ईशान की मंगेतर भी कोरोना की भेंट चढ़ चुकी थी। उसके जाने से ईशान टूट चुका था। जिस घर में निशा की डोली आने वाली थी, उस घर में उसकी मौत के बाद हर तरफ उदासी और सन्नाटा पसरा हुआ था। इधर अनिकेत के घर मातम मन रहा था, और सरहद के उस पर हिना के घर उसके भाई का जश्न मन रहा था।

हिना इस जश्न में अनिकेत को कैसे भूल सकती थी। उसने डायरेक्ट वीडियो कॉल कर दिया। उसने आज पहली बार वीडियो कॉल किया था। अनिकेत ने उसका कॉल देखकर भी अनदेखा कर दिया। वो अपनी उदास शक़्ल उसको दिखाना नहीं चाहता था। हिना ने उसको मैसेज भी किया, लेकिन उसने मैसेज का भी कोई रिप्लाय नहीं दिया।

उसको अपनी भाभी की मौत का काफ़ी गहरा सदमा लगा था। ईशान के साथ वो बनारस घूमने गया था, तब निशा से मिला था वो। हंसमुख, मस्तमौला और मिलनसार थी उसकी भाभी। न काहूँ से दोस्ती, न काहू से बैर जैसी पर्सनैलिटी थी। अनिकेत से अक्सर मज़ाक में बोलती थी, “अनु, बनारस में कोई पसंद आये तो बता देना। ये शहर सभी की इच्छा पूरी करता है, आपकी भी कर ही देगा।” निशा के जाने के बाद, उसकी बातें अनिकेत को याद आती और वो मुस्कुरा देता था।

ईशान को उदास देखकर उसको अपनी भाभी का चेहरा याद आ जाता था। उसकी माँ अपनी पसंद की बहू की मौत से टूट चुकी थी। अब उनकी कोई ख़्वाहिश ही नहीं बची थी।

हर टाइम घर में बंद रहना उसको, पिंजरे में बंद उस चिड़िया जैसा लगता था, जिसको कुछ दिन पहले ही पिंजरें में बंद किया गया हो। अपने दोस्तों के साथ बाहर जाकर हैंगऑउट करना चाहता था वो, लेकिन इतने मौतों ने उसको इतना डरा दिया था कि घर में भी दिन भर मास्क लगाकर रखता था।

उसकी फेमिली सदमें में थी और दुनिया बेखौफ़। कोविड के केसेस  का ग्राफ तेज़ी से नीचे गिरने लगा था। सूनी पड़ी सड़कों पर अब फिर लोगों कि भीड़ बढ़ने लगी थी। कुछ प्रोटोकॉल के साथ दुकानें अब फिर से खुलने लगी थी। लोग फिर से अपने दफ़्तरों में लौटने लगे थे। ऐसे में उसकी फैमिली डरकर कब तक घर में बैठी रह सकती थी? अनिकेत को सदमा तो अभी तक था, लेकिन अब उसने घर से बाहर निकलना शुरू कर दिया था। उसका भाई और मम्मी अभी भी घर से बाहर निकलने से डर रहे थे पर ऑफिस की मज़बूरी में जाना पड़ता था।

ईशान ऑफिस से आने के बाद घर में अंदर आने से पहले अपने आप को पूरी तरह सेनेटाइस करता था, उसकी हरकते देखकर अनिकेत कभी-कभी मुस्कुरा देता, तो कभी इरिटेट हो जाता था।

ख़ैर धीरे-धीरे वक़्त तेज़ी से गुज़रता गया। लोग उस महामारी को एक बुरा सपना समझकर अपनी-अपनी लाइफ में फिर से बिज़ी हो गए। बाज़ार एक बार फिर से पहले की तरह ही ग़ुलज़ार हो चुके थे। जहां कुछ महीनों पहले मरघट की तरह सन्नाटा पसरा रहता था, अब उन चौराहों पर जाम लगने लगा था। कहते हैं न कि ज़ख्म कितने ही गहरें क्यों न हो लेकिन एक दिन भर ही जाते हैं। कोविड ने उसके कई रिश्तेदारों को छीन लिया था, उसकी भाभी की मौत के बाद उसका जो घर वीरान हो चुका था, अब वो फिर से पहले जैसा ही हो चुका था, जैसे कुछ हुआ ही न हो।

