माहिर अनुज पर चिल्लाते हुए बोला - "पूरी डिटेल मीन पूरी डिटेल होती है जिसमें एक भी बात ना छूटे एक भी प्वाइंट नहीं और तुमने मुझे तीन बार बोलने पर भी आधी अधूरी इंफोर्मेशन लाकर दी....सो डिसकस्टिंग, बीमार मां के इलाज के लिए वो हमारे पास मदद लेने आई है ये कहा था तुमने मुझे, ये क्यों नहीं बताया उनको ट्यूमर है और उनको जल्द ऑपरेशन की जरूरत है!"
"सॉरी सर बट अयाना मिश्रा ने आपसे कहा था उनके पास ज्यादा वक्त नहीं है," अनुज ने कहा और वहां सर झुकाकर खड़ा हो गया!
“ज्यादा वक्त नहीं ये कहा था उसने पर ये नहीं बोला था उसकी मां जिंदगी और मौत के बीच झूंझ रही है ऐसा नहीं कह सकती थी कि वक्त ही नहीं हैं, बोल देती पूरी बात अपनी मां के बारे में ना उसने बोला ना तुमने पूरी बात बताई मुझे!” माहिर अनुज पर फिर चिल्लाया
"एम सॉरी सर, मुझे भी इतना ही पता था उनको आज सुबह तक पैसे चाहिए थे...मैं भी ये बात नहीं जानता था कि अयाना मिश्रा की मां की हालत इतनी ज्यादा क्रिटिकल है जो वो चल ही बसेगी!" अनुज नजरें झुकाए ही बोला
माहिर खन्ना ने फिर कुछ नहीं कहा, वो टेबल से अपना फोन और गाड़ी की चाबी उठाकर उसी वक्त वहां से चला गया!
अनुज कैबिन में बिखरे पैसे उठाने लगा-"आई होप मुझे वो लड़की चाहिऐ वाली जिद्द अब बॉस छोड़ दे क्योकि ये तो अब होने से रहा, अयाना मिश्रा अब कभी भी माहिर खन्ना के पास नहीं आएगी.…ना मदद के चलते ना ही मजबूरी के चलते क्योकिं अब कोई मजबूरी ही नहीं है ना ही उसे अपनी मां के लिए मदद चाहिए, बुरा लग रहा है मै कुछ नही कर पाया अयाना जी आपके लिए आपकी मां के लिए, प्रार्थना करूंगा आपकी मां की दिंवगत आत्मा को शांति मिले!"
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(कुछ दिन बाद)
सुबह का वक्त था साक्षी डाइनिंग टेबल पर सर्वेट से ब्रेकफास्ट लगवा रही थी…तभी उसकी नजर माहिर पर पड़ी जो ऊपर से नीचे आ रहा होता है वो माहिर की ओर बढ़ी - "माहिर खन्ना को आज ऑफिस नहीं जाना!"
दरअसल माहिर व्हाईट टी शर्ट ब्लेक ट्राऊजर में था, वो बिना साक्षी की ओर देख बोला क्योकि वो अपने फोन में बीजी था - "दी संडे है, चैंप के साथ होता हूं संडे के दिन....आप भूल गयी!"
साक्षी मुस्कुरा दी - "हां बट आज मंथ का फर्स्ट एंड लास्ट संडे थोड़ी है, माही महीने में दो बार दो संडे तुम रियू के साथ टाइम संपेड करते हो, पता है मुझे!"
माहिर एक नजर साक्षी को देख वापस फोन में देखते - "फिर तो यह भी पता होगा आपको, फर्स्ट संडे इस मंथ के चैंप स्कूल ट्रिप पर था!"
साक्षी अपने सिर पर चपत लगाते - "ओह हो, ये तो मैं भूल ही गयी, अब समझ आ रहा है पहले संडे की भरपाई दूसरे संडे होगी!"
माहिर साक्षी की ओर देख मुस्कुरा दिया-"करनी ही पड़ेगी!"
ये सुन साक्षी कुछ कहती सार्थक वहां आ गया और साक्षी के कंधे पर बाहें डालते बोला - "तो साले साहब क्या प्लान है, आज क्या करने वाले है माहिर खन्ना और रियान अग्निहोत्री?"
माहिर सार्थक से - "वो तो चैंप ही बताएगा?"
सार्थक मुस्कुराते हुऐ - "ये तो है, अब तक तो वो लिस्ट भी बना चुका होगा....है ना साक्षी?"
