अनिकेत की बॉडी पर पुलिस के डंडों के ज़ख्म थे और दिल पर हिना के दिए। नोटिफिकेशन में हिना का नाम देखकर वो काफ़ी देर तक रोता रहा। उसने मोबाइल उठाया और मैसेज पढ़े। उसने लिखा था,
Heena (upset) - सॉरी अनु। हमने बहुत कोशिश की आपसे दूर रहने की, लेकिन हम रह नहीं पाए। हम जानते हैं, हमने आपको काफ़ी हर्ट किया है। हम प्रॉमिस करते हैं कि अब हम आपको कभी परेशान नहीं करेंगे।
मैसेज पढ़कर उसकी आँख से एक आँसू निकला और सीधा हिना के मैसेज पर जा गिरा। उसने हिना को अपने ज़ख्मों का फ़ोटो सेंड किया और साथ में लिखा,
Aniket (offence) - तुम्हारे प्यार की नीली निशानी।
Heena (shocked) - या अल्लाह, क्या हुआ अनु? किसने मारा आपको? ये तो बहुत सारे ज़ख्म है।
वो कुछ रिप्लाय करता उससे पहले ही हिना ने उसको कॉल किया और घबराकर पूछा,
Heena (shocked) - क्या है ये सब अनु? किसी से लड़ाई की क्या आपने?
वो क्या ज़वाब देता? उसने पहले बात टालने की कोशिश की और फिर पूरा इंसिडेंट बता दिया। सुनकर हिना उससे नाराज़ हो गयी थी। उसकी आवाज़ में फ़िक्र की जगह disoppointment था। उसने कहा,
Heena (upset) - Very shameful Anu. हमें पता नहीं था, आप ड्रिंक करते हो? वरना हम आपसे पहले ही दूर हो जाते।
Aniket (angry) - पहली बात तो ये हैं कि मैं रेगुलर ड्रिंक नहीं करता, पर 2 दिन से सो भी नहीं पाया था, तुमने मुझे ब्लॉक कर दिया था। मैं तुम्हें भूल नहीं पा रहा था, इसलिए ज़रूरी हो गयी थी, लेकिन फिर भी ड्रिंक की नहीं है मैंने और दूसरी बात ये कि तुम अभी भी दूर ही हो और अब मैं तुम्हें दूर जाने से रोकूँगा भी नहीं।
Heena (explain) - इतना बड़ा इल्ज़ाम मत लगाइये हम पर। हमने आपको ब्लॉक नहीं किया था, बस अपने आप से नाराज़ थे, इसलिए DP रिमूव की थी। सॉरी अनु, हमने आपको हर्ट किया, पर अब हम आपसे कभी दूर नहीं जायेंगे।
“Its ok”, अनिकेत ने ज़वाब में बस इतना ही कहा और चुप हो गया। उसकी ख़ामोशी हिना को काफ़ी परेशान कर रही थी। वो समझ चुका था, हिना उसे कभी नहीं मिल सकती, इसलिए अब उसने उसको सीरियस लेना बंद कर दिया था।
अनिकेत की लव-स्टोरी किस ओर जा रही थी, ये तो ख़ुद अनिकेत भी समझ नहीं पा रहा था। उसकी लव-स्टोरी की तरह ही कोविड की रफ़्तार भी अब थमने लगी थी। दुनिया ने रा हत की साँस ली थी। केसेस कम होने की वजह से लॉक-डाउन के रूल्स एंड रेग्युलेशन में सख़्ती कम हो गयी थी, लेकिन अभी भी लॉक-डाउन पूरी तरह खुला नहीं था। घर से बाहर निकलने पर मास्क अभी भी कम्पलसरी था। इतनी दिनों से घर में बैठे लोग अब धीरे-धीरे बाहर निकलने लगे थे।
दोनों की कॉल और मैसेजेस पर बातें अब और भी ज़्यादा होने लगी थी, लेकिन अब अनिकेत उस पर ज़्यादा भरोसा नहीं करता था। उसका दिल टूट चुका था। जब कभी हिना नाराज़ होकर उससे रूठती, तो वो सॉरी का एक मैसेज तक नहीं करता था। आख़िर में थककर हिना को ही पहले मैसेज करना पड़ता था। उसको घर से बाहर निकलने की परमिशन अभी भी नहीं थी, पर कभी-कभी वो अपने दोस्तों के साथ अपने घर के बाहर हैंगऑउट ज़रूर करता था।
