ये सुन अयाना फिर जोर से अपनी आखें मूंद लेती है और अपनी दोनों मुठ्ठी में अपनी साड़ी भींच लेती है ,अयाना की ऐसी हालत देख माहिर मन ही मन मुस्कुराया,ना जाने क्यों आज माहिर खन्ना ऐसा कर रहा था....,वो माहिर खन्ना जो किसी लड़की के करीब नहीं जाता,आज वो खुद अयाना के करीब था और आज उसे अयाना को परेशान करने में बहुत ज्यादा मजा भी आ रहा था,शायद अयाना और लड़कियों जैसी नहीं थी  वो आयना को देख समझ चुका था कि अयाना कैसी लड़की है ऐसी तो बिल्कुल नहीं जो उसकी बाहों में बिस्तर तक आना चाहे ,माहिर खन्ना जो
हरकतें- बाते कर रहा था अयाना के साथ उसके
पीछे उसकी भावना मानों सिर्फ और सिर्फ बदले की हो और कुछ नहीं!"

तभी माहिर ने अपने कदम पीछे लिए और सोफे की ओर जाकर अपना व्हाईट नाईट गाऊन उठा
कर पहना लिया  और टेबल पर रखी वाईन की बोटल से गिलास में वाईन डालते बोला-"अब तुम मुझे देख सकती हो.....?"

अयाना-"पक्का आपने कपड़े पहन लिऐ ना?"

माहिर वाईन पीते हुऐ अयाना की ओर आया
-"हां पहन लिऐ नहीं यकीन तो खुद देख लो!"

ये सुन अयाना माहिर की ओर मुड़ी और थोड़ी थोड़ी आखें खोल माहिर को देखा पर जैसे ही देखा कपड़े पहने है वो अपनी पूरी आखें खोल लेती है,माहिर अयाना की ओर गिलास बढ़ाते
-"पिओगी?"
अयाना ना मैं सिर हिलाते हुऐ-"नहीं मैं शराब नहीं पीती!"
माहिर पीते हुए-"ओह हां तुम तो चाय पीने वाली हो?"
अयाना थोड़ा हैरानी से-"आपको कैसे पता?"
माहिर गिलास टेबल पर छोड़ वापस अयाना की ओर आते-"छोटे लोग हो ना ,मुझ जैसे बड़े नहीं
पैसे नहीं है ज्यादा मंहगी शराब पी सको तो चाय ही पीती होगी इट्स सिंपल!"
अयाना-"आपके इस मंहगे नशे से चाय का नशा बेहतर है ....एटलिस्ट होश तो नहीं खोते पीने के बाद-सस्ता भी और फायदेमंद भी है वरना इस एल्कोहल में तो नुकसान ही है!"

माहिर आयना के करीब आते -"कोई नशा मुझे बहका नहीं सकता है पूरी बोटल भी पी लूं तब भी मुझे नहीं चढ़ती,अब ठेके की दारू थोड़ी है इस एक बोटल  की कीमत तुम्हारे महीने के खर्चे जितनी है और चाय जैसा सस्ता नशा(एटीट्यूड 
वाले लहजे मे)माहिर खन्ना नहीं करता है!"

अयाना भोहे चढ़ाते -"या क्यों करेगें आप सस्ते नशे,दस रूपये की चाय आप के लिऐ नहीं आप तो अपने इन नशो के लिऐ ही लाखों खर्च करते होगे!"
माहिर एटीट्यूड वाले लहजे में-"हम्म... ये तो है और मैं सबसे ज्यादा नशा करता हूं मंहगी चीजों का अब मेरे शौंक है ही  मंहगे,.........पता है मेरे साथ सोने वाली की कीमत लाखो करोड़ो होती है(झूठ बोलते हुऐ)वैसे तुम कितनी किम्मत लोगी मेरे साथ सोने की,कितने में खरीदे माहिर खन्ना तुम्हें?"

माहिर की ये बात अयाना की आखों को नम कर जाता है वो अपनी आखों के किनारें साफ करते बोली-"क्या..... आप मेरी मदद वैसे ही नहीं कर सकते,जो बोल रहे है आप जो सही नहीं है वो जरूरी है करना!"

माहिर खन्ना-"तुम्हें बता चुका हूं मैं तुम्हारी मदद कैसे करूंगा,तुम भी समझ चुकी हो,फिर भी तुम मुझे सैंकिड ऑप्शन बता रही हो जो कि वेलिड नही!"

