लूना और ओरायन पृथ्वी पर एक सुनसान जगह पर बैठ कर सोच रहे थे कि उन्हें आगे क्या करना है? दोनों ने एटलस और क्रीना से भी पूछा था मगर उन्हें जवाब नहीं मिल पाया था।
काफ़ी सोचने के बाद अचानक से लूना को एक खयाल आया, उसने पूछा,
लूना:"वैसे ओरायन.... नेमेसिस कहां है...तुम्हें अपना सिस्टम ऑन किए काफ़ी वक्त हो चुका है... मगर वो अभी तक सामने नहीं आया..."
ओरायन:"वही मैं भी सोच रहा हूं.... आख़िर ये नेमेसिस चाहता क्या है....उसकी बातें, उसके इरादे समझ नहीं आ रहे..." इतना कहने के बाद, ओरायन ने एक बहुत बड़ा फैसला लेने के बाद कहा, "लूना... अब हमारे पास एक ही रास्ता है...हम दोनों अपनी अपनी दुनिया वापस लौट जाते हैं..."
लूना इस बात को सुन कर हैरान हो गई, उसने हड़बड़ा कर पूछा, "क्या मतलब है तुम्हारा, इससे क्या हो जायेगा?" इसके बाद ओरायन लूना को अपना प्लान समझाने लगा, लूना उसकी एक एक बात बड़े ही ध्यान से सुन रही थी। लूना ने थोड़ा उदास होते हुए कहा, "तुम्हारी बात तो मैं समझ गई हूं...मगर तुम काउंसिल को और मैं एलडर्स को क्या जवाब देंगे...वो हमें नहीं छोड़ने वाले?" "हां ये तो है...मगर लूना हमें उनका सामना तो करना होगा...." ओरायन ने दिलासा देते हुए कहा। लूना आगे ओरायन से इस बात पर बहस नहीं करना चाहती थी। आखिर में उसने हां में सिर हिलाते हुए कहा, "ठीक है... तो मैं अपनी तरफ़ से उस पोर्टल को खोलने की कोशिश करती हूं।" ओरायन ने हां में सिर हिलाया और दोनों अपनी अपनी दुनिया जाने के लिए पोर्टल खोलने लगे। ओरायन जहां साइंस और कैलकुलेशंस का सहारा लेकर पोर्टल खोल रहा था तो वहीं लूना अपनी जादुई शक्ति और क्रीना की मदद ले रही थी। थोड़ी ही देर में, उस जगह पर दो पोर्टल खुल गए। ओरायन ने लूना की तरफ़ देख कर कहा, "उम्मीद है, फिर से मुलाकात होगी लूना.. …इतना कहने के बाद ओरायन ने थोड़ा झिझकते हुए कहा, "लूना मैं तुमसे कुछ मांगना चाहता हूं.... ताकी हम उसकी मदद से दोनों दुनिया को जोड़ सकें..."
