हिना के निकाह का मैसेज पढ़कर अनिकेत को धक्का लगा था। उसे पहले से पता था, किसी दिन तो ये होना ही था, पर उसके अब्बा इतनी जल्दी उसका निकाह कर देंगे, ये उसने नहीं सोचा था। वो तुरंत टैरेस पर गया और उसको कॉल किया। हिना ने उसका कॉल पहली रिंग पर ही उठा लिया और अपसेट होकर बोली,

Heena (upset) - आपने हमारा मैसेज पढ़ा अनु?

Aniket (shocked) - मैसेज पढ़कर ही तो तुम्हें कॉल किया है। ये सब क्या है हिना? बातें मुझसे करती हो और निकाह किसी और के साथ, ऐसा क्यों?

Heena (poetry &pain)  - “कुछ तो मजबूरियां रही होगी, यूँ कोई बेवफ़ा नहीं होता।”

हम मज़बूर है अनु। हमें भी कहां पता था कि अब्बा हमारा रिश्ता, हमारी खालाजान के बेटे के साथ हमारे बचपन में ही  रिश्ता तय  कर चुके थे।

Aniket (shocked) - what?

Heena (upset) - हां, अनु। हमारे लिए भी ये सब मानना उतना ही मुश्किल था, जितना मुश्किल तुम्हारे लिए हो रहा है। हमने अब्बा को आपके बारे में बताया भी, पर वे नहीं मानें। वे हमारी खाला को ज़ुबान दे चुके है और अब वे इससे पलटेंगे नहीं।

 

Aniket (angry) - मुझे ये समझ नहीं आ रहा कि कोई अपनी बेटी का रिश्ता उसके बचपन में कैसे तय कर सकता है? समझाओ उनको, और अभी तो लॉक-डाउन लगा हुआ है न? फिर कैसे शादी हो जायेगी?

इतना बोलकर वो ख़ामोश हो गया। हिना थोड़ी देर चुप रही और फिर खिलखिलाकर हँस पड़ी। उसकी हँसी से वो और ज़्यादा कन्फ्यूज़ हो गया था। उधर हिना की हँसी रुक ही नहीं रही थी। अनिकेत ने उससे पूछा,

Aniket (confused) - तुम्हारा निकाह होने वाला है और तुम हँस रही हो? सदमें में पागल हो गयी हो गया?

Heena (explain) - कितने बुद्धू हो तुम अनु। मज़ाक कर रहे थे हम। हमारे अब्बा हमारी मर्ज़ी के ख़िलाफ़ हमारा निकाह कर ही नहीं सकते। जिसमें हमारी रज़ामंदी होगी, हमारा निकाह वही होगा।


अनिकेत ने नाराज़ होने का नाटक किया। हिना ने उसको सॉरी बोलकर मनाया और अपने भाई की शादी के बारे में बताते हुए कहा,

 

Heena (explain) - हमारी नहीं पर हमारे भाई की शादी कर रहे हैं अब्बा।

Aniket (confused) - पर वो तो तुमसे छोटा है न? फिर उसकी शादी तुमसे पहले कैसे हो जायेगी?

 

Heena (offence) - तुम सवाल बहुत पूछते हो यार। क्यों नहीं हो सकती? ऐसा कही लिखा है क्या कि बड़े भाई-बहन से पहले छोटो की शादी नहीं हो सकती? मेरा नहीं पर उसका रिश्ता अब्बा ने बहुत पहले ही कर दिया था अपनी फ़ूफी की लड़की के साथ। भाई अभी घर आया हुआ था। हमारे यहां कोविड के इतने केसेस नहीं आ रहे, तो इतना स्ट्रिक्ट लॉक-डाउन नहीं है। कुछ प्रोटोकॉल के साथ निक़ाह वगैरह हो रहे हैं। फ़ूफी ने बोला निकाह के लिए, तो अब्बा ने भी हां कर दी। अब इससे ज़्यादा सवाल मत करना। चलो अभी मुझे बहुत काम है। हम बाद में कॉल करेंगे आपको।

हां, एक बात और आपको शरीक़ होना है भाई की शादी में, वरना हम आपसे कभी बात नहीं करेंगे। हमें पता है आप आ नहीं सकते, लेकिन वीडियो कॉल पर तो आ सकते हो न?

