अयाना के जाते ही माहिर खन्ना अपनी गाल को मसलता है,गुस्से के मारे उसकी आखे बेहद लाल हो चुकी थी,वो मन ही मन दांत भींचते खुद से-"
पहले भाषण अब थप्पड़,दो गलती कर चुकी हो तुम जो माफी के लायक तो बिल्कुल नहीं है,मेरी इंसल्ट की है ना तुमने इसकी भरपाई तो करनी ही पड़ेगी,जरूरत से बड़ा है ना तुम्हारा जमीर,
बहुत प्यारा है ना तुम्हें तुम्हारा स्वाभिमान,जानता था मैं तुम नहीं मानोगी मेरी बात,बट याद रखना मैं तुम्हें अपने सामने झुकाऊंगा और तुम झुकोगी मेरी हर बात मानोगी,वो भी अपने स्वाभिमान की बलि चढ़ाकर,जिस चीज की इजाजत नहीं देता तुम्हारा मन मैं तुमसे वही सब करवाऊंगा,माहिर खन्ना खुद की सुनता है और खुद की करता है,
तुम्हें लगता है तुम मेरे सामने अपनी चला लोगी
(गुस्सियाते)नेवर!"
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अयाना माहिर के कैबिन से निकल वहां से जाने लगी कि उसके सामने अनुज आ गया-"अयाना मिश्रा?"
अयाना नम आखों से उसकी ओर देख-"काश!
आपके बॉस भी आप जैसे अच्छे इंसान होते ,हमें ना जॉब चाहिए और ना ही पैसे माहिर खन्ना से,
जरूरत के चलते मजबूर हो सकते है पर बिकाऊ नहीं कह दिजिऐगा अपने बॉस से!"इतना बोल
अयाना वहां से चली गयी,और अनुज बस उसे हैरानी से जाते देखता ही रह गया!
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अयाना वहां से हॉस्पिटल चली आई,वो स्कूटी से उतर हॉस्पिटल के अंदर जा रही थी,माहिर खन्ना की बातें अभी भी उसके जहन में ही घूम रही थी,
जिसके चलते उसका खून जल रहा था-"माहिर खन्ना ऐसा निकलेगा सोचा भी न था,इतना बड़ा आदमी और सोच इतनी छोटी और घटिया,मुझे
घंमडी कह रहा था,खुद को देखे ना एकबार तो पता चले घंमडी कौन है,बातों से ही घंमड और
बकवास जड़ रही थी,माता रानी काश हम इस माहिर खन्ना से कभी मिलते ही ना,हमें जाना ही नहीं चाहिए ऐसे शख्स के पास,क्यूं जाने दिया आपने मुझे,पैसो से ही अमीर है,दिल से नहीं और इंसानियत और अच्छाई के मामले में खोखला है,
पता नहीं खुद को क्या समझता है,पैसे वाला है तो क्या किसी को भी खरीद लेगा,इंसान है कोई चीज नहीं,अफसोस हो रहा है हम उस घंमड से चकनाचूर माहिर खन्ना के दरवाजे पर गये ही क्यूं मदद के लिऐ,जो किसी की मजबूरी समझने की जगह उसमें भी अपना फायदा देखता है!"
अयाना खुद से बड़बड़ाते चल रही थी कि तभी एक बड़ी सी व्हाईट कार उसके सामने आकर रूकी,जो अब उसके और हॉस्पिटल के बीच थी,
उसे देख अयाना के कदम रूके ही नहीं ब्लकि थोड़े पीछे की ओर लड़खड़ा गये,उसकी आखें फैल गयी,गला सूखने लगा तभी गाड़ी से ड्राईवर बाहर निकला और उसने अपनी साईड से गाड़ी का पिछला दरवाजा खोल दिया,गाड़ी से उसी पल एक शख्स बाहर निकला,जिसने सफेद सूट पहना हुआ था,वो शख्स तेजी से हॉस्पिटल की तरफ कदम बढ़ाने को हुआ कि तभी अयाना ने उसे आवाज दे दी-"रूक जाईऐ मिस्टर जोशी?"
(दरअसल ये शख्स वही था जो कल बीच रास्ते अयाना को मिला था जिसने अयू को मेरी प्यारी बिटिया बुलाया था!)
ये सुनते ही उस शख्स के कदम रूक गये,यानि मिस्टर जोशी के,मिस्टर जोशी और उसके ड्राईवर ने आवाज की दिशा में देखा अयाना दूसरी साईड से उनके पास आ रही थी,आखों में बेहद गुस्सा लिया अयाना उनके सामने आ खड़ी हुई,अयाना के पास आते ही मिस्टर जोशी उसके चेहरे को हाथों में भर लेते है,चेहरे पर चिंता की लकीरे तो नजर आ ही रही थी लहजे में भी भावुकता सी झलक उठी-"अयाना मां कैसी है,राजश्री ठीक है ना बेटा,कल शाम को शहर से बाहर चला गया था,आया तो पता चला राजश्री हॉस्पिटल में है,
अब ठीक है ना वो,क्या बोला डॉक्टर ने,परेशानी की बात तो नहीं है ना!"
