प्रकाश जी ने नजरें उठाकर उसकी ओर देखा तो अयाना उनकी लबालब आसुओं से भरी आखें देख सवालिया नजरों से उनको देखते फिर बोली
-"मा....मा जी?"
प्रकाश जी उठे और अयाना को कंधो से पकड़ कर अपने सामने खड़ा करते बोले-"माफ कर दे बेटा.....कुछ नही कर पाया तेरा मामा ना तेरी मां के लिऐ और ना ही अपनी जीजी के लिए माफ कर दे!"
ये सुन अयाना ना में सिर हिलाते हुऐ बोली-"ऐसे मत कहिऐ मामा जी,आपने तो हमेशा से कितना कुछ किया है आप बेस्ट भाई ही नहीं बेस्ट मामा हो....और आपको पता है ना आपका खरगोश कभी झूठ नहीं भूलता है और आप हो कि रो रहे हो,हम कुछ करेगें ना हम ना डॉक्टर को मनाएगें वो करदेगें मां को ओपरेशन और आपकी जीजी और मेरी मां,पिहू की बुआ देखना बिल्कुल ठीक हो जाएगें चलिए आसूं पौछिऐं अपने,मां लाल आखें देखेगें तो उन्हें अच्छा थोड़ी लगेगा(प्रकाश जी के आसूं पौंछते हुऐ)....क्या मामी आज आप भी रो रही है आपको तो मामा जी को भी डांटना चाहिए कहां गया आपका वो रौद्र रूप,आप ना डांटते चिल्लाते अच्छे लगते हो ऐसे रोते हुए नहीं
(सविता जी के भी आसूं पौंछते हुए)पर दोनों के आसूं लगातार बहते देख अयाना चिढ़ गयी-"क्या है हम यहां आपको चुप होने को कह रहे है और आप हो कि रोए जा रहे हो और ये पिहू कहां है मुझे तो बड़ा कहती है रोते दी आप अच्छे नहीं लगते है अब अपने मम्मी पापा को आकर देखे कैसे बच्चो की तरह बिलख रहे है....डोंट डू दिश मामा जी!"
अयाना अंदर ही अंदर बहुत घबरा रही थी ऊपर से अपने मामा मामी की ऐसी हालत देख उसे डर भी लग रहा था फिर भी वो खुद को संभालते हुए उनको संभाल रही थी,समझा रही थी!
तभी सविता जी बोली-"अयाना....जाओ जल्दी जाकर अपनी मां से मिल लो?"
अयाना-"मां से तो मिलेगें ही ना मामी!"
तभी प्रकाश जी अपने आसूं पौंछते अयाना के सिर पर हाथ रखते बोले-"जा मिल ले खरगोश अपनी मां से आखिरी बार,वो आखिरी सांसे ले रही है,लड़ रही है मौत से कि कुछ देर रूक जा अपनी लाडली अपनी बेटी का चेहरा तो देखकर जाऊं जा...... मिल ले और करदे अपनी मां की आखिरी इच्छा पूरी!"
ये सुनते ही अयाना को मानो शॉक लग गया उस के कदम पीछे की तरफ लड़खड़ा गये ,वो गिरती कि प्रकाश जी ने उसे पकड़ लिया-"संभाल बेटा खुद को संभाल.....तुझे संभालने वाली जा रही है तुझे संभलना होगा!"
ये सुन अयाना अपना हाथ प्रकाश जी से छुड़ाती है और" नहीं ऐसा कुछ नहीं होगा नहीं होगा,मेरी मां को कुछ नहीं होगा ,,,,सुना आपने कुछ नहीं होगा और आप ये रोना धोना बंद करो मैं भी देखूं कैसे जाती है वो मुझे छोड़कर?मां"कहते अयाना भागकर वार्ड रूम में चली गयी,उसके पीछे पीछे प्रकाश जी और सविता जी भी आ गये!
जैसे ही अयाना"मां कहते अंदर पहुंची तो देखा राजश्री जी जोर जोर से सांसे ले रही थी,उनकी आखों से बेहिसाब आसूं बह रहे थे वो होठों को दातों से दबाये हुए थी और अपनी आखें मीचें पर जैसे ही अयाना से मां सुना वो अपनी आखों को खोल दरवाजे की ओर देखती है जहां पर अयाना खड़ी थी,राजश्रीजी ने "अयू" पुकारना चाहा पर उनके लफ्ज उनके मुंह में ही ठहर गये,बस होंठ हिले,"बुआ अयू दी आ गयी"राजश्री जी के पास खड़ी पिहू तपाक से बोली!
