“मुझसे गलती हो गई मॉम एंड डैड!” रेबेका ने शर्मिंदा होते हुए कहा, “मेरे कहने का वो मतलब नहीं था।”
रेबेका की आंखों से आंसू आने लगे थे।
“हमने तुम्हें इतना प्यार दिया! तुम्हें हर एक चीज की छूट दी। तुम्हें अपने पैरों पर मजबूती से खड़ा होने में हमने मदद की। एक माता–पिता जो कर सकते हैं वो हमने तुम्हारे लिए किया रेबेका, और तुम अपने दिल में ऐसी बात लेकर रखती हो। हमारी परवरिश इतनी कमजोर हो गई।” रेबेका की मां ने अब गुस्से की बजाय शिकायत करते हुए कहां
“मॉम, आई एम सॉरी! मुझे बताइए मैं अपनी इस गलती के पश्चाताप के लिए क्या करूं जिससे आप मुझे माफ कर सकें?”
“कुछ नहीं। बस ये समझ लो कि तुम्हारी शादी का फैसला तुम अकेली नहीं करोगी।”
रेबेका ने फिर कुछ नहीं कहा। उसके डैड वहां से चले गए।
उधर मेल्विन की मां की तबियत फिर बिगड़ने लगी थी। वे अपनी मां को लेकर वापस पालघर लौट आया था।
तभी ऑफिस से उसके बॉस का कॉल आया।
“गुड इवनिंग सर!” मेल्विन ने कॉल रिसीव करते ही कहा।
“गुड इवनिंग मेल्विन! अब तुम्हारी मां की तबियत कैसी है?” मिस्टर कपूर ने पूछा।
“अब भी कमजोरी है इन्हें सर! इस उम्र में मां बीमार पड़ती है तो जल्दी ठीक नहीं होती। मुझे कुछ दिन और पालघर में रुकना पड़ेगा।”
“मुझे एक काम में अभी तुम्हारी हेल्प चाहिए मेल्विन! क्या हम दस मिनट बात कर सकते हैं अगर तुम्हें कोई प्रॉब्लम न हो तो?” मिस्टर कपूर ने पूछा।
“हां सर, श्योर! कहिए क्या बात है?”
“मेल्विन, एक स्केच तुमने महेश की तरफ से सबमिट किया था। उसमें क्राइटेरिया को ठीक से फॉलो नहीं किया गया है। हमारे एडिटर ने उसे रिजेक्ट कर दिया है। क्या तुम एडिटर से बात करके क्लियर कर दोगे कि इसमें क्या प्रॉब्लम है। मैंने महेश को ये बात नहीं बताई है।”
“सर, महेश से हेल्प लीजिए। उस स्केच के बारे में महेश को मुझसे बढ़िया जानकारी है। अगर वाकई कुछ गलती हुई है तो महेश उसे शॉर्ट आउट कर लेगा।” मेल्विन ने कहा।
“ आर यू श्योर मेल्विन?” मिस्टर कपूर ने पूछा, “आई मीन महेश को ये ठीक नहीं लगेगा कि उसका काम तुमने अपने हाथ में लिया लेकिन उसमें शिकायतें आ रही हैं।”
“नहीं सर, हमारा एक–दूसरी पर बस इतना ही यकीन नहीं है। आप उससे बात कर लीजिए। मेरा ध्यान अगर मां की तरफ नहीं होता तो मैं कुछ देर के लिए वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग करके इश्यू सॉल्व कर लेता।” मेल्विन ने कहा तो मिस्टर कपूर भी उसकी बात से सहमत हो गया।
“ठीक है मेल्विन! तुम अपनी मां का ख्याल रखो। मैं यहां काम मैनेज करता हूं।” मिस्टर कपूर ने कहा और कॉल कट कर दिया।
मेल्विन अपनी मां की ओर गौर से देखने लगा था। उसके दिमाग में मां की बताई कहानी अब भी घूम रही थी।
“500 करोड़ का पता रघु को मिल चुका है।” मेल्विन ने अपने आपसे बातें करते हुए कहा, “उसका बदला हुआ रूप इसी बात की ओर इशारा कर रहा है। लेकिन 500 करोड़ का राज जानने के बाद वो डायरी लेकर मां के पास क्यों आया? कोई भी 500 करोड़ रुपए पाकर वापस क्यों आयेगा? वो एड्रेस जो रामस्वरूप जी ने मुझे बताया है, वहां जाने का आईडिया तो ठीक नहीं लगता। मुझे मां के ठीक होने का इंतजार करना होगा।”
शाम को मेल्विन ने एक डॉक्टर को बुला लिया। वो अपनी मां की तबियत को लेकर बहुत चिंतित था।
