“ये एक मुश्किल काम है लेकिन आप चेकअप करवाकर देख सकते हैं।” लक्ष्मण ने आगे बताया, “अगर सबकुछ ओके रहा तो आप अब भी एक बच्चे के पिता बन सकते हैं डॉक्टर साहब।”

“मुझे ये आइडिया बेतुका लग रहा है।” पीटर ने कहा, “सबसे पहले डॉक्टर साहब की उम्र ही अब इस कैटिगरी में नहीं आती। वो 50 से ज्यादा की उम्र के हो चुके हैं। इसके लिए आदमी की उम्र 40 से कम तो होनी ही चाहिए।”

“ये सब कुछ डॉक्टर देख लेंगे पीटर।” लक्ष्मण ने कहा, “अगर डॉक्टर साहब चाहे तो मैं उन्हें अपने पहचान के डॉक्टर पास ले जा सकता हूं।”

“नहीं लक्ष्मण। इस उम्र में ये सब करते हुए मुझे अच्छा नहीं लगेगा। मुझे तो सोच कर ही अजीब लग रहा है।” डॉक्टर ओझा ने कहा।

“आप इस बारे में आराम से सोचिए। कोई जल्दबाजी नहीं है। मैं तो ये आपके भले के लिए ही कह रहा हूं।”

डॉ ओझा ने लक्ष्मण की इस बात का कोई जवाब नहीं दिया था। लक्ष्मण को लगा शायद डॉक्टर ओझा उनकी बात पर अमल नहीं करना चाहते।

तभी मलाड रेलवे स्टेशन आते ही रेबेका और डायना ट्रेन में चढ़ी। उन्हें देखकर लक्ष्मण ने पीटर से पूछा, “क्या डायना आजकल तुम्हारे साथ नहीं रह रही है पीटर?”

“वो अपने घर गई है। कुछ दिन में मेरे पास आ जाएगी। मैं उसी का इंतजार कर रहा था। मैं अभी आता हूं।” पीटर इतना कह कर डायना के पास चला गया। 

“हाय डायना, कैसी हो तुम?” पीटर ने मुस्कुराते हुए पूछा, “शादी के बाद भी मुझे तुमसे बॉयफ्रेंड की तरह मिलना पड़ रहा है। घर आने का इरादा है या नहीं?”

“पीटर, ये तुम कैसी बातें कर रहे हो?” डायना ने शर्माते हुए रेबेका की ओर देखकर कहा, “कुछ तो लिहाज करो।”

“किस बात का लिहाज? मैं अपनी वाइफ से बात कर रहा हूं। फिर मैंने ऐसी कौन सी गलत बात कर दी?” पीटर ने पूछा तो डायना कुछ न बोली।

तभी पीटर का ध्यान रेबेका की ओर गया। वो गहरे ख्यालों में डूबी हुई और उदास दिखाई दे रही थी। पीटर ने इशारों ही इशारों में डायना से रेबेका इस उदासी का कारण पूछा तो डायना ने अपने कंधे उछला दिए।

“रेबेका, क्या हुआ? तुम इतनी चुप–चुप क्यों हो?” पीटर ने रेबेका से पूछा, “क्या मेल्विन के न आने से तुम उदास हो?”

“नहीं पीटर, सिर्फ मेल्विन के न आने से नहीं। वो मेरे फोन कॉल और मैसेज का जवाब भी नहीं दे रहा है। क्या तुम्हें मालूम है कि वो आजकल ऑफिस क्यों नहीं जा रहा है? क्या उसके घर पर कोई प्रॉब्लम हुई है?” रेबेका ने परेशान होते हुए पूछा। 

“उसकी मां की तबीयत ठीक नहीं है रेबेका। मेरी मेल्विन से दो दिन पहले बात हुई थी।” पीटर ने बताते हुए कहा, “उसने मुझसे भी लंबी बातचीत नहीं की। बाद में मिलकर सब कुछ बताएगा, ये कहकर फोन कट कर दिया था उसने। उसके बाद मैंने उसे कॉल नहीं किया। तुम घबराती क्यों हो। मेल्विन जब लौट कर आएगा तो सब ठीक हो जाएगा। तुम उसकी चिंता तो मत करो। मैं उसे अच्छी तरह जानता हूं। अपनी मां के आगे उसे कोई नहीं दिखाई देता।”

