मिस्टर जोशी की बात सुन अयाना अपनी आखें मूंद लेती है मिस्टर जोशी उसके पास आए और उसे कंधो से पकड़ फिर बोले-"जवाब दो अयाना,परिवार माता रानी का आशीर्वाद,मां का साथ....सब था तुम्हारे पास फिर यह कैसे हो गया,राजश्री कैसे मर गयी,जिंदा
क्यूं नहीं है तुम्हारी मां,क्या तुम पर विश्वास न था
तुम्हारी मां को तुम बचा लोगी,शायद न था तभी तो देखो चली गयी राजश्री चली गयी,मेरी बात मान लेती तो जिंदा होती आज राजश्री,जब जब मैनैं मदद की बात की तुमने मना कर दिया और देखो नतीजा.....वो आगे बोलते कि प्रकाश जी उनके पास आए और उन्हें अयाना से दूर करते बोले-"बस किजिऐ!"

मिस्टर जोशी उन पर भी चिल्ला दिये-"क्यूं बस करूं?"

प्रकाश जी हाथ जोड़ते-"चले जाईऐ यहां से,इस दुख की घड़ी में थोड़ा तो रहम खाईए इस बच्ची पर,क्या बोले जा रहे है आपको पता भी है,क्यों 
तकलीफ बढ़ा रहे है इस बच्ची की,जिसपर हाल ही में दुख का पहाड़ टूटा है अपनी मां को खोया है अयाना ने,थोड़ा तो सोच समझकर बोलिए!"

मिस्टर जोशी अयाना की ओर हाथ से इशारा कर
-"अपनी म़ां को खोया है ....वजह भी तो यही है और मैं जो कह रहा हूं सच ही कह रहा हूं!"

सविता जी-"सच आप भी जानते है और हम भी
,सच को लेकर मुंह ना खोले आप तो ही बेहतर रहेगा आपके लिए वरना हमारा मुंह खुल गया तो मुंह छिपाने को जगह ढू़ंढ़ते फिरोगे आप?"

मिस्टर जोशी सविता जी से-"ओह तो अब आप भी बोल रही है!"

तभी पिहू उनकी तरफ चली आती है-"जब आप बकवास कर सकते है तो हम भी बोल सकते है मिस्टर जोशी और हां आपकी तरह यहां के लोगों की सोच घटिया और छोटी नहीं है जहां औरत के बोलने पर पांबधी हो,एक औरत कुछ भी बोलने की हिम्मत करे गलत के खिलाफ आवाज उठाये तो उसकी हिम्मत तोड़ उसे अहसास दिलाये कि ये पाप है,ये हमारे यहां नहीं होता,यहां की औरते सच बोलना भी जानती है और सच दिखाना भी,
आपका जो सच है ना वो हमसे छुपा नहीं है तो 
ये अच्छे बनने का जो ढोंग दिखाने आप यहां पर आए है ना कोई जरूरत नहीं है,आपकी हमदर्दी आपके पापों को पुण्य में नहीं बदल सकती!"

मिस्टर जोशी ऊंची आवाज में चिल्लाएं-"पिहू?"

पिहू उनसे उसी लहजे में उनसे पेश आती है-"
चिल्लाईएं मत,आवाज नीची रखिऐ मिस्टर जोशी
मैं सोचती थी कि क्या आपको सच में पछतावा हो गया है आपको अपनी बीवी बेटी की परवाह है पर नहीं आज आपने जो किया है सच कहती है अयू दी आपका ये सब दिखावा है आप नहीं सुधर सकते है,जो मीठी मीठी बातें करते है खुद को महानियत साबित करने के लिए पर हम सब जानते है आप कितने महान है,...ना तो आपको बुआ के जाने का गम है ओर ना ही अयू दी की तकलीफ का अहसास,अगर ऐसा होता तो आप इस वक्त अयू दी को ऐसी जली कटी बातें नहीं सुनाते,एक नंबर के घटिया इंसान है आप मिस्टर जोशी,बाप के नाम पर कंलक है!"