अयाना फट से राजश्री जी के पास आई ,उनके हाथ अपने हाथों में लेते हुऐ बोली-"मां,आपको कुछ नहीं होगा,अभी- आज ही आपका इलाज होगा,आप बिल्कुल ठीक हो जाओगे,है ना पिहू
(पिहू की ओर देख)फिर मां के साथ अंताक्षरी भी खेलनी है हमें,है ना और इस बार मां आप ना जानबूझकर मत हारना ठीक है,क्योकि इस बार मैं और पिहू फुल तैयारी के साथ आपके साथ ही खेलेगें,है ना पिहू.....बोलो ना पिहू मां से?"
पिहू हां में सिर हिलाते-"हां बुआ हमने बहुत ही अच्छी तैयारी की है बहुत सारे गाने सीखे है,अयू दी सच कह रहे है बुआ!"
अयाना फिर बोल पड़ी-"मां चाहो तो मामा जी से पूछ लो हमने फुल तैयारी की है ,है ना मामा जी(प्रकाश जी की ओर देखते) और वो भी मामी जी के उस रेडियो से जिसे मामी हमें हाथ भी नहीं लगाने देते है(थोड़ा हंसते हुऐ)पता है मां हम
नें रेडियो कैसे लिया.... चुराकर....सॉरी मामी जी (सविता जी की ओर देख)आपको बिना बताए उसको हाथ लगाया पर उसे वैसा ही छोड़ दिया सही सलामत, सच में खराब न किया क्योकि मां ने बताया है हमें वो आपके लिऐ कितना खास है और खास चीजे तो हमेशा पास रखनी चाहिऐ संभालकर....है ना मां ....जैसे मेरी मां मेरे लिए खास है(मुस्कुराते हुए) तो मां आप ना रेडी हो जाओ जीतने के लिए.....जानबूझकर हारने की कोशिश मत करना वरना हम सब आपसे सच्ची में रूठ जाऐगें ,है ना पिहू.....!"
"अरें .....मां(राजश्री जी के आंसू पौंछते)आप रो क्यों रहे हो दर्द हो रहा है...दर्द ही हो रहा है पता है मुझे....... मामा जी डॉक्टर को बुलाओ ना मां को दवा इंजेक्शन दे ....देखो इन्हें कितना दर्द हो रहा है और ये डॉक्टर वर्मा इनको दिख नहीं रही है क्या मां की हालत,इनके पास होना चाहिऐ उन
को.....डॉक्टर वर्मा(चिल्राते हुऐ)....बस मां रोओ मत अभी डॉक्टर आ रहे है!"
प्रकाश जी ,सविता जी और पिहू तीनों नम आखें लिये खामोशी से खड़े थे क्योकि डॉक्टर जवाब दे चुके थे....,राजश्री जी की हालत बहुत बिगड़ चुकी थी अब डॉक्टर भी कुछ नही कर सकते थे पिहू अयाना को ऐसे देख न पाई और रोते हुऐ आकर प्रकाश जी के सीने से लग गयी(अयाना की ओर इशारा कर)पापा दी!"
तभी अयाना ने तीनों की ओर फट से गर्दन घुमा
कर देखा-"आपको सुनाई नहीं दे रहा है क्या?डॉक्टर को बुलाईऐ(राजश्री जी की ओर देखते)
मैं खुद ही लेकर आती लाती ह़ूं मैं अभी आई मां कहकर अयाना अपना हाथ छुड़ाते राजश्री जी के पास से जाने लगी कि उन्होनें उसका हाथ नहीं छोड़ा,"मां हम आते है छोड़ो हाथ प्लीज मां हालत देखो अपनी,अभी बस डॉक्टर को लेकर आते है,आप हिम्मत मत हारो मां ,आपको कुछ नहीं होगा,सुन रही हो ना आप अपनी अयू की बात!"