“ये तो और भी चिंता की बात है पीटर। क्या मां के सामने मेल्विन के लिए मैं भी कुछ नहीं हूं?” रेबेका ने उदास होते हुए पूछा, “मैंने उसके लिए इतने सपने देख रखे हैं। मैं उसके लिए अपने मॉम डैड से भी लड़ गई। और वो है कि मेरे फोन कॉल का भी जवाब नहीं दे रहा है। तुम कहते थे न कि मेल्विन अच्छा इंसान है। ऐसे होते हैं अच्छे इंसान। जब उसे पता चल गया कि मैं भी उससे प्यार करती हूं तो अब उसे मेरी कोई फिक्र ही नहीं रही।”

“ऐसी कोई बात नहीं है रेबेका। तुम गलत सोच रही हो। मेल्विन के एक बार लौट कर आ जाने दो। सब कुछ सही हो जाएगा। मेरी बात का यकीन करो।” पीटर ने रबेका को समझने की कोशिश करते हुए कहा।

“मुझे समझाने की कोशिश मत करो पीटर। मैं सब अच्छी तरह समझ रही हूं। आखिर मेल्विन का मुझे इस तरह इग्नोर करने का क्या मतलब है? अगर उसे मुझसे रिश्ता नहीं रखना तो फिर वो साफ-साफ क्यों नहीं कह देता? या अगर रिश्ता रखना है तो फिर इस तरह इग्नोर करने का क्या मतलब है? मैं समझती थी कि मैं मेल्विन को अच्छी तरह से जानती हूं। लेकिन मैं गलत थी। मेल्विन अब मेरी हर बात को गलत साबित कर रहा है।” 

“तुम इस समय गुस्से में हो रेबेका। इसलिए तुम्हें मालूम नहीं कि तुम क्या–क्या बोले जा रही हो। मेल्विन के बारे में कोई भी धारणा बनाने से पहले उसे एक बार बात जरूर कर लेना। क्या पता वो किस हाल में हो इस वक्त। उसकी परेशानियों से तो हम वाकिफ हैं। क्या तुम्हें नहीं लगता कि मेल्विन को कुछ समय देना चाहिए?” पीटर ने रेबेका से पूछा तो रेबेका चुप हो गई। 

तब डायना ने रबेका से कहा, “पीटर सही कह रहा है रेबेका। तुम्हें परेशान नहीं होना चाहिए। मेल्विन और उसकी मां के अलावा उनके घर में तीसरा कोई नहीं है। पीटर ने मुझे बताया था वो दोनों एक–दूसरे के बेहद करीब है। मेल्विन अपनी मां को गॉड के बराबर मानता है। अगर इस समय उसकी मां को उसकी जरूरत है तो फिर हमें बीच में नहीं आना चाहिए। बाकी उसकी मां की तबीयत जब ठीक हो जाएगी तो वो फिर से तुमसे बातें करने लगेगा। वो तुम्हें मिलने के बाद वजह भी जरूर बताएगा अपनी इस हरकत का।”

“ठीक है, तुम दोनों कहते हो तो मैं मेल्विन का चुपचाप इंतजार करती हूं। लेकिन मैं अपने मॉम–डैड को क्या जवाब दूं पीटर? उन्होंने मेल्विन से मिलने का तय किया है। मैंने ही उन्हें मेल्विन से एक बार फिर मिलने के लिए मनाया है। अगर मेल्विन मेरी बातों का जवाब ही नहीं देगा तो मैं अपने मॉम-डैड से क्या बोलूंगी?”

“उन्हें कुछ दिन के लिए टाल कर रखो। उन्हें कहो कि मेल्विन इस समय अपने काम में बहुत बिजी चल रहा है। एक हफ्ते बाद उनसे कॉन्टैक्ट करेगा।” पीटर ने रबेका को आइडिया देते हुए कहा।

रेबेका को पीटर का ये आईडिया ठीक लगा। वो इस बात पर राजी हो गई। 

उधर मेल्विन के ऑफिस में बवाल मचा हुआ था। ऑफिस में एक शख्स सूट–बूट में सीधे मिस्टर कपूर के केबिन में जाकर घुस गया था। उसके बदन पर वैसे ही कपड़े थे जैसे कपड़े आमतौर पर मिस्टर कपूर पहना करते थे। 

महेश और दूसरे एम्पलाई ने जब ये देखा तो वे हैरान रह गए। उन्हें समझ में नहीं आया कि ये क्या हो रहा है। तब महेश ने आगे बढ़कर उस शख्स से पूछा, “कौन हैं आप? मिस्टर कपूर कहां है?”

