‘’नैना कहां हो तुम, दो दिन से तुम्हारी कोई खबर नहीं है, हम सब कितना परेशान हो रहे थे, बॉस भी तुम पर नाराज हो रहे थे।‘’ नैना के कुछ कहने से पहले ही अमरीश ने ढेर सारे सवाल नैना पर दाग दिए।
नैना ने गहरी सांस ली और शेखर और राघव के धोखे के बारे में अमरीश को सबकुछ बता दिया।
‘’ओह माई गॉड उनकी इतनी हिम्मत, पर तुम टेंशन मत लो, चीफ से कहकर मैं इस शेखर की फैमिली को हमेशा, हमेशा के लिए ठिकाने लगा देता हूं‘’ अमरीश ने अपनेपन में कहा।
नैना ने कहा, ‘वो सब बाद में देखेंगे, पहले एक जरूरी काम, हमारा वो चीफ आज अभी कुछ ही देर बाद तुम्हारी बेटी मीरा से आर्यसमाज मंदिर में शादी करने वाला है।’
अमरीश की खोपड़ी पर मानों किसी ने हथौड़ा मार दिया, ‘व्हाट व्हाट...क्या, क्या कहा तुमने चीफ शादी कर रहा है किससे?‘’
‘’वही जो तुमने सुना, तुम्हारी बेटी मीरा से।‘’
‘’यह तुमसे किसने कहा?'' अमरीश को जैसे चक्कर आ रहे थे।
‘’मेरे नाजायज बाप ने‘’ नैना कड़े स्वर में बोली
‘’और तुमने मान भी लिया, वह शेखर का बच्चा तुम्हें परेशान करना चाहता होगा….‘’
‘’वे मुझसे झूठ क्यों बोलेंगे? अब आर्यसमाज मंदिर चलो, बॉस का मैसेज भी तो आया है शायद तुमने चेक नहीं किया, हो सकता है कि वे हमें बाराती के तौर पर वहां बुलाना चाहते हों।
जतिन ने युग और अभिजीत से कहा, ‘’एक तुम दोनों ही हो जो आर्यन के पास बिना किसी सिक्योरिटी चेकिंग के जा सकते हो।‘’
राघव ने कहा, ‘अगर उस चीफ ने इनसे मकरंद के बारे में पूछा तो?’
‘’हमारे पास इसके बहुत से जवाब हैं, वैसे भी बॉस इस समय केवल मीरा के अलावा और कुछ नहीं सोच रहे होंगे, तो हमारे लिए यह एकदम आसान हो जाएगा‘’ अभिजीत ने कहा।
जतिन ने कहा, ‘’पहले मीरा को छुड़ाकर किसी सुरक्षित जगह ले जाना होगा, और फिर कोशिश रहेगी कि वहां से कोई बचकर जाने न पाए।‘’
राघव के चेहरे पर कुछ परेशानी के भाव आ गए….वह बोला, ‘’लेकिन जतिन, मंदिर में तो इस समय भीड़ होगी, आई मीन पब्लिक भी होगी, अगर आर्यन को पता चल गया कि हम क्या करने वाले हैं तो उस पब्लिक को अपनी ढाल बना सकते हैं।‘’
जतिन ने कहा, ‘’रिलैक्स रहो राघव, ऐसा कुछ नहीं होगा, वैसे भी वह आर्यसमाज मंदिर है, वहां तो ज्यादातर शादियां ही होती हैं, दर्शन पूजा पाठ जैसा कुछ नहीं होता। ऐसी कोई भीड़ नहीं होगी, हां हो सकता है कि शादी कर रहे कुछ जोड़े ही वहां पर हों, पर डोंट वरी, सुमेधा वहीं पर है मैं उसे फोन करता हूं वह सबकुछ संभाल लेगी।
मंदिर के आसपास चॉपरों की शोर से सुमेधा चौकन्नी हो गई....’’ओह तो आखिरकार खेल शुरू हो ही गया, आज का दिन तो मौत का दिन है, पता नहीं यहां से कितनी डोली उठेगी और कितनी अर्थी....वैसे अर्थी ही उठेगी, जतिन ने मुझे फोन किया था, यहां के लोगों को जल्दी से जल्दी निकालकर सुरक्षित जगहों पर जाने के लिए कहना होगा।‘’
सुमेधा ने वहां शादी कर रहे तीन-चार जोड़ों को सावधान करते हुए कहा, ‘’यहां एक खतरनाक नामी गैंग्स्टर छुपा बैठा है, पुलिस उसका एंकाउन्टर करने के लिए आने वाली है, प्लीज आप लोग शादी को जल्दी निपटाइए।‘’