उसकी मम्मी एक बार फिर से अपने बड़े बेटे ईशान के लिए दुल्हन ढूंढने के काम में लग चुकी थी। इस बात को लेकर ईशान और उसकी मम्मी में बहस होने लगती थी, क्योंकि ईशान ने अब शादी करने से साफ़ इंकार कर दिया था। उस रोज़ भी ऐसा ही हुआ था। शाम का सूरज थककर अपने घर लौट रहा था। उसकी पूरी फैमिली घर के बाहर लॉन में बैठी हुई थी, तभी उसकी मम्मी ने ईशान को एक लड़की का फ़ोटो दिखाते हुए कहा,

“ईशान ये एक फोटो आया है मेरे पास। देख कितनी अच्छी लड़की है। एक बार चलकर देख तो ले, शादी भले ही बाद में कर लेंगे।” बोलते हुए उन्होंने मोबाइल ईशान के सामने कर दिया। उसने फोटो देखे बिना ही अपनी मम्मी को घूरकर देखा। उसकी मम्मी अब ग़ुस्सा हो गयी थी। उन्होंने चिल्लाते हुए कहा, “तो क्या शादी ही नहीं करेगा तू? तेरा दिमाग खराब तो नहीं हो गया? पहले उम्र तो देख अपनी। अभी लड़कियां दिखा रही हूँ, तो इनके पॉवर बड़ रहे है, जब नहीं मिलेगी न लड़कियां, तब अख़बारों में फ़ोटो घुमाते रहना, सुन्दर -सुशील-समझदार, वधु की तलाश है। वर की उम्र 50 साल। रंग-सांवला, बाल-झड़ चुके।”

उसकी मम्मी की बातें सुनकर अनिकेत को हँसी आ रही थी और ईशान को ग़ुस्सा। वो उठकर चला गया। अनिकेत अभी तक हँस रहा था। उसकी मम्मी ने उसको डाट कर कहा, “तू क्या हँस रहा है? उसने कम से कम एक बार सगाई तो करा ली थी न? तुझसे तो वो भी नहीं हो रहा। मुझे लगता नहीं ईशान अब जल्दी शादी के लिए रेडी होगा। अब तू या तो उसको रेडी कर या फिर मैं तेरी शादी करुँगी। मुझे इस घर में बहू चाहिए अब।”

Aniket (shocked)  - मम्मी ये कौनसी बात हुई। भईयाँ मुझसे बड़े है, आप उनसे बोलिये न, मुझे नहीं पड़ना अभी इन चक्करों में।

उस दिन के बाद से वो अपनी मम्मी से बचकर रहने लगा था। उधर ईशान भी क्लियर मना कर चुका था। उसकी मम्मी की टेंशन बढ़ती जा रही थी। दोनों भाइयों को समझाकर उनके हाथ पीले करवाने के लिए रिश्तेदारों ने मोर्चा संभाल लिया था। उनके रिश्तेदार दोनों भाई के पास कॉल करने लगे थे।

उनके कॉल्स से परेशान होकर उसने उनका फोन उठाना बंद कर दिया था। इसी तरह धीरे-धीरे वो साल भी बीत गया था। नया साल आते ही उसका ऑफिस भी एक बार फिर से ओपन हो चुका था। उसके पास ऑफिस ज्वाइन करने का मेल आ चुका था। PCL जल्द ही एक बार फिर से टूर्नामेंट अनाउंस करने वाला था और इसका मतलब था, अब अनिकेत की छुट्टियां ख़त्म हो चुकी थी। अब टाइम था फिर से काम पर लौटने का।

उसने बस का टिकट बुक किया। उसकी बस 2 दिन बाद थी। उनको अपनी आँखों से दूर नोएडा भेजने का अब उसकी मम्मी का कोई इरादा नहीं था। वो अच्छी तरह जानती थी कि एक बार अनिकेत नोएडा चला गया, तो उसकी शादी का उनका सपना, बस सपना ही रह जायेगा। उनके लिए बहू ज़्यादा इम्पॉर्टेंट थी, करियर का क्या था, कभी भी बनाया जा सकता था। उनके लिए शादी की उम्र तय थी, करियर की नहीं।

अनिकेत आज फिर शाम को बाहर लान में बैठकर गेम खेल रहा था। उसकी मम्मी कब आकर उसके पीछे आकर खड़ी हो गयी, उसे कुछ ध्यान नहीं था। वो थोड़ी देर उसको देखकर मुँह बनाती रही और फिर अचानक बोली, “हाँ बस यही काम तो रह गया है लाइफ में। बैठकर मोबाइल में टाइम पास करते रहो। लाइफ में कब सीरियस होगा तू? या फिर ऐसा ही रहेगा?” वो अपनी मम्मी के रोज़ के तानों से परेशान हो चुका था। उसने मोबाइल रखा और पूछा,

Aniket (frustated) - मम्मी आज आप फाइनली बता ही दीजिये, आख़िर मुझसे क्या चाहती है आप?