उसके “हां” करने के बाद हिना ने फोन काट दिया। इधर उसने अनिकेत को कन्फ्यूज़ कर दिया था। पाकिस्तान के कल्चरल डिफ़रेंस को वो समझ नहीं पा रहा था और वो सोच रहा था,

 

Aniket (thinking) - ऐसा कैसे हो सकता है? पूरी दुनिया में कोरोना से हाहाकार मचा हुआ है, इंडिया में लोगों को ऑक्सीजन तक नहीं मिल रही है, और उधर पाकिस्तान में निकाह पढ़े जा रहे है. ऐसा कैसे हो सकता है?

उसने इंटरनेट पर सर्च किया, तो हिना की बात सही थी. वहां कोरोना का इतना ज़्यादा इम्पैक्ट नहीं था, केसेस बहुत कम निकल रहे थे, इसलिए लॉक-डाउन, इंडिया जैसा स्ट्रिक्ट नहीं था। वो अभी सोच ही रहा था कि उसकी मम्मी के रोने की आवाज़ सुनकर वो किसी अनहोनी के डर से कांप गया।

वो दौड़कर नीचे गया। ईशान अपनी मम्मी को सँभालने की कोशिश कर रहा था। उसने घबराकर इशारों में पूछा। ईशान ने धीमे से कहा, “मौसी।” सुनकर वो अपनी मम्मी को पकड़कर फ़र्श पर ही बैठ गया। उसकी 40-45 साल की मौसी को कुछ दिन पहले ही हॉस्पिटल में एडमिट कराया गया था, लेकिन वे बच नहीं सकी। कोरोना के उस दानव ने पूरे इंडिया की तरह पहले उसके दोस्त की वाइफ और अब उसकी मौसी की जान भी ले ली थी।

वक़्त की एक ख़ासियत होती है, अच्छा हो या बुरा, एक न दिन गुज़र ही जाता है। लगभग 4-5 महीनों तक पीक पर रहने के बाद अब केसेस थोड़े कम होने लगे थे। लोगों ने राहत की साँस ज़रूर ली थी, पर उनका डर अभी पूरी तरह खत्म नहीं हुआ था। केसेस आने  कम ज़रूर हो गए थे, पर पूरी तरह बंद नहीं हो पाये थे। लोग अभी डरे हुए थे। लोगों का बिना वजह बाहर निकलना अभी भी बंद था।

अपनी बहन की मौत ने उसकी मम्मी को अंदर से तोड़ दिया था। लॉक-डाउन की वजह से वो अपनी बहन से आख़िरी बार मिल भी नहीं पाई थी। जब इंसान अंदर से टूटता है, तब उसका मन या तो अपने आप में लगता है या फिर भगवान में। उसकी मम्मी अब घंटों तक पूजा-पाठ करने लगी थी। अनिकेत कभी-कभी उसका मन बहलाने के लिए उनसे मज़ाक करने की कोशिश करता, पर वे मज़ाक में ही सीरियस हो जाती थी।

वो अक्सर रात को लेट ही सोता था और सुबह लेट तक सोता रहता था। एक दिन सुबह-सुबह उसके भाई और मम्मी को फोन पर चिल्लाने की आवाज़ ने उसकी नींद खोल दी। दो-दो लोगों की मौत ने अनिकेत में इतनी दहशत भर दी थी कि अब वो हर वक़्त अपनों को खोने की अनहोनी से डरा हुआ रहता था। वो जल्दी से दरवाज़ा खोलकर बाहर गया। उसका भाई घबराया हुआ था। वो फोन पर किसी से बात कर रहा था फिर से किसी अनहोनी की आशंका से अनिकेत का दिल बैठ गया था। उसको देखते ही उसकी मम्मी ने ग़ुस्से में कहा, “दुनिया भले इधर से उधर हो जाये, पर तू कुम्भकरण की तरह सोते ही रहना बस।”

 

Aniket (confused & scared) - पर हुआ क्या है मम्मी?

“क्या होना है? इस टाइम किसी को कोविड के अलावा और क्या हो सकता है? निशा को कोविड के सिम्टम्स बताये है डॉक्टर ने। हॉस्पिटल में एडमिट किया है उसको।”

Aniket (shocked)  - व्हॉट? भाभी को? कब? कौनसी हॉस्पिटल में एडमिट किया उनको?

