दरअसल एक फैमिली का पांच साल का बच्चा गुम हो गया था। उस बच्चे को उसके माता पिता ने हर जगह ढूंढा मगर वह कहीं नहीं मिला। आखिर कार परेशान होकर उन्होंने एयरपोर्ट औथॉरिटीस को अपने बेटे के गुम होने की खबर दी। जैसे ही बच्चे के गुम होने का अनाउन्स्मेन्ट हुआ, ध्रुव और बल्ली भी अलर्ट हो गए। 

  

जैसे ही बल्ली ने इस अनाउन्स्मेन्ट को सुना, अपना जासूसी वाला दिमाग लगाने लगा। उसने स्टाइल मारते हुए कहा: 

 

बल्ली: 

तुम देखना इस बच्चे को मैं ही ढूंढ कर लाऊंगा।  

 

 

अपनी बात कह कर बल्ली जासूसी भरे अंदाज़ में उस खोये हुए बच्चे को ढूंढ़ने के लिए निकल गया। ध्रुव अभी भी वही चेयर पर बैठा था। उसने बल्ली के जाने के बाद खुद से बात करते हुए कहा: 

 

ध्रुव: 

सबसे पहले मुझे उस खोये हुए बच्चे के माता पिता से मिलना होगा। उसके बारे में थोड़ी और जानकारी हासिल करनी होगी।  

 

 

बल्ली आस पास के लोगों से ही पूछ ताछ कर रहा था। ध्रुव को काउन्टर नंबर 5 पर उस लड़के के माता पिता से मिलने जाना था। सामान के पास भी कोई रहना चाहिए था। ध्रुव ने बल्ली को आवाज़ लगाते हुए कहा: 

 

ध्रुव: 

अगर तुम्हारी जासूसी हो गयी हो तो ज़रा इधर आ जाओ। 

  

 

ध्रुव की बात पर बल्ली तुरंत उसके पास आ गया। ध्रुव ने बल्ली को सामान के पास रहने को कहा और वहां से उठ कर काउन्टर 5 की तरफ चल पड़ा। अभी ध्रुव अपनी जगह से उठा ही था कि बल्ली ने उसे रोक लिया।  

 

बल्ली: 

भाई, बोलते समय शब्दों पर थोड़ा ध्यान रखा कर। लोगों को पता नहीं चलता चाहिए कि हम जासूस है। 

  

 

ध्रुव समझ गया था कि उसने जासूसी का शब्द इस्तेमाल किया था, वह बल्ली को पसंद नहीं आया। उसने इशारे से बल्ली को तसल्ली दी कि आगे से वो कभी भी ये शब्द इस्तेमाल नहीं करेगा, वो भी लोगों के बीच में। काउन्टर नंबर 5 पर ध्रुव ने जाकर देखा तो वहां लोगों की भीड़ जमा थी।  

 

उसने भीड़ को थोड़ा अलग किया और देखा कि बच्चे की माँ रो रही थी और उसके पिता उसे तसल्ली दे रहे थे। ध्रुव उनके करीब गया और कहा: 

 

ध्रुव: 

क्या नाम था आपके बेटे का, उसका कोई फोटो है आपके पास, फोटो होगा तो बच्चे को ढूंढ़ने में आसानी होगी। 

 

 

ध्रुव ने उन लोगों से कुछ और भी सवाल किये मगर वहां मौजूद कुछ लोगों को ध्रुव का सवाल पूछना पसंद नहीं आया। उन्होंने उल्टा ध्रुव के बारे में बातें करना शरू कर दिया। वहां एक आदमी ने कहा कि वो नेता बनने की कोशिश कर रहा है।  

एक बूढी औरत भी ये कहने से नहीं चूक पायी कि ये लड़का अपना नंबर बढ़ाने के लिए इतने सवाल पूछ रहा है। उस बच्चे की एक २० साल की बहन भी थी। उसी ने ध्रुव को फोन पर अपने छोटे भाई का फोटो दिखाया। तभी ध्रुव ने उसकी बहन से सवाल करते हुए कहा: 

 

ध्रुव:  

आखिरी बार तुमने अपने भाई को कहाँ देखा था, मेरा मतलब है, वो आखिरी बार कहाँ था, कुछ पता है। 

 

 

