रात का सन्नाटा 'नवजीवन' एनजीओ के पिछले हिस्से को निगल रहा था। हवा में एक अजीब सी घुटन थी। डॉ. राहुल, अपनी कार में बैठने ही वाला था कि अचानक चार-पाँच साये उसकी तरफ लपके। इससे पहले कि वह कुछ समझ पाता, उनके मजबूत हाथों ने उसे जकड़ लिया। समय जैसे धीमे चल रहा था, लेकिन फिर भी वो कुछ नहीं कर पा रहा था। एक हाथ उसके मुँह पर पड़ा, उसकी चीख गले में ही घुट गई। उसे खींचकर पास के एक सुनसान कमरे में ले जाया गया, जहाँ अँधेरे में बस कुछ पुरानी मेज़ें और कुर्सियाँ दिखाई दे रही थीं।

उसे ज़मीन पर धकेल दिया गया। राहुल ने दहशत में देखा। सामने खड़े लोग कोई और नहीं, उसके अपने ही 'टीम' के सदस्य थे – वो लोग जिनके साथ मिलकर वह मासूमों के अंगों का काला धंधा चला रहा था। उनके चेहरों पर क्रोध और निर्ममता की काली परछाई थी।

"डॉक्टर साहब... यह तुमने क्या कर दिया?" एक आदमी की आवाज़ गूँजी, जिसमें विश्वासघात का तीखापन था। “तुम्हें क्या लगा था? कि तुम मेल्विन के साथ मिलकर कोई नया धंधा खोलोगे और हम बेखबर रहेंगे?”

राहुल ने साँस लेने के लिए संघर्ष किया। “नहीं... नहीं, तुम लोग गलत समझ रहे हो! यह डेटा... यह तो सिर्फ कुछ कंपनियों को बेचने के लिए था! हमारा धंधा तो अलग है!”

एक दूसरा आदमी आगे बढ़ा, उसकी आँखों में ठंडी आग थी। 

"तुम्हारा 'नया' धंधा हमारे पुराने खेल को खतरे में डाल रहा था, राहुल! यह कौन सी 'फार्मा कंपनी' है जिसके लिए तुम हमारे बच्चों का गोपनीय डेटा इकट्ठा कर रहे हो? तुम्हें क्या लगा, तुंम्हारे इस खेल का पता हमें नहीं चलेगा? इस बुट कैम्प के जरिये तुम हमारे खिलाफ साबित इकट्ठा करके हमें फँसाओगे!" उसकी आवाज़ में गुस्सा था, जैसे वह अपने ही साथी के धोखे से उबल रहा हो। “हमें पता है कि मेल्विन जैसा कोई बाहरी आदमी, जिसने तुम्हें रातों-रात अमीर बनने का सपना दिखाया, वह हमारी पूरी व्यवस्था को बर्बाद करने की प्लानिंग कर रहा है, हम बस सही समय का इंतज़ार कर रहे थे।”

राहुल का चेहरा पीला पड़ गया। उसे अपने साथी तस्करों की आँखों में सिर्फ गुस्सा नहीं, बल्कि खुद को बचाने की क्रूरता दिख रही थी। वह हड़बड़ाते हुए बोला, “नहीं... नहीं, मैं... मैं गलत नहीं कर रहा हूँ! मैं तो बस और पैसे कमाने की सोच रहा था! इससे हमारा धंधा और मजबूत होता! कोई खतरा नहीं था! मैंने इस बात को डबल पुष्टि की थी। प्लीज़... मुझे छोड़ दो! मैं तुम्हें सब बता दूँगा! मेल्विन कहाँ है, उसकी पूरी प्लानिंग! बस मुझे जाने दो।”

एक महिला, जिसके चेहरे पर कोई भाव नहीं था, आगे आई। “सब बता दोगे? जब तुम हमारे बच्चों का गोपनीय डेटा, जो हमारी पहचान है, किसी बाहरी आदमी को बेच रहे थे, तब तुम्हारा दिमाग कहाँ था? तुम्हें यह नहीं सूझा कि अगर मेल्विन जैसा कोई भी आदमी बच्चों के स्वास्थ्य रिपोर्ट को खंगालेगा, तो हमारी पूरी साज़िश सामने आ सकती है?”