यह सुनते ही शादी कर रहे जोड़ो के चेहरे की हवाइयां उड़ने लगी। सुमेधा के साथ महिला मोर्चा की भी कुछ औरतें थी जो एक पॉलिटिशियन और एक लड़की की शादी करवाने के लिए आई थी। वे सभी डर से जड़ हो गए थे, ऐसी स्थिति का सामना तो उन्होंने कभी नहीं किया था। सुमेधा नहीं चाहती थी कि यहां कोई पैनिक हो और भगदड़ की सिचुएशन आए।
वह बोली, ‘’देखिए डरने और घबराने की कोई जरूरत नहीं है, सबकुछ ठीक हो जाएगा….आप आराम से निकल जाइए।‘’
जैसे तैसे कुछ ही मिनटों में सबकी शादियां निपटाई गई, और जल्दी-जल्दी लोग मंदिर से बाहर निकलने लगे।
तब तक चीफ के कई सारे चॉपर उस मंदिर के आस पास लैंड करने लगे थे, और उसमें से बाउंसर उतर रहे थे, उन्हें मंदिर से भाग रहे लोगों से कोई मतलब नहीं था, चीफ का ऐसा कोई ऑर्डर नहीं आया था, उन्हें तो केवल इतना ही कहा गया था कि तुम लोग आर्यसमाज मंदिर पहुंचो, अच्छा ही है मंदिर खाली रहेगा तो इन बाउंसरो के लिए ठीक रहेगा, बॉस की सिक्योरिटी के लिए ज्यादा परेशान नहीं होना पड़ेगा।
तब तक बलवंत भी वहां पहुंच गए थे, सुमेधा उन्हें पहले देखकर तो चौंकी और फिर सामान्य हो गई। बलवंत सिंह को अमरीश से पता चल चुका था कि उनका चीफ आर्यन देशमुख मीरा से शादी करने जा रहा है, अभी तक अमरीश को यह नहीं पता था कि मीरा उनकी बेटी है ही नहीं, वे तो बलवंत सिंह को यूं ही बता रहे थे। बलवंत सिंह के तो मानों पैरों तले जमीन ही खिसक गई…
वे अमरीश पर चीख पड़े, ’क्या बकवास कर रहे हो तुम? वह दरिंदा मीरा से शादी कैसे कर सकता है? मैं उस चीफ के टूकड़े-टुकड़े कर दूंगा। मैं भी देखता हूं कि वह कैसे मीरा से शादी करता है?‘
यह सुनकर अमरीश हतप्रभ रह गए थे, जो गुस्सा उन्हें करना चाहिए था, वह बलवंत सिंह कर रहे थे…‘’हद है इस आदमी को इतना गुस्सा आ रहा है, बेटी मेरी है, बलवंत ने तो कभी मीरा के देखा भी नहीं हे, फिर वह उसके लिए इतना बेचैन क्यों हो रहा है?‘’ अमरीश ने फोन को जेब में रखते हुए नैना से कहा।
नैना, अमरीश से बोली, ‘’तुम्हें मीरा की ओर से इतना बेखबर नहीं हो जाना चाहिए था, चीफ ने उसे कब और कहां देख लिया? और वही मिली थी शादी करने के लिए, वह दिल्ली आ गई और तुम्हें कुछ पता भी नहीं चला।‘’
अमरीश ने नैना से कहा, ’मुझे नीता से ही मीरा के बारे में पता चलता था, वह हमेशा कहती रहती थी कि मीरा मुंबई में है ओर अपना काम कर रही है, पता नहीं यह मां बेटी क्या खेल खेल रही थी?‘
नैना ने कुछ सोचते हुए कहा, ‘क्या पता मीरा ने नीता को भी कुछ न बताया हो? वैसे नीता तो आपसे इतना बड़ा झूठ नहीं बोल सकती।‘’
‘’हां…हो सकता है, अमरीश ने कहा।
आर्यन और मीरा को एक साथ देखकर सुमेधा बलवंत सिंह से बोली, ‘आपके बॉस तो बहुत ही पहुंचे हुए खिलाड़ी लग रहे हैं, कब क्या कर दें कुछ समझ में नहीं आता है, अभी कुछ देर पहले तो आप लोगों के साथ मीटिंग में थे और अब देखिए तो शादी करने जा रहे हैं।‘’ सुमेधा को पता नहीं था कि चीफ जिससे शादी करने जा रहे हैं, वह बलवंत सिंह की अपनी बेटी है।
बलवंत सिंह दांत पीसते हुए बोले, ‘’भाड़ में जाए यह बॉस, मैं भी देखता हूं कि यह मेरी बेटी से शादी कैसे करता है?‘’
‘’आपकी बेटी, यह….यह आपकी बेटी है?‘’ सुमेधा मीरा को देखकर बोली।
बलवंत दांत पीसते हुए बोले, ‘’हां यह मेरी बेटी है, और मैं इसकी शादी इस कमीने के साथ तो हरगिज नहीं होने दूंगा।‘’
