तभी अनुज बोला - "क्या हुआ क्या सोचने लगी, सुन रही है ना आप मेरी बात?"

अयाना ने फिर हां में सिर हिलाया और वहां से अनुज के साथ ऑफिस बिल्डिंग के अंदर चली गयी।

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दोनों माहिर के कैबिन के बाहर खड़े थे, अनुज कैबिन के डोर की ओर इशारा कर अयाना से बोला "चले?"

ये सुन अयाना इधर उधर देखने लगी, तो अनुज फिर उससे बोला, "क्या हुआ, आप नर्वस लग रही है?"

अयाना हल्का सा मुस्कुराते हुए - "या वो फास्ट टाइम यहां आई हूं इतनी बड़ी बिल्डिंग इतने बडे़ लोगो का ऑफिस….तो थोड़ा डर लग रहा है, थोड़ी सी नर्वसनेस फील हो रही है।"

ये सुन अनुज हंस दिया - "रिलेक्स घबराने की जरूरत नहीं है, समझ सकता हूं नयी जगह नए लोगों के बीच नर्वसनेस होना आम है बट डोंट वरी सब ठीक ही होगा...हम लोग इंसान ही है अयाना मिश्रा आप को खा नहीं जाएगें।"

अयाना बतीसी दिखाने लगी - "होप सो!"

"हम्म ,आओ?" कह अनुज ने माहिर के कैबिन का डोर नॉक किया, तुंरत ही अंदर से "यस" की आवाज आई, माहिर खन्ना की आवाज सुनते ही अयाना अपने कदम पीछे लेने लगी तो अनुज डोर अंदर की ओर धकेलते बोला, अंदर चलना है चलो…और अनुज अयाना को कैबिन में लेकर चला गया।

माहिर कैबिन में सोफे पर बैठा था, उसके सामने टेबल पर उसका लेपटॉप रखा हुआ था जिसमें उसने अपनी नजरें गड़ा रखी थी, उसके एक हाथ में कॉफी मग था और उसका दूजा हाथ लेपटॉप पर चल रहा था, अनुज माहिर से - "सर!"

माहिर बिना उसकी ओर देखे - "हम्म?"

अनुज अपने साइड में खड़ी अयाना की ओर देख - "सर अयाना मिश्रा"

ये सुन माहिर ने नजरें उठाकर सामने देखा पर तबतक अयाना अनुज के पीछे हो गयी थी, माहिर भौंहे सिकाड़ते - "कहां है?"

तभी अनुज अयाना के सामने से हट गया, माहिर अपने सामने अयाना को देख फट से सोफे से उठ गया और जोर से बोला - "तुम ?"

माहिर इतनी जोर से बोला कि अयाना के साथ-साथ अनुज भी डर गया, अनुज कुछ कह पाता उससे पहले माहिर टेबल पर कॉफी मग पटक कर अयाना की ओर चला आया और पास आते ही उस पर बरस पड़ा - "तुम यहां पर क्या कर रही हो..मेरे ऑफिस में मेरे सामने आने की तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई…ये लड़की (अयाना की ओर अंगुली कर अनुज से) मेरे ऑफिस में कैसे आई?"

माहिर खन्ना का गुस्सा देखकर अयाना ने थूक निगल लिया, वो माहिर की ओर पलकें झपकाती देखे जा रही थी जो उसे गुस्से भरी निगाहों से घूर रहा था, वहीं अनुज को कुछ समझ नही आ रहा था कि आखिर हो क्या रहा है? अनुज ने अयाना की ओर देखा तभी माहिर फिर से चिल्ला उठा - "इस लड़की को यहां किसने आने दिया?"