डॉक्टर ने आते ही उसकी मां का चेकअप किया और फिर बोले, “घबराने वाली बात नहीं है मेल्विन! इनका शरीर धीरे–धीरे रिकवर कर रहा है जो कि इस उम्र में आम बात है। ये इस वक्त जितना सोएंगी इनके लिए उतना ही अच्छा होगा। घरबाने से बात नहीं बनेगी। बस एक बात का खास ख्याल रखना।”
“कौन सी बात डॉक्टर साहब?” मेल्विन ने पूछा।
“इनके पास हर वक्त किसी न किसी का होना जरूरी है। आप चाहे तो मैं एक नर्स इनकी सेवा में यहां लगा सकता हूं। या कोई घर का आदमी इनकी देखभाल कर सके तो और अच्छा है।”
“नहीं डॉक्टर साहब, मैं अपनी मां का ख्याल खुद रखूंगा। मां के मामले में मुझे अपने अलावा किसी पर यकीन नहीं।” मेल्विन ने इमोशनल होते हुए कहा।
“जैसा तुम्हें ठीक लगे मेल्विन!” डॉक्टर ने कहा, “अच्छा, अब मै चलता हूं। कोई भी जरूरत हो तो मुझे फिर कॉल कर लेना।”
डॉक्टर इतना कहकर वहां से चला गया। उनके जाने के बाद मेल्विन के दिमाग में फिर रेबेका का ख्याल आता।
“रेबेका को अगर मां एक्सेप्ट कर लेती तो उनकी देखभाल के लिए घर का भरोसेमंद मेंबर मुझे मिल जाता।” मेल्विन ने सोचा फिर एकाएक उसे ख्याल आया, “ये मैं क्या सोच रहा हूं। मां इतनी बीमार है और मेरे दिमाग में रेबेका के ख्याल आ रहे हैं। नहीं, मुझे खुद मां का ख्याल रखना होगा। मैं ऐसा कर सकता हूं। आखिरकार मां ने बचपन से मेरा अकेले ख्याल रखा है। मैं भी अब उनका पूरा ख्याल रख सकता हूं। मुझे किसी की जरूरत नहीं है अपनी मां का ख्याल रखने के लिए।”
उसी वक्त मेल्विन के फोन की घंटी फिर बज उठी थी। मेल्विन ने फोन की स्क्रीन की तरफ देखा। रेबेका का नाम स्क्रीन पर दिखाई दे रहा था।
मेल्विन फोन की तरफ तब तक देखता रहा जब तक घंटी बंद नहीं हुई। मेल्विन को इंतजार था कि दोबारा घंटी बजेगी लेकिन इसके बजाय रेबेका ने उसे एक मैसेज छोड़ा।
“हेलो मेल्विन, मुझे तुमसे बात करनी है। तुम मेरा फोन क्यों नहीं उठा रहे हो।”
मेल्विन ने मैसेज पढ़ा लेकिन फिर अपना मोबाइल दूर रख दिया।
उसने लगातार दो दिन ऑफिस मिस कर दिया था। लोकल ट्रेन के उसके साथी और ऑफिस के लोग भी मेल्विन को मिस करने लगे थे।
अगले दिन सुबह लोकल ट्रेन में सब इसी बात की चर्चा कर रहे थे।
सबसे पहले लक्ष्मण ने मेल्विन के बारे में पूछताछ करते हुए पूछा, “आज तीसरा दिन है। मेल्विन की कोई खबर नहीं मिली। क्या तुम सब मेल्विन से कॉन्टैक्ट नहीं कर रहे हो?”
“मेल्विन की मां बीमार हैं। उनकी हालत बहुत ज्यादा खराब है। मेल्विन उनकी देखभाल कर रहा है इसलिए आज भी नहीं आया।” पीटर ने जानकारी देते हुए कहा, “उसने मुझसे कहा है कि जब तक उसकी मां पूरी तरह ठीक नहीं हो जाती वो नहीं आयेगा।”
“डॉक्टर ओझा, हमें मेल्विन से बात करनी चाहिए। ऐसी मुश्किल घड़ी में वो अकेला अपनी मां की देखभाल कर रहा है। कहीं उसे हमारी जरूरत हो तो?” रामस्वरूप जी ने डॉक्टर ओझा से पूछा।
डॉक्टर ओझा किसी ख्यालों में खोए हुए थे। उनका ध्यान रामस्वरूप जी की बातों की ओर नहीं गया था।
पीटर और लक्ष्मण ने देखा डॉक्टर ओझा दुखी दिखाई दे रहे थे। पीटर ने उनके कंधे पर हाथ रखते हुए पूछा, “डॉक्टर साहब, कहां खोए हुए हैं आप? रामस्वरूप जी ने आपसे कुछ पूछा है।”
डॉक्टर ओझा जैसे नींद से जागे थे। उन्होंने रामस्वरूप जी से कहा, “सॉरी राम स्वरूप जी। मैं कुछ सोच रहा था इसलिए आपकी बातों की तरफ मेरा ध्यान नहीं गया। कहिए, आप क्या कह रहे थे?”
