एक घंटे बाद
अयाना बड़े से होटल के सामने खड़ी थी,रात के नौ बज रहे थे तभी वहां अनुज आ जाता है,अयाना कुछ बोलती उससे पहले ही अनुज बोल पड़ा-"क्या बात है....अयाना मिश्रा
ऑफिस से जाते वक्त आपने कहा था आपको ना जॉब चाहिए और ना ही पैसे माहिर खन्ना से,
फिर आपने मुझे कॉल कर के क्यों कहा कि मैं माहिर खन्ना को बोल दूं उनकी बात मानने के लिए तैयार है,कौन सी बात मानने आई है आप उनकी यहां,उन्होनें आपको यहां होटल बुलाया और आप चली भी आई?व्हाई?"
अयाना परेशानी भरे चेहरे से उसकी ओर देखते
-"वो....वो एम सॉरी!"
अनुज -"सॉरी ,मतलब आप मुझे नहीं बताएगी,
आप यहां क्यों आई है ओके वो ना सही कम से कम इतना तो बता ही दिजिए ,आप और माहिर खन्ना पहले मिल चुके है?"
अयाना-"मिल चुके है हम तभी तो आपके किये कराये पर पानी फिर गया?आपने कितने अच्छे से हमें जॉब दिलानी चाही ,हमारी मदद करनी चाही बट पांच मिनट की मुलाकात माहिर खन्ना से उस सब पर भारी पड़ गयी!"
अनुज-"बट आपने तो कहा था मुझे,आप नहीं मिली?क्या हुआ उस मुलाकात में जिस वजह से सर आप पर इतना गुस्सा है!"
अयाना-"जब कहा था तबतक नहीं मिली थी मैं,
जब आपने ऑफिस मिलने बुलाया उससे पहले मिल चुकी थी ,यानि सुबह और शाम के बीच आज दोपहर को और अब रात को हम फिर उन से मिलने आए और क्यों आए है.... उन्होनें क्यों बुलाया है हमें यहां पर.....ये आप उनसे ही पूछ लिजिएगा शायद वो आपको अच्छे से बता पाए!
अनुज कमर से हाथ टिकाते-"स्ट्रेंज?...जब आप अपनी मां के बारें में मुझे बता सकती है तो अब बताने में क्या दिक्कत है....अनुज बोल रहा था कि अयाना बोल पड़ी-"बस इतना समझ लिजिए हमें आना पड़ गया,यहां आने के अलावा हमारे पास कोई और रास्ता नहीं बचा,और ना ही इतना वक्त है हमारे पास कि हम दूसरा रास्ता ढूंढ सके,
आना तो नहीं चाहते थे हम पर मजबूरी में कदम माहिर खन्ना की तरफ बढ़ ही गये,और अब हम मजबूर है उनकी हर बात मानने के लिए ताकि हमें पैसे मिल जाए,जो अब उनकी बात मानकर ही मिलेगें!"
अनुज-"मजबूरी....वो तो देख ही पता चल रहा है आपकी मजबूरी परेशानी साफ आपके चेहरे पर झलक रही है,जाते जाते आपने कहा था मैं बोल दूं माहिर खन्ना से आप मजबूर जरूर है पर बिकाऊ नहीं है,जितना मैं समझ पा रहा हूं आप यहां चाय कॉफी पीने नहीं आई है माहिर खन्ना के साथ!"
ये सुन अयाना का दिल तेजी से धड़कने लगा,वो अपनी साड़ी मुठ्ठी में भींचते हुऐ बोली-"जानती हूं!"
अनुज-"गलत कदम तो नहीं उठा रही आप?"
अयाना थूक निगलते हुए-"गलत सही जो भी है,
अपनी मां को बचाने के हमें ये कदम उठाना ही पड़ेगा?फिलहाल माहिर खन्ना की बात मानने के अलावा कोई ओर रास्ता नहीं बचा!"
अनुज अयाना की ओर गौर से देखते -"डर लग रहा है आपको?और आप ऐसे(अयाना की साड़ी की ओर देखते ) मिलेगी क्या माहिर खन्ना से?"
अयाना ने अनुज की ओर देखा-"जब कोई काम आपके मन के मुताबिक न होकर.... उल्टा हो तो डर लगना लाजमी है एनीवे ऐसे से मतलब?"
