“इतने स्ट्रिक्ट रूल!” महेश से एक एम्पलाई ने कहा, “ये ऑफिस है या हिटलर का हेडक्वार्टर?”
“ये सब कुछ ज्यादा दिन नहीं चलेगा।” महेश ने अपने ऑफिस के साथियों को समझाते हुए कहा, “एक बार मेल्विन आ जाए तो हम इस सब्जेक्ट पर बॉस के साथ मीटिंग करेंगे। और इस बारे में चर्चा करेंगे कि ऑफिस आगे किस तरह चलेगा? हमें सबसे पहले ये जानना है कि इस समय मिस्टर कपूर कहां है? उनकी जिम्मेदारी थी हमारे प्रति।”
“क्या मेल्विन आज आ रहा है?” एक दूसरे एम्पलाई ने महेश से पूछा, “वो तो छुट्टी पर है ना?”
“मैंने उसे कॉन्टैक्ट करने की कोशिश की थी लेकिन उसने कोई जवाब नहीं दिया। मैंने उसे मैसेज छोड़ दिया है।” महेश ने बताया, “बॉस को मैंने कह दिया है कि मेल्विन आ रहा है। अगर वो आज नहीं आएगा तो फिर यहां शामत आ जाएगी। मैं उसे एक बार फिर ट्राई करता हूं।”
महेश ने वही सबके सामने मेल्विन को एक बार फिर कॉल लगाया। पूरी घंटी बजी लेकिन सामने से मेल्विन ने कॉल नहीं उठाया।
मेल्विन का फोन उसके हाथ में ही था। महेश को कॉल देखकर भी उसने इग्नोर कर दिया था।
“महेश के सात मिस कॉल।” मेल्विन ने आश्चर्य से कहा, “ऐसी क्या बात हो गई जो महेश को इतनी बार कॉल करनी पड़ी।”
तभी मेल्विन का ध्यान मोबाइल पर आए मैसेज की ओर गया।
“इट्स अर्जेंट। कॉल मी बैक मेल्विन।” महेश ने ये लिखकर मेल्विन को एसएमएस किया था।
मेल्विन ने एसएमएस पढ़ते ही महेश को तुरंत कॉल बैक किया।
पहली घंटी बजते ही महेश ने दूसरी तरफ से कॉल पिक कर लिया, “मेल्विन, कहां हो तुम? तुम मेरे कॉल का जवाब ही नहीं दे रहे हो। सब ठीक तो है?”
“यहां सब ठीक है महेश। लेकिन तुम मुझे कॉल क्यों कर रहे हो? ऑफिस में सब ठीक-ठाक चल रहा है ना?”
“यहां कुछ भी ठीक नहीं चल रहा है मेल्विन। इस बार तो इतना बड़ा बवाल हुआ है कि मुझे भी नहीं समझ में आ रहा है कि ये सब क्या हो रहा है। इस बार आफत ऑफिस के सभी लोगों पर एक साथ आई है।” महेश ने बताया।
“ऐसी क्या बात हो गई महेश?” मेल्विन ने पूछा, “मिस्टर कपूर ने फिर कोई फिजूल का डिसीजन ले लिया है क्या?”
“वो यहां हो तो तब तो कोई फिजूल डिसीजन लेंगे। मिस्टर कपूर ऑफिस छोड़कर जा चुके हैं मेल्विन। यहां कोई रॉबर्ट डीकोस्टा आया हुआ है। उसका कहना है कि मिस्टर कपूर ने ये कंपनी उसे 500 करोड रुपए में बेच दी है।” महेश ने मेल्विन को बताते हुए कहा।
“क्या बकवास है ये? 500 करोड़ की तो वो ऑफिस है भी नहीं। ज्यादा से ज्यादा वो ऑफिस 25 करो रुपए का होगा। ये 500 करोड़ रुपए का क्या चक्कर है महेश?”
*यही चक्कर तो समझ में नहीं आ रहा है मेल्विन। ऊपर से इस रॉबर्ट ने आते ही एक आदेश दनदना दिया है।” महेश ने अब मुद्दे पर आते हुए कहा।
“कैसा आदेश?” मेल्विन ने पूछा।
“उसने आज शाम को मीटिंग रखी है। वो चाहता है कि मीटिंग में सभी एम्पलाई शामिल हो। तुम भी।” महेश ने मेल्विन को बताया।
“मीटिंग! कैसी मीटिंग?” मेल्विन ने पूछा।
“ये हिटलर हमें कंपनी के नए नियम बताना चाहता है। इसलिए उसने मीटिंग बुलाई है। उसने साफ-साफ कहा है कि अगर तुम आज की मीटिंग में शामिल नहीं होंगे तो हम दूसरा आर्टिस्ट ढूंढकर उसे दे।”
“ये तो सचमुच कोई हिटलर ही जान पड़ता है। मां की तबीयत ठीक नहीं है महेश। मैं भला इस समय ऑफिस कैसे आ सकता हूं क्या तुम मेरी बात मिस्टर रॉबर्ट से अभी करा सकते हो?”
