“क्या”, अनिकेत ने कन्फ्यूज़ होकर कहा। हिना ने उसको सच बताते हुए कहा,

Heena (excited) - हमें हमारे सीनियर्स से पता चला है कि PCL अनाउंसमेंट के साथ ही आपकी पूरी टीम के VISA भी अप्रूव हो गए हैं।  

उसके लिए इससे बड़ी बात और क्या हो सकती थी। ये बात सुनते ही उसके खयालों कि रेल सीधा पाकिस्तान पहुँच गई।  वो हिना से मिलने की बात सोचकर ही वो खुश हो गया था। अब दोनों की कॉल पर बातें और ज़्यादा बढ़ गयी थी। हिना उसको कहां घुमाने लेकर जाएगी, कौन-कौन सी डिश खिलाएगी से लेकर मैच और टीमों को लेकर भी डिस्कशन होने लगा था। इधर उसके ऑफिस में भी एक्साइटमेंट एक बार फिर से बढ़ चुका था।  बार फिर टीम सिलेक्शन से लेकर, शूटिंग के लिए ज़रूरी इक्विपमेंट जैसे कैमरा और बाकि चीज़ों पर डिस्कशन होने लगा था।

कहते है कि वक़्त की भी अपनी एक स्पीड होती है। वो कब गुज़र जाता है पता ही नहीं चल पाता। अनिकेत के साथ भी ऐसा ही हो रहा था। धीरे-धीरे वक़्त गुज़रता गया और 2019 का लास्ट महीना आ चुका था। अब से 3 मंथ बाद PCL स्टार्ट होना था, लेकिन PCL स्टार्ट होने से पहले ही इंसानियत का एक ख़तरनाक दुश्मन अपने घर से निकल चुका था। चीन से निकले कोरोना वायरस की ख़बर पूरी दुनिया में आग की तरह फैल चुकी थी, फिर अनिकेत का ऑफिस इस टेंशन से कैसे बच सकता था।

अनिकेत और उसका बॉस न्यूज़ देखकर थोड़ा टेंशन में आ गए थे। उसने इससे पहले ऐसा कुछ देखा नहीं था, इसलिए वो पॉजिटिव ही बना हुआ था। उसने अपने बॉस से कहा,

Aniket (positive) - इतना घबराने की बात नहीं है सर। कोरोना चीन में फैला है, पूरी दुनिया में नहीं। वहाँ तो कुछ न कुछ चलता ही रहता है। आप इतना क्यों घबरा रहे हैं।

उसके बॉस को मामले की गंभीरता के बारे में पता था। उसने सीरियस होकर कहा, “तुम न्यूज़ में देख नहीं रहे हो? वो किस तेज़ी के साथ धीरे-धीरे पूरी दुनिया में बढ़ रहा है? अगर ऐसा ही रहा, तो कुछ भी हो सकता है। फिर तुम टूर्नामेंट तो भूल ही जाओ।”

अनिकेत ने उसके बॉस की बातों को ज़्यादा सीरियस नहीं लिया। वो अपने काम में लगा रहा और कोरोना अपने काम में लगा रहा। फरवरी’ 2020 तक उसने चीन की सरहद पार करके पूरी दुनिया में पैर ज़माने शुरू कर दिए थे। उसको दुनिया घूमने के लिए न किसी पासपोर्ट की ज़रूरत पड़ रही थी और न ही VISA की। अब अनिकेत को भी सिचुएशन की सीरियसनेस का एहसास होने लगा था।

एक दिन सुबह उठकर उसने न्यूज़ चेक की, जिसमें कहा जा रहा था कि “अगर कोरोना इसी तरह बढ़ता रहा, तो ये इंसानियत के लिए एक बड़ा खतरा बन सकता है। अभी सिर्फ़ चीन में रोज़ हजारों लोग मर रहे हैं, फिर पूरी दुनिया में लाखों लोग मरेंगे।” सुबह-सुबह इस न्यूज़ ने उसका मूड ऑफ कर दिया और वो बड़बड़ा रहा था,

Aniket (thinking & upset) - हिना से मिलना शायद मेरी किस्मत में ही नहीं लिखा है। पहले VISA अप्रूव नहीं हो रहा था और अब ये कोरोना आ गया। इसको भी अभी आना था। कुछ मंथ और नहीं आता, तो क्या बिगड़ जाता इसका? शायद हमारे मिलने से पूरी कायनात को ही प्रॉब्लम है।

