अनिकेत को हिना पर एक बार फिर डाउट होने लगा था। वो सीरियस होकर उसके भाई की और देख रहा था और उसका भाई उसको। इशान बोलने की हालत में नहीं था दवाइयों के कारण उसको नींद का नशा सा चढ़ हुआ था। उसने हाथ के इशारे से पूछा, “क्या हुआ।” अनिकेत थोड़ी देर अपने भाई को देखता रहा और फिर “न” में सर हिलाकर वॉर्ड से बाहर चला गया।
Aniket (asking) - डॉक्टर साहब, भाई को हॉस्पिटल में कितने दिन और रुकना होगा?
नाईट में रूटीन चैकअप के लिए आये, डॉक्टर से अनिकेत ने पूछा। उसकी मम्मी भी उस टाइम हॉस्पिटल में ही थी। वे दोनों भाई के लिए खाना लेकर आई थी। ईशान को आज सुबह ही हॉस्पिटल में एडमिट किया था, ऐसे में उसके इस सवाल पर डॉक्टर ने उसकी ओर हैरानी से देखा।
Aniket (hesitate) - डॉक्टर साहब हमारा घर हॉस्पिटल के पास ही है, इसलिए पूछ रहा था। भाई की ड्रेसिंग वगैरह के लिए हम हॉस्पिटल अपने घर से भी आ सकते हैं, अगर आपको कोई ऐतराज़ न हो तो।
डॉक्टर को क्या प्रॉब्लम हो सकती थी? उसने चैकअप किया और अगले दिन ईशान को हॉस्पिटल से डिस्चॉर्ज करके घर ले जाने का बोल दिया था। डॉक्टर के जाने के बाद उसने खाना खाया और उसकी मम्मी को घर भेज दिया था। वॉर्ड में उसको बोरियत फील होने लगी थी, इसलिए वो हॉस्पिटल से बाहर आकर खड़ा हो गया था। वो सोच रहा था,
Aniket (thinking) - कमाल की जगह होती है न हॉस्पिटल भी? यहाँ आकर मरीज़ अच्छा हो जाता है और इसके साथ आया अच्छा ख़ासा इंसान बीमार हो जाता है। वैसे बीमार तो मुझे किसी और ने भी कर रहा है। कुछ समझ नहीं आ रहा, उस पर मुझे बिलीव करना चाहिए या नहीं?
सवाल भी वही पूछ रहा था और ज़वाब भी वो ही दे रहा था। उसके इस सवाल पर उसकी अंतरात्मा ने उसको फटकार लगाते हुए कहा,
Aniket (thinking & angry) - हिना पर इतना ही डाउट है, तो उसने तेरा हाथ तो पकड़ा नहीं है न अनिकेत? उसको छोड़कर आगे क्यों नहीं बढ़ जाता? कब तक उस पर डाउट करके अपने आप को परेशान करता रहेगा? याद रखना दोस्ती भरोसे की नींव पर टिकी होती है, डाउट पर नहीं।
वो अपनी ही आवाज़ सुनकर डर गया था। उसको समझ आ चुका था कि अब इस तरह काम नहीं चलेगा। अब उसके पास दो ही रास्ते थे, या तो हिना से पूरी तरह दूर हो जाना या फिर उस पर पूरी तरह बिलीव करना, चाहें फिर इसका अंजाम कुछ भी हो। यही सोचकर वो हॉस्पिटल में अंदर जाने के लिए आगे बढ़ गया। पीछे पान की दुकान पर चल रहे रेडियों में अनाउंसमेंट हुआ, “और अब आप नुसरत फ़तेह अली खान की आवाज़ में सुनेंगे ये ख़ूबसूरत नग़्मा,
“ये इश्क़ नहीं आसाँ इतना ही समझ लीजे
इक आग का दरिया है और डूब के जाना है।”
इसके बाद शुरू हुआ दोनों की बातों का सिलसिला मैसेज से कॉल पर आ गया था। दोनों अक्सर लेट नाईट तक बातें किया करते थे। उसके बड़े भाई की फ़ास्ट रिकवरी के लिए हिना ने अनिकेत को कुछ एक्सरसाइज भी बताई थी। इसी तरह दिन, रातों में बदल रहे थे और रातें, दिनों में। उनकी बातें कभी दोनों देशों के कल्चर पर होती थी, तो कभी खाने पर। कभी एक दूसरें को अपने शहर की ख़ासियत बताते तो कभी अपनी पसंद और न-पसंद। एक-दूसरें की फेवरेट फ़िल्में, गाने, फ़ूड, कलर और यहाँ तक की फेमिली मेंबर्स और दोस्तों के नाम तक याद कर लिए थे उन्होंने।
