अयाना-"तू क्यों दिल से लगाई बैठी है उस बात
को,जुबां से भले ही जैसी भी मामी पर दिल उन
का साफ है पिहू,,,चाहे भले ही वो मुझे कुछ भी कह दे सुना दे पर हम ये सच कभी नहीं बदल सकते है कि जब हम घर पर नहीं होते तो वो ही मां का ख्याल रखते है,हम लोग बाहर होते है तब बताओ फिर घंटो वो ही देखती है ना मां को,मां से बातें करते है जिससे मां का भी बहुत मन लगा रहता है,वहीं मां की सेवा करते है और जो करता है वही कहता है,आसान तो नहीं होता है
संभाल पाना पिहू तो बस ऐसे चिल्लाकर भड़ास निकाल देता है इंसान,परेशान तो वो भी होता है पूरा दिन भाग भाग कर,हो जाता है चिड़चिड़ा पर सच में यार मेरी मामी बहुत अच्छी है और मैं उनके खिलाफ कुछ नहीं सुनने वाली ओके!"
पिहू मुस्कुराते हुऐ-"ओके अयाना मिश्रा आपसे तो मैं वैसे भी नहीं जीत सकती हूं और आप तो महान हो ही!"
अयाना-"हो गया तेरा!"
पिहू-"नहीं..... आज पता है मुझे माहिर खन्ना की न्यू मैगजीन मिली वो भी यहां हॉस्पिटल में,
क्या आर्टिकल लिखा था दी,पढ़कर ही मजा आ गया क्या बंदा है हाय,काश मेरी उससे आमने सामने मुलाकात हो जाए!"
अयाना माहिर के बारे में सोचते हुए-"हाथी के दांत खाने के और दिखाने के और ,इतना भी खास नहीं है और अच्छा है ना मिलो तो,जो ना खुद अच्छे होते है ना उनकी सोच उनसे मिलना भी नहीं चाहिए और वैसे भी पिहू इन आर्टीकल वगरेहा में आधे से ज्यादा झूठ होता है असलीयत को कोई नहीं छापता और ना ही कोई छपवाता है पढ़कर थोड़ी पता लगता है इंसान कैसा है,दो बातें अच्छी लिखती दी इसका ये मतलब नहीं वो खरा सोना है,मिले तो जाने.वो सोना नहीं पत्थर है सीने में ना दिल, ना इंसानियत,सच तब पता चले जब खुद मिलकर जाने,पर्दे पर सामने जो दिखता है वो कभी हकीकत नहीं होती जो पर्दे के पीछे होता है वो सब नहीं जानते होते!"
पिहू हैरान होते-"क्या बोल रहे हो अयू दी और कुछ समझ आ रहा है कुछ नहीं आ रहा है,आप कौन सा मिले हो उससें और हां थोड़ी देर पहले भी स्कूटी को लेकर बड़बड़ा रहे थे आप....ऐसा लग रहा था जैसे किसी को मन ही मन गालिया
दे रही हो आप ,अब फिर बड़बड़ा रहे हो,बताओ ना हुआ क्या है आपको और आप बोल रहे थे कि घटिया इंसान,स्कूटी ठोक दी,लाईट टूट गयी खर्चा बढ़ गया,कैसे हुआ ये?"
अयाना-"कुछ नहीं ....वो किसी पागल आदमी ने ठोक दी थी,तू छोड़ अब इस बात को और हां मेरे सामने ना ये मैगजीन वाला चेप्टर मत ही खोला करो!"
पिहू-"मैगजीन वाला या माहिर खन्ना का?"
अयाना कुछ नही कहती है,पिहू फिर बोल पड़ती है-"बोलो ना दी?"
अयाना-"नही बोलना,मुझे माहिर खन्ना का नाम भी नहीं सुनना है,उससे रिलेटेड बात तो क्या मेरे सामने पिहू तुम अब उसका नाम भी मत लेना!"
पिहू हैरान होते-"क्या हुआ दी?"
अयाना-"कुछ नहीं!"
पिहू-"अच्छा स्कूटी कैसे ठुकी वही बता दो?"
अयाना-"बाद में अभी चल वरना फिर गर्म चाय के लिऐ चक्कर काटना पड़ेगा?"और दोनों वार्ड रूम में चली जाती है!