राहुल ज़मीन पर घिसटने लगा, उनके पैरों में गिर पड़ा। “मुझे माफ़ कर दो। मैं बस थोड़े से औ पैसों के लालच में अंधा हो गया था। दया करो... मुझ पर दया करो! मैं बदल जाऊँगा! मैं कभी ऐसा नहीं करूँगा! मैं मेल्विन को पकड़ने में तुमसब कई मदद करूँगा, तुमलोगों को मेरी जरूरत पड़ेगी, मुझे छोड़ दो, प्लीज़!”

लेकिन अब बहुत देर हो चुकी थी। उन लोगों की आँखों में न कोई दया थी और न ही कोई क्षमा। राहुल के लालच ने उसे इस दलदल में इतना गहरा धकेल दिया था कि अब बाहर निकलने का कोई रास्ता नहीं था।

एक आदमी ने ठंडे स्वर में कहा, “तुमने हमें धोखा दिया, राहुल। तुमने हमारी सुरक्षा को खतरे में डाला। इसका हिसाब तो देना ही होगा।”

फिर, अँधेरे में ही, कई हाथ एक साथ उठे। राहुल की चीखें सन्नाटे में घुल गईं। ज़मीन पर कुछ ही देर में, 'अजीवन' के उस डॉक्टर का शरीर निष्प्राण पड़ा था, जिसके अंत का हिसाब उसकी अपनी लालच और विश्वासघात ने ही किया था। बाहर से आती एंबुलेंस की सायरन की आवाज़, जो अब तक खामोश थी, दूर कहीं गूँजने लगी थी। लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। 

 

डॉ. राहुल के शव को 'नवजीवन' के पिछले अँधेरे कमरे में छोड़कर, वे आँखें, जो अब सिर्फ क्रूरता से चमक रही थीं, शांत हो चुकी थीं। उनका काम हो गया था। राहुल का लालच उसे ले डूबा था, और अब उनका काला धंधा फिर से 'सुरक्षित' था। लेकिन इस दलदल में फँसा सिर्फ राहुल ही नहीं था।

"बॉस। हमने राहुल को भी खत्म कर दिया। अब आगे क्या करना है।"- उनमें से एक ने फोन पर कहा। 

"गुड। वेरी गुड। अब बस हमें उस मेल्विन तक पहुंचना है। तुमलोग उसे ढूंढो तब तक मैं अपना सबसे खास आदमी वहाँ भेजता हूँ।"- दुसरी तरफ से आवाज आई। 

"तो क्या आप डिकोस्टा को यहाँ भेज रहे हैं। उसके आने से किसी को शक नहीं होगा?"- उस अनजान आदमी ने पूछा। 

"नहीं। ऐसा कुछ नहीं होगा। वो अपना काम तुम सब से बेहतर जानता है इसलिए उसकी चिंता तुम सब मत करो। तुमसे जितना कहा गया है बस उतना ही करो।"- फोन से आ रही दूसरी आवाज ने कहा-"वैसे उस बच्ची का क्या स्टेटस है?"- उसने फिर पूछा। 

"बॉस उस टेस्ट सब्जेक्ट की जाँच चल रही है। आप कहे तो हम उसे अगले डिलीवरी के लिए रेडी करें?"- उसने पूछा। 

"नहीं, अभी हमें कोई नया ऑर्डर नहीं आया है। लेकिन तुमलोग तैयारियाँ पूरी रखो। हमें जल्द ही ऑर्डर मिल जाएगा।"- उसने आगे कहा। 

"ठीक है बॉस।"- उस आवाज ने हामी भरी और फोन काट दिया। 

वह अनजान बच्ची और कोई नहीं बल्कि 'मी' थी। उसकी खतरे में थी और यह बात मेल्विन भी अच्छे से जानता था।

मेल्विन, अपने पॉश अपार्टमेंट में बैठा, राहुल के आखिरी फोन कॉल का इंतजार कर रहा था। राहुल का काम हो चुका था, डेटा उसके पास था, और अब वो बड़ी डील करीब थी। तभी, उसके एन्क्रिप्टेड फोन पर एक अजीबोगरीब मैसेज आया: "डॉक्टर राहुल का खेल खत्म हो चुका है मेल्विन। अब अगला निशाना तू है।" 

यह मैसेज देखते ही मेल्विन के माथे पर पसीना आ गया। राहुल का 'खेल खत्म' होने का मतलब था कि 'नवजीवन' के उन लोगों को उसके और डेटा के बारे में पता चल गया था। उसने राहुल को परदे के पीछे रखने की पूरी कोशिश की थी, लेकिन लगता है राहुल ने कहीं कोई गलती कर दी थी। मेल्विन जानता था कि 'नवजीवन' के वे लोग कितने खतरनाक हो सकते हैं, खासकर जब उनके राज़ खुलने का खतरा हो। पहले नितिन, और अब, राहुल।

