तभी "अयू दी" कहते पिहू वहां आ जाती है और अयाना के पास आकर बैठते हुए बोली - "बुआ ने पता है मुझको कल क्या कहा था कि मेरी अयू ऐसी पक्की मिट्टी की बनी है जिसको कोई नहीं तोड़ सकता। वो खुद संभलना जानती है और सबको संभालना भी, मेरी अयू बहुत हिम्मत वाली है वो जानती है उसकी मां हमेशा उसके साथ है तो वो मुस्कुराएगी भी और हंसी खुशी अपनी जिंदगी भी जीयेगी, रूकने वालों में नहीं आगे बढ़ने वालों में है मेरी बच्ची, हालात उसे कमजोर बना सकते है पर उसका मन बहुत ही मजबूत है बहुत स्ट्रोंग है वो हर तुफान से लड़ लेगी, मेरी अयू पर मुझे पूरा भरोसा है वो मुझे निराश कभी नहीं करेगी, उससे कहना कि उसकी मां को उस पर बहुत गर्व है जैसे मेरे रहते उसने हमेशा मेरा नाम रोशन किया है, मेरे जाने के बाद भी करें।"

ये सुन अयाना ने आंसुओं भरी आंखों से पिहू की ओर देखा - "मां ने कहा?"

“हां दी बुआ ने कहा और भी बहुत कुछ कहा,” पिहू हां में सिर हिलाते हुए बोली।

"तू मुझे सब बताएगी ना पढ़ाकू?" अयाना फट से बोली….

पिहू - "एक शर्त पर....अगर हमें हमारी वहीं अयू मिले जो बुआ के साथ हम सबको पंसद है, ऐसे निरूपा रॉय बनी नहीं...राजश्री मिश्रा की बेटी आयना मिश्रा ऐसे बिल्कुल भी अच्छी नहीं लगती बिल्कुल नहीं, पापा का खरगोश गुमसुम प्यारा नहीं लगता, मम्मी की कामवाली बाई ऐसे रहेगी तो काम कौन करेगा, मैं नहीं चाहती मेरी अयू दी ऐसे रहे और उन्हें मम्मी की डांट पड़े, सुन रहे हो पिहू नही चाहती आपको कोई डांटे, आपकी पिहू को अच्छा नहीं लगता।"
 
बोलते-बोलते पिहू का गला भर आया और दोनों बहने उसी पल गले लग रो पड़ी…तभी वहां सविता जी प्रकाश जी आ जाते है, प्रकाश जी ने दोनों को संभाला और सविता जी ने अयू के हाथ से राजश्री जी की तस्वीर लेकर टेबल पर रखी और उसको नीचे से उठाते हुए बोली - "चल अब तैयार हो जा जीजी के अंतिम संस्कार की तैयारी हो चुकी है अयाना, बेटा बेटी सब तो तुम हो ना तो तुम्हें ही क्रियाक्रम की सारी रस्में करनी होगी चल…"

आज सविता जी के मन में भी अयाना के लिए प्यार उमड़ रहा था क्योंकि वो भी राजश्री जी के जाने से दुखी थी और साथ में आज अयाना को संभालना उनका भी फर्ज था।

तभी प्रकाश जी ने अयाना को कंधो से पकड़ा और बोले - "चल खरगोश अंतिम विदाई तो करनी होगी ना.....पर इसका सच में ये मतलब नहीं कि जीजी चली जाएगी..वो हमारे साथ हमारे पास हमारी यादों में हमेशा रहेगी….जीते जी बीते वक्त उन्होने बहुत दर्द तकलीफ सही है बेटा, अब उनकी आत्मा को तो शांति मिलनी ही चाहिऐ ना? चलो!"

अयाना ने हां में सिर हिलाया और वो उन सबके साथ बाहर चली गयी। 

_________

खन्ना इंडस्ट्रीज

माहिर ऑफिस के अपने कैबिन में चेयर पर बैठा अयाना के बारे में ही सोच रहा था जैसे-जैसे उसे अयाना की कल वाली हरकतें याद आ रही थी अंदर ही अंदर उसका खून खोल रहा था तभी डोर नॉक हुआ, "कम इन" माहिर ने बिना डोर की ओर देखे कहा।

अनुज "सर "कहते अंदर आया और अपने हाथ में पकड़ी ब्लेक फाइल माहिर के टेबल पर रखते हुए बोला - "आपने जो इंफोर्मेशन निकालने को कहा था सब रेडी है सर।"

माहिर ने अपनी चेयर अनुज की ओर घुमाई और टेबल के पास सरका कर फाइल की ओर देखते बोला - "कल रात की तरह आधी अधूरी खबर तो नहीं....पूरी जानकारी लेकर आए हो ना!"