अयाना-"पर आप मेरी बात तो सुनिए,...आयना आगे कुछ कह पाती कि तभी माहिर  ने उसकी कलाई को पकड़ उसे अपने करीब खींच लिया!

अयाना उसकी ओर घूरकर देखते-"क्या कर रहे है आप?"

माहिर एक पल तो मुस्कुराया और दूजे ही पल वो अयाना की आखों में झ़ाकते हुए बोला-"मुझे कुछ नहीं सुनना(हालाकिं माहिर जानता था उसे पैसों की बहुत जरूरत है अपनी बीमार मां का इलाज कराना है इसलिए वो उनके यहां हेल्प के लिए आई थी और अब भी वो अपनी मां के लिए आई है फिर भी वो अंजान बन हुआ था)बिकोज एम नॉट इंटरेस्टेड(एक पल रूककर)बट तुमको मैं खरीदना चाहता हूं,जिसकी जो तुम किम्मत चाहो,तो बताओ मुझे टेल मी अपना जिस्म नो नो(तिरछा मुस्कुराते हुए)अपना स्वाभिमान मुझे कितने में दोगी?"
 

जैसे ही माहिर खन्ना ने अयाना से कहा अपने जिस्म की नहीं अपने स्वाभिमान की किम्मत बताओ तो अयाना की नम आखों में ठहरे आसूं लुढ़क कर उसकी गालो पर आ गये और वो उस
की ओर एकटक देखते रूहासी सी आवाज में बोली-"मैं यहां अपने स्वाभिमान को लांघ जरूर आई हूं पर उसे बैचने नहीं,आप समझिए ना,आप जो कह रहे है वो मैं नहीं कर सकती हूं!"

तभी माहिर खन्ना अयाना को अपने ओर करीब करते हुऐ बोला-"आज ना मैनैं एक चीज नोटिस की,जितनी लंबी तुम्हारी जुबान है उससे ज्यादा बड़ा तुम्हारा स्वाभिमान है जिसका तुमनें खुद ही मुझे बताया था इतने लंबे चौड़े भाषण के जरिऐ
सो एम इंटरस्टिड इन यूअर सेल्फ रिस्पेक्ट,वैसे तो बहुत कमजोर आईमीन बहुत गरीब हो तुम पर  तुम्हारे जैसे लोगों के पास ,आईमीन तुम्हारे पास......मान, सम्मान ,स्वाभिमान ये सब चीजें होती है ना,बहुत मायने रखती है.... और बहुत किम्मती होती है तुम सब के लिए तो बस उन्ही किम्मती चीजों में मुझे तुम्हारा स्वाभिमान चाहिए तुम्हारी इज्जत जिसकी तुम जो चाहो वो किम्मत मिलेगी क्योकि मैं बहुत बड़ा बहुत पैसैं वाला हूं और मुझे मंहगी किम्मती चीजे खरीदना का बहुत शौंक है और मैं भी तो देखूं(एटीट्यूड वाले लहजे में)मैं तुम्हारेे सो कॉल्ड स्वाभिमान की किम्मत चुका सकता हूं या नहीं,जिस पर तुमको नाज है
तुम्ही ने कहा था ना कि मैं नहीं चुका सकता तो लट्स सी!"

तभी अयाना ने माहिर से अपनी कलाई छुड़ाई और उससे दूर होते बोली-"आप मुझसे मेरा सब
कुछ छीनने की बात कर रहे है!"

माहिर-"बचेगा भी क्या......स्वाभिमान लांघ कर आई हो ये मैं खरीद लूंगा तो तुम्हारा जिस्म क्या सबकुछ मेरा!"
अयाना-"ओह तो आप यहां बिजनेस माइंड लगा रहे है!"
माहिर-"घाटे का सौदा करता तो आज टॉप में ना होता!"

"प्लीज मेरी बात तो सुनिए....अयाना कहने को हुई की माहिर खन्ना उसके करीब होकर उसके होठो पर अपनी अंगुली रख देता है-"हीश्श....,
बहुत बोल चुकी तुम बहुत सुन भी लिया तुम्हारा इतना तो मुझे कोई नहीं सुनाता,अब जो मैं कह रहा हूं वो सुनो?"

अयाना की पलकें झपकने लगी और वो अपना चेहरा पीछे करते हुए बोली-"आप जानबूझकर कर रहे है ना ,बदला ले रहे है ना,एक बार बात सुन तो लिजिए और अगर आप गुस्सा है तो हम सॉरी कहते है सामने से!"

