियां बना ली थी। ऐसा लगता था कि अनिकेत को अब अपनी जान की कोई परवाह ही नहीं थी. कोविड से ज़्यादा उसको हिना से बिछड़ने का डर सता रहा था.
उसके भाई और मम्मी को अपने घर के ख़र्चों की फ़िक्र सता रही थी, लेकिन अनिकेत, हिना की याद में अपने आप को ख़र्च कर रहा था. शाम को वो अपने टैरेस पर गया और एक कोने में चुपचाप बैठ गया. शहर और उसका दिल, दोनों ही वीरान हो चुके थे. वो काफ़ी देर तक डूबते हुए सूरज को देखता रहा और अँधेरा बड़ा तो शून्य में खो गया. वो सोच रहा था,
Aniket (thinking) - दो दिन में एक मैसेज तक नहीं किया उसने मुझे। ये दुनिया वैसे भी ख़त्म होने वाली है, फिर थोड़े दिन और मुझसे बात लेती तो क्या बिगड़ जाता तुम्हारा? तुम्हारे बिना मैं एक ज़िंदा लाश हो गया हूँ, फिर ज़िंदा रहकर भी क्या करूँगा?
वो आज बहुत ज़्यादा अपसेट था। उसे इतने नेगेटिव ख़याल आ रहे थे कि वो आज कुछ भी कर सकता था। आख़िर मैं उसने एक गहरी साँस ली और एक कॉल किया,
Aniket (polite & slow) - मनीष भाई, मैं अनिकेत बात कर रहा हूँ। इंतज़ाम हो जायेगा क्या? बहुत ज़्यादा नीड लग रही है।
“नहीं भाई, मरवाओगे क्या? Covid के प्रोटोकॉल हमें भी फॉलो करने पड़ते हैं। पुलिस की चेकिंग चलती रहती है बाहर। ख़ुद भी फँसोगे, साथ मैं हमें भी फँसा दोगे।” सामने वाले शख़्स ने कहा। अनिकेत भी उसकी बात कहां मानने वाला था, उसने आज कसम खा ली थी। कुछ सोचकर उसने फिर कहा,
Aniket (requesting) - प्लीज़ भाई, आपको कुछ भी करके इंतज़ाम तो करना ही पड़ेगा मेरे लिए। मेरी रातों की नींद उड़ी हुई है।
उसकी रिक्वेस्ट पर मनीष सोचने पर मज़बूर हो गया था। उसने 5 मिनिट वेट करने का बोला और फोन रख दिया। अनिकेत बेसब्री से उसके कॉल का वेट करते हुए बड़बड़ा रहा था,
Aniket (thinking & angry) - तुम्हें क्या लगा था? मैं तुम्हारे बिना रह नहीं पाऊंगा हिना? अब तुम देखना अब मैं तुम्हें कितनी जल्दी भुलाता हूँ। अपने अंदर से तुम्हारी एक-एक याद को चुन-चुन कर बाहर निकाल फेकूँगा मैं।
वो ग़ुस्से में काफ़ी देर तक बड़बड़ाता रहा, लेकिन कॉल नहीं आया तो उसने अपने आप से कहा,
Aniket (thinking) - ये दुनिया कभी वक़्त पर काम नहीं आती। किसी से कोई उम्मीद मत रख अब तू। ज़रूरत लगने पर सब मुँह फेर लेते हैं। एक टाइम पर इसी मनीष के लिए कितना कुछ किया है मैंने। आज देख, जब तुझे ज़रूरत लगी, तो रिटर्न कॉल तक नहीं किया उसने।
उसने फिर से मनीष को कॉल किया। इस बार उसने हां बोल दी। अनिकेत खुश हो गया था। वो नीच उतरा और उसके भाई के कमरे में जाकर चुपचाप कार की चाबी उठा लाया था। ईशान अपनी कार घर के बाहर ही पार्क करता था। लॉकडाउन की वजह से उसे कार यूस में नहीं आ रही थी। उसने कार स्टार्ट की और निकाल पड़ा अपने दर्द कि दावा लेने।
