“तो तुम हो मेल्विन फर्नांडीज।” मिस्टर रॉबर्ट ने मेल्विन से मुखातिब होते हुए कहा, “जैसा सुना था, बिल्कुल वैसी ही शख्सियत है तुम्हारी।”

“मेरे बारे में आपने किससे सुन लिया सर?” मेल्विन ने पूछा, “क्या मिस्टर कपूर ने आपको मेरे बारे में बताया है?”

“हा हा… मेल्विन, तुम चाहे जितने स्मार्ट हो लेकिन मुझसे ज्यादा स्मार्ट नहीं हो सकते।” मिस्टर रॉबर्ट ने कहा, “अगर तुम समझते हो कि तुम्हारे इस तरह के बात करने से मैं मिस्टर कपूर के बारे में तुम्हें कुछ बता पाऊंगा तो ये तुम्हारी भूल है। सच तो ये है कि मैं भी नहीं जानता कि इस समय मिस्टर कपूर कहां और किस हालत में है।”

“मैं भी आपसे एक बात खुलकर कह देना चाहूंगा सर। मेरी मां घर पर बीमार है। उन्हें इस समय मेरी सख्त जरूरत है। लेकिन क्योंकि आप इस समय मेरे बॉस की पोजीशन पर है इसलिए मैंने आपकी बात मानते हुए यहां आने का डिसीजन लिया। मैं यहां सिर्फ एक मैसेज अपने दिल में लेकर आया हूं सर। मिस्टर कपूर का पता जानने के लिए मैं यहां हूं।”

“आई एम सॉरी मिस्टर मेल्विन, लेकिन आपको निराशा होगी। अगर मुझे पता होता कि मिस्टर कपूर इस समय कहां है तो मैं आपकी मदद जरूर करता।” मिस्टर रॉबर्ट ने साफ शब्दों में मेल्विन से कहा, “इसलिए बेहतर यही होगा कि हम यहां सिर्फ काम की बात करें।”

“ये तो अपने-अपने प्रायोरिटी की बात है सर। मेरी प्रायोरिटी ये है कि मैं मिस्टर कपूर के बारे में जान सकूं। ये जान सकूं कि उन्होंने ये कंपनी क्यों बची? और आपको क्यों बेची, ये भी मैं जानना चाहता हूं।” मेल्विन ने भी अपने इरादे जाहिर करते हुए कहा। वहां केबिन में सभी एंप्लॉय मौजूद थे। मेल्विन और मिस्टर रॉबर्ट की बातें सुन रहे थे।

“ये मीटिंग मैंने बुलाई है मेल्विन। मैं तुम्हारा बॉस हूं। अभी–अभी तुमने कहा कि मैं तुम्हारे बॉस की पोजीशन पर हूं इसलिए तुम अपनी बीमार मां को घर पर छोड़कर यहां आए। क्या तुम ये मीटिंग नहीं होने दोगे?” मिस्टर रॉबर्ट ने पूछा, “अगर तुम मुझे मिस्टर कपूर के बारे में यहां जानने आए हो तो तुम्हारा इस मीटिंग में कोई काम नहीं है।”

“सबसे पहले मैं आपको ये बता दूं कि मुझे न तो आपके इन पेपर्स पर यकीन है और न आप पर। मैं इस कंपनी में पिछले 17 साल से काम कर रहा हूं और ये कंपनी कम से कम 40 साल पुरानी है। मिस्टर कपूर को मैं 17 साल से जानता हूं। इतना वक्त काफी होता है किसी शख्स के बारे में जानने के लिए। मिस्टर कपूर से मिले बिना मैं आपसे कोई भी ऑफिशियल मीटिंग नहीं करूंगा। बेहतर ये है कि आप मुझे उनके बारे में बताएं या फिर मैं खुद पता करूं कि वो इस समय कहां है।”

मेल्विन की बातें सुनकर मिस्टर रॉबर्ट के चेहरे पर मुस्कान आ गई थी। वो गुस्सा नहीं हुआ था बल्कि सोच रहा था कि मेल्विन कितने मजबूत दिल वाला इंसान है। वो सही बातें कर रहा था लेकिन मिस्टर रॉबर्ट के लिए उसकी बातें खतरनाक थी। 

“तुम मेरा वक्त जाया कर रहे हो मेल्विन। और साथ में अपना भी।” मिस्टर रॉबर्ट ने कहा, “तुम ये मीटिंग नहीं करोगे। कोई बात नहीं। तुम्हें तुम्हारा टर्मिनेशन लेटर मिल जाएगा। और याद रहे इस बार टर्मिनेशन लेटर वापस नहीं लिया जाएगा। मुझे मालूम है तुम्हारा टर्मिनेशन लेटर मिस्टर कपूर ने अपने हाथों से कभी टाइप किया था। लेकिन उसे बाद में उन्होंने कैंसिल कर दिया। लेकिन मैं मिस्टर कपूर नहीं हूं। टर्मिनेशन लेटर कैंसिल नहीं होगा इस बार। अब तुम यहां से जा सकते हो।”

