बल्ली और टैक्सी ड्राइवर के मिजाज़ बिलकुल भी नहीं मिल रहे थे। बल्ली अपने आपको ऐसा महसूस कर रहा था जैसे वह दुनिया का सबसे बड़ा जासूस हो। उसका हुलिया देख कर ध्रुव के साथ साथ टैक्सी वाला भी मन ही मन मुस्कुरा रहा था। 

  

टैक्सी वाले ने बल्ली के कहने पर टैक्सी को तेज़ तो कर लिया था मगर थोड़ी दूर जाने के बाद जिस स्पीड से उसने टैक्सी को रोका था उससे साफ़ मालूम हो रहा था कि टैक्सी के सामने कोई आ गया है।  

 

अचानक टैक्सी के रुकने से बल्ली का चेहरा ड्राइवर की सीट से टकरा गया। उसने गुस्से में कहा: 

 

बल्ली:  

थोड़ा होश में रह कर टैक्सी चलाओ। अगर मुझे चोट लग जाती तो।  

 

 

अपनी बात को कह कर बल्ली ने टैक्सी में गिरे हुए अपने चश्मे को उठाया। जैसे ही उसने अपनी नज़रों को ऊपर उठा कर देखा तो टैक्सी के सामने एक लड़की खड़ी हुयी थी। उस लड़की के दोनों हाथ टैक्सी के बोनट पर थे। बल्ली ने तुरंत अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा: 

 

बल्ली: 

कहीं तुमने इस लड़की को ठोक तो नहीं दिया। लगता है तू तो हमें जेल भिजवा कर ही दम लेगा।    

 

 

बल्ली से पहले ध्रुव टैक्सी से उतरा और उस लड़की के पास गया। लड़की बहुत ही घबराई हुई लग रही थी। उसके चेहरे से पसीना टपक रहा। उसे देख कर साफ पता चल रहा था कि वो किसी से बच कर भाग रही थी।  

 

उस समय सबसे सुरक्षित जगह उसे टैक्सी ही लगी। वो तुरंत पीछे वाली सीट पर जाकर बैठ गई। वो बल्ली के पास बैठ तो गई थी मगर उसकी सांसें अभी भी फूल रही थी।  

 

ध्रुव ने लड़की की तरफ पानी की बोतल बढ़ाते हुए कहा: " आप घबराइए मत।।  लीजिये, पानी पी लीजिये।।।  

 

उस लड़की ने पानी पिया और राहत की सांस ली।एक तरफ ध्रुव सोच रहा था कि आखिर ये लड़की कौन है जो अचानक से हम अनजान लोगों के साथ आकर बैठ गयी। तो वही दूसरी तरफ विडिओ कॉल पर उसमान की बेटी के पास कोई और नहीं बल्कि उसकी माँ रज़िया खड़ी हुयी थी। अपनी बीवी के चेहरे को देख कर उसमान का चेहरा भी खिल उठा। रज़िया ने बिना उसमान के पूछे कहा कि उसमान के कोई दोस्त आये थे। उन्होंने शानू को सिटी हॉस्पिटल में ऐड्मिट करवा दिया है। डॉक्टर ने कहा है कि यहाँ शानू का अच्छे से इलाज होगा और वह बहुत जल्दी ठीक हो कर अपने घर जा सकती है। 

  

 

उसमान को अपनी बीवी की बात सुन कर जितनी ख़ुशी हो रही थी उतना ही वो ताज्जुब में भी था। अपनी बीवी और बेटी से अच्छे से बात होने के बाद उसमान ने हाथ जोड़ कर रणविजय को शुक्रिया कहा। उसमान की बात सुन कर रणविजय का सीना गर्व से फूल गया। उसने खुद पर प्राउड फ़ील करते हुए कहा: 

 

रणविजय: 

आप सब लोग हमारे मिशन का हिस्सा है। अब आपको अपने परिवार की चिंता करने की कोई ज़रुरत नहीं। उनका ख्याल हम रखेगें। 

  

 