उस लड़के की बहन ने बताया कि उसके मोबाइल की बैटरी कम हो गयी थी। तो वो सामने लगे मोबाइल चार्जिंग स्टेशन पर अपना मोबाइल रिचार्ज करने लगी। उसका भाई उसी के साथ वहां बैठा हुआ था। वो मोबाइल देखने में बिज़ी हो गई। उसने थोड़ी देर बाद देखा तो वो वहां, उसके पास नहीं था। 

 

असल में वो लड़की मोबाइल में इतनी खो गई थी कि अपने छोटे भाई पर ध्यान ही नही दिया। ध्रुव उसकी बात सुन कर वहां से चला गया। उसने जाने से पहले सभी को तसल्ली देते हुए कहा: 

 

ध्रुव

आप लोग चिंता ना करे, आपका बेटा मिल जायेगा। 

 

 

कुछ लोग तो बच्चे की बहन के चक्कर में ही वहां जमा हुए थे। थोड़ी ही देर में वहां एयरपोर्ट औथॉरिटीस के गार्ड्स भी आ गए। गार्ड्स ने भी उस बच्चे के माता पिता को तसल्ली देने के साथ साथ उस बच्चे का फोटो देखा। 

 

ध्रुव को जितनी जानकारी चाहिए थी वह उसने जुटा ली और उस बच्चे को ढूंढने निकल गया। ध्रुव ने बोर्डिंग लाउन्ज की एंट्री पर खड़े गार्ड्स से उस बच्चे के बारे में पूछा। उसके बाद ध्रुव लाउन्ज में लगे खाने पीने के stall में जाकर उस बच्चे के बारे में पूछताछ की। वहां से भी उसे निराशा हाथ लगी।  

 

एक तरफ ध्रुव उस बच्चे को ढूंढने के लगा हुआ था तो दूसरी तरफ रणविजय का चाय पीने का बिल्कुल भी मन नहीं था। दरअसल उस समय रणविजय का मन था कि वह सिगार पिए। उसने अपनी जेब से सिगार निकाली और उसे जलाते हुए कहा: 

 

रणविजय: 

अगर हम लोग चाय पीते हुए भी मिशन के बारे में डिस्कस करे तो इसमें कोई बुराई नहीं।  

 

 

रणविजय की बातों से किसी को कोई ऑब्जेक्शन नहीं था। वह लोग मज़े से चाय की चुस्की ले ले कर पी रहे थे। साथ में सभी लोग रणविजय की बातों पर भी ध्यान दे रहे थे। रणविजय ने वापस टॉपिक  पर आते हुए कहा: 

 

रणविजय: 

अब अगर हम ट्रेन की बात करे तो हमें उसमें लगे हाई लेवल के सिक्युरिटी सिस्टम को समझना होगा। अगर चैंग उस सिस्टम को हैक कर पाया तो हम ट्रेन को अपने इशारे पर नचा सकते है। 

  

 

रणविजय की बातों ने सभी को चौंका दिया था। चैंग के लिए सिस्टम को hack करना बहुत आसान था। उसने एक कॉन्फ़िडेन्स री सांस लेते हुए कहा: 

 

चैंग: 

ये तो मेरे बाएं हाथ का खेल है॥  

 

 

“तो क्या भाई, आप इस काम में अपने दाएं का इस्तेमाल नहीं करोगे,  एक हाथ से ही लैपटॉप को चलाओगे।” हंसमुख ने चुटकी लेते हुए कहा ॥   हंसमुख की ये बात सुन कर सभी लोग मुस्कुराने लगे। अगर उस समय कोई गुस्से में था तो वह थी रोज़ी। उसका मन हो रहा था कि वह हसमुख से कहे कि अगर उसका मज़ाक करने का मन है तो इस मिशन से चला जाये। रणविजय की खातिर वह चुप रही। उसने हसमुख की बात का जवाब देते हुए बस इतना ही कहा: 

“चैंग के कहने का सिर्फ ये मतलब था कि वह इस काम को बड़ी आसानी से कर सकता है। उसके अंदर ये हुनर है।” 

  

 

चैंग ने रोज़ी की बात पर अपने सर को हाँ में हिला दिया। उसके सर हिलाने का मतलब यही था कि वह सही कह रही है। इससे पहले रणविजय अपनी बात को आगे बढ़ाता, चैंग ने अपनी बात को रखते हुए कहा: 

