अयाना ने अपनी साड़ी तो नहीं छोड़ी पर आखें जोर से मूंद ली,उसका परेशानी घबराहट से  पीला पड़ा चेहरा जिसपर गालों पर थोड़ी लाली भी छाई हुई थी,शायद शर्म की वजह से जो लाजमी भी था पहली बार किसी शख्स को अपने इतने करीब पाकर,,,माहिर का ध्यान उस ओर खींच ही लाई क्योकि इस सबके साथ अयाना के चेहरे से उसकी मासूमियत भी साफ झलक रही थी जो उसे बहुत ही खूबसूरत बना रही थी पर माहिर जो कि इतनी जल्दी पिघलने वालों में से नहीं था जो तरस खाकर छोड़ दे या अपनी इगो एटीट्यूड के अगेंस्ट जाए ये तो होने से रहा,उसे नहीं पिघलना था उसका इरादा तो कुछ और ही था!

उसने अयाना के मासूमियत भरे चेहरे से अपनी नजर हटाई और और अपने इगो के चलते और अयाना को उसकी औकात दिखाने के इरादे से अयाना पर झुकते हुऐ अपने चेहरे को अयाना की गर्दन के पास ले गया!

माहिर के स्ट्रोंग परफ्यूम की महक अयाना के बदन को छू रही थी पर जैसे ही माहिर की गर्म सांसो की छुअन अयाना को अपनी गर्दन पर महसूस हुई,अयाना जो अपने अंदर ही अंदर खुद के साथ जंग लड़ रही थी उसने उसी पल दम तोड़ दिया और वो "नहीं" चिल्लाते हुए माहिर को जोर से धक्का देकर खुद से दूर धकेल देती है!!

माहिर अयाना  से दूर जमीन पर जा गिरा!
 

गिरते ही "व्हाट द हेल?"बोलते माहिर ने अयाना की ओर देखा जो ना में सिर हिलाते हुए खुद से बड़बड़ा रही थी-"नहीं नहीं मुझसे नहीं होगा मैं नहीं कर सकती,नहीं होगा और उसी वक्त जमीन पर पड़ा अपना बैग उठाकर वहां से भाग गयी!

माहिर गुस्से से तिलमिलाते हुए जमीन से उठा और वाईन की बोतल जोर से कांच के टेबल पर दे मारी जिससे बोतल और टेबल का कांच टूट गया ,अपने बालों को हाथों से पीछे कर कमरे में जोर से चिल्लाया-"नो नॉट अगेन नो!"

अयाना भागते हुऐ ऊपर से नीचे आई,अनुज की नजर उस पर पड़ी वो उसे रोक पाता या उससे कुछ पूछता उससे पहले ही वो वहां से भागते हुऐ होटल के बाहर चली गयी!

"ओह सिट ,क्या हुआ होगा बॉस पहले ही गुस्से में थे कही अयाना मिश्रा ने उनके गुस्से को और न बढ़ा दिया हो,जाकर देखना होगा?"...बोलते अनुज फास्ट फ्लोर पर रूम नंबर 36 की ओर सिढियो से होते भागा जैसे ही"सर "कहते अनुज कमरे में पहुंचा तो देखा टेबल का कांच टूटा हुआ था पूरा रूम बिखरा पड़ा था,बैड सीट पिलो सब जमीन पर पड़े थे,ड्रेसिग टेबल की चीजें भी नीचे गिरी थी और माहिर गुस्से में इधर उधर चक्कर काट रहा था ये देख अनुज डर गया,उसे समझने में एक पल न लगा कि माहिर खन्ना बहुत गुस्सें में है पर फिर भी वो थोड़ी  हिम्मत कर सहमी सी आवाज में कहता है-"सर!"

माहिर रूककर अनुज की ओर देखता है और उस पर झपटकर उसकी कॉलर पकड़ लेता है
"वो लड़की फिर मेरी इंसल्ट करके चली गयी,
मैं उसे छोडूंगा नहीं,मुझे वो लड़की चाहिए,सुन रहे हो तुम,क्या नाम था उसका?"

अनुज सहमा सा-"वो वो अयाना?"

माहिर चिल्लाते हुऐ-"पूरा नाम बको?"

अनुज तपाक से बोला-"अयाना मिश्रा?"

