'क्लीन-अप'- मेल्विन ने खुद से कहा। 

अब भले ही नितिन शराब के नशे में कुछ भी उल जलूल बड़बड़ा रहा था लेकिन उससे शायद एक बात बिल्कुल सटीक निकल गयी थी। 'क्लीन-अप' मेलविन बार-बार उस रिकॉर्डिंग को सुने जा रहा था। उसे समझ नहीं आ रहा था कि बिना किसी के भी नजर में आए वो इससे जुड़ी और जानकारी कैसे जुटाए। तभी उसके दिमाग में एक फेक बूट कैम्प का आइडिया आया जिससे वो बच्चों के स्वस्थ से जुड़ी जानकारी पा सकता था। और इस काम को अंजाम देने के लिए उसके दिमसग में डॉक्टर राहुल का नाम याद आया। जो उस आजीवन संस्था में नया आया हुआ था जिससे कि किसी पर शक भी न हो। मेल्विन को उम्मीद थी कि उससे कुछ तो जरूर निकाला जा सकता है इसलिए इस बार उसने डॉक्टर राहुल से मिलने की ठानी। लेकिन राहुल को बस एक डर था, की कहीं डॉक्टर राहुल भी उन दरिंदो में तो नहीं मिला हुआ है। इसलिए उसने उस डॉक्टर को मनाने के लिए एक तरकीब निकाली। डॉक्टर राहुल NGO में काम करने के अलावा अपना खुद का एक क्लीनिक भी चलाते थे जिसमें जाने के लिए एक अपॉइंटमेंट लेना होता था। मेल्विन ने भी ऐसा ही किया और अपॉइंटमेंट वाले दिन डॉक्टर राहुल के क्लिनिक में जा धमका। 

डॉ. राहुल: (अपनी मेज समेटते हुए) हम्म। आपके अर्जिपत्र में जो बीमारी लिखी गयी है सैप में इससे जुड़े तो कोई लक्षण मुझे नजर नहीं आ रहे हैं मेल्विन जी, फिर आपको दिक्कत क्या है। 

मेल्विन: (बिना इजाज़त कुर्सी खींचकर बैठते हुए, एक शांत और प्रभावशाली मुस्कान के साथ) नमस्कार डॉ. राहुल। मेरा नाम मेल्विन है। अरे आप तो मुझे जानते ही होंगे। हम पहले भी मिल चुके हैं। मैं यहाँ अपनी बीमारी के इलाज के लिए नहीं आया हूँ, बल्कि आपको एक प्रस्ताव देने आया हूँ और मेरा प्रस्ताव इतना खास है कि यह आपकी शाम को कहीं ज्यादा रोमांचक बना देगा। मैंने आपके बारे में बहुत सुना है, खासकर "नवजीवन" में आपके काम के बारे में।

राहुल अपनी मेज पर झुककर मेल्विन को घूरता है। उसे मेल्विन का आत्मविश्वास थोड़ा अटपटा लगता है।

डॉ. राहुल: (रूखे स्वर में) अरे मेल्विन जी। आपका स्वागत है। आप आजकल टीवी में जिस कदर छाए हुए हैं आपको कौन नहीं जानता। एक कार्टूनिस्ट चोर। तो कहिए? क्या प्रस्ताव है? अगर ये फिर से किसी गरीब बच्चों के लिए कोई चंदा इकट्ठा करने वाली बात है तो मैं पहले ही बता दूं, मेरा समय बहुत कीमती है।

मेल्विन: (हल्के से हँसता है, उसकी आँखों में एक चमक थी) चंदा? नहीं, डॉ. राहुल। यह चंदे से कहीं बढ़कर है। यह करोड़ों की बात है। मैं यहाँ आपको एक ऐसे प्रोजेक्ट में शामिल करने आया हूँ, जिससे आप रातों-रात अपनी जिंदगी बदल सकते हैं।

राहुल की भौंहें तन जाती हैं। "करोड़ों" शब्द ने उसका ध्यान खींच लिया था। वह अंदर से जानता था कि वह खुद भी ऐसी गतिविधियों में शामिल है जिससे "करोड़ों" बनते हैं, लेकिन यह व्यक्ति कौन था?