“डॉक्टर ओझा आप ठीक तो है न?” रामस्वरूप जी ने पूछा, “घर पर सब ठीक तो है न?”
“हमारी जिंदगी में ठीक क्या रह गया है रामस्वरूप जी? हर दिन हम जीते और मरते हैं। अब जिंदगी का कोई मकसद की समझ में नहीं आता। एक ही मकसद था और अब वो भी हमारे साथ नहीं रहा। क्लीनिक पर लोग अपने कुत्ते और बिल्लियां लेकर आते हैं। उन पर हजारों रुपए खर्च करते हैं। उनके लिए मुझे नए-नए डाइट पूछा करते हैं। मैं उन्हें ये जानते हुए भी एडवाइस देता हूं कि इंसानों से प्रेम करना सीखो, जानवरों को आपके प्रेम की जरूरत नहीं। वे अपनी जिंदगी अपने बूते पर जी लेते हैं। इंसानों से अगर इंसानों की मोहब्बत हो जाए तो इस दुनिया से लगभग हर तरह के गम मिट जाएंगे।”
रामस्वरूप जी पीटर और लक्ष्मण डॉक्टर ओझा के कहने का मतलब समझ चुके थे। उन्हें अपने बेटे सुमित की याद सता रही थी।
रामस्वरूप जी ने डॉक्टर ओझा को समझाते हुए कहा, “आप ठीक कह रहे हैं डॉक्टर साहब! लेकिन सुमित को बार-बार याद करके आप अपने आप को तकलीफ क्यों पहुंचते हैं। इसे उसकी आत्मा को कितना पहुंचेगी आपको जरा सा भी ख्याल है?”
तभी पीटर ने कहा, “डॉक्टर साहब, मेरे पास आपके लिए एक आईडिया है। अगर आप कहें तो मैं कुछ बोलूं?”
इससे पहले की डॉक्टर ओझा कोई जवाब देते लक्ष्मण ने उसे बीच में टोकते हुए कहा, “पीटर, अगर ढंग की बात हो तभी कहना। ये बहुत ही सेंसिटिव मामला है।”
“लक्ष्मण, मैंने डॉक्टर साहब से पूछा है, तुमसे नहीं। इसलिए जवाब उन्हें देने दो।” लक्ष्मण की बातों को नजर अंदाज करते हुए पीटर ने डॉक्टर ओझा की तरफ देखा।
“बोलो पीटर, तुम क्या कहना चाहते हो?” डॉक्टर ओझा ने धीमी आवाज में पूछा।
“डॉक्टर साहब, मैं कह रहा था कि आप एक बच्चा गोद क्यों नहीं ले लेते? सुमित आपका एकलौता बेटा था और अब वो इस दुनिया में नहीं रहा। इसलिए आपकी प्रॉब्लम का मुझे सिर्फ यही एक सॉल्यूशन दिखाई देता है। मैं जानता हूं कि सुमित की जगह कोई नहीं ले सकता लेकिन हर चीज का आखिर कुछ न कुछ सब्सीट्यूट तो होता ही है।”
पीटर की बात सुनकर डॉक्टर ओझा से पहले राम स्वरूप जी और लक्ष्मण उसे गुस्से से देखने लगे।
“पीटर, ये तुम क्या बकवास कर रहे हो?” लक्ष्मण ने गुस्से में भड़कते हुए पीटर से कहा, “आखिर तुम डॉक्टर साहब को इस तरह की एडवाइस कैसे दे सकते हो? क्या तुम्हारा दिमाग खराब हो गया है?”