*बेशक मैं यहां से जा सकता हूं। लेकिन मैं अकेली नहीं जाऊंगा मिस्टर रॉबर्ट।” मेल्विन ने कहा, “मैंने यहां आने से पहले एडवोकेट श्रीवास्तव को कॉल कर दिया था। वो अभी यहां आते ही होंगे। एक अपने तरीके से पता लगा लेंगे कि इस समय मिस्टर कपूर कहां है।”

मेल्विन के इतना कहते ही केबिन में सन्नाटा छा गया था।

उधर दूसरी तरफ घर पहुंचते ही पीटर ने डायना को कॉल किया।

“हाय डायना, कैसी हो?” पीटर ने पूछा।

“मैं ठीक हूं, पीटर। तुम कैसे हो?” 

“मैं भी ठीक हूं। तुम्हें एक अच्छी खबर बतानी है। मैंने अपने लोकल ट्रेन कंपेनियन लक्ष्मण से बात की थी।”

“हां, बताओ क्या खबर है?” डायना ने पूछा। 

“लक्ष्मण ने एक प्लान बनाया है। वो अपनी वाइफ विशाखा और हमें साथ लेकर हनीमून के लिए आगरा जाना चाहता है।”

“वाह, ये तो बहुत अच्छी बात है! आगरा में ताजमहल देखना तो एक सपना ही होगा।”

“हां, बिल्कुल! लक्ष्मण ने ट्रेन की टिकट भी बुक करा ली है। वो हमें अपने साथ चलने के लिए कह रहा है।”

“ये तो बहुत अच्छा है! लेकिन हमें अपने शेड्यूल को देखना होगा। हमारे पास कितना वक्त है?” 

“लक्ष्मण ने बताया है कि वो अगले महीने की 2 तारीख को जाना चाहता है। उसने होटल भी बुक करा लिया है।”

“ठीक है, ये तो बहुत अच्छा प्लान है। मुझे आगरा जाना बहुत पसंद आएगा। लेकिन हमें अपने बजट को भी देखना होगा।”

“लक्ष्मण ने बताया है कि वो हमें अपने साथ ले जाने के लिए तैयार है, और खर्च को हम आपस में बांट लेंगे। बाकी खर्च का ऐसा है कि मैं लक्ष्मण का खर्च भी उठा लूं।” पीटर ने मुस्कुराते हुए कहा। 

“ओहो, क्या बात है! मुझे लगता है कि हमें इस प्लान को जरूर डेस्टिनेशन तक पहुंचाना चाहिए। आगरा जाना और ताजमहल देखना एक यादगार अनुभव होगा।”

“हां, बिल्कुल! मैं भी यही सोचता हूं। मैं लक्ष्मण को बता दूंगा कि हम तैयार हैं।”

“हां, बता दो! मैं भी उत्साहित हूं। आगरा जाने के लिए मैं भला कौन मना कर सकता है।”

“ठीक है, तुम बाकी तैयारियां कर लो। घर कब लौटकर आ रही हो, ये भी मुझे कल तक बता दो।” पीटर ने कहा।

“ठीक है। मॉम–डैड भी मुझे जल्द ही भेजने के लिए सोच रहे हैं। बेसब्र न हो पीटर।” डायना ने मुस्कुराते हुए कहा। 

“सब्र तो मैंने बहुत कर लिया है डायना। अब सब्र का फल पाने का टाइम आ गया है। जल्दी से लौट आओ इससे पहले कि मैं तुम्हें लेने के लिए तुम्हारे घर आ जाऊं।”

“इसकी जरूरत नहीं पड़ेगी। तुम भी छुट्टी ले लो। कहीं बाद में ऐसा न हो कि छुट्टी के लिए अटक जाओ।”

“ओह, डायना! मुझे एक बार तुम्हें अपने काम की जगह पर लाना होगा। तब तुम समझोगी कि यहां छुट्टी लेना काम करने से ज्यादा आसान है।”

“अच्छा जी। ये बात है।” डायना ने मुस्कुराते हुए कहा, “वैसे लक्ष्मण का क्या प्लान है इस ट्रिप को लेकर?”