डॉ. राहुल: (अब थोड़ी दिलचस्पी दिखाते हुए) करोड़ों? किस बारे में बात कर रहे हैं आप?

मेल्विन: (आगे झुकते हुए, आवाज थोड़ी नीची करते हुए) डॉ. राहुल, आप "नवजीवन" में बच्चों के स्वास्थ्य के लिए काम करते हैं। आपके पास बच्चों का डेटा है, उनकी मेडिकल हिस्ट्री है। आप जानते हैं कि हर बच्चा अनमोल है, और उनका स्वास्थ्य डेटा तो और भी ज्यादा।

डॉ. राहुल: (सतर्क होते हुए) हम बच्चों का मेडिकल रिकॉर्ड रखते हैं, जो गोपनीय है। आप किस तरह के डेटा की बात कर रहे हैं?

मेल्विन: (मुस्कुराते हुए, जैसे कोई बड़ा रहस्य खोल रहा हो) मैं बात कर रहा हूँ असीमित मूल्यवान डेटा की। कल्पना कीजिए, बच्चों के स्वास्थ्य का एक व्यापक, विस्तृत डेटाबेस। उनकी आनुवंशिक प्रवृत्तियाँ, विभिन्न बीमारियों के प्रति उनकी संवेदनशीलता, उनके शारीरिक मापदंड, उनकी प्रतिरक्षा प्रणाली की ताकत... यह सब एक संरचित तरीके से, जिसे बड़ी कंपनियाँ अरबों डॉलर में खरीदने को तैयार हैं।

राहुल की आँखें थोड़ी फैलती हैं। बड़ी कंपनियाँ? अरबों डॉलर? यह उसके अपने काले धंधे से भी बड़ा लग रहा था।

डॉ. राहुल: कौन सी कंपनियाँ? क्यों?

मेल्विन: (आत्मविश्वास से) दुनिया की कुछ सबसे बड़ी फार्मास्युटिकल कंपनियाँ और बायोटेक फर्म्स। उन्हें नए इलाज विकसित करने के लिए, नई दवाएं बनाने के लिए, और जेनेटिक रिसर्च के लिए इस तरह के डेटा की सख्त जरूरत है। यह वो डेटा है जो उन्हें अरबों डॉलर के मुनाफे तक पहुंचा सकता है। और वे इसके लिए मुँह-मांगी कीमत देने को तैयार हैं।

राहुल अब पूरी तरह से मेल्विन पर केंद्रित था। उसकी लालची आँखें चमक रही थीं।

मेल्विन: अब सोचिए, डॉ. राहुल। आप "नवजीवन" में काम करते हैं। आप पर कोई शक नहीं करेगा। आप बच्चों के स्वास्थ्य कैंप लगा सकते हैं, उन्हें विशेष "बूटकैंप" का नाम दे सकते हैं, जहाँ आप उनकी गहन जाँच करेंगे, उनके रक्त के नमूने लेंगे, उनके आनुवंशिक प्रोफाइल तैयार करेंगे। कोई नहीं सोचेगा कि इसके पीछे कोई और मकसद है, क्योंकि आप वहाँ के सबसे भरोसेमंद डॉक्टर हैं।

डॉ. राहुल: (धीरे से) तो आप चाहते हैं कि मैं बच्चों का स्वास्थ्य डेटा इकट्ठा करूँ और... आपको दूँ?

मेल्विन: (एक विजेता की मुस्कान के साथ) बिल्कुल! आप उन्हें 'नवजीवन' के माध्यम से इकट्ठा करेंगे। मैं आपको अत्याधुनिक उपकरण, प्रशिक्षित कर्मचारी और हर चीज का खर्च दूँगा। आपको सिर्फ यह सुनिश्चित करना है कि डेटा सही और सटीक हो। और बदले में, डॉ. राहुल, आपको इस पूरे खेल में सबसे बड़ा हिस्सा मिलेगा। मैं आपको हर एक डेटा सेट के लिए मुँह-मांगी फीस दूँगा, जो आप अपनी मौजूदा कमाई के बारे में कभी सोच भी नहीं सकते।

राहुल अपनी कुर्सी पर पीछे हटता है। यह सीधा प्रस्ताव था, बिना किसी घुमावदार "मानवता की सेवा" वाली बात के। यह केवल पैसे की बात थी, जिसे वह अच्छी तरह समझता था।

डॉ. राहुल: यह... यह बहुत बड़ा जोखिम है। अगर किसी को पता चला...