माहिर गुस्से से दांत भींचते हुऐ-"अयाना मिश्रा को मेरे पास लेकर आओ?"

अनुज दबी सी आवाज में-"वो नहीं आएगी सर,
बहुत स्वाभिमानी लड़की है ,आज भी वो यहां अपनी मर्जी से नहीं मजबूरी से आई थी,आपकी बात मानने के लिए वो मन से नहीं आई थी सर,
आईथिंक आप जो चाहते थे वो नहीं कर पाई तो वो यहां से भागकर चली गयी,उसको जरूरत थी पैसों की........कि तभी माहिर ने उसकी कॉलर छोड़ उसे पीछे की तरफ झटका दिया और गुस्से से दांत पीसते हुए बोला-"मुझे बस वो लड़की चाहिऐ?"

अनुज-"क्या पर सर वो चली गईं और वो नहीं आने वाली है ,वो नहीं आएगी!"

माहिर -"सुना नहीं तुमनें मुझे वो चाहिऐ जब तक मैं रेडी होकर आऊं उस लड़की को मेरे सामने लेकर आओ?"
अनुज-"सर आप मेरी बात तो सुनिये?"
माहिर-"सुना नहीं तुमने मुझे वो लड़की अयाना मिश्रा चाहिए?"
अनुज-"सर वो सच में उस टाइप की लड़की नहीं है!"
माहिर-"आईनो,वो उस टाइप की लड़की नहीं है वो किस टाइप की लड़की है मैं ये भी जानता हूं बट मुझे वो चाहिए और मन ही मन खुद से-"
हिसाब चुकता जो करना है उससे मुझे,उसने मुझे धक्का दिया,किसी लायक नहीं छोड़ूगा अब मैं तुम्हें ,ये सही नहीं किया तुमने वाकई में मुझसे ये मुलाकात तुम्हारी लाइफ की सबसे बड़ी गलती साबित होगी,,,अयाना व्हाट एवर!"

तभी अनुज फिर बोला-"सर?"
माहिर फिर उस पर चिल्लाते हुऐ-"तुमने सुना नहीं अभी तक यहीं खड़े हो जल्दी बुलाओ उसे यहां?"
अनुज हैरान होते-"जल्दी!"

माहिर-"हां जल्द से जल्द मुझे वो यहां चाहिए,
अगर उसे उसके घर से जाकर लाना पड़े.... तो जाओ लेकर आओ उसे मेरे सामने?"

ये सुन अनुज तपाक से बोल पड़ा-"घर कहां है पता नहीं सर?"
माहिर उसे घूरते हुए-"घर कहां है पता नहीं,वो तुम्हारी जानकार है ना आईमीन तुम उसे जानते हो फिर तुम्हे वो कहां रहती है ये भी पता होगा,
देखो मुझे झूठ कहोगे तो तुम्हारे लिए अच्छा नहीं होगा?"

अनुज नजरे झुकाते-"मैं सच कह रहा हूं सर,मैं सिर्फ नाम जानता हूं उस लड़की का और कुछ नहीं?"

माहिर चिल्लाते हुए-"व्हाट,सिर्फ नाम जानते हो तुम उसका और कुछ नहीं,तुमनें मुझसे झूठ कहा
,बिना जाने ही तुम उसे जॉब और पैसे दिलवाना चाहते थे मुझसे...तुमने मुझसे झूठ क्यों बोला?"

अनुज-"सॉरी सर,वो उसे जॉब देना ही था तो 
कह दिया आपसे कि मैं उसे जानता हूं और उस की जिम्मेदारी भी ले ली,वो लड़की मुझे अच्छी आईमीन सच्ची लगी,....मैं उसकी हेल्प करना चाहता था,एंग्रीमेट बनाते टाइम मैं उसके बारे में पूरी डिटेल्स पूछने वाला था बट एग्रीमेंट तो नहीं हुआ,फिलहाल मुझे सिर्फ उसका नाम ही पता है!"

ये सुन माहिर ने फिर उसका कॉलर पकड़ लिया
-"इडियट सिर्फ नाम जानकर तुम उस लड़की को मेरे कैबिन तक ले आए,एनीवेज(अनुज को छोड़ते)मुझे अब उसकी हर खबर चाहिऐ जस्ट नॉऊ गो एंड उसके बारे में इंफोर्मेशन निकाल कर लेकर आओ!"