उस शाम को भी उसके सभी दोस्तों की महफ़िल जमीं हुई थी। दोस्त मिले और एक दूसरे की खिंचाई न करे, ऐसा हो सकता था क्या? पूरी दुनिया में दोस्त ही एक ऐसी कोम होती हैं, जिसमें न कोई गाली का बुरा मानता है और न ही अपनी बेज्ज़ती का। दोस्तों में मज़ाक भी किस हद की होती है, ये आप ख़ुद ही देख लीजिये।
उसने अपने साथ हुए पुलिस इंसिडेंट के बारे में गलती से उसके एक दोस्त, देवेश को बता दिया था। आज देवेश को मौका मिला और उस टॉपिक पर अनिकेत का मज़ाक बन रहा था। देवेश ने उसकी ओर हाथ करते हुए कहा, (laugh) ये जनाब लॉकडाउन में रात के 11 बजे मनीष के पास बियर लेने पहुंच गया।”
उसकी बात सुनकर बाकि सभी दोस्त भी हैरान रह गए थे। “हैं? ये कब से इतनी पीने लगा?” ग्रुप के एक दोस्त ने पूछा।
तू सुनेगा तब न, बता तो रहा हूँ। इसने बियर लेकर कार में रखी और हेकड़ी में चल दिए, पर रीगल पर पुलिस ने रोक लिया इसको फिर इसकी जो धुनाई हुई है न (group laugh) कसम से बहुत धोया था इसको।”
उसके दोस्त उसका मज़ाक बना रहे थे। वो क्या बोलता? सिर्फ़ मुस्कुरा कर रह गया था। ग्रुप अभी कहा रुकने वाला था। एक दोस्त ने कहा, “भाई पुलिस के डंडे खाने की क्या ज़रुरत थी? सनेटाईज़र पी लेता, उसमें भी तो अल्कोहल होता है न। तुझे सुरूर भी आ जाता और कोरोना का वायरस भी मर जाता।” (group laugh)
अभी उसका ठहाका बंद नहीं हुआ था, तभी एक दोस्त ने कहा, “और डंडे हम मार देते। पुलिस के डंडो से ज़्यादा असर होता और घर की बात घर में भी रह जाती।” (group laugh)
दुनिया कोविड से धीरे-धीरे बाहर आने लगी थी। वो ये कहां जानती थी कि कोरोना अभी पूरी तरह गया नहीं है। जिस तरह शेर, अपने शिकार से पहले दो कदम पीछे जाता है, उसी तारा कोरोना वायरस ने एक बार फिर से दुनिया को दहलाने के लिए अपने कदम पीछे लिए थे।
लोग अभी first wave के डर से बाहर भी नहीं निकल पाए थे कि उसकी सेकंड वेव ने एक बार फिर से अपनी ताकत से दस्तक दी। इस बार कोरोना और भी ज़्यादा ताकतवर होकर लौटा था, इतना ताकतवर की हॉस्पिटल्स में बेड कम थे और पेशेंट ज्यादा। ऑक्सीजन और टाइम पर इलाज नहीं मिलने की वजह से लाखों लोग मौत के मुँह में समां रहे थे।
हर और से बस मौत की ही ख़बरें आ रही थी। पूरी दुनिया की तरह अनिकेत और उसका परिवार भी दहशत में आ गया था। उन लोगों ने अब अपने घर से बाहर निकलना पूरी तरह बंद कर दिया था। सरकार ने इस बार प्रोटोकॉल और भी ज़्यादा शख़्त कर दिए थे। घर से निकलना पूरी तरह बंद था। बोरियत दूर करने के लिए दोनों भाई कभी क्रिकेट खेलते, तो कभी चैस, लेकिन वो भी 24 घंटे तो नहीं खेला जा सकता था न? अनिकेत अपनी बोरियत दूर करने के लिए कभी-कभी न्यूज़ देखता, तो दुनिया के हाल जानकर और ज़्यादा डर जाता और TV बंद कर देता था।
उसकी सैलेरी पूरी तरह बंद थी और उनकी मम्मी और भाई की आधी, लेकिन ख़र्च अभी भी पहले की तरह जारी था। आलम ये हो गया था कि मंथ एंड आते-आते उनके पास पैसे ही नहीं बच पाते थे। एक दिन उसने अपनी मम्मी को टेंशन में देखा। उसको पहले लगा, शायद देश-दुनिया के हालात देखकर टेंशन में होगी। आख़िर में उससे रहा नहीं गया और पूछ ही लिया,
Aniket (asking) - मम्मी क्या हो गया? आप इतनी टेंशन में क्यों बैठी हो?