ख़ैर अनिकेत अपना काम पूरी ईमानदारी के साथ करता रहा और कोविड अपनी। वो इंडिया में दस्तक दे चुका था। इंडिया में हर रोज़ केसेस बढ़ने लगे थे। यहां की पॉप्युलेशन की वजह से दुनिया और ज़्यादा टेंशन में आ गयी थी। दुनिया एक बड़े शटडाउन की और बढ़ने लगी थी। दुनिया भर से आ रही ख़बरों को देखकर अनिकेत और ज़्यादा डरने लगा था। ऑफिस में न्यूज़ देखकर उसने हिना को कॉल किया,

Aniket (tensed) - ऐसे ही हालात रहे, तो मुझे तो नहीं लगता कि इस साल भी PCL हो पाएंगे। हमारा मिलना शायद किस्मत में ही नहीं है हिना।

इतना बोलकर उसने कॉल काट दिया। हिना ने उसको फिर कॉल किया और समझाया,

Heena (advised) - इसमें इतना डी-मोटिवेटेड होने की क्या ज़रुरत है? 2-4 मंथ में तो ये सब ख़त्म होगा ही। आज नहीं तो कल मिलेंगे ही। इतने दिनों तक इतंज़ार किया, तो कुछ मंथ और नहीं रुक सकते क्या?

केसेस बढ़ने के साथ ही कोरोना से बचने का एक ही ऑप्शन था लॉक-डाउन। इंडिया में भी लॉक-डाउन का अंदेशा बढ़ने लगा था। उसके मम्मी और भाई का घर आने के लिए प्रेशर बढ़ने लगा था। कुछ दिनों तक तो वो उनको बहाने बनाता रहा, लेकिन आख़िर में उसको उनकी बात माननी ही पड़ी। प्रधानमंत्री की घोषणा के साथ ही देश लॉक-डाउन में जा चुका था। ये हाल सभी देशों में देखा जा सकता था। अनिकेत जैसे-तैसे अपने घर तो पहुँच गया था, लेकिन वहां भी उसको कॉरेन्टाइन में रहना पड़ा था।

दुनिया को कोविड परेशान कर रहा था और उसको हिना से नहीं मिल पाने का दुख। प्रेमियों की अपनी एक पेरेलल दुनिया होती है, उनके दुख भी अलग होते हैं और ख़ुशी भी। इंडिया की तरह पाकिस्तान में भी लॉक-डाउन लग चुका था। हालाँकि हिना की फेमिली आर्मी क्वाटर्स में रहती थी, जहां आम लोगों को आने-जाने की परमिशन नहीं थी। पूरी फेमिली घर पर होने की वजह से अब उनकी कॉल पर बात होना बहुत कम हो चुकी थी और मैसेजेस पर ज़्यादा।

अनिकेत सिचुएशन को लेकर उतना सीरियस नहीं था। उसकी मम्मी और भाई उससे घर से बाहर जाने, सैनेटाइज करने और प्रोटोकॉल फॉलो करने के लिए अक्सर डांटते, पर वो हँसकर उनकी बात की टालते हुए कहता,

Aniket (laugh)  - आप लोग ख़ुद भी डर रहे हो और मुझे भी डरा रहे हो। भईयाँ आप थोड़ा न्यूज़ कम देखा कीजिये। ये कोरोना-वोरोना हमारा कुछ नहीं बिगाड़ पायेगा। चीन के लोगों पर अटैक इसलिये किया होगा, क्योंकि उनकी इम्युनिटी कम होती है। हर कुछ खाते हैं न वे लोग इसलिए। इंडिया में लोग सब्जी में मसालों का तड़का मारते हैं, उसकी स्मेल से ही भाग जायेगा कोरोना।

“हाँ, वो न्यूज़ में दिखा तो रहे थे, चमगादड़, छपकली, कॉकरोच सब खा जाते हैं वो लोग। कैसे-कैसे लोग रहते है दुनिया में। उनकी गलतियों की सज़ा सबको भुगतनी पड़ रही है। करता कोई और है और भुगतना सबको पड़ रहा है।” उसकी मम्मी ने अपनी नॉक सिकोड़ते हुए कहा- लेकिन उसका भाई उसकी लापरवाही से चिढ़ गया था। ईशान ने उसको डांटते हुए कहा,

“तुझे प्रोटोकॉल फॉलो करने में कुछ प्रॉब्लम है क्या? अभी कुछ हो गया तो, टैरेस पर जाकर बाबू-सोना किससे करेगा? इतना बड़ा होकर भी बच्चों जैसी हरकतें करता है। पता नहीं तुझ जैसे बेवकूफ की बातों में कौन सी लड़की आ गयी?”