अनुज अयाना की साड़ी की ओर हाथ करते-
"साड़ी में?"
अयाना-"हां मैं ऐसे ही मिलूंगी ,वो आपने ही तो एड्रेस के साथ अपने बॉस का मैसिज नॉट भेजा था म़ुझे कि मैं अच्छे से रेडी होकर आऊं उनसे मिलने और मुझे अच्छे से रेडी होना ऐसे ही आता है!"
अनुज-"आप वैसी लड़की नहीं है अयाना मिश्रा
जानती है ना आप ये बात ,एम सॉरी मैं चाहकर भी आपकी खुद से मदद नहीं कर सकता हूं,मैनैं पूरी कोशिश की थी अपने बॉस से आपको मदद दिलवाने की,वो रेडी भी थे.... पर मैं नहीं जानता ऐसा क्या हुआ है आप दोनों के बीच कि बॉस आपसे बहुत गुस्सा है और आप अब उनकी बात मानने को भी मजबूर,जॉब देकर आपको पैसे देने की जगह वो आपसे कुछ और ही करवाने जा रहे है और आप करने भी चली आई ताकि पैसे मिले अनुज आगे कुछ कह पाता कि अयाना उसकी बात काट बोल पड़ी-"जो होना था वो हो गया,
अब क्या कर सकते है,आज हमारी दो बार उनसे मुलाकात हो चुकी है और दोनों ही अच्छी नही थी जिसके चलते मदद करने की जगह और भी ज्यादा मजबूर किया जा रहा खैर कहां है माहिर खन्ना?"
अनुज होटल की ओर इशारा करते-"यहीं होटल के रूम नंबर 36 में,आपका ही वेट हो रहा है!"
इतना सुन अयाना ने आखें मूंदकर हिम्मत बटोरी और वहां से चली गयी,उसको जाते देख अनुज खुद से-"ना तो ये लड़की वैसी लड़की है जैसे सर सोच रहे है और ना ही सर ऐसे है जो करने जा रहे है,आज तक किसी भी लड़की को अपने पास नहीं आने दिया माहिर खन्ना ने,पता नहीं अपने गुस्से के चलते क्या करना चाह रहे है सर अयाना मिश्रा के साथ,होटल में इस तरह बुलाने के पीछे क्या मकसद है माहिर खन्ना का,जितना मैं जानता हूं,....जैसा दिख रहा है वैसा कुछ नहीं होने वाला,आखिर चाहते क्या है सर अयाना जी से!"
________
अयाना होटल के रूम नं छतीस के सामने पहुंची
और रूम के सामने ही खड़ी हो गयी वो रूम नं
36 को एकटक देखने लगीं,उसकी सांसे तो तेजी से चल ही रही थी उस वक्त उसके रोगंटे भी खड़े हो गये,तभी हिम्मत कर उसने अपना हाथ बढ़ा
कर डोर नॉक किया अंदर से आवाज आई-"कम इन एंड फास्ट?"
ये सुनते ही अयाना के कदम तो पीछे की ओर लड़खड़ा गये,उसके हाथ म़े पकड़ा उसका बैग छूट गया ,अयाना के पसीने छूट रहे थे ये सोच की माहिर खन्ना के सामने कैसे जाए और अंदर कमरे में गयी तो क्या होगा?
तभी उसने गहरी सांस भर अपना नीचे गिरा बैग उठाया और अपने हाथ से अपना पसीना पौंछा और आखें मूंद खुद को अंदर जाने के लिए तैयार किया-"जाना तो होगा ना,जैसे सोचा है वैसा ही करना है पहले बात करके देखूंगी!"इतना कह अयाना ने अपना एक कदम आगे बढ़ाया आखें खोलते हुऐ जैसे ही दरवाजे को अंदर की ओर धकलेने लगी वो कि माहिर ने ये कहते दरवाजा खोल दिया-"अंदर आने को कहा था मैनैं बाहर रूकने को नहीं?"
(एक्चुअली अनुज ने माहिर को अयाना के आने का कॉल कर इंफोर्म कर दिया था,जैसे ही उसने डोर नॉक किया वो समझ गया था कि अयाना ही है!!)