मेल्विन: (शांति से, लेकिन उसकी आवाज में एक दृढ़ता थी) कोई जोखिम नहीं, राहुल। यह सब 'नवजीवन' के बैनर तले होगा। "बच्चों के स्वास्थ्य के लिए एक विशेष परियोजना।" कौन शक करेगा? और फिर, यह डेटा अनाम रहेगा। हम बच्चों के व्यक्तिगत पहचान छिपा देंगे, ताकि कोई सीधा लिंक न बने। बड़ी कंपनियों को सिर्फ डेटा से मतलब है, नाम से नहीं। यह एक पूरी तरह से सुरक्षित और अत्यधिक लाभदायक योजना है।

राहुल ने मेल्विन को देखा। यह आदमी कोई साधारण धोखेबाज नहीं था। उसके पास एक ठोस योजना थी, और सबसे महत्वपूर्ण, उसके पास एक मजबूत कनेक्शन था बड़ी कंपनियों के साथ।

मेल्विन: सोचिए, डॉ. राहुल। आप अपनी सारी परेशानियाँ खत्म कर सकते हैं। आप वो सब कुछ खरीद सकते हैं जो आपने कभी चाहा है। एक शानदार घर, विदेश यात्राएँ, एक आलीशान जीवनशैली... सिर्फ कुछ डेटा इकट्ठा करने के बदले। यह एक ऐसा मौका है जो जीवन में एक बार आता है।

राहुल का मन पूरी तरह से डगमगा रहा था। वह खुद भी गैर-कानूनी धंधों में शामिल था, लेकिन यह योजना कहीं ज्यादा बड़ी और कहीं ज्यादा सुरक्षित लग रही थी। उसे अपनी मौजूदा "व्यवस्था" में हमेशा पकड़े जाने का डर लगा रहता था। लेकिन यहाँ, 'अजीवन' की आड़ में, यह लगभग पूरी तरह से सुरक्षित था।

डॉ. राहुल: (एक गहरी साँस लेता है, उसकी आँखों में लालच हावी हो चुका था) ठीक है... बताओ। तुम्हारी पूरी योजना क्या है?

मेल्विन के चेहरे पर एक विजेता की कुटिल मुस्कान फैल जाती है। उसे पता था कि राहुल उसके जाल में पूरी तरह से फंस चुका है। मेलविन की सोशल मीडिया में छवि उसे एक बेहद अमीर सुर पहुँचा हुआ व्यक्ति की तरह चिन्हित करता था, बस यही वो छलावा था जिसमें राहुल फँस गया था। 

डॉ. राहुल के 'हाँ' कहते ही मेल्विन के चेहरे पर एक अदृश्य, शातिर मुस्कान फैल गई। उसे पता था कि उसने एक शिकार को फँसा लिया है, और अब बस उसे दाना चुगाने की देर है। राहुल को तो बस 'नवजीवन' के बच्चों की सेहत का डेटा एक बड़ी फार्मा कंपनी को बेचने का सपना दिखाया गया था, जिससे वह रातों-रात अमीर बन सके। मेल्विन ने यह सुनिश्चित किया कि उसका हाथ कहीं भी दिखाई न दे। वह एक अदृश्य सूत्रधार बनकर रहेगा, पूरी डोर राहुल के ही हाथों में थमा देगा, ताकि कोई भी उंगली उसकी ओर न उठे।

अगले कुछ हफ़्तों में 'अजीवन' एनजीओ के प्रांगण में एक नई और अजीबोगरीब हलचल शुरू हो गई। डॉ. राहुल ने खुद ही एक भव्य 'स्वास्थ्य बूटकैंप - बच्चों का स्वस्थ भविष्य' की घोषणा की। यह सब 'अजीवन' के बैनर तले ही हो रहा था, और पूरी तरह से राहुल के दिमाग की उपज लग रही थी। राहुल ने अपनी सूझबूझ और "बच्चों के प्रति समर्पण" का हवाला देकर एनजीओ के बोर्ड से इस 'पायलट प्रोजेक्ट' के लिए अनुमति ली। उसने समझाया कि यह बच्चों के समग्र स्वास्थ्य अध्ययन के लिए एक अभिनव प्रयास है, जिससे भविष्य में बड़े पैमाने पर स्वास्थ्य नीतियाँ बनाने में मदद मिलेगी। 