अपने भाई की बातों का कोई ज़वाब नहीं दे पाया था अनिकेत। हालांकि उस दिन के बाद से वो काफ़ी सीरियस हो गया था। अब उसने बाहर निकलना पूरी तरह बंद कर दिया था। शुरुआत में तो उसने मोबाइल और TV देखकर अपना वक़्त काटने की कोशिश की, मगर जल्द की ऊब गया। हिना से उसकी बातें अब बहुत कम होने लगी थी। कभी-कभी अनिकेत उससे नाराज़ हो जाता, तब वो अपनी सिचुएशन बताते हुए कहती थी,

Heena (tensed) - आप समझते क्यों नहीं? इंडिया की तरह यहां भी लॉक-डाउन लगा हुआ है। ये आर्मी क़्वार्टर ज़्यादा बड़ा नहीं है। टैरेस पर हम जा नहीं सकते, क्योंकि हमारे आसपास और भी फैमिलीज़ रहती है। अब्बा भले कितने ही खुले खयालातों के क्यों न हो? लेकिन इस मामले में वे अभी भी बेकवर्ड ही है। वे कहते भी है कि रिश्ते सिर्फ़ 2 लोगों में नहीं होते, बल्कि 2 परिवारों में होते हैं।

Aniket (offence) - यार तुम मेरी सिचुएशन क्यों नहीं समझती? पिछले 1 मंथ से में घर में पड़ा हूँ। न बाहर निकल सकते हैं और न ही दोस्तों से मिल सकते हैं, ऐसे में करे तो करे क्या इंसान? 4-5 दिन तक तुम कॉल पर बात नहीं करती। तुम्हें पता है न तुम्हारी आवाज़ सुने बिना मुझे नींद नहीं आती? हर कुछ सोचने लगता हूँ मैं।

Heena (angry) - आपकी वाइफ नहीं है हम, दोस्त है। आपको हमारी सिचुएशन समझ क्यों नहीं आती है? हम US में नहीं पाकिस्तान में रहते हैं। वहां बाकि सभी बातों में कॉम्प्रोमाइज़ हो सकता है, लेकिन लड़कियों को काफ़ी रूल्स एंड रेग्युलेशन्स फॉलो करना पड़ता है।

अनिकेत उस दिन काफ़ी ग़ुस्से में था। घर पर फ्री बैठे-बैठे वो इरिटेट होने लगा था। ऐसे में हीना की बात उसके दिल में चुभी और उसने क्लियर बोल दिया,

Aniket (angry) - तुम उनको हमारे बारे में बता क्यों नहीं देती? कब तक ऐसे छुप-छुप कर बातें करती रहोगी?

Heena (angry & slow ) - अल्लाह! आप पागल हो गए हो क्या? क्या बता दे हम अपने अब्बा को? अब्बा मार डालेंगे हमें। वैसे भी पूरे देश में लॉकडाउन लगा हुआ है। हमें कहां गायब  कर देंगे, किसी को कुछ पता नहीं चलेगा। और हम आपको दोस्त मानते हैं, इससे ज़्यादा और कुछ नहीं। इससे ज़्यादा उम्मीद भी मत रखिये हमसे, वरना बाद में तकलीफ़ होगी।

उसको समझ नहीं आ रहा था, आज हिना को अचानक हो क्या गया है? हिना ने एक ही झटके में उसकी पूरी दुनिया हिला दी थी। वो बिलकुल ख़ामोश हो चुका था और सोच रहा था,

Aniket (thinking)  - इज़हार किये बिना इश्क़ नहीं हो सकता क्या? या फिर इसको मेरा प्यार नज़र नहीं आ रहा? क्या हम दोनों का रिश्ता दोस्त से ज़्यादा कुछ नहीं है? और ऐसा ही था, तो फिर इतने दिनों तक मुझे बताया क्यों नहीं? हिना आख़िर हो क्या गया है तुम्हें?