जैसे ही राजश्री जी को हॉस्पिटल से घर ले जाने को हुऐ,उनकी तबीयत बिगड़ जाती है और उन्हें एमरजेंसी वार्ड में ले जाया जाता है,,,,एमरजेंसी वार्ड के बाहर सब परेशान खड़े थे,अयाना की तो बुरी हालत हो रही थी वो इधर उधर चक्कर काटे जा रही थी,पिहू भी डरी थी और सविता जी से चिपकी बैठी थी,वहीं प्रकाश जी दीवार से सटके खड़े थे जिनके चेहरे पर चिंता की लकीरें साफ दिखाई पड़ रही थी!
तभी डॉक्टर वर्मा एमरजेंसी वार्ड से बाहर आए
अयाना और सब उनकी ओर बढ़े,कोई कुछ भी कहता उससे पहले ही डाक्टर वर्मा बोल पड़े-"
अपनी मां को बचाना चाहती हो तो अयाना अब और देरी नहीं,मैं अकेले कुछ नहीं कर सकता हूं आप लोग जल्द कुछ किजिए,अभी एमरजेंसी वार्ड में रखा है,कल सुबह ही नका ऑपरेशन होगा,जो करना है जल्द किजिऐ बस आज रात का वक्त है,फिर मत कहना आयना मैं कुछ नहीं कर पाया,मैं करना चाहता हूं जो आपके सपोर्ट से होगा ओके अंडरस्टैंड"इतना बोलकर डॉक्टर वर्मा वहां से चले गये!
डॉक्टर वर्मा की बातें सुनकर सब शॉक्ड हो गये,
आज तो प्रकाश जी के साथ सविता जी की भी आखें नम हो गयी,पिहू तो "बुआ" कहते सविता जी से ही लिपट गयी और अयाना पूरी नम आखें लिऐ पीछे कदम लेती दीवार के जा लगी,उसकी आखों के आसूं लुढक कर उसकी आखों पर आ गयें,तभी थोड़ी देर बाद आकर नर्स ने बताया कि अभी राजश्री जी रेस्ट कर रही है ,जैसे ही उठेगी आप सब मिल लेना,अभी इजेक्शन की वजह से नींद में है सो अभी डिस्टर्ब नहीं करना है तो सब
ने हां में सिर हिलाया ,नर्स के जाते ही प्रकाश जी सबसे बोले-"मैं आता हूं चिंता मत किजिए बस दुआ करो पैसों का इंतजाम हो जाए और जीजी बिल्कुल ठीक हो जाए!"
अयाना उनकी ओर देख-"कैसे होगा मामा जी?"
"कुछ नहीं होगा तेरी मां को खरगोश,मैं आता हूं
" प्रकाश जी अयाना के सिर पर हाथ रखा और वहां से चले गये!
तभी अयाना की नजर अपने हाथ में पकड़े फोन पर गयी-"मामी पिहू हम आते है मां का ख्याल रखना!"
"अयू दी आप कहां जा रहे हो?"पिहू पूछ रही थी उससे पहले ही अयाना वहां से चली गयी!!
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अयाना अपनी स्कूटी से कहीं जा रही थी कहां ये तो उसे ही पता था,राजश्री जी को लेकर काफी परेशान थी वो,......तभी मिस्टर जोशी की गाड़ी ने आकर उसका रास्ता रोक लिया,अयाना उसी
पल स्कूटी के ब्रेक लगाती है और उन्हें देखती है जो उसकी तरफ आ रहे थे,उनको आते देख वो आह भरते इधर उधर देखने लगी!
मिस्टर जोशी पास आते ही बोले-"अकेले नहीं
संभाल पाओगी?"
अयाना उनकी ओर देख-"किसने कहा अकेली हूं मेरा परिवार मेरे साथ है,मेरी मां - माता रानी का आशीर्वाद मेरे साथ है!"
"आशीर्वाद परिवार काम नहीं आने वाला,राजश्री की हालत कितनी क्रिटिकल है पता है ना,,,,कल सुबह तक ऑपरेशन ना हुआ तो तुम भी जानती हो और मैं भी क्या होगा?"
"ओह तो आपने पता लगा ही लिया,वैसे मेरी मां की हालत जान खुशी तो हुई होगी ना,बेशक हुई होगी उनको तकलीफ में देखकर तकलीफ देकर आपको हमेशा सकून ही तो मिला है!"
मिस्टर जोशी चिल्ला दिये-"बस करो अयाना?"