“तुम उससे क्या बात करोगे मेल्विन? वो मुझे उल्टी खोपड़ी का जान पड़ता है। मेरी मानो तो आज किसी तरह ऑफिस आ जाओ। जो बातें आमने-सामने हो सकती हैं, वो फोन पर नहीं हो सकती।” महेश ने मेल्विन को समझाते हुए कहा।
“मां को इस तरह घर पर छोड़कर मैं कैसे आ सकता हूं महेश?” मेल्विन ने परेशान होते हुए पूछा, “मैं इस समय 10 दिन की छुट्टी पर हूं। मेरे पीछे मां की देखभाल करने वाला यहां कोई नहीं होगा। ऐसे में मां को मेरी जरूरत हुई तुम्हें क्या करूंगा?”
“मेल्विन, आई एम सॉरी लेकिन मैं इसमें तुम्हारी कोई मदद नहीं कर पाऊंगा। मैंने तुम्हें बस वही कहा है जो ये नया बॉस चाहता है। अब ये तुम्हें सॉर्ट आउट करना होगा कि तुम अपनी मां को किसके हवाले करके आज ऑफिस आ रहे हो। बॉस ने सीधे ऑफिस से निकाल देने की धमकी दी है तो फिर तुम्हें इस बात को सीरियसली लेना चाहिए। या तो फिर ये मान लेना चाहिए कि तुम्हें इस जॉब के जाने से कोई प्रॉब्लम नहीं होगी।”
महेश ने जब इतना कहा तब मेल्विन को बात समझ में आई।
“तुम्हें सॉरी कहने की जरूरत नहीं है महेश। बल्कि मैं तुमसे सॉरी कहता हूं। भला तुम इसमें क्या कर सकते हो।” मेल्विन ने महेश से माफी मांगने हुए कहा, “मैं देखता हूं कि मैं यहां से कैसे निकल सकता हूं। बॉस से कहना कि मैं आ रहा हूं।”
“मैं उन्हें ये बात आधे घंटे पहले ही बोल चुका हूं।” महेश ने मुस्कुराते हुए कहा, “मेरे पास दूसरा कोई रास्ता नहीं था मेल्विन। तुम जितनी जल्दी हो सके ऑफिस के लिए निकल जाओ।”
“ठीक है महेश। थैंक यू सो मच।” इतना कहकर मेल्विन ने फोन कट कर दिया था।
उसके सामने बहुत बड़ा धर्म संकट आ चुका था। या तो उसे अपनी मां के लिए घर पर रुकना था या फिर अपनी जॉब बचाने के लिए ऑफिस जाना था। मेल्विन ये तय नहीं कर पा रहा था कि वो इन दोनों में से किस चीज को चुने।
उधर लक्ष्मण अपने केबिन में बैठा गहरे ख्यालों में डूबा हुआ था। उसकी शादी को अब 3 हफ्ते गुजरने वाले थे। उसने शादी के लिए सिर्फ एक दिन की छुट्टी ली थी। ऐसे में उसके दिमाग में कई तरह के ख्याल एक साथ आ रहे थे।
सामने कैशियर वाले केबिन में बैठे रामस्वरूप जी का ध्यान जब अपने बेटे की ओर गया तो वो उठकर उसके पास आ गए।
“किन ख्यालों में डूबे हुए हो लक्ष्मण?” राम स्वरूप जी अपने हाथ में दो चाय लेकर आए थे जिसमें से एक लक्ष्मण की ओर बढ़ते हुए वो सामने की कुर्सी पर बैठ गए, “काफी स्ट्रेस में दिखाई दे रहे हो।”
“नहीं पिताजी, मैं स्ट्रेस में नहीं हूं।” लक्ष्मण ने अपने ख्यालों से बाहर आते हुए राम स्वरूप जी से कहा, “एक्चुअली मेरे दिमाग में कुछ चल रहा था। उसी बारे में सोचते हुए मैं काफी डूब गया था।”
“ऐसा क्या सोच रहे थे तुम लक्ष्मण?” रामस्वरूप जी ने पूछा।
“मैं कुछ दिन की छुट्टी लेने की सोच रहा हूं पिताजी। मेल्विन अपनी मां का ख्याल रखने के लिए 10 दिन की छुट्टी लेकर घर पर बैठा है। हमें भी इस तरह हर 6 महीने या एक साल में छुट्टी ले लेनी चाहिए। काम से ब्रेक लेकर फिर शुरुआत करने से एनर्जी भी बनी रहती है और काम भी बढ़िया होता है। शादी के लिए मैंने सिर्फ एक दिन की छुट्टी ली थी। अब सोचता हूं कि कुछ दिन की छुट्टी लेकर विशाखा के साथ कहीं घूमने चला जाऊं।”
“मतलब तुम हनीमून पर जाने की बात कर रहे हो?” रामस्वरूप जी ने मुस्कुराते हुए पूछा तो लक्ष्मण की आंखों में शर्म दिखाई देने लगा, “इसमें इतना शर्माने की क्या बात है?”