"खबरदार जो .......जानबूझकर हारी आप मां,
छोड़ो हाथ अगर अभी आपने हाथ नहीं छोड़ा हम डॉक्टर को नहीं ला पाए तो(डरी सी आवाज
में) आप हमसें अपना हाथ हमेशा के लिए छुड़ा लोगी जो हम नहीं होने देगें मां....मत करो ऐसा मां......प्लीज मां डॉक्टर को लाने दो....मन के जीत जीत मन के हारे हार...हमें जीतना है इस बीमारी से मां..... हारना नहीं है मां प्लीज,मुझे जरूरत है मां आपकी......मां,मां आधे पैसों का इंतजाम हो चुका है आधे पैसे और आ जाएगें,
हम ले आएगें,सुबह आपका ऑपरेशन करवा देगें,आपका इलाज हो जाएगा मां आप ठीक हो जाओगी मां बिल्कुल ठीक.....बस हिम्मत मत हारो मां ,थोड़ी सी हिम्मत रखलो,विश्वास रखलो आपको कुछ नहीं होने देगें!"
अयाना उस वक्त लगातार बोले ही जा रही थी और अंदर ही अंदर उसे अपनी मां को खोने का डर सता रहा था वहां माजूद राजश्री जी के साथ सब उसका बेहिसाब बोलना देख उसकी हालत समझ पा रहे थे....,जहां वो राजश्री जी को हाथ छोड़ने को कह रही थी वहीं वो खुद उनके हाथ पर अपनी पकड़ मजबूत किए जा रही थी,तभी राजश्री जी ने अयाना को अपने करीब आने के लिऐ पलके झपकाकर इशारा किया!
"हां मां"कहते अयाना राजश्री जी के करीब हुई
जिस हाथ को दोनों मां बेटी ने पकड़ा हुआ था दोनों एक साथ मुस्कुराते हुऐ उसे चूमती है तभी राजश्री जी अयाना के चेहरे की ओर एकटक ही देखने लगी!
अयाना-"ऐसे क्या देख रही हो मां?"
राजश्री जी धीरे से बोलती है-"अ....अयू!"
अयाना उनके ओर पास होती है -"हां मां?"
तभी राजश्री जी के हाथ की पकड़ ढीली हो गयी वो अयाना का हाथ छोड़ अपनी आखें मूंद लेती है,अयाना ने अपने हाथ की ओर देखा जो ऊपर ही रह गया था और राजश्री जी का हाथ उनके सीने पर गिर पड़ा था,अयाना ने जल्दी से फिर उनका हाथ पकड़ा और दूजे हाथ से उनकी गाल सहलाते हुए घबराई सी आवाज में बोली-"मां,
मां आखें खोलो,देखो अपनी अयू को सुनो मेरी बात....मां मां मां चिल्लाते राजश्री जी को कंधो से पकड़ वो हिलाने लगी पर उनको न हिलता देख,वो हार्ट बीट वाली मशीन पर नजर डालती है जिससे टू टू की आवाज सुन अयाना जोर से चिल्लाई-"मां "और वो रोते बिखलते राजश्री जी के मृत शरीर से लिपट गयी,जो कि अयाना को हमेशा हमेशा के लिऐ छोड़कर जा चुकी थी!!
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राजश्री जी दुनिया छोड़ के जा चुकी थी,राजश्री जी के मृत शरीर को रातों रात ही घर ले आते है,
रातभर अयाना अपनी मां के मृत शरीर से लिपटी रही,सुबह होते ही राजश्री जी के दह संस्कार की तैयारियां होने लगी,आस पड़ोस के लोग,रिश्तेदार
जान पहचान वाले लोग राजश्री जी के निधन की खबर सुनते ही आने लगे,जरूरत में यह वर्ग भले ही आगे आए ना आए ऐसे मौको पर तो पहुंच ही जाते है बिना देरी किए,जिन्होनें कभी हाल चाल भी न पूछा आकर आज वो भी दुख की घड़ी में सरीक थे,सच में उनको दुख था या फिर दिखावा
ये तो वही लोग जाने पर आज मिश्रा हाऊस में बहुत ज्यादा भीड़ जमा थी!
अयाना अभी भी बीच आंगन में राजश्री जी के मृत शरीर के पास बैठी हुई उनके बेजान चेहरे को एकटक देख रही थी,उसकी आखों से आंसू बह रहे थे,तभी वहां मिस्टर जोशी आ गये,उन्हें देख पिहू ने प्रकाश जी और सविता जी की ओर देखा,कोई कुछ कहता कि मिस्टर जोशी अयाना के पास आ बैठे,और उसके सिर पर हाथ रखते बोले-"अयाना बेटा!"