“उसने तो ज्यादा कुछ नहीं बताया है लेकिन हम ताजमहल, आगरा किला, और फतेहपुर सिकरी जाएंगे। और भी कई जगहें हैं जो हम वहां देखेंगे।”

“वाह, तब तो बहुत मजा आएगा! मैं ताजमहल देखना बहुत चाहती हूं। और आगरा का खाना भी बहुत प्रसिद्ध है। हम वो भी खायेंगे।”

“हां, बिल्कुल! वहां जाकर हम आगरा के प्रसिद्ध पेठे और अन्य व्यंजनों का स्वाद लेंगे।”

“ये तो बहुत अच्छा है! मैं आगरा के खाने का स्वाद लेने के लिए बहुत एक्साइटेड हूं।”

“हां, बिल्कुल! मैं भी यही सोचता हूं। हमारा ये ट्रिप बहुत यादगार होगा। और हम लक्ष्मण और विशाखा के साथ बहुत अच्छा समय बिताएंगे।”

“हां, बिल्कुल! मैं भी यही सोचती हूं। ठीक है।

“ठीक है, मैं लक्ष्मण को कॉल करता हूं और बताता हूं कि हम तैयार हैं। 

फोन कट करने के बाद पीटर ने लक्ष्मण को कॉल किया।

“हेलो पीटर, क्या तुम तैयार हो?” लक्ष्मण ने कॉल उठाते ही पीटर से पूछा। 

“हां, हम तैयार हैं। डायना भी बहुत एक्साइटेड है।” पीटर ने बताया। 

“बहुत अच्छा! मैं भी बहुत एक्साइटेड हूं। विशाखा भी तैयार है।”

“ठीक है, तो हम कब निकल रहे हैं?” पीटर ने पूछा। 

“हमने 3 दिन के लिए प्लान किया है। हम अगले महीने की 2 तारीख को सुबह निकलेंगे। मैंने टिकट तुम्हें व्हाट्सएप किया है।”

“ठीक है, हम तैयार हैं। तुमने होटल और दूसरी चीजें बुक कर ली हैं?

“हां, मैंने होटल बुक करा लिया है। और हमने खाने इंतजाम कर लिया है।”

उधर दूसरी तरफ मेल्विन के ऑफिस में एडवोकेट श्रीवास्तव की एंट्री हुई।

एडवोकेट श्रीवास्तव वही शख्स जो मिस्टर कपूर के कानून रूप से हर बार मदद करता था।

उसने आते ही मिस्टर रॉबर्ट से पूछा, “तो आपका कहना है कि मिस्टर कपूर ने ये कंपनी आपको बेच दी है? जिसका हवाला देते हुए आपने हमें ये पेपर दिखाएं हैं। इस पेपर को वेरीफाई करने में कुछ दिन लग जाएंगे। लेकिन उससे पहले आपको ये कंपनी चलाने की इजाजत कैसे दी जाए मिस्टर रॉबर्ट? और जिस किसी ने भी आपको ये कंपनी बेची है उसने तो अपने वकील यानी कि मुझसे बात नहीं की और न ही उसने इस बात को ऑफिशियली अनाउंस किया है। आखिर किस सबूत के आधार पर हम आपकी बात को सच माने?”

“मुझे इससे कोई मतलब नहीं क्या आप मेरी बात पर मानते हैं या नहीं। मिस्टर कपूर इस समय कहां है, इसकी जानकारी भी मुझे नहीं है। और अगर मुझे ये बात नहीं मालूम कि मिस्टर कपूर इस समय कहां है तो इससे ये साबित नहीं होता कि ये कंपनी अब मेरी नहीं है। ये कागज आपके हाथ में है। इसे जब तक चाहे आप वेरीफाई करा ले।” मिस्टर रॉबर्ट ने साफ शब्दों में कहा।

“कानून के दाव–पेंच इस तरह नहीं चलते मिस्टर रोबोट। चलिए ये बताइए कि जब मिस्टर कपूर ने आपको ये कंपनी बेची तो इसे बेचने के पीछे उन्होंने क्या रीजन बताया?” एडवोकेट श्रीवास्तव ने पूछा।

“अब आप मुझे बेकार में इंटेरोगेट कर रहे हैं वकील साहब। ये आपका कोर्टरूम नहीं बल्कि मेरा ऑफिस है। बेहतर यही रहेगा कि आप केस फाइल करें और मुझे कोर्ट में मिले।”

“ये सरकारी पेपर है मिस्टर रॉबर्ट। जब तक मिस्टर कपूर का पता नहीं चलता तब तक ये कंपनी बिना बॉस के चलेगी। लेकिन इस कुर्सी पर आपको बैठने का कोई अधिकार नहीं है। ये रहे मेरे कागज जो बिल्कुल वेरीफाईड हैं।”

