सार्थक ने खन्ना इंडस्ट्रीज के ऑफिस से थोड़ी दूरी पर गाड़ी को रोका और अयाना की तरफ देखते उसे बोला- ”आ गया ऑफिस।”

अयाना ने हां में सिर हिलाया और सार्थक को थैंक्यू सो मच कहते गाड़ी से उतरकर वहां से भाग गयी, उसे जाते देख सार्थक मुस्कुरा दिया और माहिर को याद करते मंद मंद हंसते बोला…

”साले साहब अब दिन ही नहीं जिंदगी भी बदलने वाली है आपकी।” और फिर वहां से चला गया, उधर अयाना भागते हुए ऑफिस के सामने जा रूकी, हांफते उसने ऑफिस की बिल्डिंग की तरफ देखा- ”एक दिन में हम इतने परेशान हो गये। रोज रोज ऐसा हुआ तो? नहीं नहीं, मातारानी ऐसा मत होने देना, चल अयाना अब आगे बढ़” कह उसने गहरी सांस भरी और आगे बढ़ी। पर जैसे ही वो ऑफिस बिल्डिंग के अंदर जाने लगी, गार्ड ने उसे रोक दिया। ये देख अयाना ने उसकी ओर हैरानी से देखा।

गार्ड -”आप अंदर नहीं जा सकती।”

अयाना - ”क्यों नहीं जा सकती?”

गार्ड - ”कहा न नहीं जा सकती।”

अयाना - ”अरे ऐसे कैसे नहीं जा सकती? हटिए जाने दीजिए मुझे अंदर। आप रोक क्यों रहे है मुझे, मैं यहां जॉब करने वाली हूं। चाहे तो यहां के मैनेजर अनुज से पूछ लीजिए। यहां के बॉस से भी आप पता कर लीजिए उन्होनें ही बुलाया है मुझे। हम भागे - भागे आए है और आप कह रहे है अंदर नहीं जा सकती।”

गार्ड - ”सही कह रहा हूं नहीं जा सकती।”

अयाना - ”वजह?”

गार्ड - ”मुझे आपको नहीं आने दिया जाए का आर्डर मिला है और मैं अपनी ड्यूटी ही कर रहा हूं।”

अयाना - ”ड्यूटी का तो समझ गयी। रोकने का आर्डर किसने दिया है? जब बुलाया है तो रोकने का आर्डर क्यों?”

गार्ड - ”वो मुझे नहीं पता।”

अयाना - ”तो जिसे पता है उससे पूछिए। जॉब करने वाले है हम यहां, समझ रहे है न काम…जोकि अंदर जाएगें तभी होगा या फिर इधर बाहर टेबल कुर्सी और यहीं बाहर काम करना होगा हमें, बोलिए?”

इस पर गार्ड कुछ नहीं बोला। अयाना फिर अंदर जाने लगी गार्ड ने फिर रोक दिया। ये देख अयाना को गार्ड पर गुस्सा आ गया - ”क्या प्रोब्लम है? एक बार तो मुझे जाने दीजिए।”

गार्ड - ”नहीं।”

ये सुन अयाना ने अपना सिर पकड़ लिया, मन तो किया उसका कि उस गार्ड का गला ही दबा दे पर उसने खुद को शांत किया और आराम से गार्ड से 
पूछा - ”मुझे यहीं बाहर रोकने का ऑर्डर यहां के बॉस आईमीन माहिर खन्ना ने दिया है?”

गार्ड - ”नो!”

अयाना - ”मैनैजर अनुज ने?”

गार्ड - ”यस!”

अयाना चौंक उठी - ”क्या?” और उसने उसी वक्त अनुज को फोन लगाया पर अनुज ने उसका कॉल रिसीव न किया, एक बार क्या दो बार करने पर भी नहीं। ये देख अयाना ने ऑफिस बिल्डिंग की तरफ घूरते देखा और वहां से पैर पटकती चली गयी।
_______

माहिर अपने कैबिन में चेयर पर बड़े ही स्टाइल से बैठा स्पीनर घुमा रहा था। होठों पर मुस्कुराहट और चेहरा लबालब एटीट्यूड से भरा हुआ। वहीं अनुज खामोश सा कैबिन की ग्लास वॉल के पास खड़ा था जहां से बाहर का, ऊपर का, नीचे का सबकुछ दिखाई पड़ रहा था। उसने अयाना को आते भी देखा था और जाते भी।

“चली गयी वो?” माहिर ने बोला।

अनुज उसकी तरफ मुड़ा और उसके सामने आ खड़ा हुआ। माहिर अनुज की ओर देखते तिरछा मुस्कुरा दिया, अनुज नोर्मल खड़ा रहा।

माहिर - ”क्या हुआ?”