अयाना उनकी ओर खामोशी साधे बिना किसी हाव भाव के एकटक देख रही थी वो फिर बोले-
"बोलो बेटा पापा तुमसे कुछ पूछ रहे है जवाब दो........."उनका इतना कहना हुआ कि अयाना ने अपने चेहरे पर मौजूद उनके हाथों को झटका दिया और उन्हें खुद से दूर धकेल दिया,वो गिर पड़ते,वो तो ड्राईवर ने वक्त रहते उन्हें पकड़कर संभाल लिया!
ड्राईवर अयाना पर चिल्लाया-"क्या कर रही हो आप,साहब अभी गिर जाते आपकी वजह से इन्हे चोट लग जाती"वो आगे बोल पाता मिस्टर जोशी ने खुद को उससे छुड़ाया और उसको डांट भी दिया-"चुप करो,बेटी है ये मेरी जानते हो ना,
तुम ऐसे बात नहीं कर सकते,माफी मांगो!"
ड्राईवर नजरें झुकाते-"सॉरी सर,सॉरी अयाना मैम!"
तभी अयाना इधर उधर देखते"मिस्टर जोशी"
बोलती है और हंसने लगती है!
मिस्टर जोशी अयाना को हंसते देखते हैरान हो जाते है वहीं ड्राईवर भी हैरान होता है और इधर उधर देखता है,वहां मौजूद आते जाते लोग उन्हें देख रहे थे,अयाना जो पागलों की तरह हंस रही थी उसको देख तो कुछ लोग वहीं रूककर खुसर पुसर करने लगे!
तभी मिस्टर जोशी"अयाना"कहते अयाना की तरफ कदम बढ़ाने को हुऐ कि उसी पल अयाना ने अपना हाथ उनके सामने कर दिया,हंसना बंद, और चेहरे पर सख्ती भरे भाव लाते बोल पड़ी-"
सोचना भी मत!"
मिस्टर जोशी जहां थे वही रूक गये,अयाना उन्हें अपनी अंगुली दिखाते हुए फिर चेतावनी देती है -"मिस्टर जोशी चले जाईऐ यहां से?आपके लिऐ ही बेटर रहेगा दूर रहिऐ मेरी मां से,मेरे परिवार से
और मुझसे!"
मिस्टर जोशी-"मैं यहां राजश्री से मिलने आया हूं,
मैं राजश्री को देखकर ही जाऊंगा"बोल वो वहां से हॉस्पिटल की तरफ जाने लगे कि अयाना उसी पल उनके आगे अपनी बांह अड़ा उनका रास्ता रोक लिया-"मिस्टर जोशी अगर आपको लगता है आप मेरी मां तक जा पाएगें तो ऐसा नहीं हो पाएगा!"
मिस्टर जोशी-"तुम रोकोगी मुझे?"
अयाना उनके सामने खड़ी होते-"बिल्कुल!"
मिस्टर जोशी-"क्यों कर रही हो ऐसा,बाप हूं मैं तुम्हारा,मेरी बीवी बीमार है और मेरी बेटी नहीं चाहती मैं उससे मिलूं?"
अयाना हंस दी-"कौन सी बीवी कौन सी बेटी?
आपको अब जाकर याद आया है आपकी बीवी है बेटी है,ये झूठी चिंता झूठी हमदर्दी अपने दूसरे बीवी बच्चों के लिए रखिए,हमें जरूरत नहीं है आपके इस दिखावे के अपनेपन की,ना मेरी मां आपसे मिलना चाहती है और ना ही मैं आपको मिलने दूंगी,क्यूं अपना टाइम वेस्ट करने आए है
यहां,बड़े लोगो के लिए वैसे भी उनका वक्त बहुत किम्मती होता है क्यूं परायों अजनबियों पर वक्त लुटा रहे है फालतू में,जिनका आपसे कोई वास्ता नहीं(ड्राईवर से)लेकर जाईऐ अपने मालिक को यहां से,मेरा तो कुछ भी नहीं जाएगा पर मिस्टर सागर जोशी का तमाशा बन जाएगा,बड़े लोगों को रास जो नहीं आता सरेआम बेइज्जत होना,
चाहे फिर वो खुद ही गलत क्यूं ना हो!"
बोल अयाना वहां से मुड़ हॉस्पिटल की ओर जाने लगी कि मिस्टर जोशी ने उसी बाहं पकड़ उसको अपनी तरफ घुमाया- "ये ठीक नहीं है,तुम गलत कर रही हो अयाना!"