 

चैंग: 

आप कहो तो मैं इसी समय इस ट्रेन को हैक करके बता सकता हूँ कि अभी ये ट्रेन कहाँ है। 

 

  

 

चैंग की बात सुनकर उस्मान के मुंह से निकला  : “क्या चैंग,  ऐसा होना मुमकिन है।” उसमान को विश्वास ही नहीं था कि ऐसा हो सकता है, इसलिए उसने अपने दिल की बात को सबके सामने रखते हुए चैंग से सवाल किया था। चैंग को खुद के ऊपर फ़ुल कॉन्फ़िडेन्स था। उसने उसी कॉन्फ़िडेन्स के साथ कहा: 

 

चैंग: 

हाँ बिलकुल हो सकता है। इस इंटरनेट की दुनिया में कुछ भी मुमकिन है। टेक्नॉलजी अभी बहुत आगे निकल चुकी है। आर्टफिशल इन्टेलिजन्स, इंटरनेट की दूसरी दुनिया है। इसके पास आपके हर सवाल का जवाब है। 

  

 

चैंग ने तुरंत अपने बैग से लैपटॉप निकाला और उसे टेबल पर रख दिया। लैपटॉप के ओपन होने के बाद उसने एक प्रोग्राम चलाया और सामने उसके लैपटॉप की स्क्रीन सामने वाली बड़ी स्क्रीन पर शेयर हो गयी। अभी तक जो भी स्क्रीन पर चल रहा था वहां मौजूद लोगो के लिए सिर्फ कोड के रूप में नंबर और ऐल्फाबेट थे। 

  

थोड़ी ही देर में स्क्रीन के सामने रेल्वे के रूट का मैप आ गया। ये चमत्कार देख कर सभी लोग दंग रह गए थे। जिस तरह चैंग ने टेक्नॉलजी से खेल कर सभी को हैरान कर दिया था वह किसी अजूबे से कम नहीं था। उसने अपनी बात रखते हुए कहा: 

 

चैंग: 

हम रेल्वे के मैप रूट का रीमोट ज़्यादा समय तक अपने पास नहीं रख सकते। उसे hack करना खतरे से खाली नहीं है। सरकार को मालूम होने से पहले हमें इसके रीमोट को स्विच ऑफ करना होगा।  

 

 

अपनी बात को कहने के साथ ही उसने रेल्वे की साइट का रीमोट स्विच ऑफ कर दिया। वहां मौजूद सभी लोगो ने चैंग के इस कारनामे के लिए तालियां बजायी।  

 

 

चैंग शाबाशी मिलने पर बहुत खुश था। उसने अपने लैपटॉप को शट डाउन किया और वहीं टेबल पर रखा रहने दिया। रणविजय ने उसकी तारीफ करते हुए कहा: 

 

रणविजय: 

सच में चैंग, तुम्हारे अंदर जो हुनर है उसकी जितनी तारीफ की जाये उतना ही कम है। अब मुझे पूरा यकीन है कि कितनी भी हाई टेक सिक्युरिटी क्यों ना हो, तुम उसे आसानी से तोड़ सकते हो।  

 

 

पहला दिन उन लोगों के लिए बहुत अच्छा गया। सभी ने चैंग की कलाकारी देखी। ट्रेन के मैप को समझा। रणविजय ने सिगार का लम्बा सा कश लेते हुए कहा: 

 

रणविजय: 

अभी आप लोगों से बहुत कुछ शेयर करना बाकी है। अब जैसे हमें इस एक्सिबिशन के बारे में इतना कुछ मालूम है। तो लाज़मी है, वो लोग भी किसी तरह की भी चोरी को रोकने की पूरी तैयारी कर रहे होंगे। 

 

 

रणविजय का इशारा जाँच एजेंसी और सिक्युरिटी एजेंसी से था। जिस तरह उन लोगों ने डायमंड को सुरक्षित करने के लिए हाई सिक्युरिटी सिस्टम को डिवेलप किया था, उसी तरह इस हाई सिक्युरिटी सिस्टम को तोड़ने के लिए चैंग को चुना गया था। रणविजय ने एक बार फिर स्क्रीन की तरफ ध्यान दिलाते हुए कहा: 

 

रणविजय: 

