चारों एलडर्स को देखने के बाद, लूना ने चिल्ला कर कहा, "ओरायन... तुम यहां से चले जाओ... नहीं तो एलडर्स तुम्हें पकड़ लेंगे...." लूना के ये कहते ही, वहां पर एक तेज़ रोशनी आई और उसी रोशनी में लूना और ओरायन समा गए। एलडर्स जैसे ही पास आए, वो बुरी तरह से चौंक गए। "वो लड़की कहां गई...अभी अभी यहीं पर थी.... फिर अचानक से यहां क्या हुआ?" मार्को ने चारों तरफ़ देखते हुए कहा। बाकी तीनों एलडर्स भी हैरानी से इधर उधर देख रहे थे। तभी दूसरे एलडर्स ने कहा, "मगर मेरी समझ में ये नहीं आ रहा है कि लूना के साथ, वो कौन था... मैं उसका चेहरा देखने ही वाला था कि अचानक से वो तेज़ रोशनी आ गई...." "हां और उसी के बाद वो दोनों गायब हो गए...लूना तो आर्केडिया की एक छोटी जादूगरनी है, तो फिर उसके पास इतनी शक्तियां कहां से आई कि वो हमारी आंखों के सामने गायब हो जाए..." मार्को ने सोचते हुए कहा, चारों एलडर्स अब यही सोचने लगे थे कि आखिर लूना ने कौन सा जादू का इस्तेमाल किया था और वो कहां गई थी?
इधर दूसरी तरफ़ अचानक से लूना ने जैसे ही अपनी आंखें खोली, उसने देखा वो एक अलग जगह पर है। इस बार वो टेक्नोटोपिया में नहीं थी। लूना ने चारों तरफ़ देखा तभी उसे एहसास हुआ कि ये वही जगह है, जहां पर वो पहली बार ओरायन से मिली थी। ये टेक्नोटोपिया और आर्केडिया के बीच की जगह थी।
ओरायन ने अपनी डिजिटल घड़ी को देखते हुए कहा,
ओरायन:"इस बार मेरे सिस्टम ने ये अच्छा काम किया कि वो हमें टेक्नोटोपिया में ना ले जाकर, यहां ले आया।"
ओरायन और लूना उस जगह को हैरानी से देख रहे थे। उन्हें कहीं ना कहीं, वो जगह अच्छी लग रही थी। ओरायन ने चारों ओर देखकर कहा, "लूना... ये जगह अब भी वैसी ही है, जैसे जब हम पहली बार मिले थे।"
लूना ने सहमति में सिर हिलाते हुए जवाब दिया,
लूना:"हां, लेकिन तब हम यह नहीं जानते थे कि हमें यहां क्यों लाया गया है... और इस वक्त भी यही सवाल बना हुआ है कि अब आगे क्या करना है.... हम इस दुनिया में क्या करेंगे?"
ओरायन के पास भी इस सवाल का जवाब नहीं था। वो तो अनजाने में इस दुनिया में आ गया था, ताकि एलडर्स से बच सके। दोनों के मन में हजारों सवाल थे मगर जवाब एक भी नहीं। दोनों चुप चाप अपनी जगह पर खड़े होकर, चारों तरफ़ देख रहे थे। लूना और ओरायन अब उस सवाल का जवाब ढूंढने की कोशिश में थे, जिसे वे तब से टाल रहे थे, और वो सवाल थे, ये सब क्यों हुआ, उन्हें क्यों मिलाया गया और इसका मकसद क्या था? तभी अचानक से उन्हें सामने से दो तीन लोग आते हुए दिखाई पड़े। "लूना... संभलकर... यहां के लोग हमारी ओर आ रहे हैं..." ओरायन ने धीरे से कहा। दोनों ने देखा, सामने कई सारी लड़कियां खड़ी थीं, जिन्होंने शॉर्ट ड्रेस पहने हुए थे, जो टेक्नोटोपिया और आर्केडिया से काफ़ी अलग थे। "यहां किस तरह के कपड़े पहनते हैं... जिसमें आधा शरीर दिखता है...." लूना ने हैरानी से कहा, अगले ही पल उसके दिमाग में एक ख्याल आया। उसने ओरायन को रुकने के लिए कहा और आगे जाकर एक लड़की से पूछा, "हाय... क्या मैं एक सवाल पूछ सकती हूं?" उस लड़की ने लूना को ध्यान से देखा, लूना का रंग रूप बहुत अलग था। वो कोई मेकअप नहीं करती थी, फिर भी वो बहुत खूबसूरत दिखती थी। उस लड़की ने लूना को देखते हुए कहा, "हां कहिए...."