“वही बनारस के ही किसी हॉस्पिटल में किया है। आग लग जाये इस बीमारी में, मेरी फूल जैसी बहू को भी नहीं छोड़ा इसने।”, उसकी मम्मी ने कहा और सोफ़े पर बैठ गयी। उसके भाई ने फोन रखा। उसकी आँखों में नमी थी। उसने अपनी मम्मी से पूछा, “क्या करना चाहिए मम्मी? मुझे बनारस जाना चाहिए। वैसे उन लोगों ने तो मना कर दिया, आने के लिए। बोल रहे हैं कि घबराने की बात नहीं है, माइल्ड सिम्टम्स है, थोड़े दिनों में ठीक हो जाएगी।”

 

“वैसे जाना तो चाहिए, पर ऐसे माहौल में कैसे जायेगा तू? कितना बोलती थी मैं निशा से कि बाहर का कुछ ही मत खाया कर, पर मेरी सुने तब न? पता नहीं क्या हो गया आज कल की लड़कियों को भी. शरीर ख़राब कर लिया पूरा, हर कुछ खा-खाकर। आग लगे ऐसी चीजों में, वो 2 मिनिट में बनने वाली क्या होती है वो? वो ही खाती रहती थी, वो दिन भर। अब लेट गयी बिस्तर पर।” बोलते-बोलते उनकी आंखें नम हो गयी थी। वे ऑलरेडी अपनी बहन को खो चुकी थी, अब अपनी होने वाली बहू को खोना नहीं चाहती थी।

सर्जिकल स्ट्राइक के बाद इंडिया-पाकिस्तान के रिलेशन सबसे ख़राब दौर से गुज़र रहे थे। इंडिया ने पाकिस्तान से हर तरह के रिश्ते ख़त्म कर लिए थे। पाकिस्तान के साथ बिज़नेस भी पूरी तरह बंद था। पाकिस्तान ने अपना एयर स्पेस बंद कर दिया था, ऐसे में इंडिया आने वाली फ्लाइट्स को काफ़ी घूमकर आना पड़ रहा था। कोविड में इंडिया में लगी मेडिकल एमर्जेन्सी में पाकिस्तान ने अपना एयर स्पेस खोलने की घोषणा की, तो इस न्यूज़ को मीडिया ने काफ़ी हाईलाइट किया था।

 

मीडिया को उम्मीद थी कि अब दोनों के रिश्ते शायद थोड़े सुधर सकते हैं। ये न्यूज़ देखकर हिना ने उसको कॉल किया और ख़ुश होकर बोली,

 

Heena (excited) - पाकिस्तान ने अपना एयर स्पेस इंडिया के लिए खोल दिया है, अब तो आप मेरे भाई के निकाह में आ सकते हैं न?

वो अपनी भाभी की वजह से अपसेट था। उसने उदास आवाज़ में कहा,

 

Aniket (upset) - पाकिस्तान ने मेडिकल इमरजेंसी की वजह से अपना स्पेस खोला था, और ये न्यूज़ बहुत पुरानी है। लगभग 1 मंथ पुरानी, तुम्हें अब पता चल रहा? दोनों देशों की फ्लाइट्स अभी भी बंद ही है। इस वक़्त मेरा वहाँ आना किसी भी तरह पॉसिबल नहीं है. यहाँ सिचुएशन अभी भी नॉर्मल नहीं हुए है।

 

Heena (confused) - आप काफ़ी अपसेट लग रहे हैं, is everything ok?

 

Aniket (upset) - यहाँ कुछ ओके नहीं है यार। कोविड अभी भी लोगों का पीछा नहीं छोड़ रहा। हर रोज़ कोई न कोई हॉस्पिटल में एडमिट हो रहा। पहले एक दोस्त की वाइफ, फिर मौसी की मौत हो गयी और अब भाभी को भी हो गया। हॉस्पिटल में एडमिट किया है उनको।

 

Heena (shocked)  - what? निशा भाभी को? ख़ुदा ख़ैर करे, आपने मुझे बताया क्यों नहीं?

 

Aniket (explain)  - क्या बताता? मुझे भी आज ही सुबह ही पता चला। कैसी चल रही भाई के निकाह की तैयारी?

 

Heena (excited)  - बहुत अच्छी। हमने आपके पसंदीदा कलर की ड्रेस ली है। सेंड करेंगे आपको, देखकर बताना कैसी है? चलिए, ध्यान रखिये अपना। ईशान भाई और आपकी अम्मी तो ठीक है न?