उसने हिना से कुछ नहीं कहा। दोनों ओर काफ़ी देर तक ख़ामोशी रही। अनिकेत उसको बहुत प्यार करता था, पर प्रपोज़ करना नहीं चाहता था। हिना भी उसको पसंद तो करती थी, पर वो अपने परिवार के अगेंट्स नहीं जाना चाहती थी। उसकी अपनी मज़बूरियां थी। अपनी आँखों में झलक आये आँसू पोंछती हुई वो मन ही मन कह रही थी,

Heena (thinking) - हम आपको कैसे बताये कि आप हमें कितने पसंद है, पर हम मज़बूर है अनु। हमारे अब्बा आपको कभी एक्सेप्ट नहीं करेंगे और हम अपने अब्बा की मर्ज़ी के ख़िलाफ़ नहीं जा सकते। ख़ुदा ये किस मुकाम लाकर खड़ा कर दिया तूने?

हिना की सिसकियों की आवाज़ अनिकेत तक पहुँच पाती, उससे पहले ही उसने ग़ुस्से में फ़ोन काट दिया था। उधर कोरोना दुनिया को तबाह करने पर तुला हुआ था और इधर हिना। अनिकेत के सारे ख़्वाब, उम्मीदें सब कुछ टूट चुके थे। आज उसने लाइफ में पहली बार महसूस किया था कि जितना दर्द मुहब्बत देती है, उतना कोई नहीं देता। आज उसको हॉस्पिटल के बाहर सुनी उन लाइन्स का मतलब समझ आ रहा था, “ये इश्क़ नहीं आसाँ इतना ही समझ लीजे, इक आग का दरिया है और डूब के जाना है।”

कल रात भर अनिकेत सो नहीं पाया था। उसके दिल का दर्द आँसू बनकर तकिया भिगोता रहा और वो रात भर सिसकता रहा। शुरुआत से लेकर अब तक की हिना की एक-एक बात उसके कानों में गूँजती रही थी। उसने कभी सोचा भी नहीं था कि उसके प्यार को वो सिर्फ़ दोस्ती समझ लेगी। वो रात भर करवटें बदलता हुआ कभी उसकी बातें याद करके रोता रहा, तो कभी फ़ोटो देखकर। वो अपने आप से भी ग़ुस्सा था और हिना से भी। आख़िर में उसने अपने आँसू पोंछे और ग़ुस्से में बड़बड़ाया,

Aniket (thinking & upset) - अब रोने से क्या होगा? गलती तो मेरी ही थी। क्यों मैंने एक लड़की पर इतना ज़्यादा भरोसा किया? कम से कम एक बार उसको अपने दिल की बात बतानी तो थी। वो मना कर देती, तो बुरा ज़रूर लगता लेकिन इतना नहीं। अब इस दिल के समझाना बहुत मुश्किल है।

हिना तुमने क्यों किया मेरे साथ ऐसा? पहले तो तुम रात-रात भर मुझसे फ़ोन पर बातें करती  रही और अब तुम मुझे अपना दोस्त बता रही हो। इतना बड़ा धोखा क्यों दिया तुमने मुझे? क्या तुम्हें पता नहीं था कि मैं तुमसे प्यार करता हूँ?

अनिकेत रात भर यही सब सोचता रहा था। सुबह उठा तो उसकी ऑंखें लाल हो चुकी थी। दिल की टूटन उसकी आँखों से झलक रही थी। उसकी लाल और उदास ऑंखें देखकर ईशान समझ चुका था कि क्या हुआ होगा? अनिकेत ने अपने आप को समझाने की बहुत कोशिश की, पर उसका दिल अब भी समझने के लिए तैयार नहीं था। उसने हिना को मैसेज करने के लिए अपना मोबाइल उठाया, तो देखकर उसकी धड़कनें तेज़ हो चुकी थी।

“उसको हिना की DP नहीं दिख रही थी। वो समझ चुका था कि हिना ने उसको ब्लॉक कर दिया है।”

 

क्या हिना ने ब्लॉक कर दिए थे उसके नंबर? क्या यही खत्म हो जाएगी उनकी मुहब्बत? आखिर क्या होगा इस लव-स्टोरी का आखिरी अंजाम?

जानने के लिए पढ़िए कहानी का अगला भाग।

 

Continue to next

No reviews available for this chapter.