"ये कौन सी दुनिया है...आप बता सकती हैं...." लूना ने मुस्कुरा कर पूछा, जिस पर वो लड़की अजीब नज़रों से उसे देखने लगी। उसने लूना को घूरते हुए कहा, "एक्सक्यूज़ मी... क्या आपने मुझे डम्ब समझा है.... एक मिनट... कहीं आप मेरे साथ कोई प्रैंक तो नहीं कर रही?" लूना को समझ आ गया कि इस तरह बात बिगड़ सकती है। उसने लड़की की आंखों में देखते हुए पूछा, "अब जो मैंने पूछा, उसका जवाब दो.... ये कौन सी दुनिया है?" लूना ने उस लड़की पर अपने जादू का इस्तेमाल किया था, वो लड़की अपना होश खो चुकी थी। उसने लूना की आंखों में देखते हुए जवाब दिया, "ये पृथ्वी है... इसे अर्थ भी कहते हैं।" इस जवाब को सुनते ही, लूना ने चुटकी बजाई। वो लड़की नॉर्मल हो गई और सब कुछ भूल गई। लूना का काम हो चुका था।
इधर दूसरी तरफ़ ओरायन पेड़ के नीचे बैठा कुछ सोच रहा था, तभी लूना उसके पास आकर बोली,
लूना:"ओरायन हम इस वक्त पृथ्वी पर हैं..."
ओरायन:"हम्म!!!.... बड़ी अजीब बात है लूना.... तुम खुद सोचो ना, हम दोनों अलग-अलग दुनिया से हैं, फिर भी हमें यहां क्यों लाया गया... आखिर हम ही क्यों?"
लूना भी अब थोड़ी परेशान हो चुकी थी। उसने काफ़ी देर बाद गंभीर होकर कहा, "शायद ये इसलिए हुआ है क्योंकि हमारी दोनों दुनिया में कुछ अधूरा है।" लूना की इस बात में, ओरायन को एक लॉजिक नजर आया। उसने भी हामी भरते हुए कहा, "हां लूना... सही कहा तुमने...तुम्हारी दुनिया में इमोशन्स हैं, लेकिन मेरी दुनिया में प्रैक्टिकैलिटी है..." इतना कहने के बाद, ओरायन ने आगे सोच कर कहा, "क्या ये वही चीज़ है, जिसकी हमें जरूरत है.... कहीं ऐसा तो नहीं कि हमें इस बदलाव का जरिया बनाया गया हो..." लूना भी ओरायन की बात समझ रही थी मगर उसके मन में यही सवाल बना हुआ था कि अगर ऐसा ही था तो सब कुछ इस तरह से क्यों किया गया?
दोनों के बीच की बातचीत अब गंभीर हो चुकी थी। ओरायन ने अपना दिमाग़ चलाने के बाद कहा,
ओरायन:"लूना तुम्हारा क्या कहना है..... क्या तुम्हें लगता है कि तुम्हारी दुनिया आर्केडिया में कोई बदलाव लाने की ज़रूरत है?"
लूना: "हां मुझे हमेशा लगा कि आर्केडिया में सब कुछ भावनाओं से चलता है, लेकिन कभी-कभी मुझे ये भी लगता है कि मुझे कुछ ज्यादा प्रैक्टिकल होना चाहिए। कई बार इमोशन के चक्कर में थोड़ी बहुत गड़बड़ हो जाती है।"
ओरायन:"सच कहूं लूना....तो मैंने टेक्नोटोपिया में हमेशा तर्क को सर्वोपरि माना, लेकिन अब मुझे एहसास हो रहा है कि इमोशन्स की भी उतनी ही जरूरत है और कहीं ना कहीं मैं इसी बदलाव को लेकर अपनी दुनिया में काम कर रहा था... जिसके बाद मुझे पोर्टल के बारे में पता चला।"
दोनों अपनी अपनी बात कहने के बाद, चुप हो गए। थोड़ी ही देर बाद, दोनों ने देखा कि वहां आस पास झाड़ियों के बीच जितने भी लोग बैठे हुए थे, उठ कर भागने लगे। वो सारे कपल्स थे। लूना और ओरायन समझ नहीं पाए कि आखिर अचानक से यहां हुआ क्या? दोनों वहीं बैठे हुए सब को भागते हुए देख रहे थे कि अचानक से एक आदमी हाथ में लाठी लेते हुए आया और ओरायन को देखते हुए बोला, "तुझे नहीं भागना..." वो आदमी एक इंस्पेक्टर था और लूना ओरायन इस वक्त एक पार्क में बैठे हुए थे, मगर दोनों अनजान थे कि आखिर वहां क्या हो रहा है?