रणविजय ने जो कहा वह कर के दिखाया। उसने ही रोबिन से कह कर उसमान की बेटी को एक अच्छे हॉस्पिटल में ऐड्मिट कराया था ताकि वहां पर शानू का अच्छे से इलाज हो सके। रोबिन ने उसमान की बीवी को खर्चे के लिए पैसे तक भिजवाये थे। 

 

रणविजय नहीं चाहता था कि उसके गैंग के लोग मिशन के दौरान किसी भी उलझन में रहे। वह चाहता था कि उनका सारा कॉन्सन्ट्रैशन, सारा फोकस मिशन पर ही रहे। उसने वापस मैप पर आकर उसे ज़ूम किया तो लोगों को ट्रैक पर ट्रेन दिखायी दी। ट्रेन को देख कर हंसमुख ने तुरंत कहा: 

 

हसमुख: 

ये तो बिलकुल असली की ट्रेन है और आवाज़ भी बिलकुल असली ट्रेन की तरह है। 

  

चैंग: 

इसे 3डी एनिमेशन इफेक्ट कहते है, वो भी हाई क्वालिटी ग्रैफिक के साथ।  

 

 

इस टेक्नॉलजी से वहां मौजूद सभी को लग रहा था जैसे वह असली की ट्रेन देख रहे हो। रणविजय ने स्क्रीन को स्टॉप कर दिया। ये देख कर विक्की ने कहा: 

 

विक्की: 

बॉस, आपने स्क्रीन को स्टॉप क्यों कर दिया? बिलकुल उरिजिनल जैसी उरिजिनल आ रही थी। 

  

रणविजय: 

मैंने इसे और उरिजिनल उरिजिनल देने के लिए स्टॉप किया है। 

  

नेरेटर: 

रणविजय की बात लोगों को हज़म नहीं हुयी। तभी रणविजय ने स्क्रीन को ऑन  कर दिया। इस बार ट्रेन के रुकने के साथ साथ स्टेशन पर होने वाला शोर भी था। 

 

ये सब इतना उरिजिनल था कि उसमान को लगा कि वह सच मुच के स्टेशन पर है। जैसे ही उसके मुँह से चाय मांगने की बात निकली तो लोग हंसने लगे। इस बार रणविजय के चेहरे पर भी हंसी थी। तभी विक्की ने कहा: 

 

विक्की: 

उसमान भाई आपको चाय मिल जाएगी, स्टेशन पर नहीं बल्कि यही पर।  

 

 

काफी देर से सच में किसी ने कुछ नहीं खाया और पिया था। रोज़ी के कहने पर वहां काम कर रहा नौकर राजू लोगों के लिए चाय लेने चला गया। तभी ट्रेन के रुकने की आवाज़ आती है। रणविजय ने लेज़र लाइट को स्क्रीन पर मारा और कहा:  

 

रणविजय: 

जिस स्टेशन पर गाड़ी रुकी है उसका नाम ग्वालियर है। 

ये ट्रेन ग्वालियर से कानपूर और कानपूर से सीधा दिल्ली रुकेगी। हमें ग्वालियर और कानपूर के बीच में इस चोरी को अंजाम पहुंचना है। 

  

 

सभी लोग रणविजय की बात को ध्यान से सुन रहे थे। वह अच्छी तरह से उसके मास्टर प्लान को समझना चाहते थे। तभी चैंग की आवाज़ आयी: 

 

चैंग: 

बॉस एक मिनट रुको। 

 

 

सभी ने देखा की चैंग अपने मोबाइल में कुछ चेक कर रहा है। किसी की समझ में कुछ नहीं आया। आखिर वह मोबाइल में क्या देख रहा था?  