अनुज अयाना की ओर इशारा कर - "सर ये वही लड़की है जिसके बारे में मैनैं आप से बात की थी, वो जॉब, एंग्रीमेट कर दस लाख देने है ना, अनुज इतना बोल पाया कि माहिर अयाना की ओर खा जाने वाली आखों से देखते हुए - "ये है वो लड़की, इस लड़की को लेकर आए हो तुम मेरे पास जॉब के लिए, नहीं मिलेगी जॉब दस लाख तो क्या दस पैसे भी नहीं दूंगा मैं इस लड़की को.....अभी के अभी इस लड़की को निकालो यहां से"

अनुज अयाना की ओर देख जो उसे ही देख रही थी - "व्हाई सर?"

माहिर फिर चिल्लाया - "सुना नहीं, बाहर निकालो इस लड़की को मेरे कैबिन मेरे ऑफिस से जस्ट नॉऊ!"

तभी अयाना बोल पड़ी - “सुनिए....अयाना आगे कुछ कह पाती कि माहिर उस पर चिल्ला उठा - ”आऊट!"

अयाना फिर कुछ नहीं बोल पाई, वो समझ गयी कि माहिर खन्ना अब उसकी नहीं सुनेगें....जॉब देना तो दूर की बात वो अयाना को वहां देखना भी नहीं चाहते, अयाना अनुज की ओर देख - "हम चलते है....." कि अनुज उससे बोल पड़ा - 'एक मिनट, हुआ क्या है, सर आप तो अयाना मिश्रा की हेल्प करने को रेडी थे ना, अयाना जी सर आप पर गुस्सा क्यों है?"

अयाना बोलने को हुई कि माहिर फिर चिल्ला उठा - "आई से गेट आऊट" इतना कह माहिर ने अयाना की ओर पीठ कर ली, अनुज कभी माहिर की ओर देखता है तो कभी अयाना की ओर।"

"हम यहां हेल्प के लिए आए थे बट माहिर खन्ना हमारी हेल्प कभी नहीं करेगें, थैंक्स आपने हमारे लिए जो किया" अनुज से कह अयाना वहां से जाने लगी, कि तभी माहिर बोल पड़ा - "वेट?"

अयाना रूक गयी, अनुज अयाना दोनों माहिर की ओर देख रहे थे तभी माहिर खन्ना मुस्कुराते हुए उनकी ओर मुड़ा और नोर्मल लहजे में बोला -"आऊट?"

ये सुन अयाना हैरान हो गयी, वो मन ही मन खुद से - "जाने को ही कहना था तो रोका क्यों, जा तो रही थी!"

माहिर अयाना के पास आते - "तुम्हें जाने को नहीं कहा"

अयाना की भौहें सिकुड़ गयी..उसने अनुज की ओर देखा जो दोनों को एकटक देख रहा था, तभी माहिर अनुज से - "जो लड़की मेरे गुस्से की वजह है उस लड़की से मुझे कुछ बात करनी है, वो भी अकेले में"

अनुज भौहें चढ़ाते - "क्या? जिस लड़की की वजह से आप गुस्से में है सर ये (अयाना की ओर हाथ करते) वही है.....वो आगे कुछ कहता कि माहिर अयाना की ओर देखते बोल पड़ा - "हां ये वहीं है स्टुपिड लड़की!"

अयाना बड़ी-बड़ी आखें कर - "व्हाट आप मुझे स्टुपिड लड़की बोल रहे है"

माहिर उसे घूरते हुए - "जो तुम हो वही बोल रहा हूं और तुम (अनुज से) अभी तक यही हो, जाने को बोला ना, सुना नहीं तुमने...मुझे इस लड़की से अकेले में बात करनी है।"

अयाना - "क्या बात करनी है आपको मुझसे, आप ने अपना डिसीजन तो बदल लिया?"

माहिर - "पहले बात तो कर लूं डिसीजन मेरा है जिसे मैं जब चाहे बदल सकता हूं...." इतना कह माहिर ने अनुज की ओर देखा तो वो उसी वक्त वहां से चला गया। अनुज के जाते ही माहिर खन्ना ने अयाना की ओर कदम बढ़ाया, माहिर को अपने करीब आते देख अयाना झट से पीछे हुई तो वो पीछे की ओर जा गिरी पर वो नीचे गिरती उससे पहले माहिर ने उसकी कमर पर अपनी बांह फंसा उसे गिरने से बचा लिया।

अयाना ने माहिर के चेहरे कि ओर देखा जो उसे बिना किसी हाव भाव के देख रहा था - "छोड़ दूं?"