उसने तुरंत अपने सारे डिजिटल निशान मिटाने शुरू कर दिए। लैपटॉप से फाइल्स डिलीट कीं, क्लाउड स्टोरेज खाली किया, और अपने सभी सुरक्षित ठिकानों के लिए तैयारी शुरू कर दी। मेल्विन को पता था कि अब उसे छिपना होगा। वह जानता था कि 'नवजीवन' के लोग उसे ढूँढ निकालेंगे, और वे दया नहीं करेंगे। उसकी रातों की नींद उड़ गई। हर परछाई में उसे दुश्मन दिख रहा था।

अगले कुछ दिन मेल्विन के लिए किसी भयानक सपने से कम नहीं थे। वह शहर के एक गोपनीय सेफ हाउस में छिप गया, जहाँ उसे लगा कि वह सुरक्षित है। उसने अपनी पहचान बदलने की भी योजना बना ली थी। उसने तो वहाँ से जाने तक का भी प्लान बना लिया था लेकिन 'मी' चिंता उसे खाए जा रहा था । 

रात के गहरे सन्नाटे में, जब वह अपनी अगली चाल के बारे में सोच रहा था, तभी एक जोरदार धमाका हुआ। उसके सेफ हाउस का दरवाज़ा टूट गया और अंदर कुछ बंदूकधारी घुस आए।

मेल्विन की साँसें अटक गईं। उसने सोचा, "यही वो 'नवजीवन' के लोग हैं!" उसका दिल तेज़ी से धड़कने लगा। उसने चीखने की कोशिश की, लेकिन डर के मारे आवाज़ नहीं निकली। वह जानता था कि उसका अंत करीब है, ठीक राहुल की तरह।

बंदूकधारियों ने उसे ज़मीन पर धकेल दिया। एक आदमी ने उसकी पहचान की पुष्टि की, “मेल्विन?”

मेल्विन ने आँखें बंद कर लीं, मौत का इंतज़ार कर रहा था। तभी, उसे एक आवाज़ सुनाई दी जो कुछ जानी पहचानी सी लगी। वो इस आवाज को जानता था। लेकिन उसे पहचानना मुश्किल नहीं था। “छोड़ दो उसे, लड़कों! इसका ज़िंदा रहना हमारे लिए जरूरी है।”

मेल्विन ने डरते-डरते आँखें खोलीं। अँधेरे में एक आकृति सामने आई। एक भारी-भरकम शरीर वाला आदमी, जिसके चेहरे पर एक निशान था। वह जिसका आधा शरीर लकवाग्रस्त था। वह जो अपने सड़े हुए शरीर के साथ व्हीलचेयर में बैठा था। वह रघु था! रघु, जिससे मेल्विन का एक पुराना, लेकिन बहुत जटिल रिश्ता था। रघु कोई संत नहीं था। वह भी काले धंधों में लिप्त था, लेकिन उसकी अपनी एक अलग दुनिया थी।

रघु ने मेल्विन को उठने का इशारा किया। “मेल्विन, तुम्हें क्या लगा? कि तुम ऐसे ही गायब हो जाओगे और हमें पता भी नहीं चलेगा? मैं जानता था कि 'नवजीवन' वाले तुम्हें ढूँढेंगे। उनकी पोल खुलने का डर उन्हें किसी भी हद तक जाने पर मजबूर कर सकता है।”

मेल्विन को समझ नहीं आ रहा था कि क्या चल रहा है। ये 'नवजीवन' के लोग नहीं थे! ये रघु के आदमी थे। अचानक उसके शरीर में एक अजीब सी ऊर्जा दौड़ी। यह मौत का खतरा नहीं था। यह बचाव था!

