आरव की बचपन की दोस्त, श्रेया अस्पताल के एक कोने में बैठी थी। उसके दिमाग में हजारो ख्याल चल रहे थे। बार - बार आरव का मुस्कुराता हुआ चेहरा और उसकी बचपन की बातें उसके मन में उमड़ - उमड़ कर आ रही थी। उसकी आखें आंसू से भरी हुई थी, पर उसने सारे आंसुओं को आँखों में ही रोक रखा था। वो खुद को किसी भी कीमत पर कमजोर नहीं दिखाना चाहती थी, पर वो खुद को संभाल नहीं सकी और उसके आंसू गालों पर लुढ़क पड़े, उसने अपने हाथों से तुरंत आंसू पूछे और आँखें बंद कर ली , और आरव की बचपन की यादों में खो गयी।

स्कूल में डिबेट कॉम्पिटिशन था। दूसरे स्कूल से भी स्टूडेंट डिबेट कॉम्पिटिशन में हिस्सा लेने आये थे। डिबेट कॉम्पिटिशन के 5 राउंड थे, चार राउंड पूरे हो चुके थे। आखरी राउंड बचा था, पर सभी बच्चे आरव को जीतते हुए देखना चाहते थे। इसलिए जैसे ही डिबेट में आरव अपना पॉइंट रखता सभी बच्चे शांत हो जाते, पर जैसे ही दूसरा स्टूडेंट अपना पॉइंट रखना शुरू होता, सभी आरव - आरव चिल्लाने लग जाते। जिससे दूसरे स्टूडेंट का मोरल डाउन हो चुका था। और ये बात आरव को बिलकुल भी अच्छी नहीं लगी। वो खड़ा हुआ और बोला -

आरव - अब मेरी बात ध्यान से सुनना। पहली बात तो जो मेरे साथ डिबेट कर रहा है, उससे मैं सभी स्टूडेंट्स की ओर से माफ़ी मांगता हूँ कि स्टूडेंट्स इस तरह से आपके पॉइंट्स को दबा रहे हैं। दूसरी बात मैं सभी स्टूडेंट्स से कहना चाहता हूँ कि एक बार इसकी जगह पर अपने आपको रखकर देखो। क्या तुम 2 मिनिट भी खड़े रह सकते थे। कम से कम ये हार नहीं मान रहा तुम तो पहले मिनिट ही रोकर बाहर चले जाते। सलाम है ऐसे कॉन्फिडेंस को।

ऐसा कहते हुए आरव ने तालियां बजाना शुरू कर दिया , जिसको देखकर पूरा हॉल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। लोगों के चलने की आवाज तालियों की आवाज से मिलने लगी और श्रेया का ध्यान यादों से हट गया।

इस बीच, क्लार्क ने एक अर्जेन्ट मीटिंग बुलाई।

क्लार्क - आखिर कितना नुकसान हुआ है? अरे! कोई कुछ बोलेगा या नहीं? किसी को कुछ पता भी है?

तभी एक व्यक्ति बोला - सर अभी हम कैलकुलेट कर रहे हैं, अभी पूरा डिटेल बताना मुश्किल है। पर जैसे ही हमारे एप डिलीट हुए, कुछ कंपनीज़ ने एडवेर्टीज़मेन्ट के कॉन्ट्रेक्ट बंद करने के लिए मेल किया है। जिसमें 2 बड़ी कंपनीज़ है और बाकी की छोटी । इसे सुनकर क्लार्क का गुस्सा बढ़ गया।

क्लार्क - केवल कुछ लोगो के चले जाने से ये कंपनी अपने एड बंद करना चाहती है। तुमने उन्हें बताया नहीं कि हम कनेक्ट मी है। ये छोटे मोटे तूफ़ान हमारा कुछ नहीं बिगाड़ सकते।

इसी बीच एक आदमी बोल पड़ा - सर कुल 42 लाख लोग अभी तक हमारे एप को अनइंस्टाल कर चुके हैं और ये नंबर धीरे - धीरे बढ़ता जा रहा है। आपकी प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद कुछ लोगों ने वापिस इनस्टॉल किया है, पर नंबर ज्यादा अच्छे नहीं है।

क्लार्क - तुम्हारा नाम?