एनजीओ के सबसे बड़े हॉल को अत्याधुनिक मेडिकल लैब में बदल दिया गया। राहुल ने खुद अपनी देखरेख में सारा सामान मंगवाया था और लगवाया था। कमरे जगमगा रहे थे, मशीनें चमक रही थीं। प्रवेश द्वार पर एक भव्य पंजीकरण डेस्क बनाया गया था जहाँ बच्चों के नाम, पते और सामान्य जानकारी बड़े करीने से दर्ज की जाती थी। इसके आगे बढ़ते ही एक बड़ा खुला खंड था जहाँ डॉक्टरों और नर्सों की एक टीम बच्चों का सामान्य शारीरिक परीक्षण करती थी – वज़न, ऊंचाई, ब्लड प्रेशर, आँखों और दाँतों की जाँच। राहुल यहाँ अपनी टीम के साथ सक्रिय रहता था, हर प्रक्रिया पर पैनी नज़र रखता था, उसे विश्वास था कि वह एक नेक काम कर रहा है। यह सब एक साधारण मेडिकल चेकअप से अलग नहीं था।

सबसे अहम हिस्सा था विशेष नमूना संग्रह इकाई। यहाँ राहुल के ही चुने हुए, लेकिन अब मेल्विन द्वारा गोपनीय रूप से प्रशिक्षित किए गए, 'तकनीकी विशेषज्ञ' ज़्यादातर समय बिताते थे। बच्चों के रक्त के नमूने लिए जाते थे, कभी-कभी मूत्र और लार के नमूने भी। राहुल को बताया गया था कि यह 'डीप जेनेटिक एनालिसिस' और व्यापक शोध के लिए है। "सर, जितना ज़्यादा डेटा होगा, उतना ही सटीक परिणाम मिलेगा," मेल्विन के एक सहयोगी ने एक बार फोन पर राहुल को बताया था, और राहुल ने संतोष से सिर हिला दिया था। उसे लगा कि वह अपनी विशेषज्ञता का उपयोग एक बड़े वैज्ञानिक प्रयास में कर रहा है। एक और महत्वपूर्ण जगह थी अल्ट्रासाउंड और इमेजिंग स्टेशन। यहाँ पोर्टेबल अल्ट्रासाउंड मशीनें रखी थीं, जिनसे बच्चों के पेट और छाती के स्कैन किए जाते थे। राहुल को लगा कि यह आंतरिक अंगों के विकास और स्वास्थ्य को समझने के लिए है। उसे नहीं पता था कि ये 'तकनीकी विशेषज्ञ' यहाँ अंगों के आकार, उनकी स्थिति और संभावित विकृतियों की तलाश कर रहे थे – विशेष रूप से उन अंगों की जो तस्करी के लिए सबसे ज़्यादा वांछित होते हैं। इसके अलावा, एक 'पोषण और जेनेटिक परामर्श' बूथ भी था। यहाँ बच्चों के केयर टेकर से उनके पारिवारिक स्वास्थ्य इतिहास, वंशानुगत बीमारियों और खान-पान की आदतों के बारे में लंबी पूछताछ की जाती थी। राहुल के लिए यह सिर्फ सामान्य परामर्श था, लेकिन उसके 'विशेषज्ञों' के लिए यह आनुवंशिक प्रोफाइलिंग और संभावित 'फिट' बच्चों की पहचान करने का एक तरीका था। वे बच्चों के शरीर पर किसी निशान, तिल या जन्मजात पहचान को भी नोट करते थे। राहुल ने जब एक बार पूछा, "यह सब क्यों?" तो मेल्विन ने एक फोन कॉल पर मुस्कुराकर कहा था, "शोध में हर छोटा विवरण मायने रखता है, राहुल। बड़ी कंपनियाँ इसी बारीकी के लिए पैसा देती हैं।" मेल्विन खुद इस पूरी प्रक्रिया से पूरी तरह से दूर रहता था, कभी-कभार बस राहुल को फोन पर 'प्रोजेक्ट की प्रगति' पर संतोष व्यक्त करने के लिए कॉल करता था, जिससे राहुल को लगता कि वह ही इस पूरे प्रोजेक्ट का अकेला कर्णधार है।