अयाना भी चिल्ला देती है-"क्या बस करूं और क्यूं करूं,आज जो हालत है मेरी मां की उसके जिम्मेदार सिर्फ आप है सिर्फ आप मिस्टर जोशी,
आपके जुल्म अत्याचार बेदर्दी का नतीजा है जो आज वो इतना दर्द तकलीफ सह रही है,आपसे दूर होकर छुटकारा मिल जाएगा सोचा था मां ने पर आपकी करनी उनका पीछा ही नहीं छोड़ेगी पता नहीं था,ना आप उनके साथ ज्यादती करते ना उन्हें परेशान करते तो आज जिस बीमारी से वो झूंझ रही है वो उनको ना होती,कभी चैन से नहीं रहने दिया आपने मेरी मां,आपकी दी टेशन की बदौलत ही ट्यूमर मिला है उनको!"
ये सुन मिस्टर जोशी क्या बोले उनको समझ नही आ रहा था,उनको चुप देख अयाना मुस्कुरा दी-
"क्या हुआ सच रास न आया!"
मिस्टर जोशी-"जो गलती हुई उसको सुधारने की कोशिश कर तो रहा हूं,मैं कितनी बार माफी मांग
चुका हूं....तुम और राजश्री एक बार माफ तो कर दो मुझे,मैं सब ठीक कर दूंगा बेटा!"
अयाना-"रियली,...कुछ ठीक नहीं होगा,आपके -हमारे बीच कभी कुछ ठीक हो ही नहीं सकता,
ठीक होने को कुछ होना भी तो चाहिऐ ना,यहां तो अपने बीच सब खत्म है और माफी गलती की होती है मिस्टर जोशी गुनाह की नहीं,गुनाह की सजा होती है वो सजा जो हम आपको नहीं दे सके,आपका पैसा आपकी अमीरी आपका सुरक्षाकवच बन गया,नहीं बिगाड़ पाए आपका कुछ भी हम,आप दोषी होकर निर्दोष बन गये,
पर सच आप भी जानते है और मैं भी,बहुत कुछ बिगाड़ा है आपने हमारा पर अब नहीं,अब नहीं
मिस्टर जोशी,उस वक्त छोटी थी,नहीं बचा पाई मैं आपसे अपनी मां को,पर अब मैं आपसे उनकी हिफाजत कर सकती हूं,पास भी न भटकने दूंगी आपको अपनी मां के,समझ लिजिऐ इस बात को अच्छे से!"
मिस्टर जोशी-"इन बातों को छोड़ तुम इस वक्त जो जरूरी है उसे समझोगी तो ज्यादा ठीक रहेगा अयाना,तुम्हारे लिए,राजश्री के लिए,...डॉक्टर से बात हुई मेरी,मुझसे नहीं उस बीमारी से बचाओ अपनी मां को जिसके चलते वो जिंदगी और मौत से लड़ रही है,हूं मैं कसूरवार,अहसास भी है मुझे अपनी करनी का और पछतावा भी,मैं कुछ भी कहूं ना तुम माफ करोगी मुझे ना ही मेरी सुनोगी,
राजश्री ने नहीं किया तो तुम कैसे कर सकती हो
मुझे माफ!"
अयाना-"फिर भी आप कोशिश करते है जिसका कोई फायदा नहीं,उम्मीद लेकर चले आते है मेरे सामने जिसका कोई फायदा नहीं,राजश्री मिश्रा की बेटी हूं आपकी नहीं,जो मेरी मां ने नहीं किया मैं वो कभी नहीं करूंगी,सच कहूं तो मेरी मां भले ही एक पल आप पर इंसानियत के चलते तरस खा भी ले,पर मैं उस हैवान को कभी माफ नहीं करूंगी थोड़ा भी रहम नहीं खाऊंगी उसपर जिस की हैवानियत मैनैं अपनी आखों से देखी है!"
मिस्टर जोशी-"बहुत नफरत करती हो ना तुम मुझसे!"
अयाना-"अपनी मां की कसम में बंधी हूं वो नहीं चाहती मेरे हाथ आपके खून से रंगें वरना आप आज जिंदा नहीं होते,आपकी शक्ल से ही मुझे घिन्न आती है,जब जब आप मेरे सामने आते है
आपने जो पाप किए है वो याद आ जाते है और सोचती हूं कैसी कोई पापी अपने पापों को भूल सकता है,कैसे पाप करके भी चैन से रह सकता है पर कलयुग है ना बेगुनाह सहते है,गुनाहगार आराम से रहते है!"