अयाना ने अपनी बाहं पर मौजूद उनके हाथ को हटाया और मुस्कुराते हुऐ बोली-"ठीक गलत की बात भी कौन कर रहा है,जो आपने किया है उस पर गौर किजिए....गलत ठीक में फर्क पता चल जाएगा,मैं सही हूं और बिल्कुल सही कर रही हो,
आपकी यादाश्त बहुत कमजोर है मिस्टर जोशी जो आप बार बार भूल जाते है,राजश्री मिश्रा है ना वो सिर्फ मेरी मां है और अयाना मिश्रा उनकी बेटी यानि मैं जिनका सागर जोशी से कोई रिश्ता नहीं है!"
मिस्टर जोशी गुस्सा होते-"भूल तुम रही हो,बाप हूं मैं तुम्हारा,मुझे सब याद है और तुम अयाना मिश्रा नहीं अयाना जोशी हो,सागर जोशी और राजश्री जोशी की बेटी अयाना जोशी!"
अयाना हंस दी-"जल्द डॉक्टर को दिखाईऐ,खुद का इलाज करवाईऐ,एक ही बात कितनी बार बतानी समझानी पड़ती है आपको,मैं सिर्फ और सिर्फ राजश्री मिश्रा की बेटी हूं अयाना और जिस के नाम के साथ उसकी मां का सरनेम लगता है
अयाना मिश्रा,बाप की बात कर रहे है ना आप,
मेरा बाप उसी दिन मर गया था जिसदिन वो मेरी नजरों से गिर गया था,वजह आपको भी मालूम है!"
ये सुन मिस्टर जोशी ने हाथों की मुठ्ठियां बांध ली
अयाना फिर बोली-"आपसे कोई लेना देना नहीं,
मेरी मां तो आपकी शक्ल भी देखना नहीं चाहती
कोई हक नहीं है आपका जो आप हाल चाल भी पूछे,आपकी वजह से मैनैं मेरी मां को जीते जी मरते देखा है,फिर वो सब नहीं होने दूंगी,आपको देख उनकी हालत सुधरेगी नहीं बिगड़ेगी जो मैं कभी होने नहीं दूंगी,चले जाईऐ,बार बार यूं मेरे सामने आकर खुद को बेईज्जत करवाने में मेरा नहीं आपका ही नुकसान है!"
मिस्टर जोशी-"इतनी कड़वाहट?"
अयाना हाथ बांधते-"लाजमी है,उस तरफ कदम ना बढ़ाए,जहां का रास्ता आपने खुद बंद किया था,जिस जगह घुसने की आप कोशिश करते है वहां आपका कोई नहीं है,क्यूं बेकार में कोशिश करते है हासिल कुछ नहीं होगा,बेहतर ही रहेगा आपके लिऐ लौट जाईऐ अपने उस आशियाने में जिसके लिए आपने अपनी बीवी और बेटी की बलि चढ़ा दी थी,मर गयी वो आपके लिऐ,क्रिया
-क्रम कर डालिऐ,खुद भी सकून से रहिऐ उनको भी रहने दिजिऐ,सुना होगा.......जो दो नावों पर सवार रहते है,डूब जाया करते है!"
मिस्टर जोशी को सुनाकर अयाना वहां से चली गयी,जबतक अयाना मिस्टर जोशी की आखों से ओझल न हो गयी वो वहीं खड़े रहे और फिर वो भी वहां से अपनी गाड़ी में बैठ चले गये,क्योकि ये तो पक्का था अयाना के रहते वो राजश्री जी से मिलना तो दूर उनके पास भी नहीं जा सकते थे!
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पिहू राजश्री जी के वार्ड रूम के बाहर ही खड़ी थी,अयाना को आते देख उसकी तरफ बढ़ते हुए बोली-"अयू दी आप कहां थे,बुआ आपके बारे में बार बार पूछ रहे थे!"
अयाना-"यही थी यार,तुम बाहर हो मां के पास कौन है?"
पिहू-"मम्मी पापा है,बताओ ना आप कहां गये थे?कौन से काम गये थे?"
अयाना-"था यार कुछ.....मां ठीक है ना?"
पिहू-"हां ठीक है, वो सो रहे है,डॉक्टर थोड़ी देर पहले देखकर गये है बुआ को,आप ठीक हो ना दी!"
अयाना पिहू के गाल पर हाथ रख-"हां मैं ठीक हूं मुझे क्या होना था!"
पिहू अयाना से लिपट गयी-"आई विश दी सब ठीक रहे!"