अनुज - ”नंथिग।”

माहिर - ”बुरा लग रहा है?”

अनुज - ”नो सर।”

माहिर - ”व्हाई?”

अनुज - ”आप खुश है, मुझे बुरा कैसे लग सकता है….आपकी खुशी में मैं भी खुश हूं सर, एम हैप्पी।”

ये सुन माहिर की भौहें चढ़ गयी - ”रियली।”

अनुज ने हां में सिर हिला दिया - ”यस सर।”

माहिर - ”मुझे तो लग रहा है जो मैने अयाना मिश्रा के साथ किया, उस पर तुम मुझे कहोगे मैं गलत कर रहा हूं।”

अनुज - ”गलत सही सब आपको पहले से ही पता है सर….तो मेरे कुछ कहने न कहने से क्या होगा? होगा तो वही जो आप चाहेगें।”

माहिर - ”ऑफकोर्स, बाई द वे कुछ नहीं कहना?”

अनुज - ”नो सर, अभी तो बिल्कुल नहीं…अभी बस मैं एक ही काम कर सकता हूं आपके ऑर्डर फॉलो करना ना कि आपसे सवाल करना या आपको कुछ कहना!”

माहिर - ”हम्म, बिकोज अभी मैं बॉस हूं और तुम्हारे पास मेरी बात मानने के लिए कोई और ऑप्शन नहीं। सो अयाना मिश्रा को लेकर तुम्हें परेशान 
होने की जरूरत नहीं ना ही बुरा फील करने की। (अयाना के बारें में सोचते हुए) अभी तो शुरूआत है उसके साथ क्या क्या अच्छा बुरा होगा वो तो 
सोच भी नहीं सकती (अनुज की ओर आंख मारते) है!”

ये सुन अनुज ने हाथों की मुठ्ठियां बांध ली और “मैं मीटिंग की तैयारी करता हूं” बोल वहां से चला गया।

उसके जाते ही माहिर मुस्कुरा दिया - ”चला दिया ना तुम्हें अपने अकोर्डिग। क्या बोला था तुम मेरी नहीं मानोगी? मान तो रही हो। पहले आई मेरे कहने से जल्दी जल्दी, क्या मिला कुछ नहीं और मेरे चाहने पर ही तुम वापस चली गयी….सब मेरे अकोर्डिग हो रहा है। आगे भी होगा बस देखती जाओ। तुम्हारा मेरे सामने झुकना, मेरे इशारों पर चलना शुरू हो चुका है, बहुत मजा आने वाला है इस खेल में। इतना परेशान करेगा ये माहिर खन्ना तुम्हें अयाना मिश्रा की तुम खुद को कोसोगी आखिर क्यों तुमनें मेरे सामने अपना मुंह खोला, बहुत मंहगा पड़ने वाला है तुम्हें मुझसे पंगे लेना। जो मुझसे पंगा लेता है उसे मैं कहीं का नहीं छोड़ता, कहीं का नहीं।”

_______

माहिर के कैबिन से अनुज अपने कैबिन में चला आया और सोफे पर सिर पकड़कर बैठ गया - ”कर क्या रहा है माहिर? पहले तो अयाना को जल्दी आने को कहा। उसके आने में भी मुश्किलें बढ़ा दी। कम वक्त पर पहुंचने का ऑर्डर दे दिया…वो आई जैसे तैसे, चाहे देर से ही सही। फिर गार्ड से बोल दिया उसे अंदर न आने दे। आखिर क्यों? चल क्या रहा है माहिर के दिमाग में? इरादा क्या है? चाहता क्या है? सिर्फ परेशान करना अयाना को?ये तो मकसद नहीं हो सकता….और तो और दोनों काम मुझसे ही करवाएं। क्या सोच रही होगी मेरे बारें में वो? खुद तो बुरा बन चुका है अयाना की नजर में वो भी जानबूझकर, अब मुझे बुरा बनाने में भी कसर नहीं छोड़ रहा……”कहते उसने अपने फोन पर नजर डाली, अयाना के बहुत सारे कॉल मैसेज थे जिसके उसने अयाना को जवाब नहीं दिये थे।