 

उधर दूसरी ओर जिस तरह वो लड़की हांफ रही थी उससे साफ पता चल रहा था कि वो किसी मुसीबत में है। जैसे ही ध्रुव ने टैक्सी के बाहर कुछ गुडों को देखा तो वो सब समझ गया।  

ध्रुव ने उस लड़की की तरफ देखा और पूछा: 

 

ध्रुव: 

क्या हुआ। तुम भाग क्यों रही थी।  

 

 

उस लड़की ने ध्रुव को बताया कि सुनसान जगह देख कर कुछ गुंडे उसकी इज़्ज़त लूटना चाहते थे। वो उन्ही से बचने के लिए रोड क्रॉस कर रही थी कि अचानक टैक्सी से टकरा गई। टैक्सी में उन लोगों को बैठे देख उसे लगा कि वो लोग शायद उसकी मदद कर सकें।।  अगर वो लोग उसे दादर स्टेशन तक छोड़ दें तो वो उनकी एहसानमंद होगी 

 ध्रुव को इस लड़की पर विश्वास इसलिए आ गया, क्योंकि ध्रुव ने थोड़ी देर पहले उन गुंडों को अपनी आंखों से देखा था। 

ध्रुव को अगर देर न हो रही होती तो वो उन गुंडों को अच्छा सबक सिखाता, उस लड़की के रीक्वेस्ट  करने पर ध्रुव ने उसे दादर स्टेशन छोड़ दिया। अपनी मदद के लिए उस लड़की ने ध्रुव को थैंक्स भी कहा। ध्रुव ने उसे सीधा पुलिस स्टेशन जाने का सुझाव दिया। लड़की जैसे ही टैक्सी से उतरी, बल्ली ने तुरंत कहा: 

 

बल्ली: 

इसे कहते है, नेकी कर और कुएं में डाल। सच में बहुत पुण्य का काम किया है तुमने मेरे भाई। 

 

एक तरफ जहां दोनों लखनऊ जाने के लिए एयर पोर्ट पहुंच गए थे। वही दूसरी तरफ जब चैंग के कुछ ना बोलने पर विक्की से रहा नहीं गया,  उसने सवाल करते हुए कहा: 

 

विक्की: 

चैंग, तुम मोबाइल में क्या देख रहे हो।  

 

चैंग: 

ग्वालियर और कानपुर के बीच की दूरी तकरीबन पांच घंटे की है।  

 

हंसमुख: 

इसका मतलब हमारे पास चोरी करने के लिए सिर्फ पांच घंटे होंगे।  

 

 

पांच घंटे सभी के लिए बहुत कम थे। इस बार कम टाइम के बारे में किसी ने कुछ भी सवाल नहीं किया। जितना कुछ रणविजय ने उसमान और उसके परिवार वालों के साथ किया था, उसके लिए अगर पांच घंटे की जगह तीन घंटे में भी चोरी करनी पड़ती तो भी कोई पीछे नहीं हटता। हंसमुख की बात पर सभी ने एक साथ कहा: 

 

सभी लोग: 

हम इस चोरी को करने की लिए अपने जान की बाज़ी तक लगा देंगे।  

 

 

रणविजय के साथियों की इस बात ने उसके कॉन्फीडेन्स को दुगना कर दिया था। सभी लोगों ने एक दूसरे के पास जाकर आपस में हाथ मिलाये… ये सब देख कर रणविजय ने पास खड़ी रोज़ी से कहा; 

 

रणविजय: 

रोज़ी देख रही हो, यही तो मैं चाहता था। जब तक हम सब में एकता नहीं होगी हम इस चोरी को नहीं कर सकते। आपस में प्यार और ताल मेल होना ज़रूरी है।  

 

 

रणविजय ने ये बात इतनी आहिस्ता से कही थी कि सिर्फ रोज़ी को ही सुनाई दी। उस की बात सुन कर रोज़ी ने एक मुस्कान के साथ हाँ में सर हिलाया और कहा: 

 

रोज़ी: 

हाँ डार्लिंग, ये हमारे मिशन का पहला step था और हमने इसे पार कर लिया।  

 

 

टीम को आपस में घुलते मिलते देख कर रणविजय खुद पर गर्व महसूस कर रहा था। इससे पहले वो अपने प्लान के बारे में आगे कुछ बताता, तभी राजू चाय लेकर आ गया ।  

 

 

रोज़ी: 

लीजिये आपके लिए चाय हाज़िर है। ये चाय यहाँ की सबसे फेमस चाय है, इसे हर्बल टी कहते है। 

 

 

राजू ने इस चाय की खासियत के बारे में बताया। उसने बताया कि इस चाय में ताज़ा पत्तियों को तोड़ कर डाला जाता है। इसके पीने से जिस्म और दिमाग की थकान दूर हो जाती है।  

 

 

जिस तरह से लोग चाय की चुस्की ले रहे थे। उन्हें देख कर साफ़ लग रहा था कि वह चाय का लुत्फ़ उठा रहे है। चाय के साथ राजू कई तरह के बिस्कुट भी लाया था। रोज़ी ने चाय के लिए रणविजय को इशारा किया तो उसने चाय पीने से मना कर दिया। रोज़ी को शक हुआ कि रणविजय ने ऐसा क्यों किया..  