"हां कहो... क्या चाहिए तुम्हें..." लूना ने हैरानी से कहा, जिसके जवाब में ओरायन ने लूना की तरफ़ देख कर इशारा किया, लूना उसका इशारा समझ गई और उसने कहा, "ठीक है... मुझे कोई दिक्कत नहीं है।" थोड़ी ही देर बाद अपने अपने पोर्टल की ओर बढ़ने लगे। दोनों इस वक्त कुछ ज़्यादा ही इमोशनल हो गए थे। ओरायन पोर्टल के अंदर जाते जाते रुक गया और लूना को देखने लगा, उसका मन हो रहा था कि वो एक बार उसे गले लग जाए। मगर तभी ओरायन ने ख़ुद को समझाते हुए कहा, "ओरायन... ये क्या सोच रहा है तू....बेहैव योरसेल्फ..." उसकी आंखों के सामने लूना पोर्टल के अंदर जाने लगी। ओरायन को लग रहा था कि लूना एक आखिरी बार उसे देखेगी, मगर ऐसा नहीं हुआ। निराश होकर ओरायन पोर्टल के अंदर आ गया, उसका दिल भारी हो रहा था।
तभी पीछे से आवाज़ आई, "मुझे भूल मत जाना ओरायन..." इस आवाज़ को सुनते ही ओरायन के चेहरे पर मुस्कान आ गई, वो पीछे मुड़ता कि तभी दोनों पोर्टल बंद होने लगे। इधर दूसरी तरफ़ जैसे ही ओरायन की आँखें खुली, उसने ख़ुद को एक हाई-टेक कमरे में पाया, ओरायन चारों तरफ़ हैरानी से देख ही रहा था कि तभी सामने से आवाज़ आई, "भाई तू ज़िंदा है या मैं मुझे तेरा भूत दिखाई दे रहा है..." ओरायन ने जैसे ही सामने देखा, नोवा हैरान परेशान खड़ा था। ओरायन को समझ आ गया कि पोर्टल उसे नोवा के घर ले आया था। अपने दोस्त नोवा को इतने दिनों बाद देखने के बाद ओरायन उसके गले लग गया। उसने नोवा को काफ़ी याद किया था। तभी नोवा ने ओरायन को इमोशनल होता देख कहा, "तेरी तबीयत ठीक है... ये क्या हो रहा है तुझे?"
"मैं पहले से काफ़ी बदल गया हूं दोस्त.... " इतना कहने के बाद ओरायन अपने दोस्त को एक एक बात शुरू से बताने लगा। नोवा हर बात सुन कर हैरान हो रहा था। सब कुछ जानने के बाद नोवा ने कहा, "यकीन नहीं हो रहा है भाई..... तेरे साथ ऐसा कुछ हुआ... वैसे अब आगे क्या करना है?" ओरायन ये सुनने के बाद, कमरे में यहां वहां टहलने लगा। उसके मन में कुछ बड़ा चल रहा था, नोवा के दुबारा पूछने पर ओरायन ने कहा, "बताऊंगा... मगर तुझे मेरा साथ देना होगा।" नोवा ने जैसे ही हां में सिर हिलाया, ओरायन ने उसे अपने मन की बात बतानी शुरू की, "हमें एक ऐसा उपकरण बनाना होगा, जिससे हम दोनों दुनियाओं के बीच संपर्क कर सकें.... जैसे ही इस दुनिया में स्मार्टफोन, होलोग्राम से एक जगह से दुसरी जगह को कनेक्ट कर सकते हैं... उसी तरह मैं यहां से आर्केडिया में कनेक्ट करना चाहता हूं।" ओरायन की बात सुनते ही नोवा ने उसका मजाक उड़ाते हुए कहा,
नोवा:"तू पागल हो गया है.....क्या तू सच में सोचता है कि ये पॉसिबल है?"
ओरायन :"क्यों पॉसिबल नहीं हो सकता... आज से पहले कोई ये सोच भी नहीं सकता था कि टेक्नोटोपिया के बाहर कोई दुनिया है... और वहां कोई जा सकता है... लेकिन मैंने ये किया ना... तो बस ऐसा उपकरण भी बनाया जा सकता है..."
नोवा को ओरायन की आंखों में एक जुनूनियत दिखाईं देने लगा था। नोवा ने ये भी गौर किया था कि आर्केडिया से वापस आने के बाद, ओरायन काफ़ी काफ़ी बदला बदला लग रहा था। नोवा ने कुछ सोचते हुए पूछा, "ठीक है मैं तेरा साथ देने के लिए तैयार हूं... लेकिन ये होगा कैसे?" "क्रीना की मदद से...." ओरायन ने एक बड़ी मुस्कान के साथ कहा, वहीं नोवा समझ नहीं पाया कि आखिर क्रीना है क्या और ओरायन क्या करने की सोच रहा है?