“तुम शायद मेल्विन हो, है न? कपूर ने मुझे बताया था कि तुम सवाल बहुत करते हो? आओ मेरे केबिन में, मैं तुम्हें तुम्हारे सारे सवालों के जवाब देता हूं।” उस शख्स को महेश को लेकर ये कंफ्यूजन हुआ कि वो मेल्विन है।

महेश ने उसकी कंफ्यूजन को दूर नहीं किया। वो चुपचाप उसके पीछे-पीछे केबिन में जा पहुंचा। 

“मिस्टर मेल्विन, ये ऑफिस अब मेरा है। ये पूरी कंपनी मैंने खरीद ली है। मेरा नाम रॉबर्ट डिकोस्टा है। ये कंपनी मुझे 500 करोड रुपए में पड़ी है।”

“500 करोड़।” महेश का दिमाग ठनक चुका था। 500 करोड रुपए की बात उसे किसी और ही ख्यालों में ले गई थी। 

“क्या बात है, तुम 500 करोड रुपए की बात सुनकर किस सोच में पड़ गए? इतनी बड़ी रकम कि ये कंपनी होगी इसका अंदाजा नहीं था तुम्हें?” रॉबर्ट ने पूछा।

“नहीं सर, ऐसी बात नहीं है। मुझे हैरानी इस बात की है कि मिस्टर कपूर ने हमें इस बारे में कोई जानकारी क्यों नहीं दी।” महेश ने कहा, “और मैं आपको सच–सच बता दूं, मेरा नाम मेल्विन नहीं, महेश प्रजापति है। मेल्विन आज ऑफिस नहीं आया है।”

“तो तुम महेश हो। मैंने तुम्हारी फाइल भी पढ़ी है। तुम्हारे स्केचेस भी अच्छे होते हैं। तुम मेल्विन के दोस्त हो न?” रॉबर्ट ने महेश से पूछा।

*जी सर, आपने बिल्कुल ठीक पहचाना।” महेश ने कहा, “लेकिन मिस्टर कपूर आखिरी बार ऑफिस में क्यों नहीं आए? हम सब उन्हें अच्छी विदाई देते। वो इस समय कहां है?”

“उन्हें कॉल करके पूछो, वो इस समय कहां है। मतलब मैं ये कैसे जान सकता हूं।” रॉबर्ट ने कहा तो महेश ने अपने जेब से मोबाइल निकाल कर मिस्टर कपूर को कॉल मिलाया। दो-तीन बार पूरी घंटी जाने के बाद भी मिस्टर कपूर ने फोन नहीं उठाया था।

“उन्होंने तो मेरा कॉल ही पिक नहीं किया। महेश ने कहा, “आखिर वो अचानक से कहां गायब हो सकते हैं। पहले कभी उन्होंने इस तरह की हरकत नहीं की। वो ये कंपनी बेच रहे हैं इस तरह के भी हमें कोई जानकारी नहीं थी।”

*अगर तुम्हें इस बात की जानकारी नहीं थी तो क्या मैं झूठ बोल रहा हूं मिस्टर प्रजापति? ये लो कागजात। इसे अच्छे से देख लो। अब ये कंपनी पूरी तरह से मेरी है।” रॉबर्ट ने एक फाइल महेश की ओर बढ़ाते हुए कहा।  

महेश ने वे पेपर्स रॉबर्ट डिकोस्टा के हाथ से लेकर देखा। वे पेपर्स ओरिजिनल था। महेश उसे देखकर दंग रह गया था।

“लेकिन बॉस को ऐसी क्या जरूरत पड़ गई कि उन्होंने कंपनी बेच दी? ये कंपनी कभी उनके बाप और दादा चलते थे। उन्हें इस कंपनी से बहुत लगाव था। मुझे यकीन नहीं हो रहा है कि मिस्टर कपूर ने कंपनी आपको बेच दी है। लेकिन ये पेपर भी ओरिजिनल है। ये कैसे मुमकिन हो सकता है?”

“आज के वक्त में सब कुछ मुमकिन है मिस्टर महेश प्रजापति। अब तुम ही देख लो, मेल्विन फर्नांडीस मिस्टर कपूर का सबसे अच्छा और सबसे बुरा एम्पलाई था। जितना वो मेल्विन की टांग खींचकर पीछे खींचता उतना ही वो उसे मौका देता आगे बढ़ने का। ये बात तो तुम अच्छी तरह से जानते हो।”

“वो मसला अलग था मिस्टर रॉबर्ट। इसकी अपनी वजह थी। मिसअंडरस्टैंडिंग किसके बीच नहीं होती। इन दोनों के बीच भी वैसे ही एक मिस अंडरस्टैंडिंग थी जिसे अब उन दोनों ने काफी हद तक सॉल्व भी कर लिया है। मैं मिस्टर कपूर से जब तक बात नहीं कर लेता तब तक आपको अपना बॉस नहीं मान सकता। वे चाहे जितने बुरे थे लेकिन उन्हें काम करने का तरीका आता था।”