नेशनल-इंटरनेशनल मुद्दे, ग़ज़ल, शायरी, फ़लसफ़ा कुछ नहीं छूटा था दोनों के डिस्कशन से। अनिकेत उसको भारत के बारे में बताता, तो हिना पाकिस्तान के बारें में। वो हिना की सोच से बहुत ज़्यादा इम्प्रेस था। हिना उसको किसी बहते हुए दरिया की तरह लगती थी, जिसके अंदर चंचलता भी थी, तो गहराई भी। किसी बच्चे की तरह मासूमियत भी थी, तो समझदारी भी। जितना सम्मान वो अपने धर्म का करती थी, उतना ही सम्मान वो दूसरें धर्मों का भी करती थी।
अक्सर टैरेस पर जाकर वो हिना से घंटों तक बातें किया करता था। हिना की जुबान से उर्दू के लब्ज़ उसको शायरी की तरह फील देते और घंटों तक टैरेस पर बैठकर वो उसकी बातें सुनता रहता। उसकी मम्मी और बड़े भाई को उस पर धीरें-धीरे शक भी होने लगा था।
उसने ऑफिस से लंबी छुट्टी ले ली थी। ईशान का प्लास्टर भी उतर चुका था और अब वो फिर से ऑफिस जाने लगा था। वक्त के साथ धीरे-धीरे दोनों की दोस्ती और ज़्यादा गहरी हो चुकी थी। अनिकेत, हिना को आप की जगह अब तुम कहकर बोलने लगा था। कभी-कभी उसकी मम्मी उससे इशारों में पूछ लिया करती थी, “मुझे लगता है तेरा किसी लड़की के साथ कुछ चक्कर चल रहा है, पर तू मुझे कुछ बताता क्यों नहीं है? कितनी बार पूछ चुकी हूँ तुझसे।” अनिकेत कभी उनकी बात हँसकर टाल देता, तो कभी कह देता,
Aniket (funny) - मम्मी आपकी बहू सरहद के उस पार रहती है। बारात लेकर जाने में आपको काफ़ी ख़र्च करना पड़ेगा।
उसकी ये इशारों की लैंग्वेज उनको समझ नहीं आती और वो कन्फ्यूज़ हो जाती थी। अपनी मम्मी को कंफ्यूजन में देखकर, वो मन ही मन मुस्कुराता रहता था। एक दिन उसने उसकी मम्मी से बोल दिया था,
Aniket (funny) - मम्मी आपकी बहू पाकिस्तान से है।
उसकी मम्मी टीचर थी। इंडिया-पाकिस्तान के बीच का डिफरेंस बहुत अच्छी तरह समझती थी। ऐसे में पाकिस्तान का नाम सुनते ही वो ग़ुस्सा होकर उस पर बरस रही थी और वो उनकी ग़ुस्से में कही बातें सुनकर मुस्कुरा रहा था।
उस रात अनिकेत काफ़ी बेचैन था। हिना के कॉल का इंतज़ार करते हुए वो टैरेस पर टहल रहा था। उसकी झुंझलाहट उसके चेहरे पर साफ़ दिखाई दे रही थी। कई बार मैसेज करने के बाद भी जब उसने रिप्लाय नहीं किया तो उसके दिल की धड़कने बढ़ चुकी थी और वो सोच रहा था,
Aniket (thinking) - कही हिना के घर में किसी ने उसको मुझसे बात करते टाइम देख तो नहीं लिया? उसका मोबाइल तो नहीं छीन लिया होगा न? कही उसको एक कमरे में बंद तो नहीं कर दिया होगा न? (pause) नहीं, नहीं ऐसा कुछ नहीं हुआ होगा और वैसे भी हम तो बस अच्छे दोस्त है, और कुछ नहीं। हमारी बातों से किसी को क्या प्रॉब्लम हो सकती है।
(laugh) इश्क़ में आशिक़ सिर्फ़ तारें तोड़ने की ही बात नहीं करता, बल्कि वो ऐसी बातें भी सोच लेता है, जो आमतौर पर कोई नहीं सोचता। हिना का मोबाइल थोड़ा बिज़ी आने पर, उसकी धड़कनें बढ़ जाती थी। सुबह से शाम तक कॉल नहीं करने पर अनिकेत उसको मैसेज पर मैसेज करने लगता था। वो कभी अपने मैसेज में फाइनली गुड बाय लिखता, तो कभी हमेशा ख़ुश रहने का बोलता। हिना उसके मैसेज पढ़कर हंस देती और बाद में इस टॉपिक पर घंटों तक अनिकेत का मज़ाक बनाती। वो कभी-कभी चिढ़कर कह देता था,
Aniket (offence) - एक तो तुम सुबह से शाम तक कॉल नहीं उठाती, एक मैसेज तक नहीं करती। बिज़ी होने का बहाना बना देती हो, और फिर बाद में मेरे “फाइनली गुड बाय” वाले मैसेज को लेकर मेरा मज़ाक बनाती हो। मेरी जगह तुम होती न? तब मेरी बेचैनी समझ आती तुम्हें. पता भी है तुम्हारी इस हरकत पर मुझे कितनी टेंशन होने लगती है?