अयाना उसकी ओर टुकुर टुकुर देखते - "छोड़ दिजिए"

माहिर मुस्कुराते हुए - "गिर जाओगी?"

अयाना गर्दन टेढी कर नीचे देखते हुऐ-"गिर गयी तो भी मरूंगी नहीं!"

तभी माहिर ने उसे सीधा खड़ा कर दिया, सीधी खड़ी होते ही अयाना उससे दूर हो गयी, माहिर अपनी चेयर की ओर जाते - "मैं तुम जितना गिरा हुआ नहीं हूं"

ये सुन अयाना की आखें फैल गयी - "क्या कहा आपने?"

"वहीं जो तुमने सुना" कहते माहिर खन्ना अपने एटीट्यूड को खुद पर सवार कर अपने सिहांसन यानी चेयर पर बड़े ही स्टाइल से पैर पर पैर रखकर विराजमान हो गया।"

अयाना उसकी ओर जाते - "हम आपको किस एंगल से गिरे हुऐ लग रहे है?" ये सुन माहिर हंस दिया- "हर एंगल से!"

माहिर की ये बात सुन अयाना ने अपनी मुठ्ठिया बांध ली तभी माहिर फिर बोल पड़ा - "देखो ना थोड़ी देर पहले, घंटा भर भी नहीं हुआ, तुम मुझे मेरे पैसों को लेकर बड़ा सा भाषण देकर गयी थी, पैसे के घंमड से चकनाचूर इंसान न जाने क्या क्या सुना कर गयी थी तुम मुझे और अब तुम मेरे सामने मेरे ही पैसे मुझसे लेने आ गयी?"

अयाना उसकी ओर देख - "मदद लेने आए थे हम माहिर खन्ना के पास भीख नहीं...वो मदद जिसे हम वापस लौटा देते।"

माहिर टेबल पर रखा स्पीनर उठाकर उसे घुमाते हुए - "पैसे भी मुझसे चाहिए और पैसे चुकाने के लिए मुझसे जॉब भी, वाव व्हाट ए प्लानिंग, कैसे की तुमने ये स्मार्ट प्लानिंग!"

अयाना मुस्कुराते हुए - "स्मार्ट प्लानिंग हमनें नहीं आपके मैनेजर ने की, हम बस मदद के लिए आये थे हमें तो पता ही नहीं था माहिर खन्ना कौन है, वो बोले मदद मिल जाएगी, और उन्होनें आपसे बात कर ली और मुझे यहां पर मिलने बुला लिया। बट हम तो माहिर खन्ना से पहले ही मिल चुके थे जान चुके थे जिस तरह के आप इंसान है हमें यहां मदद नहीं मिलने वाली।"

माहिर भौहें चढ़ाते - "रियली....फिर भी तुम चली आई, माहिर खन्ना को पहचान कर फिर से मिलने चली आई वेरी स्ट्रेंज...जब पता था मैं हेल्प नहीं करने वाला फिर क्यों आई?"

अयाना मुस्कुराते हुए - "इंसान है हो जाती है हम से भी गलतियां, भगवान तो है नहीं!"

माहिर हंसते हुऐ - "ओह तो तुम अपनी गलती मानती हो?"

अयाना हाथ बांधते - “ऑफकोर्स, आपकी तरह तो नहीं है खैर अब हमारा यहां कोई काम नहीं, आपको ना हमारी मदद करनी है फिर क्यों रोका हमें यहां, बताने की कृपा करें!”

माहिर स्पीनर को टेबल पर फैंकते - "तुम्हें तुम्हारी औकात दिखाने के लिए"

अयाना हैरान होते -"मतलब?"