अनुज माहिर को समझाते-"आईनो सर आप गुस्से में है रिलेक्स,बट सर .....तभी माहिर ने फिर उसकी कॉलर पकड़ ली और उसे घूरते  बोला-"जितना कहा जाए उतना करो,मुझसे जुबान लड़ाने की कोई जरूरत नहीं है वरना अंजाम बहुत बुरा होगा,मैं रेडी होकर आऊं तब तक उस लड़की का बॉयो डाटा तुम्हारे हाथ में होना चाहिऐ..... मुझे वो लड़की चाहिऐ इट्स फाइनल!"इतना कह अनुज को छोड़ माहिर वाशरूम में चला गया!!

अनुज माहिर को जाता देख और उस कमरे की हालत देख अपना सिर पकड़ लेता है और थूक निगलते हुऐ खुद से बोला-"क्या हुआ था ऐसा यहां जो सर इतने गुस्से में है और वहीं लड़की इनको वापस चाहिए जबकि वो लड़की यहां कभी नहीं आएगी,अयाना वो लड़की नहीं जो माहिर खन्ना चाहे और उनके पास भागी चली आए अब क्या करूं मैं,कौन सी आफत आने वाली है जितना उस लड़की को देखकर समझ पाया हूं और वो जैसे यहां से भागकर गयी है ये तो पक्का है उसको यहां लाना आसान नहीं पर माहिर खन्ना तो उस लड़की को लेकर जिद्द पर आ गये है,पता लगाना होगा अयाना के बारें में स्ट्रिक्ट आर्डर जो है?अयाना मिश्रा अब सर को चाहिए कैसे होगी अब इनकी ये जिद्द(परेशान होते) पूरी?"

________

अयाना भागते हुए होटल से बाहर आ गयी ,उस वक्त बाहर बारिश हो रही थी,होटल एरिये से जैसे ही वो बाहर निकली और भागते हुऐ सड़क पर पंह़ुची तो वो हांफ रही थी,.....सड़क की साइड वाली जगह एक पेड़ के पास वो रूककर अपने हाथो से अपनी कमर पकड़ जोर जोर से आहें भरने लगी पर उसे उस वक्त बड़ा ही सकून मिल रहा था मानो किसी घुटन से उसने राहत पा ली हो!

तभी अपनी मां के इलाज का सोच उसका रोना निकल आया और वो" क्यों क्यों"चिल्लाते हुऐ अपना सर पकड़ सुबकियां भरती वहीं सड़क पर बैठ गई उसकी सिसकियां जारी थी,उसके सामने माहिर खन्ना का चेहरा घूमने लगा जो कि उससे बर्दाश्त नहीं हो रहा था इसलिऐ वो अपनी आखें मूंद लेती है,माहिर के कहे लफ्ज उसके कानों में गूंजने लगे इसलिऐ वो अपने कानों पर हाथ रख लेती है,उसे माहिर की बातों से ही घिन्न के साथ खुद पर भी उस वक्त गुस्सा आ रहा था-"क्यों गयी मैं ,वहां नहीं जाना चाहिऐ था मुझे,एक बार भी नहीं सोचा उसके बाद क्या होगा,मै खुद के जमीर को मार अपनी मां को जिंदगी देने जा रही थी.....हां अपनी मां के लिऐ उनकी अयू जान दे सकती है पर ऐसे नहीं,ऐसे नहीं!"

"अगर कर जाती आज वो सब और कभी मां को पता चलता तो वो तो जीते ही नहीं,मर जाते,खुद को मार डालती ये सोच की उनकी बेटी ने खुद को बेचकर उसे सांसे दी है वो खुद का गला घोट लेती,अगर मेरे किये का पता चला तो उन्हे,ये सब करने के लिऐ मां ने मुझे नहीं पाला है.....मैं कैसे अपनी मां के दिए संस्कारो,...सीख,...आदर्शों को भूल जाऊं...उन्होनें मेरे लिए कुछ और ही ख्वाब देखे है कैसे किसी शख्स के मैं इतना करीब जा सकती हूं जिससे मेरा कोई रिश्ता नहीं ,कैसे वो सब कर अपनी मां को जिंदगी देने की जगह मैं ऐसी मौत दूं जो मां और उनकी बेटी दोनों को पल पल मार डालेगी,कैसे मां का भरोसा तोड़ सकती हूं!"