ये जो स्क्रीन पर तुम्हे ट्रेन की बोगी दिखाई दे रही है। इसी में सारे डायमंड रखे जायेंगे। ये देखने में एक दम नॉर्मल बोगी की तरह है मगर इसमें लगे टूल और हाई सिक्युरिटी सिस्टम इसे खास बना देते है। 

  

 

रणविजय ने जैसे ही ट्रेन की इस बोगी को अंदर से दिखाया तो सभी को वो आम लगी, अंदर  देखने में कुछ ख़ास नहीं थालेकिन असलियत में वो बहुत खास थी।  

  

एक तरफ सभी के दिलों में उस खास बोगी के बारे में जानने की उत्सुकता थी तो वही दूसरी तरफ ध्रुव उस बच्चे को ढूंढ लाया था ॥ ध्रुव ने उस लड़के को उसके माता पिता को सौंपते हुए कहा: 

 

ध्रुव

आपके बेटा सामने वाली टॉय शॉप पर चला गया था। वहां बड़े बड़े टेडी बीयर के बीच में खेलते हुए उसे नींद आ गई थी। बच्चा थोड़ा छोटा है, प्लीज़ अपने बच्चे को अपने साथ ही रखा करे। उसे कहीं पर भी अकेला ना छोड़े।  

 

 

दरअसल जब उसकी बहन मोबाइल में बिज़ी हो गई थी तो बच्चा खिलौनों के लालच में टॉय शॉप में चला गया था। वहां टेडी बीयर के साथ खेलते हुए उसे कब नींद आ गई उसे पता ही नही चला।  

 

अपने बच्चे को देख कर उसकी माँ के चेहरे पर मुस्कान आ गयी। उसने अपने आंसूओं को पोंछा और अपने बेटे को गले से लगा लिया। उस लड़के के पिता देखने में थोड़ा सख्त लग रहे थे। उनके चेहरे पर आने वाले भाव से ध्रुव को साफ़ पता चल गया था कि वह अपने बेटे को डांटने वाले है।  

 

मगर ध्रुव ने उन्हें समझा कर बीच में ही रोक दिया। एक तो बच्चा वैसे ही डरा हुआ था। अब ऐसे में अगर उसे और डांटते तो बच्चे की मानसिक स्थिति के लिए अच्छा नहीं होता। उस लड़के के पिता को side में ले जाकर ध्रुव ने कहा: 

 

ध्रुव: 

देखिये, यहाँ एयरपोर्ट लाउन्ज में बेटे को डांटना ठीक नहीं। आप इत्मीनान से घर जाये और अपने बेटे को समझाए कि सफर में अपने माता पिता का हाथ नहीं छोड़ा करते। 

 

 

देखने में वो सज्जन बहुत शरीफ लग रहे थे। उन्होंने ध्रुव की बात को मान लिया और ख़ामोशी के साथ अपने परिवार के पास जाकर खड़े हो गए। तभी एक आदमी ने ध्रुव से उस बच्चे के मिलने के बारे में पूछा। ध्रुव ने उस आदमी के सवाल का जवाब देते हुए कहा: 

 

ध्रुव:  

ये बात तो हम सभी जानते है कि बच्चे चंचल होते हैं , बस चक्कर में कभी कभी बड़ी परेशानी में आ आते है। दरअसल उसकी बहन अपने मोबाइल में बिज़ी हो गई थी और बच्चा टहलता हुआ पास ही टॉय शॉप पर चला गया था।  

 

 

बच्चे के मिलने पर वहां मौजूद सिक्युरिटी गार्ड्स ने भीड़ को अपना अपना काम करने के लिए बोला। बल्ली भी अपना सामान लेकर वहां आ गया था। इससे पहले वो उस लड़के के माता पिता के सामने शेखी भगारता, उनकी फ़्लाइट का अनाउन्स्मेन्ट हो जाता है।  

  

प्लेन में जाने से पहले उसने ऐसा काम किया जो उसे नहीं करना चाहिए था। आखिर उसने ऐसा क्या काम किया जिससे ध्रुव को गुस्सा आ गया? उधर रणविजय ने जो ट्रेन की बोगी दिखाई थी, उसमे ऐसा क्या खास था?  

जानने के लिए अगला एपिसोड पढ़िए।  

Continue to next

No reviews available for this chapter.