देता भी कैसे? माहिर के ऑर्डर पर किया उसने जो भी किया। मैनैजर तो और कर भी क्या सकता था? हालाकिं उसे बुरा फील हो रहा था। वो चाहकर भी कुछ नहीं कर पा रहा था। तभी वो “एम सॉरी” कहते अयाना के सारे मैसेज चेक करता है। आखरी वाला मैसेज देखता है तो उसे और भी ज्यादा बुरा लगता है, गुस्सा भी आता है अयाना पर नहीं….माहिर पर।

अयाना का मैसेज था - मैनैजर अनुज हमें नहीं पता था आप भी हमारे साथ ऐसा करेगें। सोच रहे थे हम थोड़ा तो साथ देगें आप हमारा। क्या पता अपने बॉस के ऑर्डर फॉलो करते-करते आपके अंदर का भला इंसान जाग उठे। आप हमारी मदद करे, ज्यादा नहीं तो थोड़ी ही सही पर आपने तो हमें जवाब तक न दिया, हमारा साथ और मदद तो दूर की बात है। साथ दिया तो अपने बॉस का…माना आप मैनेजर है मिस्टर खन्ना आपके बॉस पर ऐसी भी क्या चमचागिरी जो सही गलत का भेद पता न चले। जानते तो आप भी है सही क्या है? गलत क्या है? सही कौन है? गलत कौन है? और
आप कहां और किसके साथ खड़े है ये भी आपको पता है।

हम जानते है आपने जो किया मिस्टर खन्ना के कहने पर किया। मजबूरी हो शायद आपकी भी उनकी बात मानना जैसे हम मान रहे है। पर यूं अपनी इंसानियत की बलि हम कभी नहीं चढ़ने देगें। जैसे आप दे रहे है और ना ही अपनी मजबूरी का फायदा उठाने देगें बता दीजिएगा अपने बॉस माहिर खन्ना को बाकि हम उनसे ही कहेगें। हमारी खुशनसीबी! आज जो उनकी मनहूस शक्ल को देखने से बच गये और उनकी भी जो हमसे कुछ सुनने को न मिला। पर जल्द आज का हिसाब पूरा करेगें और हां आपको थैंक्यू सो मच। यूं ही चलते रहे आप अपने बॉस के कहे खूब आगे बढ़ेगे।

अयाना के मैसेज पढ़ अनुज ने आह भर ली।
______


【खन्ना विला】

सार्थक गाड़ी से उतर कर जल्दी-जल्दी अंदर आया और साक्षी को ज़ोर से आवाज दी - ”साक्षी, साक्षी कहां हो तुम?”

तभी वहीं हॉल में सोफे बैठा रियान जो की क्यूब से खेल रहा था - ”डैड, मॉम रूम में है।”

सार्थक - ”रूम में है?”

रियान - ”या एंड आपका ही वेट कर रहे है।”

सार्थक - ”ओके….आता हूं मॉम को लेकर” रियान से कह सार्थक रूम में चला आया। रूम में आते ही फिर साक्षी को आवाज दी - ”साक्षी?”

साक्षी अलमारी के पास खड़ी थी। वो मुड़कर सार्थक की ओर देखती है जो ”साक्षी” बोलते उसके सामने आ खड़ा हुआ।

सार्थक कुछ भी कहता साक्षी बोल पड़ी - ”कहां थे सार्थक? मैं कब से वेट कर रही हूं तुम्हारा? अभी आ रहा हूं बोलकर अब आ रहे हो। पता भी है उस बात को कितनी देर हो गयी? मैं और रियू कबसे वेट कर रहे है ब्रेकफास्ट के लिए?”

सार्थक - ”वो मैं…..”

साक्षी अलमारी की ओर मुड़ अलमारी बंद करते - ”क्या मैं, अब चलो जल्दी। रियू को ब्रेकफास्ट के बाद स्कूल के लिए रेडी भी होना है” इतना कह साक्षी रूम से बाहर की ओर बढ़ गयी।

सार्थक पीछे पीछे जाते - ”सुनो तो?”

साक्षी आगे चलते - ”क्या सुनों? एक तो सुबह सुबह पता नहीं कौन से काम करने चले गये थे जो अब आ रहे हो। पूरा दिन होता है फिर भी आंख खुलते ही भाग गये। आज तो तुम क्या माही भी सुबह सुबह ही ऑफिस भाग गया….पता नहीं चल क्या रहा है?”