तभी माहिर चेयर से उठ खड़ा हुआ - "यस तुम्हें तुम्हारी औकात दिखानी है, गलत कहा था ना तुमनें मुझे, गलत के पास कैसे चली आई तुम?"

"जरूरी था आईमीन जरूरत तब आई!" अयाना ने इतना कहा.…कि माहिर अपने बालों में हाथ घुमाते बोल पड़ा - "बट तुम्हें तो जरूरत ही नहीं थी मेरे पैसों की (भौहें उचकाते)....बाई द वे तुम्हें कोई और नहीं मिला?"

"कोई और भी मिल जाता मदद के लिए बट ढूंढा ही नहीं, पर अब ढूंढ लेगें, चलते है!"...इतना कह अयाना जाने लगी कि माहिर जोर से बोल पड़ा - “मैं दूंगा तुम्हें दस लाख!” ये सुन अयाना उसकी ओर मुड़ी तो माहिर उसके सामने टेबल पर बैठ गया - "बट जॉब नहीं दूंगा"

अयाना उसकी ओर गौर से देखते - "मदद करना चाहते है या अहसान?"

माहिर मुस्कुराते हुए - "दोनों ही नहीं"

अयाना - "तो फिर?"

माहिर कुछ सोच रहा था अयाना उसकी ओर ही देख रही थी, दो मिनट बाद माहिर हंसते बोला - "बहुत अकड़ है तुम में, तुम्हारा नुकसान हुआ उस की भरपाई लेने से तुमने मना कर दिया और अब तुमको मदद चाहिए मुझसे वो भी लाखों रूपए की मतलब हजारो लेने को मना और लाखों लेने को तैयार, पता है तुम्हें मैं तुम्हें दस लाख तो क्या दस करोड़ यूं ही दे सकता हूं, वो भी बिना काम दिये बिना काम लिये।"

अयाना - "पर हमें यू हीं नहीं चाहिए, अपनी मां के लिए आए है हम यहां....वो आगे कुछ कहती कि माहिर बोल पड़ा, "यूं ही दूंगा भी नहीं और तुम्हें तो बिल्कुल नहीं!"

अयाना - "आईनो ना आप देगें ना हम लेगें, बोले तो यूं ही!"

माहिर - "या सो अपनी मां के लिए तुम खुद को, मुझे दे दो?"

अयाना चौंकते हुऐ - "व्हाट?"

माहिर एटिट्यूड वाले लहजे में - "यस मैं तुम्हें दस लाख दूंगा बदले में, मेरे सामने जो लड़की खड़ी है म़ुझे वो चाहिए, वो भी पूरी की पूरी।"

अयाना सवालिया नजरों से उसको देखते हुए - "आप कहना क्या चाहते है?"

माहिर टेबल से कूद गया - "खुद को तुम (खुद की ओर इशारा कर) मेरे हवाले कर दो और ले जा़ओ जितने पैसे चाहिए तुम्हें"

अयाना अब भी उसे सवालिया नजर से घूर रही थी, माहिर उसके थोड़ा पास आते - "नहीं समझी, इट्स ओके मैं समझा देता हूं मैं तुम्हें पैसे दूंगा बट उसके बदले तुम्हें वो सब करना होगा जो भी मैं करने को कहूंगा, तुम्हारे सो कोल्ड स्वाभिमान से तुम्हें कहना होगा वो तुमको परमिशन दे, माहिर खन्ना के सामने झुकने की!"

"ओह तो आप चाहते है हम आपसे माफी मांगे?“ अयाना ने इतना कहा कि माहिर हंस पड़ा - ”मुझे तो बताया गया था तुम समझदार हो बट तुम तो बिल्कुल समझदार नहीं हो, लगता है अच्छे से समझाना पड़ेगा तुम्हें, वो क्या है तुम अपनी मां के लिए मुझसे माफी मांगना तो क्या तुम मेरे पैर भी पड़ सकती हो अगर मैं अभी तुम्हारे हाथों में दस लाख थमा दूं तो, बट मुझे तुम्हारी माफी नहीं चाहिए।"

अयाना - "तो आपको क्या चाहिए? साफ-साफ बताइए आपकी बातों का मतलब क्या है? जितना समझ पा रही हूं आपकी बातों का मतलब आप जॉब तो देगें नहीं मुझे अपने यहां पर, फिर क्या चाहिए आपको आपके पैसों के बदले मुझसे?"