ओरायन ने उस इंस्पेक्टर को जवाब दिया, "मैं क्यों भागूंगा...." "अच्छा बेटा... तू है कौन??.......एमएलए का बेटा या फिर कौन?" इंस्पेक्टर ने ओरायन को घूरते हुए कहा, बीच बीच में वो लूना को भी देख रहा था। वहीं ओरायन ने सीधा सा जवाब दिया, "मैं ओरायन हूं.... और आप मेरे डैड को नहीं जानते?" "क्यों तेरा बाप...बड़ा फिल्मस्टार है क्या...." इंस्पेक्टर ने मज़े लेते हुए कहा, मगर ओरायन अब भी सीरियस था। उसने भोलेपन से जवाब दिया, "नहीं.... मेरे पापा टेक्नोटोपिया के एक साइंटिस्ट थे....." "अच्छा एक साइंटिस्ट का बेटा.... यहां झाड़ी में लड़की के साथ.... तूने मुझे पागल समझा है... तू चल मेरे साथ थाने... वहां तुझे बताता हूं..." इतना कहने के साथ ही, इंस्पेक्टर ने ओरायन का हाथ पकड़ते हुए कहा, "और मैम आप जाइए... इस बार छोड़ रहा हूं..."
"ये... ये आप ओरायन को कहां ले जा रहे हैं... छोड़िए इसे..." लूना ने ऊंची आवाज़ में कहा, इंस्पेक्टर उसकी हिम्मत देख कुटिल मुस्कान मुस्कुरा पड़ा। उसे लग रहा था कि लूना और ओरायन आम इंसान हैं। इंस्पेक्टर अभी कुछ कहने ही वाला था कि ओरायन ने अपना सिस्टम ऑन कर दिया, और एटलस को सब कुछ विश्लेषण करने को कह दिया। अगले ही पल एटलस ने कहा,
एटलस:"बॉस...खतरा...खतरा... आप जितनी जल्दी इससे दूर जाओगे....उतना बढ़िया होगा.. ये पृथ्वी का एक इंस्पेक्टर है..."
एटलस की आवाज़ सुन, इंस्पेक्टर यहां वहां देखते हुए बोला, "ए!!.. कौन बोला ये.... कौन है?" इसी बीच ओरायन ने लूना को आंखों से इशारा किया।
लूना समझ गई कि उसे कुछ करना होगा। उसने अपना जादू, इंस्पेक्टर पर करना चाहा मगर, इंस्पेक्टर पर जादू का असर नहीं हुआ। लूना के चेहरे पर आई परेशानी देख कर, ओरायन समझ गया कि कुछ गड़बड़ है। उसने अगले ही पल इंस्पेक्टर का हाथ झटक कर अपना हाथ छुड़ाया और लूना को लेकर वहां से भागने लगा। "लूना.... अपनी जादुई खिड़की निकालो....." ओरायन ने भागते हुए कहा, मगर तभी लूना ने उसे समझाया कि उसे पृथ्वी पर कोई जगह पता नहीं है कि कहां जाए, इस कारण वो खिड़की का इस्तेमाल नहीं कर सकती। "ए!!!!... रुक जा... नहीं तो अगर पकड़ाया तू तो फिर छोड़ूंगा नहीं..." पीछे से इंस्पेक्टर भागता हुआ चिल्लाया, ओरायन ने देखा, उसके और लूना के पीछे इंस्पेक्टर के साथ-साथ तीन और लोग आ रहे थे, जो कांस्टेबल थे। लूना और ओरायन को समझ नहीं आने लगा कि ये कैसी मुसीबत पीछे पड़ गई है, दोनों के।
लूना और ओरायन भागते हुए, भीड़ भाड़ वाले इलाके में आ गए थे। उन्होंने देखा, अभी भी उनके पीछे पुलिस पड़ी हुई है। "ओरायन अब क्या करें.... कब तक इस तरह भागेंगे..." लूना ने हांफते हुए कहा, वो भागते-भागते थक चुकी थी। तभी ओरायन को सामने रेलवे ट्रैक दिखाई पड़ा, वो लूना को लेकर रेलवे ट्रैक पर इस पार से उस पार जाने की कोशिश करने लगा। दोनों भाग ही रहे थे कि अचानक से लूना का दाहिना पैर एक ट्रैक के बीचों-बीच फंस गया। "ओरायन रुक जाओ...मेरा पैर फंस गया है.... मेरी मदद करो..." लूना ने चिल्लाते हुए कहा।
ओरायन ने जब पीछे मुड़ कर देखा तो पाया पुलिस उनके पीछे ही है। ओरायन लूना का पैर ट्रैक से निकालने की कोशिश करने लगा, मगर कुछ नहीं हो पा रहा था। तभी दोनों को ट्रेन के हॉर्न की आवाज़ सुनाई पड़ी। दोनों ने देखा, उसी ट्रैक पर ट्रेन तेज़ रफ्तार से आ रही है। "ओरायन तुम किनारे हट जाओ....वो बड़ी गाड़ी इधर ही आ रही है..." लूना ने चिल्लाते हुए कहा, मगर ओरायन लूना को इस तरह अकेले नहीं छोड़ सकता था। लूना ने देखा, ट्रेन एकदम क़रीब आ चुकी है, पीछे से पुलिस के सारे लोग भी चिल्लाए जा रहे थे। लूना ने बिना कुछ सोचे समझे, ओरायन को किनारे धक्का दे दिया, ओरायन जैसे ही संभला, उसने देखा ट्रेन एकदम पास आ चुकी है।