“एक बहू चाहती हूँ और क्या चाहती हूँ। बेटा तू मेरी सिचुएशन क्यों नहीं समझ रहा? मैं अब थकने लगी हूँ। मैं अब आराम करना चाहती हूँ। आख़िर मेरी भी कुछ ख़्वाहिश हैं या नहीं है? मेरी भी तो इच्छा रहती है न कि घर में बहुएं हो, पोते-पोती हो?”

Aniket (funny) - हाँ तो आप भाई से बोलिये न? वो देंगे न आपको पोते-पोती। मैं तो खुद ही अभी बच्चा हूँ। अभी आपके सामने गेम खेल रहा था। मम्मी यार आप समझ क्यों नहीं रहे?........

उसकी मम्मी अब अपने आपे से बाहर जाने लगी थी। उन्होंने फाइनली उससे बोल ही दिया, “अनु बर्दाश्त की भी हद होती है। हर बात को मज़ाक में मत लिया कर। तुझे शादी नहीं करनी न? तो ठीक है, अभी अपना बैग पैक कर और तभी वापस आना जब शादी करने का मन हो।”

ये बात उन्होंने बहुत ग़ुस्से में बोली थी। उनकी बात उसके दिल में चुभी। वो कुछ देर ख़ामोश होकर उसकी मम्मी को देखता रहा और फिर ग़ुस्से में चेयर से उठते हुए बोला,

Aniket (angry) - ठीक है मम्मी। आपकी यही इच्छा है, तो यही सही। अब मैं यहां आऊंगा ही नहीं। मैं 2 दिन बाद नोएडा जा रहा हूँ। उसके बाद यहां कभी नहीं आऊंगा।

इस इंसिडेंट के बाद न उसने उसकी मम्मी से बात करने की कोशिश की और न ही उसकी मम्मी ने उससे। रात को अनिकेत टैरेस पर अकेला और उदास बैठा था। उसके भाई को उसकी और मम्मी की कहासुनी के बारे में पता चल चुका था। ईशान उससे बात करने और इस प्रॉब्लम को सॉल्व करने के इरादे से आया था। अनिकेत उससे भी बात नहीं करना चाहता था। ईशान ने उससे पूछा, “तुझे मुझसे क्या प्रॉब्लम है? मैंने तो कुछ नहीं बोला तुझसे?” ईशान के इतना पूछते ही उसका ग़ुस्सा फूट पड़ा था,

Aniket (angry & loud)  - ये सब आपकी वजह से ही तो हो रहा था। आप निशा भाभी से शादी करने वाले थे न? अब वे नहीं रही, तो क्या शादी ही नहीं करोगे? आपकी वजह से मम्मी मेरा बाल-विवाह करना चाहती है, क्योंकि आप अपने बड़े बेटे होने के फ़र्ज से भाग रहे है।

“ईशान ख़ामोश होकर चुपचाप सुनता रहा। उसकी वजह से उसकी फैमिली परेशान हो, ये वो होने देना नहीं चाहता था। बचपन से उसका सपना पायलेट बनने का था, पर अपने पापा की मौत के बाद उसने अपने सारे सपने मार दिए थे, फिर एक और बलिदान देने में अब उसको कोई हर्ज़ नहीं था। उसने अपने छोटे भाई को समझाते हुए कहा, “ठीक है आप लोग मेरी शादी करना चाहते हो, तो मैं तैयार हूँ।”

अनिकेत को उस पर भरोसा नहीं हो रहा था। उसने अपने भाई को देखा। ईशान ने एक गहरी साँस ली और कहा, “तुझे आज नहीं बाद मैं पता चलेगा कि किसी एक चेहरे को भुलाना कितना मुश्किल होता है। निशा से मुझे प्यार था। अब उस चेहरे को मैं पूरी उम्र नहीं भुला पाऊंगा। शादी सिर्फ़ एक बंधन है, ज़रूरी नहीं कि जिससे हम शादी करे, उससे हमें प्यार भी हो।”