रात के सन्नाटे में उसकी कार ख़ाली सड़क पर अपनी स्पीड में दौड़ रही थी। उसका पूरा बचपन इंदौर में बिता था। वो हर-एक शॉर्टकट जानता था। पुलिस से बचते बचाते अनिकेत अपनी मंज़िल तक पहुँच चुका था। उसने एक शॉप के सामने कार रोक दी और मनीष को कॉल किया,
Aniket (in call) - भाई मैं शॉप के सामने खड़ा हूँ।
मनीष ने उसको साइड की एक पतली गली में बुलाया। अनिकेत को उसका सामान दिया और तेज़ी से घर में घुस गया। अब उसका कॉन्फिडेंस और ज़्यादा बढ़ गया था। उसने अपने मन में कहा,
Aniket (thinking) - इंदौर की पुलिस मुझे पकड़ना तो दूर, देख भी नहीं सकती है। यहां की एक-एक गली-चौराहें को नाप रखा है मैंने। अब आएगा न मज़ा। हिना, अब तुम्हारी याद से बचने का इंतज़ाम कर लिया है मैंने।
इतना बोलकर उसने अपना सीक्रेट वेपन सीट के नीचे छुपाया और अपने घर की ओर बढ़ गया। वो जिन सीक्रेट रास्तों से आया था, वापस भी उन्हीं रास्तों से जा रहा था। उसकी स्पीड थोड़ी कम ही थी, ताकि पुलिस का सायरन सुनते ही आसानी से छुपा जा सके, लेकिन कहते हैं न कि हमेशा किस्मत अच्छी नहीं होती। पुलिस का एक बेरिकेट्स अनिकेत देख नहीं पाया था। उसने जैसे ही सामने पुलिस के जवान देखे, वो घबरा गया। अब कार रोकने के अलावा उसके पास और कोई ऑप्शन भी नहीं था।
“हां भई, कहां कार रेसिंग चल रही इतनी रात को लॉक डाउन में?” एक जवान ने उसकी कार में अंदर झांकते हुए पूछा। अनिकेत अपनी घबराहट छुपाने की कोशिश कर रहा था, पर अपने मिशन में क़ामयाब नहीं हो पाया। उसने हैसिटेशन में कहा,
Aniket (hesitate) - क…. सर एक दोस्त की तबियत ख़राब है। उसके लिए मेडिसीन लेने जा रहा हूँ। थोड़ी जल्दी में हूँ सर प्लीज़।
“मेडिसिन तेरे घर के पास ही मिल जाती न? इधर कहा जा रहा तू?” एक जवान ने उसकी कार में डंडा मारकर रोब दिखाया। अनिकेत नॉर्मल रहने की पूरी कोशिश कर रहा था, पर डंडे की आवाज़ सुनकर उसकी घबराहट और ज़्यादा बढ़ गयी थी।
Aniket (scared) - सर मेरे दोस्त को जिन टेबलेट्स की ज़रूरत है, वो रेंडम मेडिकल पर नहीं मिलती। डायरेक्ट हॉस्पिटल ने लेकर आना पड़ेगा सर।
“प्रिस्क्रिप्शन होगा न तेरे पास? बता दे हमें छोड़ देंगे।” उस जवान ने कार की तलाशी लेते हुए कहा। उस जवान ने जैसे ही कार की पिछली सीट के नीचे देखा, उसमें से हिना की याद निवारक syrup बाहर आ गयी। “अच्छा तो ये है तेरे दोस्त की स्पेशल दवा है न?” उस जवान ने शराब की बोतल दिखाकर उससे पूछा। उसकी चोरी पकड़ा गयी थी, पर अब बचने के लिए झूठ तो बोलना ही था, इसलिए उसने अनजान बनने की कोशिश करते हुए कहा,
Aniket (scared) - म..... मुझे नहीं पता सर ये मेरी कार में कैसे आई? पहले से रखी होगी शायद। सर प्लीज़ समझने की कोशिश कीजिये।