सुमेधा ने मीरा को ध्यान से देखा, उसका चेहरा लाल हो गया था, आंखे आंसुओं से भरी थी। वह अपनी पूरी ताकत लगाकर आर्यन के बलिष्ठ हाथों से अपना हाथ छुड़ाने की कोशिश कर रही थी।
‘’तो यह है कुंती आंटी की बेटी जिसे नीता आंटी ने पाला पोसा था, तुम कितनी लकी हो मीरा जिसे दो-दो मांओं का प्यार मिला, एक तो जन्म देने वाली कुंती आंटी और दूसरा पालने वाली नीता आंटी, पर मैं मां के प्यार के मामले में बहुत ही अनलकी रही हूं।
आर्यन के बाउंसरों कुछ पंडितो के सिर पर गन तानकर आर्यन और मीरा की शादी के लिए मंडप तैयार करने के लिए कह रहे थे, मंदिर में मंडप तो ढेर सारे तैयार थे, बस आर्यन को उनमें से किसी एक पर बैठना था।
बलवंत को अपने सामने देखकर आर्यन के चेहरे का खतरनाक एक्सप्रेशन थोड़ा कम हो गया, ‘आईए मंत्री जी, मैं ही आपका चीफ हूं और ये रही आपकी भविष्य की मालकिन, हो सकता है कि आगे चलकर आपको इनके अंडर में काम करना पड़े।
मीरा सामने खड़े बलवंत सिंह को देखकर चौंक पड़ी, ये मीरा का असली बाप था….बलवंत भी मीरा से मिले तो ऐसी सिचुएशन में।
‘’बाप बेटी का पहला मिलन है शायद, मीरा तो बलवंत सिंह जी को जानती ही होगी मेरा मतलब है कि नाम तो सुना ही होगा, और बलवंत जी मुझे आपके साथ हुए धोखे के लिए बहुत अफसोस है। आप मीरा के पिता हैं, इस नाते मेरे होने वाले ससुर जी, इसलिए आपका और मेरा रिश्ता भी हो गया।‘’
बलवंत ने मीरा को देखा, इतने साल बाद अपनी खुद की बेटी मिली है, गिला शिकवा करने का समय नहीं है, कोई शिकायत करने का समय नहीं है, सफाई देने का समय नहीं है।
एक बाउंसर आकर बोला, ‘’चीफ...मंडप तैयार है।‘’
आर्यन ने हां में गरदन हिलाई और तभी उसकी नजर बलवंत के थोड़े पीछे खड़ी सुमेधा पर गई...’’ओह तो तुम भी आई हो यहां, बलवंत की धोखेबाज बेटी…अगर नीता को तुम्हारे ऊपर दया नहीं आई होती तो आज तुम एक अनाथ लड़की वाली जिंदगी जी रही होती, तुमने बलवंत के साथ अच्छा नहीं किया, वह वीडियो बनाकर तुम वायरल कर के हमें तबाह करना चाहती हो, ऐसा नहीं होगा।‘’
सुमेधा अपने साथ होने वाले हश्र के लिए एकदम तैयार हो गई थी...वह जानती थी कि चीफ उसे जिंदा नहीं छोड़ेगा...वह बोली, ‘’वह वीडियो तो वायरल हो चुका है मिस्टर आर्यन...अब कुछ ही मिनटों में तुम्हारे शेयर गिर जाएंगे, तुम्हारी कम्पनियों की रेपुटेशन खराब हो जाएगी और अपने ही हास्पिटल में जो तुम लोगों के शरीर के अंगो की तस्करी करते हो जल्दी ही उन हास्पिटल में ताला लगेगा, गर्वमेंट से बढ़कर तुम नहीं हो।‘’
‘’कौन सी गर्वमेंट वह भी मेरे ही दिए चंदे पर गर्वमेंट बनती है, जिसने भी चीफ को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की है….चीफ ने उसको इस दुनिया से ही हटा दिया। फिर चीफ ने एक इशारा किया, सुमेधा के पीछे खड़े एक बाउंसर ने चीफ की बात समझने का इशारा किया और उसने पीछे से सुमेधा के सिर के बीचों-बीच गोली मार दी।
सुमेधा को कुछ समझने कहने का मौका ही नहीं मिला....अगले ही सेकेंड वह एकदम बेजान होकर नीचे जमीन पर पड़ी थी।