बूट कैंप में हर दिन सैकड़ों बच्चे आते थे, और राहुल की टीम लगन से काम करती थी। हर बच्चे की जाँच के बाद, उसका पूरा डेटा एक जटिल सॉफ्टवेयर में फीड किया जाता था। राहुल को बताया गया था कि यह डेटा सीधे उन 'अंतर्राष्ट्रीय फार्मा कंपनियों' को भेजा जाएगा जिनके साथ उसकी (मेल्विन के माध्यम से) डील थी। उसे तो बस यह सुनिश्चित करना था कि डेटा सटीक हो और बच्चे समय पर आएं।

लेकिन जिस सर्वर पर यह डेटा अपलोड होता था, वह राहुल के नियंत्रण में नहीं था। वहीं मेलविन दूर बैठा सिया के डाक्यूमेंट्स में बताए तरीकों से डेटा को फिल्टर कर रहा था। उनका सॉफ्टवेयर उन बच्चों को चिह्नित कर रहा था जिनकी रक्त समूह, ऊतक अनुकूलता (tissue compatibility), अंगों का आदर्श आकार और असाधारण स्वास्थ्य था। यह कोई 'सामान्य' स्वास्थ्य शोध नहीं था; यह मानव अंगों के लिए शिकार था, एक ऐसी सूची जो मेल्विन के काम को आगे बढ़ाने वाली थी। राहुल को गर्व था कि वह एक ऐसे प्रोजेक्ट का हिस्सा है जो उसे करोड़ों दिलवाएगा। वह हर शाम मेल्विन से फ़ोन पर पूछता कि कितने डेटा सेट तैयार हुए, कब पैसा आना शुरू होगा। मेल्विन हमेशा उसे आश्वासन देता, "बस कुछ और दिन, राहुल। डेटा जितना बड़ा होगा, डील उतनी ही बड़ी होगी।" राहुल का लालच उसे अंधा कर रहा था। 

बूट कैम्प का आखरी दिन था। मेल्विन को भी लगा कि उसने उस आजीवन NGO के खिलाफ सभी सबूत इकट्ठा कर लिए हैं तब अपने सबूत की आखरी कड़ी को इकट्ठा करने के लिए वो फिर ने उस नितिन के पास जाता है इस बात को सुनिश्चित करते हुए की नितिन नशे में न हो। वो उसके बताए एड्रेस में जाता है और उसे वहाँ जो मिलता है उससे उसके होश उड़ जाते हैं। उसे वहाँ नितिन की लाश मिलती है, वह लाश जिसके सामने उसके बीवी बच्चे रो रहे थे, और मेल्विन, इससे पहले की कुछ भी समझ पाता उसे एक अनजान नम्बर से कॉल आता है। 

"अब बहुत खेल खेल लिया तुमने। अब तुम्हारी हीरोगिरी यहाँ खत्म होती है। अगला नम्बर तेरा है।"- इतना कहकर वो अनजान व्यक्ति फोन काट देता है। मेल्विन उसे दोबारा कॉल करने की कोशिश जरूर करता है लेकिन इस बार उसका फोन स्विच ऑफ आता है। 

वहीं आज उस बूट कैम्प का अंतिम दिन था और उस दिन 'मी' का चेक अप होनेवाला था। सभी मी को ढूंढने के लिए उसके कमरे जाते हैं, लेकिन उन्हें मी वहाँ नहीं मिलती है। बाकी सब समझ जाते हैं उन गुमशुदा बच्चों में अब मी का भी नाम जुड़ चुका है।

 

क्या अब मी को भी अपनी जान गँवानी पड़ जाएगी। अब क्या होगा मेल्विन का? आखिर नितिन के मौत के पीछे क्या वजह थी? जानने के लिए पड़िए इस कहानी का अगला भाग। 

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