ये सुन सार्थक जहां था वहां रूक गया और ऊपर की ओर देख खुश होते खुद से बोला - ”सुबह-सुबह ऑफिस, चला भी गया….वाह!”

तभी साक्षी उसकी ओर देखते है - ”चलो अब, रूक क्यों गये?”

सार्थक - ”हां,आ रहा हूं।”

साक्षी ने रियान को आवाज दी - ”रियू आ जाओ”

रियान - ”यस मॉम” और अपना क्यूब छोड़ रियान भी साक्षी और सार्थक के साथ डाईनिंग टेबल पर आ बैठा। सर्वेंट सबको ब्रेकफास्ट सर्व करता है।

रियान ब्रेड खाते - ”मामू के बिना ब्रेकफास्ट भी अच्छा नहीं लग रहा मॉम।”

साक्षी ने उसके गाल पर प्यार से हाथ रखा - ”आईनो बेबी, बट क्या कर सकते है मामू तो गये ऑफिस।”

रियान - ”या।”

सार्थक कॉफी पीते मंद मंद हंसते हुए - ”साले साहब आप तो गये, बड़ा मजा आने वाला है। माहिर खन्ना की लाईफ में लड़की की एंट्री…बदली माहिर खन्ना और उसकी दुनिया। जो कभी न होता था वो अब होने चला। लड़की के चक्कर में फैमिली को छोड़ गया, फैमिली के साथ ब्रेकफास्ट मिस कर दिया। वो भी उस लड़की के लिए….वैसे लड़की है तो माही के टक्कर की।”

तभी साक्षी और रियान ने सार्थक की ओर देखा, तो दोनों उसके हाव भाव देख हैरत में पड़ गये और दोनों सार्थक की ओर देखते जो बहुत खुश नजर आ रहा था।

साक्षी हैरानी से - ”सार्थक को क्या हुआ?”

रियान - ”पता नही मॉम बट डैड बहुत हैप्पी लग रहे हैँ।”

साक्षी - ”या बट व्हाई?”

रियान - ”पूछो डैड से।”

साक्षी - ”हम्म….सार्थक?”

पर सार्थक ने साक्षी की आवाज को नहीं सुना। ये देख साक्षी की भौहें चढ़ गयी और वो सार्थक को घूरने लगी। ये देखकर रियान ने अपना माथा पीट लिया - ”ओफो…..डैड तो गये।”

_______

मिश्रा हाऊस

अयाना ने घर पहुंचते ही अपना बैग सोफे पर पटका और खुद सोफे पर पलाथी लगाकर बैठ गयी। वहीं दूजे सोफे पर सविता जी बैठी थी। अयाना को आया देख हैरान ही नहीं परेशान भी हो उठी - ”तुम आ भी गयी?”

इस पर अयाना कुछ नहीं बोली, पर उसके हाव भाव देखकर लग रहा था जैसे कोई बहुत बड़ा स्यापा कर आई हो या फिर कांड। उसे कुछ भी न कहता देख सविता जी उसके पास आ बैठी - ”बोल न, तुम तो उस माहिर खन्ना के ऑफिस गयी थी। आ कैसे गयी इतनी जल्दी?

पर अयाना फिर कुछ न बोली, उसने आखें और दांत दोनों भींच लिये। ये देख सविता जी ने अपना सिर पकड़ लिया और पिहू को आवाज दी - ”पिहू,पिहू बाहर आ….अयाना आ गयी। ये सुनते ही पिहू अपने कमरे से भागी वहां चली आई और “अयू दी” कहते अयाना के पास आ बैठी - ”अयू दी, आप आ गयी। क्या हुआ अयू दी? आप इतनी जल्दी घर? आपने तो बताया था माहिर खन्ना का ऑफिस देर रात बंद होता है…अभी तो दोपहर भी न हुई? क्या हुआ दी? कुछ गड़बड़ हो गयी क्या? आप आ कैसे गये? आप गये नहीं वहां या फिर उस माहिर खन्ना ने…” वो आगे कुछ बोलती कि तभी वहां कुछ ऐसा हुआ कि सविता जी क्या पिहू के भी होश उड़ गये।


क्या हुआ होगा? 

क्या किया होगा अयाना ने? 

क्या सार्थक साक्षी को बता पाएगा अयाना के बारें में? 

आगे जानने के लिए पढ़िए कहानी का अगला भाग।
 

Continue to next

No reviews available for this chapter.