 

दूसरी तरफ  एयरपोर्ट पहुंच कर ध्रुव ने अपनी जेब से टैक्सी वाले को पैसे निकाल कर दिए। बल्ली ने टैक्सी से अपना सारा सामान निकाला और ध्रुव के पीछे पीछे चल दिया। इस बार चलने में ध्रुव की स्पीड बहुत तेज़ थी। वो जल्दी से एयरपोर्ट के अंदर दाखिल हुआ।  

 

एयर पोर्ट में दाखिल होने से पहले गार्ड्स ने उनका वर्चुअल टिकट और पहचान के तौर पर दोनों का आधार कार्ड चेक किया।अंदर सीधे बोर्डिंग काउंटर पे जाके दोनों ने बोर्डिंग टिकट लिए और सिक्योरिटी चेक से होते हुए आखिरकार बोर्डिंग लाउन्ज पहुंचे । । इन सबके दौरान ध्रुव की  स्पीड इतनी तेज़ थी मानो किसी रेस में भाग रहा हो।।  हर जगह बल्ली पीछे ही रह जा रहा था।।।   बोर्डिंग लाउन्ज में जाकर बैठे तो उसने सबसे पहले ध्रुव से यही सवाल किय।।   

 

बल्ली: 

भाई, तुमने अचानक अपने चलने की स्पीड इतनी तेज़ क्यों कर दिया था। ये भी नहीं सोचा कि मैं पीछे छूट जाऊंगा। 

  

 

इससे पहले ध्रुव अपने दोस्त बल्ली की बात का जवाब देता। वहां लगे लाउड स्पीकर में एरोप्लेन के अराइवल और डिपार्चर का अनाउन्स्मेन्ट हुआ। 

  

 

अनाउन्स्मेन्ट की आवाज़ को साफ़ साफ़ सुनने के लिए ध्रुव ने बल्ली को अपने मुँह पर ऊँगली रख कर चुप रहने को भी कहा मगर बल्ली बिना कुछ बोले भला कैसे रह सकता था। उसने अनाउन्स्मेन्ट ख़तम होने के बाद तुरंत कहा: 

 

बल्ली: 

यार, हम प्लेन में सफर करेगें, ना की ट्रेन में। इतना जल्दी तो कोई ट्रेन छूटने के डर से भी नही दौड़ता है जितना तेज़ तुम दौड़े थे। अभी बोर्डिंग में तीन घंटे बाकी है। 

 

 

ध्रुव ने बल्ली की बात को एक कान से सुना और दूसरे कान से निकाल दिया। वो जानता था कि कई बार बल्ली बिना सर पैर के बात कर देता था। ध्रुव ने तभी एक अनाउन्स्मेन्ट सुना और चौंक गया। इस बार वो अनाउन्स्मेन्ट प्लेन की इनफार्मेशन  शेयर करने के लिए नहीं था बल्कि किसी और चीज़ के लिए था।  

 

उस अनाउन्स्मेन्ट ने ध्रुव और बल्ली के चेहरे के भाव को बदल दिया था।  

 

आखिर वो अनाउन्स्मेन्ट क्या था? उस अनाउन्स्मेन्ट में क्या बात कही गयी थी कि ध्रुव के साथ साथ लाउन्ज में बैठे और लोग भी परेशान हो गए थे।  

 

दूसरी तरह हॉल में रणविजय ने चाय लेने से क्यों इंकार कर दिया था??  

जानने के लिए अगला एपिसोड पढ़िए।  

Continue to next

No reviews available for this chapter.