साक्षी कुछ नहीं बोली उसने सार्थक को घूरते हुऐ उसका हाथ अपने कंधे से हटा दिया और "माही मैं रियू को बुलाकर लाती हूं" बोल साक्षी वहां से ऊपर चली गयी, उसको जाते देख सार्थक ने आहें भर ली!
माहिर सार्थक से - "व्हाट हैपन जीजू?
सार्थक मुस्कुरा दिया - "नंथिग!"
"दी नाराज है आपसे दिख रहा है मुझे?"
"हां नाराज तो है बट थोड़ी सी!"
"काम ऐसे करते ही क्यों हो जो दी को आपसे नाराज होना पड़ता है!"
"इस बार भी मैनैं कुछ नहीं किया, बेवजह ही हर बार की तरह मुंह फुलाकर रखा है!"
"इतना प्यार करते हो आप दी से फिर वो बिना वजह क्यूं नाराज होती है!"
"बीवी है, रूठने का हक रखती है, और रूठी हुई बीवी को मनाना पति का हक भी होता है और फर्ज भी, जब चाहती है रूठना रूठ जाती है और फिर मैं भी मना लेता हूं!"
"हाथ पैर जोड़कर, बिना गलती के झुकते हो, ये तो गलत है ना!"
"बिल्कुल नहीं, इसे झुकना थोड़ी कहते है इसको तो निभाना कहते है, जिससे प्यार करते है माही उसके नखरे उठाना गलत हो ही नहीं सकता!"
"सो डिस्कस्टिंग!" कहते माहिर डाईनिंग टेबल की ओर बढ़ गया
सार्थक उसके पीछे जाते हुए "ऐसा कुछ नहीं है साले साहब, एकबार शादी होने दिजिए बीवी आने दिजिऐ तब आपको भी समझ आ जाएगा, कितना जरूरी होता है और कितना अच्छा लगता है ये सब!"
माहिर चेयर पर बैठते - "ना शादी होगी ना बीवी आएगी और मुझे ये सब समझना भी नहीं है!"
सार्थक भी पास वाली चेयर पर बैठ गया - "बीवी आएगी, नहीं आएगी ये तो वक्त ही बताएगा और समझ भी आएगा जब ये मामला आपकी समझ से बाहर न होकर समझ में फिट हो जाएगा, दिल पर किसी का जोर नहीं चलता, जो कही सजदा न करे वो महबूब की खुशी के लिए उसके आगे झुकने से भी नहीं कतराते ब्लकि इसमें भी खुश किस्मती समझते है अपनी!"
"फिर तो आपकी सारी उम्र इसी सब में निकल जाऐगी, काश जितनी अच्छी मेरी बहन है उतनी अच्छी आपकी बीवी भी होती, रियली वेरी बैड फॉर यू!"
"खबरदार माहिर खन्ना, मेरी बीवी के बारे कुछ बुरा नहीं कह सकते है आप, मेरी बीवी आपकी बहन से भी अच्छी है, मुझे कोई शिकायत नहीं है मुझे सब अच्छा लगता है, प्यार भी नाराजगी भी, सारी जिंदगी अगर मेरी इस सबमें ही निकले ना जिसको आप बैड बोल रहे है तो ऐसी जिंदगी मैं हमेशा पाना चाहूंगा और तो और ये दोनों साईड से होता है जो रिश्ते को मजेदार बनाकर रखता है......अच्छा है रूठना मनाना ना कि बुरा!"
ये सुन माहिर तिरछा मुस्कुरा देता है - "रात में तो रोमांस करते है आप अपनी बीवी के साथ सुबह वो गुस्सा हो जाती है और इसे आप अच्छा कहते है!"
"तो क्या हुआ सुबह गुस्सा हो जाती है, रात भी तो वापस आती है ना, फिर कहां गुस्सा करने की फुर्सत रहती है" सार्थक ने मुस्कुराते आईविंक की तो ये देखकर माहिर भोहें चढ़ाते दायें बायें गर्दन हिला देता है.....ये देख सार्थक हंस दिया - "क्या हुआ?"
"नंथिग!".....कह माहिर फिर फोन में लग गया,
सार्थक उसकी ओर देखते-"रूठा उसी से जाता है जो मनाना जानता हो, जिसके पास कोई मनाने वाला ही ना हो तो वो क्यूं किसी से रूठे!"
माहिर ने सार्थक की ओर देखा तो वो फिर बोला - "साक्षी तुम से भी रूठ जाए अगर तुम मनाओ तो पर तुम कहां ये सब करते हो, नखरे उठाना तो माहिर खन्ना को आता ही नहीं है!"