सर विश्कर्मा, उस आदमी ने अपना नाम बताया। और अपनी जगह से खड़ा हो गया।

क्लार्क - ये किसके अंडर में काम करता है?

क्लार्क गुस्से में चीखते हुए बोला। तभी एक आदमी ने डरते हुए अपना हाथ खड़ा किया।

क्लार्क - तुमने इसे सिखाया नहीं मेरी बात बीच में नहीं काटते, तुम दोनों आज से , नहीं अभी से टर्मिनेट हो। अपना बोरिया - बिस्तरा उठाओ और आज के बाद मुझे अपनी शक्ल मत दिखाना।

विश्वकर्मा ने और उसके मैनेजर ने सॉरी कहा, पर क्लार्क का गुस्सा बहुत बढ़ चुका था।

क्लार्क - तुम लोग जा रहे हो या सभी सिक्योरिटी को बुलाऊँ।

क्लार्क के गुस्से को बढ़ते देखकर उन दोनों से वहां से जाने में अपनी भलाई समझी।

क्लार्क - हाँ तो मैं कह रहा था, किसने बनाया ये वीडियो कुछ पता चला?

अभी - अभी हुए इंसिडेंट को देखकर किसी की हिम्मत नहीं हुई कुछ बोले, पर जवाब देना भी जरुरी था। तो एक आदमी बोला - सर ये वीडियो इतनी बार पोस्ट हुई है कि पहली बार किसने पोस्ट की पता ही नहीं चल रहा? दरअसल नीना को पता था कि बैकलिंक को कनेक्ट करके क्लार्क उस तक पहुँच सकता था। इसलिए उसने वीडियो पब्लिश होने के आधे घंटे बाद ही हर id से वीडियो डिलीट कर दी और तब तक लोगों ने उसे डाउनलोड कर लिया और सारी नयी id से पोस्ट कर दी। इससे ये कभी पता नही चल सकता था कि ये वीडियो किसने बनायीं है।

क्लार्क - हमारे प्लेटफार्म पर ये वीडियो कब पोस्ट हुई और किसने की?

सर, इसका पता लगा रहे हैं। एक व्यक्ति ने उत्तर दिया। इसके बाद क्लार्क ने इशारे से सभी को जाने के लिए कह दिया, वो कनेक्ट मी के नुकसान को देखकर गुस्से से पागल हुए जा रहा था। उसे कहीं ना कहीं लग रहा था इसके पीछे नीना का हाथ है, पर बिना किसी कन्फर्मेशन के वो किसी पर आरोप नहीं लगा सकता था। फिर वो शांति से बैठा, तभी उसके दिमाग में एक विचार आया और वो जोर - जोर से हंसने लगा।

क्लार्क ने तुरंत अपना कंप्यूटर चालू किया और एक पोस्ट बनायीं। उसने उस पोस्ट के लिए ग्राफ़िक का यूज किया और उस पोस्ट पर लिखा था -

मैं राजीव चौधरी, अपने बेटे आरव के इलाज के लिए आप सभी से सहयोग की मांग करता हूँ, प्लीज आप मेरा साथ दें, आरव की स्थिति बहुत नाजुक है और इलाज के लिए और पैसों की जरुरत है। प्लीज आप नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करके सहायता जरूर करें। अगर आज आपने सहायता नहीं की तो आरव को बचाना मुश्किल हो जाएगा।

फिर क्लार्क ने नीचे राजीव की फोटो लगायी और लिख दिया - राजीव चौधरी और ब्रेकेट में लिखा (एक हालात के सामने मजबूर पिता)

इस पोस्ट को देख कर क्लार्क जोर - जोर से हंसने लगा। और जोर - जोर से बोलने लगा।

क्लार्क - मेरे खिलाफ जब - जब साजिश करोगे, मैं पहले से बेहतर बन जाऊंगा और फिर मैं वो करूँगा जिससे इतिहास बन जायेगा।