पिहू की ये बातें मिस्टर जोशी का गुस्सा बढ़ा देते है,वो "पिहू" कहते उस पर हाथ उठाने लगे कि पिहू ने उनका हाथ पकड़ लिया और हाथ झटका
उनको पीछे की तरफ धकेल दिया,जिसके चलते वो पीछे की ओर लड़खड़ा गये,वो पिहू की ओर घूरकर देखते है पिहू उनपर चिल्लाती है-"मिस्टर
जोशी हाथ उठाने की गलती मत किजिएगा,मेरी दी मेरी बुआ की कसम में बंधी है पर मैं नहीं मैं आपका हाथ तोड़ सकती हूं और गर्दन भी मरोड़ सकती हूं,अच्छा रहेगा दूर रहिएगा मिश्रा परिवार के हर सदस्य से,वरना कसम मेरी दी और बुआ की आपका नामोनिशान मिटा देगें दुनिया से!"

मिस्टर जोशी को आज पिहू में अयाना सा गुस्सा अयाना का ही रूप दिख रहा था,पिहू फिर बोली
-"आपको शिकायत होगी मेरी अयू दी से पर ना हम सबको शिकायत है ना ही मेरी बुआ को,अयू दी ने कोई कसर नहीं छोड़ी बुआ जी का इलाज
करवाने में उनको बचाने में और ये बात मेरी बुआ अच्छे से जानती है,हम लोग जानते है,तो आपकी बकवास से यह़ां पर कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है आज बुआ जहां भी है खुश है और उन्हें गर्व भी अपनी बेटी पर अपने भाई पर अपने परिवार जिन्होनें जी- जान लगा दी थी उनको ठीक करने में!"

मिस्टर जोशी हंस दिये-"अच्छा और नतीजा?जी जान लगा दी क्या फायदा ऐसी जी जान का जो 
कुछ हासिल ही नहीं हुआ,आप सबकी जिद्द ने आज राजश्री को हमसब से दूर कर दिया,राजश्री मेरी बीवी की जान आप सबकी वजह से गयी है जो कुछ नहीं कर पाए!"

पिहू मुस्कुरा दी-"हमसब से,....आप हम में नहीं आते है,वैसे कमाल की बात है जिसने कभी मेरी बुआ की फिक्र नही की कद्र नहीं की आज बड़ी  परवाह हो रही है,ये परवाह पहले दिखाते ना तब फिर भी समझ आती.....जिसने हमेशा बुआ पर अत्याचार किया आज बड़ा प्यार आ रहा है बीवी याद आ रही है,हमसे जो बन पड़ा...किया हमनें,
आपकी तरह ढोंग करने करने आदत नहीं हमारी
बुआ के साथ जो हुआ उसके कसूरवार आप है ना कि अयू दी,दी ने तो पूरी कोशिश की बुआ के दर्द तकलीफ को कम करने की पर बुआ ही नहीं चाहते थे अयू दी परेशान हो इसलिऐ वो भगवान जी के पास चली गये,पर आप....आपने तो उन्हें दर्द ही दिया है हमेशा और अब भी वही कर रहे है,तकलीफ ही पहुंचा रहे है अयू दी को,बुआ को,
आपकी इसी करनी की वजह से तो बुआ ने आप को माफ नहीं किया,जीते जी तो क्या उनके जाने के बाद भी आपको माफी नहीं मिल सकती है!"

प्रकाश जी -"सही कहा पिहू,ये इंसान माफी के लायक ही नहीं है,सच कहे ना तो आपको बुरा जीजी के जाने का नहीं इस बात का लग रहा है हमनें आपकी बात नहीं मानी आपके अहसानों तले ना दबे,ऐसा कैसे होता मेरी बहन को कभी मंजूर ही नहीं था आपसे अहसान लेना और ना  हम चाहते थे आपकी मदद से उन्हें जिंदगी मिले
क्या मिलता आपसे हेल्प लेकर उनकी जान बचा लेते तो मर तो वैसे ही जाना था राजश्री जीजी ने
जब पता चलता सागर जोशी कि मदद से इलाज हुआ है तो वो खुद ही अपना गला घोट लेती,ऐसा करने से रोक भी लेते हम तब भी पल पल मरती वो ताउम्र!"

सविता जी-"अच्छा है अब उन्हें अच्छे से मरना तो नसीब हुआ वरना आप तो यही चाहते थे ना वो चैन से जीये ना ही मरे!"

मिस्टर जोशी का जबड़ा कस गया-"मुंह बंद करो अपना,बहुत बकवास कर रहे हो तुम सब?"