वो गिड़गिड़ाता रहा, पर पुलिस पर इसका कोई आसार नहीं हुआ। “पूरी दुनिया कोरोना से मर रही है और इनको पेग लगाना है, कार से नीचे उतर,” कहते हुए एक जवान ने उसको कार से नीचे उतारा और उस पर डंडे बरसाना शुरू कर दिए। उसने लाइफ में पहली बार जाना था कि कानून की लाठी आवाज़ कम करती है और दर्द ज़्यादा देती है। वो जितना ज़्यादा बचने की कोशिश कर रहा था, डंडा भी उसी तेज़ी से पड़ रहा था। वो कानून की मार ज़्यादा देर तक सहन नहीं कर पाया और रो दिया, पर उसके आंसुओं का जवानों पर कोई असर नहीं हुआ। उन्होंने कोविड में लगी ड्यूटी का अपना पूरा फ्रस्टेशन, अनिकेत पर निकाला था। उन्होंने उसकी याद निवारक दवा भी अपने पास ही रख ली थी।
हिना की “याद निवारक दवा” लेने गया अनिकेत अपने अपने शरीर पर ज़ख्म लेकर वापस लौटा था। कार से उतरकर वो घर में अंदर गया और चुपचाप अपने कमरे में जाने की कोशिश करने लगा, पर ईशान ने उसको कार पार्क करते टाइम देख लिया था। वो उसके पास आया और फ़िक्रमंद होकर पूछा, “कहां गया था तू, इतनी रात को?”
Aniket (hesitation) - क… कुछ नहीं। थोड़ा फीवर था, मेडिसिन लेने गया था।
(angry) “फीवर था, तो बाहर जाने की क्या ज़रूरत थी? पागल हो गया क्या तू? हो क्या गया है तुझे? घर में मेडिसिन रखी है और ज़नाब कोरोना में बाहर घूम रहे हैं।” उसके भाई ने उसको जमकर डॉट लगाई। उसकी आँखें एक बार फिर से नम हो गयी थी। उसने तेज़ी में गेट लगाया और सीधा बेड पर गिरा, तो उसकी बॉडी का रोम-रोम बोल उठा था। उसकी पूरी बॉडी पेन कर रही थी। उसकी रियली में भी फीवर आ गया था।”
कोविड में नॉर्मल फीवर भी नॉर्मल कहाँ होता है। उसके भाई ने तुरंत उसकी मम्मी को बताया। वे दोनों टेंशन में घबरा गए थे। उसको उसी दिन से कोविड का पेशेंट मानकर उसका होम ट्रीटमेंट स्टार्ट हो गया था। उसको अपने कमरे से बाहर नहीं निकलने के सख़्त ऑर्डर दे दिए गए थे।
उसकी बॉडी पर डंडे के निशान बन गए थे, जिनकी वजह से वो ठीक से सो भी नहीं पा रहा था। अनिकेत काफ़ी देर तक उसके साथ हुए उस इंसिडेंट को याद करके अपने आप पर ग़ुस्सा होता रहा। अपना माइंड डायवर्ट करने के लिए उसने मोबाइल उठाया। उसमें हिना के मैसेजेस आये हुए थे। मैसेजेस में हिना का नाम देखते ही पहले तो, वो ख़ुश हो गया, पर तुरंत की उसका चेहरा ग़ुस्से से भर गया। मैसेजे देखे बिना ही उसने मोबाइल एक तरफ रखा और अपना चेहरा अपने दोनों हाथों में छुपाकर सिसक पड़ा।
ऐसा क्या लिखा था हिना के मैसेज में? जो रोने पर मज़बूर हो गया था अनिकेत? क्या हिना उसकी लाइफ में फिर से आ पायेगी? ऐसा क्या होगा कोविड में उसके साथ? जो बदल जाएगी उसकी पूरी दुनिया?
जानने के लिए पढ़िए कहानी का अगला भाग।
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