जैसे ही दरवाजा खुला माहिर अयाना को गौर से देख पाता या अयाना की नजर माहिर पर पड़ती उससे पहले ही आयना अ़ंदर की ओर माहिर पर जा गिरी और दोनों एक साथ जमीन पर गिर पड़े
"धड़ाम".......माहिर नीचे था और अयाना उसके ऊपर!
"व्हाट द हेल"माहिर नीचे गिरते ही बोला,गुस्से में तो वो पहले ही था पूरा दिन से,वो भी अयाना पर और ऊपर से अयाना ने उसे वेट भी करवाया क्योकि अयाना ने होटल के बाहर से कमरे तक आने में काफी वक्त जो ले लिया था और आते ही उसके चलते वो गिर भी गया था जिससे माहिर का पारा चढ़ गया-"तुम्हें (चिल्लाते हुऐ) मारने गिराने के अलावा कुछ नहीं आता है क्या?"
अयाना ने कुछ नही कहा वो माहिर के ऊपर से उठने लगी पर वो वापस उसके सीने पर जा गिरी जिसके चलते अयाना के बाल माहिर की आखों में चुभ गये...,...माहिर अपने चेहरे से अयाना के बाल हटाते फिर उससे गुस्से में बोला-" क्या कर रही हो तुम पर अयाना फिर कुछ नहीं बोली वो तो माहिर खन्ना के ऊपर से उठने की कोशिश में थी,पर फर्श पर बार बार उसके हाथ फिसल रहे थे और साड़ी पहने होने की वजह से वो उठ नहीं पा रही थी और वापस माहिर पर गिरे जा रही थी
तभी माहिर उसको कंधो से पकड़ उसकी ओर देखता है-"आते ही सीधा मेरे ऊपर,क्या बात हैं!"
ये सुन अयाना ने माहिर की आखों में देखा जिस
में अब गुस्से की जगह कुछ और ही था,कहो तो अयाना की बेचारगी देख उसकी आखें हंस रही हो ,तभी होठों पर मुस्कान आते हुऐ वो फिर से बोला-"मुझे ऐसे क्यों लग रहा है तुम मेरे साथ?"
ये सुन आयना फिर उठने की कोशिश करने लगी कि तभी माहिर ने उसकी कमर पर हाथ रख उसे नीचे कर लिया और खुद उसके ऊपर होते बोला-
"मेरे इस रूम में मेरे करीब आकर तुम मुझसे दूर जाने के लिऐ छटपटा रही हो?जानती हो ना तुम,
तुम्हें मैनैं यहां पर अपने करीब आने के लिए ही बुलाया(भोहें उचकाते हुऐ) है,तुम्हें खुद को मुझे सौंपना है!"
माहिर को अपने इतना करीब पाकर अयाना फट अपनी आखें मूंद लेती है तभी माहिर अयाना के ऊपर से उठ गया और अपना हाथ उसकी ओर बढ़ा दिया-"कम!"
माहिर खन्ना उसके ऊपर से हट गया है,महसूस होते ही अयाना ने आखें खोली और माहिर के हाथ की ओर देखा,तभी माहिर फिर बोल पड़ा
-"बिना हेल्प के नहीं उठ पाओगी ?वैसे भी यहां बैड है (बैड की ओर इशारा करते)तो जमीन पर क्यों लेटी हो तुम?"
अयाना ने माहिर की इस बात पर ध्यान न दिया और अपना हाथ माहिर के हाथ पर रख दिया ताकि वो उठ पाए तभी माहिर ने एक पल कस
कर अपने हाथ में उसका हाथ पकड़ा और दूजे ही पल उसे नीचे से उठाकर अपने करीब खींच लिया,अयाना का सिर फिर माहिर के सीने से जा लगा,अयाना खड़ी होते ही फट से माहिर से दूर हो गयी और दूसरी ओर देखते हुऐ अपने बाल सही करने लगी!