“लक्ष्मण, मैं तुमसे आखरी बार कह रहा हूं। मैं डॉक्टर साहब से बात कर रहा हूं। तुम बीच में न बोलो तो अच्छा है। और तुम्हें मेरी बातों से इतनी प्रॉब्लम क्यों होती है? क्या मैं तुमसे बात कर रहा हूं? नहीं न। तो अपना मुंह फिलहाल बंद रखो।” पीटर ने इस बार लक्ष्मण को घूरते हुए कहा।
अभी कुछ दिन पहले एक ही दिन में दोनों की शादी हुई थी। तब दोनों न सिर्फ अच्छे दोस्त दिखाई दे रहे थे बल्कि खुश भी थे। आज फिर उन दोनों के बीच बहस शुरू हो चुकी थी। तब रामस्वरूप जी ने बीच बचाव करते हुए उन दोनों से कहा, “देखो, तुम दोनों आपस में बहस मत करो। अगर पीटर कुछ कह रहा है तो उसे कहने दो लक्ष्मण। पीटर की बातों से मैं भी उतना ही शॉक्ड हूं जितना कि तुम। लेकिन ये हमारे बारे में नहीं है लक्ष्मण, इसलिए हमें डॉक्टर ओझा के मन की बात सुननी चाहिए।”
“नहीं पीटर। तुम्हारा बहुत-बहुत शुक्रिया जो तुमने मेरे बारे में इतना सोचा। लेकिन मैं सुमित की जगह किसी और को देखने के लिए अभी तैयार नहीं हूं। उसकी मां तो शायद जिंदगी भर तैयार न हो पाए। मुझे बच्चा गोद लेने के लिए फिर कभी मत कहना पीटर। मेरे लिए ये और ज्यादा तकलीफ देने वाली बात होगी। सुमित की आत्मा को मैं दुखी नहीं कर सकता। बच्चा गोद लेने की आड़ में मैं सुमित को नहीं भुला सकता पीटर। वो मेरा बेटा था। किसी बच्चे को गोद लेने से सुमित पराया नहीं हो जाएगा। न मैं उसे होने दूंगा। वो मेरी यादों में पहले भी था, आज भी है और हमेशा रहेगा।”
“आप मेरी बात को गलत तरीके से ले रहे हैं डॉक्टर साहब। मैं आपको सुमित के जाने के बाद से हर रोज नोटिस करता हूं। आप उसके ख्यालों में खोए रहते हैं। आखिर ऐसा कब तक चलेगा डॉक्टर साहब। मेरी बात मानिए आपको एक बच्चा गोद लेना ही चाहिए।”
“मेरे पास एक बेटर आईडिया है पीटर।” लक्ष्मण ने कहा, “मेरा ख्याल था कि ये आइडिया तुम्हें पहले आना चाहिए था। लेकिन खैर मेरे दिमाग में आया है तो मैं ही कहता हूं।”
“अच्छा, तुम्हारे दिमाग में भी आईडिया आते हैं। ओके, फिर बताओ क्या आइडिया आया है तुम्हारे दिमाग में?” पीटर ने लक्ष्मण से पूछा।
“आपकी उम्र कितनी होगी डॉक्टर साहब? जहां तक मेरा अंदाजा है 50 से ज्यादा तो नहीं होगी। आपकी पत्नी भी कुछ इसी एज के आसपास होगी। मैं एक बहुत बड़े डॉक्टर को जानता हूं जो आप दोनों को अपना बच्चा दे सकते हैं।” लक्ष्मण ने जब ये कहा तो रामस्वरूप जी और पीटर उसे हैरानी से देखने लगे।
“ये तुम क्या बकवास कर रहे हो लक्ष्मण? तुम डॉक्टर साहब को इस तरह का एडवाइस कैसे दे सकते हो? क्या इस उम्र में ये अच्छा लगेगा कि वो बच्चा पाने के लिए साइंस का इस तरह से इस्तेमाल करें। वो इसे अफोर्ड भी कर पाएंगे या नहीं तुम जानते हो?” राम स्वरूप जी ने लक्ष्मण को डांटते हुए कहा।
“पैसे की चिंता करने की जरूरत नहीं है डॉक्टर साहब को। मेरी उस डॉक्टर से जान पहचान है, इसलिए 50% डिस्काउंट में दिलवा दूंगा। बाकी 50% मैं अपने पॉकेट से डॉक्टर साहब को दूंगा। आखिर ये उनकी पूरी जिंदगी का सवाल है। इतना तो मैं उनके लिए कर ही सकता हूं।” लक्ष्मण की दरिया दिली देखकर पीटर और रामस्वरूप जी हैरान रह गए थे।
आखिर लक्ष्मण डॉक्टर साहब को कौन सा आईडिया दे रहा था? वो साइंस की मदद से किस तरह डॉक्टर साहब को एक बच्चा लेने में मदद कर सकता था? क्या अपनी तबीयत ठीक होने के बाद मेल्विन की मां उसे अपने पिता की कहानी सुना पाएगी? मेल्विन ने रेबेका के मैसेज को इग्नोर क्यों कर दिया था? जानने के लिए पढिए कहानी का अगला भाग।
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