अयाना को जैसे ही उनका स्पर्श महसूस हुआ और कानों में उनके कहे लफ्ज पड़े अयाना का चेहरा सख्त हो गया,उसने फट से मिस्टर जोशी की ओर देखा जो चेहरे पर दुख के भाव और आखों में नमी लिये राजश्री जी को देख रहे थे!
अयाना ने आखों के सामने उसी पल एक दृश्य चला आया जिसमें वो थी,उसकी मां थी और मिस्टर जोशी!
मिस्टर जोशी गुस्से में थे उनका एक हाथ राजश्री जी की दाई बाहं पर कसा हुआ था,तो दूजा हाथ राजश्री जी के सिर के पीछे था....जिसमें मिस्टर जोशी ने राजश्री जी बालों को पकड़ रखा था,वो
उनकी पकड़ से छूटने के लिए छटपटा रही थी पर ऐसा हो नहीं पा रहा था,पकड़ बहुत मजबूत थी,राजश्री जी को दर्द हो रहा था आखों से आंसू भी बह रहे थे पर मिस्टर जोशी को ना तो उनपर तरस आ रहा था ना ही अयाना पर जो उनके पैर से लिपटी रोती बिलखती मां मां करते अपनी मां को छोड़ने को कह रही थी-"पापा छोड़ दो...मां को,मां को चोट लग रही है छोड़ दो?"पर मिस्टर
जोशी को ना उनका दर्द महसूस हुआ और ना ही उनपर रहम आया,इतना ही नहीं एट द एंड जब उन्होनें राजश्री जी को धक्का देकर छोड़ा तो वो सामने की दीवार से जा टकराई और उन के सिर पर चोट आ गयी,उनके सिर से खून बहता देख
अयाना डर गयी,इतना डर गयी कि डर के मारे कांपने लगी,अपनी चोट भूल राजश्री जी अयाना के पास आई और उसको संभालते उसे कसकर अपने सीने से लगा लिया पर मिस्टर जोशी उन्हें ना तो बेटी की हालत से फर्क पड़ा और ना ही बीवी की चोट से!"
अयाना को जैसे ही मिस्टर जोशी का वो बेरहमी वाला पल याद आया उसने उसी पल अपने सिर से उनका हाथ हटा उनको धक्का दे दिया,जिसके चलते वो पीछे की तरफ जा गिरे,अयाना उनपर गुस्सा होते जोर से चिल्लाई-"दूर रहिए मेरी मां से!"
मिस्टर जोशी अयाना की ओर हैरानी से देखते है जो उनको खा जाने वाली निगाहों से देख रही थी
वहां मौजूद लोग हैरानी से एक दूजे की ओर देख
खुसर पुसर करने लगे,अयाना कि इस हरकत पर मिस्टर जोशी को गुस्सा आ गया वो नीचे से उठे और अयाना पर चिल्लाते हुए बोले-"अयाना यह क्या बतमीजी है!"
अयाना नीचे से उठते हुए-"क्यूं आए है यहां चले
जाईए,मेरी मां के जाने का मातम मनाने तो आए नहीं होगे यहां,देखने आए होगें ना मुझपर हंसने आए होगें ना मैं अपनी मां को नहीं बचा पाई,मां को नहीं बचा पाऊंगी मैं आपने तो पहले ही कह दिया था,आपका कहा सच हो गया खुशी हो रही होगी ना आपको तो...वो आगे बोलती कि मिस्टर जोशी मुस्कुरा दिये-"जो पता है वो मुझे फिर से दोहराने की जरूरत नहीं है,हां नहीं बचा पाई तुम राजश्री को,बचा पाती तो जिंदा होती,देखो,देखो ना चली गयी राजश्री(राजश्री जी के मृत शरीर की ओर इशारा करते)क्या कहा था तुमने,इलाज करवाओगी बचा लोगी कुछ नहीं होने दोगी तुम अपनी मां को.....पर मुझे तो कुछ और ही नजर आ रहा है,तुमने जो बोला था वो तो हुआ नहीं,
कहा था ना अकेले नहीं संभाल पाओगी,अयाना देखो तुम्हारी जिद्द ने राजश्री की जान ले ली,वो चली गयी तुम्हें छोड़कर!"
(क्रमशः)
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