दूर से राघव और जतिन यह सब देखकर स्तब्ध रह गए...सुमेधा ने उनकी कितनी मदद की थी, अगर वह नहीं होती तो जतिन और राघव का चीफ तक पहुंचना मुश्किल हो जाता...चीफ के खिलाफ सबूत सुमेधा ने ही जुटाए थे और बलवंत के मुंह से अपने गुनाहो का कबूलनामा भी सुमेधा ने ही करवाया था।
सुमेधा की लाश देखकर बलवंत के चेहरे का रंग उड़ गया, भले ही सुमेधा उनकी अपनी बेटी नहीं थी, यह बात तो उन्हें चंद घंटे पहले ही पता चली थी। कल तक तो वह बलवंत की बेटी ही थी...इतने साल साथ रहने से कितना लगाव और कितना प्यार हो गया था उससे, पल भर में ही वह पराई जरूर हो गई थी पर बलवंत के मन के किसी कोने में अभी भी सुमेधा के लिए बेशुमार लगाव था।
मीरा सन्न रह गई पर आर्यन को कोई फर्क ही नहीं पड़ा, वह मीरा के लेकर मंडप की ओर बढ़ने लगा, बलवंत के पैर अपनी जगह जैसे जाम हो गए थे, उनकी हिम्म्त नहीं हो रही थी कि वे आर्यन को मीरा से शादी करने से रोक सकें।
अब राघव और इंतजार नहीं कर सकता था, उसकी प्राथमिकता थी मीरा को बचाना और चीफ और उसके अनगिनत बाउंसरों को ठिकाने लगाना, एक बार अगर यह शादी हो गई तो राघव का सारा प्रयास और सुमेधा का ऐसे अपनी जिंदगी का बलिदान करना असफल हो जाता।
मंदिर के आसपास घनी झाड़िया थी, जिसमें जतिन के पर्सनल कमांडो, शार्प शूटर और पुलिस बल अपनी अपनी पोजिशन लिए शांत और सर्तक होकर बैठे थे, जिनकी भनक आर्यन के बाउंसर भी नहीं लगा सके, उन्हें यह लगा था कि इस मंदिर में तो केवल शादियां होती है, लोग आते हैं शादी करते हैं और चले जाते हैं।
आर्यन ने मीरा को मंडप में बैठा दिया और खुद भी उसके बगल में बैठ गया, सामने एक अधेड़ उम्र का पंडित थरथर कांप रहा था, आर्यन ने अपने कोट से एक गन निकाली और पंडित जी की ओर तानते हुए रखकर बोला, ‘’जो जरूरी हैं, वही मंत्र पढ़ो, आधे घंटे के अंदर-अंदर यह शादी निपट जानी चाहिए, जितनी तुम्हारी दक्षिणा है उससे दस गुना तुम्हें मिलेगा।‘’
आर्यन बंदूक पंडित जी के सामने से हटाकर वापस रखता है कि तभी किसी अनजान दिशा से गोली चली लेकिन यह साइलेंसर युक्त गन से गोली चली थी इसलिए आर्यन के आसपास खड़े बाउंसरों को पता ही नहीं चला कि यहां कोई गोली भी चली है।
वह गोली सीधे आर्यन की उसी कलाई में लगी जिस हाथ से उसने गन पकड़कर पंडितजी पर तानी थी। आर्यन के हाथ से बंदूक गिर गई और मुंह से कराह निकली, अगले ही सेकेंड आर्यन की कलाई खून से सन गई। सामने बैठे पंडिज जी के होश फाख्ता हो गए और बगल में बैठी मीरा की समझ में कुछ नहीं आया, इससे पहले आर्यन के अगल बगल सतर्क होकर खड़े बाउंसर कोई एक्शन लेते...उन सभी की लाशें एक-एक कर के गिरने लगी।
आर्यन हतप्रभ होकर खड़ा हो गया, उसने मीरा का हाथ छोड़कर दूसरे हाथ से अपनी कलाई से बह रहे खून को दबाया, जतिन अपने पुलिस फोर्स के साथ झाड़ी में छुपा था, इसलिए बचे हुए बाउंसर चाहकर भी उन्हें नहीं देख पा रहे थे और कहीं भी निशाना लगाकर गोली मार रहे थे।
तभी एक गोली ने नैना की गरदन को भेद दिया....नैना गिरी और वहीं छटपटाकर दम तोड़ दिया। अमरीश का तो जैसे दिमाग ही सुन्न हो गया।
यह मौत का खेल क्या रंग लाएगा?
क्या आर्यन सबको खत्म कर देगा?
क्या राघव मीरा को बचा पाएगा?
जानने के लिए पढ़ते रहिए बहरूपिया मोहब्बत।
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