ध्रुव के फ़ोन पर जो नंबर आया, वो रानी का था। रानी की कॉल को देख कर ध्रुव और बल्ली के चेहरे के भाव बदल गए थे। ध्रुव अभी थोड़ी देर पहले तो रानी से मिल कर आया था, अब अचानक रानी का फ़ोन क्यों आ गया। बल्ली ये सोच कर हैरान था कि आखिर इस समय रानी ने ध्रुव को फोन क्यों किया। ध्रुव ने रानी की कॉल को रिसीव करते हुए कहा:
ध्रुव:
क्या हुआ रानी, सब ठीक तो है ना?
इससे पहले फ़ोन की दूसरी तरफ से रानी की आवाज़ आती, पास खड़े बल्ली ने कहा:
बल्ली:
भाई, अभी तो तुम होने वाली भाभी से मिल कर आ रहे हो, अब उन्होंने फ़ोन क्यों किया। सब ठीक ठाक तो है ना।
वैसे तो बल्ली ने ये बात बहुत आहिस्ता से कही थी मगर फिर भी रानी बल्ली की आवाज़ सुन ना ले, इसलिए रणविजय ने हाथ के इशारे से उसे चुप रहने को कहा। बल्ली चुप तो हो गया था मगर उसके चेहरे को देख कर लग रहा था जैसे वह ध्रुव से जवाब की उम्मीद कर रहा हो। ध्रुव ने फ़ोन पर कहा:
ध्रुव:
हाँ, तुम फ़िक्र मत करो, मैं अपना ख्याल रखूंगा, बस तुम भी अपना ख्याल रखना।
ध्रुव के जवाब से साफ़ पता चल रहा था कि रानी ने ध्रुव को सही से जाने और अपना ख्याल रखने की बात कही होगी। ध्रुव फ़ोन पर रानी से बात करता हुआ तीसरी मंज़िल से नीचे तक आ गया था। नीचे आने के साथ साथ उसने रानी से बात ख़तम की और अपने फ़ोन को अपनी जेब में रख लिया।
ध्रुव:
ये बल्ली कहां रह गया?
जैसे ही उसने बल्ली का नाम लिया तो वो उसे सीढ़ियों से नीचे आते हुए दिखाई दिया, उसने सारा सामान खुद ही उठाया हुआ था। ये देख कर ध्रुव तुरंत सामान लेने के लिए बल्ली की तरफ दौड़ा। ध्रुव ने बल्ली के हाथ से सामान लेते हुए कहा:
ध्रुव:
ला मुझे दे दे।
ध्रुव की इस बात से बल्ली को गुस्सा आ रहा था। उसके चेहरे पर गुस्से के भाव साफ़ देखे जा सकते थे। ध्रुव भी समझ गया था कि अगर अब उसने कुछ बोला तो बल्ली उल्टा जवाब देने से चूकेगा नहीं। वैसे भी बल्ली जवाब देने में पीछे कैसे रहता। उसने ध्रुव को जवाब देते हुए कहा:
बल्ली:
अब लेने से क्या फायदा, अब तो मैं सामान नीचे लेकर आ ही गया।
ध्रुव और बल्ली बिल्डिंग के आगे आकर एयरपोर्ट के लिए टैक्सी का इंतज़ार कर रहे थे। ध्रुव अपने दायी तरफ से आने वाली टैक्सी को रोकने की कोशिश कर रहा था मगर कोई भी टैक्सी वाला अपनी टैक्सी को रोक ही नहीं रहा था।
थोड़ी देर बाद जब उसने अपनी बायीं तरफ देखा तो वो दंग रह गया। उसने कभी सोचा नहीं था कि ये सब भी उसे देखना पड़ेगा।
दूसरी तरफ जब उसमान ने अपनी बेटी के लिए चिंता जताई तो रणविजय ने अपनी जेब से फ़ोन निकाल कर रोबिन का नंबर डायल किया था।
जैसे ही रोबिन ने रणविजय का कॉल उठाया रणविजय ने कहा:
रणविजय:
क्या तुम उसमान की बेटी से फ़ोन को कनेक्ट कर सकते हो।
रणविजय के ऑर्डर देने के तुरंत बाद फ़ोन के दूसरी तरफ से येस बॉस की आवाज़ आयी। रणविजय ने भी अपनी बात ख़तम करके फ़ोन को अपनी जेब में रख लिया था। अगले ही पल उसने रिमोट से विडियो कॉलिंग के बटन को एक्सेप्ट किया तो सामने उसमान की बेटी का चेहरा आ गया था।
अपनी बेटी का चेहरा देख कर उसमान भी बहुत खुश हो गया। उसके दिल के साथ साथ उसका चेहरा भी खिल उठा था। विडियो कॉलिंग पर उसमान के साथ साथ उसकी बेटी भी अपने अब्बू को देख कर मुस्कुरा दी। उसमान ने अपनी बेटी को देखने के बाद रणविजय की तरफ देखा। वो रणविजय को इस काम के लिए थैन्क्स कहना चाहता था। तभी उधर से उसमान की बेटी की आवाज़ आयी:
“अब्बू कब आओगे?”