पिहू-"तो आप सुन ही क्यूं रहे है बकवास हमारी
चले जाईए यहां से,ऐसा तो है नहीं हमने आपको इंवाइट किया है या आपकी यहां जरूरत है,आप जा सकते है फिर आने की भी कोई जरूरत नहीं है और ना ही मेरी अयू दी को कुछ भी कहने की 
सुनाने की जरूरत है,कुछ भी बकवास की गलत कहा दी को तो अच्छा नहीं होगा,अयू दी के लिए खिलाफ कुछ भी बुरा नहीं सूनूंगी, उस शख्स से तो कभी नहीं जिसकी ना औकात है ना ही हक,
अयू दी ने एक बेटी होने का फर्ज बहुत अच्छे से निभाया है,अगर किसी ने नहीं निभाया है अपना फर्ज तो वो आप है मिस्टर जोशी, ना एक अच्छे पति बन पाए आप ना ही पिता,धक्के देकर यहां से आपको निकाले उससे पहले निकल जाईऐ यहां से!"

मिस्टर जोशी फिर कुछ नहीं बोल पाएं,उन्होनें एक नजर अयाना कि ओर देखा जो आखें मूंदे बुत बने खड़ी थी,बंद आखों से भी आंसू निकल
उसके चेहरे को भिगो रहे थे ,वो उसी वक्त पैर पटकते वहां से चले गये!

प्रकाश जी ने पिहू और सविता जी से अयाना को कमरे में ले जाने को कहा,दोनों उसी वक्त अयाना को वहां से ले गयी और प्रकाश जी ने एक नजर राजश्री जी के मृत शरीर को देखा और उनके देह संस्कार की तैयारी में लग गये!

_______
 

आलीशान बंगले में एक बड़ी सी ब्लेक कलर की गाड़ी आकर रूकी,,,,गार्ड ने आकर फट से गाड़ी का दरवाजा खोला,गाड़ी से मिस्टर जोशी बाहर निकले ...और तेजी से चलते बंगले के अ़ंदर चले गये,वो बंगला मिस्टर जोशी का ही था,जैसे ही वो अंदर हॉल में पहुंचे एक संजीदगी भरी आवाज 
सुन उनके कदम  जहां थे वहीं रूक गये-"खाली हाथ फिर लौट आए ना सागर!"

मिस्टर जोशी ने दाई ओर देखा,एक औरत उनकी ओर आ रही थी,जिसने नीले रंग की साड़ी पहनी हुई थी वो मिस्टर जोशी की दूसरी बीवी थी मीना
जोशी,पास आते ही वो मिस्टर जोशी की बाहं पर हाथ रखते बोली-"क्या हुआ सागर!"

मिस्टर जोशी आह भरते-",वही जो हर बार होता है!"

मीना-"आप क्यों जाते है वहां,जहां पर आपका सिर्फ अपमान होता है!"

मिस्टर जोशी -"आज भी अयाना और सब वैसे ही पेश आए मीना,मुझे दो पल राजश्री के पास
बैठने भी नहीं दिया,इन आखिरी पलों में भी मुझे साथ शामिल नहीं किया,आज तो अयाना ऐसा न करती,नफरत को थोड़ी देर छोड़ देती तो क्या हो जाता!"

मीना-"अयाना आपसे बहुत नफरत करती है,वो
आपके पास आपके साथ कभी नहीं आएगी,वो यहां कभी नहीं आएगी सागर?"

मिस्टर जोशी-"उसे यहां आना होगा बेटी है मेरी,
राजश्री चली गयी अब अयाना अपने पापा के साथ रहेगी!"

मीना-"राजश्री के जीते जी क्या उसके मरने के बाद भी अयाना ने आपको अपनी मां के करीब नहीं जाने दिया तो आपको क्या लगता है सागर अपनी मां का घर छोड़ आपके इस घर में आएगी वो आपके साथ रहना तो दूर आपको देखना भी पंसद नहीं करती है......"मीना जी ने इतना कहा कि मिस्टर जोशी बोल पड़े-"मां थी तब तक मां का घर था अब मां नहीं है तो वो घर नहीं ये घर है उसका जहां पर उसका बाप है,लेकर आऊंगा मैं उसको और उसे आना होगा मेरे साथ........."
इतना कह मिस्टर जोशी वहां से चले गये!

मीना जी उनको जाते देख -"आप कुछ भी कर लिजिए सागर,नफरत नहीं मिट सकती अयाना के मन से,आपका कुछ भी करना कहना उसके जख्मों को हरा ही करेगा,आप जब जब उसके पास जाते है उसकी तकलीफ बढ़ती ही है और आपकी सजा भी,पता नहीं आप यह बात कब समझेगें सागर पता नहीं कब समझेगें!"