तभी ओरायन ने अपनी जेब से एक छोटा शीशा निकाला, जिसके अंदर क्रीना थी। ओरायन ने जाते जाते लूना से क्रीना ही मांगा था। नोवा उस शीशे को देख कर हैरान था, वो उसे उलट पलट कर देख रहा था। काफ़ी देर तक जब नोवा को कुछ समझ नहीं आया तो ओरायन ने उसे सामने से ही बताया, "जैसे मैंने अपना ए.आई. सिस्टम एटलस को बनाया है.... ठीक उसी तरह ये लूना की ए.आई. सिस्टम जैसी है...इसका नाम क्रीना है... और ये जादू से चलती है।""तो फिर तू इसे कैसे चलाएगा... तू जादू थोड़ी ना जानता है...और ना ही ये आर्केडिया है..." नोवा ने एक अहम सवाल किया, जिसके जवाब में ओरायन मुस्कुरा पड़ा, क्योंकि ओरायन को लूना ने जाते जाते समझा दिया था कि क्रीना का इस्तेमाल कैसे करना है? एक घंटे बाद ही अचानक से नोवा के घर के दरवाज़े पर दस्तक हुई। नोवा ने कैमरे की मदद से, जैसे ही दरवाज़े के बाहर देखा वो पूरी तरह से कांप उठा।
नोवा:"भाई बाहर डेविड खड़ा है... अगर उसे पता चल गया कि तू वापस आ गया है और यहां मेरे घर पर है तो बवाल हो जायेगा।"
ओरायन:"घबराओ मत यार... और मेरी बात ध्यान से सुन.. मैं किचन में चुप जाता हूं... तू कोशिश करना कि उस डेविड को तू दरवाज़े पर से ही भगा दे..."
इतना कहने के साथ ही ओरायन किचन के अंदर जाकर छुप गया। इधर नोवा ने ख़ुद को नॉर्मल करते हुए, जैसे ही दरवाज़ा खोला, डेविड बिना कुछ बोले घर के लिविंग हॉल में आकर चारों तरफ़ देखने लगा। "सर क्या हुआ... आप किसी को ढूंढ रहे हैं क्या?" नोवा ने फीकी मुस्कान से कहा। डेविड ने उसकी आंखों में घूरते हुए कहा, "ये बात तुम भी जानते हो कि मुझे क्या चाहिए.....और मुझे पूरा यकीन है कि जब भी ओरायन आएगा...तुम्हारे पास ही आएगा..." नोवा का पूरा शरीर कांप रहा था। वो कुछ कहता इससे पहले ही डेविड ने दांत भींचते हुए कहा, "नोवा... मुझे उम्मीद है कि तुम गद्दारी नहीं करोगे..." "जी.... जी सर... जब भी ओरायन मेरे पास आएगा... मैं सबसे पहले आपको ही बताऊंगा... मुझे याद है..." नोवा ने घबराते हुए कहा। डेविड ने एक शैतानी मुस्कान से कहा, "गुड बॉय.... नहीं तो अंजाम क्या होगा... मुझे बताने की ज़रूरत नहीं है।" कहते हुए डेविड वहां से जा ही रहा था कि तभी उसे किचन में कुछ अजीब लगा। डेविड जान बूझकर ख़ुद नोवा के घर आया था, ताकि अगर नोवा ने ओरायन को छुपाया है तो उसे पता चल जाए, नहीं तो अक्सर लोग टेक्नोटोपिया में एक जगह बैठ कर ही होलोग्राम की मदद से सब कुछ देख लेते थे। डेविड कुछ सोचते हुए किचन की तरफ़ बढ़ने लगा, जिसे देखते ही नोवा की हालत ख़राब होने लगी। "सर... सर आपको कुछ चाहिए क्या... मैं आपके लिए..." नोवा किचन की तरफ़ जाने ही वाला था कि तभी डेविड ने उसका पकड़ लिया और ख़ुद किचन के अंदर जाने लगा।