उसकी मम्मी ने उसकी ओर देखा और नॉर्मल दिखने की कोशिश करने लगी। उसने फिर से ज़ोर देखकर पूछा तब उसकी मम्मी ने बताया, “बेटा ईशान और मेरे पास पैसे नहीं बचे है। किराना भी लगभग ख़त्म होने वाला है। ईशान ने उसके दोस्तों से उधार लेने का ट्राय किया, पर ऐसे टाइम में कोई पैसे नहीं देता चाहता। सबकी मजबूरियां है। समझ नहीं आ रहा, अगर अगले मंथ सेलेरी नहीं आई, तो हम लोग क्या करेंगे।”
अनिकेत को अभी तक सीरियसनेस का अंदाज़ा नहीं था। उसकी मम्मी की बात सुनकर आज पहली बार वो टेंशन में आया था। उसने उधार लेने के लिए उसके कुछ दोस्तों को कॉल किया, पर सभी की अनिकेत जैसी ही सिचुएशन थी। उसको उस दिन पैसो की वेल्यू समझ आई थी। अभी उनका डिस्कशन ही चल ही रहा था, तभी उसके पास उसके एक दोस्त का कॉल आया। उसने कॉल उठाया और वो कुछ कहता उससे पहले ही उसके दोस्त ने घबराते हुए कहा, “अनिकेत तेरी भाभी को कोविड हो गया यार। उसको ऑक्सीजन की ज़रूरत है, मैं हर जगह ट्राय कर चुका हूँ, पर कही नहीं मिल रहे।”
Aniket (fast) - रुक मैं कही से इंतज़ाम करता हूँ। तू टेंशन मत कर, मैं कुछ न कुछ करके भाभी के लिए ऑक्सीजन का इंतज़ाम कर दूंगा। मैं कॉल करता हूँ तुझे।
उसने अपने सोर्सेस को कॉल करना शुरू किया। पेड़ काटने वाली दुनिया को ऑक्सीजन की वेल्यू कोविड के टाइम पर समझ आई थी। ऑक्सीजन का इंतज़ाम करना, रेत के ढ़ेर में सुई ढूंढने जैसा हो गया था।
Aniket (requsting) - हां, धर्मेंद भाई अनिकेत बोल रहा हूँ। मुझे अर्जेन्ट में ऑक्सीजन सिलेंडर की नीड है, मुझे पता है आपके पास स्टॉक है, प्लीज़ न मत बोलियेगा।
“भाई जान माँग लो, पर ऑक्सीजन का मत बोलो। आगे से ही सप्लाई बंद है।” इतना बोलकर उसके धर्मेंद्र भाई ने फोन रख दिया। उसको बुरा लगा था, लेकिन सिचुएशन को देखते हुए उसने हार नहीं मानी और तुरंत दूसरा कॉल किया। उसको हर जगह से निराशा ही हाथ लग रही थी। कुछ लोगों ने तो ऑक्सीजन का नाम सुनते ही उसका फोन काट दिया था। लगातार “न” में ज़वाब सुनकर वो निराश हो गया था। वो टेंशन में इधर से उधर घूमकर अपने सोर्सेस के पास कॉल कर रहा था। एक सोर्स ने उसको एक नंबर देते हुए कहा, “मेरा नाम बता देना, तेरा काम हो जायेगा, पर उसके प्राइस हाई ही रहेंगे।”
Aniket (accepted) - नो प्रॉब्लम। हमें बस सिलेंडर दिला दीजिये। प्राइस थोड़ा बहुत ऊपर भी चलेगा।
उसने वो नंबर डायल करके बात की। सामने वाले शख़्स ने ऑक्सीजन सिलेंडर का प्राइस उसकी एक्स्पेक्टैशन से भी ज़्यादा बताया था, पर मरता क्या न करता? आख़िर में अनिकेत को हाँ बोलना पड़ा था। “ठीक है मेरा एक बंदा आकर आप से केश में पेमेंट ले लेगा और कल आपके पास सिलेंडर पहुँच जायेगा।” उस शख़्स ने कहा,
Aniket (requeting) - एक्चुअली हमें अर्जेन्ट नीड है। आप आज ही अरेंजमेंट नहीं कर सकते क्या?