उसमान:
बहुत जल्दी बेटा।
जिस तरह उसमान की बेटी ने सवाल पुछा था, उसमान ईमोशनल हो गया था। उसके लिए अपनी आँखों में आँसुओ को रोकना बहुत मुश्किल हो रहा था। वो अपनी आँखों में आँसुओ को रोक नहीं पाया। अपने अब्बू की आँखों में आंसुओ को देख कर उसकी बेटी ने कहा:
“अब्बू, आप रो क्यों रहे है। आपकी आँखों में आँसू क्यों है?”
उसमान की बेटी का नाम शहनाज़ था। छोटी सी, प्यारी सी, शहनाज़ को घर में सब शानू कह कर बुलाते थे। उसमान की समझ में नहीं आ रहा था कि वह अपनी बेटी के सवाल का क्या जवाब दे। फिर भी अपने आपको सँभालते हुए उस्मान ने कहा:
उसमान:
वो क्या है ना बेटी, अब्बू शानू से दूर है और इससे पहले अब्बू आपसे कभी दूर नहीं रहे, बस इसलिए आपको याद करके आँख में आंसू आ गए।
उसमान के सभी साथी एक बाप और बेटी का प्यार देख कर ईमोशनल हो रहे थे। उन लोगो ने शायद इससे पहले एक बाप और बेटी का प्यार कभी नहीं देखा था। शानू जिस मासूमियत से अपने अब्बू से सवाल कर रही थी, बहुत ही प्यारी लग रही थी। उसी मासूमियत के साथ शानू ने एक और सवाल किया:
“अब्बू अभी आप कहां है?”
शानू के इस सवाल ने उसमान को थोड़े देर के लिए चुप कर दिया था। उसकी समझ में नहीं आ रहा था कि वह अपनी बेटी से क्या कहे। शानू के इस सवाल पर उसके साथियों की नज़र उसमान के ऊपर थी। उनके मन में शंका थी कि ईमोशनल हो कर वह अपनी बेटी को सब सच सच ना बता दे मगर उसमान ने अपने मुँह से जो भी निकाला वह अच्छा ही निकाला। उसने बहुत ही प्यार से कहा:
उसमान:
बेटी हम अपने दोस्तों के साथ है। उनके साथ एक काम पर आये है। वह काम ख़तम हो जायेगा तो जल्दी से तुम्हारे पास आ जायेंगे। साथ में तुम्हारे लिए बहुत सारे खिलौने और चॉक्लेट लाऊंगा।
उसमान की इस बात ने शानू के चेहरे पर बहुत बड़ी वाली मुस्कान ला दी थी। शानू अपने अब्बू से बात करके बहुत खुश थी। तभी उधर शानू की किसी और से बात करने की आवाज़ आती है। आखिर शानू अपने अब्बू के साथ साथ और किस से बात कर रही थी?
उधर ध्रुव ने पलट का बल्ली की तरफ देखा तो उसका रूप ही बदला हुआ था। बल्ली ने पता नहीं कब जासूसी वाले कपडे पहन लिए थे। उसके dress up को देख कर ध्रुव चौंक गया था। चौंकने के साथ साथ उसे हंसी भी आ रही थी। उसने हंसते हुए कहा:
ध्रुव:
यार बल्ली ये क्या हुलिया बना लिया तुमने। पैंट और शर्ट में कितने अच्छे लग रहे थे। भला इस तरह के कपडे कोई पहनता है।
ध्रुव की बात पर बल्ली ने उसे ऊपर से नीचे तक देखा। उसके देखने का अंदाज़ बिलकुल ही अलग था। थोड़ी देर के बाद उनसे अपनी चुप्पी तोड़ी और कहा:
बल्ली:
हाँ पहनते है, जितने भी लोग डिटेक्टिव का काम करते है वो ऐसे ही कपडे पहनते है। क्या तुमने फिल्मो में नहीं देखा।
ध्रुव:
बल्ली फ़िल्मी और असल ज़िन्दगी में बहुत अंतर होता है। फ़िल्मो में रीटेक होता है मगर असल ज़िन्दगी में कोई रीटेक नहीं होता।
ध्रुव और बल्ली जब ऑफिस से चले थे तो बल्ली ने पैंट और शर्ट पहने हुयी थी मगर उसने कब लॉंग कोट, आँखों पर काला चश्मा, और सर पर काओबॉय हैट पहन लिया था, पता ही नही चला। हर बार की तरह इस बार भी ध्रुव ने बल्ली को उसकी हालत पर छोड़ दिया। उसने कहा:
बल्ली:
अभी भी एक कमी है।
ध्रुव:
पूरा तो जोकर बन चुका है। अब इसमें और क्या कमी रह गयी।
बल्ली:
एक सिगार की ज़रुरत है। वो और होती तो मज़ा आ जाता। फिर तो मैं बिलकुल डिटेक्टिव बल्ली लगता।
ध्रुव:
तुम मेरे साथ हो। डिटेक्टिव बल्ली तो वैसे भी लग रहे हो।