अनुज हां में सिर हिलाते हुए - "यस सर!"

तभी माहिर ने फाइल हाथ में उठाई और चेयर थोड़ी पीछे कर अपने पैर पर पैर रख फाइल को खोल उसे पढ़ने लगा - "आयना मिश्रा, मदर नेम राजश्री मिश्रा, मामा प्रकाश मिश्रा, मामी सविता मिश्रा, बहन पिहू मिश्रा…फादर?"

अनुज - "फादर नहीं है...आपने परिवार में कौन-कौन है पता करने को कहा था तो अयाना जी के आईमीन अयाना मिश्रा के परिवार में इतने लोग है, फादर के बारे में भी पता करना है क्या सर?"

माहिर - "बाद में देखते है, फादर नहीं है तो फादर का सरनेम भी नहीं?....ओह तो अयाना मिश्रा ने यहां से स्टडी की है......B.Com, M.Com, चंद मिनटो में माहिर खन्ना ने अयाना के बारे में जो भी था उस फाइल में सबकुछ पढ़ डाला, फैमिली बेकग्राउंड, स्टडी बेकग्राउंड और फाइल बंद कर टेबल पर फैंकते हुए बोला - "हम्म गुड वर्क (कुछ सोच) ये काम तो हो गया, जो काम इसके बाद करने को कहा था अब जाकर वो करो।"

अनुज थोड़ा परेशान हो गया - "सर ....आज वो?" वो आगे कुछ कहता कि माहिर खन्ना उसी पल चेयर से उठ गया और अपनी हथेली टेबल पर टिकाते हुए अनुज को घूरते बोला - "जो कहा है मैने अभी वो जाकर करो, सर पर मुझे कुछ नहीं सुनना एंड नॉऊ गेट आऊट!"

"ओके सर" बोल अनुज वहां से उसी वक्त चला गया, माहिर वापस चेयर पर बैठ गया और टेबल पर रखा स्पीनर उठाकर उसे घुमाते हुए बोला - "कुछ भी तो नहीं है तुम्हारे पास अयाना मिश्रा फिर भी तुमने मुझे एटीट्यूड दिखाया.....माहिर खन्ना को, नॉऊ वेट एंड वॉच मैं क्या करता हूं…तुम्हारी सेल्फ रिस्पेक्ट जिसके चलते तुम बहुत ही ज्यादा अकड़ती हो जल्द उसकी झज्जियां उड़ेगी, तुमने मेरी इनसल्ट की वो भी तीन बार अब देखो तुम्हें कैसे अपने सामने झुकाता हूं, मेरी बाहों में क्या तुम्हारी औकात तो मेरे पैरों में भी रहने की नहीं है, बिस्तर पर नहीं लाना था, तुम्हें बस अपने इशारों पर चलाकर तुम्हें तुम्हारी औकात दिखानी थी जो मेरे आगे कुछ भी नहीं।"

"झुकाना था तुम्हें अपने आगे पर तुम मुझे गिराकर चली गयी, मजबूरी के चलते आई थी ना तुम मेरे पास, अब तुम्हें इतना मजबूर कर देगा माहिर खन्ना कही और जाने के लायक भी नहीं रहोगी, अपनी हर इंसल्ट का बदला लूंगा मैं तुम से, तुम्हें औकात दिखाऊंगा तुम्हारी और खुद की, माहिर खन्ना क्या है अब तुम्हें पता चलेगा, अब रेडी हो जाओ हम फिर से मिलने वाले है।"
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इधर अयाना के घर में सब राजश्री जी के दह संस्कार की क्रिया कर वापस घर आ जाते है, कुछ रिश्तेदार जा चुके थे और कुछ वहीं रूके हुए थे, अयाना सबके बीच बैठी थी तभी पिहू ने आकर उसे कहा - "दी आपसे कोई मिलने आया है?"

अयाना ने हां में सिर हिलाया और पिहू के साथ वहां से उठकर दूसरे कमरे में चली गयी....वहां पहुंची तो देखा अनुज आया होता है, प्रकाश जी और सविता जी दोनों वहां पहले से माजूद थे।

प्रकाश जी अयाना से - "कौन है बेटा ये?"