माहिर अयाना के पास आते - "अभी बोला ना मैनै खुद को मेरे हवाले कर दो, तुम्हारे स्वाभिमान की कीमत चुकाना चाहता हूं मैं, जिसके चलते तुम्हें बहुत घमंड है, खरीदना चाहता हूं मैं तुम्हें!" माहिर ने इतना कहा....कि उसकी बात सुन अयाना को गुस्सा आ गया, और वो उस पर चिल्ला उठी - "आपका दिमाग खराब है कैसी बकवास बात कर रहे है आप? मैं आपको बिकाऊं लगती हूं जो आप मुझे खरीदना चाहते है।"

माहिर एटीट्यूड वाले लहजे में - "मेरी बकवास से तुम्हारा काम बन सकता है, ऐसी कोई चीज नहीं जो माहिर खन्ना ना खरीद सके, तुम्हें खरीद सकूं इतनी हैसियत तो रखता हूं, तुम जैसी एक क्या हजारों लड़कियां खरीद सकता हूं, पता है कितनी लड़कियां मेरे इशारों पर नाचने को तैयार रहती है, कितना मरती है मुझपर?"

अयाना गुस्से से दांत भींचते - "पहली बात मैं कोई चीज नहीं हूं और ना ही मैं उन लड़कियों में आती हूं जो आपके इशारों पर नाचती है, हां रखते होगें आप शौक लड़कियों को खरीदने का पर मुझे ना तो बिकने का शौक है, ना ही आप पर मर मिटने की चाहत, मुझे मरना ही नहीं, मुझे जीना है, मरूंगी तो अपनी मौत आने पर, आपने मुझे गलत समझ लिया है मैं वैसी लड़की बिल्कुल भी नहीं हूं जैसा आप समझ रहे है।"

माहिर मुस्कुराते हुए - "तो बन जाओ ना, कीमत दुगनी क्या चौगुनी दे दूंगा मैं, तुम्हारा स्वाभिमान जिस चीज जिस काम के लिए तुमको परमिशन नहीं देता, मुझे तुमसे वहीं चाहिए, बस यस बोलो फिर हम दोनों के काम हो जाएगें। जो हम चाहते है हमें मिल जाएगा, पैसे के बदले तुम मेरी बातें मानोगी और मुझसे पैसे लेकर तुम भी अपना काम निकाल लोगी, डील बुरी नहीं है, मैं तुम्हारे स्वाभिमान की पूरी कीमत चुकाने में इंटरेस्टेड हूं" कहते माहिर अयाना के पास आने लगा कि अयाना ने उसके गाल पर एक जोरदार थप्पड़ लगा दिया।

थप्पड़ लगते ही माहिर खन्ना का चेहरा टेढ़ा हो गया और उसका जबड़ा कस गया, अयाना उसे घूरते वहां से जाने लगी पर जाते-जाते वो एक पल रूकी और बिना माहिर की ओर देख बोली - "हम यहां मदद के लिए आए है और आप हमें बिकने को बोल रहे है, मुझे खरीदना चाहते है छी: शर्म आनी चाहिए आपको माहिर खन्ना, हमें नहीं पता था आप हमारे सामने मदद के बदले ऐसी बेहूदा शर्त रखेगें, आप ऐसे घटिया इंसान निकलेगें आप भी बुरे है और आपकी डील भी बुरी है, हमें जरूर जरूरत है पैसो की पर आप जो ये सौदा चाहते है वो हमें कतई मंजूर नहीं।" बोल अयाना दरवाजा पटक वहां से चली गयी।
 

आगे जानने के लिए पढ़िए कहानी का अगला भाग।
 

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