“मैं सोच रहा था कि अगर मैं घूमने जाऊं तो कहां जाऊं?” लक्ष्मण ने चाय की एक घूंट लेते हुए अपने पिता से पूछा।
“मैं तुम्हारी मां को पहली बार ताजमहल ले गया था। तुम आगरा जाकर क्यों नहीं घूमते।” रामस्वरूप जी ने अपने बेटे को सजेशन देते हुए कहा।
“आगरा।” लक्ष्मण ने सोचते हुए कहा, “अच्छा आईडिया है। मैं एक बार विशाखा से पूछ कर देखता हूं।”
“चलो, अब स्ट्रेस लेना छोड़ो और आगरा जाने की प्लानिंग करो।” रामस्वरूप जी ने चाय की आखिरी चुस्की लेते हुए कहा।
“थैंक यू पिताजी।” लक्ष्मण ने अपने पिता का शुक्रिया अदा करते हुए कहा, “आपने मेरी इतनी बड़ी प्रॉब्लम का झट से सॉल्यूशन कर दिया।”
रामस्वरूप जी वहां से वापस अपने चेयर पर लौट आए। तब लक्ष्मण ने अपनी वाइफ विशाखा को कॉल किया।
“मैंने कुछ प्लान किया है।” लक्ष्मण ने सस्पेंस बनाते हुए विशाखा से कहा।
“कैसा प्लान?” विशाखा ने पूछा।
*सोच रहा हूं तुम्हें लेकर कहीं घूमने जाऊं। आपके इस बारे में क्या इरादा है?” लक्ष्मण ने विशाखा से पूछा।
“घूमने।” विशाखा ने हंसते हुए कहा, “आपका क्या दिमाग खराब हो गया है। घर पर इतना काम पड़ा हुआ है और आप मुझे घुमाने ले जाने की बात कर रहे हैं।”
*घर का काम तो होता रहेगा विशाखा। घूमने का दिन बार-बार थोड़ी आता है। न मुझे साल में इतना मौका मिलता है कि मैं कहीं घूमने के लिए निकाल पाऊं। इस बार मैंने बहुत सोच समझ कर प्लान बनाया है। अब सब कुछ तुम्हारे ऊपर डिपेंड करता है कि तुम मेरे साथ चलने को तैयार हो या नहीं? लक्ष्मण ने कहा फिर विशाखा को छेड़ते हुए बोला, “अगर तुम नहीं आओगी तो मैं किसी और के साथ चला जाऊंगा।”
“अच्छा, जाकर दो देखो। वापस आने की नौबत नहीं आएगी।” विशाखा ने बनावटी गुस्सा दिखाते हुए कहा।
“अच्छा ऐसी बात है। लेकिन इसमें इतना गुस्सा होने वाली कौन सी बात है। मैं तो अपने एक मेल फ्रेंड के साथ जाने की बात कह रहा था।” लक्ष्मण ने हंसते हुए कहा।
“चलिए, अब बेवकूफ बनाने के लिए रहने दीजिए। मैं ही मिली थी आज आपको बेवकूफ बनाने के लिए।” विशाखा ने कहा।
“नहीं, मैं सच कह रहा हूं। मैं अपने एक दोस्त पीटर के साथ जाने की बात कर रहा हूं।” लक्ष्मण ने कहा।
“तो फिर जाइए, इसमें मुझसे पूछने की क्या जरूरत है।” विशाखा ने कहा।
“अच्छा, अब ये मजाक छोड़ो और सीरियसली बताओ कि क्या मैं आगरा जाने की टिकट बुक कराऊं?” लक्ष्मण ने अंत में विशाखा से पूछा।
“ठीक है कर लीजिए, लेकिन हम आगरा जाएंगे कब?” विशाखा ने पूछा।
“इस महीने पूरे दिन काम कर लेता हूं। फिर अगले महीने की पहली या दूसरी तारीख को मैं टिकट बनवा लेता हूं।” लक्ष्मण ने कहा, “उस दरमियान घर का काम ज्यादा तो नहीं होगा न?”