जैसे जैसे उसके कदम आगे जा रहे थे, नोवा की दिल की धड़कन तेज हो रही थी। किचन में पहुंचते ही डेविड ने देखा, वहां नॉर्मल किचन का सारा सामान रखा हुआ है। "ठीक है नोवा... कल ऑफिस में मिलते हैं..." कहते हुए डेविड बाहर दरवाज़े की तरफ़ जाने लगा। नोवा अब बुरी तरह से शॉक्ड हो गया था और सोच रहा था कि आखिर ओरायन किचन से गया कहां? डेविड के जाते ही नोवा किचन के अंदर गया, मगर ओरायन कहीं पर नहीं था। "ओरायन... ओरायन... कहां है तू..." नोवा आवाज़ देते हुए बोला, तभी उसे एहसास हुआ कि ओरायन की आवाज़ कहीं बाहर से आ रही है।
नोवा ने जैसे ही खिड़की के पास जाकर देखा, बुरी तरह से चौंक गया। ओरायन खिड़की में लगे ग्रिल को पकड़े हुए बाहर लटका हुआ था। नोवा 20वीं मंजिल पर रहता था, ओरायन को इस हालत में देख, उसने जल्दी से हाथ देकर ओरायन को अंदर खींचा। "भाई!... तू कब तक ऐसे छुप कर रहेगा... कभी न कभी तो काउंसिल को पता चल ही जाएगा..." नोवा ने वाटर कैप्सूल खाते हुए कहा। ओरायन जिसके हाथ पैर कांप रहे थे, उसने ख़ुद को शांत करते हुए कहा, "अब मैं सबके सामने तब ही आऊंगा...जब मैं दोनों दुनिया को जोड़ने का उपकरण ना बना लूं..."
इतना कहने के बाद ओरायन नोवा के छोटे से लैब के अंदर चला गया और अपने इस नए प्रोजेक्ट पर काम करने लगा। दोपहर से शाम हो गई थी, ओरायन ने डिवाइस के साथ उपकरण तैयार कर लिया था, मगर सारी कैलकुलेशन कर लेने के बाद भी जब ओरायन को कुछ नहीं सूझा और न ही एटलस से उसे कोई मदद मिली तो आखिर में ओरायन ने क्रीना की मदद लेने की सोची। ओरायन ने लूना का वो छोटा शीशा उठाते हुए कहा, "क्रीना...तुम लूना की दुनिया से हो, अगर हम तुम्हारे माध्यम से संपर्क स्थापित कर सकें, तो हम दोनों दुनिया के बीच बातचीत शुरू कर सकते हैं।" मगर तभी ओरायन ने देखा, क्रीना कोई जवाब नहीं दे रही। ओरायन ने इस बार, बहुत ही प्यार से कोशिश की, जैसा उसे लूना ने बताया था मगर क्रीना शांत ही रही।
"ये क्रीना... रिएक्ट क्यों नहीं कर रही...क्या हुआ इसे?" कहते हुए ओरायन दोबारा से कोशिश करने लगा मगर कुछ भी नहीं हो रहा था। "क्रीना, क्या तुम मुझे सुन सकती हो?" आखिरी बार ओरायन ने पूछा, मगर क्रीना ने कोई जवाब नहीं दिया। ओरायन को इस तरह परेशान देख, नोवा ने मूड लाइट करने के लिए कहा, "भाई... मुझे तो लगता है कि तुझे उस लड़की ने बेवकूफ..." नोवा आगे कहने ही वाला था कि ओरायन ने उसे घूरते हुए कहा, "लूना के बारे में कुछ भी गलत नहीं नोवा..."