अयाना अनुज की ओर देखते - "आप यहां?" 

अनुज हाथ में पकड़ा हुआ काला ब्रिफकेस टेबल पर रखते हुए - "माफ करना जो इस वक्त आपको परेशान किया, मैं बस आपको ये पैसे देने आया हूं"

अयाना ब्रिफकेस की ओर हैरानी से देखती है - "पैसे कैसे पैसे?"

अनुज - "आपने जो काम किया है उसके पैसे, बॉस ने आपके पास ये पैसे देने के लिए मुझे भेजा है!"

अयाना को समझ आ गया कि ये पैसे किस चीज के है और अनुज किस काम की बात कर रहा है, वो टेबल की ओर बढी और ब्रिफकेस उठाकर अनुज की ओर बढ़ा दिया - "ना मैने आपका कोई काम किया है और ना ही मुझे अब आपके इन पैसों की जरूरत है, तो आप यहां से जा सकते है।"

अनुज ब्रिफकेस पकड़ते हुए - "पर?"

अयाना हाथ जोड़ते हुए - "नमस्ते आप जा सकते है….और अयाना उसी वक्त ही वहां से चली गयी।

प्रकाश जी और पिहू भी उसके पीछे पीछे चले गये। अनुज एक नजर हाथ में पकड़े ब्रिफकेस को देख वहां से जाने ही लगा कि सविता जी उससे बोली - "सुनिए?"

अनुज - "जी!"

सविता जी - "ये कितने पैसे है और किस बात के है?"

अनुज - "वो मैम.....अयाना मिश्रा हमारी कंपनी के लिए काम करने वाली थी (झूठ बोलते हुऐ) जिसके लिए उन्होनें हमारे यहां एप्लाई किया था पर आईथिंक वो अब काम नहीं करना चाहती है। मैं बस इनको एंडवास देने आया था जो इन्होनें अपनी मां के इलाज के लिए हमसे मांगा था पर अब उन्हें जरूरत नहीं इसलिए उन्हें काम और पैसे दोनों लेने से मना कर दिया है।"

सविता जी - "और....और ये कितने है?"

अनुज - "दस लाख मैडम..…मैं चलता हूं माफी चाहता हूं इस समय आपको परेशानी हुई> 
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अयाना अपने कमरे में खिड़की के पास जाकर खड़ा हो गयी, प्रकाश जी पिहू दोनों वहां पहुंचे तो प्रकाश जी पिहू से बोले - "पिहू जाओ.....अपनी अयू दी के लिए अपने हाथ की चाय बनाकर ले आओ इसको बहुत पंसद है ना, कुछ खाया पिया भी नहीं है…जाओ बेटा!"

"जी पापा अभी लाए" कहकर पिहू वहां से चली जाती है प्रकाश जी अयाना के पास आये और वहीं खिड़की पर आकर चुपचाप खड़े हो गये>

अयाना बिना उनकी ओर देखे - "पूछेगें नहीं आप मामा जी, वो कौन थे, कैसा काम, कैसा पैसा?"

प्रकाश जी - "हां जानना तो चाहता हूं, पर मेरा खरगोश बताना चाहे तब…अगर वो नहीं चाहती बताना तो कोई बात नही।"

तभी अयाना नम आखों से उनकी ओर देखती है - "आपके खरगोश ने एक गलत रास्ता चुना था मामा जी, जिसमें हमें बहुत पैसे मिलने वाले थे, वो काम कर हमें रातो रात लाखों मिल जाते और हम मां का इलाज करवा लेते.....पर हम वो नहीं कर पाये हमारा जमीर नहीं माना और वहां से चले आए। मां ने भी जाना ही ठीक समझा ताकि उनकी अयू फिर वो गलत रास्ता न चुने.....हमने वो काम नहीं किया.…तो पैसे कैसे रख लेते जो अभी वो देने आए थे तो लौटा दिए वैसे भी अब हमें कहां उन पैसों की जल्द जरूरत है जिसके लिए चाहिए थे वो तो खुद ही परमानेन्ट इलाज करवाकर अपना चली गयी, एम सॉरी मामा जी पर फिलहाल हम इतना ही बता पाऐगें, इससे ज्यादा हम कुछ नहीं कह पाएंगें आपसे....कुछ नहीं!"