Heena (serious) - अच्छा, इतनी ज़्यादा फ़िक्र रहती है आपको मेरी? पर मैं तो सिर्फ़ आपकी दोस्त हूँ न? फिर इतनी ज़्यादा फ़िक्र किसलिए?
उसके इस सवाल का अनिकेत के पास कोई ज़वाब नहीं होता था। इसके बाद दोनों ओर ख़ामोशी छा जाती थी। उनके बीच की ख़ामोशी ही हिना के सवाल का ज़वाब होती थी। उस रात भी वो बेचैन होकर टहल रहा था, तभी हिना का कॉल आ गया। इससे पहले अनिकेत कुछ बोलता, हिना ने कहा,
Heena (fast) - प्लीज़ डाँटना मत। अचानक अब्बा के कुछ दोस्त आ गये थे। उनकी ख़िदमत में आपको मैसेज करके इन्फॉर्म करने का टाइम भी नहीं मिला, या ये समझ लीजिये कि मौका ही नहीं मिला।
Aniket (offence) - तुमने तो मेरी जान ही निकाल दी थी। किसी दिन हार्ट-अटैक आ जायेगा मुझे और इल्ज़ाम तुम पर आएगा।
Heena (funny) - और हम अपने ज़ुर्म से सीधे मुकर जायेंगे।
इतना बोलकर वो खिलखिलाकर हंस पड़ी। अनिकेत टैरेस पर टहलते हुए बात कर रहा था। वो जैसे ही मुड़ा, उसके सामने ईशान खड़ा था। वो अनिकेत की बातें सुनकर मुस्कुरा रहा था। अचानक अपने सामने अपने बड़े भाई को देखकर उसने झेंपकर मोबाइल नीचे कर लिया लेकिन रात के सन्नाटे में हिना की पतली आवाज़ दोनों को साफ़-साफ़ सुना रही थी। उसने वॉल्यूम कम कर दिया। ईशान कुछ बोलता उससे पहले ही उसने अपनी सफ़ाई देते हुए कहा,
Aniket (hesitate) - वो…. वो मेरी एक दोस्त थी। काफ़ी दिनों बाद कॉल आया था आज उसका। बस मैं आ ही रहा था नीचे। अ…. अ आप चलिए मैं भी आ रहा ही रहा हूँ।
आशिक़ों के साथ सबसे बड़ी परेशानी यही होती है, वो छुपाने की कोशिश तो करते हैं, लेकिन उसके शरीर का रोम-रोम उनकी प्रेम-कहानी बयां करने लगता है। कुछ ऐसी ही हालत अनिकेत की हो गयी थी। वो काफ़ी देर तक अपनी मुहब्बत को छुपाने की नाकाम कोशिश करता रहा। ईशान उसकी हालत देखकर बस मुस्कुराता रहा और आख़िर में “ख़ुमार बाराबंकवी” की ग़ज़ल के कुछ शेर पढ़कर अनिकेत की हालत बयां करते हुए कहा,
इक पल में इक सदी का मज़ा हम से पूछिए
दो दिन की ज़िंदगी का मज़ा हम से पूछिए
भूले हैं रफ़्ता रफ़्ता उन्हें मुद्दतों में हम
क़िस्तों में ख़ुद-कुशी का मज़ा हम से पूछिए
आग़ाज़-ए-आशिक़ी का मज़ा आप जानिए
अंजाम-ए-आशिक़ी का मज़ा हम से पूछिए
अनिकेत की हालत, रंगे हाथों चोरी करते पकड़े गए किसी चोर जैसी हो गयी थी। वो अपने भाई का चेहरा देख रहा था। ईशान मुस्कुराता हुआ चला गया। वो अपने भाई को जाते हुए देखता रहा और फिर मोबाइल कान के पास लगाकर जैसे ही हैलो कहा, अब तक अपनी हँसी दबाकर बैठी हिना ने इसके आगे का शेर पढ़ा,
Heena (poetry) -
वो जान ही गए, कि हमें उन से प्यार है