अयाना की बातें सुन मिस्टर जोशी को गुस्सा आ रहा था तो वही अयाना की आखों में उनके प्रति खून खौल रहा था,मिस्टर जोशी गुस्से को कंट्रोल
करते-"बाप के जिंदा होते हुऐ भी तुम उसे मार चुकी हो,मां को तो ना मरने दो,बचा लो राजश्री को,मैं मदद..."वो आगे बोलते कि अयाना बोल पड़ी-"नहीं चाहिए आपकी मदद,मुझे अपनी मां को जिंदगी देनी है,जीते जी मारना नहीं!"कहते अयाना ने अपनी स्कूटी स्टार्ट की और चली गयी वहां से ....मिस्टर जोशी "अयाना अयाना"करते रह गये!
_________
राजश्री जी को जैसे ही होश आया तो पिहू उनके सामने बैठी थी,उन्होनें आखें खोलते ही अयाना का पूछा-"अयू?"
पिहू उनका हाथ पकड़ते हुऐ-"अयू दी थोड़ी देर में आते होगें बुआ ,वो और पापा किसी काम से गये है!"
वहीं खड़ी सविता जी भी कहती है-"हां जीजी आप आराम करो आपकी अयू कहीं नहीं जाने वाली है आप बस आराम करो,अभी आपके पास आ जाएगी !"
ये सुन पिहू मुस्कुराते सविता जी की ओर देखती है और मन ही मन खुद से कहती है-"सही कहते हो आप अयू दी,,,,मम्मी को भी बुआ की परवाह है!"
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【मिश्रा हाऊस】
अयाना अपने रूम में हाथों में ब्लेक साड़ी लिए खड़ी थी जिस पर अपना हाथ फैर मुस्कुराते वो खुद से बातें कर रही थी-"मां ने ये साड़ी कॉलेज की फेयरवेल पार्टी के लिऐ कितने प्यार से मुझे मंगवाकर दी थी और मैं उस दिन मां की तबियत खराब होने की वजह से जा नहीं पाई थी!
"आप कितना उदास हो गयी थी मां,मैनैं आपसे प्रोमिस भी किया था बर्थडे वाले दिन इसे पहनेगें, आपका और हमारा बर्थडे एक दिन ही जो होता पर सॉरी मां आज ही मैं ये साड़ी पहन रही हूं,मैं जहां जा रही हूं वहां पहनकर जाने के लिऐ मेरे पास कोई और कपड़े नहीं,माहिर खन्ना ने मुझे अच्छे से रेडी होकर आने को कहा है,मेरे पास एक यही नयी साड़ी है जिसे पहन कर अच्छे से रेडी हो सकते है(आखें मूंद गहरी सांस भर)सोच तो लिया है माहिर खन्ना के पास जाने का पर बहुत घबराहट हो रही है!"
"सुबह तक का ही वक्त है हमारे पास,एक वहीं है जो हमें अब जल्द दस लाख रू दे सकता है,वो भी जब हम उसकी बात माने,उनकी बातें मानेगें तभी पैसे मिलेगें और हम मां का कल ऑपरेशन करवा पाएगें(बंद आखों से बह रहे आंसुओ को पौंछते हुए)और कोई भी रास्ता नहीं है अब मां,
पता नहीं वो क्या करेगा,मिलकर ही पता चलेगा
मिस्टर जोशी से मदद नहीं ले सकते है अब बस माहिर खन्ना है जिसके चलते हम इस मुश्किल घड़ी से निकल सकते है!"
"काश माहिर खन्ना से सड़क वाली मुलाकात ना हुई होती,आसानी से मान जाते वो मदद के लिए,
जॉब भी दे देते अपने यहां,ना कि मुझपर गुस्सा होकर बेहुदा शर्त रखते,सबकुछ आराम से ही हो जाता,कहां कुछ और होना था कहां कुछ और हो रहा है,पता नहीं हमारी किस्मत चाहती क्या है? क्यों वो करवाने पर तुली है जो मैं करना भी नहीं चाहती!"कहते अयाना पैर पटकते साड़ी लेकर वाशरूम में चली गयी!
(क्रमशः)
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