माहिर एटीट्यूड वाले लहजे में - "कोई कमी नहीं रखता हूं मैं, हर जरूरत दी की पूरी हो जाती है हर चीज मिल जाती है फिर क्यूं ये फालतू की चीजें करना!"
सार्थक मुस्कुरा दिया - "जिसे फालतू कह रहे हो ना वो बहुत इम्पोर्टेड चीज है माही, जरूरत पूरी करने और बेवजह के नखरे उठाने में फर्क होता है, इस बात का अहसास तुम्हें उस दिन ही होगा जिस दिन किसी के बेमतबल बेवजह फालतू के नखरे उठाना तुम्हारे हिस्से आएगा!"
माहिर हंस दिया - "क्यों बदुआ दे रहे हो और ऐसा दिन कभी नहीं आएगा मेरी जिंदगी में, जो मैं ये फालतू के काम करूं, माहिर खन्ना के पास और भी जरूरी काम है सो यह सब आप भी किजिए, आपको ही मुबारक!"
सार्थक सिर झुकाते - "शुक्रिया जनाब", ये देख माहिर मुंह से फूंकते दायें बायें फिर गर्दन हिला देता है, तभी साक्षी रियान भी आ जाते है, रियान माहिर की दूसरी साईड पास वाली चेयर पर बैठ जाता है और साक्षी उसकी पास वाली चेयर पर बैठ जाती है, किचन के पास खड़ा सर्वेट सब आ गये देख वहां पर आ गया और सबको खाना परोसने लगा माहिर फोन टेबल पर रखते रियान से - "चैंप आज का क्या प्लान है?"
रियान माहिर की ओर देखते - "मामू ब्रेकफास्ट के बाद हम विडियों गेम खेलेंगे, फिर हम दोनों ड्राईंग करेंगे, फिर शोपिंग करने जाएगें साथ में मूवी भी देखकर आएगें, इवनिंग में फुटबॉल खेलेगें, बहुत सारी मस्ती करेगें आज हम, नाईट में पेटिंग करेगें और फिर सो जाएगें!"
माहिर हां में सिर हिलाते - "ओके चैंप!"
सार्थक रियान से - "आज तो आप बहुत बीजी है रियान अग्निहोत्री!"
साक्षी - "मॉम डैड के लिए तो थोड़ा सा भी टाइम नही है आपके पास!"
“येस डैड आज बहुत बीजी है हम, आज संडे है ना तो मॉम सारा टाइम मैं मामू के साथ ही संपेड करूंगा, आपके साथ तो रोज ही होता हूं एंड मामू जो इम्पोर्टेन्ट काम करना है आज वो भी करेगें?” रियान ने कहा तो माहिर ने हां में सिर हिला दिया ये देख साक्षी एक नजर माहिर को देख रियान से बोली - "रियू कौन से इम्पोर्टेन्ट काम की बात कर रहे हो!"
रियान - "है मॉम!"
साक्षी - "मुझे भी तो बताओ!"
रियान अपना खाना शुरू करते - "खाना खाते हुए बात नहीं करते मॉम!"
ये सुन सार्थक हंस पड़ा - "रहने दो साक्षी, ये नहीं बताने वाला!"
साक्षी माहिर से - "माही तुम ही बता दो?"
माहिर खाना शुरू करते - "खाना खाते हुए बात नहीं करते दी....आप भी खाना खाओ!"
ये सुन साक्षी का मुंह बन गया वहीं माहिर रियान एक दूजे की ओर देख मुस्कुरा दिये, साक्षी कुछ बोलने को हुई कि सार्थक बोल पड़ा - "साक्षी तुम खाना खाओ, जब इनको हमें बताना होगा, पता चलना होगा हमें पता चल जाएगा, क्यूं परेशान हो रही हो!"
साक्षी उसे घूरते - "तुमसे मतलब.....खाना खाओ अपना!"
ये सुन सार्थक ने माथा पीट लिया वहीं एक बार फिर माहिर रियान एक दूजे की ओर देख मुस्कुरा दिये.....तभी माहिर ने डाईनिंग टेबल पर नजरों को घुमाया - "चैंप का दूध कहां है?"
माहिर के इतना कहते रियान ने माहिर को देखा और साक्षी सार्थक दोनों ने सर्वेट को देखा, सर्वेट के चेहरे का रंग उड़ गया था, तभी माहिर सबको घूरते चेयर से उठ गया - "चैंप का मोर्निग मिल्क यहां क्यों नहीं है?"