“काम तो हमेशा रहता है लक्ष्मण बाबू। सब कुछ आपकी मां पर छोड़कर हमें जाना होगा। क्या आपको ये मंजूर है?” विशाखा ने हंसते हुए लक्ष्मण से पूछा।
“अब ये तो मां से पूछना होगा न विशाखा। फिलहाल मैं टिकट बना देता हूं। घर पर आकर मां से पूछ लूंगा।” लक्ष्मण ने इतना कहा तो विशाखा हंसने लगी।
“अच्छा ठीक है, अब फोन रखिए। बहुत मजाक हो गया।” विशाखा ने इतना कहकर फोन कट कर दिया।
फोन कट होने के बाद लक्ष्मण के दिमाग में एक ख्याल आया। वो अपने आप से बातें करते हुए बोला, “क्या मुझे सच में अपने एक मेल फ्रेंड को साथ में लेकर चलना चाहिए? जैसे पीटर और डायना?”
लक्ष्मण के दिमाग में जैसे ही ये ख्याल आया उसके चेहरे पर खुशी झलक आई थी।
“हम दोनों ने एक ही दिन शादी की थी। अगर अब हम दोनों एक ही दिन एक ही जगह हनीमून सेलिब्रेट करें तो कितना अच्छा होगा। शायद इससे पीटर की कुछ शिकायत भी दूर हो जाए। उसे अक्सर मुझसे शिकायत रहती है न। मैं उसे सामने से इस बात के लिए प्रपोजल देता हूं। साथ में उसकी और डायना की टिकट भी बना देता हूं। एक बार टिकट बन जाएगा तो फिर वो टिकट कैंसिल करने की बात नहीं करेगा।”
लक्ष्मण की दिमाग में ये ख्याल आते ही उसने डिसाइड कर लिया था कि वो अपने हनीमून पर एक और कपल को लेकर जाएगा। और वो कपल कोई और नहीं बल्कि पीटर और डायना होंगे।
उसने अपने टेबल की घंटी बजाकर एक आदमी को बुलाया। एक 25 साल लड़का उसके केबिन में आकर खड़ा हो गया।
“राहुल, तुम्हें 2 तारीख को आगरा जाने का टिकट बुक करना है। ट्रेन टिकट बुक करना, प्लेन का नहीं। हम चार लोग होंगे। चारों पैसेंजर के नाम और उम्र मेंशन है इस पेपर पर।” लक्ष्मण ने उसे एक कागज का टुकड़ा थमाते हुए कहा। वो लक्ष्मण के हाथ से पेपर लेकर वापस चला गया।
तब लक्ष्मण ने पीटर को कॉल लगाया।
लक्ष्मण का कॉल अपने फोन पर देखकर पीटर सोच में पड़ गया।
“आखिर इसने मुझे क्यों कॉल किया है?” पीटर अपने आप से बातें करते हुए बोला, “इसे मुझसे क्या काम पड़ गया?”
इससे पहले कि फोन की घंटी बजते–बजते कट जाती पीटर ने कॉल रिसीव कर लिया।
“हेलो पीटर!” लक्ष्मण ने पीटर के कॉल उठाते ही कहा।
“हां, पीटर बोल रहा हूं। मुझे कॉल करोगे तो मैं ही बोलूंगा न।” पीटर ने कहा।
“मैंने तुम्हारे लिए सरप्राइस प्लान किया है।” लक्ष्मण ने कहा।
“कैसा सरप्राइस प्लान?” पीटर ने तुरंत पूछा।
“मैंने अपनी बीवी और तुम और तुम्हारी बीवी का टिकट आगरा जाने के लिए बना दिया है। हम चारों आगरा हनीमून पर जा रहे हैं।” लक्ष्मण ने कहा।
“अच्छा, किससे पूछकर तुमने हम दोनों का टिकट कराया? मैंने तो तुमसे ऐसा कुछ भी नहीं कहा था।” पीटर बोला।
“नहीं, तुमने मुझे ऐसा कुछ नहीं कहा था पीटर। ये प्लान मैंने ही बनाया है। हम दोनों एक ही दिन शादी कर सकते हैं तो क्या एक ही दिन एक ही जगह हनीमून सेलिब्रेट नहीं कर सकते हैं। ये मेरी तरफ से तुम्हें सरप्राइज है पीटर। उम्मीद है तुम मना नहीं करोगे।”
क्या पीटर लक्ष्मण की बात मानकर उसके साथ हनीमून पर जाएगा? क्या उन दोनों के बीच जो बहस-बाजी होती है वो खत्म हो जाएगी? क्या मेल्विन अपनी मां को घर पर अकेले छोड़कर ऑफिस जाएगा? आखिर रॉबर्ट इस कंपनी को किस तरह संभालने वाला है? जानने के लिए पढिए कहानी का अगला भाग।
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