माहिर अयाना के कंधो पर अपनी बाहें रखते-
"सॉरी नहीं चाहिए और तुम्हारी बात तुम्हारी मजबूरी वगेरहा मुझे नहीं सुननी है,ना ही मुझे उससे कुछ लेना देना,फालतू टाइम नहीं है मेरे पास....प्वाइंट पर आओ!"

माहिर की बातों से अयाना हर्ट हो रही थी बट वो खुद को संभालते हुऐ-"तो साफ साफ कहिऐ
आज जो हमनें आपसे कहा भले ही वो सही हो  पर वो आपकी नजर में आपकी इंसल्ट थी,उस
की आप हमें अब सजा देना चाहते है,भरपाई मेरी इज्जत से चाहते है,एक लड़की की इज्जत क्या होती है उसके लिए उसकी फैमिली के लिए 
क्या आपको नहीं मालूम?"

माहिर-"ये तो तुम्हें यहां आने से पहले सोचना चाहिए था,तुम्हारी इज्जत तुम्हें प्यारी होती तो तुम यहां नहीं होती,मैं क्यूं सोचूं तुम्हारी इज्जत के बारे में!"

अयाना-"आप सोच ही तो नहीं रहे,....मुझे मेरी इज्जत प्यारी है ये पता है आपको और मैं यहां क्यूं हूं ये आप भी जानते है!"

माहिर-"व्हाटएवर, कोई मुझसे ऊंची आवाज में बोले उसे गोल्ड मेडल नहीं देता मैं,और कोई मुझे थप्पड़ मारे उसे यूंही नहीं जाने देता मैं,वैसे मेरी बात मानने में ही फायदा है तुम्हारा,सो डोंट वेरी किसी को कुछ पता नही चलेगा,तुम्हारी फैमिली को भी नहीं,हम दोनों के बीच रहेगा जो होगा,
अच्छा चलो बताओ कितने चाहिऐ तुम्हें!"

आयना माहिर की आखों में देखते हुए-"मदद करे तो दस लाख!"

माहिर अयाना को ऊपर से नीचे तक देखते हुऐ-
"बहुत कम किम्मत लगाई है तुमने खुद की,बस दस लाख!"

अयाना माहिर से नजरे हटाते-"मदद बोला है आप ध्यान दे तो ना कि खुद की किम्मत!"

ये सुनते ही माहिर हंस पड़ा -"सिरियसली बैड तक भी नहीं आना,मुझे खुश भी नहीं करना,और मदद चाहिए भी वो भी इतने की,वैसे चुकाओगी कैसे या भीख में(अयाना की इंसल्ट करते हुए) दूं मैं तुम्हें?"

अयाना-"भीख चाहिऐ भी नहीं......मदद चाहिए और लौटा देगें एक एक पैसा पर आप करिये तो सही मदद,हमें बहुत जरूरत है इन पैसों की,सिर्फ आज तक का वक्त है मेरे पास!"

माहिर-"ओह,चलो एक ऑफर करता हूं,मैं तुम्हें दस लाख दूंगा पर उसके लिए तुम्हें मेरे साथ वो सब करना होगा समझ रही हो ना........जो मुझे सकून दे (मुस्कुराते हुए)मेरे अकोर्डिग दो घंटो की कीमत चलो दो लाख है और तुम मुझे खुश करो तो डबल भी दे दूं यानि की हो गये पूरे चार लाख पर उन छं लाख का क्या वो कैसे दोगी क्योकि मै दो घंटे ही तुम्हारे साथ बिताऊंगा,पता है मुझे हर बार नयी(झूठ था ये) लड़की चाहिऐ होती है सो अफसोस(चू चू चू) कैसे चुकाओगी तुम और मैं अपने छं लाख यूंही तो (कंधे उचकाते हुऐ)नहीं दे सकता हूं और ना ही तुम्हें अपने यहां जॉब जो पैसों के बदले तुम काम करोगी!"

अयाना ना में सिर हिलाते -"कैसे इंसान है आप
हर रात नयी लड़की.....किसी दिन कम पड़ गयी तो लड़कियां?"

माहिर-"जैसा तुम सोच रही हो मैं वैसा ही हूं,(न
जाने क्यों माहिर अयाना के सामने वो बन रहा था जो वो नहीं था)फिलहाल तो नहीं पड़ी,इंडिया में कमी थोड़ी है लड़को से तो ज्यादा ही है गर्ल्स का आकड़ा और आगे का मैं आगे देखूंगा वो मेरी प्रोब्लम है उसे तुम छोड़ो,तुम तो बस मुझे अपना बताओ?"