“तो तुम क्या कहना चाहते हो कि मुझे काम करना नहीं आता? अभी–अभी तो मैं इस ऑफिस में दाखिल हुआ हूं मिस्टर महेश। आगे–आगे देखते जाओ, मैं मिस्टर कपूर से कितना बढ़िया काम करके तुम्हें दिखाता हूं।” 

मिस्टर रॉबर्ट ने जब इतना कहा तो महेश ने फिर उसे ऊपर से नीचे तक देखा। 

रॉबर्ट डिकोस्टा एक 34–35 साल का नौजवान आदमी था। उसे देखकर कहीं से भी नहीं लगता था कि वो किसी कंपनी को संभालने के काबिल भी है। एक मैगजीन कंपनी को संभालने लायक तो वो बिल्कुल भी नहीं दिखाई दे रहा था। महेश के सामने वो बच्चा दिखाई दे रहा था। महेश अच्छी तरीके से जानता था कि इस कंपनी को चलाने के लिए कितनी बड़ी जिम्मेदारी को निभाना पड़ता है। 

“तुम यही सोच रहे हो न मिस्टर प्रजापति कि मैं इतना बड़ा ऑफिस चलाने के काबिल हूं भी या नहीं?” मिस्टर रॉबर्ट ने महेश के दिल की बात को समझने हुए पूछा, “तुम्हारा सोचना ठीक है। मुझे देखकर हर कोई यही सोचता है कि मेरी उम्र ही क्या है, जो मैं इतना बड़ा ऑफिस चला सकूं। मैंने लोगों की यही धारणा हर बार बदली है। तुम्हारी भी बदल दूंगा। अगर न बदल सका तो मैं एम्पलाई ही बदल दूंगा। इसकी फिक्र तुम मत करो। मेरे साथ काम करने वाले मेरी इज्जत भी करते हैं और मेरी बात भी मानते हैं। आज से यहां के सारे नियम मेरे अनुसार होंगे। मिस्टर कपूर किस तरह काम करते थे उससे मुझे कोई मतलब नहीं है। और मेल्विन को फोन करके बोलो कि मुझसे ऑफिस के नंबर पर अभी बात करें। आज घर वापस जाने से पहले मैंने एक मीटिंग रखी है। उसमें सबका शामिल होना कंपलसरी है।”

“मेल्विन आज कंपनी में नहीं आ पाएगा मिस्टर रॉबर्ट। उसकी मां बीमार है और वो अपनी मां का ख्याल रख रहा है। मिस्टर कपूर ने उसे 10 दिन की छुट्टी दे रखी है। अब वो आपसे 11वें दिन ही मिलेगा।” महेश ने रॉबर्ट को जानकारी देते हुए कहा। 

“मैंने कहा न मिस्टर महेश कि मेल्विन को कॉल कीजिए और उसे यहां बुलाइए। यहां अब मिस्टर कपूर का नियम नहीं चलेगा। आज से बल्कि अभी से सारे नियम मेरे अनुसार होंगे। अगर मेल्विन आने से इनकार करता है तो उसकी जगह पर नए आर्टिस्ट को ढूंढना शुरू कर दो।”

महेश ने जब रॉबर्ट की ये बात सुनी तो वो उसे घूर कर देखने लगा। उसे समझ में नहीं आ रहा था कि ऑफिस में जो कुछ भी हो रहा है वो सच है या फिर मजाक। उसे ये सब कुछ सपने जैसा लग रहा था। एकाएक ही उसके बॉस बदल जाएंगे, ये किसी ने भी नहीं सोचा था। 

“मिस्टर महेश, क्या आपने सुना नहीं मैंने अभी-अभी आपसे क्या कहा है? या आप चाहते हैं कि मैं मेल्विन को कॉल करके उसे यहां बुलाऊं? अगर मैंने मेल्विन को कॉल किया तो शायद मेल्विन को यहां आने की जरूरत ही नहीं महसूस होगी।”

आखिर मिस्टर कपूर की कंपनी किसी रॉबर्ट के नाम पर कैसे हो गई थी? मिस्टर कपूर इस समय कहां थे? क्या सच में 500 करोड़ का संबंध उस डायरी में मेंशन 500 करोड़ से था जिसकी तलाश मेल्विन कर रहा है? क्या मेल्विन अपनी मां को घर पर छोड़कर ऑफिस में आएगा? जानने के लिए पढिए कहानी का अगला भाग। 

 

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