________

अयाना राजश्री जी के कमरें में उनकी तस्वीर को अपने सीने से लगाऐ जमीन पर दीवार से सटकर बैठी थी जिसकी आखों से आंसू रूकने का नाम ही नहीं ले रहे थे,राजश्री जी अयाना के लिए सब
कुछ थी उन्ही का उसे छोड़कर चले जाना और उस वक्त उस पर क्या बीत रही थी वहीं जानती थी,अयाना को सदमा लग चुका था उसने कभी नहीं सोचा था ऐसे और इतनी जल्दी उसकी मां ये दुनिया छोड़कर चली जाएगी,उसको छोड़कर चली जाएगी,अपनी मां का ना बचा पाने का दुख दर्द बनकर उसकी आखों से कल रात से ही बस बहे ही जा रहा था!

अयाना ने राजश्री जी की तस्वीर अपने सामने की और भरे गले से बोली-"चले गये ना,आप थे मेरे पास मां,जो पापा मां दोनों बने मेरे लिए पर अब अब कौन बनेगा मेरे मां पापा,छोड़ गयी मुझे आप भी अपनी अयू को छोड़कर चली गयी कहा
था ना हिम्मत मत छोड़ो मत हारो मां,पर पता है मुझे परेशान नहीं देख पाई आप,जानबूझकर हार गयी......इसमें मां किसी ने कुछ नहीं पाया ब्लकि खोया ही है मैनैं आपको,...आपको ये बात खाये जा रही थी ना कि आपकी अयू अपनी जिंदगी अपने सपने छोड़ आपके पीछे ही लगी है कैसे अकेली संभालेगी ?संभाल लेते अगर आप साथ देती पर नहीं आपको तो जाना था मुझे छोड़कर और आप तो चली गयी!"

“अब लग रहा होगा ना मां आपको सब सही है जिएगी आपकी बेटी अपनी जिंदगी बिना किसी परेशानी के,ऐसी जिंदगी का क्या करूं मां जिसमें मेरी दुनिया ही नहीं,,,,मामा जी बोले कि मां कही भी रहे हमेशा साथ ही रहती है वो कभी खरगोश तुझे छोड़कर नहीं जाएगी,,,,सच में ऐसा होता है क्या पर मां मैं आपको महसूस कर पाऊंगी.... मैं देख तो नहीं पाऊंगी ना ही छू पाऊंगी,...मां आप तो उस दर्द से ......जो उस बीमारी का बेहिसाब था उससे छुटकारा पा गयी पर मेरे सीने में ये दर्द ताउम्र रहेगा कि मैं आपके लिए कुछ न कर पाई पर आप जाते जाते बहुत कुछ कर गयी मां,मेरा स्वाभिमान बचा गयी,उस वक्त आपके दिए हुए संस्कारो के बारें में ना सोचती तो आज आपको और खुद को दोनों को मैं तो खो चुकी होती!”

"मां आप इस दुनिया से जाकर भी मुझमें शामिल रह सकती है पर मैं मैं नहीं रहती वो सब कर जाती तो.....आपको बचाने के लिए गलत कदम उठा बैठी थी आपकी बेटी,आप चले गये आपको पता चल गया होगा ना,फिर ऐसा न सोचूं करूं इसलिए आपने वजह ही खत्म कर दी जो मुझे ऐसा कोई गलत कदम फिर ना उठाना पड़े,एम रियली सॉरी मां सॉरी,आपकी अयू ने एक गलत रास्ता चुना जरूर पर उस पर गयी नहीं,आपकी दुआ ने बचा लिया वरना जाते जाते ही आपकी आखिरी ख्वाहिश भी पूरी नहीं कर पाती,मैं देर करती आने में और आप मुझसे बिन मिले बिन बताएं चली जाती पर सच्ची मां ऐसे नहीं जाना चाहिए था आपको नहीं जाना चाहिए था,मुझको जरूरत थी मां आपकी आपको नहीं जाना था?"
कहते अयाना रोने लगी और फिर से राजश्री जी की तस्वीर को कसकर अपने सीने से लगा लिया मानो वो तस्वीर न होकर उसकी मां हो!

 

(क्रमशः)

Continue to next

No reviews available for this chapter.