इतनी गहरी बात उसको समझ आ तो रही, पर वो समझना नहीं चाहता था। उसका बड़ा भाई शादी के लिए मान गया था, उसके लिए इतना समझना ही काफ़ी था।

“ईशान ने शादी के लिए हां कर दी थी”, जब ये बात उसने उसकी मम्मी को बताई, तो वो सुनकर ख़ुशी से झूम गई थी, पर उसके बाद भी उन्होंने अनिकेत से बात नहीं की थी। वे चाहती थी अनिकेत अब नोएडा न जाये, पर वो किसी भी हालत में रुकना नहीं चाहता था। ईशान ने उसको समझाने की कोशिश की। उसने अपने बड़े भाई से साफ़ कह दिया था,

Aniket (offence) - एक भाई कम्प्रोमाइज कर तो रहा है न भाई? अभी तक वे मेरी शादी करना चाहती थी, और अब अपने शादी के लिए हाँ कर दिया, तो अब वे मुझे इंदौर ही रोककर रखना चाहती है। मैं यहां रुका, तो वे पक्का में आपके साथ मेरी भी शादी कर देगी। मैं नहीं रुकूँगा। इनका इमोशनल ड्रामा मुझ पर नहीं चलेगा।

मैं सब समझ रहा हूँ उनको। उनको लग रहा है, इससे बात नहीं करुँगी, तो ईशान की तरह मैं भी मान जाऊँगा, पर अपुन झुकेगा नई।

उसकी ज़िद के आगे आख़िर में ईशान को ही झुकना पड़ा था। उसने मैसेज करके हिना को नोएडा जाने के बारे में बता दिया था। हिना ने उससे रात को कॉल पर बात करने का बोला था। अनिकेत टैरेस पर घूमते हुए उसी के कॉल का वेट कर रहा था. काफ़ी देर तक उसका कॉल नहीं आया, तो उसने मैसेज किया,

Aniket (awaited)  - सुबह जल्दी उठकर फ्लाइट पकड़नी है यार? कहां हो तुम? नहीं करना क्या बात?

Heena (excited) - 5 मिनिट सब्र रखो। हम आपके लिए कुछ ढूंढ रहे थे। एक good news देनी है आपको।

उसने एक व्यंग मारते हुए पूछा,

Aniket (funny)  -  कौन सी good न्यूज़? तुम्हारा भाई शादी के 15 दिन में ही तो बाप नहीं बनने वाला न?

ये मैसेज पढ़कर उसने तुरंत कॉल किया और कहा,

Heena (laugh) - बत्तमीज़ लड़के, एक लड़की से बात करने की तमीज़ नहीं है आपको?

अनिकेत अभी तक हँस रहा था। हिना कुछ देर ख़ामोश बनी रही, लेकिन ज़्यादा देर अपनी हँसी नहीं रोक पाई और हँस पड़ी।

Aniket (curious)  - जोक्स अपार्ट, क्या good न्यूज़ देनी थी मुझे?

Heena (excited) - हमें PCL की अंदर की बातें मालूम चली है। अब्बा आर्मी में है न, तो उसको पूरे मुल्क़ के मसाइलात पता रहते है।

उसको इतनी ज़्यादा उर्दू अभी भी समझ नहीं आती थी। “मसाइलात” वर्ड सुनकर वो कन्फ्यूज़ हो गया और उसने पूछा,

Aniket (confuse)  - “मसाइलात मतलब?

Heena (explain) - मतलब मामले बुद्धू। अब्बा ने हमें बताया, PCL इस मार्च में टूर्नामेंट अनाउंस करने वाला है और वो भी दुबई में। आप रेडी रहियेगा अपनी टीम के साथ, लेकिन अभी न्यूज़ लीक मत कीजियेगा।


क्या इस बार हिना से मिल पायेगा अनिकेत? आगे चलकर कौन सा नया मोड लेगी अनिकेत और हिना की लव-स्टोरी? क्या दुबई का VISA मिल पायेगा उसे?

जानने के लिए पढ़िए कहानी का अगला भाग।

 

Continue to next

No reviews available for this chapter.