बल्ली ने सिगार के लिए अपनी नज़रो को इधर से उधर और उधर से इधर दौड़ाया। थोड़ी दूर पर उसे एक आदमी बैठा हुआ दिखाई दिया। देखने में वो ठेले वाला लग रहा था। उसके हाथ में सिगार नहीं थी। वो अपने ठेले के पास बैठ कर बीड़ी पी रहा था। बल्ली की नज़र के साथ साथ जब ध्रुव ने भी उस आदमी को देखा तो तुरंत कहा:
ध्रुव:
ख़बरदार बल्ली, अगर तूने उससे बीड़ी मांगी। देख हमें एयर पोर्ट जाने के लिए देरी हो रही है। मैं कहता हूँ कोई ज़रुरत नहीं उसके पास जाने की।
ये बात कहते हुए ध्रुव के चेहरे पर हंसी के साथ साथ गुस्सा भी था। बल्ली ने ध्रुव की एक ना सुना और उस ठेले वाले के पास पहुंच गया। एक तो काफी देर से टैक्सी ना आने पर ध्रुव को वैसे भी गुस्सा आ रहा था। ऊपर से बल्ली के हरकतों से वो चिढ़ रहा था।
इससे पहले ध्रुव गुस्से में बल्ली को कुछ उल्टा कहता, एक टैक्सी उसके सामने आकर रुक जाती है। ध्रुव ने टैक्सी में सामान रखा और आगे वाली सीट पर बैठ गया। ध्रुव के कहने पर टैक्सी वाले ने हॉर्न बजाया। बल्ली ने हॉर्न को सुनते हुए कहा:
बल्ली:
बस दो मिनट रुको, मैं आ रहा हूँ।
बल्ली ने कहने के साथ साथ दो मिनट रुकने का इशारा भी किया। दूसरी बार जब टैक्सी वाले ने हॉर्न बजाया तो बल्ली का वही जवाब था कि बस दो मिनट में आ रहा हूँ। अब ध्रुव को गुस्सा आ रहा था। एक बार तो उसका मन हुआ कि बल्ली को छोड़ कर चला जाये मगर वो ऐसा नहीं कर सकता था। बल्ली उसका साथी होने के नाते उसका बहुत पुराना दोस्त भी था। फिर भी उसने बल्ली को धमकी देते हुए कहा:
ध्रुव:
अब आ भी रहा है या नहीं। देख, मैं आखिरी बार बुला रहा हूँ, अगर इस बार नहीं आया तो मैं तुझे छोड़ कर चला जाऊंगा।
इस बार बल्ली ने कोई इशारा नहीं किया बल्कि जल्दी से आकर पीछे की सीट पर सामान के साथ बैठ गया। वो जानता था कि अगर इस बार भी उसने ध्रुव की बात नहीं मानी तो वह सच में चला जायेगा। टैक्सी वाले ने मीटर को पहले ही गिरा दिया था। बल्ली ने अपने उसी dress up के साथ बीड़ी को मुँह से लगा लिया। टैक्सी वाले ने बल्ली को टैक्सी के अंदर बीड़ी पीने से मना किया तो बल्ली चिढ़ गया। उसने चिढ़ते हुए कहा:
बल्ली:
मैंने बीड़ी को अभी जलाया नहीं है, सिर्फ मुँह में लिया है। जब जलाऊं तो कहना। अभी सामने देखो, वरना एक्सीडेंट हो जायेगा।
ध्रुव ने बल्ली की बात सुनी और शांति से बैठा रहा। पीछे बल्ली अपने फुल रुबाब में था। देखने में बल्ली का बरताव ऐसा लगा रहा था जैसे बॉस ध्रुव नहीं वो हो। जिस तरह का कॉमेंट बल्ली ने टैक्सी वाले को मारा था उससे वो थोड़ा चिढ़ गया था। उसने दुबारा बल्ली की तरफ देखा ही नहीं।
बल्ली फ़ुल टेंशन में था। वह बढ़ा चढ़ा कर खुद को लोगो के सामने एक डिटेक्टिव की तरह पेश करना चाहता था। उसने स्टाइल के साथ टैक्सी ड्राइवर से कहा:
बल्ली:
हमें थोड़ा जल्दी है। टैक्सी को थोड़ा तेज़ चलाओ। तुम्हारी टैक्सी की स्लो स्पीड के चक्कर में हमारी गाड़ी ना छूट जाये।
बल्ली की बनावटी आवाज़ टैक्सी ड्राइवर को बहुत बुरी लग रही थी। वो बल्ली से कोई बहस नहीं करना चाहता था। इसलिए उसने टैक्सी की स्पीड को थोड़ा तेज़ कर दिया। थोड़ी दूर चलने के बाद टैक्सी ड्राइवर ने एक तेज़ हॉर्न के साथ ब्रेक मार दिया। आखिर उसने ऐसा क्यों किया?
क्या हुआ, जो उसे अचानक टैक्सी को रोकना पड़ा?
उधर उसमान की बेटी के साथ कौन था??
जानने के लिए पढ़िए अगला एपिसोड।
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