ब्लेक साड़ी,लाल सुर्ख होंठ,आखों में सजा हुआ काजल,और खुले लंबे बाल जिसमें अयाना बहुत ही खूबसूरत लग रही थी माहिर की नजर पलभर के लिऐ उस पर ठहर गयी पर जैसे ही अयाना ने तिरछी नजरों से माहिर को देखा तो वो अपनी नजर उससे हटा लेता है और उसकी ओर बढ़ अयाना के चारों ओर घूमते हुऐ बोला जो अपनी नजरें नीचे किये हुए खड़ी थी-"तो मैं सही समझ रहा हूं तुम मेरे साथ आईमीन मेरी बात मानने मेरे पास चली आई हो,मुझे नहीं पता था तुम इतनी जल्दी चली आओगी,वैसे भी इसमें नया क्या है लड़कियां मेरी तरफ चुंबक की तरह खिंची चली आती है और तुम भी एक लड़की ही हो बट एक बात समझ नहीं आई क्या तुम सच में घंमड से चूर इंसान के साथ वो सब कर पाओगी जो करने मैनैं तुम्हें यहां पर बुलाया है जो मैं करवाऊंगा तुम
से,समझ रही हो ना......क्या तुम्हारा स्वाभिमान परमिशन देगा तुम्हें?कहीं ऐसा ना हो ये तुम्हारी गलती हो... पर तुम तो गलत करती ही नहीं एम राईट?"
ये सुन अयाना ने बिना माहिर की ओर देखे कहा
-"यहां आना मजबूरी है,जरूरत ले आई है मुझे आपके पास,जरूरी ना होता तो हम नहीं आते ये आप भी जानते है और हां आज यहां पर आना मेरी लाइफ की सबसे बड़ी गलती हो सकती है!"
माहिर-"रियली,और तुम खुद गलती करने आई हो,मैं तुम्हें खरीदना चाहता हूं और तुम इसलिए मेरे पास आ भी गयी(बैड की ओर इशारा करते)
तो फिर चले(तिरछा मुस्कुराते) मैडम?"
ये सुनते ही अयाना ने माहिर की ओर देखा पर जैसे ही उसकी माहिर के बदन पर नजर पड़ी वो फट से माहिर की ओर पीठ कर खड़ी हो गयी,
माहिर ने सिवाये पैंट के कुछ भी नहीं पहना था आईमीन शर्ट लेस था!
तभी माहिर अयाना के पीछे खड़ा होकर धीरे से बोला-"बैड पर चलने को बोला है मेरी ओर पीठ करने को नहीं...उसी के लिए आई ह़ो तुम यहां,
जो मैं तुमसे चाहता हूं वही तुम्हे करना है और अब मुझे नहीं लगता तुम्हें बताने की जरूरत है तुमसे मुझे क्या चाहिए,तुम अब अच्छे से जान चुकी हो समझ चुकी हो....है ना!"
एक्चुअली माहिर को बैड पर जाने की वैसे तो कोई जल्दी न थी ,एक तो वो अयाना पर आज सड़क पर जो हुआ उस वजह से गुस्सा था,दूजा अयाना ने ऑफिस में उसे थप्पड़ मारा था जिस ने उसके गुस्से में घी डालने का काम कर दिया
था,मजबूरी में अयाना अब उसके सामने थी वो भी उसकी बात मानने के लिए तो बस वो उसके रियेक्शन नॉट कर रहा था क्योकि अयाना मिश्रा जल्दी झुकने वालों में नहीं थी पर माहिर खन्ना को उसे झुकाना था अपने आगे,अयाना ने उसकी इंसल्ट जो की थी वो भी एक बार नहीं दो बार, बाकि उसके मन में क्या चल रहा था उस वक्त ये तो माहिर खन्ना खुद ही जाने?फिलहाल उसको ये देखना था जो वो नही करने को कह रही थी उस ओर बढ़ भी सकती है या नहीं?वो सच में बिकने चली आई?उसके मजबूत इरादे उसकी मजबूरी के चलते माहिर खन्ना के आगे टूटते है या नहीं.....ये भी जानना था सो वो जानबूझकर ऐसी हरकतें कर रहा था जिसके चलते वो जो चाहता था देखना जानना करना .....हो पाए!"
तभी अयाना बोली-"आप......आप कपड़े पहन लिजिए!"
माहिर हैरानी से-"व्हाट ?"
अयाना-"प्लीज पूरे कपड़े पहन लिजिए,मुझे आपसे बात करनी है कुछ?"
माहिर ये सुन अयाना के पीछे से थोड़ा उसके करीब होते बोला-"तुम यहां बात करने आई हो पर मैं बात नहीं करना चाहता....और रही बात कपड़ो की तो वो तो उतरने ही है(जानबूझकर आयना को परेशान करने के इरादे से)तो पहनना क्यों?"
(क्रमशः)
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