इसके बाद क्लार्क ने एक सरकारी बैंक अकाउंट को सर्च किया, जो रोड डेवलपमेंट के काम से जुड़ा हुआ हो, और उसे एक बैंक अकाउंट मिल गया। दरअसल सरकारी बैंक अकाउंट जो रोड डेवलपमेंट से जुड़ा होता है उसमें हर दिन पैसे का लेन - देन होता रहता है, ऐसे में उस बैंक अकाउंट पर किसी की निगरानी नहीं रहती और उसकी ऑडिट भी चार महीने बाद होती है। दरअसल क्लार्क को पैसे नहीं चाहिए थे बस उसे अपना एप लोगों से वपिस इनस्टॉल करवाना था। क्लार्क ने एक इंजीनियर को बुलाया और उसे आदेश दिया -

क्लार्क - देखो, तुम पर भरोसा करके ये काम दे रहा हूँ, ये काम करके 3 महीने की पेड लीव पर चले जाना, पर काम आज ही हो जाना चाहिए।

वो आईटी इंजीनियर ध्यान से सारी बात सुन रहा था।

क्लार्क - ऐसा करो एक शॉर्ट लिंक बनाओ और लिंक ऐसा बनाना कि वो किसी और प्लेटफार्म पर भी जाये, और कोई उस पर क्लिक करे तो भी हमारे एप के इंस्टालेशन का पेज ओपन हो और इसे इस बैंक अकाउंट के साथ लिंक करके, हजार से ज्यादा नयी id के साथ पोस्ट कर देना। और हर id जो भी इसे पोस्ट करे वो अगले एक घंटे में डिलीट हो जाये। और इस पोस्ट के लिए अल्गोरिथम इस तरह से सेट करना कि कोई भी इस पर क्लिक करे तो सबसे पहले उसके दूसरे प्लेटफार्म पर शेयर का ऑप्शन ओपन हो जाये।

उस इंजीनियर ने सर हिला कर हां की और वहां से चला गया और अपने काम में लग गया। अगले दिन शाम तक 52 लाख लोगों ने कनेक्ट मी को डाउनलोड कर लिया। शाम को कनेक्ट मी के ऑफिस में पार्टी का माहौल था। किसी को कुछ भी समझ नहीं आ रहा था कि आखिर एक ही दिन में इतने सारे लोगों ने कनेक्ट मी को डाउनलोड कैसे किया? पर सभी खुश थे।

क्लार्क - क्या रिपोर्ट है?

क्लार्क से ऐसा पूछते ही एक आदमी बोला - सर नए एडवर्टीजमेंट के कॉन्ट्रैक्ट मिले है। एक दिन में सबसे ज्यादा ऐप डाउनलोड करने का रिकॉर्ड भी हमें तोड़ दिया है। केवल आज - आज में ही हमारे 40 लाख से ज्यादा इनस्टॉल है।

क्लार्क - सही है, आज पार्टी करो और बिल ऑफिस से अप्रूव करवा लेना, ऐसा कहते हुए क्लार्क ऑफिस से चला गया।

पर क्लार्क ने जो गेम खेला था वो सही नहीं था। पर उसने सारे सबूत मिटा दिए थे तो उसे पकड़ना लगभग नामुमकिन था। इधर नीना ने जब लिंक को देखा तो उसे समझ आ गया था कि ये क्लार्क की चाल है, पर वो भी इसे साबित नहीं कर सकती थी क्योंकि बैकलिंक एक बार मिट जाते है तो उसका कनेक्शन ढूंढना सबसे मुश्किल काम होता है।

दूसरी ओर लोगों ने आरव के इलाज के लिए खूब पैसा डोनेट किया। कुछ लोगों को पहले ये फ्रॉड लगा पर जब बैंक अकाउंट का नाम गवर्नमेंट of इंडिया के नाम पर शो हो रहा था, तो उन्हें लगा कि ये सही है , इसलिए केवल 24 घंटे में 100 करोड़ से ज्यादा रूपये इकट्ठे हो गए। इसी के साथ ये मुद्दा भी न्यूज़ चैनलों को जोर - शोर से उठने लगा कि आरव के इलाज का खर्च सरकार को उठाना चाहिए, क्योंकि उसे गोली पीएमओ कार्यालय के बाहर लगी थी।