“ऑक्सीजन की ज़रूरत तो पूरी दुनिया को लग रही है। आप जानते तो हैं कितना शॉर्टेज चल रहा है। (pause) चलिए ठीक है आज ही पंहुचा देंगे। आप मेरे बंदे को कैश पेमेंट कर दीजिये।” उस शख़्स ने कहा और फोन काट दिया। उसने अपने दोस्त से बात की। उसके दोस्त ने पैसे अनिकेत को सेंड किये। अनिकेत ने ऑक्सीजन वाले शख़्स के बन्दे को 35000 हज़ार दे दिए और सिलेंडर का वेट करने लगा। पूरा दिन गुज़र चुका था, पर सिलेंडर उसके दोस्त के घर नहीं पहुंचा था। उसने ऑक्सीजन वाले शख़्स के पास कई बार कॉल किया, लेकिन उसने कॉल नहीं उठाया।
इधर उसके दोस्त की वाइफ की हालत लगातार बिगड़ती जा रही थी। उसको ऑक्सीजन की बहुत अर्जेन्ट ज़रूरत थी, अनिकेत अब पैनिक होने लगा था। उसको समझ आने लगा था कि उसके साथ फ्रॉड हो चुका था। दिन के बाद पूरी रात भी गुज़र चुकी थी। अनिकेत पूरी रात इधर-उधर कॉल करता रहा था, लेकिन सिलेंडर का इतंज़ाम नहीं हो पाया था। अब उसके पास उसके दोस्त का कॉल आना भी बंद हो चुका था। उसके अपने दोस्त को सुबह कॉल किया, लेकिन उसने न कॉल उठाया और न ही कॉल बैक किया।
सुबह 10 बजे के आसपास दोस्तों के एक मैसेंजिंग ग्रुप में उसके उसी दोस्त की वाइफ की मौत की न्यूज़ ने उसे अंदर तक झकझोर दिया था। वो खामोश होकर सोफ़े पर बैठ गया। वो उस फ्रॉड करने वाले शख़्स के साथ-साथ अपने आप को उसकी मौत का जिम्मेदार भी मान रहा था। वो सोच रहा था,
Aniket (thinking) - ये क्या कर दिया मैंने? अब वैभव क्या सोच रहा होगा मेरे बारे में? उसने मुझ पर भरोसा करके मुझे पैसे दिए और मैंने बदले में उसको ज़िंदगी भर न भरने वाला घाव दे दिया। (angry) वैभव तेरी वाइफ की मौत का बदला में लेकर रहूँगा। जहन्नुम में भी होगा न वो जानवर, तो भी उसे ढूंढ निकलूंगा।
कोरोना ने उसे दुनिया के दोनों रूप दिखा दिए थे। कुछ लोग ऐसे भी थे जिन्होंने इस आपदा को अवसर बना लिया था। ऑक्सीजन सिलेंडर और इंजेक्शन ब्लैक में बेचे जा रहे थे। जमाखोरी होने लगी थी। लोग रिश्ते-नाते सब कुछ भूल चुके थे। कई लोगों को उनके परिवार के लोग ही हॉस्पिटल में मरने के लिए छोड़ गए थे। मरने वाले हज़ारों लोगों को कंधें तक नसीब नहीं हो पाए थे।
कोरोना में ऐसे भी देवदूत सामने आये थे, जो ग़रीब और ज़रूरतमंदों की सेवा में जी-जान से जुटें थे। कोई राशन बाट रहा था, तो कोई अनाज। कोई मजदूरों को अपने ख़र्च से उनके घर पहुँचा रहा था और कोई उनके खाने-पीने का इंतज़ाम कर रहा था।
मुश्किल से ही सही, लेकिन दिन किसी तरह कट रहे थे, तभी एक दिन हिना का एक मैसेज पढ़कर वो काँप गया। हिना ने मैसेज में लिखा था, “अब्बा ने हमारा निकाह तय कर दिया है।”
आख़िर क्यों खेल रही हिना उसके साथ लुका-छिपी का खेल? उसके निकाह के बाद अब क्या करेगा अनिकेत? कोविड के बाद उसकी लाइफ फिर से ट्रेक पर आ पायेगी या फिर अनिकेत हो जायेगा पूरी तरह बर्बाद?
जानने के लिए पढ़िए कहानी का अगला भाग।
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