"सब ठीक रहेगें बच्चा!"कहते अयाना ने पिहू का सिर चूम लिया,पिहू अयाना से अलग हुई और दबी सी आवाज में बोली-"अयू दी,आप यहां नहीं थे तो पापा को कॉल आया था?"
"कॉल?"अयाना ने सवालिया नजरों से पिहू की ओर देखा तो वो फिर बोली-"हां उनका,आईमीन
सा.....सागर जोशी का!"
ये सुन अयाना अपनी आखें मूंद लेती है-"इस आदमी को चैन क्यूं नहीं है?"
पिहू अयाना के कंधे पर हाथ रखते-"पापा ने उनसे बात नहीं की!"
अयाना आखें खोल पिहू की ओर देखती है-"मां को तो पता नहीं चला ना!"
पिहू ना में सिर हिलाते-"नहीं पता चला,वो सो रहे थे,पापा ने भी बुआ को नहीं बताया!"
"अच्छा है पिहू वरना मां और परेशान हो जाते!"
बोलते अयाना वही चेयर पर बैठ गयी,पिहू पास बैठते-"क्या हुआ दी,आपका मूड ऑफ क्यूं है?
प्लीज दी उनका कॉल आया इस बात को लेकर आप टेंश मत होना....आईनो आपको वो पंसद नहीं है!"
अयाना हंस दी-"पंसद होने को कुछ होना भी तो चाहिए ना पिहू,डोंट वेरी मैं टेंश नहीं होने वाली हूं वो भी उस आदमी के लिए जो मेरा कोई नहीं है,
तुम कॉल की बात कर रही हो मैं अभी वार्तालाप करके आ रही हूं मिस्टर जोशी से!"
पिहू हैरान होते-"व्हाट....कहां?"
अयाना ऊपर की ओर देखते-"यही हॉस्पिटल के बाहर ही.....मां की हालत का जायका लेने आए थे!"
पिहू अयाना की ओर गौर से देखते-"आपने तो जहर उगल दिया होगा ना!"
अयाना पिहू की ओर देखते-"जो दिया है उन्होनें मैं वही लौटाती हूं उनको!"
पिहू अयाना की बाहं पकड़ कंधे पर सिर टिकाते
-"अयू दी जो वो फिक्र दिखाते है वो सच्ची है!"
"सच कुछ नहीं है पिहू,झूठ,फरेब,दिखावा है सब उनका,फिक्र मेरी मां की कभी की ही नहीं उन्होनें
फिक्र करने वाले जुल्म नहीं करते!"........कहते
अयाना की आखों के सामने एक दर्दनाक दृश्य चला आया,जिसमें मिस्टर जोशी,राजश्री जी और
अयाना थे....छोटी अयाना!"
एक बंद कमरा जिसमें मिस्टर जोशी राजश्री को
बेल्ट से पीट रहे थे,राजश्री जी चीख रही थी रो रही थी पर मिस्टर जोशी को उन पर कोई दया नहीं आ रही थी,वो बस गुस्से से उनको मारे जा रहे थे,ना तो राजश्री जी खुद का बचाव कर पा रही थी और ना ही कोई और वहां था जो उनको बचा सके,बस अयाना थी सात साल की बच्ची जो उस बंद कमरे की बंद खिड़की के बाहर ही खड़ी अंदर का दृश्य देख सुबक रही थी,खिड़की के शीशे से वो बस लाचार सी अपनी मां देखे जा रही थी जो उसके बाप के जुल्म का शिकार हो रही थी,आखों से आसूं बह रहे थे,जुबां से मां मां लफ्ज फूट रहे थे जो ठीक से मुंह से बाहर भी न निकल रहे थे,पर अपनी मां की दर्द - पीड़ा को वो बच्ची अयाना महसूस कर पा रही थी जिसके चलते उसके मासूम से मन में अपनी मां के प्रति सहानुभूति और बाप के प्रति नफरत पनप रही थी!
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उसी शाम
अयाना और पिहू दोनों बाहर की ओर से राजश्री जी के वार्ड रूम की ओर बढ़ रही थी" ये मम्मी भी ना ,बहुत नखरे है इनके, पड़ी थी चाय फिर भी उनको गर्म चाय चाहिए!"
अयाना-"तुम ना चाय संभालो गर्म है और हां अपनी ननद को घर ले जाने को आए है मामी जी,एक कप गर्म चाय तो बनती है!"
पिहू-"ओएमजी मम्मी के दिल में उमड़ा बुआ के लिऐ प्यार और फिर मम्मी पर आपके प्यार की छा रही है बहार.....सब पता है मुझे हॉस्पिटल के खर्चे न बढ़े इसलिए बुआ को लेने आऐ है वरना देखा था ना क्या बोल रहे थे बहोस हुई बुआ तो
,हॉस्पिटल जाने की क्या जरूरत है!"
(क्रमशः)
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