 

Aniket (slow) - हां। चलो तुम भी अपना ध्यान रखना। इंजॉय करो।

इसके बाद उसकी हिना से काफ़ी दिनों तक कॉल पर बात नहीं हो पायी थी। उधर हिना अपने भाई की शादी में बिज़ी हो गयी और इधर अनिकेत अपने रिश्तेदारों की मौत का मातम मनाने में। उसकी मौसी के बाद अब उसकी आंटी की मौत हो चुकी थी। हालाँकि वे लगभग 60 साल की थी, पर अपनों के जाने का दुख किसे नहीं होता। उधर उसकी भाभी का माइल्ड कोरोना ठीक होने की जगह और ज़्यादा बढ़ चुका था। उनके बचने की कोई उम्मीद नज़र नहीं आ रही थी।

उसका भाई ईशान बार-बार बनारस जाकर अपनी मंगेतर से मिलने की ज़िद कर रहा था, पर उसकी मम्मी ने साफ़ इंकार कर दिया था। इसी बात को लेकर दोनों के बीच कहा-सुनी चल रही थी। उसके भाई के अपने तर्क थे और उसकी मम्मी को अपने बेटे की फ़िक्र। ईशान ने ग़ुस्से में कहा,

“आपको प्रॉब्लम क्या है? कम से कम आख़िरी बार देख तो लेने दीजिये मुझे, आख़िर वो मेरी मंगेतर है मम्मी। आप समझती क्यों नहीं?” बोलते हुए उसकी आँखें नम हो गयी और वो रोता हुआ अपने कमरे में चला गया। अनिकेत से अपने भाई की हालत देखी नहीं जा रही थी। उसने अपनी मम्मी से कहा,

Aniket (requesting)  - चले जाने दीजिये न मम्मी। आख़िरी बार देख लेंगे वे भाभी से। दूर से ही देख लेंगे। हॉस्पिटल में तो PPE किट भी रहता है, पहन कर चले जायेंगे।

(angry)  “अब तू भी अपने भाई की तरह फालतू बात मत कर। तुम लोग मेरी मज़बूरी नहीं समझ रहे हो। इतनी दूर कैसे भेज दू मैं उसके ऐसे कोरोना में? निशा मेरी भी बहू है, तुम दोनों से ज़्यादा दुख मुझे है उसका, पर टाइम ही ऐसा चल रहा है कि मैं चाहते हुए भी उसको घर से बाहर जाने की परमिशन नहीं दे सकती।”

अपनी मम्मी की बात सुनकर उसका भाई अपने कमरें से बाहर निकल कर आया और ग़ुस्से में कहा, “मैं डिसाइड कर चुका हूँ कि मैं वहां जाऊंगा मम्मी। आपको जो करना हो, आप करो।”

“तो फिर ठीक है, मैं तुझे रोकूंगी नहीं, पर एक बात कान खोलकर सुन ले ईशान। तू अगर निशा के बिना यहाँ आया, तो मैं तुझे घर में एक पैर भी नहीं रखने दूंगी। बोल कर पायेगा उसको ठीक? जा और भगवान से छीनकर ले आ मेरी बहु को।” उसकी मम्मी का ग़ुस्सा देखकर ईशान चुप हो गया था, तभी अनिकेत के मोबाइल पर बनारस से कॉल आया।

किसी अनहोनी के डर से उसने अपने भाई और मम्मी को देखा और डरते हुए कॉल रिसीव किया,

Aniket (scared) - ह…. Hello

“अनिकेत, मैं निशा के ताऊजी का लड़का बोल रहा हूँ। निशा नहीं रही।” वो बस इतना ही बोल पाया और उसका गला रुंध गया था। इधर अपनी भाभी की मौत की ख़बर सुनकर अनिकेत के पैर काँपने लगे थे। वो ज़्यादा देर खड़ा नहीं रह पाया और फ़र्श पर ही बैठ गया। ईशान उसको झकझोर कर बार-बार पूछ रहा था, “क्या बोला उन्होंने? तू कुछ बोलता क्यों नहीं?”

 

और कितने लाशें गिनवाने वाला है कोरोना अनिकेत से? क्या उसका परिवार बच पायेगा इससे? या फिर कोविड उसे कभी न भरने वाला घाव देकर जायेगा? आख़िर किस मोड पर ले जा रही अनिकेत को उसकी लाइफ?

जानने के लिए पढ़िए कहानी का अगला भाग।

 

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