"रघु... तुम... तुम यहाँ कैसे?" मेल्विन हकलाया। मुसीबत के समय में गधे को भी अपना बाप बनाना पड़ता है। वह रघु जिससे मेलविन को बहुत ज्यादा नफरत करनी चाहिए थी अभी उसके लिए किसी फरिश्ते से कम न था। 

रघु ने एक गहरी साँस ली। “जब तुम एक नए धंधे में कूदते हो, तो पुराने खिलाड़ी भी खबर रखते हैं। तुम्हारे 'हेल्थ बूट कैंप' की बात सुनी। जानता था कि तुम उस तरह के डेटा का क्या कर सकते हो। और जानता था कि नवजीवन' के लोग कितने शातिर हैं। उन्हें शक हो रहा था कि तुमने उनके बच्चों के डेटा को किसी बाहरी को बेचा है, जिससे उनके असली धंधे पर आंच आ सकती थी। राहुल ने यही गलती की। वह लालची था, लेकिन कम अक्लमंद निकला।”

मेल्विन को अब पूरी बात समझ में आने लगी। 'नवजीवन' के लोग राहुल को मार चुके थे क्योंकि उन्हें लगा कि राहुल उनके राज़ खोल रहा है। और मेल्विन खुद उस धंधे का हिस्सा न होने के बावजूद, अपने पिछले कुछ हरकतों से, राहुल के कनेक्शन के कारण, उनका अगला निशाना बन गया था। वो तो उसे मार ही डालते लेकिन रघु ने सही समय पर उसे बचा लिया था।

मेल्विन ने एक गहरी साँस ली। यह चैन की साँस थी। उसे लगा कि वह मौत के मुँह से बच निकला है। रघु ने भले ही उसे किसी निजी स्वार्थ के लिए बचाया हो, लेकिन फिलहाल वह उसका रक्षक था। मेल्विन का दिमाग तेज़ी से काम करने लगा। अब जब 'अजीवन' वाले उसके दुश्मन बन गए थे, तो रघु के साथ मिलकर वह एक नया खेल खेल सकता था। एक ऐसा खेल, जहाँ मेल्विन के पास डेटा था, और रघु के पास ताकत।

उसने रघु की ओर देखा। “तो अब...?”

रघु ने हल्की मुस्कान दी, उसकी आँखों में एक नया अवसर चमक रहा था। "तो अब क्या? तू मुझे मेरे 500 करोड़ तक पहुंचाएगा। उन 500 करोड़ के लिए मैंने बहुत मेहनत की है।अब और नहीं कर सकता। अब या तो वो 500 करोड़ रुपये तू मुझे लाकर देगा या फिर उनसे पहले मैं तेरा भेजा उड़ाऊंगा।" 

"तुम्हें तुंम्हारे 500 करोड़ रुपये मिल जाएंगे। पर पहले तुम्हें मेरी मदद करनी होगी।"- मेल्विन ने कहा। 

"मैंने कहा न? की मैं अब और कोई मदद के मूड में नहीं हूँ।"- रघु ने फिर जोर देते हुए कहा। 

"तुम्हें कुछ नहीं करना है। जो करूँगा मैं करूँगा। और अगर जैसा मैं कहूँ वैसा करोगे तो तुम्हें इतने पैसे मिलेंगे की तुम्हें वे 500 करोड़ भी कम लगने लगेंगे।"- मेल्विन ने समझाते हुए कहा। 

रघु यह बात सुनकर कुछ देर के लिए सोच में डूब गया। लेकिन अभी फिलहाल वो भी गधे को बाप बनाने के मूड में। था। इसलिए उसने भी ठंडी साँस भरते हुए पूछा- 

"ठीक है तब। अब मुझे क्या करना है?" 

यह सुनकर मेल्विन मुस्कुरा उठा- “अब, हम बात करेंगे। तुम्हारे पास डेटा है, मेरे पास ताकत। और 'नवजीवन' के पास अभी भी हमारे 'मासूम' बच्चे हैं। लगता है, अब खेल के नियम बदलने का समय आ गया है।”

"मैं यहाँ कोई समाज सेवा करने नहीं आया हूँ। मुझे सिर्फ पैसे चाहिए।"- रघु ने कहा। 

"तुम्हें कोई करने को कह भी कौन रहा है। तुम्हें तो सिर्फ वक़्त बढ़ने बोल रहा हूँ।"- मेल्विन ने मुस्कुराते हुए कहा।

यहाँ मेल्विनको मदद के रूप में रघु का साथ तो मिला लेकिन खतरा अभी तक टला नहीं था। 'मी' अभी भी मुसीबत में थी। 

क्या समय रहते मेल्विन उसे बचा पाएगा या फिर वह भी उसका भी वही हस्र होगा जो बाकियों का हुआ था। और कौन था वो अनजान शख्स जो छिप-छिपकर यह सब सम्भाल रहा था। क्या उसका पर्दाफाश होगा? अब आगे क्या होगा?

 

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