वहीं तो मेरी सबकुछ है जिस अयू पर उन्हें मान है पता चला उनको मैं अपना स्वाभिमान अपनी इज्जत उनके लिए बेच आई तो ना वो मुझे माफ करेगी ना ही मुझसे रिश्ता रखेगी जो मां मुझसे प्यार करती है उसकी नजर में कैसे गिर सकती हूं.....एम सॉरी मां एम सॉरी पर क्या करूं मै,कैसे बचाऊं आपको कैसे.....हार गयी आपकी बेटी,
कोई रास्ता नजर नहीं आ रहा है कोई भी रास्ता नहीं और जो चुना मैनैं वो गलत है बहुत गलत जो कहने को तो आपको जिंदगी दे ही देगा पर आपकी अयू की जिंदगी छीन लेगा जो आप सह नहीं पाएगी नहीं सह पाएगी!"

अयाना बारिश में वहीं सड़क पर बैठी रो रही थी,
बारिश में वो भीग रही थी पर बारिश की बुदों के साथ उसके अंदर का दर्द भी आखों से कतरा कतरा कर बह रहा था जिस दर्द की आज कोई सीमा नही थी खुद को हारी हुई टूटी हुई महसूस कर रही थी वो,उसे ऐसा लग रहा था जैसे सब
कुछ उसके हाथो से छूट रहा था और वो लाख कोशिश के बावजूद भी उसे नहीं पकड़ पा रही थी ,वो बेबस लाचार महसूस करते खुद को कोस रही थी क्योकि वो चाहकर भी कुछ नही कर पा रही थी खासकर अपनी मां राजश्री जी के लिऐ,
उस वक्त अपनी मां का सोच उसका दिल बैठा जा रहा था और उसे डर सता रहा था अपनी मां के हाथ का उसके हाथ से छूट जाने का!

तभी अयाना का फोन बजता है और फोन की रिंग सुन उसका का ध्यान उन बातों से हटा और उसने अपने बैग पर नजर डाली,अयाना जल्दी से अपना फोन बैग से निकालती है और अपने चेहरे पर आए गीले बालों को हटाते हुऐ फोन की ओर देखा-"पिहू!"

अयाना ने खुद को संभाला और बैग लेकर नीचे से उठी और कॉल रसीव कर बोली-"हां पिहू!"

"कहां हो दी आप?"आगे से पिहू ने कहा!
"क्या हुआ पिहू तुम इतनी घबराई हुई सी क्यों बोल रही हो?सब ठीक है ना?".....अयाना ने परेशान होते हुऐ पूछा,
"दी आप जल्दी हॉस्पिटल आ जाओ ,बुआ को आपसे मिलना है ,आप जल्दी आ जाओ?"आगे से पिहू ने फिर कहा!
"हां बच्चा आ रही हूं अभी थोड़ी देर में पहुंचती हूं ,मां को कहना आ रही उनकी अयू बस अभी आई?" कहते अयानाने फोन कट कर उसे बैग में डाला-"जल्दी घर पहुंच कपड़े चेंजकर हॉस्पिटल जाती है और एक बार और डॉक्टर वर्मा से बात करती हूं, कोई तो रास्ता मिल ही जाएगा प्लीज माता रानी बस डॉक्टर वर्मा एक बार मेरी मां का ऑपरेशन कर दे बाद में हम इलाज का सारा का सारा पैसा चुका देगें चाहे फिर कितनी ही दिन रात मेहनत हमें करनी पड़े?"...बोलते वो ऑटो पकड़ वहां से चली जाती है!!

_______

 

अयाना हॉस्पिटल पहुंचती है तो देखती है प्रकाश जी चेयर पर सिर झुकाए बैठे थे ,सविता जी भी उनके पास नम आखें लिऐ बैठी थी,पिहू वहां पर नजर नहीं आ रही थी तभी अयाना थोड़ा हैरान परेशान होते उनके पास आई और सविता जी की ओर देखते बोली-"मामी क्या हुआ?"और फिर प्रकाश जी के सामने नीचे बैठ उनके हाथ पर अपना हाथ रख बोली-"मामा जी!"

(क्रमशः)

Continue to next

No reviews available for this chapter.