तभी प्रकाश जी ने अयाना का चेहरा अपने हाथों में भरा और माथा चूम उसे अपने सीने से लगाते हुए बोला - "बस…बस कुछ कहने की जरूरत नहीं है....मैं अच्छे से जानता हूं कि तुम जीजी से सबसे ज्यादा प्यार करती हो और उनके लिए किसी भी हद तक जा सकती थी पर मुझे मेरे खरगोश पर पूरा भरोसा है वो गलत रास्ता एक पल के लिए चुन तो सकता है पर उस पर कभी चलेगा नहीं क्योकि हमनें हमारी अयाना को सही राह पर चलना सिखाया है जिसे वो कभी नहीं भूलेगी कभी नहीं इसलिए कुछ मत कहो। मुझे मेरी बच्ची पर खुद से भी ज्यादा विश्वास है और उसने जो किया मजबूरी में किया पर वक्त रहते ही उसको एहसास हो गया सही गलत का मुझे इस बात पर तुझ पर बहुत फख्र है बेटा!"

अयाना प्रकाश जी के सीने से लगी हुए थी - "हम आपका भरोसा कभी नहीं तोड़ेगे मामा जी, मैनैं कुछ गलत नहीं किया ना कभी करेगें, हम मां और आपको कभी ठेस नहीं पहुंचाएगें..हमेशा सही राह पर चलेगें जो आपने सिखाया है हमें, वही हम करेगें और कुछ नहीं!"

इधर अयाना पर उसके मामा जी को गर्व हो रहा था कि उसने हालातों के चलते कोई गलत काम नहीं किया वहीं उधर जैसे ही अनुज से माहिर को पता चला कि अयाना ने पैसे लेने से साफ मना कर दिया तो वो गुस्से से भड़क उठा और टेबल पर अपने सामने रखे ब्रिफकेस को उठाकर "नो" चिल्लाते हुए उसने दीवार पर दे मारा।

माहिर ने पैसों से भरा ब्रिफकेस जैसे ही गुस्सें से दीवार पर मारा तो अनुज उससे बोला - "सर काम डाऊन!" ये सुनते ही माहिर अनुज की ओर आया और उसका कॉलर पकड़ते हुए बोला - "मैने तुम्हें कहा था ना ये काम होना चाहिए और तुम बिना काम पूरा किए पैसे वापस लेकर चले आए, यह तुम्हारा काम था ना, इनके लिए उस अयाना मिश्रा को राजी करना।"

अनुज अपनी नजरें झुकाते हुए - "सर मैनैं ट्राई किया था बट वो नहीं मानी, उसने बोला कि जब मैने आपका कोई काम ही नहीं किया तो कैसे पैसे? आप पैसे वापस ले जाओ।"

माहिर अनुज को झटकाकर छोड़ते हुए - "और डेमिड तुम चले भी आए, ले आए वापस, उसको मनाना तुम्हारा काम था मेरा नहीं?"

अनुज - "आईनो सर पर मैने उनको फोर्स नहीं किया एक्चुअली उसकी मां की डेथ हो गयी थी और आज उसके घर अंतिम संस्कार की रस्में चल रही थी, उस बीच कैसे बात करता।"

माहिर हैरान होते - "व्हाट?"

अनुज - "यस सर....मैं वहां जाने से पहले आपको बताना चाहता था पर आपने सुना ही नहीं और बस जाने का आर्डर दे दिया, आपका आर्डर फॉलो करना इज़ माई ड्यूटी सो मैं चला गया वहां एक्चुअली उसकी मॉम को ट्यूमर था जिसके इलाज की मदद के लिए वो हमारे पास आई थी और यही उसकी मजबूरी थी जल्द मतलब आज ही उसकी मां का ऑपरेशन होना था पर कल रात ही वो चल बसी, अब आप ही बताइए सर कैसे अयाना मिश्रा ये पैसे रख लेती.…अब तो उसकी कोई मजबूरी भी नहीं थी और आप चाहते है कि मैं उसको ये पैसे देकर आता।"

माहिर खन्ना टेबल पर रखी फाइल की ओर इशारा करता है - "उस फाइल में तो ऐसा कुछ नहीं लिखा है!"

अनुज - "वो रह गया था सर लिखना, मैने सोचा मैं खुद ही बता दूंगा।"

आगे जानने के लिए पढ़िए कहानी का अगला भाग।

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