साक्षी - "मैनैं तो सब रखने को बोला था माही!"
सार्थक - "रेडी होगा माही,लगता है लाना भूल गये मेरा मतलब किचन में रह गया!"
रियान दोनों सर्वेट से - "मेरा मिल्क लेकर लाईए जल्दी!"
ये सुनते ही सर्वेट वहां से किचन की ओर भागा, साक्षी बोलने को हुई कि माहिर किचन की ओर बढ़ गया वो भी गुस्से से!
सार्थक - "अब मरें?"
रियान - "मॉम आपको चैक करना चाहिए था कुछ मिसिंग तो नहीं!"
साक्षी - "चैक तो किया था रियू बट पता नहीं दूध कैसे छूट गया!"
माहिर किचन में पहुंचा, सर्वेट दूध लेकर आ रहा था कि सामने माहिर को देख उसके कदम डर के मारे पीछे की ओर लड़खड़ा गये और हाथ से दूध का गिलास छूट कर टूट गया!
माहिर गुस्सा तो पहले ही था फर्श पर टूटे गिलास और बिखरे दूध को देख उसका गुस्सा और बढ़ गया, वो गुस्से भरी निगाहों से सर्वेट को देखता है, उसके देखते ही सर्वेट ने अपनी सहमी सी नजरों को झुका लिया, माहिर ने उसकी तरफ एक कदम बढ़ाया और दांतों को भींचते बोला - गलती पर गलती!"
सर्वेट "सॉरी सर" बोलने को हुआ कि उसके मुंह से पूरा सॉरी निकला ही नहीं था कि माहिर उस पर चिल्ला दिया -"आऊट!"
सर्वेट ने एक नजर माहिर को देखा जो उसे बुरी तरह से घूर रहा था,वो बहुत डर गया और वहां से भाग गया, उसको किचन से भागते निकलते देख सार्थक बोला -"हो गयी इसकी तो छुट्टी!"
साक्षी परेशान होते - "अब?"
रियान ब्रेड खाते - "अब नया सर्वेट आएगा मॉम!"
सार्थक - "हम्म....माहिर खन्ना किसी की गलती एक बार माफ कर सकता है, बार बार नहीं!"
तभी किचन से माहिर आ गया - "बार बार गलती, लापरवाही करने वालों की मेरे घर में कोई जगह नहीं है (चेयर पर आकर बैठ) दी चैंप के लिए दूध लेकर आओ!"
"लाती हूं!" बोल साक्षी चेयर से उठी कि माहिर फिर बोला - "ध्यान से दी वहां गिलास टूटा हुआ है!"
"हम्म" बोलकर साक्षी किचन की ओर चली गयी, सार्थक भी जाने लगा कि माहिर रियान ने उसकी ओर देखा तो वो हल्का सा मुस्कुराते बोला - "वहां गिलास टूटा है, कांच बिखरा है, अभी कोई है नहीं जो साफ सफाई कर सके, सर्वेट था वो भाग गया आईमीन उसे तो भगा दिया तुमने माही, सो मैं वो साफ कर आता हूं नहीं तो साक्षी को लग जाएगा नये सर्वेट के आने तक वैसे तो नहीं छोड़ सकते, आया मैं" बोल सार्थक भी किचन में चला गया!
उसके जाते ही माहिर ने अनुज को फोन लगाया और नये सर्वेट को खन्ना विला जल्द भेजने का आर्डर दिया, माहिर ने फोन रख रियान की ओर देखा जो उसको घूर रहा था!
माहिर - "व्हाट?"
रियान - "आप कितना गुस्सा करते है मामू!"
माहिर - "रियली?"
रियान - "या....आप सर्वेट्स को भगा देते है!"
माहिर - "चैंप मुझे केयरलेस लोग बिल्कुल पंसद नहीं है....जानते हो ना!"
रियान - "या.....ये वाला सर्वेट बहुत केयरलेस था मामू, कल मेरे ऊपर जूस गिरा दिया था, कोई भी काम करे हर काम में जल्दी, कभी खुद गिरता तो कभी चीजें गिरा देता!"
माहिर - "बताया क्यों नहीं?"
रियान - "आप बीजी थे!"
ये सुन माहिर कुछ नहीं बोला, वो रियान को "ब्रेकफास्ट करो" बोल खुद भी ब्रेकफास्ट करने लगा, उधर किचन में साक्षी रियान के लिए दूध गर्म कर रही थी और सार्थक टूटा गिलास उठा रहा था!
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