आँखों की मुख़बिरी का मज़ा हम से पूछिए
और खिलखिलाकर हँस पड़ी। अगले दिन वो अपने भाई से नज़रें नहीं मिला पा रहा था। ईशान जानता था, अनिकेत घर में ही है, इसलिए वो जानबूझकर तेज़ आवाज़ में उसी ग़ज़ल के शेर पढ़ने लगता। अनिकेत क्या करता? मुस्कुरा कर रह जाता था।
उसकी छुट्टी ख़त्म होने के बाद वो वापस नोएडा आ गया था। दिन तेज़ी से बीतने लगे। हालाँकि उसने अभी तक हिना को साफ शब्दों में अपने दिल की बात नहीं बताई थी, लेकिन एक-दूसरे से बात किये बिना दोनों के न दिन कटते थे और रात गुज़रती थी। उसका मानना था कि
Aniket (thinking) - वो इश्क़ ही क्या? जिसका इज़हार करना पड़े।
बस इसी तरह एक दूसरें को समझते-समझाते और लड़ते-मनाते, आधा साल गुज़र चुका था, तभी एक दिन अनिकेत को उसके बॉस ने अपने कैबिन में बुलाकर पूछा,
“इस साल अगर PCL होगा? तो तुम पाकिस्तान जाना चाहोगे?” वो बेसब्री से इसी का ही तो वेट कर रहा था कि कब उसका वीसा अप्रूव हो और वो पाकिस्तान जाकर हिना से मिले। उसने एक्साइटेड होकर कहा,
Aniket (excited) - बिलकुल जाना चाहूँगा सर। मना करने का कोई कारण ही नहीं बनता। (PAUSE) आज अचानक ऐसा क्यों पूछ रहे हैं सर?
वो कन्फ्यूज़ होकर अपने बॉस को देख रहा था। उसने अनिकेत की ओर देखते हुए कहा, “क्योंकि PCL टूर्नामेंट अनाउंस हो चुका है। मार्च में उसकी डेट भी फिक्स हो चुकी है। कौन सी दुनिया में रहते हो तुम।
Aniket (shocked) - क्या? सर मेरे पास तो कोई इन्फॉर्मेशन नहीं है। कब हुआ?
“अभी थोड़ी देर पहले”, उसके बॉस ने बताया। ये न्यूज़ सुनते ही एक पल के लिए ख़ुश हो गया था, लेकिन अपने VISA का सोचकर वो फिर से अपसेट हो गया था। वो कुछ बोलने वाला था, तभी उसका मोबाइल वाइब्रेट हुआ। कॉल हिना का था। वो समझ गया था, PCL के बारे में बताने के लिए कॉल किया होगा। कैबिन से बाहर निकल कर उसने कॉल उठाया,
Heena (excited) - पहले ये बताइये इस good न्यूज़ के लिए ,आप हमें क्या गिफ्ट देंगे?
Aniket (confused) - पहले ही बता दिया, तो फिर कैसा गिफ़्ट? गिफ्ट तो वो होता हैं न? जो बिना बताये दिया जाये। वैसे तुम्हारी जानकारी के लिए बता दूँ, कि मुझे उस गुड न्यूज़ का पहले से ही पता है। मुझे मेरे बॉस ने अभी बताया है।
Heena (shocked) - आपके VISA के बारे में आपसे पहले, आपके बॉस को कैसे पता चला?
Aniket (shocked) - what?
क्या पाकिस्तान ने उसका और उसकी टीम का VISA कर दिया था अप्रूव? या कुछ और राज़ बताना चाहती थी हिना? आख़िर हिना को उसके VISA के बारे में कैसे पता चला था?
जानने के लिए पढ़िए कहानी का अगला भाग।
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