नोवा को ओरायन का बर्ताव बहुत अजीब लगा, उसने आज से पहले अपने दोस्त को ऐसा बर्ताव करते हुए नहीं देखा था। उसे समझ नहीं आया कि आखिर ओरायन को हुआ क्या, नोवा ओरायन को अकेला छोड़ कमरे से निकल गया।
उसके जाते ही ओरायन को अपने बर्ताव पर बुरा लगने लगा। उसने ख़ुद से कहा, "ये क्या कर रहा हूं मैं.... मैं तो हमेशा शांत दिमाग से काम लेता था..." क़रीब दो दिन बीत चुके थे, ओरायन का नया डिवाइस वैसे ही पड़ा हुआ था और ओरायन दिन रात क्रीना के पीछे पड़ा हुआ था। ओरायन की ऐसी हालत हो गई थी कि वो अब एक बार कैसे भी लूना से बात करना चाहता था, उसकी आवाज़ सुनना चाहता था।
तभी एटलस ने उसे सलाह दी,
एटलस:"बॉस शायद आर्केडिया की जादूई ऊर्जा क्रीना को चलाती है, यहां की लॉजिकल दुनिया में वो एक्टिवेट नहीं हो पा रही हो... जैसी हालत मेरी आर्केडिया में हो गई थी...हो सकता है क्रीना की यहां हो गई हो।"
ओरायन:"नहीं दोस्त... तुम एक डिवाइस हो.. मगर क्रीना नहीं... लूना ने साफ़ कहा था कि ये इमोशन्स के ज़रिए लोगों से कनेक्ट होती है... ना जाने मैं क्या गलती कर रहा हूं।"
तभी नोवा ने चिंता में कहा, "अगर क्रीना चालू ही नहीं हुई तो हमारा डिवाइस कैसे काम करेगा?"
ओरायन उदास होकर बेडरूम में चला गया। उसकी आंखों के सामने लूना का मुस्कुराता हुआ चेहरा आ रहा था। इस वक्त ओरायन लूना को बहुत ज्यादा मिस करने लगा था, जिसके कारण उसकी आंखों में आंसू आ गए थे। टेक्नोटोपिया में ये पहली बार हो रहा था कि कोई इंसान किसी के लिए इस तरह इमोशनल हो रहा था। ओरायन ने आख़िरी बार क्रीना को देखते हुए नम आंखों से कहा, "मैं लूना से जुड़ना चाहता हूँ, लेकिन मैं कुछ भी नहीं कर पा रहा हूँ.... और तो और मैं इस वक्त पोर्टल खोल कर आर्केडिया भी नहीं जा सकता.."
कहते कहते ओरायन की आंखों से आंसू के एक बूंद उस छोटे शीशे पर आ गिरा, जिसके अंदर क्रीना थी। अगले ही पल वहां पर आवाज़ आई, "ओरायन तुमने मुझे याद किया... क्रीना तुम्हारी मदद के लिए हाज़िर है।" जैसे ही ओरायन ने क्रीना की आवाज़ सुनी, उसके चेहरे पर मुस्कान आ गई, आंखों में खुशी झलक पड़ी। ओरायन किसी छोटे बच्चे की तरह खुश हो गया। उसने खुशी से कहा, "क्रीना.... क्रीना...तुम कहां चली गई थी.. पिछले दो दिनों से मैं तुम्हें एक्टिवेट करने की कोशिश कर रहा हूं।" "मैं कोई मशीन नहीं ओरायन... मैं एक्टिवेट नहीं होती बल्कि लोगों से कनेक्ट होती हूं... तुमने आज मुझे ख़ुद से इमोशनल होकर कनेक्ट किया... देखो मैं आ गई..." क्रीना ने पूरी बात कही, जिसे सुनने के बाद ओरायन को एहसास हुआ कि वो कहां गलती कर रहा था।
ओरायन दौड़कर नोवा के पास गया और बोला, "नोवा मुझे अपनी इस दुनिया में और भावनाएँ लानी होंगी, तभी हम लूना और आर्केडिया से जुड़ सकते हैं।" नोवा भी अब इस थ्योरी को समझ रहा था, उसने हां में सिर हिलाया। ओरायन अब जान चुका था कि अगर उसे लूना से जुड़ना है और दोनों दुनियाओं को जोड़ना है, तो उसे अपनी दुनिया में भावनाओं को लाना होगा।
ओरायन ने नोवा और एटलस की ओर देखकर कहा, “अब आगे बहुत बड़ा काम करना है... तुम दोनों रेडी रहना...” क्या हुआ आगे? जानने के लिए सुनते रहिए
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