"नहीं लूना...." चिल्लाते हुए ओरायन ने अपनी आंखें बंद कर ली। ट्रेन हॉर्न बजाते हुए, तेज़ रफ्तार से गुजर गई।
एक पल के लिए ओरायन को लगा, सब कुछ थम गया है। उसका पूरा शरीर कांप रहा था। उसने अपनी आंखें खोली और जैसे ही सामने देखा, उसे एक झटका लगा। सामने लूना नहीं थी। "लूना...." जोर से ओरायन चिल्लाया।
तभी उसके कंधे पर किसी ने हाथ रखते हुए कहा, "ओरायन तुम ठीक हो..." ओरायन ने जैसे ही पीछे मुड़ कर देखा, उसके सामने लूना सही सलामत खड़ी थी। उसे देखते ही ओरायन लूना को गले लगाते हुए बोला, "लूना तुम ठीक हो... पता भी है अगर तुम्हें कुछ हो जाता तो क्या होता?" थोड़ी ही देर बाद, ओरायन को एहसास हुआ कि लूना के क़रीब है, उसने खुद को लूना से अलग करते हुए कहा, "वो...वो.. जल्दी यहां से चलो... नहीं तो फिर से वो लोग आ जायेंगे..."
काफ़ी देर तक भटकने के बाद लूना और ओरायन एक सुनसान जगह पर आए। लूना ने देखा, ओरायन काफ़ी शांत नज़र आ रहा है। लूना ने हैरानी से पूछा, "क्या बात है... अब तुम क्या सोच कर परेशान हो?" "लूना ऐसा मेरे साथ पहली बार हो रहा है..." ओरायन ने अजीब भाव के साथ कहा। लूना को समझ नहीं आया कि ओरायन किस बारे में कह रहा है? ओरायन ने सामने से समझाते हुए कहा, "मेरे कहने का मतलब है कि आज से पहले भी टेक्नोटोपिया में कई तरह के हादसे हुए हैं... मगर कभी मुझे उनकी उतनी चिंता नहीं हुई... मैंने कभी किसी के लिए उतना महसूस नहीं किया... जितना आज तुम्हें मुसीबत में देख कर मैंने महसूस किया है... मैं कैसे बताऊं कि मैंने अपने अंदर एक अलग सा बदलाव देखा आज..."
ओरायन ने देखा, लूना उसकी बात सुन मुस्कुरा रही है। उसने जब कारण पूछा तो लूना बोली,
लूना:"तो अब तुम्हें समझ आया कि क्यों तुम्हें इन सब के लिए चुना गया है....ताकि पहले तुम इस इमोशन्स को महसूस करो.... और फिर टेक्नोटोपिया में इसे लोगों के बीच लेकर जाओ..."
ओरायन:"हां लूना...तुम्हारी दुनिया में जो इमोशन्स हैं, वो मुझे बहुत कुछ सिखा रहे हैं। मुझे लगता है कि मेरी ज़िंदगी में इसकी कमी थी।"
लूना: "ठीक वैसे ही, जैसे तुमने मुझे सिखाया कि तर्क के बिना हर चीज़ अधूरी है।"
दोनों को अब धीरे-धीरे समझ आ रहा था कि उनके साथ जो कुछ भी हुआ, क्यों हुआ मगर अब भी वो पूरी तरह से ये समझ नहीं पाए थे। जैसे ही दोनों इस पल में सोचते हुए डूबे, ओरायन अचानक बोला, "शायद यही वजह है कि हमें मिलाया गया है। तुम्हारी दुनिया को तर्क की जरूरत है, और मेरी दुनिया को इमोशन्स की।" "शायद हां ताकि इस तरह से हम एक-दूसरे की दुनिया संतुलित कर सकें..." लूना ने बताया। दोनों अभी सोच ही रहे थे कि अचानक से एक ही वक्त पर एटलस और क्रीना ने कहा, "शायद यही सवाल अब तक अनसुलझा है कि तुम्हारा असली उद्देश्य क्या है।" सवाल पर लूना और ओरायन ने एक-दूसरे को देखकर कहा, "हमें इसका जवाब खोजना होगा।"
आख़िर ऐसा क्या करने वाले थे, लूना और ओरायन, ये बड़ा राज़ बना हुआ था। क्या हुआ आगे? जानने के लिए पढ़ते रहिए
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