एक न्यूज़ चैनल पर “आज सरकार हर बात पर टैक्स लगा देती है, पहले कमाने पर टैक्स दो, फिर उस कमाने को खर्च करने जाओ तो उस पर टैक्स दो उसके बाद अगर कुछ पैसा बच जाये तो उस बचे हुए पैसे पर टैक्स दो। पर इतना टैक्स वसूलने के बाद भी क्या सरकार को आरव के इलाज के पैसे नहीं देने चाहिए थे? क्या सरकार इतनी गिर चुकी है? एक रिपोर्टर ग्राउंड पर लोगों से सवाल पूछे जा रहा था, लोग खुलकर सरकार को क्रिटिसाइज कर रहे थे। जिससे ये बार पीएमओ ऑफिस तक भी पहुँच गयी। अब लोग सीधे प्रधानमंत्री को टैग कर सवाल पूछने लग गए, जिससे पीएमओ ऑफिस को भी ये जरुरी हो गया कि ये सच सामने लाया जाए।

पीएमओ ऑफिस में एक इमरजेंसी मीटिंग बुलाई गयी। सभी ऑफिसर को ये तो पता था कि ये मीटिंग क्यों बुलाई है पर इसका क्या उत्तर देना है ये नहीं पता था। तभी एक सीनियर ऑफिस ने पूछा - “हम हमेशा इतने लेट क्यों हो जाते हैं? हमारे नाक के नीचे स्कैम चल रहा है और हमें भनक तक नहीं? आखिर अभी तक आरव के डोनेशन की बात पर सफाई क्यों नहीं दी गयी।”

दूसरे अफसर ने जवाव दिया - दरअसल हमें उस बैंक अकाउंट के बारे में पता करवाया था, पर वो बैंक अकाउंट सरकारी था, कोई भी सरकारी बैंक अकाउंट से स्कैम कैसे करेगा, ये हमें समझ नहीं आया। पर हमें उस बैंक अकाउंट को फ्रीज़ कर दिया है। अब उस बैंक अकाउंट से कोई भी पैसे नहीं निकाल पायेगा।”

तभी सीनियर अफसर बोला - “केवल बैंक अकाउंट फ्रीज़ करने से काम हो जायेगा क्या? जिसने जितने भी पैसे जमा कराये हैं उसे वो पैसे वापिस करो। और आरव के पिताजी को बुलाओ, उनके साथ एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को मैनेज करो, ताकि लोगों को सच्चाई पता चले।”

“ठीक है सर” - ऐसा कहते हुए एक जूनियर अफसर वहां से चला गया।

थोड़ी देर में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस शुरू हुई। जिसमें प्रधानमंत्री कार्यालय से आरव के पिताजी ने एक बयान दिया कि "आरव के इलाज का पूरा खर्च सरकार उठा रही है। जो पोस्ट सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है, वह पूरी तरह से गलत है। मैं आप लोगों से अपील करता हूँ कि ऐसी किसी भी पोस्ट पर कोई भी रुपया ना भेजें, बस ईश्वर से प्रार्थना करें कि आरव जल्द से जल्द ठीक हो जाये।”

नैरेटर - अचानक से जो जनता सरकार को कोस रही थी। वो अपने पैसे वापिस मांगने में लग गयी। चूँकि वो सरकारी अकाउंट था तो पैसा सरकार के पास ही था, इसलिए लोग सारी बातों को एक किनारे रखकर केवल अपने पैसे वापिस पाने में लग गए, अब एक नया ही हैशटैग ट्रेंड कर रहा था।

#wewantmoneyback

क्या सरकार पैसे वापस करेगी, या लोग भूल जाएंगे पैसो को? 

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