अयाना-"बिना आपके साथ रात बिताऐ आप दस लाख दे तो ब्याज समेत हम आपके चुका देगें पर लगता नहीं आप देगें आपको तो मेरा स्वाभिमान इज्जत खरीदना है जिसकी किम्मत आप कोई भी किम्मत देने को तैयार है ,इगो जो हावी हो गया है आप वरना दस लाख आपके लिऐ कौन सी बड़ी बात है!"

माहिर-"पर तुम्हारे लिऐ तो है ना और हां तुम्हें जो समझना है समझ लो,चलो,अभी दस मिनट ही हुए है.... टाइम है तो ज़ो मुझे चाहिऐ वो दो,
बाकि  तुम अपनी सेल्फ रिस्पेक्ट मेरे पास गिरवी रख जाना....जब बाकि के छं लाख बन जाए तो ले जाना,छुड़वा लेना मुझसे पीछा!"

अयाना हैरानी से-"आप क्यों कर रहे है ऐसा?"

माहिर सर्द आवाज में-"तुम्हें ना तुम्हारी औकात दिखानी है ,माहिर खन्ना से उंची आवाज में बात करने का नतीजा मुझ पर हाथ उठाने काअंजाम,
आज जिस्म से खेलूंगा और कल दिल से क्योकि दो बार मैं यूज नहीं करता,.....आज रात मुझे वो खुशी दो और कल कुछ और देना मेरी मर्जी का,
जो मैं चाहूं वो करना,तुम पर राज करना है मैनैं,
तुम्हें अपने इशारो पर नचाना है,ताकि तुम जान सको माहिर खन्ना कुछ भी कर सकता है,अब तुम पर है यू हेव ओनली फाइव मिनट डिसाइड करलो,जल्दी डिसिजन लो मुझे वेट करने की आदत नहीं है और हां मैं मदद वैसे ही करूंगा जैसे मैं चाहता हूं ?नहीं चाहिए मदद तो दरवाजा वो रहा!"

इतना कह माहिर दरवाजे की ओर इशारा कर टेबल की ओर बढ़ा और फिर बोटल से वाईन गिलास में डाली और एक ही झटके में गटक गया-"आह......गिलास वापस टेबल पर रख पीछे मुड़ा तो अयाना वहीं मुर्त बने खड़ी थी!

"ओह गुड इट्स मीन यू रेडी एंड आई सी तुम्हारी मर्जी से ज्यादा तुम्हारी मजबूरी बड़ी है.... राईट एनीवेज मुझे उससे क्या.......तुम्हें डील मंजूर है और मैं तो चाहता हूं कि तुम्हारे साथ मेरी ये रात हसीं बने?"कहते माहिर अपने नाईट गाऊन के लेसिज खोलते अयाना की ओर बढ़ा,माहिर को अपनी ओर आते देख अयाना की सांसे चढ़ने लगी पर वो चाहकर भी वहां से नहीं जा सकती थी ,अपनी मां के इलाज का सोच उसके कदम उस कमरे से बाहर न बढ़ पाए,माहिर खन्ना उस
के करीब आ रहा था अयाना अपने कदम पीछे लेने लगी और वो दीवार से जा लगी तभी माहिर अपनी दोनों हथेली दीवार पर रख अयाना को बाहों के घेरे में लेकर उससे चेहरे के करीबअपना चेहरा लाते बोला-"इस दीवार से बाहर नहीं जा पाओगी तुम,आना ही है तो मेरी ओर आओ!"

ये सुनते ही अयाना की पलकें लगातार झपकने लगी और दिल घबराहट के मारे तेजी से धड़कने लगा और साथ ही होठ थर्र थर्र कांपने लगे...ये देख माहिर अपना चेहरा थोड़ा ओर अयाना के करीब लाते धीरे से फुसफुसाते हुए बोला-"अपने इन लाल सुर्ख होठों को फड़फड़ाना बंद करो,मैं इन्हें शांत नहीं कर पाऊंगा क्योकि मैं लिप किस कभी नहीं करता!"

ये सुनते ही अयाना साड़ी को कसकर मुठी में भींच लेती है और होठ भी अंदर कर उन्हें दातों से दबा लेती है तभी अयाना की दोनों मुठ्ठी की ओर देख उसके चेहरे पर आई बालों की लटो को माथे से पीछे हटाते हुए माहिर बोला-"इस साड़ी छोड़ दो अपनी ,इसे मैं उतारने वाला हूं!"

 

(क्रमशः)
 

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