एडवोकेट श्रीवास्तव में मिस्टर रॉबर्ट को कोर्ट के पेपर दिखाते हुए कहा।

मिस्टर रॉबर्ट ने वो पेपर गौर से देखा। वे एक पक्का कानूनी पेपर था जिसे नकारना उसके बस की बात नहीं था।

“मुझे यकीन है कि अब आप मेरी बात समझ चुके होंगे।” एडवोकेट श्रीवास्तव ने कहा, “अब आप इस ऑफिस को तब तक छोड़ कर जा सकते हैं जब तक कि कोर्ट आपको ये ऑफिस हैंडोवर नहीं करता।”

मिस्टर रॉबर्ट के पास अब दूसरा कोई रास्ता नहीं था। उसने पेपर की कॉपी निकाली और ओरिजिनल एडवोकेट श्रीवास्तव को देकर वहां से बाहर जाने लगा। जाने से पहले उसने एक बार मेल्विन और महेश की तरफ देखा। उसके चेहरे पर मुस्कुराहट थी। 

वो जाते-जाते बोला, “मैं बहुत जल्द आपसे फिर मिलूंगा। इसी ऑफिस और इसी केबिन के अंदर। मैं इस समय यहां से जा रहा हूं तो ये मत सोचना कि मैं हार चुका हूं। मैं हारने के लिए यहां नहीं आया था।” इतना कह कर मिस्टर रॉबर्ट वहां से चला गया।

मेल्विन जब घर के लिए लौट रहा था तब उसे रेबेका कॉल एक बार फिर आया। देर तक घंटी बजती रही लेकिन मेल्विन की हिम्मत नहीं हुई कि वो रेबेका के फोन कॉल पिक करे।

इससे पहले कि घंटी बज कर फोन बंद हो जाता मेल्विन ने कॉल रिसीव कर लिया। 

“मेल्विन, कहां हो तुम? मैं तुम्हें कब से फोन ट्राई कर रही हूं लेकिन तुम मेरे फोन का जवाब क्यों नहीं दे रहे हो? ये किस तरह का बिहेवियर है मेल्विन?”

मेल्विन रेबेका की बात सुनकर शांत हो चुका था। कुछ देर चुप्पी के बाद उसने रेबेका से कहा, “रेबेका, मां बहुत बीमार है। उन्हें बीमार देखकर मेरे दिमाग ने काम करना बंद कर दिया है। मुझे इस समय कुछ भी समझ में नहीं आ रहा है कि मैं क्या करूं। मुझे तो ऐसा लगता है जैसे मैं पागल हो जाऊंगा।” 

“अगर मां बीमार है तो तुम्हें सबसे पहले मुझे इस बारे में बताना चाहिए था।” रेबेका ने शिकायत करते हुए मेल्विन से कहा, “मेरा कॉल रिसीव न करने का क्या मतलब है? इससे क्या तुम्हारी प्रॉब्लम का सॉल्यूशन हो जाएगा? या तुम हमारे रिश्ते को बेकार में खराब करना चाहते हो? क्या तुम इस रिश्ते को खत्म करने के बारे में सोच रहे हो मेल्विन?”

“नहीं रेबेका, ऐसी बात नहीं है।” मेल्विन ने रेबेका को समझाते हुए कहा, “मैं परेशान हूं इसलिए किसी का भी कॉल नहीं ले रहा था। मैंने अपने दोस्तों से भी काफी समय से बात नहीं की है। तुम मुझे समझने की कोशिश करो रेबेका। मेरी परेशानी को समझने की कोशिश करो। तुम जानती हो, मैं अपनी मां के कितने करीब हूं।”

“मैं अच्छी तरीके से जानती हूं कि तुम अपनी मां के कितने करीब हो मेल्विन। लेकिन क्या तुम मेरे बिल्कुल भी करीब नहीं हो। मैं तुम्हारी जिंदगी में बिल्कुल भी मायने नहीं रखती हूं। आखिर मैं तुम्हारी जिंदगी में कहां खड़ी हूं मेल्विन। क्या इज्जत है मेरी तुम्हारी जिंदगी में? क्या तुम मुझे आज ये बताने की तकलीफ उठाओगे? मैं तुम्हारी जिंदगी में अपनी अहमियत जानना चाहती हूं मेल्विन।”

रेबेका बुरी तरह भड़की हुई थी। 

क्या रेबेका और मेल्विन के बीच का टेंशन खत्म होगा? मिस्टर कपूर ने क्या सचमुच अपनी कंपनी बेच दी है? मिस्टर रॉबर्ट कौन है? क्या मेल्विन की मां रेबेका को स्वीकार कर पाएगी? जानने के लिए पढिए कहानी का अगला भाग। 

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